‘संकट के समय’ से कौन बचेगा?
“जो कोई यहोवा से प्रार्थना करेगा, वह छुटकारा पाएगा।”—योएल २:३२.
१. दानिय्येल और मलाकी के अनुसार, आनेवाले ‘संकट के समय’ उद्धार पाने वालों की विशेषता क्या है?
हमारे समय की ओर देखते हुए, भविष्यवक्ता दानिय्येल ने लिखा: “तब ऐसे संकट का समय होगा, जैसा किसी जाति के उत्पन्न होने के समय से लेकर अब तक कभी न हुआ होगा; परन्तु उस समय तेरे लोगों में से जितनों के नाम परमेश्वर की पुस्तक में लिखे हुए हैं, वे बच निकलेंगे।” (दानिय्येल १२:१) ये क्या ही सांत्वनादायक शब्द हैं! यहोवा के स्वीकृत लोग उन के द्वारा स्मरण किए जाएंगे, उसी तरह जैसे मलाकी ३:१६ भी घोषित करता है: “तब यहोवा का भय मानने वालों ने आपस में बातें कीं और यहोवा ध्यान धरकर उनकी सुनता था; और जो यहोवा का भय मानते और उसके नाम का सम्मान करते थे, उनके स्मरण के निमित्त उसके साम्हने एक पुस्तक लिखी जाती थी”
२. यहोवा के नाम पर ध्यान करने का परिणाम क्या है?
२ यहोवा के नाम का ध्यान करना उनके विषय में तथा उनके मसीह, और उनके राज्य-संबंधी सभी महान उद्देश्यों के विषय में सही ज्ञान पाने की ओर ले जाता है। इस प्रकार उनके लोग उनका आदर करना, उनके साथ घनिष्ठ समर्पित संबंध में आना, और ‘उनसे अपने सारे मन और सारी बुद्धि और सारे प्राण और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखना’ सीखते हैं। (मरकुस १२:३३; प्रकाशितवाक्य ४:११) यहोवा ने, यीशु मसीह के बलिदान के द्वारा, एक करूणामय प्रबंध किया है, जिससे पृथ्वी के नम्र लोग अनन्त जीवन पा सकें। इस लिए ये लोग संपूर्ण भरोसे के साथ स्वर्गीय सेना के उन शब्दों को गूंज सकते हैं जो यीशु के जन्म पर उन्होंने यहोवा की स्तुति के लिए कहे थे: “आकाश में परमेश्वर की महिमा और पृथ्वी पर उन मनुष्यों में जिनसे वह प्रसन्न है शान्ति हो।”—लुका २:१४.
३. इससे पहले कि पृथ्वी पर शान्ति आ सके, यहोवा का कौनसा कार्य होना आवश्यक है?
३ वह शान्ति अधिकांश लोगों के अनुमान से कहीं अधिक निकट है। परन्तु पहले भ्रष्ट संसार पर यहोवा का न्यायदंड का आना ज़रूरी है। उनका भविष्यवक्ता सपन्याह यह घोषीत करता है: “यहोवा का भयानक दिन निकट है, वह बहुत वेग से समीप चला आता है।” वह किस प्रकार का दिन है? भविष्यवाणी जारी रहती है: “यहोवा के दिन का शब्द सुन पड़ता है, वहां वीर दु:ख के मारे चिल्लाता है। वह रोष का दिन होगा, वह संकट और सकेती का दिन, वह उजाड़ और उधेड़ का दिन, वह अन्धेर और घोर अन्धकार का दिन, वह बादल और काली घटा का दिन होगा। वह गढ़वाले नगरों और ऊँचे गुम्मटों के विरुद्ध नरसिंगा फूंकने और ललकारने का दिन होगा। मैं मनुष्यों को संकट में डालूंगा, और वे अन्धों की नाईं चलेंगे, क्योंकि उन्हों ने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है।”—सपन्याह १:१४-१७; हबक्कूक २:३; ३:१-६, १६-१९ भी देखें।
४. यहोवा को जानने और उनकी सेवा करने के निमंत्रण को आज कौन स्वीकार कर रहे हैं?
