क्या आपको याद है?
क्या आपने हाल की प्रहरीदुर्ग पत्रिकाएँ ध्यान से पढ़ी हैं? देखिए कि क्या आप नीचे दिए सवालों के जवाब दे पाते हैं या नहीं:
माँ-बाप को क्यों सोचना चाहिए कि किस भाषा में उनके बच्चे सच्चाई में तरक्की कर पाएँगे?
एक बच्चा स्कूल में और दूसरों के साथ रहकर शायद नए देश की भाषा सीख जाए। उसके लिए एक-से-ज़्यादा भाषा सीखना फायदेमंद हो सकता है। माता-पिताओ, ध्यान रखिए कि क्या आपका बच्चा आपकी भाषा की मंडली में सच्चाई में तरक्की कर पाएगा या नए देश की भाषा में। मसीही माता-पिता अपनी इच्छाओं से ज़्यादा अपने बच्चों की ज़रूरतों को अहमियत देते हैं।—प्र17.05 पेज 9-11.
जब यीशु ने पतरस से पूछा, “क्या तू इनसे ज़्यादा मुझसे प्यार करता है?” तो उसका मतलब क्या था? (यूह. 21:15)
शायद यीशु पास में पड़ी मछलियों की या मछलियाँ पकड़ने के कारोबार की बात कर रहा था। यीशु की मौत के बाद पतरस वापस मछलियाँ पकड़ने के अपने कारोबार में लग गया था। मसीहियों को खुद की जाँच करनी चाहिए कि क्या वे नौकरी-पेशे के बारे में सही नज़रिया रखते हैं।—प्र17.05 पेज 22-23.
अब्राहम ने अपनी पत्नी से यह कहने के लिए क्यों कहा कि वह उसकी बहन है? (उत्प. 12:10-13)
सारा असल में अब्राहम की सौतेली बहन थी। अगर सारा ने यह कहा होता कि अब्राहम उसका पति है, तो शायद अब्राहम को जान से मार डाला जाता। फिर अब्राहम के ज़रिए वह वंश पैदा ही नहीं होता जिसका वादा परमेश्वर ने किया था।—प्र17 अंक3 पेज 14-15.
जो लोग इब्रानी भाषा सीखना चाहते थे, उनके लिए एलीआस हुटर ने क्या तकनीक अपनायी?
वह चाहता था कि विद्यार्थी, बाइबल में इब्रानी के मुख्य शब्दों और उनके उपसर्ग और प्रत्यय में फर्क पहचानना सीखें। इसके लिए उसने मुख्य शब्द मोटे अक्षरवाली आकृतियों से छापे और उपसर्ग और प्रत्यय खाकेवाली आकृतियों से छापे। कुछ यही तरीका न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन ऑफ द होली स्क्रिप्चर्स—विद रेफ्रेंसेज़ में आयतों के फुटनोट के लिए अपनाया गया है।—प्र17 अंक4 पेज 11-12.
किन बातों पर गौर करने से एक मसीही फैसला कर पाएगा कि उसे दूसरे इंसानों से अपना बचाव करने के लिए पिस्तौल रखनी चाहिए या नहीं?
ये बातें हैं: परमेश्वर की नज़र में जीवन अनमोल है। यीशु ने अपने चेलों को खुद का बचाव करने के लिए तलवार रखने को नहीं कहा था। (लूका 22:36, 38) हमें अपनी तलवारें पीटकर हल के फाल बनाने हैं। जीवन रुपए-पैसों और चीज़ों से ज़्यादा अनमोल है। हम दूसरों के ज़मीर का आदर करते हैं और उनके लिए अच्छी मिसाल रखना चाहते हैं। (2 कुरिं. 4:2)—प्र17.07 पेज 31-32.
यीशु के जन्म और बचपन से जुड़ी बातों के बारे में मत्ती और लूका ने जो लिखा, उसमें फर्क क्यों है?
मत्ती ने यूसुफ के बारे में लिखा। जैसे, जब उसे पता चलता है कि मरियम गर्भवती है, तो उसने क्या करने का फैसला किया या जब स्वर्गदूत उसे मिस्र भाग जाने और बाद में वहाँ से लौट आने को कहते हैं, तो वह क्या करता है। वहीं दूसरी तरफ, लूका ने मरियम के बारे में लिखा। जैसे, जब वह इलीशिबा से मिलने जाती है या जब जवान यीशु मंदिर में रह जाता है तो इसका मरियम पर क्या असर होता है।—प्र17.08 पेज 32.
किन हालात के बावजूद परमेश्वर का वचन कायम रह पाया है?
समय के साथ बाइबल में इस्तेमाल हुए शब्दों का मतलब बदल गया है। दुनिया में होनेवाले राजनैतिक बदलाव की वजह से आम बोलचाल की भाषा पर भी असर हुआ है। इतना ही नहीं, आम लोगों की भाषाओं में बाइबल को अनुवाद करने के काम का विरोध किया गया है।—प्र17.09 पेज 19-21.
क्या हर इंसान की हिफाज़त के लिए एक स्वर्गदूत होता है?
नहीं। यीशु ने कहा था कि उसके शिष्यों के स्वर्गदूत परमेश्वर के सामने मौजूद रहते हैं। (मत्ती 18:10) उसके कहने का यह मतलब नहीं था कि उसके हर शिष्य को बचाने के लिए एक स्वर्गदूत ठहराया गया है। वह बस यह कह रहा था कि स्वर्गदूतों को उसके हर शिष्य में गहरी दिलचस्पी है।—प्र17 अंक5 पेज 5.
सबसे उम्दा किस्म का प्यार कौन-सा है?
सबसे उम्दा किस्म का प्यार है अघापि क्योंकि यह प्यार सिद्धांतों पर आधारित होता है। इसमें किसी के लिए गहरा लगाव और भावनाएँ शामिल होती हैं। मगर इससे भी बढ़कर यह प्यार एक इंसान को उभारता है कि वह दूसरों की खातिर भले काम करे और बदले में कुछ पाने की उम्मीद न करे।—प्र17.10 पेज 7.