एक पत्नी के रूप में प्रेम और आदर दिखाना
“पत्नी भी पति के लिए गहरा आदर रखें।”—इफिसियों ५:३३, न्यू.व.
१. विवाह की आजकल की दशा के संबंध में कौनसे सवाल उत्पन्न होते हैं?
स्वतंत्रता और “विमुक्ति” के इस आधुनिक युग में, विवाह के पारंपारिक दृष्टिकोण ने सख़्त मार खाया है। लाखों परिवारों को पिता या माता के बिना ही रहना पड़ता है। वैध विवाह की प्रसुविधा के बिना एकत्र रहना अनेकों का दस्तूर बना है। पर क्या इस से औरत और माता को ज़्यादा सुरक्षा मिली है? क्या इस से बच्चों को स्थिरता मिली है? और क्या मान्यताओं के इस विकार से पारिवारिक व्यवस्था में ज़्यादा आदर उत्पन्न हुआ है? इसकी तुलना में, परमेश्वर का वचन कैसी सलाह देता है?
२. आदम का अकेला रहना उसके लिए क्यों अच्छा न था?
२ जब परमेश्वर ने पहली स्त्री की सृष्टि करने का इरादा व्यक्त किया, तब उसने कहा: “मनुष्य का अकेला रहना अच्छा नहीं।” और जानवर परिवारों—अपने छोटे बच्चों सहित नर और मादा—को ध्यान से देखने के बाद, आदम की भावना उस कथन से सुमेलित हुई होगी। हालाँकि वह पूर्ण था और एक संतोषप्रद परादीस में था, आदम को अपनी क़िस्म के किसी व्यक्ति के साथ सहचारिता की कमी थी। वह बुद्धि और वाक्शक्ति से प्रतिभासंपन्न किया गया था, लेकिन उसकी क़िस्म की कोई और प्राणी न थी जो उसके साथ उसकी उन प्रतिभाओं में भागी हो सकती थी। फिर भी, परिस्थिति जल्द ही बदलनेवाली थी, इसलिए कि परमेश्वर ने कहा: “मैं उसके लिए एक ऐसा सहायक बनाऊँगा जो उस से मेल खाए।”—उत्पत्ति २:१८-२०, न्यू.व.
३. (अ) हव्वा आदम के ही “प्रकार” की कैसे थी? (ब) पति का अपनी पत्नी से “मिला रहने” का क्या मतलब है?
३ यहोवा ने आदम की एक पसली एक आधार के रूप में इस्तेमाल करके, उस स्त्री हव्वा की सृष्टि की। अतः, हव्वा आदम के ही “प्रकार” की थी। वह निम्न प्राणी न थी बल्कि “[उसकी] हड्डियों में की हड्डी और [उसके] मांस में का मांस” थी। तदनुसार, प्रेरित विवरण बताता है: “इस कारण पुरुष अपने माता पिता को छोड़कर अपनी पत्नी से मिला रहेगा और वे एक ही तन बने रहेंगे।” (उत्पत्ति २:२३, २४) जिस इब्रानी शब्द का अनुवाद “मिला रहेगा” किया गया है, उसका मतलब अक्षरशः है “लगा रहना, चिपकना, खास तौर की मज़बूती के साथ, मानो गोंद से।” (जेसेनियस का हीब्रू ॲन्ड कॅल्डी लेक्सिकन् टू दी ओल्ड टेस्टामेन्ट स्क्रिप्चर्स) इस से पति-पत्नी का अवियोज्य साथी होने का विचार सूचित होता है। एक और विद्वान कहता है कि “यह मनुष्य और उसकी पत्नी के लैंगिक संयोजन से कुछ अधिक का ज़िक्र करके पूरे संबंध को समाविष्ट करता है।” इस प्रकार, विवाह कोई क्षणिक तरंग नहीं। यह एक स्थायी संबंध है। और जहाँ परस्पर आदर और मान-मर्यादा होती है, वहाँ उस एकता को, हालाँकि कभी-कभी शायद वह तनावपूर्ण हो, अटूट होना चाहिए।—मत्ती १९:३-९.
