मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले
2-8 मार्च
पाएँ बाइबल का खज़ाना | उत्पत्ति 22-23
“परमेश्वर ने अब्राहम को परखा”
परमेश्वर ने अब्राहम से अपने बेटे की बलि चढ़ाने को क्यों कहा?
अब्राहम से कहे यहोवा के शब्दों पर गौर कीजिए: “अपने पुत्र को अर्थात् एकलौते पुत्र इसहाक को, जिस से तू प्रेम रखता है . . . होमबलि करके चढ़ा।” (उत्पत्ति 22:2) ध्यान दीजिए, यहोवा ने कहा तेरा पुत्र इसहाक “जिस से तू प्रेम रखता है।” यहोवा जानता था कि इसहाक, अब्राहम के कलेजे का टुकड़ा है। परमेश्वर भी अपने बेटे यीशु से बहुत प्यार करता है। इतना कि उसने दो बार स्वर्ग से बात करते वक्त यीशु को “मेरा प्यारा बेटा” कहा।—मरकुस 1:11; 9:7.
इस बात पर भी ध्यान दीजिए कि जब यहोवा ने अब्राहम से इसहाक की बलि चढ़ाने को कहा, तो मूल भाषा में उसने एक ऐसे शब्द का इस्तेमाल किया जो दिखाता है कि वह अब्राहम को हुक्म नहीं दे रहा था, बल्कि उससे प्यार-भरी गुज़ारिश कर रहा था। एक बाइबल विद्वान कहता है कि परमेश्वर का यह शब्द इस्तेमाल करना ज़ाहिर करता है कि “प्रभु को एहसास था कि वह अब्राहम से कितनी बड़ी कुरबानी माँग रहा है।” परमेश्वर की इस गुज़ारिश से अब्राहम का दिल ज़रूर तड़प उठा होगा। जब इस गुज़ारिश से एक पिता सिहर उठता है, तो हम सोच भी नहीं सकते कि उस वक्त यहोवा को कितना दर्द हुआ होगा जब उसने अपने अज़ीज़ बेटे को तकलीफें सहते और मरते देखा। इतना दर्द यहोवा को न तो पहले कभी हुआ, न ही आगे कभी होगा।
जैसा कि हमने इस लेख में देखा, यहोवा ने अब्राहम से जो करने के लिए कहा था उसे पढ़कर शायद हमें गुस्सा आए। मगर यह याद रखना अच्छा होगा कि यहोवा ने उस वफादार इंसान को अपने बेटे की कुरबानी नहीं देने दी। उसने अब्राहम को उस दर्द से नहीं गुज़रने दिया जो किसी भी माँ-बाप के लिए सबसे बड़ा दर्द होता। यहोवा ने इसहाक को मरने नहीं दिया। लेकिन अपने बेटे यीशु को उसने ‘हम सबके लिए मौत के हवाले कर दिया।’ (रोमियों 8:32) यहोवा ने इतना दर्द क्यों सहा? ‘ताकि हम जीवन पा सकें।’ (1 यूहन्ना 4:9) यह इस बात का ज़बरदस्त सबूत है कि परमेश्वर हमसे बेइंतिहा प्यार करता है! क्या यहोवा का प्यार हमें नहीं उभारता कि हम भी उससे प्यार करें?
