परमेश्वर का राज्य क्या करेगा
“तेरा राज्य आए; तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो।” —मत्ती 6:10.
1. परमेश्वर का राज्य क्या करेगा?
जब यीशु ने अपने चेलों को परमेश्वर के राज्य के लिए प्रार्थना करना सिखाया, तो वह जानता था कि उसका राज्य इंसानों की सरकार को नष्ट कर देगा। क्यों? क्योंकि इंसानों ने हज़ारों सालों से परमेश्वर की हुकूमत को ठुकराकर राज चलाया है, और इन हज़ारों सालों में इस पृथ्वी के लिए परमेश्वर का उद्देश्य भी पूरा नहीं किया है। (भजन 147:19, 20) मगर जब स्वर्ग का राज्य अपनी हुकूमत शुरू करेगा, तब उसका उद्देश्य पूरा होना शुरू हो जाएगा। अब वह समय बहुत ही करीब आ रहा है जब परमेश्वर का राज्य इंसानों की सरकारों की जगह ले लेगा।
2. स्वर्ग के राज्य की हुकूमत पृथ्वी पर शुरू होने से पहले क्या होगा?
2 मगर यीशु ने कहा कि इससे पहले कि स्वर्ग का राज्य पृथ्वी पर अपनी हुकूमत शुरू करे, एक “ऐसा भारी क्लेश होगा, जैसा जगत के आरम्भ से न अब तक हुआ, और न कभी होगा।” (मत्ती 24:21) बाइबल नहीं बताती कि यह “क्लेश” कितने समय तक चलेगा, मगर यह क्लेश इतना “भारी” होगा और इंसान पर ऐसी भयानक विपत्तियाँ आएँगी जिनका कोई अंदाज़ा नहीं लगा सकता। उस भारी क्लेश में सबसे पहले सभी झूठे धर्मों को नाश किया जाएगा, जिसे देखकर सारी दुनिया को गहरा सदमा पहुँचेगा। मगर यहोवा के साक्षियों को नहीं, क्योंकि उन्हें तो काफी समय से इसका इंतज़ार है। (प्रकाशितवाक्य 17:1, 15-17; 18:1-24) यह भारी क्लेश, अरमगिदोन की लड़ाई में समाप्त होगा, जिसमें परमेश्वर का राज्य शैतान की इस दुष्ट दुनिया को पूरी तरह नाश कर देगा।—दानिय्येल 2:44; प्रकाशितवाक्य 16:14, 16.
3. जो लोग “सुसमाचार को नहीं मानते,” उनका क्या होगा?
3 तब उन लोगों का क्या होगा “जो परमेश्वर को नहीं पहचानते, और हमारे प्रभु यीशु के [राज्य के] सुसमाचार को नहीं मानते”? (2 थिस्सलुनीकियों 1:6-9) बाइबल इसका जवाब देती है: “देखो, विपत्ति एक जाति से दूसरी जाति में फैलेगी, और बड़ी आंधी पृथ्वी की छोर से उठेगी! उस समय यहोवा के मारे हुओं की लोथें पृथ्वी की एक छोर से दूसरी छोर तक पड़ी रहेंगी। उनके लिये कोई रोने-पीटनेवाला न रहेगा, और उनकी लोथें न तो बटोरी जाएंगी और न कबरों में रखी जाएंगी; वे भूमि के ऊपर खाद की नाईं पड़ी रहेंगी।”—यिर्मयाह 25:32, 33.
बुराई का अंत
4. इस दुष्ट दुनिया का नाश करने का यहोवा का फैसला क्यों सही है?