४ यह प्रसन्नता की बात है कि आज लाखों लोग परमेश्वर को जानने और उसकी सेवा करने के निमंत्रण का उत्तर दे रहे हैं। अभिषिक्त मसीहियों के संबंध में, जिन्हें नई वाचा में शामिल किया गया है, यह भविष्यवाणी की गई थी: “यहोवा की यह वाणी है कि छोटे से लेकर बड़े तक, सब के सब मेरा ज्ञान रखेंगे।” (यिर्मयाह ३१:३४) इन्होंने आधुनिक समय के गवाही कार्य में नेतृत्व किया है। और अब जब अधिक से अधिक शेष अभिषिक्त लोग अपनी पार्थिव सेवा समाप्त कर रहे हैं, “अन्य भेड़ों” की “बड़ी भीड़” परमेश्वर के मंदिर-रूपी प्रबंध में उसकी ‘रात दिन सेवा’ करने के लिए आगे आए हैं। (प्रकाशितवाक्य ७:९, १५; यूहन्ना १०:१६) क्या आप भी उनमें से एक हैं जो इस अनमोल ख़ास अनुग्रह का आनन्द ले रहे हैं?
“मनभावनी वस्तुएं” कैसे आती हैं
५, ६. इस से पहले कि सभी जातियों को हिलाकर नष्ट कर दिया जाए, बचाव का कौनसा कार्य होता है?
५ आईए हम हाग्गै २:७ की ओर ध्यान दें, जहाँ यहोवा अपनी आध्यात्मिक उपासना के भवन के विषय में भविष्यवाणी करते हैं। वे कहते हैं: “मैं सारी जातीयों को कम्पकपाऊँगा, और सारी जातियों की मनभावनी वस्तुएं आएगी; और मैं इस भवन को अपनी महिमा के तेज से भर दूंगा।” बाइबल की भविष्यवाणियाँ प्रदर्शित करती हैं कि ‘सब जातियों को कम्पकपाने’ का ज़िक्र राष्ट्रों पर यहोवा के न्यायदंड से संबंधित है। (नहूम १:५, ६; प्रकाशितवाक्य ६:१२-१७) इसलिए, हाग्गै २:७ में दी यहोवा की कार्यवाही के विषय में भविष्यवाणी की चरम सीमा तब पूरी होती है जब जातियों को हिलाकर उनका अस्तित्व ही मिटा दिया जाएगा—सत्यानाश कर दिया जाएगा। परन्तु ‘सब जातियों की मनभावनी वस्तुओं’ के विषय में क्या कहेंगे? क्या उन्हें अन्दर लाए जाने के लिए उस विनाशकारी अन्तिम हिलाए जाने तक रुकना होगा? नहीं, ऐसा नहीं है।
६ योएल २:३२ कहता है कि: “उस समय जो कोई यहोवा से प्रार्थना करेगा, वह छुटकारा पाएगा। और यहोवा के वचन के अनुसार सिय्योन पर्वत पर, और यरूशलेम में जिन बचे हुओं को यहोवा बुलाएगा, वे उद्धार पाएंगे।” (तिरछा टाइप हमारा.) यहोवा उन्हें बाहर निकाल लेते हैं, और वे बड़े क्लेश के अन्तिम हिलाए जाने से पहले यीशु के बलिदान में विश्वास के साथ उनके नाम से प्रार्थना करते हैं। (यूहन्ना ६:४४; प्रेरितों के काम २:३८, ३९ से तुलना करें.) यह प्रसन्नता की बात है कि बहुमूल्य बड़ी भीड़, जिसकी संख्या अब चालीस लाख से अधिक है, अरमगिदोन में ‘सब जातियों के हिलाए जाने’ की आशा में यहोवा की उपासना के भवन ‘में आती है।’—प्रकाशितवाक्य ७:९, १०, १४.
