शरणनगर—परमेश्वर का दयालु प्रबन्ध
“ये छहों नगर . . . शरणस्थान ठहरें, कि जो कोई किसी को भूल से मार डाले वह वहीं भाग जाए।”—गिनती ३५:१५.
१. जीवन और रक्तदोष के बारे में परमेश्वर का क्या दृष्टिकोण है?
यहोवा परमेश्वर मानव जीवन को पवित्र मानता है। और जीवन लहू में है। (लैव्यव्यवस्था १७:११, १४) इसलिए, पृथ्वी पर जन्मा पहला मनुष्य, कैन अपने ऊपर रक्तदोष लाया जब उसने अपने भाई हाबिल की हत्या की। परिणामस्वरूप, परमेश्वर ने कैन से कहा: “तेरे भाई का लोहू भूमि में से मेरी ओर चिल्लाकर मेरी दोहाई दे रहा है!” जिस लहू ने हत्यास्थल में भूमी पर दाग़ छोड़ा उसने उस जीवन का मौन, परन्तु भावपूर्ण प्रमाण दिया जो क्रूरता से छोटा किया गया था। हाबिल का लहू प्रतिशोध के लिए परमेश्वर से चिल्ला रहा था।—उत्पत्ति ४:४-११.
२. जल-प्रलय के बाद जीवन के प्रति परमेश्वर के आदर पर कैसे ज़ोर दिया गया?
२ नूह और उसके परिवार के विश्वव्यापी जल-प्रलय के उत्तरजीवियों के तौर पर जहाज़ से निकलने के बाद मानव जीवन के प्रति परमेश्वर के आदर पर ज़ोर दिया गया। उस समय यहोवा ने मानवजाति की ख़ुराख को विस्तृत किया और उसमें जानवर का मांस शामिल किया लेकिन लहू नहीं। उसने यह आज्ञा भी दी: “निश्चय मैं तुम्हारा लोहू अर्थात् प्राण का पलटा लूंगा: सब पशुओं, और मनुष्यों, दोनों से मैं उसे लूंगा: मनुष्य के प्राण का पलटा मैं एक एक के भाई बन्धु से लूंगा। जो कोई मनुष्य का लोहू बहाएगा उसका लोहू मनुष्य ही से बहाया जाएगा क्योंकि परमेश्वर ने मनुष्य को अपने ही स्वरूप के अनुसार बनाया है।” (उत्पत्ति ९:५, ६) यहोवा ने मारे गए व्यक्ति के नज़दीकी रिश्तेदार के हक़ को पहचाना कि वह हत्या करनेवाले को मिलने पर उसे मार डाले।—गिनती ३५:१९.
३. जीवन की पवित्रता पर मूसा की व्यवस्था ने क्या ज़ोर दिया?
३ भविष्यवक्ता मूसा द्वारा इस्राएल को दी गई व्यवस्था में जीवन की पवित्रता पर बार-बार ज़ोर दिया गया था। उदाहरण के लिए, परमेश्वर ने आज्ञा दी: “तू खून न करना।” (निर्गमन २०:१३) एक गर्भवती स्त्री से सम्बन्धित किसी घातक परिणाम के बारे में मूसा की व्यवस्था ने जो कहा उससे भी जीवन के प्रति आदर स्पष्ट था। व्यवस्था ने निर्धारित किया कि यदि दो पुरुषों के बीच हाथापाई के परिणामस्वरूप उसके या उसके अजन्मे बच्चे के साथ एक घातक दुर्घटना होती, तो न्यायियों को परिस्थितियाँ और किस हद तक वह जानबूझकर की गई है इन बातों पर विचार करना था, लेकिन सज़ा “प्राण की सन्ती प्राण” या जीवन की सन्ती जीवन हो सकती थी। (निर्गमन २१:२२-२५) लेकिन, क्या एक इस्राएली हत्या करनेवाला किसी तरह अपने हिंसक कार्य के नतीज़ों से बच सकता था?
हत्यारों के लिए शरणस्थान?
४. इस्राएल के बाहर, अतीत में कौन-से शरणस्थान अस्तित्व में रहे हैं?
