फिलिप्पुस—सुसमाचार का जोशीला प्रचारक
बाइबल में ऐसे कई स्त्री-पुरुषों के बारे में लिखा है जिनकी मिसाल पर हमें चलना चाहिए। पहली सदी के फिलिप्पुस को ही लीजिए जो एक मिशनरी था। हालाँकि वह यीशु के बारह प्रेरितों में से तो नहीं था, फिर भी राज्य का संदेश फैलाने में उसे बहुत इस्तेमाल किया गया। दरअसल, लोग उसे “सुसमाचार प्रचारक” के तौर पर जानते थे। (प्रेरितों २१:८) फिलिप्पुस को यह नाम क्यों पड़ा? और हम उससे क्या सीख सकते हैं?
बाइबल में फिलिप्पुस का ज़िक्र सा.यु. ३३ के पिन्तेकुस्त के बाद आता है। उसी दौरान यूनानी-भाषा बोलनेवाले यहूदी, इब्रानी-भाषा बोलनेवाले यहूदियों से कुड़कुड़ा रहे थे कि खाने-पीने के मामले में उनकी विधवाओं पर ठीक तरह से ध्यान नहीं दिया जा रहा था। इस मामले को निपटाने के लिए प्रेरितों ने “सात सुनाम पुरुषों” को चुना, और फिलिप्पुस इन चुने हुओं में से एक था।—प्रेरितों ६:१-६.
ये सातों पुरुष “सुनाम” थे। न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन कहती है कि वे “सच्चरित्र” पुरुष थे। जी हाँ, चुने जाने से पहले ही लोग जानते थे कि ये सातों पुरुष आध्यात्मिक रूप से मज़बूत हैं और सूझबूझ से काम करते हैं। आज मसीही कलीसिया में भी ऐसा ही होता है। कलीसिया में ओवरसियरों को जल्दबाज़ी में नहीं चुना जाता। (१ तीमुथियुस ५:२२) बल्कि पहले यह देख लिया जाता है कि ये ‘बाहरवालों में सुनाम’ हैं और संगी मसीही जानते हैं कि वे समझदार और कोमल स्वभाव के हैं।—१ तीमुथियुस ३:२, ३, ७, NHT; फिलिप्पियों ४:५.
कहा जाता है कि यरूशलेम में फिलिप्पुस ने अपनी ज़िम्मेदारी बहुत अच्छी तरह निभायी थी। मगर बाद में, यीशु के दूसरे चेलों की तरह फिलिप्पुस को भी यरूशलेम छोड़कर जाना पड़ा, क्योंकि वहाँ सारे चेलों को बुरी तरह सताया जाने लगा था, जिसकी वज़ह से वे सभी तित्तर-बित्तर हो गए। हालाँकि फिलिप्पुस यरूशलेम से चला गया, मगर उसने अपनी सेवा बंद नहीं की। वह एक नई जगह, सामरिया में लोगों को गवाही देता रहा।—प्रेरितों ८:१-५.
नई जगह पर प्रचार करना
यीशु ने पहले से ही कहा था कि उसके चेले “यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक” प्रचार का काम करेंगे। (प्रेरितों १:८) फिलिप्पुस सामरिया में प्रचार करके यीशु की इस भविष्यवाणी को पूरा कर रहा था। आम तौर पर यहूदी लोग सामरियों की इज़्ज़त नहीं करते थे। मगर फिलिप्पुस ने ऐसा भेदभाव नहीं किया, जिसके लिए उसे आशीष भी मिली। उसके प्रचार की वज़ह से कई सामरियों ने बपतिस्मा लिया, जिसमें जादू-टोना करनेवाला शमौन नाम का एक मनुष्य भी था।—प्रेरितों ८:६-१३.
कुछ समय बाद यहोवा के स्वर्गदूत ने फिलिप्पुस को जंगल के उस रास्ते से जाने के लिए कहा जो यरूशलेम से अज्जाह को जाता था। वहाँ, फिलिप्पुस ने कूश देश के एक मंत्री को रथ पर जाते देखा जो यशायाह की भविष्यवाणी को ज़ोर से पढ़ रहा था। फिलिप्पुस दौड़कर उसके पास गया और उसने बातचीत शुरू की। हालाँकि वह कूशी मंत्री अपना धर्म बदलकर यहूदी बन चुका था, मगर परमेश्वर और शास्त्र के बारे में उसके पास ज़्यादा ज्ञान नहीं था। उसने फिलिप्पुस को नम्रता से कहा कि जो कुछ वह पढ़ रहा है उसे समझ में नहीं आ रहा और उसे मदद की ज़रूरत है। फिर उसने फिलिप्पुस से कहा कि वह रथ पर चढ़कर उसके साथ बैठ जाए। इसके बाद फिलिप्पुस ने उसे गवाही दी। थोड़ी देर बाद वे एक तालाब के पास से गुज़रे। तब कूशी मंत्री ने पूछा कि “मुझे बपतिस्मा लेने में क्या रोक है”? फिलिप्पुस ने तुरंत ही उसे बपतिस्मा दिया और वह खुशी-खुशी अपने मार्ग को चला गया। शायद इस नए चेले ने अपने देश में जाकर सुसमाचार फैलाया हो।—प्रेरितों ८:२६-३९.