७. ‘यहोवा से प्रार्थना करने’ में क्या सम्मिलित है?
७ जीवित बचनेवाले कैसे यहोवा के नाम से प्रार्थना करते हैं? याकूब ४:८ हमें यह कहकर संकेत देता है: “परमेश्वर के निकट आओ, तो वह भी तुम्हारे निकट आएगा: हे पापियो, अपने हाथ शुद्ध करो; और हे दुचित्ते लोगो अपने हृदय को पवित्र करो।” जैसे अच्छी मिसाल पेश करनेवाले अभिषिक्त वर्ग के शेष जनों ने किया, वैसे ही उन लोगों को, जो अरमगिदोन के बचनेवालों की बड़ी भीड़ में होना चाहते हैं, निर्णायक क़दम उठाना पड़ेगा। यदि आप बचने की आशा रखते हैं, तो आप को यहोवा के शुद्ध करनेवाले वचन में गंभीरता से पीना होगा और अपने जीवन में उनके धार्मिक स्तरों का पालन करना होगा। आप को अपना जीवन यहोवा के लिए समर्पित करने के विषय में निर्णायक होकर इसका प्रतीक जल के द्वारा बपतिस्मा से प्रस्तुत करना चाहिए। आपका विश्वास के साथ यहोवा से प्रार्थना करने में उनके लिए गवाही देना भी शामिल करता है। इस प्रकार, रोमियों अध्याय १० के ९ और १० वचनों में पौलुस लिखते हैं: “यदि तू अपने मुंह से यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे और अपने मन से विश्वास करे, कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू निश्चय उद्धार पाएगा। क्योंकि धार्मिकता के लिए मन से विश्वास किया जाता है, और उद्धार के लिए मुंह से अंगीकार किया जाता है।” फिर, १३वें वचन में, प्रेरित योएल की भविष्यवाणी उद्धरित करके इस बात पर ज़ोर देता है कि “जो कोई यहोवा का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा।”—NW.
‘ढूंढ़ो, ढूंढ़ो, ढूंढ़ो’
८. (क) भविष्यवक्ता सपन्याह के अनुसार, उद्धार पाने के लिए यहोवा क्या माँग करते हैं? (ख) सपन्याह २:३ में शब्द “संभव है” हमें क्या चेतावनी देता है?
८ बाइबल की सपन्याह नामक पुस्तक के अध्याय २, वचन २ और ३ पर दृष्टि करते हुए हम उद्धार के लिए यहोवा की माँगों के विषय में ऐसा पढ़ते हैं: “इस से पहिले कि . . . यहोवा का भड़कता हुआ क्रोध तुम पर आ पड़े, और यहोवा के क्रोध का दिन तुम पर आए, . . . हे पृथ्वी के सब नम्र लोगो, हे यहोवा के नियम के मानने वालो, उस को ढूंढ़ते रहो। धर्म को ढूंढ़ो, नम्रता को ढूंढ़ो; संभव है तुम यहोवा के क्रोध के दिन में शरण पाओ।” “संभव है” शब्द पर ध्यान दें। यह वह बात नहीं है कि एक बार उद्धार पा लिया तो सदा के लिए पा लिया। उस दिन में हमारा शरण पाना उन तीन बातों पर लगातार चलते रहने पर आधारित है। हम ने यहोवा को ढूंढ़ना, धार्मिकता को ढूंढ़ना, और नम्रता को ढूंढ़ना चाहिए।
९. नम्रता को ढूंढ़ने वालों को प्रतिफल कैसे मिलता है?
