अध्याय १०
दुष्ट आत्माएँ शक्तिवान हैं
१. क्यों अनेक लोग यह विश्वास करते हैं कि वे मृतकों से बात कर सकते हैं?
प्रायः लोग कहते हैं कि वे मरे हुओं से बात कर चुके हैं। दिवंगत जेम्स ए. पाइक ने जो एक प्रमुख इपिस्कोपेलियन बिशप थे कहा कि उसकी अपने मृत पुत्र जिम से बात हुई है। पाइक के अनुसार उनके पुत्र ने उनको यह बताया: “मेरे चारों ओर बड़ा जनसमूह है और ऐसा मालूम होता है कि वे मुझे अपने हाथों पर उठाए हुए हैं . . . जब तक मैं आपको यह नहीं बता सका था, मैं दुःखी था।”
२. (क) क्यों कोई मृतकों से बात नहीं कर सकता है? (ख) अतः क्या प्रश्न उठते हैं?
२ क्योंकि इस प्रकार के अनुभव इतने सामान्य हैं कि यह बात प्रत्यक्ष है कि अनेक लोग आत्मिक लोक में से किसी न किसी से बात कर चुके हैं। परन्तु उन्होंने मरे हुओं से बात नहीं की। बाइबल इस बारे में अति स्पष्ट है: “परन्तु मरे हुओं को किसी बात का बोध नहीं रहता है।” (सभोपदेशक ९:५) इसलिये यदि वे जो आत्मिक लोक से बात कर रहे हैं मरे हुए व्यक्ति नहीं हैं, तो वे कौन हैं जो बात करते हैं? अतः वे कौन हैं जो मरे हुओं का स्वांग भरते हैं?
३. (क) कौन मृत व्यक्तियों का स्वांग भरते हैं और क्यों? (ख) किन लोगों को दुष्ट आत्माएं अक्सर सूचना देती हैं?
३ वे दुष्ट आत्माएं हैं। ये आत्माएँ अथवा पिशाच स्वर्गदूत हैं, जो शैतान के साथ उस विद्रोह में मिल गये थे जो परमेश्वर के विरुद्ध किया गया था। वे उन व्यक्तियों का स्वांग क्यों भरते हैं जो मर गये हैं? इसलिए कि उसके द्वारा इस विचार को बढ़ावा मिलता है, कि मरे हुए व्यक्ति अभी तक जीवित हैं। इन दुष्ट आत्माओं ने अनेक लोगों में इस झूठ के प्रति यह विश्वास उत्पन्न होने दिया है, कि मृत्यु एक दूसरे जीवन में परिवर्तन मात्र है। इस झूठ को विस्तृत करने के लिये, दुष्ट आत्माएँ आत्मिक माध्यम, भविष्यवक्ताओं और ओझाओं को वह विशेष ज्ञान प्रदान करती हैं, जो केवल उन व्यक्तियों से आता प्रकट होता है, जो मर चुके हैं।
मृत शमूएल का स्वांग भरना
४. (क) क्यों राजा शाऊल हताश था और सहायता चाहता था? (ख) आत्मिक माध्यम और भविष्य बताने वालों के संबंध में परमेश्वर का नियम क्या था?
४ बाइबल में एक दुष्ट आत्मा का उदाहरण है, जिसने परमेश्वर के मृत नबी शमूएल का स्वांग भरा था। राजा शाऊल के राज्य के ४०वें वर्ष में यह घटना हुई थी। फिलीस्तीनों की एक शक्तिवान सेना शाऊल की इस्राएली सेना के विरुद्ध चढ़ आयी थी, और वह इससे भयभीत था। शाऊल परमेश्वर के इस नियम से परिचित था: “तुम आत्मिक माध्यमों की ओर न फिरना, और व्यावसायिक भविष्यवक्ताओं से परामर्श न लेना, जिससे तुम उनके कारण अशुद्ध न हो जाओ।” (लैव्यव्यवस्था १९:३१) तथापि, कुछ समय बाद शाऊल परमेश्वर से विमुख हो गया। इसलिये शमूएल ने जो उस समय जीवित था, शाऊल से फिर कभी भेंट करने से इन्कार कर दिया। (१ शमूएल १५:३५) और अब, विपत्ति के समय में राजा शाऊल बहुत हताश था, क्योंकि यहोवा सहायता के लिये, उसकी पुकारों को नहीं सुनता था।
५. (क) शाऊल सहायता के लिए कहाँ गया? (ख) आत्मिक माध्यम क्या करने के योग्य हुआ?
