क्या आप अपने विश्वास से दुनिया को दोषी ठहराते हैं?
“विश्वास ही से नूह ने . . . जहाज़ बनाया, और उसके द्वारा उस ने संसार को दोषी ठहराया।”—इब्रानियों ११:७.
१, २. नूह के जीवन की जाँच से हम क्या सीख सकते हैं?
यहोवा ने नूह और उसके परिवार को—जो सिर्फ़ आठ लोग थे—जलप्रलय में से अकेले बचनेवाले मानव होने का ख़ास अनुग्रह प्रदान किया। नूह के बाक़ी सारे समकालीन लोगों की अकाल मृत्यु हो गयी जब परमेश्वर ने उन्हें जलीय क़ब्र में मिटा दिया। इस प्रकार, चूँकि नूह हमारा सामान्य पूर्वज है, हमें उस विश्वास के लिए आभारी होना चाहिए जो उसने दिखाया।
२ नूह के जीवन की जाँच करने से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। पवित्र शास्त्र हमें बताते हैं कि क्यों परमेश्वर ने उसे बचाकर उस पर कृपा की जबकि उन्होंने नूह की पीढ़ी के लोगों को नष्ट कर दिया। वही ईश्वरीय वृत्तान्त स्पष्ट रूप से दिखाता है कि हमारी पीढ़ी परमेश्वर की ओर से समान न्यायदण्ड का सामना कर रही है। इसके विषय में, यीशु ने कहा: “उस समय ऐसा भारी क्लेश होगा, जैसा जगत के आरम्भ से न अब तक हुआ, और न कभी होगा।” (मत्ती २४:२१) नूह के विश्वास का अनुकरण करने के द्वारा, इस मौजूदा रीति-व्यवस्था के सन्निकट विनाश से बचने की पक्की आशा हमारी हो सकती है।—रोमियों १५:४; इब्रानियों १३:७ से तुलना करें।
३. यहोवा जलप्रलय को क्यों ले आए?
३ आदम की सृष्टि से जलप्रलय तक के १,६५६ वर्षों में, बहुत ही कम मानवों में अच्छाई करने की प्रवृत्ति थी। नैतिकता एक निहायत ही निम्न स्तर तक गिरी थी। “यहोवा ने देखा कि मनुष्यों की बुराई पृथ्वी पर बढ़ गयी है, और उनके मन के विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है सो निरन्तर बुरा ही होता है।” (उत्पत्ति ६:५) हिंसा, सुख-विलास की खोज, और उन देह-धारी स्वर्गदूतों की मौजूदगी, जिन्होंने औरतों से शादी की थी और विशालकाय बच्चे पैदा किए थे, उन कारणों में थे जिन की वजह से मानवजाति के उस प्राचीन संसार को परमेश्वर का न्यायदण्ड मिला। यहोवा ने नूह से कहा: “सब प्राणियों का अन्त करने का प्रश्न मेरे सामने आ गया है; क्योंकि उनके कारण पृथ्वी उपद्रव से भर गयी है।” “सारे पृथ्वी का न्यायी,” सृष्टिकर्ता की सहनशक्ति ख़त्म हो चुकी थी—उत्पत्ति ६:१३; १८:२५.
नूह परमेश्वर के साथ-साथ चलता रहा
४. (अ) नूह के बारे में यहोवा का कैसा विचार था, और क्यों? (ब) जबकि परमेश्वर के न्याय से उस बुरी दुनिया का नाश आवश्यक हुआ, नूह और उसके परिवार के लिए उनका प्रेम किस तरह प्रकट हुआ?