परमेश्वर की आज्ञा मानिए और उसकी शपथ से फायदा पाइए
6 यहोवा परमेश्वर ने भी कई बार शपथ खायी ताकि असिद्ध इंसान उसके वादों पर यकीन रख सकें। उसने शपथ खाते वक्त कुछ इस तरह के शब्द इस्तेमाल किए, “प्रभु यहोवा यों कहता है, मेरे जीवन की सौगन्ध।” (यहे. 17:16) बाइबल ऐसे 40 से भी ज़्यादा मौकों का ज़िक्र करती है, जब यहोवा ने शपथ खायी। इनमें से शायद सबसे जाना-माना उदाहरण, अब्राहम के साथ खायी शपथ का है। अब्राहम के जीते-जी यहोवा ने उसके साथ कई बार करार या वादे किए। इनसे अब्राहम समझ पाया कि वादा किया गया वंश उसी के परिवार से, उसके बेटे इसहाक के ज़रिए आएगा। (उत्प. 12:1-3, 7; 13:14-17; 15:5, 18; 21:12) एक समय ऐसा आया कि यहोवा ने अब्राहम की कड़ी परीक्षा ली। उसने अब्राहम को आज्ञा दी कि वह अपने अज़ीज़ बेटे की कुरबानी दे। अब्राहम ने बिना देर किए परमेश्वर की आज्ञा मानी। मगर जैसे ही वह अपने बेटे की बलि चढ़ानेवाला था, एक स्वर्गदूत ने उसे रोक दिया। फिर यहोवा ने यह शपथ खायी, “मैं अपनी ही यह शपथ खाता हूं, कि तू ने जो यह काम किया है कि अपने पुत्र, वरन अपने एकलौते पुत्र को भी, नहीं रख छोड़ा; इस कारण मैं निश्चय तुझे आशीष दूंगा; और निश्चय तेरे वंश को आकाश के तारागण, और समुद्र के तीर की [बालू] के किनकों के समान अनगिनित करूंगा, और तेरा वंश अपने शत्रुओं के नगरों का अधिकारी होगा: और पृथ्वी की सारी जातियां अपने को तेरे वंश के कारण धन्य मानेंगी: क्योंकि तू ने मेरी बात मानी है।”—उत्प. 22:1-3, 9-12, 15-18.
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यहोवा ने उसे अपना “दोस्त” कहा
13 अपने सेवकों को एक जगह पर छोड़ते वक्त अब्राहम ने उनसे कहा, “गदहे के पास यहीं ठहरे रहो; यह लड़का और मैं वहाँ तक जाकर, और दण्डवत् करके, फिर तुम्हारे पास लौट आएँगे।” (उत्प. 22:5) अब्राहम के कहने का क्या मतलब था? वह तो इसहाक को बलि करने जा रहा था। फिर उसने ऐसा क्यों कहा कि वह इसहाक के साथ लौट आएगा? क्या वह झूठ बोल रहा था? नहीं। बाइबल बताती है कि अब्राहम जानता था, यहोवा इसहाक को मरे हुओं में से जी उठाने के काबिल है। (इब्रानियों 11:19 पढ़िए।) अब्राहम जानता था कि यहोवा ने उसे और सारा को बूढ़े होने के बावजूद बच्चा पैदा करने की शक्ति दी थी। (इब्रा. 11:11, 12, 18) इसलिए उसे एहसास था कि यहोवा के लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं है। अब्राहम यह तो नहीं जानता था कि उस दिन क्या होनेवाला है, लेकिन उसे यह भरोसा था कि ज़रूरत पड़ी तो यहोवा उसके बेटे को दोबारा ज़िंदा कर देगा, ताकि उसके सभी वादे पूरे हों। इस वजह से अब्राहम को “उन सबका पिता” कहा गया है जो “विश्वास दिखाते हैं।”
इंसाइट-1 पेज 853 पै 5-6
भविष्य जानने और भविष्य तय करने की काबिलीयत
भविष्य जानने की काबिलीयत का सोच-समझकर इस्तेमाल। परमेश्वर के पास यह काबिलीयत है कि वह भविष्य के बारे में पहले से जान सकता है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि उसने हमारा भविष्य पहले से तय कर दिया है। वह जिस तरह इस काबिलीयत का इस्तेमाल करता है, वह उसके नेक स्तरों और उसके वचन में बतायी उसकी शख्सियत से मेल खाना चाहिए। बाइबल में दी कई आयतों से पता चलता है कि वह इस काबिलीयत का सोच-समझकर इस्तेमाल करता है। वह पहले हालात की जाँच करता है, फिर उसके आधार पर कोई फैसला लेता है।