५ शाऊल यह मालूम करने के लिये, कि उसके साथ भविष्य में क्या घटित होगा, इतना उत्सुक था कि वह एन-डोर नामक स्थान में एक आत्मिक माध्यम को मिलने गया। वह किसी व्यक्ति का रूप जिसे वह देख सकती थी, प्रत्यक्ष करने के योग्य हुई। जैसा कि उसने उस रूप का वर्णन दिया, उससे शाऊल ने उस रूप को “शमूएल” समझा। फिर उस आत्मिक व्यक्ति ने जो शमूएल का स्वांग भरा हुआ था, बोला: “तूने मुझे ऊपर बुलाकर क्यों परेशान किया है?” शाऊल ने उत्तर दिया: “मैं बड़े संकट में पड़ गया हूँ, क्योंकि फिलीस्तीनी मेरे विरुद्ध लड़ रहे हैं।” तब आत्मिक व्यक्ति ने यह उत्तर दिया: “तू मुझसे क्यों पूछता है, जब यहोवा ने तुझे छोड़ दिया है और तेरा शत्रु बन गया है?” उस दुष्ट आत्मिक व्यक्ति ने जो मृत शमूएल का स्वांग भरा हुआ था, फिर शाऊल को यह बताया कि वह फिलीस्तीनों के साथ युद्ध में जाने से मार दिया जायेगा।—१ शमूएल २८:३-१९.
६. जिसने शाऊल से बात की वह शमूएल क्यों नहीं हो सकता था?
६ स्पष्टतया, वह वास्तव में शमूएल नहीं था जिससे उस आत्मिक माध्यम ने संपर्क किया था। शमूएल मर चुका था, और मृत्यु होने पर एक व्यक्ति “मिट्टी में मिल जाता है और उसी दिन उसकी कल्पनाएं नष्ट हो जाती हैं।” (भजन संहिता १४६:४) इसके अतिरिक्त, इस विषय पर थोड़ा विचार करने से यह प्रदर्शित होता है कि वह वास्तव में मृत शमूएल की आवाज़ नहीं थी। शमूएल परमेश्वर का नबी था। इसलिये वह आत्मिक माध्यमों के विरुद्ध था। और जैसा कि, हम देख चुके हैं, जब वह जीवित था, उसने अवज्ञाकारी शाऊल से फिर कभी बात करने से इन्कार कर दिया था। अतः तब यदि शमूएल जीवित होता तो, क्या वह एक आत्मिक माध्यम को शाऊल से भेंट करने की अनुमति देता? इस पर भी विचार कीजिए: यहोवा ने शाऊल को किसी भी प्रकार की सूचना देने से इन्कार कर दिया था। क्या एक आत्मिक माध्यम यहोवा को मृत शमूएल द्वारा शाऊल के संदेश देने के लिये विवश कर सकता था? यदि जीवित लोग, मरे हुए प्रियजनों से वास्तव में बात कर सकते हैं, तो प्रेम का परमेश्वर निश्चय यह नहीं कहेगा, कि जीवित व्यक्ति एक आत्मिक माध्यम की सहायता लेने के कारण “अशुद्ध” हो गये हैं।
७. दुष्ट आत्माओं के विरुद्ध सुरक्षित रखने के लिए अपने लोगों को परमेश्वर ने क्या चेतावनी दी?
७ वास्तविकता यह है कि दुष्ट आत्माएँ मनुष्यों को हानि पहुंचाने पर तुली हुई हैं, इसलिये यहोवा अपने सेवकों को सुरक्षित रखने के लिये चेतावनी देता रहता है। इस्राएल राष्ट्र को दी गयी इस निम्न चेतावनी को पढ़िये। यह आपको उन विधियों की जानकारी देती है, जिनका प्रयोग पिशाच, लोगों को पथभ्रष्ट करने के लिये करते हैं। बाइबल कहती है: “तुममें कोई व्यक्ति ऐसा न हो . . . जो शकुन बतानेवाला, जादू का प्रयोग करनेवाला या शुभ अशुभ मुहूर्त्तों को देखनेवाला, या टोनहा या तांत्रिक या किसी को मंत्र द्वारा वश में करनेवाला हो, या कोई जो आत्मिक माध्यम से परामर्श लेनेवाला या व्यावसायिक भविष्यवक्ता हो या कोई जो मरे हुओं से पूछताछ करता हो। क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति जो ऐसा काम करता है, यहोवा के सम्मुख घृणित है।” (व्यवस्थाविवरण १८:१०-१२) हमें यह मालूम करने के लिये इच्छुक होना चाहिये कि दुष्ट आत्माएँ आज लोगों को हानि पहुँचाने के लिये क्या कर रही हैं, और हम अपने आपको उनसे कैसे सुरक्षित रख सकते हैं। परन्तु इस विषय में जानकारी प्राप्त करने से पहले, आइये हम इस बात पर विचार करें, कि कब और कैसे इन दुष्ट आत्माओं का प्रारंभ हुआ था।
स्वर्गदूत जो दुष्टात्माएँ बन गये
८. (क) कौन थे वे जिनको भी शैतान ने परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह करने के लिए विवश किया? (ख) स्वर्ग में अपना कार्य छोड़ने के पश्चात् वे कहाँ गये?