4 यहोवा हज़ारों सालों से इंसान की बुराइयों को बरदाश्त करता आ रहा है, और इन सालों के दौरान यह अच्छी तरह साबित हो गया है कि इंसानों के राज करने का अंजाम कितना भयंकर होता है। मिसाल के तौर पर, एक किताब कहती है कि 20वीं सदी में हुए युद्धों, और दूसरी क्रांतियों में 15 करोड़ से ज़्यादा लोग मारे गए हैं। इंसान का सबसे वहशी रूप खासकर दूसरे विश्वयुद्ध में देखने को मिला, जब कुछ 5 करोड़ लोग मारे गए थे, और उनमें से कईयों को तो जर्मनी के शिविरों में नात्ज़ियों ने तड़पा-तड़पाकर मारा था। बाइबल में जैसे बताया गया था कि ‘दुष्ट लोग बिगड़ते चले जाएंगे,’ उसे आज हम अपनी आँखों के सामने पूरा होते हुए देख रहे हैं। (2 तीमुथियुस 3:1-5, 13) आज दुनिया में बदचलनी, अपराध, हिंसा और भ्रष्टाचार बेहिसाब बढ़ता जा रहा है और लोगों को परमेश्वर के स्तरों की बिलकुल परवाह नहीं है। इसलिए इस दुष्ट दुनिया का नाश करने का यहोवा का फैसला बिलकुल सही है।
5, 6. कनान देश में कौन-कौन-से घिनौने काम किए जाते थे?
5 आज के हालात 3,500 साल पहले कनान के हालात से बहुत मिलते-जुलते हैं। उस समय के बारे में बाइबल कहती है: “जितने प्रकार के कामों से यहोवा घृणा करता है और बैर-भाव रखता है, उन सभों को उन्हों ने अपने देवताओं के लिये किया है, यहां तक कि अपने बेटे बेटियों को भी वे अपने देवताओं के लिये अग्नि में डालकर जला देते हैं।” (व्यवस्थाविवरण 12:31) इसलिए यहोवा ने इस्राएलियों से कहा: “इन जातियों की दुष्टता के कारण ही तेरा परमेश्वर यहोवा उनको तेरे सामने से खदेड़ रहा है।” (व्यवस्थाविवरण 9:5, NHT) इन जातियों में होनेवाली दुष्टता के बारे में बाइबल के इतिहासकार हॆन्री एच. हैली कहते हैं: “बाल, अशतोरेत, और कनान के दूसरे देवी-देवताओं की पूजा में बहुत ही घटिया और अश्लील काम किए जाते थे। उनके मंदिर हर तरह के घिनौने कामों के अड्डे हुआ करते थे।”
6 उनकी बुराई किस हद तक बढ़ गयी थी, यह साबित करने के लिए हैली कहते हैं कि पुरातत्वविज्ञानियों ने कई जगहों में “बहुत ही बड़ी तादाद में ऐसे मटके पाए हैं, जिनमें बाल देवता को कुरबान चढ़ाए गए बच्चों के अवशेष रखे हुए हैं।” वे कहते हैं कि “यह सारा इलाका ही नए जन्मे बच्चों का कब्रिस्तान लगता है। . . . कनानी लोग धर्म के नाम पर अपने देवताओं के सामने हर तरह के अश्लील और घटिया काम करके अपनी हवस पूरी करते थे, और फिर उन्हीं देवताओं के लिए अपने पहले बच्चे की बलि चढ़ा देते थे। ऐसा लगता है कनान देश बड़े पैमाने पर सदोम और अमोरा की तरह बन गया था। . . . क्या ऐसे गंदे और क्रूरता के काम करनेवाले लोगों को जीने का हक था? बिलकुल नहीं . . . पुरातत्वविज्ञानीयों को तो लगता है कि परमेश्वर को उनका नाश और भी पहले कर देना चाहिए था। वह इतनी देर तक उन्हें कैसे बरदाश्त करता रहा?”
इस पृथ्वी पर कौन लोग बसेंगे?
7, 8. परमेश्वर इस पृथ्वी को कैसे साफ करेगा?
