सुसमाचार की भेंट—प्रकाशनों को अक़्लमन्दी से इस्तेमाल करने के ज़रिए
१९९१ के सेवा वर्ष के ख़ास सभा दिन कार्यक्रम में “हमारी सेवकाई—साधारण नहीं, बल्कि पवित्र,” इस विषय पर एक विचार-विमर्श पेश की गयी। इस में ज़ोर दिया गया कि हमारा काम पवित्र है और उसे साधारण नहीं मानना चाहिए। चूँकि मुद्रित साहित्य का इस्तेमाल भी हमारी सेवकाई का एक अहम हिस्सा है, इसके प्रति भी आदर दिखाना चाहिए। हम में से हर एक व्यक्ति हमारे प्रकाशनों को अक़्लमन्दी से इस्तेमाल करने के ज़रिए उस गहरी भावना को दर्शा सकते हैं, जो हम महसूस करते हैं।
२ १९९० सेवा वर्ष के दौरान सोसाइटी ने विश्वव्याप्त क्षेत्र में इस्तेमाल होने के लिए ६७.८ करोड़ पत्रिकाएँ और ५.१ करोड़ बाइबल और जिल्द-वाली किताबों को उत्पादित किया। इस से सूचित होता है कि समर्पित साधन का ज़बरदस्त ख़र्च होता है, जिस में समय, ताक़त, और पैसा शामिल है। अनेक स्वयंसेवकों की सम्मिलित कोशिशों के परिणामस्वरूप, दोनों, निजी इस्तेमाल के लिए और क्षेत्र सेवा में वितरित होने के लिए उच्च दर्जे का साहित्य उत्पादित होता है। जैसे-जैसे हम सच्चे दिलवालों को राज्य का संदेश सुनाते हैं, हम किन तरीक़ों से अपने साहित्य के लिए हार्दिक क़दरदानी दर्शा सकते हैं?
३ व्यक्तिगत और पारिवारिक अध्ययन: रोमियों २:२१ में प्रेरित पौलुस कहता है: “सो क्या तू जो औरों को सिखाता है, अपने आप को नहीं सिखाता?” जब हम पढ़ने, अभ्यास करने, और अपने बाइबल-आधारित साहित्य पर प्रार्थनापूर्वक मनन करने के लिए जल्दबाज़ी न करके समय लेते हैं, तो इसके द्वारा हम दर्शाते हैं कि हम यहोवा के प्रबन्धक वर्ग के ज़रिए दिए गए आध्यात्मिक भोजन के समयोचित प्रबन्धों को कितना मूल्यवान् समझते हैं। (लूका १२:४२) चाहे व्यक्तिगत या पारिवारिक अभ्यास के द्वारा हो, प्रकट सच्चाइयों के साथ-साथ चलने से हम उन सारी बातों के लिए गहरी क़दरदानी विकसित कर सकते हैं, जो यहोवा ने हमारी देख-रेख में सौंपी हैं। बच्चों को भी, अपने साहित्य पर लापरवाही से चिह्न करने या उसे बिगाड़ने के बजाय, उस की क़दर करने और उनकी देख-रेख करने के लिए उचित रूप से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, हमारे साहित्य को सही रीति से रखा जाना चाहिए ताकि क्षेत्र में इस्तेमाल करने के लिए यह साफ़-सुथरा रहे।
४ अपव्यय से बचे रहें: असली फ़ायदे का होने के लिए, हमारे साहित्य को सच्चाई के खोजनेवालों के हाथों में पहुँच जाना चाहिए, यानी, ऐसे लोगों के हाथों में, जो हमारे संदेश और कार्य में असली रूप से दिलचस्पी रखते हैं। (मत्ती १०:११) इसीलिए कुछेक असाधारण परिस्थितियों को छोड़, हमें इसे बस यों ही दे देने से बचे रहना चाहिए। अगर हम पत्रिकाओं, किताबों, या अन्य साहित्य को घर पर ढेर बनने देते हैं, तो यह भी अपव्यय होता है।
५ चूँकि पत्रिकाओं पर तारीख़ होती है, इसलिए उन्हें चालू पत्रिकाओं के तौर पर पेश करने के लिए हमारे पास सिर्फ़ सीमित समय ही है। इसलिए सेवकाई में जाने और दिलचस्पी रखनेवालों को ये पत्रिकाएँ उपलब्ध कराने के लिए हमारी ओर से भारी कोशिश की ज़रूरत है। अगर हम पाते हैं कि पत्रिकाएँ फिर भी जमा होती हैं, तो शायद पत्रिका-कार्य में अधिक समय बिताने के लिए अपने कार्यक्रम में समंजन करना अच्छा होगा। या अगर यह युक्तिसंगत रूप से नहीं किया जा सकता, तो हमें अपने आर्डर को बदलना चाहिए। इन सुझावों पर अमल करने से, हम दर्शाते हैं कि हम परमेश्वर की अनर्जित कृपा के विश्वस्त कारिन्दे हैं।—१ कुरि. ४:२; १ पत. ४:१०, ११; लूका १६:१, १० से तुलना करें।
६ यहोवा ने एक बहुत भारी ज़िम्मेदारी और काम अपने समर्पित लोगों को “अमानत” के तौर से सौंपा है, जिस में ऐसी “संपत्ति” है जिस पर उनके विश्वसनीय “भण्डारी” को अधिकार है। (२ तीमु. १:१२; लूका १२:४२-४४, ४८ब; १ तीमु. ६:२०) परमेश्वर की सेवा में हमें दिए गए ख़ास अनुग्रहों के लिए गहरी क़दरदानी दिखाकर, हम दूसरों को सुसमाचार सुनाने में हमारे प्रकाशनों को अक़्लमन्दी से इस्तेमाल करते रहें।