यहोवा की निरंतर प्रेम-कृपा के लिए उसका धन्यवाद करें
मार्च 24 को मसीह की मौत का स्मारक मनाया जाएगा
1. यहोवा ने हमें निरंतर प्रेम-कृपा कैसे दिखायी है?
भजनहार ने उमंग भरे दिल से कहा: “लोग यहोवा की करुणा [“निरंतर प्रेम-कृपा,” NW] के कारण, और उन आश्चर्यकर्मों के कारण, जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें!” (भज. 107:8) परमेश्वर की निरंतर प्रेम-कृपा, लोगों के लिए महज़ करुणा और हमदर्दी की भावना नहीं है। यह बात ईश्वर-प्रेरणा से लिखे इस स्तुति-गीत से साफ ज़ाहिर होती है: “हे यहोवा, तेरी करुणा [“निरंतर प्रेम-कृपा,” NW] ने मुझे थाम लिया।” (भज. 94:18) वाकई, यहोवा ने हमारी खातिर अपने एकलौते बेटे की कुरबानी देकर क्या ही बेमिसाल तरीके से निरंतर प्रेम-कृपा दिखायी है!—1 यूह. 4:9, 10.
2. हम यहोवा का धन्यवाद कैसे कर सकते हैं?
2 मसीह की मौत का स्मारक जैसे-जैसे करीब आ रहा है, हम ‘निरंतर प्रेम-कृपा के परमेश्वर’ का धन्यवाद कैसे कर सकते हैं? (भज. 59:17, NW) इसके लिए, अच्छा होगा अगर हममें से हरेक जन धरती पर यीशु के आखिरी दिनों के बारे में मनन करने के लिए समय निकाले। (भज. 143:5) स्मारक के लिए, रोज़ाना बाइबल वचनों पर ध्यान दीजिए—2005 की बुकलेट में खास बाइबल पढ़ाई के शेड्यूल के मुताबिक पढ़ाई करने से भी हमें फायदा होगा। इसके अलावा, अगर मुमकिन हो तो सर्वश्रेष्ठ मनुष्य किताब के 112-16 अध्याय के साथ-साथ संस्था की दूसरी किताबें पढ़कर इस सिलसिले में ज़्यादा खोजबीन कीजिए। आप जो पढ़ते हैं, उस पर मनन कीजिए और उसी में अपना ध्यान लगाए रखिए। (1 तीमु. 4:15) परमेश्वर के वचन का अध्ययन करने के साथ-साथ प्रार्थना करने से न सिर्फ हमारा आध्यात्मिक हृदय मज़बूत होगा बल्कि इससे यहोवा के लिए हमारा प्यार भी ज़ाहिर होगा।—मत्ती 22:37.
3, 4. (क) लाइबीरिया के हमारे भाइयों ने जैसा जोश दिखाया, वैसा जोश हम कैसे दिखा सकते हैं? (ख) आप, स्मारक के लिए किसे बुलाने की योजना बना रहे हैं?
3 परमेश्वर का धन्यवाद करने के लिए दूसरों को उभारिए: पिछले साल पूरी दुनिया में 1,67,60,607 लोग स्मारक में हाज़िर हुए थे। लाइबीरिया के एक गाँव में, भाइयों ने पासवाले कसबे के मुखिया को एक खत लिखा और उसे बताया कि वे उसके कसबे में प्रभु का संध्या भोज मनाना चाहते हैं। मुखिया ने भाइयों को वहाँ फुटबॉल के मैदान में स्मारक मनाने की इजाज़त दे दी। साथ ही उसने पूरे इलाके में इस समारोह की घोषणा करवायी और लोगों को आने का न्यौता दिया। हालाँकि उस गाँव में सिर्फ पाँच प्रचारक रहते हैं, मगर स्मारक की हाज़िरी 636 थी!
4 हम भी चाहते हैं कि ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग हमारे साथ इस स्मारक में हाज़िर हों। क्यों न एक सूची बनाएँ कि आप किस-किस को बुलाएँगे? हमारी पत्रिकाओं के आखिरी पेज पर स्मारक की तसवीर और उसका न्यौता दिया गया है। आप या तो इस न्यौते का या फिर स्मारक के निमंत्रण पत्र का इस्तेमाल कर सकते हैं। निमंत्रण पत्र में स्मारक मनाए जाने की जगह और समय टाइप कीजिए या उसे साफ-साफ लिखिए। और आप जिस-जिस को आने का न्यौता देते हैं, उन सभी को एक-एक निमंत्रण पत्र दीजिए। जैसे-जैसे मार्च 24 करीब आता है, फोन करके या खुद मिलकर दोबारा सभी को इस दिन की याद दिलाइए। इसके अलावा, स्मारक में आने के लिए किए गए किसी भी इंतज़ाम को एक बार फिर तय कर लीजिए।
5. हम अपने बाइबल विद्यार्थियों को स्मारक में हाज़िर होने के लिए कैसे उकसा सकते हैं?
5 हमारे जिन बाइबल विद्यार्थियों ने सभाओं में आना शुरू नहीं किया है, हम उनकी मदद कैसे कर सकते हैं ताकि वे इस स्मारक में आएँ और इसका पूरा फायदा उठाएँ? हर अध्ययन के दौरान चंद मिनट निकालकर उन्हें इस समारोह की अहमियत समझने में मदद दें। इस सिलसिले में मार्च 15, 2004 की प्रहरीदुर्ग के पेज 3-7 और रीज़निंग किताब के पेज 266-9 में बेहतरीन जानकारी दी गयी है।
6. स्मारक में आनेवालों महमानों का स्वागत करना क्यों ज़रूरी है?
6 मेहमानों का स्वागत कीजिए: स्मारक में आए मेहमानों का स्वागत कीजिए और उनसे बात कीजिए। (रोमि. 12:13) आपने जिन्हें बुलाया है, उनके साथ बैठने का बंदोबस्त कीजिए और यह ध्यान रखिए कि उनके पास बाइबल और गीत-पुस्तक हो। सच्चाई में ठंडे पड़ चुके भाई-बहनों में से अगर कोई आता है, तो हम गर्मजोशी से उनका स्वागत करने की खास पहल करेंगे। हो सकता है, हमारा प्यार और हमारी दिलचस्पी देखकर वे दोबारा कलीसिया में आना शुरू कर दें। (लूका 15:3-7) इस सबसे पवित्र अवसर पर, आइए हमसे जितना हो सके हम दूसरों को उकसाएँ कि वे हमारे साथ मिलकर यहोवा की “अद्भुत निरंतर प्रेम-कृपा” के लिए उसका धन्यवाद करें।—भज. 31:21, NW.