समर्पित—किस को?
“जो कुछ यहोवा ने कहा है उस सब को हम करेंगे, और उसकी आज्ञा मानेंगे।” —निर्गमन २४: ७.
१, २. (क) कुछ लोग किन्हें भक्ति देते हैं? (ख) क्या समर्पण केवल उन तक सीमित है जिनके धार्मिक सम्बन्ध हैं?
फरवरी १९४५ में, जापान के याताबे फ़्लाइंग कॉर्प्स् के ज़ीरो-फ़ाइटर विमान-चालक एक सभा-भवन में एकत्रित हुए। हर व्यक्ति को यह लिखने के लिए काग़ज़ का एक टुकड़ा दिया गया कि वह स्वेच्छा से कामीकाज़े आक्रमण दल का सदस्य बनने के लिए तैयार होगा या नहीं। “मैं ने सोचा कि राष्ट्रीय संकट के समय अपना बलिदान देने के लिए यह मेरा बुलावा था,” उस समय उपस्थित एक अफ़सर कहता है। “अपने आपको उपलब्ध करने के लिए भावात्मक रूप से बाध्य होकर, मैं ने अपने आपको उस कार्य-नियुक्ति के लिए प्रस्तुत किया।” उसे ओका (एक आत्महत्या रॉकेट विमान) चलाने और उसका नेतृत्व करने और उसकी टक्कर दुश्मन के युद्धपोत से कराने के लिए प्रशिक्षित किया गया। लेकिन, इससे पहले कि उसे ऐसा करने और इस प्रकार अपने देश और अपने सम्राट के लिए मरने का अवसर मिलता युद्ध समाप्त हो गया। सम्राट पर से उसका विश्वास पूरी तरह उठ गया जब जापान युद्ध हार गया।
२ एक समय, जापान में अनेक लोग सम्राट की भक्ति करते थे, जिसे वे एक जीवित ईश्वर मानते थे। अन्य देशों में, भक्ति के अन्य पात्र रह चुके हैं और अभी भी हैं। लाखों लोग मरियम, बुद्ध, या अन्य देवी-देवताओं की भक्ति करते हैं, जिनको अकसर मूर्तियों के रूप में चित्रित किया जाता है। उत्तेजनात्मक भाषणकला से प्रभावित होकर, हार्दिक समर्थन देते हुए, कुछ लोग अपने खून-पसीने की कमाई से टी.वी. के इंजील प्रचारकों की झोली भर देते हैं जो कि भक्ति के बराबर है। युद्ध के बाद, निराश जापानियों ने एक नए पात्र की तलाश की जिसको वे अपना जीवन समर्पित कर सकते। कुछ लोगों के लिए, काम वह पात्र बन गया। पूरब में हों या पश्चिम में, अनेकों लोग अपने आपको धन बटोरने के लिए समर्पित करते हैं। युवा लोग कुछ संगीतकारों को अपने जीवन का केंद्र बनाते हैं, और उनकी जीवन-शैलियों की नक़ल करते हैं। आज एक बड़ी संख्या में लोग स्वयं के उपासक बन गए हैं, वे अपनी ही अभिलाषाओं को अपनी भक्ति का पात्र बनाते हैं। (फिलिप्पियों ३:१९; २ तीमुथियुस ३:२) लेकिन क्या ऐसी चीज़ें या लोग वास्तव में एक व्यक्ति की एकनिष्ठ भक्ति के योग्य हैं?
३. भक्ति के कुछ पात्र व्यर्थ कैसे साबित हुए हैं?