उत्पत्ति 11:5-8 का उदाहरण लीजिए। वहाँ बताया गया है कि जब बाबेल में लोग परमेश्वर के खिलाफ एक मीनार बना रहे थे, तो यहोवा ने ध्यान दिया और हालात का जायज़ा लिया। उसके बाद ही उसने कुछ करने का फैसला किया ताकि उनके इरादे कामयाब न हों। जब सदोम और अमोरा में बुराई बढ़ गयी, तब परमेश्वर ने अब्राहम से कहा कि वह (स्वर्गदूतों के ज़रिए) जाँच करेगा। उसका कहना था, “मैं . . . देखूँगा कि मैंने जो सुना है क्या वह सही है, क्या सचमुच वहाँ की हालत इतनी खराब है। मैं इस बारे में ज़रूर जानना चाहूँगा।” (उत 18:20-22; 19:1) परमेश्वर ने कहा कि वह ‘अब्राहम को अच्छी तरह जान गया है।’ फिर बाद में जब अब्राहम इसहाक की बलि चढ़ाने ही वाला था, तब यहोवा ने कहा, “अब मैं जान गया हूँ कि तू सचमुच परमेश्वर का डर माननेवाला इंसान है, क्योंकि तू अपने इकलौते बेटे तक को मुझे देने से पीछे नहीं हटा।”—उत 18:19; 22:11, 12; कृपया नहे 9:7, 8 और गल 4:9 से तुलना करें।
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भाषण
इंसाइट-1 पेज 604 पै 5
अब्राहम को किस आधार पर मसीह की मौत से पहले नेक ठहराया गया?
अब्राहम की बात करें, तो उसे भी अपने विश्वास और कामों की वजह से “नेक समझा [या ठहराया] गया।” (रोम 4:20-22) इसका यह मतलब नहीं कि अब्राहम परिपूर्ण था या उसमें कोई पाप नहीं था और न ही यीशु से पहले जीनेवाले वफादार सेवक परिपूर्ण थे। परमेश्वर ने “वंश” के बारे में जो वादा किया था, उस पर उन्हें पूरा विश्वास था और उन्होंने हर हाल में परमेश्वर की आज्ञा मानी। इसी वजह से उन्हें उन लोगों में नहीं गिना गया, जिनका परमेश्वर के साथ कोई रिश्ता नहीं था। (उत 3:15; भज 119:2, 3) दुनिया के ज़्यादातर लोग परमेश्वर से दूर हैं, मगर उनके मुकाबले यहोवा ने इन वफादार सेवकों को निर्दोष ठहराया है। (भज 32:1, 2; इफ 2:12) तो फिर, यह कहा जा सकता है कि परमेश्वर अपने सेवकों के विश्वास के आधार पर उनसे व्यवहार करता है और उन्हें आशीषें देता है, इसके बावजूद कि वे अपरिपूर्ण हैं। ऐसा करते वक्त वह अपने न्याय के ऊँचे स्तरों से समझौता नहीं करता। (भज 36:10) लेकिन इन वफादार सेवकों को एहसास था कि उन्हें पाप से छुड़ाया जाना है और उन्हें यहोवा के वक्त का इंतज़ार था जब वह एक छुड़ानेवाले को भेजता।—भज 49:7-9; इब्र 9:26.
9-15 मार्च
पाएँ बाइबल का खज़ाना | उत्पत्ति 24
“इसहाक के लिए पत्नी”
जन16 अंक3 पेज 14 पै 3, अँग्रेज़ी
“हाँ, मैं जाऊँगी”
अब्राहम ने एलीएज़ेर से यह शपथ खाने को कहा कि वह इसहाक के लिए कोई कनानी लड़की नहीं लाएगा। क्यों? क्योंकि कनानी लोग न तो यहोवा परमेश्वर की उपासना करते थे, न ही उसका आदर करते थे। अब्राहम जानता था कि वक्त आने पर यहोवा कनानियों को उनके बुरे कामों की सज़ा ज़रूर देगा। इस वजह से अब्राहम नहीं चाहता था कि उसका प्यारा बेटा कनानियों से कोई नाता रखे और उनके अनैतिक तौर-तरीके अपनाए। वह यह भी जानता था कि परमेश्वर के वादे पूरे करने में इसहाक एक खास भूमिका निभाएगा।—उत्पत्ति 15:16; 17:19; 24:2-4.
