अय्यूब ने धीरज धरा—हम भी धर सकते हैं!
“देखो, हम धीरज धरनेवालों को धन्य कहते हैं।”—याकूब ५:११.
१. एक वृद्ध मसीही ने अपनी परीक्षाओं के बारे में क्या कहा?
‘इब्लीस मेरे पीछे पड़ा है! मैं अय्यूब की तरह महसूस करता हूँ!’ इन शब्दों से यहोवा के गवाहों के मुख्यालय में ए. एच. मैकमिलन ने अपनी भावनाएँ एक निकट दोस्त को व्यक्त कीं। भाई मैकमिलन ने ८९ वर्ष की उम्र में अपना पार्थिव जीवन अगस्त २६, १९६६ में समाप्त किया। वह जानता था कि उसकी तरह अभिषिक्त मसीहियों की वफ़ादार सेवा का श्रेय ‘उनके साथ हो लेगा।’ (प्रकाशितवाक्य १४:१३) यक़ीनन, स्वर्ग में अमर जीवन का पुनरुत्थान पाने के द्वारा अभिषिक्त मसीही यहोवा की सेवा बिना रुकावट के करते रहेंगे। उसके दोस्त आनन्दित हुए कि भाई मैकमिलन ने वह प्रतिफल प्राप्त कर लिया। लेकिन, पृथ्वी पर अपने ढलते सालों में, वह तरह-तरह की परीक्षाओं से घिरा हुआ था। इनमें स्वास्थ्य समस्याएँ भी शामिल थीं, जिन्होंने उसे परमेश्वर के प्रति अपनी खराई को तोड़ने में शैतान के प्रयासों का काफ़ी बोध कराया।
२, ३. अय्यूब कौन था?
२ जब भाई मैकमिलन ने कहा कि वह अय्यूब की तरह महसूस कर रहा था, तो वह एक ऐसे व्यक्ति का ज़िक्र कर रहा था जिसने विश्वास की बड़ी परीक्षाएँ सही थीं। अय्यूब “ऊज़ देश में” रहता था, संभवतः उत्तरी अरब में। नूह के पुत्र, शेम का वंशज, वह यहोवा का उपासक था। अय्यूब की परीक्षाएँ प्रतीयमानतः यूसुफ की मृत्यु और उस वक़्त के बीच हुईं जब मूसा ने अपने आपको खरा साबित किया। उस अवधि के दौरान पृथ्वी पर ईश्वरीय भक्ति में अय्यूब के तुल्य कोई भी न था। यहोवा अय्यूब को एक खरा, सीधा, परमेश्वर का भय माननेवाला व्यक्ति समझता था।—अय्यूब १:१, ८.
३ “पूरबियों में सब से बड़ा” होने के कारण, अय्यूब के पास अनेक दास थे, और उसकी भेड़-बकरियों की संख्या ११,५०० थी। लेकिन आध्यात्मिक दौलत उसके लिए ज़्यादा महत्त्व रखती थी। आज के धर्म-परायण पिताओं की तरह, अति संभव है कि अय्यूब ने अपने सात बेटों और तीन बेटियों को यहोवा के बारे में सिखाया। बाद में जब वे उसके घर में नहीं रहते थे, तब भी वह उनके लिए बलिदान चढ़ाने के द्वारा पारिवारिक याजक के रूप में कार्य करता था, कदाचित् उनसे पाप हो गया हो।—अय्यूब १:२-५.
४. (क) सताए गए मसीहियों को अय्यूब के बारे में विचार क्यों करना चाहिए? (ख) अय्यूब के सम्बन्ध में, हम कौन-से प्रश्नों पर विचार करेंगे?