४ नूह अपने समय के लोगों से कितना अलग था! उस पर “यहोवा की अनुग्रह की दृष्टि बनी रही। . . . नूह धर्मी पुरुष और अपने समय के लोगों में खरा था, और नूह परमेश्वर ही के साथ साथ चलता रहा।” (उत्पत्ति ६:८, ९) नूह परमेश्वर के साथ साथ कैसे चलता रहा? ऐसे सही काम करने के द्वारा जैसे धार्मिकता के एक समर्थक के तौर से प्रचार करना और विश्वास तथा आज्ञाकारिता से जहाज़ बाँधना। इस प्रकार, हालाँकि उस प्राचीन दुनिया का नाश इसलिए कर दिया गया कि वह सम्पूर्ण रूप से भ्रष्ट थी, जब परमेश्वर ने “भक्तिहीन संसार पर महा जल-प्रलय” भेजा, तब उन्होंने “धर्म के प्रचारक नूह समेत आठ व्यक्तियों को बचा लिया।” (२ पतरस २:५) जी हाँ, हमारे प्रेममय और न्याय्य परमेश्वर, यहोवा ने धर्मियों को बुरे लोगों के साथ नष्ट नहीं कर डाला। उन्होंने खुद नूह के, उसके घराने के और कई जानवरों के बचाव के लिए एक विशाल जहाज़ बाँधने का आदेश नूह को दिया, ताकि महा जल-प्रलय के बाद इन सब से पृथ्वी को फिर से बसाया जाए। और नूह ने “ठीक वैसा ही किया।”—उत्पत्ति ६:२२.
५. पवित्र शास्त्रों में नूह की धार्मिकता और विश्वास का वर्णन किस तरह किया गया है?
५ जब जहाज़ पूरा हुआ, तब परमेश्वर ने नूह से कहा: “तू अपने सारे घराने समेत जहाज़ में जा; क्योंकि मैं ने इस समय के लोगों में से केवल तुझी को अपनी दृष्टि में धर्मी देखा है।” पौलुस इस रीति से इन बातों को संक्षिप्त में कहता है: “विश्वास ही से नूह ने उन बातों के विषय में जो उस समय दिखायी न पड़ती थीं, चितौनी पाकर भक्ति के साथ अपने घराने के बचाव के लिए जहाज़ बनाया, और उसके द्वारा उस ने संसार को दोषी ठहराया; और उस धर्म का वारिस हुआ, जो विश्वास से होता है।”—उत्पत्ति ७:१; इब्रानियों ११:७.
६. नूह ने अपने समय की दुनिया को अपने विश्वास के ज़रिए किस तरह दोषी ठहराया?
६ नूह का विश्वास अति-विशिष्ट था। परमेश्वर ने उस पीढ़ी का विनाश करने के बारे में जो कहा था, उस पर उस ने विश्वास किया। नूह के मन में यहोवा को नाराज़ करने का एक हितकर डर था और उसने ईश्वर-प्रदत्त आदेशानुसार आज्ञाकारिता से जहाज़ बनाया। इसके अलावा, धार्मिकता का प्रचारक होने के तौर से, नूह ने दूसरों को आनेवाले नाश के बारे में बताया। हालाँकि उन्होंने उसके शब्दों की ओर ध्यान न दिया, फिर भी उसने उस बुरी दुनिया को ‘उसे अपने ढाँचे में ढालने’ नहीं दिया। (रोमियों १२:२, फिलिप्पस्) उलटा, अपने विश्वास से, नूह ने उस दुनिया को उसकी बुराई के कारण दोषी ठहराया और दिखाया कि यह विनाश के योग्य था। उसकी आज्ञाकारिता और धर्मी कार्यों से दर्शाया गया कि उसके अलावा दूसरे लोग भी बच सकते थे अगर वे अपनी जीवन-शैली बदल देने के लिए तैयार रहे होते। सचमुच, नूह ने साबित किया कि, खुद अपने अपरिपूर्ण शरीर, उसके इर्द-गिर्द की बुरी दुनिया, और इब्लीस की ओर से आनेवाले दबावों के बावजूद, एक ऐसा जीवन बिताना संभव था, जिस से परमेश्वर खुश थे।
क्यों परमेश्वर इस व्यवस्था का विनाश करेंगे
७. हम कैसे जानते हैं कि हम अन्तिम दिनों में जी रहे हैं?