जन16 अंक3 पेज 14 पै 4, अँग्रेज़ी
“हाँ, मैं जाऊँगी”
एलीएज़ेर अपने मेज़बानों को बताने लगा कि उसके साथ क्या हुआ। जब वह हारान के नज़दीक एक कुएँ के पास पहुँचा, तब उसने यहोवा से प्रार्थना की। उसने मानो यहोवा से इसहाक के लिए एक लड़की चुनने को कहा। वह कैसे? एलीएज़ेर ने बिनती की कि जो लड़की इसहाक की पत्नी बनेगी, वह कुएँ पर आए और जब वह उस लड़की से पीने के लिए पानी माँगे, तो वह न सिर्फ उसे बल्कि उसके ऊँटों को भी पानी पिलाए। (उत्पत्ति 24:12-14) किस लड़की ने ठीक एलीएज़ेर की प्रार्थना के मुताबिक काम किया? रिबका ने। ज़रा सोचिए, अगर रिबका ने एलीएज़ेर की ये सारी बातें सुनी होतीं, तो उसे कैसा महसूस होता!
जन16 अंक3 पेज 14 पै 6-7, अँग्रेज़ी
“हाँ, मैं जाऊँगी”
कुछ हफ्ते पहले ही एलीएज़ेर ने अब्राहम से पूछा था कि “अगर वह लड़की मेरे साथ आने को तैयार न हुई तो?” अब्राहम ने जवाब दिया, “तो तू अपनी शपथ से छूट जाएगा।” (उत्पत्ति 24:39, 41) बतूएल के घर पर भी लड़की की पसंद मायने रखती थी। एलीएज़ेर इस बात से बहुत खुश था कि उसे इसहाक के लिए लड़की मिल गयी है, इसलिए अगले दिन सुबह होने पर उसने रिबका को अपने साथ कनान ले जाने के लिए बतूएल से इजाज़त माँगी। मगर रिबका के परिवारवाले चाहते थे कि वह उनके साथ दस दिन और रहे। आखिर में उन्होंने मामले को सुलझाने के लिए कहा, “क्यों न हम लड़की को बुलाकर उसी से पूछ लें कि वह क्या चाहती है?”—उत्पत्ति 24:57.
अब रिबका क्या फैसला करेगी? क्या वह अपने पिता और भाई की हमदर्दी का फायदा उठाकर एलीएज़ेर के साथ अनजान देश में जाने से इनकार कर देगी? या क्या वह यहोवा के मकसद में एक छोटी-सी भूमिका निभाने को सम्मान की बात समझेगी? रिबका की ज़िंदगी ने अचानक एक नया मोड़ ले लिया था और शायद यह बदलाव उसके लिए आसान नहीं था। इस बारे में वह कैसे महसूस कर रही थी, यह उसके जवाब से पता चलता है। उसने कहा, “हाँ, मैं जाऊँगी।”—उत्पत्ति 24:58.