४. स्त्री किस भावार्थ से पुरुष की सहायक और मेल खानेवाली थी?
४ परमेश्वर ने कहा कि वह स्त्री पुरुष की सहायक और मेल खानेवाली होती। चूँकि वे परमेश्वर के स्वरूप में बनाए गए थे, वह उनसे अपेक्षा रखता कि वे एक दूसरे के साथ अपने रिश्ते में उसके गुण प्रकट करें—न्याय, प्रेम, बुद्धि और शक्ति। अतः, हव्वा “मले खानेवाली” होती, एक प्रतिस्पर्धी नहीं। परिवार एक ऐसा जहाज़ न होता जिसके दो प्रतिस्पर्धी कपतान हो, बल्कि आदम प्रधानता रखता। —१ कुरिन्थियों ११:३; इफिसियों ५:२२-२४; १ तीमुथियुस २:१२, १३.
५. अनेक पुरुषों ने स्त्रियों से कैसा व्यवहार किया है, और क्या इस पर परमेश्वर का अनुमोदन है?
५ परन्तु, परमेश्वर की प्रेममय प्रधानता के ख़िलाफ़ पहले मानवी जोड़े के विद्रोह और पाप से उनके परिवार और सारे भावी परिवारों की रचना होने के लिए एक अलग वातावरण उत्पन्न हुआ। उनके पाप के नतीजों और मनुष्यजाति पर इसके असर के पूर्वज्ञान के साथ, यहोवा ने हव्वा से कहा: “तेरी लालसा तेरे पति की ओर होगी, और वह तुझ पर प्रभुता करेगा।” (उत्पत्ति ३:१६) खेदजनक रूप से, सारी सदियों के दौरान कई पुरुषों ने स्त्रियों पर अत्याचारी ढंग से प्रभुता की है। स्त्रियाँ हर कहीं अनेक तरीक़ों से मानमर्दित और अपमानित की जा चुकी हैं और अब भी हो रही हैं। फिर भी, जैसे कि हम ने फरवरी के अंक के लेख में देखा, बाइबल सिद्धान्तों के अनुप्रयोग से पुरुष-तानाशाही को कोई आधार नहीं मिलता। दूसरी तरफ़, यह निश्चय ही गहरे आदर के मूल्य पर ज़ोर देता है।
गहरा आदर—एक चुनौती
६, ७. (अ) अविश्वासी पतियों को सच्चाई की ओर कैसे जीत लिया जा सकता है? (ब) अपने अविश्वासी पति के लिए “गहरा आदर” दिखाने में एक पत्नी किस तरह संभवतः विफल होती होगी?
६ प्रेरित पतरस ने यीशु के आचरण के संबंध में दिया आदर्श पर ब्योरा दिया और समझाया कि यीशु ने ‘अपने पदचिह्न पर चलने के लिए’ हमारे लिए ‘एक आदर्श’ छोड़ा। फिर पतरस ने कहा: “हे पत्नियों, तुम भी अपने पति के आधीन रहो। इसलिए कि यदि इन में से कोई ऐसे हों जो वचन को न मानते हों, तौभी तुम्हारे आदर सहित पवित्र चालचलन को देखकर बिना वचन के अपनी अपनी पत्नी के चालचलन के द्वारा खिंच जाए।” (१ पतरस २:२१–३:२, न्यू.व.) मसीही पत्नियाँ यह “गहरा आदर” किस तरह प्रकट कर सकती हैं?
