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लूका 9:3नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
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3 और उनसे कहा: “सफर के लिए कुछ न लेना, न लाठी, न खाने की पोटली, न रोटी, न चाँदी के पैसे, न ही दो कुरते लेना।
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लूका अध्ययन नोट—अध्याय 9पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
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सफर के लिए कुछ मत लेना: जब यीशु अपने प्रेषितों को “परमेश्वर के राज” का प्रचार करने के लिए भेजनेवाला था (लूक 9:2), तो उसने उन्हें हिदायतें दीं कि उन्हें यह खास काम कैसे करना है। ये हिदायतें खुशखबरी की तीनों समदर्शी किताबों में दर्ज़ हैं। (मत 10:8-10; मर 6:8, 9, फु.; लूक 9:3) हालाँकि इन हिदायतों के शब्दों में थोड़ा-बहुत फर्क है, मगर मतलब एक ही है। वह यह कि प्रेषितों को ज़्यादा चीज़ें नहीं ले जानी थीं, नहीं तो उनका ध्यान भटक सकता था। उन्हें भरोसा रखना था कि यहोवा उनकी ज़रूरतें पूरी करेगा। तीनों किताबों में बताया गया है कि प्रेषितों को ‘दो जोड़ी कपड़े नहीं लेने [या ‘पहनने’] थे’ यानी उन्होंने जो कपड़े पहन रखे थे, उसके अलावा एक और जोड़ी कपड़े नहीं ले जाने थे। ऐसा मालूम होता है कि सफर में लाठी ले जाना इब्री लोगों का दस्तूर था (उत 32:10) और मर 6:8 बताता है, “वे सफर के लिए एक लाठी को छोड़ और कुछ न लें।” इसलिए लूक 9:3 में दी हिदायत (“सफर के लिए कुछ मत लेना, न लाठी . . . लेना”) का यह मतलब नहीं कि उन्हें बिना लाठी के जाना था बल्कि इसका मतलब था कि उनके पास जो लाठी थी, बस वही ले जानी थी। उन्हें सफर में दूसरी लाठी नहीं ले जानी थी या दूसरी लाठी कहीं और से नहीं लानी थी। यीशु अपने चेलों से कह रहा था कि वे सफर में ज़्यादा सामान न ले जाएँ, क्योंकि उनकी जो भी ज़रूरतें होंगी, यहोवा उन्हें पूरी करेगा।—लूक 10:4 का अध्ययन नोट देखें, जहाँ यीशु एक दूसरे मौके पर इन्हीं से मिलती-जुलती हिदायतें देकर अपने 70 चेलों को प्रचार के लिए भेजता है।
पैसे: शा., “चाँदी” जिसे पैसे की तरह इस्तेमाल किया जाता था।
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