८ अदन के उद्यान में, स्वर्ग की एक सृष्टि ने हव्वा से झूठ बोला और इस प्रकार अपने आपको दुष्ट आत्मा, शैतान अर्थात् इबलीस बना दिया। उसके बाद उसने अन्य स्वर्गदूतों को भी परमेश्वर का विरोध करने के लिये अपने साथ शामिल करने की कोशिश की। कुछ समय बाद वह इसमें सफल हो गया। इनमें कुछेक स्वर्गदूतों ने वह काम करना छोड़ दिया, जो परमेश्वर ने उनको स्वर्ग में करने के लिये दिया था, और वे पृथ्वी पर उतर आये और उन्होंने मनुष्यों के समान देह धारण की। मसीही शिष्य यहूदा ने उनके विषय में यह लिखा जब उसने इस बात का वर्णन किया कि “स्वर्गदूतों ने अपने मूल पद को स्थिर न रखा बल्कि अपने निज निवास को छोड़ दिया।” (यहूदा ६) वे पृथ्वी पर क्यों आये? शैतान ने उनके दिलों में क्या अनुचित इच्छा पैदा की जिससे उन्होंने अपने उत्तम पद छोड़ दिये जो वे स्वर्ग में रखते थे?
९. (क) पृथ्वी पर स्वर्गदूत क्यों आये थे? (ख) बाइबल कैसे प्रदर्शित करती है कि उन्होंने जो कुछ भी किया, अनुचित था?
९ बाइबल हमें इस विषय में बताती है जब वह यह कहती है: “सच्चे परमेश्वर के पुत्रों ने मनुष्य की पुत्रियों को देखा और यह कि वे सुन्दर थीं, अतः उन्होंने जिस-जिस को चाहा उनसे विवाह कर लिया।” (उत्पत्ति ६:२) हाँ, इन स्वर्गदूतों ने शारीरिक देह धारण कर ली और वे सुन्दर स्त्रियों से मैथुनिक सम्बन्ध कायम करने के लिये पृथ्वी पर आये। परन्तु स्वर्गदूतों के लिये इस प्रकार के प्रेम सम्बन्ध अनुचित थे। यह अवज्ञाकारिता थी। बाइबल इस बात को सूचित करती है कि उन्होंने जो किया वह उतना ही अनुचित था जितना कि सदोम और अमोरा के लोगों के समलैंगिक कार्य अनुचित थे। (यहूदा ६, ७) इसका परिणाम क्या हुआ?
१०, ११. (क) स्वर्गदूतों से किस प्रकार के बच्चे उत्पन्न हुए? (ख) जब जलप्रलय आया तब इन राक्षसी मनुष्यों का क्या हुआ? (ग) जलप्रलय के समय उन स्वर्गदूतों का क्या हुआ?
१० इन स्वर्गदूतों और उनकी पत्नियों के बच्चे उत्पन्न हुए। परन्तु वे बच्चे भिन्न थे। वे बड़े और बड़े होते चले गये, यहाँ तक कि वे राक्षसी मनुष्य अर्थात् दुष्ट दैत्य बन गये। बाइबल उनके विषय में यह कहती है कि “वे प्राचीन काल के शूरवीर थे अर्थात् कीर्तिवान मनुष्य।” ये राक्षसी मनुष्य हर व्यक्ति को अपने समान दुष्ट बनाने का प्रयत्न करते थे। इसके परिणामस्वरूप, बाइबल के अनुसार, “पृथ्वी पर मनुष्यों की बुराई इतनी बढ़ गई कि उनके मन के विचारों की प्रवृत्ति निरन्तर बुरी ही होती थी।” (उत्पत्ति ६:४, ५) अतः यहोवा जलप्रलय ले आया। ये राक्षसी मनुष्य अथवा “नेफिलिम” और सब दुष्ट लोग उसमें डूबकर मर गये। परन्तु उन स्वर्गदूतों के साथ क्या घटित हुआ जो पृथ्वी पर उतर आये थे?