९ वाक़ई, नम्रता को ढूंढ़ने का प्रतिफल अद्भुत है! भजन संहिता ३७ के ९ से ११ वचनों में हम ऐसा पढ़ते हैं: “जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वही पृथ्वी के अधिकारी होंगे। थोड़े दिन के बीतने पर दुष्ट रहेगा ही नहीं . . . परन्तु नम्र लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और बड़ी शान्ति के कारण आनन्द मनाएंगे।” और धार्मिकता को ढूंढ़ने के विषय में क्या कहेंगे? वचन २९ कहता है: “धर्मी लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और उस में सदा बसे रहेंगे।” और यहोवा को ढूंढ़ने के विषय में, ३९ और ४० वचन हमें बताते हैं: “धर्मियों की मुक्ति यहोवा की ओर से होती है; संकट के समय वह उनका दृढ़ गढ़ है। और यहोवा उनकी सहायता करके उनको बचाता है; वह उनको दुष्टों से छुड़ाकर उनका उद्धार करता है, इसलिये कि उन्हों ने उस में अपनी शरण ली है।”
१०. यहोवा को और नम्रता को ढूंढ़ने से इनकार करने में कौन विशिष्ट रहे हैं?
१० मसीही जगत के संप्रदाय यहोवा को ढूंढने में असमर्थ रहे हैं। उनके पादरीगणों ने उनके अनमोल नाम का इनकार किया है, और उसे अहंकारपूर्वक अपने बाइबल अनुवादों से हटा दिया है। वे किसी बेनाम प्रभु या परमेश्वर की उपासना करना और अन्य जातियों के त्रियेक का सम्मान करना पसंद करते हैं। इसके अतिरिक्त, मसीही जगत धार्मिकता को भी नहीं ढूंढ़ रहे हैं। उनके अनेक अनुयायी अनियंत्रित जीवन शैली अपनाते हैं या उसका अनुमोदन करते हैं। यीशु की तरह नम्रता को ढूंढ़ने के बजाया वे केवल आडम्बरी दिखावा ही करते हैं, जैसा कि टैलिविज़न पर, विलासिता और प्राय: अनैतिक जीवन शैली का प्रदर्शन। पादरी झुंड के ख़र्च पर अपने आपको मोटा-ताज़ा करते हैं। याकूब ५:५ के शब्दों के अनुसार वे “पृथ्वी पर भोग-विलास में लगे रहे और बड़ा ही सुख भोगा” है। ज्यों-ज्यों यहोवा का दिन निकट आता है, त्यों-त्यों वे निश्चय ही यह पाएंगे कि ये प्रेरित वचन उन्हीं पर लागू होते हैं: “कोप के दिन धन से तो कुछ भी लाभ नहीं होता।”—नीतिवचन ११:४.
११. अधर्म का पुरुष कौन है, और उसने कैसे खून के दोष का ज़बरदस्त ढेर अपने ऊपर लगाया है?
११ सामान्य युग की प्रथम शताब्दी में, जैसा कि प्रेरित पौलुस ने थिस्सलुनीकियों के नाम अपने दूसरे पत्र में कहा कि कुछ मसीही इतने उतावले हो गए और सोचने लगे कि यहोवा का दिन उन पर आ ही चुका था। परन्तु पौलुस ने चेतावनी दी कि इससे पहले बड़े धर्मत्याग को आना ही था, और ‘अधर्म के पुरुष’ को प्रगट किया जाना था। (२ थिस्सलुनीकियों २:१-३, NW) अब, इस २०वीं शताब्दी में, हम समझ सकते हैं कि उस धर्मत्याग का विस्तृत फैलाव और मसीही जगत का पादरी वर्ग परमेश्वर की दृष्टि में कितना अधर्मी है। वर्ष १९१४ से शुरू हुए इन अन्तिम दिनों में, पादरी वर्ग ने ‘हल के फालों को पीटकर तलवार बनाने’ के कार्य का समर्थन करने के द्वारा अपने ऊपर खून के दोष का ज़बरदस्त ढेर लगाया है। (योएल ३:१०) वे झूठी शिक्षा देने में भी लगे रहे हैं, जैसा कि की मानव आत्मा का अंतर्निहित अमरता, शोधन-स्थान, नरक-यातना, बच्चों का बपतिस्मा, त्रियेकवाद, और ऐसी ही अनेक शिक्षाएं। जब यहोवा अपने न्यायिक निर्णय की सज़ा देंगे तब उनकी स्थिति क्या होगी? नीतिवचन १९:५ कहता है: “जो झूठ बोला करता है, वह न बचेगा।”
१२. (क) मानव “आकाश” और “पृथ्वी” क्या हैं जिन्हें शीघ्र ही नष्ट कर दिया जाएगा? (ख) इस दुष्ट संसार के आने वाले विनाश से हम क्या सीखते हैं?