७ हमारी अनेक मसीही बहनों के पति अविश्वासी और कभी कभी विरोध करनेवाले होते हैं। क्या ऐसी परिस्थितियों का मतलब है कि अब पतरस की सलाह अकृत और शून्य है? नहीं, अधीनता और आदर तब भी आवश्यक हैं यदि “इन में से कोई ऐसे हों जो वचन को न मानते हों।” इसलिए, क्या यह गहरे आदर का चिह्न होगा अगर कोई मसीही पत्नी, जिसका पति विरोधी हो, किंग्डम हॉल आकर उसके विषय गप करे और जो सारा दुर्व्यवहार उसने उस से पाया है, उसके विषय मण्डली के बहनों को बताए? अगर उसने ऐसा मण्डली के किसी भाई या बहन के बारे में कहा होता, तो इसे क्या कहा जाता? गप, या मिथ्यापवाद भी। इसलिए, यह गहरे आदर का चिह्न नहीं अगर कोई पत्नी अपने अविश्वासी पति की बुराई करे। (१ तीमुथियुस ३:११; ५:१३) फिर भी, यह मानना ही पड़ता है कि कुछेक विरोध की गयी बहनों की एक गंभीर समस्या है। मसीही समाधान क्या है? वे प्राचीनों के पास जाकर उनकी मदद और सलाह माँग सकते हैं।—इब्रानियों १३:१७.
८. विरोध करनेवाले पति की विचारधारा शायद कैसी होगी?
८ प्राचीन किसी विरोधी पति से व्यवहार-कौशल से कैसे निपट सकते हैं? सबसे पहले, वे स्थिति को उसके दृष्टिकोण से देखने की कोशिश कर सकते हैं। उसकी ज़बानी या शारीरिक हिंसा शायद अज्ञान से भय तक और फिर एक हिंसात्मक प्रतिक्रिया तक ले जानेवाला तेहरी-कड़ी वाला सिलसिला होगा। और ऐसा क्यों होता है? कभी कभी पति यहोवा के गवाहों के विषय में बहुत कम या बिलकुल नहीं जानता, सिवाय उन बातों के, जो पूर्वाग्रही सह-कर्मचारियों से सुनता है। वह जानता ज़रूर है कि बाइबल अध्ययन शुरू करने से पहले उसकी पत्नी शायद उस में और उनके बच्चों में पूर्ण रूप से तल्लीन थी। हालाँकि वह अब शायद बेहतर पत्नी और माता होगी, फिर भी उसकी मनोवृत्ति यों है: ‘उन मीटिंगों में जाने के लिए वह मुझे हफ़्ते में तीन बार छोड़ती है। उन मीटिंगों में क्या होता है, यह मैं नहीं जानता, लेकिन उस हॉल में कुछ खुबसूरत मर्द ज़रूर हैं, और . . . ’ जी हाँ, उसका अज्ञान शायद जलन और भय का कारण बनेगा। इसके बाद, प्रतिरक्षात्मक प्रतिक्रिया आती है। जहाँ ऐसी मनोवृत्तियाँ देखी जाती हैं, प्राचीन शायद किस तरह मदद कर सकेंगे?—नीतिवचन १४:३०; २७:४.
९. कुछेक अविश्वासी पतियों से कौनसा व्यवहार-कुशल प्रस्ताव किया जा सकता है, और इस से कैसा असर हो सकता है?
९ शायद कोई प्राचीन पति से व्यक्तिगत स्तर पर जान-पहचान कर सकता है। (१ कुरिन्थियों ९:१९-२३) पति बिजली-मिस्त्री, बढ़ई, या रंग-साज़ के रूप में शायद निपुण हो। किंग्डम हॉल में इस ओर कोई समस्या सुलझाने में मदद करने के लिए शायद वह अपना हुनर इस्तेमाल करने के लिए तैयार हो। उस तरह किसी मीटिंग में उपस्थित होने की बाध्यता महसूस किए बग़ैर, उसे किंग्डम हॉल का भीतरी हिस्सा देखने को मिलेगा। जैसे जैसे वह भाईयों से जान-पहचान कर लेगा, अपनी पत्नी और सच्चाई के प्रति उसकी मनोवृत्ति शायद नरम हो जाएगी। मण्डली में प्रेम और सहयोगिता का मनोभाव देखने पर, वह शायद अपनी पत्नी को मीटिंगों में भी ले आएगा। फिर, जैसे यह सिलसिला चलता रहेगा, वह शायद मीटिंग के दौरान कुछ समय तक सुनने के लिए हॉल के भीतर आ जाएगा। कुछ देर बाद, वह शायद बाइबल अध्ययन की माँग कर सकेगा। ये सारी बातें प्राप्त की जा सकती हैं, और कभी कभी ये प्राप्त हुई भी हैं। ऐसे प्रेम और व्यवहार-कौशल तथा पत्नी के “गहरे आदर” की बदौलत, आज हज़ारों विश्वास करनेवाले पति हैं।—इफिसियों ५:३३.