३ वास्तविकता का सामना करने पर मूर्तिपूजकों का भ्रम अकसर दूर हो जाता है। मूर्तियों के प्रति भक्ति कुण्ठा में परिणित होता है जब उपासकों को समझ आता है कि उनकी मूर्तियाँ मात्र “मनुष्यों के हाथ की बनाई हुई हैं।” (भजन ११५:४) जब ऐसे बुरे कार्यों का परदाफ़ाश होता है जिसमें प्रमुख इंजील प्रचारक अंतर्ग्रस्त होते हैं, तो निष्कपट लोग निराश महसूस करते हैं। जब ‘खोखली’ अर्थव्यवस्था समाप्त हो गयी, तो वेतनभोगियों को मानसिक विकार हो गए क्योंकि उन्होंने अपने नाम नौकरी से निकाले जानेवालों की सूची में पाए। हाल की मन्दी से कुबेर के उपासकों को कड़ा धक्का लगा। ढेर सारा पैसा बनाने की आशा में लिया गया कर्ज़ एक ऐसा बोझ बन गया जिसे अदा कर पाने की शायद ही कोई संभावना थी। (मत्ती ६:२४, NW फुटनोट) जब ऐसे रॉक स्टार और अन्य मनोरंजन करानेवाले लोग जिनकी लोग पूजा करते हैं, मर जाते हैं या उनकी लोकप्रियता कम हो जाती है, तो उनके उपासक कहीं के नहीं रहते। और वे जो आत्म-संतुष्टि के मार्ग पर चले हैं अकसर कड़वे फल काटते हैं।—गलतियों ६:७.
४. किस बात से प्रेरित होकर लोग अपना जीवन व्यर्थ चीज़ों को समर्पित करते हैं?
४ किस बात से प्रेरित होकर लोग अपने आपको ऐसी व्यर्थता को समर्पित करते हैं? काफ़ी हद तक, यह है शैतान, अर्थात् इब्लीस के अधीन संसार की आत्मा। (इफिसियों २:२, ३) इस आत्मा का प्रभाव विभिन्न तरीक़ों से दिखता है। एक व्यक्ति शायद पारिवारिक परम्परा से नियंत्रित हो जो उसके पूर्वजों से चली आ रही है। शिक्षा और पालन-पोषण का सोच-विचार पर ज़बरदस्त प्रभाव हो सकता है। कार्य-स्थल का वातावरण शायद “व्यावसायिक योद्धाओं” पर अत्यधिक काम करने का दबाव डाले जो प्राण-घातक हो सकता है। और अधिक पाने की अभिलाषा संसार की भौतिकवादी मनोवृत्ति से उत्पन्न होती है। अनेक लोगों के हृदय भ्रष्ट हो जाते हैं, जो उन्हें अपने आपको स्वयं अपनी स्वार्थी अभिलाषाओं की भक्ति करने के लिए प्रेरित करता है। वे यह जाँचने से चूक जाते हैं कि ये कार्य ऐसी भक्ति के योग्य हैं या नहीं।
एक समर्पित जाति
५. यहोवा के प्रति कौन-सा समर्पण ३,५०० साल से ज़्यादा समय पहले किया गया था?
५ लोगों की एक जाति को ३,५०० साल से ज़्यादा समय पहले भक्ति का एक कहीं ज़्यादा योग्य पात्र मिला। उन्होंने अपने आपको सर्वसत्ताधारी परमेश्वर, यहोवा को समर्पित किया। एक समूह के रूप में, इस्राएल की जाति ने परमेश्वर के प्रति अपने समर्पण की घोषणा सीनै के वीराने में की।
६. इस्राएलियों के लिए परमेश्वर के नाम का क्या महत्त्व होना था?
६ किस बात ने इस्राएलियों को इस प्रकार कार्य करने के लिए प्रेरित किया? जब वे मिस्र में दासता में थे, तब यहोवा ने मूसा को आदेश दिया कि उनका नेतृत्व करके उन्हें स्वतंत्र कराए। मूसा ने पूछा कि वह उस परमेश्वर की पहचान कैसे कराए जिसने उसे भेजा था, और परमेश्वर ने अपने आपको इस तरह प्रकट किया “मैं जो साबित होऊँगा वह मैं साबित होऊँगा।” उसने मूसा को निर्देशित किया कि इस्राएल के पुत्रों को कहे: “मैं जो साबित होऊँगा ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है।” (निर्गमन ३:१३, १४, NW) इस अभिव्यक्ति ने सूचित किया कि यहोवा अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए जिस किसी चीज़ की ज़रूरत है वह बन जाता है। वह अपने आपको एक ऐसे तरीक़े से प्रतिज्ञाओं का पूरा करनेवाले के रूप में प्रकट करता जो इस्राएलियों के पूर्वजों ने कभी नहीं जाना था।—निर्गमन ६:२, ३.