४ इस्राएल को छोड़ अन्य राष्ट्रों में हत्यारों और अन्य अपराधियों को आश्रय या शरण प्रदान की जाती थी। प्राचीन इफिसुस में देवी आर्टिमिज़ के मन्दिर जैसे स्थल ऐसे जगह थे जहाँ शरण प्रदान की गयी थी। ऐसे ही जगहों के बारे में बताया गया है: “कुछ पवित्रस्थानों ने अपराधियों की संख्या को बढ़ाने का काम किया; और अकसर शरण स्थानों की संख्या को सीमित करने की ज़रूरत पड़ी। केवल अथेने में ही कुछ शरण स्थान कानून के द्वारा आश्रय स्थल माने जाते थे (उदाहरण के लिए, दासों के लिए थेसुस का मन्दिर); तिबिरियुस के समय पवित्रस्थानों में अपराधियों के समूह इतने ख़तरनाक हो गए थे कि (वर्ष २२ में) शरण प्रदान करने का अधिकार केवल कुछ शहरों तक ही सीमित किया गया।” (यहूदी विश्वकोश, [अंग्रेज़ी] १९०९, खण्ड २, पृष्ठ २५६) बाद में, मसीहीजगत के गिरजे शरण के स्थान बन गए, लेकिन यह अधिकार को सार्वजनिक अधिकारियों से लेकर याजकवर्ग को देने की कोशिश में था और न्याय के सही कार्यान्वयन के विरुद्ध कार्य करते थे। इनके दुरुपयोग के कारण अंततः इस व्यवस्था को रद्द कर दिया गया।
५. क्या प्रमाण है कि व्यवस्था ने लापरवाही को दया की एक माँग के तौर पर स्वीकार करने की अनुमति नहीं दी जब किसी की हत्या हो जाती थी?
५ इस्राएलियों के बीच, जानबूझकर हत्या करनेवालों को आश्रय या शरण नहीं दिया जाता था। परमेश्वर की वेदी पर सेवा करनेवाले एक लेवी याजक को भी योजनाबद्ध हत्या करने पर प्राणदण्ड देने के लिए ले जाया जाना था। (निर्गमन २१:१२-१४) इसके अलावा, किसी की हत्या होने पर व्यवस्था ने दया की माँग को स्वीकार नहीं की यदि हत्या लापरवाही की वजह से हुई थी। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति को अपने नए घर के समतल छत पर मुँडेर बनाना था। नहीं तो, रक्तदोष उस घर पर आता यदि कोई उस छत से गिर कर मर जाता। (व्यवस्थाविवरण २२:८) इसके अलावा, यदि सींग मारने के आदी एक बैल के स्वामी को चिताया गया था लेकिन उसने उस जानवर पर निगरानी नहीं रखी और उसने किसी को मार दिया, तो बैल का स्वामी रक्तदोषी था और उसे मार दिया जा सकता था। (निर्गमन २१:२८-३२) जीवन के प्रति परमेश्वर के गहरे आदर का अतिरिक्त प्रमाण इस बात से दिखता है कि जो कोई एक चोर पर घातक प्रहार करता है वह रक्तदोषी था यदि यह दिन को हुआ और घुसपैठिया देखा और पहचाना जा सकता था। (निर्गमन २२:२, ३) तो स्पष्टतः, परमेश्वर के पूर्णतः संतुलित विनियमों ने जानबूझकर हत्या करनेवालों को मृत्युदण्ड से बचने नहीं दिया।
६. ‘जीवन के सन्ती जीवन’ का नियम प्राचीन इस्राएल में कैसे पूरा किया गया?
६ यदि प्राचीन इस्राएल में एक हत्या की जाती, तो मरे हुए व्यक्ति के लहू का पलटा लिया जाना था। ‘जीवन के सन्ती जीवन’ का नियम तब पूरा होता जब “लोहू का पलटा लेनेवाला” हत्या करनेवाले को मारता। (गिनती ३५:१९) पलटा लेनेवाला मारे गए व्यक्ति का सबसे नज़दीकी पुरुष रिश्तेदार था। लेकिन भूल से हत्या करनेवालों के बारे में क्या?
यहोवा का दयालु प्रबन्ध
७. परमेश्वर ने उन लोगों के लिए क्या प्रबन्ध किया जिन्होंने अनजाने में किसी की हत्या की?
