फुटनोट
a हालाँकि हमें यह वास्तविकता स्वीकार करने से नहीं लजाना चाहिए कि हम गवाह हैं, ऐसे समय भी हैं जब हमें “साँपों की नाईं बुद्धिमान” होना चाहिए। (मत्ती १०:१६) नाट्ज़ी जर्मनी में गवाह जानते थे कि एक ऐसा समय था जब उन्हें अपनी पहचान देनी चाहिए थी और एक ऐसा समय जब उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए।—प्रेरितों के काम ९:२३-२५ से तुलना करें।