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जन16 अंक3 पेज 12-13, अँग्रेज़ी
“हाँ, मैं जाऊँगी”
शाम के वक्त जब रिबका अपना घड़ा भरकर आ रही थी, तब एक बुज़ुर्ग आदमी दौड़ता हुआ उसके पास आया। उसने रिबका से एक छोटी-सी गुज़ारिश की, “क्या मुझे पीने के लिए थोड़ा पानी मिलेगा?” रिबका यह देख सकती थी कि वह आदमी कितनी दूर से सफर करके आया है। उसने तुरंत अपने कंधे से घड़ा उतारा और उस आदमी को अच्छे से ठंडा पानी पिलाया। फिर उसने देखा कि उस आदमी के दस ऊँट भी हैं और उनके लिए पानी का हौद खाली है। रिबका से जितना हो सकता था, वह उस आदमी की मदद करना चाहती थी, इसलिए उसने कहा, “मैं तेरे ऊँटों को भी पानी पिलाऊँगी। वे जितना पीएँगे, मैं भर लाऊँगी।”—उत्पत्ति 24:17-19.
ध्यान दीजिए कि रिबका ने कहा कि वह दस ऊँटों को तब तक पानी पिलाती रहेगी जब तक कि उनकी प्यास न बुझ जाए। अगर एक ऊँट बहुत प्यासा हो, तो वह 95 लीटर से भी ज़्यादा पानी पी सकता है। अगर हम यह मान लें कि सभी ऊँट बहुत प्यासे थे, तो रिबका को वाकई काफी मेहनत करनी पड़ती। ऐसा मालूम होता है कि ऊँटों को उतनी प्यास नहीं लगी थी। मगर क्या रिबका को यह बात पहले से पता थी? नहीं। उस बुज़ुर्ग आदमी की मेहमान-नवाज़ी करने के लिए वह उत्सुक थी और इसके लिए मेहनत करने को भी तैयार थी। उस बुज़ुर्ग आदमी ने उसकी मदद स्वीकार की। फिर वह हैरत से देखता रहा कि रिबका बड़ी फुर्ती से बार-बार कुएँ से पानी भरकर हौद में डाल रही है।—उत्पत्ति 24:20, 21.
जन16 अंक3 पेज 13 फु., अँग्रेज़ी
“हाँ, मैं जाऊँगी”
दिन ढल चुका था। ब्यौरे में ऐसा कुछ नहीं बताया गया है जिससे पता चले कि रिबका घंटों तक कुएँ के पास थी या जब वह अपना काम खत्म करके घर लौटी, तो उसके परिवारवाले सो गए थे। इस बात का भी कोई ज़िक्र नहीं मिलता कि कोई उसकी खोज-खबर लेने आया कि आखिर उसे पानी भरने में इतनी देर क्यों लग रही है।
जन16 अंक3 पेज 15 पै 3, अँग्रेज़ी
“हाँ, मैं जाऊँगी”
आखिरकार वह दिन आ गया जिसका ज़िक्र लेख की शुरूआत में किया गया था। जब यह कारवाँ लंबा सफर तय करके नेगेब पहुँचा, तब शाम हो चुकी थी। रिबका ने एक आदमी को मैदान में टहलते देखा। ऐसा लग रहा था कि वह किसी गहरी सोच में डूबा हुआ है। इससे पहले कि ऊँट ज़मीन पर बैठता, रिबका “फौरन ऊँट से नीचे” उतर गयी। उसने सेवक से पूछा, “वह जो आदमी हमसे मिलने आ रहा है, कौन है?” जैसे ही उसे पता चला कि वह इसहाक है, उसने ओढ़नी से अपना सिर ढक लिया। (उत्पत्ति 24:62-65) उसने ऐसा क्यों किया? दरअसल वह अपने होनेवाले पति के लिए अधीनता दिखा रही थी। आज कुछ लोगों को शायद यह बात दकियानूसी लगे। लेकिन सच तो यह है कि चाहे हम आदमी हों या औरत, हम सबको नम्रता का गुण बढ़ाना है। रिबका की नम्रता से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं।
16-22 मार्च
पाएँ बाइबल का खज़ाना | उत्पत्ति 25-26