७ उनके लिए जिन्होंने बिना जाने-बूझे या अनजाने में किसी की हत्या की, परमेश्वर ने प्रेमपूर्वक शरणनगर प्रदान किए। इनके बारे में मूसा को कहा गया था: “इस्राएलियों से कह, कि जब तुम यरदन पार होकर कनान देश में पहुंचो, तब ऐसे नगर ठहराना जो तुम्हारे लिये शरणनगर हों, कि जो कोई किसी को भूल से मारके खूनी ठहरा हो वह वहां भाग जाए। वे नगर तुम्हारे निमित्त पलटा लेनेवाले से शरण लेने के काम आएंगे, कि जब तक खूनी न्याय के लिये मण्डली के साम्हने खड़ा न हो तब तक वह न मार डाला जाए। और शरण के जो नगर तुम दोगे वे छः हों। तीन नगर तो यरदन के इस पार, और तीन कनान देश में देना; शरणनगर इतने ही रहें। ये छहों नगर . . . शरणस्थान ठहरें, कि जो कोई किसी को भूल से मार डाले वह वहीं भाग जाए।”—गिनती ३५:९-१५.
८. शरणनगर कहाँ स्थित थे, और अनजाने में हत्या करनेवालों को वहाँ तक पहुँचने में कैसे मदद दी जाती थी?
८ जब इस्राएलियों ने प्रतिज्ञात देश में प्रवेश किया, उन्होंने आज्ञाकारिता से छः शरणनगर स्थापित किए। इनमें से तीन नगर—कादेश, शेकेम, और हेब्रोन—यरदन नदीं के पश्चिम की ओर स्थित थे। यरदन के पूर्व की ओर गोलान, रामोत, और बेसेर के शरणनगर थे। ये छः शरणनगर अच्छी स्थिति में रखी गयी सड़कों पर सुविधाजनक स्थानों पर स्थित थे। इन सड़कों पर उपयुक्त जगहों पर “शरण” शब्द लिखे गए संकेत दिए गए थे। इन चिन्हों ने शरणनगर की दिशा की ओर संकेत किया और अनजाने में हत्या करनेवाला अपना जीवन बचाने के लिए सबसे नज़दीकी शरणनगर में भागता था। वहाँ वह लहू का पलटा लेनेवाले से सुरक्षा प्राप्त कर सकता था।—यहोशू २०:२-९.
९. यहोवा ने शरणनगर क्यों प्रदान किए, और वे किसके फ़ायदे के लिए प्रदान किए गए थे?
९ परमेश्वर ने शरणनगरों का प्रबन्ध क्यों किया? इनका प्रबन्ध किया गया था ताकि देश निर्दोष लोगों के लहू से दूषित न हो और लोगों पर रक्तदोष न आए। (व्यवस्थाविवरण १९:१०) शरणनगरों का प्रबन्ध किसके फ़ायदे के लिए किया गया था? व्यवस्था ने कहा: “ये छहों नगर इस्राएलियों के और उनके बीच रहनेवाले परदेशियों के लिये भी शरणस्थान ठहरें, कि जो कोई किसी को भूल से मार डाले वह वहीं भाग जाए।” (गिनती ३५:१५) अतः, दया दिखाने के साथ-साथ निष्पक्ष होने और न्याय के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए, यहोवा ने इस्राएलियों से कहा कि वे शरणनगर अलग रखें उन अनजाने में हत्या करनेवालों के लिए जो (१) जन्मजात इस्राएली थे, (२) इस्राएल में परदेशी थे, या (३) अन्य देशों के लोग जो देश में बस गए थे।
१०. यह क्यों कहा जा सकता है कि शरणनगर परमेश्वर का एक दयालु प्रबन्ध था?
१० यह उल्लेखनीय है कि यदि एक व्यक्ति अनजाने में हत्या करनेवाला है तो भी उसे परमेश्वर के आज्ञानुसार मार डाला जाना था: “जो कोई मनुष्य का लोहू बहाएगा उसका लोहू मनुष्य ही से बहाया जाएगा।” अतः, यह यहोवा परमेश्वर के एक दयालु प्रबन्ध के कारण ही था कि अनजाने में हत्या करनेवाला एक व्यक्ति शरणनगरों में से एक में भाग सकता था। प्रत्यक्षतः, आम तौर पर लोग लोहू का पलटा लेनेवाले से भाग रहे व्यक्ति के प्रति सहानुभूति रखते थे, क्योंकि वे सब इस बात को जानते थे कि वे भी अनजाने में ऐसा ही एक अपराध कर सकते हैं और उन्हें भी शरण और दया की ज़रूरत पड़ सकती है।
शरण के लिए भागना
११. प्राचीन इस्राएल में यदि कोई व्यक्ति एक सहकर्मी का बिना जाने-बूझे हत्या करता तो वह क्या कर सकता था?