७ इस २०वीं सदी के हर दशक के गुज़रने से यह दुनिया बुराई में और भी ज़्यादा धँस गयी है। यह पहले विश्व युद्ध की शुरुआत से ख़ास तौर से सच रहा है। मनुष्यजाति लैंगिक अनैतिकता, अपराध, हिंसा, युद्ध, बैर, लोभ, और लहू के दुरुपयोग जैसी बातों में इतनी ज़्यादा मग्न हो गयी है कि जो लोग धार्मिकता से प्रीति रखते हैं, वे विचार करते हैं कि क्या मामला और भी बिगड़ सकता है। फिर भी, बाइबल ने हमारी पीढ़ी में अत्यन्त बुराई के विकास के बारे में भविष्यवाणी की, जिस से और भी ज़्यादा सबूत मिलता है कि हम “अन्तिम दिनों” में जी रहे हैं।—२ तीमुथियुस ३:१-५; मत्ती २४:३४.
८. कुछ लोगों ने पाप की चेतना के बारे में क्या कहा है?
८ आज, अधिसंख्यक जनता के मन में पाप की धारणा अनिश्चित कर दी गयी है। ४० से ज़्यादा साल पहले, पोप पायस XII (बारह) ने कहा: “इस शताब्दी का सबसे बड़ा पाप, पाप की संपूर्ण अनुभूति का अभाव है।” मौजूदा पीढ़ी पाप और दोष को मानना ही अस्वीकार करती है। अपनी किताब व्हॉटएवर बिकेम ऑफ सिन्? में, डॉ. कार्ल मेन्निनगर ने कहा: “‘पाप’ शब्द ही . . . क़रीब-क़रीब ग़ायब ही हो गया है—शब्द, और साथ ही उसकी धारणा भी। क्यों? क्या अब कोई पाप ही नहीं करता?” अनेक लोगों ने सही और ग़लत के बीच पहचानने की क्षमता खो दी है। लेकिन इस से हमें ताज्जुब नहीं होता, इसलिए कि जब यीशु “अन्त समय” में ‘अपनी मौजूदगी के चिह्न’ पर विचार-विमर्श कर रहा था, तब उस ने ऐसी परिस्थितियों के बारे में भविष्यवाणी की थी।—मत्ती २४:३; दानिय्येल १२:४.
नूह के समय में न्यायदण्ड का प्रतिमान स्थापित किया गया
९. यीशु ने अपनी मौजूदगी में जो होता, उस से नूह के समय की तुलना किस तरह की?
९ यीशु ने नूह के समय की घटनाओं और राज्य सत्ता में उसकी मौजूदगी के दौरान, जो १९१४ से शुरू हुई, क्या-क्या घटित होता, इन घटनाओं के बीच तुलना की। उसने कहा: “जैसे नूह के दिन थे, वैसा ही मनुष्य के पुत्र [यीशु] की मौजूदगी भी होगी। क्योंकि जैसे जल-प्रलय से पहले के दिनों में, जिस दिन तक कि नूह जहाज़ पर न चढ़ा, उस दिन तक लोग खाते-पीते थे, और उन में ब्याह शादी होती थी। और जब तक जल-प्रलय आकर उन सब को बहा न ले गया, तब तक उन्होंने कोई ध्यान न दिया; वैसे ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा।”—मत्ती २४:३७-३९, न्यू.व.
१०. मसीह की मौजूदगी से सम्बद्ध महत्त्वपूर्ण घटनाओं की ओर आम तौर से लोग किस तरह कोई ध्यान नहीं देते हैं?