अपने घराने को ध्यान से देखती है
१०, ११. राजा लमूएल कुशल पत्नी के कौन-कौनसे अलग पहलुओं का वर्णन करता है? (एक-एक करके विचार करें।)
१० राजा लमूएल ने अपनी माता से आदर्श पत्नी के गुणों के बारे में अच्छी सलाह पायी। (नीतिवचन ३१:१) नीतिवचन ३१:१०-३१ में परिश्रमी पत्नी और माता के बारे में उसका वर्णन ध्यानपूर्वक पढ़ने के भली-भाँति योग्य है। ज़ाहिर रूप से उसे परमेश्वर के धार्मिक सिद्धान्तों पर अमल करने और गहरा आदर दिखाने में अनुभव था।
११ लमूएल लिखता है कि “सक्षम पत्नी” भरोसे की, विश्वसनीय और वफ़ादार है। (आयत १०-१२) वह अपने पति और बच्चों को खिलाने और उनकी देख-भाल करने के लिए परिश्रम करती है। (आयत १३-१९, २१, २४) जिन की असली ज़रूरत है, उनके प्रति वह कृपालु और दानशील है। (आयत २०) अपने आदर और बढ़िया आचरण से वह अपने पति की नेकनामी बढ़ाती है। (आयत २३) वह एक बेकार गप्पी नहीं, और न एक खण्डनात्मक मीन-मेखी। उलटा, अपने वचनों से वह दूसरों को उन्नत और स्वस्थ कर देती है। (आयत २६) चूँकि वह आलसी नहीं, उसका घर साफ़ और सुव्यवस्थित है। (आयत २७) (दरअसल, मसीही घर को पड़ोस के सबसे साफ़ घरों में से एक होना चाहिए।) उसका पति और बच्चें एहसानमन्दी दिखाते हैं और उसकी प्रशंसा करते हैं। परिवारवालों के अतिरिक्त लोग भी उसके गुणों की क़दर करते हैं। (आयत २८, २९, ३१) उसकी खुबसूरती सिर्फ़ ऊपरी नहीं; यह ईश्वरीय व्यक्तित्व सहित एक धार्मिक स्त्री की खुबसूरती है।—आयत ३०.
नम्रता और मन की दीनता
१२. कौनसी बात “परमेश्वर की दृष्टि में बड़ा मूल्य” रखती है, और एक स्पैनी कहावत इस मुद्दे को किस तरह विशिष्ट करती है?
१२ यह आख़री बात पतरस द्वारा दुहरायी जाती है जब वह मसीही स्त्री को अपने बाहरी रूप की ओर अत्यधिक ध्यान न देने का उपदेश देता है। वह अनुरोध करता है: “[तुम्हारा सिंगार] छिपा हुआ और गुप्त मनुष्यत्व, नम्रता और मन की दीनता की अविनाशी सजावट से सुसज्जित रहे, क्योंकि परमेश्वर की दृष्टि में इसका मूल्य बड़ा है।” (१ पतरस ३:३, ४) इस बात पर ग़ौर करें कि ‘नम्रता और मन की दीनता परमेश्वर की दृष्टि में बड़ा मूल्य रखता है।’ इसलिए, जिस मसीही पत्नी और माता को ऐसा मनोभाव हो, वह न सिर्फ़ अपने पति को प्रसन्न करती है बल्कि, उस से ज़्यादा महत्त्वपूर्ण, वह परमेश्वर को प्रसन्न करती है, जैसे पुरातन काल की विश्वसनीय स्त्रियों ने किया। यह आन्तरिक खुबसूरती एक स्पैनी कहावत में भी प्रतिबिंबित है: “खुबसूरत स्त्री नज़रों को भाती है; भली स्त्री मन को भाती है। यदि पूर्वोक्त रत्न है, तो अवरोक्त खज़ाना है।”
१३. पत्नी का अपने बच्चों पर कैसा स्फूर्तिदायक असर हो सकता है?