११ वे डूबकर नहीं मरे। उन्होंने अपनी शारीरिक देह को उतार दिया और आत्मिक व्यक्ति बनकर स्वर्ग को लौट गये। परन्तु फिर उनको परमेश्वर के पवित्र स्वर्गदूतों के संगठन में सम्मिलित होने की आज्ञा नहीं मिली। इसकी अपेक्षा बाइबल यह कहती है: “परमेश्वर ने उन स्वर्गदूतों को दंड दिया जिन्होंने पाप किया था और उनको टारटरस अर्थात् घने अन्धेरे कुंडों में डाल दिया ताकि न्याय के दिन तक बन्दी रहें।”—२ पतरस २:४.
१२. (क) जब ये दुष्ट स्वर्गदूत स्वर्ग को लौटे तो उनके साथ क्या हुआ? (ख) वे क्यों मानव देह पुनः धारण नहीं कर सकते हैं? (ग) अतः अब वे क्या कर रहे हैं?
१२ ये दुष्ट स्वर्गदूत टारटरस नामक एक वास्तविक स्थान में नहीं फेंके गये थे। इसकी अपेक्षा टारटरस जिसका गलत अनुवाद कुछ बाइबल में “नरक” हुआ है, इन स्वर्गदूतों की पदावनति अथवा परमेश्वर के अनुग्रह से वंचित होने की स्थिति की ओर इशारा करता है। वे परमेश्वर के संगठन के आध्यात्मिक प्रकाश से वंचित हो गये और अब केवल अनन्त विनाश उनकी प्रतीक्षा कर रहा है। (याकूब २:१९; यहूदा ६) जलप्रलय के समय से, परमेश्वर ने उन पिशाच दूतों को शारीरिक देह धारण करने की अनुज्ञा नहीं दी है, अतः वे प्रत्यक्ष रूप से अपनी अप्राकृतिक यौन इच्छाओं को पूरा नहीं कर सकते हैं। फिर भी वे अभी तक पुरुषों और स्त्रियों के ऊपर अपनी भयंकर शक्ति का प्रयोग कर सकते हैं। वास्तविकता यह है, कि शैतान इन पिशाचों की सहायता से “सम्पूर्ण बसी हुई पृथ्वी को गुमराह कर रहा है।” (प्रकाशितवाक्य १२:९) आज यौन अपराध, हिंसा और अनुचित कार्य में अत्यधिक वृद्धि यह प्रदर्शित करती है कि हमें इनके द्वारा गुमराह होने से सुरक्षित रहने की आवश्यकता है।
दुष्ट आत्माएँ कैसे गुमराह करते हैं
१३. (क) दुष्ट आत्माएं लोगों को कैसे गुमराह करती हैं? (ख) आत्मविद्या क्या है और बाइबल इसके विषय में क्या कहती है?
१३ हम पहले मालूम कर चुके हैं कि “शैतान जो इस रीति-व्यवहार का ईश्वर है,” बाइबल की सच्चाइयों के प्रति लोगों को अन्धा करने के लिये सांसारिक हुकूमतों और झूठे धर्म का प्रयोग करता है। (२ कुरिन्थियों ४:४) एक दूसरा महत्वपूर्ण तरीका जिसके द्वारा दुष्ट आत्माएँ पुरुषों और स्त्रियों को गुमराह करती हैं वह आत्मविद्या है। आत्मविद्या क्या है? प्रत्यक्षतः अथवा मानव माध्यम द्वारा दुष्ट आत्माओं के संपर्क में आने को आत्मविद्या कहते हैं। आत्मविद्या द्वारा एक व्यक्ति पिशाचों के अधीन हो जाता है। बाइबल हमें आत्मविद्या से संबंधित प्रत्येक कार्य से दूर रहने की चेतावनी देती है।—गलतियों ५:१९-२१; प्रकाशितवाक्य २१:८.
१४. (क) शकुन विद्या क्या है? (ख) बाइबल उसके विषय में क्या कहती है?