१० जी हाँ, जैसे नूह के समय में था, वैसे ही आज भी लोग कोई ध्यान नहीं देते हैं। चूँकि वे रोज़मर्रा ज़िन्दगी और स्वार्थी उद्देश्यों की पूर्ति के कारण बहुत ही व्यस्त रहते हैं, वे इस बात को स्वीकार करना नामंज़ूर करते हैं कि मौजूदा हालात अतीत के हालातों से महत्त्वपूर्ण रूप से अलग हैं और यह भी कि वे ठीक उन बातों के अनुरूप हैं जो यीशु ने कहा था अन्त के समय को चिह्नित करतीं। अब बरसों से, यहोवा के गवाह इस मौजूदा पीढ़ी को बताते आए हैं कि स्वर्ग में एक मसीहाई राजा के तौर से यीशु की मौजूदगी १९१४ में शुरू हुई और कि यह “जगत के अन्त” के साथ साथ चालू रहती है। (मत्ती २४:३) अधिकांश लोग राज्य संदेश की हँसी उड़ाते हैं, लेकिन यह बात भी पूर्वबतलायी गयी थी जब प्रेरित पतरस ने लिखा: “और यह पहले जान लो, कि अन्तिम दिनों में हँसी ठट्ठा करनेवाले आएँगे, जो अपनी ही अभिलाषाओं के अनुसार चलेंगे। और कहेंगे, उसके आने की प्रतिज्ञा कहाँ गयी? क्योंकि जब से बाप-दादे सो गए हैं, सब कुछ वैसा ही है, जैसा सृष्टि के आरम्भ से था?”—२ पतरस ३:३, ४.
११. जब भारी क्लेश आ जाएगा, तब आज की पीढ़ी के पास कोई बहाना क्यों नहीं रहेगा?
११ फिर भी, जब भारी क्लेश आएगा, तब आज की पीढ़ी के पास कोई बहाना न रहेगा। क्यों? इसलिए कि प्राचीन ईश्वरीय न्यायदण्डों के ऐसे बाइबल वृत्तान्त हैं जिन से, परमेश्वर हमारे समय में क्या करेंगे, इसके लिए एक प्रतिमान स्थापित हुआ। (यहूदा ५-७) उनकी नज़रों के सामने पूरा हो रही बाइबल भविष्यवाणियों से स्पष्ट रूप से दिखायी देता है कि हम समय की धारा में कहाँ स्थित हैं। इस पीढ़ी के सामने यहोवा के गवाहों का प्रचार कार्य और नूह के समान उनका ख़राई बनाए रखने का रिकार्ड प्रस्तुत है।
१२. सारांश में, पतरस नूह के समय की दुनिया के नाश की तुलना उस नाश से किस तरह करता है, जो “वर्तमान काल के आकाश और पृथ्वी” पर आनेवाला है?
१२ पतरस स्पष्ट करता है कि उन लोगों का क्या होगा जो इन तथ्यों की ओर कोई ध्यान नहीं देते हैं। यीशु की तरह, प्रेरित भी नूह के दिनों में जो हुआ था, उसका ज़िक्र करते हुए यह कहता है: “वे तो जानबूझकर यह भूल गए, कि परमेश्वर के वचन के द्वारा से आकाश प्राचीन काल से वर्तमान है और पृथ्वी भी जल में से बनी और जल में स्थिर है। इन्हीं के द्वारा उस युग का जगत जल में डूब कर नाश हो गया। पर वर्तमान काल के आकाश और पृथ्वी उसी वचन के द्वारा इसलिए रखे हें, कि जलाए जाएँ; और वह भक्तिहीन मनुष्यों के न्याय और नाश होने के दिन तक ऐसे ही रखे रहेंगे।”—२ पतरस ३:५-७.
१३. आनेवाली महत्त्वपूर्ण घटनाओं का विचार करते हुए, पतरस की कौनसी सलाह पर अमल किया जाना चाहिए?