७, ८. इस्राएलियों के पास इस बात के क्या प्रमाण थे कि यहोवा उनकी भक्ति के योग्य परमेश्वर था?
७ इस्राएलियों ने दस विपत्तियों द्वारा मिस्र देश और उसके लोगों की पीड़ा देखी। (भजन ७८:४४-५१) फिर, संभवतः तीस लाख से अधिक इस्राएली, जिनमें स्त्रियाँ और बच्चे सम्मिलित थे, सामान बाँधकर गोशेन देश से एक रात में बाहर निकले, जो अपने आप में एक उल्लेखनीय कार्य था। (निर्गमन १२:३७, ३८) उसके बाद लाल समुद्र पर, यहोवा ने अपने आपको “योद्धा” के रूप में प्रकट किया जब उसने अपने लोगों को फिरौन की सेना से बचाया। उसने समुद्र को विभाजित किया ताकि इस्राएली पार कर सकें और बाद में उसे बन्द कर दिया ताकि पीछा कर रहे मिस्री डूब जाएँ। फलस्वरूप, “यहोवा ने मिस्रियों पर जो अपना पराक्रम दिखलाया था, उसको देखकर इस्राएलियों ने यहोवा का भय माना और यहोवा की . . . प्रतीति की।”—निर्गमन १४:३१; १५:३; भजन १३६:१०-१५.
८ मानो अब भी इस बात के प्रमाण की कमी थी कि परमेश्वर के नाम का क्या अर्थ है, इस्राएली भोजन और पानी की कमी के बारे में यहोवा और उसके प्रतिनिधि मूसा के विरुद्ध बुड़बुड़ाने लगे। यहोवा ने बटेर भेजी, मन्ना बरसाया, और ऐसा किया कि मरीबा में एक चट्टान से पानी फूट निकला। (निर्गमन १६:२-५, १२-१५, ३१; १७:२-७) यहोवा ने इस्राएलियों को अमालेकियों के आक्रमण से भी बचाया। (निर्गमन १७:८-१३) बाद में यहोवा ने मूसा को जो घोषित किया उससे इस्राएली किसी भी तरह इनकार नहीं कर सकते थे: “यहोवा, यहोवा, ईश्वर दयालु और अनुग्रहकारी, कोप करने में धीरजवन्त, और अति करुणामय और सत्य, हज़ारों पीढ़ियों तक निरन्तर करुणा करनेवाला, अधर्म और अपराध और पाप का क्षमा करनेवाला है।” (निर्गमन ३४:६, ७) सचमुच, यहोवा ने अपने आपको उनकी भक्ति का एक योग्य पात्र साबित किया।
९. यहोवा ने इस्राएलियों को उसकी सेवा करने के लिए अपना समर्पण व्यक्त करने का अवसर क्यों दिया, और उन्होंने कैसी प्रतिक्रिया दिखायी?
९ हालाँकि यहोवा के पास इस्राएलियों के स्वामित्व का अधिकार था क्योंकि उसने उन्हें मिस्र से छुड़ाया था, फिर भी कृपालु और दयावन्त परमेश्वर के रूप में उसने उन्हें अवसर दिया कि वे स्वेच्छा से उसकी सेवा करने की अभिलाषा व्यक्त करें। (व्यवस्थाविवरण ७:७, ८; ३०:१५-२०) उसने अपने और इस्राएलियों के बीच वाचा की शर्तें भी बतायीं। (निर्गमन १९:३-८; २०:१-२३:३३) जब मूसा ने इन शर्तों का वर्णन किया तो इस्राएलियों ने घोषणा की: “जो कुछ यहोवा ने कहा है उस सब को हम करेंगे, और उसकी आज्ञा मानेंगे।” (निर्गमन २४:३-७) स्वयं अपनी स्वतंत्र इच्छा से वे सर्वसत्ताधारी प्रभु यहोवा को समर्पित एक जाति बने।
मूल्यांकन समर्पण की ओर ले जाता है
१०. यहोवा के प्रति हमारा समर्पण किस बात पर आधारित होना चाहिए?