“एसाव ने अपने पहलौठे का अधिकार बेचा”
इंसाइट-1 पेज 1242
याकूब
एसाव में संयम नहीं था और वह अशांत स्वभाव का था। वह शिकार करने के लिए भटकता फिरता था। एसाव अपने पिता का चहेता था मगर याकूब उससे अलग था। उसका स्वभाव शांत था। भेड़ों की देखभाल करने के अलावा, वह एक भरोसेमंद इंसान था, जो घर की अच्छी देखरेख करता था। उसकी माँ रिबका उससे बहुत प्यार करती थी। याकूब के बारे में बाइबल बताती है कि वह “एक निर्दोष [इब्रानी में तम] इंसान था और तंबुओं में रहा करता था।” (उत 25:27, 28, फु.) बाइबल की दूसरी आयतों में इब्रानी शब्द तम उन लोगों के लिए इस्तेमाल होता है, जिनसे परमेश्वर खुश होता है। उदाहरण के लिए, “जो खून के प्यासे होते हैं, वे निर्दोष लोगों से नफरत करते हैं,” लेकिन यहोवा भरोसा दिलाता है कि ‘भविष्य में निर्दोष लोग चैन की ज़िंदगी जीएँगे।’ (नीत 29:10; भज 37:37) वफादार इंसान अय्यूब के बारे में कहा गया है कि “वह एक सीधा-सच्चा इंसान था जिसमें कोई दोष [इब्रानी में तम] नहीं था।”—अय 1:1, 8; 2:3.
यह क्यों दिखाएँ कि हम एहसानमंद हैं?
11 दुख की बात है कि बाइबल में बताए गए कुछ लोगों ने दिखाया कि उन्हें अच्छी बातों की कदर नहीं है। एसाव की मिसाल लीजिए। उसके माता-पिता यहोवा से बहुत प्यार करते थे और उसका आदर करते थे, लेकिन उसे पवित्र चीज़ों की कदर नहीं थी। (इब्रानियों 12:16 पढ़िए।) यह बात कैसे ज़ाहिर हुई? एसाव ने बिना सोचे-समझे पहलौठे का अधिकार अपने छोटे भाई याकूब को बेच दिया, वह भी बस एक कटोरी दाल के लिए। (उत्प. 25:30-34) बाद में उसे अपने फैसले पर बहुत पछतावा हुआ। जब उसे पहलौठे की आशीषें नहीं मिलीं, तो वह शिकायत करने लगा। लेकिन ऐसा करना सही नहीं था, क्योंकि उसने कभी उन चीज़ों की कदर नहीं की, जो उसके पास थीं।
इंसाइट-1 पेज 835
पहलौठा
बाइबल के ज़माने में पहलौठे बेटे को परिवार में बहुत मान-सम्मान दिया जाता था और पिता के बाद उसे घराने का मुखिया बनाया जाता था। यही नहीं, उसे अपने पिता की संपत्ति का दुगना हिस्सा भी मिलता था। (व्य 21:17) जब मिस्र में यूसुफ ने अपने भाइयों को खाने के लिए बिठाया, तो रूबेन को पहलौठा होने की वजह से सबसे पहली जगह दी गयी। (उत 43:33) लेकिन बाइबल में हमेशा पहलौठे का ज़िक्र सबसे पहले नहीं आता। इसके बजाय, अकसर उन आदमियों का ज़िक्र पहले आता है, जो यहोवा के वफादार थे या जिन्होंने उसके मकसद में अहम भूमिका निभायी थी।—उत 6:10; 1इत 1:28; कृपया उत 11:26, 32 और 12:4 से तुलना करें।
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
आपने पूछा
अब आइए इब्रानियों 12:16 पर दोबारा गौर करें। वहाँ लिखा है, “यह भी ध्यान रखो कि तुममें ऐसा कोई न हो जो नाजायज़ यौन-संबंध रखता हो, न ही कोई एसाव जैसा हो जिसने पवित्र चीज़ों की कदर नहीं की और एक वक्त के खाने के बदले पहलौठा होने का हक बेच दिया।” इस आयत में क्या बताया जा रहा है?