१३ मसीही पत्नी अपनी गृहस्थी के सभी सदस्यों के लिए ताज़गी का कारण बन सकती है। (मत्ती ११:२८-३० से तुलना करें।) जब बच्चें उसका अपने पति के लिए आदर देखेंगे, तब वे भी अपने माता-पिता के साथ और परिवार के बाहर के लोगों के साथ अपने लेन-देन में वही आदर प्रतिबिंबित करेंगे। इसके परिणामस्वरूप, मसीही बच्चें कृपालु और दूसरों का लिहाज़ रखनेवाले होंगे। और यह कितना नवीन है जब बच्चें स्वेच्छा से काम-काज करने आते हैं, बजाय इसके कि उन्हें वह कर लेने के लिए उकसाया जाए! उनकी निस्स्वार्थता घर की खुशी में सहायक होती है, और माता की पसंदगी की मुस्कराहट पर्याप्त पुरस्कार होता है।
१४. अनुशासन की आवश्यकता से कौनसी चुनौती उत्पन्न हो सकती है?
१४ लेकिन ऐसे समय का क्या जब अनुशासन की ज़रूरत हो? अपने माता-पिता के जैसे, बच्चें भी ग़लतियाँ करते हैं। कभी-कभी वे अनाज्ञाकारी होते हैं। अगर पिता ग़ैरहाज़िर हो, तो मसीही माता को किस तरह प्रतिक्रिया दिखानी चाहिए? क्या वह अपने बच्चों की प्रतिष्ठा बनाए रखेगी? या क्या वह उनकी आज्ञाकारिता हासिल करने की कोशिश में चिल्लाएगी और बकेगी? ख़ैर, क्या बच्चा आवाज़ की प्रबलता से सीखता है? या क्या एक शान्त, विवेकी आवाज़ का ज़्यादा असर होगा?—इफिसियों ४:३१, ३२.
१५. अनुसंधायकों ने बच्चों की आज्ञाकारिता के बारे में क्या पता लगाया है?
१५ बच्चों की आज्ञाकारिता पर टीका करते हुए, साइकॉलॉजी टुडे पत्रिका बताती है: “हाल के एक परिशीलन के अनुसार, आप जितने ज़्यादा ज़ोर से बच्चों को कुछ काम न करने के लिए कहेंगे, यह उतना ही ज़्यादा संभव है कि वे मुड़कर वही करेंगे जो आप नहीं चाहते कि वे करें।” दूसरी ओर, अनुसंधायकों ने पता लगाया है कि जब प्रौढ़ धीमा बोलते हैं, तब बच्चे बिना ज़्यादा हिचक के, आज्ञा मानने की ओर प्रवृत्त होते हैं। अवश्य, यह खास तौर से महत्त्वपूर्ण है कि बच्चे को अन्तहीन हठधर्मी आदेशों से चिढ़ाने के बजाय, उसे समझाया जाए।—इफिसियों ६:४; १ पतरस ४:८.
शारीरिक रिश्ते में आदर
१६. पत्नी किस तरह अपने पति की जज़्बाती ज़रूरतों का लिहाज़ कर सकती है, और इस से क्या फ़ायदा हो सकता है?