१० सृष्टिकर्ता, यहोवा अभी भी हमारी एकनिष्ठ भक्ति के योग्य है। (मलाकी ३:६; मत्ती २२:३७; प्रकाशितवाक्य ४:११) लेकिन, हमारा समर्पण आशुविश्वास, क्षणिक भावनाओं, या दूसरों—यहाँ तक कि माता-पिता—की ओर से की गयी ज़बरदस्ती पर आधारित नहीं होना चाहिए। यह यहोवा के बारे में सत्य के यथार्थ ज्ञान और यहोवा ने हमारे लिए जो किया है उसके प्रति मूल्यांकन पर आधारित होना चाहिए। (रोमियों १०:२; कुलुस्सियों १:९, १०; १ तीमुथियुस २:४) जैसे यहोवा ने इस्राएलियों को अवसर दिया कि स्वेच्छा से अपना समर्पण व्यक्त करें, वैसे ही वह हमें भी एक मौक़ा देता है कि स्वेच्छा से अपने आपको समर्पित करें और उस समर्पण को सार्वजनिक रूप से व्यक्त करें।—१ पतरस ३:२१.
११. हमारे बाइबल के अध्ययन ने यहोवा के बारे में क्या प्रकट किया है?
११ बाइबल के अध्ययन के द्वारा हम परमेश्वर को एक व्यक्ति के रूप में जान जाते हैं। उसका वचन सृष्टि में प्रतिबिम्बित उसके गुणों को समझने में हमारी मदद करता है। (भजन १९:१-४) हम उसके वचन से देख सकते हैं कि वह एक रहस्यमय त्रियेक नहीं है जिसे समझा नहीं जा सकता। वह युद्ध नहीं हारता और उस कारण उसे अपना परमेश्वरत्व नहीं त्यागना पड़ता। (निर्गमन १५:११; १ कुरिन्थियों ८:५, ६; प्रकाशितवाक्य ११:१७, १८) क्योंकि उसने अपनी प्रतिज्ञाओं को पूरा किया है, हमें स्मरण आता है कि उसके सुन्दर नाम, यहोवा का क्या अर्थ है। वह महान उद्देष्टा है। (उत्पत्ति २:४, NW फुटनोट; भजन ८३:१८; यशायाह ४६:९-११) बाइबल का अध्ययन करने के द्वारा हम स्पष्ट रूप से समझ जाते हैं कि वह कितना विश्वासयोग्य और भरोसेमंद है।—व्यवस्थाविवरण ७:९; भजन १९:७, ९; १११:७.
१२. (क) वह क्या है जो हमें यहोवा की ओर आकर्षित करता है? (ख) बाइबल में अभिलिखित सच्चे-जीवन अनुभव एक व्यक्ति में कैसे यहोवा की सेवा करने की इच्छा उत्पन्न करते हैं? (ग) यहोवा की सेवा करने के बारे में आप कैसा महसूस करते हैं?