7 यहोवा ने जैसे कनानियों का नाश किया, उसी तरह वह आज भी दुष्टों का नाश करके इस पृथ्वी को स्वच्छ करेगा, और उन लोगों को इस पर बसने देगा जो उसकी इच्छा पर चलते हैं: “धर्मी लोग देश में बसे रहेंगे, और खरे लोग ही उस में बने रहेंगे। दुष्ट लोग देश में से नाश होंगे, और विश्वासघाती उस में से उखाड़े जाएंगे।” (नीतिवचन 2:21, 22) दाऊद ने एक भजन में कहा: “थोड़े दिन के बीतने पर दुष्ट रहेगा ही नहीं; . . . परन्तु नम्र लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और बड़ी शान्ति के कारण आनन्द मनाएंगे।” (भजन 37:10, 11) शैतान को भी बंद किया जाएगा, ताकि वह “हजार वर्ष के पूरे होने तक जाति जाति के लोगों को फिर न भरमाए।” (प्रकाशितवाक्य 20:1-3) जी हाँ, ‘संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिट जाएँगी, पर जो परमेश्वर की इच्छा पर चलता है, वह सर्वदा बना रहेगा।’—1 यूहन्ना 2:17.
8 जो लोग इसी पृथ्वी पर हमेशा-हमेशा के लिए जीना चाहते हैं, उनकी शानदार आशा का ज़िक्र करते हुए यीशु ने कहा: “धन्य हैं वे, जो नम्र हैं, क्योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे।” (मत्ती 5:5) शायद यीशु भजन 37:29 की बात दोहरा रहा था, जिसमें लिखा है: “धर्मी लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और उस में सदा बसे रहेंगे।” यीशु जानता था कि शुरू से ही यहोवा का यह मकसद था कि नम्र और नेकदिल लोग इस सुंदर पृथ्वी पर हमेशा-हमेशा के लिए रहें। यहोवा कहता है: “पृथ्वी को और पृथ्वी पर के मनुष्यों और पशुओं को अपनी बड़ी शक्ति . . . के द्वारा मैं ने बनाया, और जिस किसी को मैं चाहता हूं उसी को मैं उन्हें दिया करता हूं।”—यिर्मयाह 27:5.
एक शानदार नया संसार
9. परमेश्वर का राज्य कैसी पृथ्वी लाएगा?
9 अरमगिदोन के बाद परमेश्वर का राज्य एक “नई पृथ्वी” लाएगा जिसमें “धार्मिकता बास करेगी।” (2 पतरस 3:13) अरमगिदोन से बच निकलनेवाले इस दुष्ट संसार से पीछा छुड़ाकर कितनी राहत की साँस लेंगे! वे कितने खुश होंगे कि वे परमेश्वर के राज्य के अधीन नए संसार में पहुँच गए हैं, और उसमें शानदार आशीषों का और हमेशा-हमेशा के जीवन का आनंद ले रहे हैं!—प्रकाशितवाक्य 7:9-17.
10. परमेश्वर के राज्य में लोगों को और क्या-क्या आशीषें मिलेंगी?
10 इसके बाद लोगों को फिर कभी युद्ध, अपराध, भुखमरी या जंगली जानवरों का खतरा नहीं होगा। “मैं उनके [अपने लोगों के] साथ शान्ति की वाचा बान्धूंगा, और दुष्ट जन्तुओं को देश में न रहने दूंगा; . . . और मैदान के वृक्ष फलेंगे और भूमि अपनी उपज उपजाएगी, और वे अपने देश में निडर रहेंगे।” “वे अपनी तलवारें पीटकर हल के फाल, और अपने भालों से हंसिया बनाएंगे; तब एक जाति दूसरी जाति के विरूद्ध तलवार फिर न चलाएगी; और लोग आगे को युद्ध-विद्या न सीखेंगे। परन्तु वे अपनी अपनी दाखलता और अंजीर के वृक्ष तले बैठा करेंगे, और कोई उनको न डराएगा।”—यहेजकेल 34:25-28; मीका 4:3, 4.
11. हम क्यों भरोसा रख सकते हैं कि नयी दुनिया में बीमारियाँ नहीं होंगी?