४ अय्यूब एक ऐसा व्यक्ति है जिसके बारे में सताए गए मसीही विचार कर सकते हैं ताकि वे धैर्यपूर्ण धीरज के लिए अपने आपको मज़बूत बना सकें। “देखो,” शिष्य याकूब ने लिखा। “हम धीरज धरनेवालों को धन्य कहते हैं: तुम ने ऐयूब के धीरज के विषय में तो सुना ही है, और प्रभु की ओर से जो उसका प्रतिफल हुआ उसे भी जान लिया है, जिस से प्रभु की अत्यन्त करुणा और दया प्रगट होती है।” (याकूब ५:११) अय्यूब की तरह, यीशु के अभिषिक्त अनुयायियों और आधुनिक-दिन “बड़ी भीड़” को विश्वास की परीक्षाओं का सफलतापूर्वक सामना करने के लिए धीरज की ज़रूरत है। (प्रकाशितवाक्य ७:१-९) सो, अय्यूब ने कौन-सी परीक्षाएँ सहीं? वे क्यों आयीं? और उसके अनुभवों से हम कैसे लाभ प्राप्त कर सकते हैं?
एक अति महत्त्वपूर्ण वाद-विषय
५. स्वर्ग में क्या हो रहा था जिससे अय्यूब अनजान था?
५ स्वर्ग में एक बड़ा वाद-विषय जल्द ही उठनेवाला था, जिससे अय्यूब अनजान था। “एक दिन यहोवा परमेश्वर के पुत्र उसके साम्हने उपस्थित हुए।” (अय्यूब १:६) परमेश्वर का एकलौता पुत्र, वचन, उपस्थित था। (यूहन्ना १:१-३) साथ ही धर्मी स्वर्गदूत और अवज्ञाकारी स्वर्गदूतीय ‘परमेश्वर के पुत्र’ भी उपस्थित थे। (उत्पत्ति ६:१-३) शैतान वहाँ था, क्योंकि १९१४ में राज्य के स्थापित होने के बाद ही वह स्वर्ग से निकाला जाता। (प्रकाशितवाक्य १२:१-१२) अय्यूब के दिन में, शैतान एक अति महत्त्वपूर्ण वाद-विषय खड़ा करता। अपनी सारी सृष्टि पर यहोवा की सर्वसत्ता की न्यायपूर्णता के बारे में वह प्रश्न उठाने ही वाला था।
६. शैतान क्या करने की कोशिश कर रहा था, और उसने यहोवा की झूठी निन्दा कैसे की?
६ “तू कहां से आता है?” यहोवा ने पूछा। शैतान ने उत्तर दिया: “पृथ्वी पर इधर-उधर घूमते-फिरते और डोलते-डालते आया हूं।” (अय्यूब १:७) वह किसी को फाड़ खाने की खोज में था। (१ पतरस ५:८, ९) यहोवा की सेवा करनेवाले व्यक्तियों की खराई को तोड़ने के द्वारा, शैतान यह साबित करने की कोशिश करता कि कोई भी व्यक्ति प्रेम से प्रेरित होकर पूरी तरह परमेश्वर की आज्ञा नहीं मानेगा। वाद-विषय को सम्बोधित करते हुए, यहोवा ने शैतान से पूछा: “क्या तू ने मेरे दास अय्यूब पर ध्यान दिया है? क्योंकि उसके तुल्य खरा और सीधा और मेरा भय माननेवाला और बुराई से दूर रहनेवाला मनुष्य और कोई नहीं है।” (अय्यूब १:८) अय्यूब ईश्वरीय स्तरों पर पूरा बैठा जिन्होंने उसकी अपरिपूर्णताओं को ध्यान में लिया। (भजन १०३:१०-१४) लेकिन शैतान ने प्रत्युत्तर दिया: “क्या अय्यूब परमेश्वर का भय बिना लाभ के मानता है? क्या तू ने उसकी, और उसके घर की, और जो कुछ उसका है उसके चारों ओर बाड़ा नहीं बान्धा? तू ने तो उसके काम पर आशीष दी है, और उसकी सम्पत्ति देश भर में फैल गई है।” (अय्यूब १:९, १०) इस प्रकार इब्लीस ने यह सुझाते हुए यहोवा की झूठी निन्दा की कि कोई भी व्यक्ति यहोवा के पद और गुणों के लिए मूल्यांकन द्वारा प्रेरित होकर उससे प्रेम और उसकी उपासना नहीं करता बल्कि यह कि उसकी सेवा करने के लिए परमेश्वर प्राणियों को रिश्वत देता है। शैतान ने आरोप लगाया कि अय्यूब परमेश्वर की सेवा प्रेम के कारण नहीं बल्कि स्वार्थी लाभ के लिए करता है।
शैतान आक्रमण करता है!