प्रेषित पौलुस यहाँ मसीहा की वंशावली पर चर्चा नहीं कर रहा था। उसने अभी-अभी मसीहियों को बढ़ावा दिया था कि वे “अपने कदमों के लिए सीधा रास्ता” बनाएँ। इस तरह वे ‘परमेश्वर की महा-कृपा पाने से नहीं चूकेंगे।’ लेकिन अगर वे नाजायज़ यौन-संबंध में पड़ जाते तो वे इस महा-कृपा को पाने से चूक जाते। (इब्रा. 12:12-16) इस तरह वे एसाव जैसा रवैया दिखाते, “जिसने पवित्र चीज़ों की कदर नहीं की” और अपवित्र कामों में पड़ गया।
एसाव कुलपिताओं के समय में जीया था और उसे कई बार बलिदान चढ़ाने का सम्मान भी मिला होगा। (उत्प. 8:20, 21; 12:7, 8; अय्यू. 1:4, 5) लेकिन इंसानी सोच की वजह से एसाव ने एक कटोरा दाल के लिए पहलौठे से जुड़े सारे सम्मान बेच दिए। उसने शायद ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह उस तकलीफ से नहीं गुज़रना चाहता था जो अब्राहम के वंश के बारे में पहले से बतायी गयी थी। (उत्प. 15:13) एसाव ने यह भी दिखाया कि उसे पवित्र चीज़ों की कोई कदर नहीं बल्कि अपवित्र चीज़ें पसंद थीं। इसलिए उसने झूठे देवताओं को पूजनेवाली दो औरतों से शादी की और इससे उसके माता-पिता को बहुत दुख हुआ। (उत्प. 26:34, 35) वह याकूब से बिलकुल अलग था। याकूब ने तो सच्चे परमेश्वर की उपासना करनेवाली औरत से शादी करने के लिए क्या कुछ नहीं किया!—उत्प. 28:6, 7; 29:10-12, 18.
इंसाइट-2 पेज 245 पै 6
झूठ
यह सच है कि बाइबल के मुताबिक जानबूझकर झूठ बोलना सरासर गलत है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हम दूसरों को वे सारी बातें बता दें, जिन्हें जानने का उन्हें कोई हक नहीं। यीशु मसीह ने कहा था, “पवित्र चीज़ें कुत्तों को मत दो, न ही अपने मोती सूअरों के आगे फेंको। ऐसा न हो कि वे अपने पैरों से उन्हें रौंद दें और पलटकर तुम्हें फाड़ डालें।” (मत 7:6) यीशु ने कुछ मौकों पर ऐसा ही किया। जब उसे लगा कि कोई जानकारी देने से बेवजह मुसीबत खड़ी हो सकती है, तो उसने पूरी जानकारी नहीं दी, न ही लोगों के सवालों का सीधा-सीधा जवाब दिया। (मत 15:1-6; 21:23-27; यूह 7:3-10) इन बातों को ध्यान में रखकर यह कहा जा सकता है कि जब अब्राहम, इसहाक, राहाब और एलीशा ने यहोवा की उपासना न करनेवालों को पूरी जानकारी नहीं दी या बात को घुमा दिया, तो वे झूठ नहीं बोल रहे थे।—उत 12:10-19; अध्या 20; 26:1-10; यह 2:1-6; याकू 2:25; 2रा 6:11-23.