11 तब बीमारी, दुःख और मौत भी नहीं होगा: “कोई निवासी न कहेगा कि मैं रोगी हूं; और जो लोग उस में बसेंगे, उनका अधर्म क्षमा किया जाएगा।” (यशायाह 33:24) परमेश्वर “उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं। . . . देख, मैं सब कुछ नया कर देता हूं।” (प्रकाशितवाक्य 21:4, 5) जब यीशु पृथ्वी पर था, तब उसने परमेश्वर की पवित्र शक्ति की मदद से लंगड़े-लूलों को और बीमारों को चंगा किया था, सो वह नयी दुनिया में भी ऐसा कर सकता है।—मत्ती 15:30, 31.
12. मरे हुओं का उस वक्त क्या होगा?
12 मगर यीशु ने सिर्फ बीमारों को ठीक नहीं किया था, बल्कि उसने मरे हुओं को भी ज़िंदा किया था। यह देखकर नेकदिल लोगों को कैसा लगा? जब उसने 12 साल की एक लड़की को फिर से ज़िंदा किया, तो उसके माता-पिता “बहुत चकित हो गए।” (मरकुस 5:42) नयी दुनिया में यीशु यही करेगा, क्योंकि उस समय “धर्मी और अधर्मी दोनों का जी उठना होगा।” (प्रेरितों 24:15) ज़रा सोचिए कि वह कितनी खुशी का माहौल होगा जब मरे हुए एक-के-बाद-एक समूह में ज़िंदा होंगे, और अपने-अपने परिवारों और दोस्तों से मिलेंगे! साथ ही उसके राज्य में लोगों को तालीम भी दी जाएगी, और तब “पृथ्वी यहोवा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी जैसा जल समुद्र में भरा रहता है।”—यशायाह 11:9.
यहोवा की हुकूमत सही साबित होगी
13. यह कैसे साबित किया जाएगा कि सिर्फ यहोवा की हुकूमत ही बिलकुल सही है?
13 हज़ार साल के राज्य के आखिर में सभी इंसान तन-मन से बिलकुल सिद्ध हो चुके होंगे। इस दुनिया का नक्शा ही बदल जाएगा, क्योंकि पूरी दुनिया अदन के एक खूबसूरत बगीचे में तब्दील कर दी जाएगी। लोगों में प्यार, अमन-चैन और खुशहाली का माहौल होगा। आज तलक कोई सरकार ऐसा नहीं कर पायी है। इंसान हज़ारों साल की हुकूमत में भी जो हासिल नहीं कर पाया, परमेश्वर का राज्य वह सब कुछ सिर्फ एक हज़ार साल में हासिल कर लेगा! और तब यह दुनिया कितनी निराली होगी! वाकई परमेश्वर का राज्य इंसान की किसी भी सरकार से आला दर्ज़े का होगा। तब यह पूरी तरह साबित हो जाएगा कि यहोवा ही तमाम जहाँ का शहनशाह है, सिर्फ उसी के पास इस विश्व पर हुकूमत करने का हक है, और उसकी हुकूमत बिलकुल सही है।
14. यहोवा की हुकूमत के खिलाफ बगावत करनेवालों का हज़ार साल के आखिर में क्या होगा?
14 फिर हज़ार साल के आखिर में, यहोवा इंसान को यह चुनने का मौका देगा कि वे आगे भी किसकी सेवा करना चाहेंगे। बाइबल कहती है कि तब “शैतान कैद से छोड़ दिया जाएगा।” वह फिर एक बार लोगों को भरमाने की कोशिश करेगा, और कुछ लोग उसके बहकावे में आकर यहोवा की हुकूमत को ठुकरा देंगे। मगर इसके बाद यहोवा शैतान का, उसके पिशाचों का और यहोवा की हुकूमत के खिलाफ उस वक्त बगावत करनेवाले सभी लोगों का हमेशा के लिए नामोनिशान मिटा देगा, ताकि ‘विपत्ति दूसरी बार पड़ने न पाए।’ उस वक्त जो लोग नाश होंगे, उनके बारे में कोई यह नहीं कह सकेगा कि परमेश्वर ने उन्हें मौका नहीं दिया या उन्होंने अपनी असिद्धता की वजह से गलती की। वे लोग आदम और हव्वा की तरह सिद्ध होंगे, जिन्होंने अपनी मर्ज़ी से यहोवा की हुकूमत को ठुकराया था।—प्रकाशितवाक्य 20:7-10; नहूम 1:9.