७. इब्लीस ने परमेश्वर को किस तरीक़े से चुनौती दी, और यहोवा ने किस प्रकार उत्तर दिया?
७ “परन्तु,” शैतान ने कहा, “अब अपना हाथ बढ़ाकर जो कुछ उसका है, उसे छू; तब वह तेरे मुंह पर तेरी निन्दा करेगा।” ऐसी अपमानजनक चुनौती का परमेश्वर किस प्रकार उत्तर देता? “सुन,” यहोवा ने कहा। “जो कुछ उसका है, वह सब तेरे हाथ में है; केवल उसके शरीर पर हाथ न लगाना।” इब्लीस ने कहा था कि अय्यूब के पास जो कुछ भी था, उस पर आशिष दी गई, बढ़ाया गया, और उसके चारों ओर बाड़ा बान्धा गया था। यहोवा अय्यूब को दुःख उठाने देता, लेकिन उसका शरीर नहीं छूआ जाना था। बुराई करने पर उतारू, शैतान सभा से चला गया।—अय्यूब १:११, १२.
८. (क) अय्यूब ने कौन-से भौतिक नुक़सान अनुभव किए? (ख) “परमेश्वर की आग” के बारे में सच्चाई क्या थी?
८ जल्द ही, शैतानी आक्रमण आरम्भ हुआ। अय्यूब के एक दास ने उसे यह बुरी ख़बर दी: “हम तो बैलों से हल जोत रहे थे, और गदहियां उनके पास चर रही थीं, कि शबा के लोग धावा करके उनको ले गए, और तलवार से तेरे सेवकों को मार डाला।” (अय्यूब १:१३-१५) अय्यूब की संपत्ति के चारों ओर से बाड़ा हटा दिया गया था। लगभग तुरन्त ही, सीधे पैशाचिक शक्ति इस्तेमाल की गई, क्योंकि दूसरे दास ने ख़बर दी: “परमेश्वर की आग आकाश से गिरी और उस से भेड़-बकरियां और सेवक जलकर भस्म हो गए।” (अय्यूब १:१६) ऐसा दिखाना कितना निंदक था कि परमेश्वर ख़ुद अपने दास पर ऐसी विपत्ति के लिए ज़िम्मेदार था! चूँकि बिजली स्वर्ग से चमकती है, यहोवा पर आसानी से दोष लगाया जा सकता था, लेकिन असल में वह आग पैशाचिक स्रोत से थी।
९. आर्थिक बरबादी का परमेश्वर के साथ अय्यूब के सम्बन्ध पर कैसा प्रभाव पड़ा?
९ जैसे-जैसे शैतान ने आक्रमण को जारी रखा, एक और दास ने ख़बर दी कि कसदी लोग अय्यूब के ऊँट ले गए और अन्य सभी सेवकों को मार डाला। (अय्यूब १:१७) जबकि इस प्रकार अय्यूब की आर्थिक बरबादी हो गयी, इससे परमेश्वर के साथ उसका सम्बन्ध नष्ट नहीं हुआ। क्या आप यहोवा के प्रति अपनी खराई को बिना तोड़े बड़े भौतिक नुक़सान सह सकते हैं?
और भी बड़ी विपत्ति आ पड़ती है
१०, ११. (क) अय्यूब के दस बच्चों को क्या हुआ? (ख) अय्यूब के बच्चों की दुःखद मृत्यु के बाद, उसने यहोवा को किस दृष्टिकोण से देखा?