११ शायद एक दृष्टांत शरण के लिए परमेश्वर के दयालु प्रबन्ध के प्रति आपका मूल्यांकन काफ़ी बढ़ाएगा। सोचिए कि आप प्राचीन इस्राएल में लकड़ी काटनेवाले एक पुरुष हैं। मान लीजिए कि कुल्हाड़ी का फाल अचानक निकल जाता है और संगी कर्मचारी को घातक रूप से लगता है। आप क्या करते? व्यवस्था ने ऐसी ही स्थिति के लिए प्रबन्ध किया। निःसंदेह, आप इस परमेश्वर-प्रदत्त प्रबन्ध का फ़ायदा उठाते: “और जो खूनी [शरणनगर में] भागकर अपने प्राण को बचाए, वह इस प्रकार का हो; अर्थात् वह किसी से बिना पहिले बैर रखे वा उसको बिना जाने बूझे मार डाला हो—जैसे कोई किसी के संग लकड़ी काटने को जंगल में जाए, और वृक्ष काटने को कुल्हाड़ी हाथ से उठाए, और कुल्हाड़ी बेंट से निकलकर उस भाई को ऐसी लगे कि वह मर जाए—तो वह उन नगरों में से किसी में भागकर जीवित रहे।” (व्यवस्थाविवरण १९:४, ५) यदि आप एक शरणनगर पहुँचते हैं, तौभी जो हुआ था उसकी ज़िम्मेदारी से पूरी तरह आप मुक्त नहीं होते।
१२. अनजाने में हत्या करनेवाले व्यक्ति के एक शरणनगर में पहुँचने के बाद कौन-सी कार्यविधि अपनाई जाती?
१२ हालाँकि वहाँ आपका स्वागत था, आपको अपनी बात शरणनगर के द्वार पर प्राचीनों को बतानी होगी। नगर में प्रवेश करने के बाद, आपका न्याय करने के लिए आपको वापिस भेजा जाएगा। जहाँ हत्या हुई उस क्षेत्र पर अधिकार रखनेवाले नगर के द्वार पर इस्राएल की सभा का प्रतिनिधित्व करनेवाले प्राचीनों द्वारा आपका न्याय होगा। वहाँ आपको अपनी निर्दोषिता साबित करने का मौक़ा मिलेगा।
जब हत्यारों पर मुक़दमा चलाया जाता था
१३, १४. किसी हत्या करनेवाले के मुक़दमे के समय कौन-सी कुछ बातें हैं जो प्राचीन जानना चाहते?
१३ क्षेत्र-अधिकार के नगर के द्वार पर प्राचीनों के सामने मुक़दमे के दौरान, आप निःसंदेह कृतज्ञता से ध्यान देते कि आपके पिछले आचरण पर काफ़ी ज़ोर दिया गया था। प्राचीन मारे गए व्यक्ति के साथ आपके रिश्ते पर ध्यानपूर्वक विचार करते। क्या आप उस आदमी से नफ़रत करते थे, उसे मारने की ताक में थे, और जानबूझकर उसको मार दिया? यदि ऐसा है, तो प्राचीनों को आपको लहू का पलटा लेनेवाले के हाथ सौपना पड़ता, और आप मर जाते। ये ज़िम्मेदार पुरुष व्यवस्था की माँग से वाकिफ़ होते कि “निर्दोष के खून का दोष इस्राएल से दूर करना” है। (व्यवस्थाविवरण १९:११-१३) तुलनात्मक रूप से, आज किसी न्यायिक कार्यावाही में मसीही प्राचीनों को शास्त्र को अच्छी तरह जानने की ज़रूरत है, और उन्हें उसके सामंजस्य में कार्य करना चाहिए। उन्हें ग़लती करनेवाले की पिछली मनोवृत्ति और आचरण पर भी ध्यान देना है।
१४ कृपालु रूप से जाँचते हुए, नगर प्राचीन जानना चाहते कि क्या आपने गुप्त रूप से मारे गए उस व्यक्ति का पीछा किया था। (निर्गमन २१:१२, १३) क्या आपने उस पर किसी छिपने के स्थान से वार किया? (व्यवस्थाविवरण २७:२४) क्या आप उस व्यक्ति से इतने क्रोधित थे कि आपने उसे मारने का कोई षड्यंत्र रचा? यदि ऐसा है, तो आप मृत्यु के योग्य होते। (निर्गमन २१:१४) ख़ास तौर पर प्राचीन जानना चाहते कि क्या आपके और मारे गए व्यक्ति के बीच कोई दुश्मनी या बैर रहा है। (व्यवस्थाविवरण १९:४, ६, ७; यहोशू २०:५) मान लीजिए कि प्राचीन आपको निर्दोष पाते और आपको शरणनगर वापिस भेज देते। दिखाई गई दया के लिए आप कितने आभारी होते!