१२ वह यहोवा का प्रेममय व्यक्तित्व है जो हमें ख़ासकर उसकी ओर आकर्षित करता है। बाइबल प्रदर्शित करती है कि मनुष्यों के साथ व्यवहार करने में वह कितना प्रेममय, क्षमाशील, और दयावन्त है। याद कीजिए कि जब अय्यूब ने वफ़ादारी से अपनी खराई बनाए रखी तो उसने अय्यूब को कितना समृद्ध किया। अय्यूब का अनुभव विशिष्ट करता है कि यहोवा “अत्यन्त करुणामय और दयालु है।” (याकूब ५:११, NHT; अय्यूब ४२:१२-१७) याद कीजिए कि यहोवा ने दाऊद के साथ कैसा व्यवहार किया जब उसने परस्त्रीगमन किया और हत्या की। जी हाँ, यहोवा गंभीर पापों को भी क्षमा करने के लिए तैयार है जब पापी उसके पास “टूटे और पिसे हुए मन” के साथ आता है। (भजन ५१:३-११, १७) याद कीजिए कि यहोवा ने तारसी के शाऊल के साथ कैसा व्यवहार किया, जो शुरू में परमेश्वर के लोगों का एक दृढ़निश्चयी उत्पीड़क था। ये उदाहरण पश्चात्तापी व्यक्तियों को प्रयोग करने के लिए परमेश्वर की दया और उदार तत्परता को विशिष्ट करते हैं। (१ कुरिन्थियों १५:९; १ तीमुथियुस १:१५, १६) पौलुस ने महसूस किया कि वह इस प्रेममय परमेश्वर की सेवा में अपना असल जीवन अर्पित कर सकता था। (रोमियों १४:८) क्या आप ऐसा महसूस करते हैं?
१३. यहोवा की ओर से प्रेम की कौन-सी महान अभिव्यक्ति सत्हृदयी लोगों को अपना जीवन उसे समर्पित करने के लिए विवश करती है?
१३ यहोवा ने इस्राएलियों को मिस्र के दासत्व से मुक्ति प्रदान की, और उसने पाप और मृत्यु के दासत्व से हमें बचाने के लिए एक माध्यम तैयार किया है—यीशु मसीह का छुड़ौती बलिदान। (यूहन्ना ३:१६) पौलुस कहता है: “परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा।” (रोमियों ५:८) यह प्रेममय प्रबन्ध सत्हृदयी लोगों को विवश करता है कि अपने आपको यीशु मसीह के द्वारा यहोवा को समर्पित करें। “क्योंकि मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता है; इसलिये कि हम यह समझते हैं, कि जब एक सब के लिये मरा तो सब मर गए। और वह इस निमित्त सब के लिये मरा, कि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिये न जीएं परन्तु उसके लिये जो उन के लिये मरा और फिर जी उठा।”—२ कुरिन्थियों ५:१४, १५; रोमियों ८:३५-३९.
१४. क्या यहोवा के व्यवहार का मात्र ज्ञान ही हमें अपना जीवन उसे समर्पित करने को प्रेरित करने के लिए काफ़ी है? समझाइए।
१४ फिर भी, यहोवा के व्यक्तित्व और मानवजाति के साथ उसके व्यवहार का ज्ञान होना ही काफ़ी नहीं है। यहोवा के लिए व्यक्तिगत मूल्यांकन विकसित करने की ज़रूरत है। यह कैसे किया जा सकता है? अपने जीवन में परमेश्वर के वचन को लागू करने और ख़ुद के लिए यह देखने के द्वारा कि उसमें दिए गए सिद्धान्त सचमुच प्रभावकारी हैं। (यशायाह ४८:१७) हमें यह महसूस करना है कि यहोवा ने हमें शैतान के शासन के अधीन इस दुष्ट संसार के दलदल से बचाया है। (१ कुरिन्थियों ६:११ से तुलना कीजिए।) जो सही है वह करने के हमारे संघर्ष में हम यहोवा पर भरोसा रखना सीखते हैं, और हमें यह अनुभव होता है कि यहोवा ही जीवित परमेश्वर है, ‘प्रार्थना का सुननेवाला’ है। (भजन ६२:८; ६५:२) जल्द ही हम उसके बहुत निकट महसूस करते हैं और भरोसे के साथ उसे अपनी अंतरतम भावनाएँ बताने में समर्थ होते हैं। यहोवा के लिए प्रेम की स्नेही भावना हमारे अन्दर बढ़ती है। यह निश्चय ही हमें अपना जीवन उसे समर्पित करने की ओर ले जाएगा।
१५. एक पुरुष को, जो पहले अपने काम को समर्पित था, किस बात ने यहोवा की सेवा करने के लिए प्रेरित किया?