१० इब्लीस ने अय्यूब पर आक्रमण करना समाप्त नहीं किया था। एक और दास ने ख़बर दी: “तेरे बेटे-बेटियां बड़े भाई के घर में खाते और दाखमधु पीते थे, कि जंगल की ओर से बड़ी प्रचण्ड वायु चली, और घर के चारों कोनों को ऐसा झोंका मारा, कि वह जवानों पर गिर पड़ा और वे मर गए; और मैं ही अकेला बचकर तुझे समाचार देने को आया हूं।” (अय्यूब १:१८, १९) ग़लत जानकारी प्राप्त व्यक्ति शायद कह सकता है कि वायु द्वारा हुआ विध्वंस ‘परमेश्वर का एक कार्य’ था। लेकिन, पैशाचिक शक्ति ने ख़ासकर अय्यूब की मर्म भावनाओं पर प्रहार किया था।
११ शोक-संतप्त, अय्यूब ने ‘अपना बागा फाड़ा, सिर मुँड़ाकर भूमि पर गिरा और दण्डवत् किया।’ फिर भी, उसके शब्दों को सुनिए। “यहोवा ने दिया और यहोवा ही ने लिया; यहोवा का नाम धन्य है।” वृत्तांत आगे कहता है: “इन सब बातों में भी अय्यूब ने न तो पाप किया, और न परमेश्वर पर मूर्खता से दोष लगाया।” (अय्यूब १:२०-२२) शैतान फिर एक बार पराजित हो गया। परमेश्वर के सेवकों के तौर पर यदि हमें शोक और दुःख का अनुभव करना पड़े तब क्या? यहोवा के प्रति निःस्वार्थ भक्ति और उस पर भरोसा हमें खराई रखनेवालों के तौर पर धीरज धरने के लिए समर्थ कर सकता है, जैसे अय्यूब ने धरा। अभिषिक्त जन और उनके साथी जिन्हें पार्थिव आशा है, निश्चय ही अय्यूब के धीरज के इस वृत्तांत से सांत्वना और बल प्राप्त कर सकते हैं।
वाद-विषय और तीव्र हो जाता है
१२, १३. स्वर्ग में दूसरी सभा में, शैतान ने क्या निवेदन किया, और परमेश्वर ने किस प्रकार उत्तर दिया?
१२ जल्द ही यहोवा ने स्वर्गीय दरबार में एक दूसरी सभा बुलाई। अय्यूब प्रतीयमानतः परमेश्वर द्वारा पीड़ित एक निःसंतान, कंगाल व्यक्ति बन चुका था, लेकिन उसकी खराई जैसी की तैसी ही थी। निःसंदेह, शैतान यह स्वीकार नहीं करता कि परमेश्वर और अय्यूब के विरुद्ध लगाए गए उसके दोष झूठे थे। अब ‘परमेश्वर के पुत्र’ तर्क-वितर्क को सुनने ही वाले थे जब यहोवा इब्लीस को अपनी युक्ति द्वारा चलाता ताकि वाद-विषय को निर्णायक समाप्ति की ओर ले आए।
१३ शैतान से हिसाब लेने के लिए यहोवा ने पूछा: “तू कहां से आता है?” उत्तर क्या था? “इधर-उधर घूमते-फिरते और डोलते-डालते आया हूं।” यहोवा ने फिर से अपने खरे, सीधे, परमेश्वर का भय माननेवाले दास अय्यूब की ओर ध्यान आकर्षित किया, जो अब तक अपनी खराई पर दृढ़ता से बना हुआ था। इब्लीस ने उत्तर दिया: “खाल के बदले खाल, परन्तु प्राण के बदले मनुष्य अपना सब कुछ दे देता है। सो केवल अपना हाथ बढ़ाकर उसकी हड्डियां और मांस छू, तब वह तेरे मुंह पर तेरी निन्दा करेगा।” सो परमेश्वर ने कहा: “सुन, वह तेरे हाथ में है, केवल उसका प्राण छोड़ देना।” (अय्यूब २:२-६) यह इशारा करते हुए कि यहोवा ने सुरक्षा के सभी बाड़ों को अब तक नहीं हटाया है, शैतान ने अय्यूब की हड्डियों और मांस को छूने का निवेदन किया। अय्यूब को मारने की अनुमति इब्लीस को नहीं दी जाती; लेकिन शैतान जानता था कि शारीरिक बीमारी उसे पीड़ा देगी और ऐसा दिखाएगी कि वह गुप्त पापों के लिए परमेश्वर से दण्ड भुगत रहा था।
१४. शैतान ने अय्यूब को किस रोग से पीड़ित किया, और क्यों कोई भी मानव उस पीड़ित व्यक्ति को राहत नहीं दिला सकता था?