शरणनगर में जीवन
१५. अनजाने में हत्या करनेवाले से क्या माँगे की जाती थीं?
१५ एक अनजाने में हत्या करनेवाले को शरणनगर के अन्दर या उसकी दीवारों के बाहर १,००० हाथ (क़रीब १,४५० फुट) की दूरी में रहना था। (गिनती ३५:२-४) यदि वह उस सीमा से बाहर चला जाता तो लहू के पलटा लेनेवाले से उसका सामना हो सकता था। उन परिस्थितियों में, पलटा लेनेवाला हत्या करनेवाले को दण्ड के डर के बिना मार सकता था। लेकिन हत्या करनेवाला ज़ंजीरों में नहीं बाँधा जाता था और न ही उसे बंदी बनाया जाता था। शरणनगर के एक निवासी के तौर पर उसे कोई कौशल सीखना था, एक कार्यकर्ता होना था, और समाज के एक उपयोगी सदस्य के तौर पर सेवा करनी थी।
१६. (क) अनजाने में हत्या करनेवाले को शरणनगर में कब तक रहना पड़ता? (ख) महायाजक की मृत्यु ने हत्या करनेवाले के लिए शरणनगर को छोड़ना संभव क्यों किया?
१६ अनजाने में हत्या करनेवाले को कब तक शरणनगर में रहना पड़ता? संभवतः उसकी बाक़ी की ज़िंदगी। जो भी हो, व्यवस्था ने बताया: “खूनी को महायाजक की मृत्यु तक शरणनगर में रहना चाहिये; और महायाजक के मरने के पश्चात् वह अपनी निज भूमि को लौट सकेगा।” (गिनती ३५:२६-२८) महायाजक की मृत्यु पर अनजाने में हत्या करनेवाले क्यों शरणनगर छोडकर जा सकते थे? क्योंकि महायाजक जाति के सबसे प्रमुख व्यक्तियों में से एक था। अतः उसकी मृत्यु ऐसी महत्त्वपूर्ण घटना होती कि उसके बारे में इस्राएल के सब गोत्रों को पता चलता। तब शरणनगरों के सभी शरणार्थी लहू का पलटा लेनेवालों के ख़तरे से स्वतंत्र अपने घर लौट सकते थे। क्यों? क्योंकि परमेश्वर की आज्ञा ने निर्धारित किया था कि पलटा लेनेवाले का हत्या करनेवाले को मारने का अवसर महायाजक की मृत्यु के साथ समाप्त होता और सभी इस बात को जानते थे। यदि इसके बाद मृत व्यक्ति का नज़दीकी रिश्तेदार पलटा लेता, तो वह हत्या करनेवाला होता और अंततः उसे हत्या की सज़ा भुगतनी पड़ती।
स्थायी प्रभाव
१७. अनजाने में हत्या करनेवाले पर लगाए गए प्रतिबंधों के संभावित असर क्या थे?