१२ दूसरा पतरस ३:१० में, हम ऐसा पढ़ते हैं: “प्रभु का दिन चोर की नाईं आ जाएगा, उस दिन आकाश बड़ी हड़हड़ाहट के शब्द से जाता रहेगा, और तत्व बहुत ही तप्त होकर पिघल जाएंगे, और पृथ्वी और उस पर के काम जल जाएंगे।” ऐसे भ्रष्ट शासन, जो मानवजाति, और साथ ही पतित मानव समाज के सभी तत्वों पर आकाश की तरह पूरी तरह छा गए हैं, उन्हें परमेश्वर की पृथ्वी पर से मिटा दिया जाएगा। क़यामतख़ेज़ हथियारों के निर्माता और व्यापारी, भगलबाज़, धर्मी होने का दिखावा करने वाले कपटी लोग तथा उनके पादरी गण, भ्रष्टता, हिंसा, और अपराध को बढ़ावा देने वाले लोग—सब के सब लुप्त हो जाएंगे। वे यहोवा के क्रोध के कारण वे पिघल जाएंगे। परन्तु पतरस ११ और १२ वचनों में, मसीहियों को सावधान करने के लिए आगे कहता है: “तो जब कि ये सब वस्तुएं, इस रीति से पिघलनेवाली हैं, तो तुम्हें पवित्र चालचालन और भक्ति में कैसे मनुष्य होना चाहिए। और परमेश्वर के उस दिन की बाट किस रीति से जोहना चाहिए और उसके जल्द आने के लिये कैसा यत्न करना चाहिए।”
मीकाएल कार्य आरंभ करता है!
१३, १४. यहोवा के शासकत्व का महान दोषनिवारक कौन है, और १९१४ से वह कैसे कार्यशील रहा है?
१३ यहोवा के “संकट का समय” के दौरान कोई अपना बचाव कैसे कर सकेगा? परमेश्वर की ओर से बचाव करवानेवाला व्यक्ति है प्रधान स्वर्गदूत मीकाएल, जिसके नाम का अर्थ है “परमेश्वर के तुल्य कौन है?” इसी लिए उचित रूप से वही यहोवा के शासकत्व को दोषमुक्त करता है, और यहोवा को सारे विश्वमंडल का एकमात्र सच्चा परमेश्वर और न्यायोचित परमप्रधान सत्ताधारी प्रभु के रूप में ऊँचा उठाता है।
१४ उन्नीस सौ चौदह से “प्रभु के दिन” के विषय में प्रकाशितवाक्य १२ अध्याय के ७ से १७ वचन क्या ही अद्भुत घटनाओं का वर्णन करते हैं! (प्रकाशितवाक्य १:१०) प्रधान स्वर्गदूत मीकाएल धर्मत्यागी शैतान को स्वर्ग से पृथ्वी पर गिरा देता है। और इसके बाद, जैसा कि प्रकाशितवाक्य अध्याय १९, ११ से १६ वचनों में वर्णन किया गया है, “विश्वासयोग्य और सत्य” कहलानेवाला, ‘सर्वशक्तिमान परमेश्वर के भयानक प्रकोप की जलजलाहट की मदिरा के कुंड में दाख’ रौंदता है। इस महान स्वर्गीय योद्धा को “राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु” नाम दिया गया है। अंत में, प्रकाशितवाक्य अध्याय २० के १ और २ वचन एक महान स्वर्गदूत के विषय में बताते हैं, जो शैतान को अथाह कुंड में फेंककर हज़ार वर्ष के लिए बंद कर देता है। स्पष्ट है कि ये सभी शास्त्र वचन यहोवा की प्रभुता का एकमात्र दोषमुक्त करनेवाला, प्रभु यीशु मसीह, की ओर इशारा करते हैं, जिसे यहोवा ने अपने महिमावान स्वर्गीय सिंहासन पर सन् १९१४ में बैठाया है।
१५. किस विशेष अर्थ में मीकाएल शीघ्र “खड़ा” होगा?