१४ उस सभा से ख़ारिज कर दिए जाने पर, शैतान ने अतिक्रूर आनन्द से आगे कार्य किया। उसने अय्यूब को “पांव के तलवे से ले सिर की चोटी तक बड़े बड़े फोड़ों से पीड़ित किया।” कितना अत्यधिक दुःख अय्यूब ने सहन किया जब वह राख पर बैठकर अपने आपको एक ठीकरे से खुजला रहा था! (अय्यूब २:७, ८) कोई भी मानवी वैद्य उसे इस अत्यधिक पीड़ादायक, घृणित, और अपमानजनक रोग से राहत नहीं दिला सकता था, क्योंकि यह शैतानी शक्ति द्वारा हुआ था। केवल यहोवा ही अय्यूब को चंगा कर सकता था। यदि आप परमेश्वर के एक बीमार सेवक हैं, तो कभी मत भूलिए कि परमेश्वर धीरज धरने के लिए आपकी मदद कर सकता है और एक रोग-मुक्त नए संसार में आपको जीवन दे सकता है।—भजन ४१:१-३; यशायाह ३३:२४.
१५. अय्यूब की पत्नी ने उससे क्या करने का आग्रह किया, और उसकी प्रतिक्रिया क्या थी?
१५ अंततः, अय्यूब की पत्नी ने कहा: “क्या तू अब भी अपनी खराई पर बना है? परमेश्वर की निन्दा कर, और चाहे मर जाए तो मर जा।” “खराई” निर्दोष भक्ति को सूचित करती है, और उसने शायद इसे व्यंग्यात्मक ढंग से इसलिए कहा होगा ताकि अय्यूब से परमेश्वर की निन्दा करवाए। लेकिन उसने उत्तर दिया: “तू एक मूढ़ स्त्री की सी बातें करती है, क्या हम जो परमेश्वर के हाथ से सुख लेते हैं, दुःख न लें?” शैतान की यह छल-योजना भी नहीं चली, क्योंकि बताया गया है: “इन सब बातों में भी अय्यूब ने अपने मुंह से कोई पाप नहीं किया।” (अय्यूब २:९, १०) मान लीजिए कि परिवार के विरोधी सदस्य ऐसा कहते हैं कि हम मसीही कार्यों में मूर्खतापूर्वक अपने आपको मार रहे हैं और हमसे यहोवा परमेश्वर को त्यागने का आग्रह करते हैं। अय्यूब की तरह, हम ऐसी परीक्षा में धीरज धर सकते हैं क्योंकि हम यहोवा से प्रेम करते हैं और उसके पवित्र नाम की स्तुति करना चाहते हैं।—भजन १४५:१, २; इब्रानियों १३:१५.
तीन घमण्डी ढोंगी
१६. कौन अभिकथित रूप से अय्यूब को सांत्वना देने के लिए आए, लेकिन शैतान ने उन्हें कैसे छलयोजित किया?
१६ अभिकथित रूप से अय्यूब को सांत्वना देने के लिए तीन ‘मित्र’ आए, जो कि एक और शैतानी योजना साबित हुई। एक एलीपज था, जो संभवतः एसाव के द्वारा इब्राहीम का वंशज था। चूँकि एलीपज को बात करने की प्राथमिकता मिली, तो निःसंदेह वह सबसे बड़ा था। साथ ही बिलदद भी उपस्थित था, जो कतूरा द्वारा इब्राहीम के पुत्रों में से एक, शूह का वंशज था। तीसरा व्यक्ति सोपर था, जिसे उसके परिवार या निवास-स्थान की पहचान कराने के लिए नामाती कहा जाता था, जो शायद उत्तर-पश्चिमी अरब में था। (अय्यूब २:११; उत्पत्ति २५:१, २; ३६:४, ११) उन लोगों की तरह जो आज कोशिश करते हैं कि यहोवा के गवाह परमेश्वर को त्यागें, शैतान ने इन तीनों को इस प्रयास में छलयोजित किया था कि वे अय्यूब से झूठे आरोपों का दोष स्वीकार करवाएँ और उसकी खराई तुड़वा दें।
१७. भेंट करने आए तीनों लोगों ने क्या किया, और उन्होंने सात दिन और सात रात तक क्या नहीं किया?