१७ अनजाने में हत्या करनेवाले पर लगाए गए प्रतिबंधों के संभावित असर क्या थे? वे एक अनुस्मारक थे कि वह किसी की मृत्यु का कारण था। संभवतः उसके बाद वह हमेशा मानव जीवन को पवित्र मानता। इसके अलावा, वह यह कभी नहीं भूल पाता कि उसके साथ दया से बरताव किया गया था। क्योंकि उसको दया दिखायी गई थी, वह ज़रूर दूसरों के प्रति दयालु होना चाहेगा। शरणनगरों और उनके प्रतिबंध के प्रबन्ध ने आम लोगों को भी फ़ायदा पहुँचाया। वह कैसे? इसने निश्चय ही उनके मन में बिठा दिया होगा कि उन्हें मानव जीवन के प्रति लापरवाह या उदासीन नहीं होना चाहिए। यह मसीहियों को ऐसी लापरवाही न दिखाने की ज़रूरत के बारे में याद दिलाता है जिससे दुर्घटनात्मक मृत्यु हो सकती है। और फिर शरणनगरों के परमेश्वर के दयालु प्रबन्ध को हमें प्रेरित करना चाहिए कि हम भी दया दिखाएँ जब ऐसा करना उचित है।—याकूब २:१३.
१८. किन तरीक़ों से परमेश्वर द्वारा शरणनगरों का प्रबन्ध फ़ायदेमंद था?
१८ शरणनगरों का यहोवा परमेश्वर का प्रबन्ध अन्य तरीक़ों से भी फ़ायदेमंद था। मुक़दमे से पहले ही उसे दोषी मानकर हत्या करनेवाले का पीछा करने के लिए लोगों ने सतर्कता दल नहीं बनाए। इसके बजाय, उन्होंने उसे जानबूझकर हत्या करनेवाला नहीं समझा और सुरक्षा पाने में उसकी मदद भी की। इसके अलावा, शरणनगरों का प्रबन्ध हत्यारों को जेलों और क़ैदखानों में रखने के आधुनिक-दिन प्रबन्धों के बिलकुल विपरीत था। जेलों में जनता आर्थिक तौर पर उनकी देखभाल करती है और जहाँ दूसरे कुकर्मियों के साथ उनकी नज़दीकी संगती की वजह से वे अकसर और बुरे अपराधी बनते हैं। शरणनगर के प्रबन्ध में महँगे किलेबंद लोहे के सरिये लगे हुए जेलों को बनाना, उनकी रख-रखाव करना और उनकी रखवाली करना ज़रूरी नहीं था जिसमें से निवासी अकसर भाग निकलने की कोशिश करते हैं। वास्तव में, हत्या करनेवाला “जेल” को ढूँढ़ता था और निर्धारित समय तक वहाँ रहता था। उसे एक कार्यकर्ता भी होना था, और इस प्रकार अपने संगी मनुष्यों को फ़ायदा पहुँचाने के लिए कुछ करना था।
१९. शरणनगरों के सम्बन्ध में कौन-से प्रश्न उठते हैं?
१९ अनजाने में हत्या करनेवालों की सुरक्षा के लिए इस्राएल के शरणनगरों का यहोवा का प्रबन्ध वास्तव में दयालु प्रबन्ध था। इस प्रबन्ध ने निश्चय ही जीवन के प्रति आदर को बढ़ावा दिया। लेकिन, क्या प्राचीन शरणनगर २०वीं शताब्दी में रहनेवाले लोगों के लिए अर्थ रखते हैं? क्या हम यहोवा परमेश्वर के सामने रक्तदोषी हो सकते हैं यह समझे बिना कि हमें उसकी दया की ज़रूरत है? इस्राएल के शरणनगरों में हमारे लिए क्या कोई आधुनिक-दिन महत्त्व है?
आप कैसे जवाब देंगे?
◻ यहोवा मानव जीवन को किस दृष्टिकोण से देखता है?
◻ अनजाने में हत्या करनेवालों के लिए यहोवा ने क्या दयालु प्रबन्ध किया?
◻ एक हत्या करनेवाला शरणनगर में कैसे प्रवेश कर पाता, और उसे वहाँ कब तक रहना था?
◻ अनजाने में हत्या करनेवाले पर लगाए गए प्रतिबंधों के संभावित असर क्या थे?
[पेज 12 पर तसवीरें]
इस्राएल के शरणनगर सुविधाजनक रूप से स्थित थे
(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)
कादेश यरदन नदी गोलान
शेकेम रामोत
हेब्रोन बेसेर