१३ अब चूँकि परमेश्वर की ओर से सुनिश्चित न्यायदण्ड हमारे सम्मुख है, हम हँसी उड़ानेवालों से धोखा न खाएँ और न ही भयभीत हों। हमें उन बातों में हिस्सेदार होने की कोई ज़रूरत नहीं जो उन्हें मिलनेवाला है। पतरस सलाह देता है: “तो जब कि ये सब वस्तुएँ, इस रीति से पिघलनेवाली हैं, तो तुम्हें पवित्र चालचलन और भक्ति में कैसे मनुष्य होना चाहिए। और परमेश्वर के उस दिन की बाट किस रीति से जोहना चाहिए और उसके जल्द आने के लिए कैसा यत्न करना चाहिए; जिस के कारण आकाश आग से पिघल जाएँगे, और आकाश के गण बहुत ही तप्त होकर गल जाएँगे। पर उसकी प्रतिज्ञा के अनुसार हम एक नए आकाश और नई पृथ्वी की आस देखते हैं जिन में धार्मिकता बास करेगी।”—२ पतरस ३:११-१३.
बचने के लिए नूह के विश्वास का अनुकरण करें
१४. कौनसे सवालों से हमें अपना विश्लेषण करने की मदद होती है?
१४ आज, हम उसी तरह की चुनौतियों का सामना करते हैं, जिनका सामना नूह और उसके परिवार ने बचने के उम्मीदवार बनने और रहने के लिए किया। नूह की तरह, यहोवा के गवाह अपने विश्वास से, जिसका समर्थन उनके भले कामों से होता है, इस दुनिया को दोषी ठहरा रहे हैं। लेकिन हम में से हर व्यक्ति अपने आप से पूछ सकता है: ‘मैं व्यक्तिगत रूप से किस तरह कर रहा हूँ? अगर भारी क्लेश कल आ जाता, तो क्या परमेश्वर मुझे बचाव के योग्य ठहराते? नूह की तरह, जिसने अपने आप को “अपने समय के लागों में खरा” साबित किया, क्या मुझ में दुनिया से अलग होने का साहस है? या जिस तरह मैं बरताव करता, बोलता, या कपड़े पहनता हूँ, क्या उस की वजह से मुझ में और किसी दुनियावी व्यक्ति के बीच भेद करना मुश्किल हो जाता है?’ (उत्पत्ति ६:९) यीशु ने अपने शिष्यों के बारे में कहा: “जैसे मैं संसार का कोई भाग नहीं, वैसे ही वे भी संसार का कोई भाग नहीं।”—यूहन्ना १७:१६, न्यू.व.; १ यूहन्ना ४:४-६ से तुलना करें।
१५. (अ) १ पतरस ४:३, ४ के अनुसार, हमें अपनी भूतपूर्व विचारणा और आचरण के बारे में क्या सोचना चाहिए? (ब) अगर भूतपूर्व सांसारिक दोस्त हमारी आलोचना करें तो हमें क्या करना चाहिए?
१५ पतरस सलाह देता है: “अन्यजातियों की इच्छा के अनुसार काम करने, और लुचपन की बुरी अभिलाषाओं, मतवालापन, लीला-क्रीड़ा, पियक्कड़पन, और घृणित मूर्तिपूजा में जहाँ तक हम ने पहले समय गँवाया, वही बहुत हुआ। इस से वे अचम्भा करते हैं, कि तुम ऐसे भारी लुचपन में उन का साथ नहीं देते, और इसलिए वे बुरा भला कहते हैं।” (१ पतरस ४:३, ४) आपके भूतपूर्व सांसारिक दोस्त आपके बारे में शायद इसलिए बुरा भला कहेंगे कि आप उनके साथ अब और नहीं चलते। लेकिन नूह की तरह, आप अपने विश्वास के ज़रिए और विनम्रता से किए गए भले कामों से उन्हें दोषी ठहरा सकते हैं।—मीका ६:८.
१६. परमेश्वर ने नूह के बारे में क्या सोचा, और कौनसे सवालों से हमें अपने विचारों और आचरण की जाँच करने की मदद होगी?