१५ अनेक लोग इस प्रेममय परमेश्वर, यहोवा को जान गए हैं, और उसकी सेवा करने के लिए अपना जीवन समर्पित किया है। एक बिजलीवाले का उदाहरण लीजिए जिसका कारोबार खूब चल रहा था। ऐसे समय होते थे जब वह सुबह काम करना शुरू करता और देर रात तक काम करता रहता, और दूसरे दिन सुबह पाँच बजे घर आता। क़रीब एक घंटा आराम करने के बाद, वह अगले काम के लिए निकल जाता। वह याद करता है, “मैं अपने काम को समर्पित था।” जब उसकी पत्नी ने बाइबल का अध्ययन करना शुरू किया, तो वह भी उसके साथ शामिल हुआ। वह कहता है: “उस समय तक मैं जिन ईश्वरों को जानता था वे सिर्फ़ अपनी सेवा कराने की प्रतीक्षा में बैठे थे, हमारे लाभ के लिए कुछ नहीं करते थे। लेकिन यहोवा ने पहल की और एक बड़ा व्यक्तिगत बलिदान करके अपने एकलौते पुत्र को पृथ्वी पर भेजा।” (१ यूहन्ना ४:१०, १९) दस महीने के अन्दर, यह पुरुष यहोवा को समर्पित हो गया। उसके बाद, उसने जीवते परमेश्वर की सेवा करने पर ध्यान केंद्रित किया। उसने पूर्ण-समय की सेवकाई शुरू की, और जहाँ ज़रूरत ज़्यादा थी वहाँ सेवा करने के लिए गया। वह प्रेरितों की तरह ‘सब कुछ छोड़ के यीशु के पीछे हो लिया।’ (मत्ती १९:२७) दो महीने बाद, उसे और उसकी पत्नी को, जिस देश में वे रहते थे उस देश में वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी की शाखा में सेवा करने के लिए बुलाया गया, ताकि वह बिजली के काम में मदद कर सके। बीस से भी ज़्यादा सालों से वह शाखा में काम कर रहा है, वह काम कर रहा है जो उसे पसन्द है—अपने लिए नहीं लेकिन यहोवा के लिए।
अपने समर्पण को सार्वजनिक रूप से व्यक्त कीजिए
१६. यहोवा के प्रति समर्पण करने के लिए एक व्यक्ति कौन-से कुछ क़दम लेगा?
१६ कुछ समय बाइबल का अध्ययन करने के बाद, युवा और वृद्ध दोनों यहोवा का और जो उसने उनके लिए किया है उसका मूल्यांकन करने लगेंगे। इससे उन्हें अपने आपको परमेश्वर को समर्पित करने के लिए प्रेरित होना चाहिए। आप इन लोगों में से एक हो सकते हैं। आप अपने आपको कैसे यहोवा को समर्पित कर सकते हैं? बाइबल से यथार्थ ज्ञान लेने के बाद, आपको उस ज्ञान के सामंजस्य में कार्य करना चाहिए और यहोवा एवं यीशु मसीह पर विश्वास रखना चाहिए। (यूहन्ना १७:३) पश्चात्ताप कीजिए और अपने पिछले किसी भी पापमय मार्ग से फिर जाइए। (प्रेरितों ३:१९) फिर आप समर्पण के क़दम तक आएँगे, और उसे गंभीर शब्दों में प्रार्थना के द्वारा यहोवा को व्यक्त करेंगे। यह प्रार्थना निश्चय ही आपके मन में एक स्थायी छाप छोड़ेगी, क्योंकि यह यहोवा के साथ एक नए सम्बन्ध की शुरूआत होगी।
१७. (क) प्राचीन नए-नए समर्पित व्यक्तियों के साथ तैयार प्रश्नों पर पुनर्विचार क्यों करते हैं? (ख) व्यक्ति के समर्पण के तुरन्त बाद कौन-सा महत्त्वपूर्ण क़दम जल्द ही लिया जाना चाहिए, और किस उद्देश्य के लिए?