15. नयी दुनिया में वफादार लोगों का यहोवा के साथ कैसा रिश्ता होगा?
15 वफादारी की इस आखिरी आज़माइश में यहोवा की हुकूमत को ठुकरानेवाला हर इंसान मारा जाएगा, मगर उस वक्त ज़्यादातर लोग यहोवा की हुकूमत को कबूल करेंगे और बचे रहेंगे। इन नेकदिल और धर्मी लोगों को यहोवा अपने बेटे-बेटियों के तौर पर कबूल करेगा। इस तरह उनका परमेश्वर के साथ वैसा ही रिश्ता जुड़ जाएगा जैसा पाप करने से पहले आदम और हव्वा का यहोवा के साथ था। इस तरह रोमियों 8:21 की बात पूरी होगी: “सृष्टि [सभी इंसान] भी आप ही विनाश के दासत्व से छुटकारा पाकर, परमेश्वर की सन्तानों की महिमा की स्वतंत्रता प्राप्त करेगी।” भविष्यवक्ता यशायाह भविष्यवाणी करता है: “वह [परमेश्वर] मृत्यु को सदा के लिये नाश करेगा, और प्रभु यहोवा सभों के मुख पर से आंसू पोंछ डालेगा।”—यशायाह 25:8.
अनंत जीवन की आशा
16. अनंत जीवन की आशा रखना क्यों गलत नहीं है?
16 भजनहार ने कहा: ‘तू अपनी मुट्ठी खोलकर, सब प्राणियों को तृप्त करता है।’ (भजन 145:16) जी हाँ, तब यहोवा हमें किसी चीज़ की कमी नहीं होने देगा और हम पर आध्यात्मिक आशीषें भी बरसाएगा। यह हमारा इनाम होगा! दरअसल, यहोवा खुद चाहता है कि हम आनेवाली नई दुनिया में अपने इनाम पर नज़र रखें। हालाँकि हमारे लिए परमेश्वर की हुकूमत को मानना और उसकी सेवा करना सबसे ज़रूरी है, मगर फिर भी यहोवा यह नहीं चाहता कि हम बगैर किसी इनाम के उसकी सेवा करें। यही बात पूरी बाइबल में बतायी गयी है कि अगर हम परमेश्वर के वफादार रहेंगे, तो वह हमें हमेशा-हमेशा की ज़िंदगी देगा। “परमेश्वर के पास आनेवाले को विश्वास करना चाहिए, कि वह है; और अपने खोजनेवालों को प्रतिफल देता है।”—इब्रानियों 11:6.
17. यीशु ने कैसे दिखाया कि अनंत जीवन की आशा हमें धीरज धरने में मदद करती है?
17 यीशु ने कहा: “अनन्त जीवन यह है, कि वे तुझ अद्वैत सच्चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को, जिसे तू ने भेजा है, जानें।” (यूहन्ना 17:3) यहाँ पर यीशु बताता है कि परमेश्वर और उसके उद्देश्यों को जानने का इनाम है अनंत जीवन। इसीलिए जब एक अपराधी ने यीशु से कहा कि वह उसे अपने राज्य में याद करे, तो यीशु ने कहा: “तू मेरे साथ स्वर्गलोक [नयी दुनिया] में होगा।” (लूका 23:43) यीशु ने उससे यह नहीं कहा कि ‘तू सिर्फ विश्वास रख। इनाम की चिंता मत कर।’ वह जानता था कि यहोवा चाहता है कि उसके सेवक नयी दुनिया में अनंत जीवन की आशा रखें, ताकि वे इस उम्मीद के सहारे इस दुष्ट दुनिया की दुःख-तकलीफों को सह सकें। इसलिए अनंत जीवन पाने की उम्मीद करना एक मसीही को धीरज धरने में मदद देता है।
अंत में उस राज्य का क्या होगा?