१६ परमेश्वर ने नूह को एक धर्मी आदमी समझा। उस विश्वसनीय कुलपिता पर “यहोवा की अनुग्रह की दृष्टि” बनी रही। (उत्पत्ति ६:८) जब आप परमेश्वर के मानदण्डों को ध्यान में रखते हुए अपने विचारों और आचरण को जाँचते हैं, क्या आपको लगता है कि वह उन बातों को पसन्द करते हैं जो आप करते हैं, और उन जगहों को पसन्द करते हैं जहाँ आप जाते हैं? क्या आप ऐसे मनोरंजन में ऊपरी तौर से दिलचस्पी लेते हैं, जो अब इतना प्रचलित है? परमेश्वर का वचन कहता है कि हमें ऐसी बातों के बारे में सोचना चाहिए जो स्वच्छ, हितकर और उन्नति के लिए हैं। (फिलिप्पियों ४:८) क्या आप परमेश्वर का वचन अध्यवसाय से पढ़ रहे हैं कि आपके ‘ज्ञानेन्द्रिय अभ्यास करते करते, भले बुरे में भेद करने के लिए पक्के हो जाएँ’? (इब्रानियों ५:१४) क्या आप बुरे साथियों को अस्वीकार करते हैं और मसीही सभाओं में तथा अन्य अवसरों पर अपने संगी यहोवा के उपासकों के साथ संगति को संजोए रखते हैं?—१ कुरिन्थियों १५:३३; इब्रानियों १०:२४, २५; याकूब ४:४.
१७. यहोवा के गवाह होने के नाते, हम किस तरह नूह के जैसे बन सकते हैं?
१७ जहाज़ के पूरा होने के बारे में रिपोर्ट करने के बाद, धर्मशास्त्र कहते हैं: “परमेश्वर की इस आज्ञा के अनुसार नूह ने किया। उसने ठीक वैसा ही किया।” (उत्पत्ति ६:२२) वह धर्मी पुरुष यहोवा के एक गवाह के तौर से प्रचार करने में भी अध्यवसायी था। नूह की तरह, आप भी धार्मिकता के एक नियमित प्रचारक के तौर से सही बातों के एक पक्के समर्थक बन सकते हैं। हालाँकि बहुत ही कम लोग सुनते हैं, इस बुरी दुनिया के अन्त के बारे में चेतावनी सुनाते रहिए। अन्त आने से पहले शिष्य बनाने के कार्य को पूरा करने के लिए संगी विश्वासियों के साथ एक होकर कार्य कीजिए।—मत्ती २८:१९, २०.
१८. यहोवा किस आधार पर तै कर रहे हैं कि कौन भारी क्लेश में से बचेगा?
१८ वही धार्मिक और न्याय्य मानदण्डों का अनुप्रयोग करके, जिनका उन्होंने नूह के दिनों में किया था, परमेश्वर अब यह तै कर रहे हैं कि भारी क्लेश में कौन बचेगा और किसका नाश होगा। यीशु ने प्रस्तुत कार्य की तुलना चरवाहे द्वारा भेड़ों को बकरियों से अलग करने के कार्य से की। (मत्ती २५:३१-४६) जो लोग अपनी ज़िन्दगी को स्वार्थी अभिलाषाओं और लक्ष्यों पर केंद्रित करते हैं, वे नहीं चाहते कि इस पुरानी दुनिया का अन्त हो और इसलिए वे नहीं बचेंगे। लेकिन जो लोग इस दुनिया की गन्दगी में फँसने से बचे रहते हैं, जो परमेश्वर में एक पक्का विश्वास बनाए रखते हैं, और जो यहोवा के आनेवाले न्यायदण्ड की चेतावनी सुनाते रहते हैं, ईश्वरीय कृपा उन पर उत्तरजीवियों के तौर से बनी रहेगी। यीशु ने कहा: “उस समय दो जन खेत में होंगे, एक ले लिया जाएगा और दूसरा छोड़ दिया जाएगा। दो स्त्रियाँ चक्की पीसती रहेंगे, एक ले ली जाएगी, और दूसरी छोड़ दी जाएगी।”—मत्ती २४:४०, ४१; २ थिस्सलुनीकियों १:६-९; प्रकाशितवाक्य २२:१२-१५.
नूह के साथ आशिष पाइए
१९. यशायाह और मीका ने अन्तिम दिनों के लिए कौनसे एकत्रीकरण की भविष्यवाणी की?