१५ जब से मीकाएल को १९१४ से राजा नियुक्त किया गया है, तब से वह, जैसा दानिय्येल १२:१ में लिखा है, यहोवा के लोगों के पक्ष में “खड़ा” है। परन्तु मीकाएल शीघ्र एक बहुत ही विशेष अर्थ में “खड़ा” होने पर है—अर्थात् पृथ्वी पर से संपूर्ण दुष्टता को हटाने के लिए यहोवा के कर्ता के रूप में और परमेश्वर के लोगों के विश्व समाज का उद्धारक के रूप में। मत्ती २४:२१, २२ में दिए यीशु के वचन दर्शाते हैं कि वह “संकट का समय” कितना भारी होगा: “उस समय ऐसा भारी क्लेश होगा, जैसा जगत के आरंभ से न अब तक हुआ, और न कभी होगा। और यदि वे दिन घटाए न जाते, तो कोई प्राणी न बचता; परन्तु चुने हुओं के कारण वे दिन घटाए जाएंगे।”
१६. बड़े क्लेश से कौनसे प्राणी बचाए जाएंगे?
१६ हम कितने प्रसन्न हो सकते हैं कि कुछ प्राणी बचाए जाएंगे! नहीं, उन विद्रोही यहूदियों की तरह नहीं जो सा.यु. वर्ष ७० में यरूशलेम में फँसे थे, और जिनमें से कुछ लोगों को ग़ुलाम बना कर रोम ले जाया गया था। परन्तु, ‘अन्त के समय’ में बचने वाले लोग उस मसीही मंडली के समान होंगे जो यरूशलेम के अन्तिम घेराव के शुरू होने से पहले ही बाहर भाग गए थे। बड़ी भीड़ के वे लाखों लोग, शायद अभी भी पृथ्वी पर ज़िंदा कुछ अभिषिक्त लोगों के साथ परमेश्वर के अपने लोग होंगे। (दानिय्येल १२:४) वह बड़ी भीड़ “बड़े क्लेश में से निकलकर” आती है। क्यों? इस लिए कि “इन्हों ने अपने अपने वस्त्र मेम्ने के लोहू में धोकर श्वेत किए हैं।” वे यीशु के बहाए गए लोहू की छुड़ौती प्रदान कराने की शक्ति में विश्वास करते हैं, और उस विश्वास को यहोवा की वफ़ादारी के साथ सेवा करके प्रदर्शित करते हैं। अभी भी, यहोवा, ‘जो सिंहासन पर बैठे हैं,’ अपना रक्षात्मक तंबू उन पर तानते हैं, जब कि मेम्ना, यीशु मसीह, उनकी रखवाली करके उन्हें जीवन के जल के सोतों की ओर ले जाता है।—प्रकाशितवाक्य ७:१४, १५.
१७. सकंट के दिन में शरण पाने के लिए बड़ी भीड़ को कैसे क़दम उठाने के लिए विशेष प्रोत्साहन दिया जा रहा है?
