-
लूका अध्ययन नोट—अध्याय 4पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
-
-
अपने दस्तूर के मुताबिक वह सब्त के दिन: इस बात का कोई सबूत नहीं कि यहूदी, बैबिलोन की बँधुआई में जाने से पहले सब्त मनाने के लिए सभा-घरों में इकट्ठा होते थे। लेकिन मुमकिन है कि एज्रा और नहेमायाह के दिनों से यह दस्तूर शुरू हुआ था। यह दस्तूर उपासना के मामले में फायदेमंद था, इसलिए यीशु भी इसे मानता था। यीशु जब छोटा था तब उसका परिवार नासरत के सभा-घर में जाया करता था। इसी तरह बाद में जब मसीही मंडली की शुरूआत हुई तो मसीही, उपासना के लिए इकट्ठा होते थे।
पढ़ने के लिए खड़ा हुआ: विद्वानों ने गौर किया है कि सभा-घर में धार्मिक सभाएँ कैसे होती थीं, उसके बारे में सबसे पहली जानकारी इस आयत में दी गयी है। यहूदियों की मान्यता है कि आम तौर पर धार्मिक सभा की शुरूआत निजी प्रार्थनाओं से होती थी। जैसे-जैसे लोग आते थे वे मन-ही-मन प्रार्थना करते थे। फिर व्य 6:4-9 और 11:13-21 के शब्द मुँह-ज़ुबानी दोहराए जाते थे। उसके बाद सबकी तरफ से प्रार्थना की जाती थी और फिर पंचग्रंथ से वह हिस्सा पढ़ा जाता था जो उस दिन के लिए तय होता था। प्रेष 15:21 में लिखा है कि पहली सदी में इस तरह की पढ़ाई “हर सब्त के दिन” होती थी। पंचग्रंथ की पढ़ाई के बाद, भविष्यवाणियों की किताबों से कोई भाग पढ़ा जाता था और उससे कोई सीख दी जाती थी। ऐसा लगता है कि इस आयत में धार्मिक सभा के इसी पहलू की बात की गयी है। आम तौर पर यह पढ़ाई खड़े होकर की जाती थी और पढ़नेवाले को शायद यह छूट थी कि वह भविष्यवाणियों की किताबों से कोई भी हिस्सा पढ़ सकता है।
-