१७ जैसे मूसा ने इस्राएलियों को यहोवा के साथ वाचा सम्बन्ध बान्धने की शर्तें समझायीं, यहोवा के गवाहों की कलीसियाओं के प्राचीन उन लोगों को, जिन्होंने हाल ही में समर्पण किया है यह जाँचने में मदद देते हैं कि इसमें क्या-क्या सम्मिलित है। इस बात की पुष्टि करने के लिए वे तैयार प्रश्नों का प्रयोग करते हैं कि हर व्यक्ति बाइबल की बुनियादी शिक्षाओं को पूरी तरह समझता है और यह जानता है कि यहोवा का एक गवाह होने में क्या सम्मिलित है। फिर, समर्पण को सार्वजनिक रूप से व्यक्त करने के लिए एक धर्मक्रिया अति उपयुक्त है। स्वाभाविक है कि जिस व्यक्ति ने नया-नया समर्पण किया है वह दूसरों को यह बताने के लिए उत्सुक है कि वह यहोवा के साथ एक विशेषाधिकृत सम्बन्ध में आ गया है। (यिर्मयाह ९:२४ से तुलना कीजिए।) यह समर्पण के प्रतीक के रूप में पानी में बपतिस्मा लेने के द्वारा उचित रूप से किया जाता है। पानी में निम्मजित होना और फिर उसमें से बाहर निकलना यह चिह्नित करता है कि वह पिछली स्वार्थी जीवन-शैली त्यागता है और एक नयी जीवन-शैली अपनाता है। इस नयी जीवन-शैली में व्यक्ति परमेश्वर की इच्छा पूरी करता है। यह कोई संस्कार नहीं है, न ही यह एक अनुष्ठान है जैसे शिन्टो धर्मविधि मीसोगी, जिसमें माना जाता है कि व्यक्ति पानी द्वारा स्वच्छ किया जाता है।a इसके बजाय, बपतिस्मा उस समर्पण की सार्वजनिक घोषणा है जो प्रार्थना में पहले ही किया जा चुका है।
१८. हम क्यों विश्वस्त हो सकते हैं कि हमारा समर्पण व्यर्थ नहीं होगा?
१८ यह गंभीर अवसर एक अविस्मरणीय अनुभव है, जो परमेश्वर के नए सेवक को उस स्थायी सम्बन्ध की याद दिलाता है जो अब उसका यहोवा के साथ है। उस समर्पण से भिन्न जो कामीकाज़े विमान-चालक ने अपने देश और सम्राट के प्रति किया, यहोवा के प्रति किया गया यह समर्पण व्यर्थ नहीं होगा, क्योंकि वह सनातन सर्वशक्तिमान परमेश्वर है जो उन सभी कार्यों को पूरा करता है जिन्हें वह शुरू करता है। वह, और केवल वही हमारी एकनिष्ठ भक्ति के योग्य है।—यशायाह ५५:९-११.
१९. अगले लेख में किस विषय पर चर्चा की जाएगी?
१९ लेकिन, समर्पण में और भी बातें सम्मिलित हैं। उदाहरण के लिए, समर्पण हमारे दैनिक जीवन को कैसे प्रभावित करता है? इसकी चर्चा अगले लेख में की जाएगी।
[फुटनोट]
a वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित मानवजाति द्वारा परमेश्वर की खोज (अंग्रेज़ी) के पृष्ठ १९४-५ देखिए।
क्या आपको याद है?
◻ संसार में जो समर्पण देखने में आता है वह निराशा में क्यों समाप्त हुआ है?
◻ किस बात ने इस्राएलियों को प्रेरित किया कि अपने आपको यहोवा को समर्पित करें?
◻ किस बात से प्रेरित होकर आज हम अपने आपको यहोवा को समर्पित करते हैं?
◻ हम अपने आपको परमेश्वर को कैसे समर्पित करते हैं?
◻ पानी के बपतिस्मे का क्या महत्त्व है?
[पेज 10 पर तसवीरें]
सीनै में इस्राएल अपने आपको यहोवा को समर्पित करता है