१७ इन तीनों ने रोने, अपना बागा फाड़ने, और धूलि उड़ाकर अपने सिर पर डालने के द्वारा हमदर्दी का एक बड़ा प्रदर्शन किया। लेकिन फिर वे अय्यूब के संग सात दिन और सात रात सांत्वना का एक भी शब्द बिना कहे बैठे रहे! (अय्यूब २:१२, १३; लूका १८:१०-१४) इन तीन घमण्डी ढोंगियों में आध्यात्मिकता की इतनी कमी थी कि उनके पास यहोवा और उसकी प्रतिज्ञाओं के बारे में कुछ सांत्वनादायक बातें कहने को नहीं थीं। फिर भी, वे ग़लत निष्कर्ष निकाल रहे थे और सार्वजनिक शोक की औपचारिकता को पूरा करते ही उन्हें अय्यूब के विरुद्ध इस्तेमाल करने की तैयारी कर रहे थे। दिलचस्पी की बात है कि सात दिन का मौन ख़त्म होने से पहले ही, युवा पुरुष एलीहू ऐसे स्थान पर बैठ गया जहाँ से वह वार्तालाप को सुन सकता था।
१८. अय्यूब ने मृत्यु में शांति क्यों पानी चाही?
१८ अंततः अय्यूब ने मौन को तोड़ा। भेंट करने आए तीनों पुरुषों से कुछ सांत्वना न प्राप्त करने पर, उसने अपने पैदा होने के दिन को कोसा और सोचा कि उसका जीवन क्यों लम्बा किया जा रहा है। उसने मृत्यु में शांति पानी चाही। चूँकि वह अभी कंगाल, शोकित, और गम्भीर रूप से बीमार था, उसने यह कल्पना भी नहीं की कि मरने से पहले उसे दुबारा कभी सच्चा आनन्द मिल सकता है। लेकिन परमेश्वर अय्यूब को मृत्यु की हद तक हानि पहुँचने नहीं देता।—अय्यूब ३:१-२६.
अय्यूब पर दोष लगानेवाले आक्रमण करते हैं
१९. कौन-सी बातों में एलीपज ने अय्यूब पर झूठ-मूठ दोष लगाया?
१९ वाद-विवाद के तीनों चरणों में एलीपज सबसे पहले बोला जिसने अय्यूब की खराई की अतिरिक्त परीक्षा ली। अपने पहले भाषण में, एलीपज ने पूछा: ‘क्या कहीं सज्जन भी काट डाले गए?’ उसने निष्कर्ष निकाला कि अय्यूब ने कुछ दुष्ट कार्य किया होगा जिससे कि उसे परमेश्वर का दण्ड मिला। (अय्यूब, अध्याय ४, ५) अपने दूसरे भाषण में, एलीपज ने अय्यूब की बुद्धि का उपहास किया और पूछा: “तू ऐसा क्या जानता है जिसे हम नहीं जानते?” एलीपज संकेत कर रहा था कि अय्यूब सर्वशक्तिमान के सामने अपने आपको श्रेष्ठ दिखाने की कोशिश कर रहा था। अपना दूसरा हमला समाप्त करते हुए, उसने अय्यूब को धर्मत्याग, घूसखोरी, और छल करने का दोषी वर्णित किया। (अय्यूब, अध्याय १५) अपने अंतिम भाषण में, एलीपज ने अय्यूब पर झूठ-मूठ अनेक अपराधों का दोष लगाया—पैसे ऐंठना, ज़रूरतमंदों को रोटी और पानी देने से इनकार करना, और विधवाओं तथा अनाथों को उत्पीड़ित करना।—अय्यूब, अध्याय २२.
२०. अय्यूब पर बिलदद के आक्रमणों का स्वरूप क्या था?
