जीएँ मसीहियों की तरह
यहोवा प्यार करता है, इसीलिए हमें सुधारता है
जब हम कोई गलती करते हैं, तो यहोवा हमें सुधारता है। वह कभी-कभी हमारे साथ सख्त कार्रवाई भी करता है। यह हमें शिक्षा देने का एक तरीका है। यहोवा इसलिए ऐसा करता है कि हम उसके बताए तरीके से उपासना करें। (रोम 12:1; इब्र 12:10, 11) अगर हमें सुधारा जाए, तो शायद हमें दुख हो। लेकिन इसे मान लेने से हम यहोवा की नज़र में सही काम कर पाएँगे और आशीषें पाएँगे।—नीत 10:7.
सुधार करनेवाले। प्राचीनों, माता-पिताओं और दूसरों को कोशिश करनी चाहिए कि जब वे किसी का सुधार करते हैं, तो यहोवा की तरह प्यार से करें। (यिर्म 46:28) किसी के साथ कड़ी कार्रवाई करनी पड़े, तो भी प्यार से करनी चाहिए। उतनी ही सख्ती बरतनी चाहिए जितनी कि सही है।—तीत 1:13.
जिसे सुधारा जाए। हमें चाहे किसी भी तरह सुधारा जाए, हमें इनकार नहीं करना चाहिए। तुरंत उसके हिसाब से काम करना चाहिए। (नीत 3:11, 12) गलती हम सबसे होती है, इसलिए किसी-न-किसी तरह हमें सुधारा जाता है। हम बाइबल में जो पढ़ते हैं और सभाओं में जो सुनते हैं, उससे हमें एहसास होता है कि हमें फलाँ मामले में सुधार करना है। ज़रूरत पड़ने पर न्याय-समिति हमारे साथ कुछ कार्रवाई कर सकती है। अपनी गलती मानकर सुधार करने से हम आज एक अच्छी ज़िंदगी जीएँगे और भविष्य में हमेशा की ज़िंदगी पाएँगे।—नीत 10:17.
“यहोवा जिससे प्यार करता है उसे सुधारता भी है” वीडियो देखिए। फिर सवालों के जवाब दीजिए।
कैनन का बचपन कैसा था? बाद में क्या हुआ?
यहोवा ने कैसे प्यार से उसे सुधारा?
उसने जो किया उससे हम क्या-क्या सीखते हैं?