१७ यहोवा की तथा धर्म और नम्रता की खोज करते करते, बड़ी भीड़ के इन लाखों लोगों ने सत्य के प्रति अपने प्रारंभिक प्रेम को कभी ठंडा नहीं होने देना चाहिए! यदि आप इन भेड़-जैसे लोगों में से एक हैं, तो आप को क्या करना चाहिए? जैसा कुलुस्सियों अध्याय ३ के वचन ५ से १४ में लिखा है, आप को अपने “पुराने मनुष्यत्व को उसके कामों समेत उतार डालना” चाहिए। ईश्वरीय सहायता को ढूंढ़ते हुए, ‘सत्य के ज्ञान पर आधारित नए मनुष्यत्व को पहन लेने’ का सर्वदा यत्न करते रहें। नम्रता के साथ यहोवा की प्रशंसा करने, और उनके महान उद्देश्यों को दूसरों पर प्रगट करने के काम में जोश विकसित करें और उसे बनाए रखें। तब शायद आप “यहोवा के भड़कते हुए क्रोध” के दिन, “सकंट का समय” शरण पाएँगे।
१८, १९. धीरज किस प्रकार उद्धार पाने के लिए अत्यंत आवश्यक है?
१८ वह दिन समीप है! वह शीघ्रता से हमारी ओर आ रहा है। बड़ी भीड़ के लोगों का इकट्ठा किए जाने का कार्य लगभग ५७ वर्षों से चल रहा है। इनमें से कितने ही मर गए हैं, और अपने पुनरुत्थान के लिए रूके हैं। परन्तु प्रकाशितवाक्य की भविष्यवाणी हमें आश्वासन देती है कि एक समूह के रूप में बड़ी भीड़ के लोग उस बड़े क्लेश में से बच निकलेंगे, और “नई पृथ्वी” के समाज का केन्द्र बनेंगे। (प्रकाशितवाक्य २१:१) क्या आप वहाँ होंगे? हाँ, वह संभव है, क्योंकि यीशु ने मत्ती २४:१३ में कहा है: “परन्तु जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा।”
१९ वे परेशानियाँ, जो यहोवा के गवाहों को इस पुराने संसार में हैं, शायद बढ़ती जाएं। और जब मुसीबत से भरा बड़ा क्लेश आएगा, तब शायद आप को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़े। परन्तु यहोवा और उनके संगठन के निकट रहें। जागते रहें! “इस कारण यहोवा की यह वाणी है, कि जब तक मैं नाश करने को न उठूं, तब तक तुम मेरी बाट जोहते रहो। मैं ने यह ठाना है कि जाति-जाति के और राज्य-राज्य के लोगों को मैं इकट्ठा करूं, कि उन पर अपने क्रोध की आग पूरी रीति से भड़काऊं; क्योंकि सारी पृथ्वी मेरी जलन की आग से भस्म हो जाएगी।”—सपन्याह ३:८.
२०. जैसे-जैसे “संकट का समय” अपनी चरम सीमा के निकट पहुँचता है, वैसे ही हमें क्या करना चाहिए?
२० यहोवा ने अपने लोगों की रक्षा और प्रोत्साहन के लिए, करूणामय रूप से “शुद्ध भाषा” प्रदान की है, जिसमें उनके आने वाले राज्य का महान समाचार भी शामिल है, और जिससे “कि वे सब के सब यहोवा से प्रार्थना करें, और एक मन से कन्धे से कन्धा मिलाए हुए उसकी सेवा करे।” (सपन्याह ३:९) जैसे-जैसे वह “संकट का समय” अपनी चरम सीमा की ओर तेज़ी से निकट आता है, वैसे ही हम भी जोश के साथ सेवा में लगे रहें, और अन्य नम्र लोगों को ‘यहोवा से प्रार्थना’ करके उद्धार पाने के लिए सहायता करें।
क्या आपको याद है?
▫ पृथ्वी पर शान्ति लाने से पहले यहोवा कौनसा कार्य करेंगे?
▫ योएल के अनुसार, उद्धार पाने के लिए एक व्यक्ति को क्या करना होगा?
▫ सपन्याह के अनुसार, यहोवा के भड़कते हुए क्रोध से बचने के लिए नम्र लोग सुरक्षा कैसे पाएंगे?
▫ “अधर्म का पुरुष” कौन है, और उसने कैसे अपने ऊपर खून के दोष का ढेर लगाया है?
▫ उद्धार पाने के विषय में धीरज कितना महत्त्वपूर्ण है?