18, 19. हज़ार साल के बाद में स्वर्ग के राज्य का और उसके राजा का क्या होगा?
18 यहोवा ने स्वर्ग के राज्य का इंतज़ाम इस उद्देश्य से किया था ताकि इसके ज़रिए इंसानों को फिर से सिद्ध किया जाए और उनका परमेश्वर के साथ फिर से अच्छा रिश्ता कायम हो सके। हज़ार साल के बाद स्वर्ग के राज्य का यह उद्देश्य पूरा हो जाएगा। “इस के बाद अन्त होगा,” यानी हज़ार साल राज करने के बाद यीशु मसीह और बाकी 1,44,000 राजा और याजक ‘सारी प्रधानता और सारा अधिकार और सामर्थ का अन्त करके राज्य को परमेश्वर पिता के हाथ में सौंप देंगे। क्योंकि जब तक कि वह अपने बैरियों को अपने पांवों तले न ले आए, तब तक उसका राज्य करना अवश्य है।’—1 कुरिन्थियों 15:24, 25.
19 अगर मसीहा उस राज्य को परमेश्वर के हवाले कर देगा, तो क्या वो वचन गलत साबित नहीं होंगे, जिनमें कहा गया है कि वह राज्य सदा के लिए बना रहेगा? जी नहीं, उन वचनों का यह मतलब है कि इस राज्य के द्वारा इंसानों को जो आशीषें मिलेंगी, वे हमेशा-हमेशा के लिए बनी रहेंगी। परमेश्वर की हुकूमत को सही साबित करने में यीशु ने जो भूमिका निभायी है, उसके लिए उसकी हमेशा कदर की जाएगी। मगर वह सदा के लिए हमारा उद्धारकर्ता नहीं रहेगा, क्योंकि तब पाप और मौत को निकाल दिया जाएगा और इस तरह इंसान का उद्धार हो चुका होगा। तब यहोवा को स्वर्ग के राज्य की ज़रूरत नहीं होगी, जिसे उसके और इंसानों के बीच रिश्ता कायम करने के लिए बनाया गया था। इसके बाद से ‘परमेश्वर ही सब में सब कुछ होगा।’—1 कुरिन्थियों 15:28.
20. हज़ार साल के बाद यीशु का और उसके 1,44,000 साथियों का क्या होगा, यह देखने के लिए हमें क्या करना होगा?
20 तो फिर हज़ार साल के बाद यीशु का और उसके 1,44,000 साथियों का क्या होगा? बाइबल इस बारे में कुछ नहीं कहती। मगर हम यकीन रख सकते हैं कि यहोवा उन्हें उसके बाद भी ज़िम्मेदारियाँ और सम्मान देता रहेगा। सो आइए हम यहोवा की हुकूमत को कबूल करें और अनंत जीवन पाएँ, ताकि हम देख सकें कि आनेवाले समय में यीशु मसीह के लिए, उसके 1,44,000 साथियों के लिए यहोवा का उद्देश्य क्या है!
आप क्या जवाब देंगे?
• कौन-से बदलाव का समय हमारे बहुत ही करीब आ रहा है?
• यहोवा धर्मियों और अधर्मियों का न्याय कैसे करेगा?
• नयी दुनिया में हालात कैसे होंगे?
• यह कैसे साबित किया जाएगा कि यहोवा की हुकूमत ही बिलकुल सही है?
[पेज 17 पर तसवीरें]
“धर्मी और अधर्मी दोनों का जी उठना होगा”
[पेज 18 पर तसवीर]
सभी वफादार लोगों का यहोवा के साथ एक गहरा रिश्ता होगा