१४ शकुनविद्या आत्मविद्या का एक बहुत ही सामान्य रूप है। यह अदृश्य आत्माओं की सहायता से भविष्य के विषय में, अथवा किसी अज्ञात बात के विषय में, जानकारी प्राप्त करने की प्रक्रिया है। यह वास्तविकता इससे प्रदर्शित होती है जो मसीही शिष्य लूका ने लिखा था: “हमें एक दासी मिली जिसमें भविष्य बतानेवाली पिशाच आत्मा थी और वह भविष्य बताने की कला का अभ्यास करके अपने स्वामियों के लिये बहुत धन कमाती थी।” प्रेरित पौलुस उस लड़की को इस दुष्ट आत्मा से जिसके वह अधीन थी, मुक्त करने में सफल हुआ और फिर वह कभी भविष्य बताने के कार्य का प्रयोग नहीं कर सकी।—प्रेरितों के काम १६:१६-१९.
१५. (क) वे कुछेक कार्य क्या हैं जो आत्मविद्या से संबंधित हैं? (ख) क्यों इस प्रकार के कार्यों में भाग लेना खतरनाक है?
१५ अनेक व्यक्ति आत्मविद्या में रुचि रखते हैं क्योंकि वह एक रहस्यमय और विचित्र कार्य है। वह उनको सम्मोहित कर लेता है। वे जादू टोना, तंत्र-मंत्र, सम्मोहन, जादू-ज्योतिष, प्रश्न फल की तख्तियाँ अथवा किसी अन्य में जो कि आत्मविद्या से संबंधित हैं, अंतर्ग्रस्त हो जाते हैं। वे इस विषय पर पुस्तकें पढ़ते हैं, या फिल्में देखते हैं, या उनसे संबंधित टेलीविज़न कार्यक्रम देखते हैं। वे उन सभाओं में भी जाते हैं जहाँ एक माध्यम आत्माओं से संपर्क करने का प्रयत्न करता है। परन्तु यह सब कुछ करना उस व्यक्ति के लिये जो सच्चे परमेश्वर की सेवा करना चाहता है, बुद्धिमता नहीं है। वह ख़तरनाक भी है। वह उनको इस समय भी संकट में डाल सकता है। इसके अतिरिक्त परमेश्वर आत्मविद्या के समस्त अभ्यास करनेवालों का न्याय करेगा और उनका बहिष्कार करेगा।—प्रकाशितवाक्य २२:१५.
१६. बाइबल कैसे प्रदर्शित करती है कि मसीहियों का युद्ध दुष्ट आत्माओं से है?
१६ जब एक व्यक्ति अपनी शक्ति भर अपने आप को आत्मविद्या से मुक्त रखने का प्रयत्न करता है फिर भी वह दुष्ट आत्माओं के आक्रमण के अधीन आ सकता है। उस घटना को याद कीजिये जब यीशु मसीह ने इबलीस की स्वयं आवाज़ को सुना था जो उसे परमेश्वर के नियम का उल्लंघन करने के लिये प्रेरित कर रही थी। (मत्ती ४:८, ९) परमेश्वर के अन्य सेवकों पर भी इस प्रकार के आक्रमण हुए हैं। प्रेरित पौलुस ने कहा: “हमारा मल्ल युद्ध . . . उन दुष्ट आत्माओं की सेनाओं से है जो आकाश में हैं।” इसका यह अर्थ है कि परमेश्वर के प्रत्येक सेवक के लिये परमेश्वर के “सारे हथियारों को बांध लेना आवश्यक है, जिससे कि [वह] उनका सामना कर सके।”—इफिसियों ६:११-१३.
दुष्ट आत्माओं के आक्रमणों का सामना करना
१७. यदि आत्मिक लोक से कोई “आवाज़” आप से बात करे तो आपको क्या करना चाहिये?