फिलिप्पुस ने ऐसे लोगों को प्रचार किया जैसे कूशी मंत्री और सामरिया के लोग। इससे हम क्या सीख सकते हैं? यही कि हमें पहले से ही राय नहीं बना लेनी चाहिए कि किसी खास राष्ट्र, जाति या ओहदे के लोग सुसमाचार नहीं सुनेंगे। इसके बजाय हमें “सब मनुष्यों” को, यानी सब प्रकार के लोगों को सुसमाचार सुनाना चाहिए। (१ कुरिन्थियों ९:१९-२३) अगर हम सब प्रकार के मनुष्यों को प्रचार करने के लिए तैयार रहेंगे, तो यहोवा इस दुष्ट दुनिया का अंत करने से पहले “सब जातियों के लोगों को चेला” बनाने में हमें इस्तेमाल कर सकता है।—मत्ती २८:१९, २०.
फिलिप्पुस को और भी सुअवसर मिले
कूशी मंत्री को प्रचार करने के बाद फिलिप्पुस अशदोद चला गया और वहाँ गवाही देने लगा और “जब तक [वह] कैसरिया में न पहुंचा, तब तक नगर नगर सुसमाचार सुनाता गया।” (प्रेरितों ८:४०) पहली सदी में इन दो शहरों में ज़्यादातर गैर-यहूदी रहते थे। इन शहरों में प्रचार करने के बाद, फिलिप्पुस ने कैसरिया के उत्तर की ओर जाते वक्त यहूदियों की बड़ी बस्तियों, लुद्दा और याफा में प्रचार किया होगा। और शायद इसीलिए वहाँ बाद में कुछ चेले भी पाए गए।—प्रेरितों ९:३२-४३.
इसके २० साल बाद ही बाइबल में फिर से फिलिप्पुस का ज़िक्र आता है। पौलुस अपनी तीसरी मिशनरी यात्रा के आखिर में पतुलिमयिस में रुकता है। पौलुस के साथ यात्रा करनेवाला साथी लूका कहता है, “दूसरे दिन हम वहां से चलकर कैसरिया में आए, और फिलिप्पुस सुसमाचार प्रचारक के घर में . . . रहे।” और इस समय तक फिलिप्पुस को “चार कुंवारी पुत्रियां थीं; जो भविष्यद्वाणी करती थीं।”—प्रेरितों २१:८, ९.
ऐसा लगता है कि फिलिप्पुस तब तक कैसरिया में बस चुका था। इसके बावजूद, जगह-जगह जाकर लोगों को प्रचार करने का जो जोश उसमें पहले था, वह अब भी ठंडा नहीं हुआ था। और इसलिए लूका ने उसे “सुसमाचार प्रचारक” कहा। “सुसमाचार प्रचारक” के लिए यूनानी शब्द अकसर उन लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो अपना घर-बार छोड़कर प्रचार करने के लिए किसी ऐसी जगह चले जाते हैं जहाँ लोगों ने पहले सुसमाचार न सुना हो। और फिलिप्पुस की चारों बेटियाँ भी भविष्यवाणी करती थीं, जिससे पता चलता है कि वे अपने जोशीले पिता का ही अनुकरण कर रही थीं।
आज के मसीही माता-पिताओं को यह याद रखना चाहिए कि उनके लिए अपने बच्चों को चेला बनाना सबसे ज़रूरी है। इन माता-पिताओं को अपने परिवार की ज़िम्मेदारियाँ सँभालने के लिए शायद परमेश्वर की सेवा में किसी खास ज़िम्मेदारी को छोड़ना पड़े। लेकिन, फिलिप्पुस की तरह वे अपने परिवार के सामने अच्छी मिसाल रख सकते हैं और परमेश्वर की सेवा में पूरे दिल से और जोश के साथ लगे रह सकते हैं।—इफिसियों ६:४.
जब पौलुस और उसके साथी फिलिप्पुस के घर गए तब फिलिप्पुस के परिवार को पहुनाई दिखाने का एक बढ़िया मौका मिला। उन्हें आपस में बातें करके और एकदूसरे की हिम्मत बढ़ाकर कितनी खुशी मिली होगी! हो सकता है कि इसी मौके पर लूका ने फिलिप्पुस से जानकारी इकट्ठी की हो और बाद में उसे प्रेरितों के काम के छठे और आठवें अध्याय में लिखा हो।
राज्य का संदेश फैलाने के लिए यहोवा परमेश्वर ने फिलिप्पुस को काफी इस्तेमाल किया था। फिलिप्पुस के पास परमेश्वर के काम के लिए जोश था, इसीलिए वह नई जगहों में जाकर सुसमाचार का प्रचार कर सका और अपने घर में भी आध्यात्मिक बातों को अहमियत दे सका। क्या आप भी परमेश्वर से ऐसे सुअवसर और आशीषें पाना चाहते हैं? तो फिर, वैसे ही गुण दिखाइए जो सुसमाचार प्रचार करनेवाले फिलिप्पुस ने दिखाए थे।