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परमेश्वर से प्रेम करने का क्या अर्थ है?प्रहरीदुर्ग—1996 | जून 15
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उन्होंने जाना कि उनके माता-पिता को परिपूर्ण बनाया गया था और कि यहोवा का आरंभिक उद्देश्य था मनुष्य का सर्वदा जीवित रहना। संभवतः आदम और हव्वा ने उनको अदन की सुन्दर बाटिका के बारे में बताया, और किसी प्रकार उन्हें बताना पड़ा होगा कि ऐसे परादीसीय घर से उन्हें क्यों निकाला गया था। कैन और हाबिल शायद उत्पत्ति ३:१५ में दी गई ईश्वरीय भविष्यवाणी के बारे में जानते हों। उस भविष्यवाणी के माध्यम से यहोवा ने उन लोगों के लाभ के लिए जो उससे प्रेम करते और उसके प्रति निष्ठावान् साबित होते हैं, निर्धारित समय पर स्थिति को ठीक करने का अपना उद्देश्य व्यक्त किया।
यहोवा और उसके गुणों के बारे में सीखने से कैन और हाबिल में परमेश्वर का अनुग्रह पाने की इच्छा उत्पन्न हुई होगी। सो वे भेंट प्रस्तुत करने के द्वारा यहोवा के सम्मुख गए। बाइबल वृत्तान्त कहता है: “कुछ दिनों के पश्चात् कैन यहोवा के पास भूमि की उपज में से कुछ भेंट ले आया। और हाबिल भी अपनी भेंड़-बकरियों के कई एक पहिलौठे बच्चे भेंट चढ़ाने ले आया और उनका चर्बी भेंट चढ़ाई।”—उत्पत्ति ४:३, ४.
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परमेश्वर से प्रेम करने का क्या अर्थ है?प्रहरीदुर्ग—1996 | जून 15
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यहोवा ने कैन के बलिदान को क्यों अस्वीकार किया? क्या उसकी भेंट की गुणवत्ता में कोई कमी थी? क्या यहोवा इसलिए अप्रसन्न हुआ क्योंकि कैन ने पशुओं के बलिदान की बजाय “भूमि की उपज” की भेंट चढ़ाई थी? शायद यह कारण नहीं था। बाद में, परमेश्वर ने अपने अनेक उपासकों से अन्न और भूमि की उपज की भेंटों को सहर्ष स्वीकार किया था। (लैव्यव्यवस्था २:१-१६) प्रत्यक्षतः, तब, कैन के हृदय में कोई ख़राबी थी। यहोवा कैन के मन को पढ़ सकता था और उसे चिताया: “तू क्यों क्रोधित हुआ? और तेरे मुंह पर उदासी क्यों छा गई है? यदि तू भला करे, तो क्या तेरी भेंट ग्रहण न की जाएगी? और यदि तू भला न करे, तो पाप द्वार पर छिपा रहता है, और उसकी लालसा तेरी ओर होगी।”—उत्पत्ति ४:६, ७.
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