२० वाद-विवाद के तीनों चरणों में दूसरे वक्ता, बिलदद, ने भी ज़्यादातर उसी विषय पर बात की जिसपर एलीपज ने बात की। बिलदद के भाषण छोटे लेकिन ज़्यादा चुभनेवाले थे। उसने यह भी दोष लगाया कि अय्यूब के बच्चे ग़लती करते थे और इसलिए मृत्यु के योग्य ठहरे। ग़लत तर्क करते हुए उसने यह दृष्टान्त इस्तेमाल किया: जैसे कछार की घास और सरकण्डा पानी के बिना सूखकर मर जाते हैं, वैसे ही “ईश्वर के सब बिसरानेवालों” के साथ भी होता है। वह कथन सच है, लेकिन वह अय्यूब पर लागू नहीं हुआ। (अय्यूब, अध्याय ८) बिलदद ने अय्यूब की विपत्तियों को दुष्टों पर आनेवाली विपत्तियों के वर्ग में डाला। (अय्यूब, अध्याय १८) अपने छोटे-से तीसरे भाषण में, बिलदद ने तर्क किया कि मनुष्य “कीड़ा” और “केंचुआ” है और इसीलिए परमेश्वर के सामने अशुद्ध है।—अय्यूब, अध्याय २५.
२१. सोपर ने अय्यूब पर किस बात का दोष लगाया?
२१ वाद-विवाद में तीसरा वक्ता सोपर था। आम तौर पर, उसकी विचारधारा एलीपज और बिलदद की विचारधारा के समान थी। सोपर ने अय्यूब पर दुष्टता का दोष लगाया और उससे अपने पापमय कार्यों को त्यागने के लिए आग्रह किया। (अय्यूब, अध्याय ११, २०) दो चरणों के बाद सोपर ने बात करना बन्द कर दिया। तीसरे चरण में कहने के लिए उसके पास कुछ नहीं था। लेकिन, सम्पूर्ण वाद-विवाद के दौरान अय्यूब ने साहसपूर्वक अपने दोष लगानेवालों को उत्तर दिया। उदाहरण के लिए, एक बार उसने कहा: “तुम सब के सब निकम्मे शान्तिदाता हो। क्या व्यर्थ बातों का अन्त कभी होगा?”—अय्यूब १६:२, ३.
हम धीरज धर सकते हैं
२२, २३. (क) अय्यूब के मामले की तरह, यहोवा परमेश्वर के प्रति हमारी खराई तोड़ने के लिए इब्लीस किस प्रकार के प्रयास कर सकता है? (ख) जबकि अय्यूब विभिन्न परीक्षाओं में धीरज धर रहा था, हम उसकी मनोवृत्ति के बारे में क्या पूछ सकते हैं?
२२ अय्यूब की तरह, हम शायद एक ही समय पर एक से ज़्यादा परीक्षाओं का सामना करें, और शैतान हमारी खराई तोड़ने के अपने प्रयासों में निराशा या अन्य तत्त्वों को इस्तेमाल कर सकता है। यदि हमें आर्थिक कठिनाइयाँ हो रही हैं तो वह हमें यहोवा के विरुद्ध करने की कोशिश कर सकता है। यदि एक प्रिय जन मर जाता है या हम ख़राब स्वास्थ्य का अनुभव करते हैं, तो शैतान हमें परमेश्वर पर दोष लगाने के लिए प्रेरित करने की कोशिश कर सकता है। अय्यूब के मित्रों की तरह, कोई व्यक्ति हम पर भी झूठ-मूठ दोष लगा सकता है। जैसे भाई मैकमिलन ने कहा, शैतान शायद ‘हमारे पीछे पड़ा’ हो सकता है, लेकिन हम धीरज धर सकते हैं।
२३ जैसा हमने अब तक देखा है, अय्यूब अपनी विभिन्न परीक्षाओं में धीरज धर रहा था। लेकिन, क्या वह मात्र धीरज धर रहा था? क्या उसके पास वास्तव में एक टूटा हुआ मन था? आइए देखें कि क्या अय्यूब ने सचमुच पूरी आशा खो दी थी।
आप कैसे उत्तर देंगे?
▫ अय्यूब के दिनों में शैतान ने कौन-सा बड़ा वाद-विषय खड़ा किया?
▫ किस प्रकार अय्यूब की पूरी तरह से परीक्षा ली गई?
▫ अय्यूब के तीन “मित्रों” ने उसपर किस बात का दोष लगाया?
▫ अय्यूब के मामले की तरह, शैतान किस प्रकार यहोवा के प्रति हमारी खराई तोड़ने का प्रयास कर सकता है?
[पेज 17 पर तसवीर]
ए. एच. मैकमिलन