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सभोपदेशक 4:8पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
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8 एक आदमी है जो बिलकुल अकेला है। उसका न तो कोई दोस्त है, न बेटा, न भाई। वह दिन-रात मेहनत करता है। उसके पास खूब दौलत है, फिर भी उसकी आँखें तृप्त नहीं होतीं।+ मगर क्या वह अपने आपसे पूछता है, ‘आखिर मैं किसके लिए इतनी मेहनत कर रहा हूँ? किसके लिए खुद को अच्छी-अच्छी चीज़ों से दूर रख रहा हूँ?’+ यह भी व्यर्थ है और बड़ा दुख देनेवाला काम है।+
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