पहले पेज का विषय | जब मौत किसी अपने को हमसे जुदा कर दे
क्या रोना और दुखी होना गलत है?
क्या आप कभी बीमार हुए हैं? शायद आप इतनी जल्दी ठीक हो गए हों कि अब आपको वे दिन याद भी नहीं। लेकिन किसी की मौत होने पर जो दुख होता है, वह भुलाए नहीं भूलता। इस बारे में एक किताब में लिखा है कि हम कभी-भी इस दुख से उबर नहीं सकते। लेकिन जब अपनों का साथ हो, तो यह दुख काफी हद तक कम हो जाता है और वक्त भी हमारे घाव भर देता है।
अब्राहम नाम के एक व्यक्ति को भी अपनी पत्नी सारा के गुज़र जाने के दुख से उबरने में काफी वक्त लगा। पवित्र शास्त्र में उसके बारे में लिखा है कि वह बहुत समय तक मातम मनाता रहा और खूब रोया।a और जब अब्राहम के पोते याकूब को यह बताया गया कि एक जंगली जानवर ने उसके बेटे यूसुफ को मार डाला है, तो वह भी कई दिनों तक रोता रहा। उसके परिवारवालों ने उसे दिलासा देने की लाख कोशिश की, लेकिन उसका दुख कम नहीं हुआ। कई सालों बाद भी उसे अपने बेटे की याद सताती रही।—उत्पत्ति 23:2; 37:34, 35; 42:36; 45:28.
आज भी हमें अपनों से बिछड़ने के दुख से उबरने में बहुत वक्त लग जाता है। ज़रा इन दो उदाहरणों पर ध्यान दीजिए।
गीता, जिसकी उम्र 60 साल है, कहती है, ‘9 जुलाई, 2008 को मेरे पति रंजन की एक दुर्घटना में मौत हो गयी। रोज़ की तरह उस दिन भी काम पर निकलने से पहले उन्होंने मुझे गले से लगाया और कहा कि वे मुझसे बहुत प्यार करते हैं। उन्हें गुज़रे छ: साल हो गए हैं, लेकिन आज भी मुझे उतना ही दुख होता है, जितना उस दिन हुआ था। मुझे नहीं लगता कि मैं कभी इस दुख से उबर पाऊँगी।’
अशोक, जिसकी उम्र 84 साल है, कहता है, “मेरे पत्नी को गुज़रे 18 साल बीत चुके हैं, लेकिन मुझे अब भी उसकी याद सताती है और बहुत दुख होता है। जब भी मैं आस-पास के नज़ारे में कुछ अच्छी चीज़ देखता हूँ, तब मुझे तुरंत उसका खयाल आता है और मैं यह सोचने लगता हूँ कि वह यहाँ होती, तो यह सब देखकर कितनी खुश होती।”
यह सच है कि अपनों से बिछड़ने का गम हमें हर पल सताता है। हर इंसान अलग होता है, इसलिए हर कोई अलग-अलग तरीके से दुखी होता है और रोता है। हमें किसी पर सवाल नहीं उठाना चाहिए कि वह इस तरह से या इतना दुखी क्यों हो रहा है। उसी तरह अगर हम खुद हद-से-ज़्यादा दुखी हो जाएँ, तो हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि मैं इतना दुखी क्यों हो रहा हूँ। तो फिर ऐसे में हम क्या कर सकते हैं? (w16-E No. 3)
a अब्राहम के बेटे इसहाक भी अपनी माँ के गुज़र जाने पर बहुत समय तक मातम मनाता रहा। पवित्र शास्त्र में लिखा है कि वह उसकी मौत के तीन साल बाद भी बहुत दुखी था।—उत्पत्ति 24:67.