१७ यदि आत्मिक लोक से कोई “आवाज़” आप से बात करे तो आपको क्या करना चाहिये? यदि वह “आवाज़” किसी मृत संबंधी या किसी अच्छी आत्मा होने का स्वांग भरे तो क्या करना चाहिये? यीशु ने क्या किया था जब “दुष्ट आत्माओं के सरदार” ने उससे बात की? (मत्ती ९:३४) उसने कहा: “हे शैतान, दूर हो जा!” (मत्ती ४:१०) आप भी वही कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, आप सहायता के लिये यहोवा परमेश्वर को पुकार सकते हैं। ऊंचे शब्दों में प्रार्थना और परमेश्वर के नाम का उपयोग कीजिए। याद रखिये कि वह दुष्ट आत्माओं की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली है। बुद्धिमता के इस मार्ग का अनुसरण कीजिये। आत्मिक लोक से आनेवाली इस प्रकार की आवाज़ों को मत सुनिये। (नीतिवचन १८:१०; याकूब ४:७) इसका यह अर्थ नहीं है कि वे “आवाज़ें” जो कोई व्यक्ति सुनता है, पिशाचों की हैं। कभी-कभी इस प्रकार की आवाज़ें कुछेक शारीरिक अथवा मानसिक बीमारियों में भी सुनाई देती हैं।
१८. यदि कोई व्यक्ति आत्मविद्या से मुक्त होना चाहता है तो इफिसुस के प्रारंभिक मसीहियों का वह कौनसा उदाहरण है जिसका अनुकरण करना अच्छा है?
१८ शायद आपने कभी आत्मविद्या के किसी अभ्यासकार्य में भाग लिया होगा और अब आप उससे मुक्त होना चाहते हैं। आप क्या कर सकते हैं? इफिसुस के प्रारंभिक मसीहियों के उदाहरण पर विचार कीजिये। जब उन्होंने प्रेरित पौलुस द्वारा प्रचारित “यहोवा के वचन” को स्वीकार किया तो उसके पश्चात् बाइबल कहती है: “बहुतों ने जो जादूकला का अभ्यास करते थे अपनी पुस्तकों को इकट्ठा किया और सबके सामने उनको जला दिया।” और उन पुस्तकों का मूल्य ५०,००० चांदी के सिक्के था! (प्रेरितों के काम १९:१९, २०) उन लोगों का अनुकरण करते हुए जो इफिसुस में मसीह के अनुयायी बन गये थे, यदि आपके पास कुछ ऐसी वस्तुएँ हैं, जो सीधे आत्मविद्या से संबंध रखती हैं, तो बुद्धिमता का मार्ग यह होगा कि वे नष्ट कर दी जायें, चाहे वे कितनी भी मूल्यवान क्यों न हों।
१९. (क) अधिकतर लोग जो आत्मविद्या में भाग लेते हैं, क्या नहीं जानते हैं? (ख) यदि हम पृथ्वी पर सुख में सर्वदा जीवित रहना चाहते हैं तो हमें क्या करने की आवश्यकता है?
१९ क्योंकि आज विचित्र और रहस्यमय बातों में इतनी अधिक रुचि पाई जाती है कि अधिक से अधिक व्यक्ति आत्मविद्या में अन्तर्ग्रस्त होते जा रहे हैं। तथापि, इनमें अधिकतर लोग यह नहीं जानते हैं कि वे वस्तुतः दुष्ट आत्माओं में अंतर्ग्रस्त हो जाते हैं। यह एक निष्पाप खेल नहीं है। दुष्ट आत्माओं के पास चोट और हानि पहुँचाने की शक्ति होती है। वे दुष्ट होती हैं। इससे पहले कि, मसीह उनको विनाश में सदा के लिये बंदी बना दे, वे मनुष्यों को अपनी दुष्ट शक्ति के अधीन करने के लिये हर संभव प्रयत्न कर रहे हैं। (मत्ती ८:२८, २९) यदि आप सारी दुष्टता के दूर हो जाने के बाद, पृथ्वी पर अनन्त काल के लिये सुख में रहना चाहते हैं तो आपको प्रत्येक प्रकार की आत्मविद्या से दूर रहकर पिशाच शक्ति से मुक्त रहने की आवश्यकता है।
[पेज ९१ पर तसवीरें]
एन-डोर की स्त्री जो आत्मिक माध्यम थी किसके संपर्क में थी?
[पेज ९२, ९३ पर तसवीरें]
परमेश्वर के स्वर्गदूत पुत्रों ने मनुष्यों की पुत्रियों को देखा
[पेज ९४ पर तसवीरें]
भौतिक देह धारण किये हुए स्वर्गदूत नहीं डूबे। उन्होंने अपनी शारीरिक देह को छोड़ दिया और स्वर्ग को लौट गये
[पेज ९७ पर तसवीरें]
बाइबल चेतावनी देती है: ‘सब प्रकार की आत्मविद्या से अपने आपको स्वतंत्र रखो’
[पेज ९८ पर तसवीरें]
उन लोगों ने जो इफिसुस में मसीही बन गये थे, आत्मविद्या संबंधी पुस्तकों को जला दिया—आज हमारे लिए एक उत्तम उदाहरण