१९ तुल्य भविष्यवाणियों में, परमेश्वर के भविष्यवक्ता यशायाह और मीका, दोनों ने आख़री दिनों में क्या होगा, इसका वर्णन किया। उन्होंने उन बातों को पहले से ही जाना जो हम आज पूरा होते हुए देखते हैं—पुरानी दुनिया में से निकलकर सच्ची उपासना के प्रतीकात्मक पहाड़ पर चढ़ते हुए धार्मिक लोगों की एक धारा। वे दूसरों को यह निमंत्रण देते हैं: “आओ, हे लोगों, हम यहोवा के पर्वत पर चढ़ें, याकूब के परमेश्वर के भवन में जाएँ; तब वह हम को अपने मार्ग सिखाएगा, और हम उसके पथों पर चलेंगे।” (यशायाह २:२, ३, न्यू.व.; मीका ४:१, २) क्या आप इस आनन्दित भीड़ के साथ चल रहे हैं?
२०. जो लोग अपने विश्वास से इस दुनिया को दोषी ठहराएँगे, वे कौनसे आशिषों का आनन्द उठाएँगे?
२० यशायाह और मीका ने उन आशिषों का भी ज़िक्र किया जिनका आनन्द वे लोग उठाएँगे जो इस दुनिया को अपने विश्वास से दोषी ठहराते हैं। उनके बीच सच्ची शान्ति और न्याय रहेगी, और वे आगे युद्ध की विद्या नहीं सीखेंगे। उन्हें यहोवा की ओर से विरासत पाने की एक पक्की आशा होगी और “वे अपनी अपनी दाखलता और अंजीर के वृक्ष तले बैठा करेंगे।” लेकिन हर एक व्यक्ति को एक पक्का निर्णय लेना होगा, इसलिए कि मीका यह कहकर दिखाता है कि दो रास्ते संभव है: “सब राज्यों के लोग तो अपने अपने देवता का नाम लेकर चलते हैं, परन्तु हम लोग अपने परमेश्वर यहोवा का नाम लेकर सदा सर्वदा चलते रहेंगे।”—मीका ४:३-५; यशायाह २:४.
२१. पृथ्वी पर अनन्त जीवन के बढ़िया आशीर्वाद में आप किस तरह हिस्सेदार बन सकते हैं?
२१ धर्मशास्त्रों में स्पष्ट रूप से दिखाया गया है कि भारी क्लेश में से बच निकलने के लिए क्या ज़रूरी है: पक्का विश्वास। नूह को ऐसा विश्वास था, लेकिन क्या आपको है? अगर आपको है, तो आप उसी की तरह “धर्म का वारिस” बनेंगे “जो विश्वास से होता है।” (इब्रानियों ११:७) नूह उस विनाश से बच निकला जिसका आदेश परमेश्वर ने दिया था। वह न सिर्फ़ जल-प्रलय के बाद ३५० बरस और ज़िन्दा रहा, लेकिन पृथ्वी पर हमेशा के लिए जीने की आशा के साथ उसे पुनरुत्थित किया जानेवाला है। क्या ही बढ़िया आशीर्वाद! (इब्रानियों ११:१३-१६) आप नूह, उसके परिवार, और धार्मिकता के करोड़ों अन्य प्रेमियों के साथ उस आशीर्वाद में हिस्सेदार बन सकते हैं। किस तरह? अन्त तक सहन करने और अपने विश्वास के ज़रिए इस दुनिया को दोषी ठहराने से।
क्या आपको याद है?
◻ मसीहियों के लिए नूह के जीवन की जाँच महत्त्वपूर्ण क्यों है?
◻ इस पीढ़ी के लोग किस बात की ओर कोई ध्यान नहीं देते, जिसकी वजह से उनका विनाश होता है?
◻ नूह की तरह, हम इस दुनिया को किस तरह दोषी ठहरा सकते हैं?
◻ धर्म के एक प्रचारक के रूप में हम नूह की तरह कैसे बन सकते हैं?