१६ जिस तरह पति को अपने पत्नी का लिहाज़ इसलिए करना चाहिए कि उसकी शरीरगठन ज़्यादा नाज़ुक है, उसी तरह पत्नी को अपने पति की जज़्बाती और यौन-संबंधी ज़रूरतों को समझना चाहिए। बाइबल सूचित करती है कि पुरुष और उसकी पत्नी को एक दूसरे में खुशी लेकर, एक दूसरे को संतुष्ट करना चाहिए। इस से एक दूसरे की ज़रूरतों और मिज़ाजों की ओर संवेदनशील होना आवश्यक होता है। इस परस्पर संतोष से यह निश्चित करने की मदद भी होगी कि दोनों साथियों की नज़र भटकनेवाली न हो, जिस से शरीर भी न भटके।—नीतिवचन ५:१५-२०.
१७. विवाह का हक्क अदा करने के विषय में पति-पत्नी को कैसा विचार करना चाहिए?
१७ यक़ीनन, जिस रिश्ते में परस्पर आदर हो, वहाँ दोनों साथी लैंगिक ज़रूरतों को एक मानसिक हथियार के तौर से इस्तेमाल नहीं करेंगे। प्रत्येक को दूसरे का हक्क पूरा करना चाहिए, और अगर अस्थायी रूप से परहेज़ हो, तो यह परस्पर सहमति से होना चाहिए। (१ कुरिन्थियों ७:१-५) उदाहरणार्थ, कभी-कभी पति शायद वॉचटावर संस्थे के स्थानीय शाख़ा कार्यालय में अस्थायी निर्माण कार्य या कोई और ईश-तंत्रीय प्रयोजना के लिए बाहर गया हो। उस स्थिति में उसे निश्चित कर लेना चाहिए कि उसे अपनी पत्नी की हार्दिक सम्मति है। ऐसे अलगाव से परिवार को आत्मिक आशीषें भी मिल सकती हैं, अर्थात्, घर आने के बाद पति द्वारा बतलाए गए प्रोत्साहक अनुभवों के रूप में आशीषें।
बहनों की महत्त्वपूर्ण भूमिका
१८. एक प्राचीन की पत्नी पर महत्तर ज़िम्मेदारी क्यों होती है?
१८ जिस स्थिति में मसीही स्त्री का पति एक प्राचीन हो, उस पर महत्तर ज़िम्मेदारी होती है। पहले तो, उसके पति पर के माँग बृहत्तर हैं। मण्डली की आत्मिक अवस्था के लिए वह यहोवा की ओर जवाबदेह है। (इब्रानियों १३:१७) लेकिन एक प्राचीन की पत्नी और शायद खुद जेठा स्त्री होने के नाते, उसका आदरपूर्ण आदर्श भी अत्यावश्यक है। (१ तीमुथियुस ५:९, १०; तीतुस २:३-५ से तुलना करें।) और अधिकांश प्राचीनों की अपनी अपनी पत्नी, अपने पति का समर्थन करने में क्या ही बढ़िया आदर्श पेश करती हैं! अक़्सर, पति को मण्डली के मामलों की देख-रेख करने के सिलसिले से बाहर रहना पड़ता है, और शायद उसकी कुतूहल जगायी जाती है। परन्तु, वफ़ादारी दिखाकर, धार्मिक पत्नी एक दख़लन्दाज़ की तरह मण्डली के मामलों में ताक-झाँक नहीं करती।—१ पतरस ४:१५.
१९. किसी प्राचीन के लिए ‘गृहस्थी उत्तम रीति से चलाने’ में शायद क्या शामिल होगा?
१९ फिर भी, अगर प्राचीन की पत्नी ऐसी मनोवृत्ति प्रदर्शित करे जो उन्नति के लिए न हों, या अगर वह दूसरे बहनों के लिए अच्छा आदर्श प्रस्तुत न करे, तो शायद उसे अपनी पत्नी को समझाना पड़ेगा। ‘अपनी गृहस्थी को उत्तम रीति से चलाने’ में न सिर्फ़ बच्चें सम्मिलित हैं, बल्कि पत्नी भी सम्मिलित है। इस धर्मशास्त्रीय मानक पर अमल करना शायद कुछेक पत्नियों की विनम्रता परीक्षित करे।—१ तीमुथियुस ३:४, ५, ११; इब्रानियों १२:११.
२०. पुरातन और आधुनिक समय में शादी-शुदा और कुँवारी बहनों के कुछेक उत्तम मिसालों का ज़िक्र करें। (वॉच टावर पब्लिकेशन्स इंडेक्स १९३०-१९८५ में “लाईफ़ स्टोरीज़ ऑफ जेहोवाज़ विट्नेसिस” [यहोवा के गवाहों की जीवन कथाएँ] देखें।)
२० अविवाहित बहनें भी मण्डली में पत्नियों की आदरपूर्ण भूमिका पर विचार कर सकते हैं। धर्मशास्त्र और आज की मण्डली, दोनों में उत्तम, विश्वसनीय बहनों के इतने सारे अच्छे आदर्श मौजूद हैं! “भले भले कामों” के लिए दोरकास की सराहना की गयी, जो कि संभवतः एक कुँवारी बहन थी। (प्रेरितों के काम ९:३६-४२) प्रिसका और फीबे भी सच्चाई के लिए उत्साही थीं। (रोमियों १६:१-४) उसी तरह, आज, हमारी अनेक बहनें, शादी-शुदा या कुँवारी, उत्कृष्ट मिशनरी, पायनियर, और प्रचारक हैं। उसी समय, ऐसी धार्मिक स्त्रियाँ साफ़, सुव्यवस्थित गृहस्थी सँभालती हैं और अपने परिवारों की कभी उपेक्षा नहीं करतीं। उनकी तादाद और परिस्थितियों की वजह से, वे अक़्सर प्रचार कार्य का बृहत्तर हिस्सा पूरा करती हैं।—भजन ६८:११.
२१. विश्वसनीय बहनें अपने मसीही भाईयों के लिए एक प्रोत्साहन किस तरह होती हैं?
२१ मण्डली के विश्वसनीय बहनें एक अत्यावश्यक उन्नायक भूमिका अदा करती हैं। उनका उत्साह और आदर्श भाईयों और आम मसीही मण्डली के लिए एक प्रोत्साहन है। वे सचमुच मेल खानेवाली और सहायक हैं। (उत्पत्ति २:१८ से तुलना करें।) वे कितने असली प्रेम और आदर के याग्य हैं! और मसीही पति-पत्नियों के लिए पौलुस की सलाह सचमुच उपयुक्त है: “तुम में से हर एक अपनी पत्नी से अपने समान प्रेम रखे, और पत्नी भी अपने पति के लिए गहरा आदर रखे।”—इफिसियों ५:३३, न्यू.व.
क्या आप याद करते हैं?
◻ पूर्ण पुरुष और स्त्री के लिए परमेश्वर की प्रारंभिक भूमिकाएँ क्या थीं?
◻ अविश्वासी पतियों को सच्चाई की ओर कैसे जीत लिया जा सकता है?
◻ कुशल पत्नी के विशिष्ट गुण क्या हैं?
◻ एक मसीही पत्नी नम्रता और मन की दीनता कैसे प्रकट कर सकती है?
◻ पति-पत्नी के बीच के शारीरिक रिश्ते में कौनसा सन्तुलन आवश्यक है?
[पेज 22 पर तसवीरें]
परिवार को एक ऐसे जहाज़ के जैसे नहीं होना चाहिए जिसके दो प्रतिस्पर्धी कपतान हो
[पेज 24 पर तसवीरें]
एक अविश्वासी पति शायद अपनी पत्नी की मीटिंगों में हाज़िरी या अन्य मसीही क्रिया-कलाप के बारे में ईष्यालु, और कुछ-कुछ भयभीत भी, होगा। उसकी मदद किस तरह की जा सकती है?