23-29 मार्च
पाएँ बाइबल का खज़ाना | उत्पत्ति 27-28
“याकूब को वह आशीर्वाद मिला, जिसका वह हकदार था”
रिबका—परमेश्वर का भय माननेवाली एक मेहनती स्त्री
एसाव, याकूब के अधीन होगा यह बात इसहाक को पता थी या नहीं यह बाइबल में नहीं बताया गया। लेकिन रिबका और याकूब इतना ज़रूर जानते थे कि आशीषें याकूब को मिलनी हैं। इसलिए जब रिबका को पता चला कि एसाव शिकार किए हुए जानवरों में से इसहाक को लज़ीज़ खाना बनाकर देनेवाला है जिसके बाद इसहाक उसे आशीष देगा, तो उसने फौरन कार्यवाही की। उसमें अब भी उतनी फुर्ती और लगन थी जो उसने अपनी जवानी के दिनों में दिखायी थी। वह याकूब को “आज्ञा” देती है कि वह बकरियों के दो बच्चे ले आए ताकि वह अपने पति का मनपसंद भोजन तैयार कर सके। फिर वह याकूब से एसाव होने का ढोंग करने को कहती है ताकि उसे आशीष मिल सके। मगर याकूब इस पर एतराज़ ज़ाहिर करता है। उसे डर है कि कहीं उसके पिता को इस छल का पता न लग जाए और वह उसे आशीष देने के बजाय शाप न दे दे! लेकिन रिबका अपनी बात पर अड़ी रही और उसने कहा: “हे मेरे पुत्र, शाप तुझ पर नहीं मुझी पर पड़े।” फिर वह भोजन तैयार करती है और याकूब का भेस बदलकर उसे अपने पति के पास भेजती है।—उत्पत्ति 27:1-17.
रिबका ने ऐसा क्यों किया यह नहीं बताया गया। बहुत-से लोग उसके इस काम को बुरा कहते हैं, मगर बाइबल ऐसा नहीं कहती, और ना ही यह पता लगने पर कि याकूब ने धोखे से आशीष हासिल की है, इसहाक ने रिबका को बुरा-भला कहा। इसके बजाय, इसहाक ने याकूब को और भी आशीषें दीं। (उत्पत्ति 27:29; 28:3, 4) रिबका को मालूम है कि यहोवा ने उसके बेटों के बारे में क्या भविष्यवाणी की थी। इसलिए उसने उसके मुताबिक कदम उठाया ताकि जिस आशीष पर याकूब का हक है, वह उसे मिले। यह पूरी तरह यहोवा की मरज़ी के मुताबिक हुआ।—रोमियों 9:6-13.
प्र07 10/1 पेज 31 पै 2-3, अँग्रेज़ी
आपने पूछा
बाइबल इस बारे में पूरी जानकारी नहीं देती है कि रिबका और याकूब ने जो किया, वह क्यों किया। लेकिन इतना ज़रूर बताती है कि उनके सामने ये हालात अचानक खड़े हो गए। ध्यान दीजिए कि परमेश्वर का वचन रिबका और याकूब के कामों को न तो सही ठहराता है, न ही गलत। इस घटना से यह साबित नहीं होता कि झूठ बोलना और धोखा देना जायज़ है। लेकिन बाइबल इस घटना को समझने में हमारी मदद ज़रूर करती है।
पहली बात, इस घटना से साफ पता चलता है कि इसहाक से मिलनेवाले आशीर्वाद का हकदार याकूब था, एसाव नहीं। कुछ समय पहले, याकूब ने कानूनी तौर पर पहलौठे का अधिकार अपने जुड़वा भाई एसाव से खरीद लिया था। एसाव को अपने अधिकार की कोई कदर नहीं थी, उसने एक वक्त के खाने के बदले यह अधिकार बेच दिया। बाइबल बताती है, “एसाव ने अपने पहलौठे के अधिकार को तुच्छ जाना।” (उत्पत्ति 25:29-34) इस वजह से जब याकूब आशीर्वाद लेने के लिए अपने पिता के पास गया, तो दरअसल इस आशीर्वाद पर उसी का हक था।
इंसाइट-1 पेज 341 पै 6
आशीष, आशीर्वाद
कुलपिताओं के ज़माने में एक पिता अपनी मौत से कुछ समय पहले अपने बेटों को आशीर्वाद देता था। यह कोई मामूली बात नहीं थी, बल्कि इसकी बहुत अहमियत होती थी। इसहाक ने याकूब को अपना पहलौठा बेटा एसाव समझकर यह आशीर्वाद दिया कि वह अपने भाई से बढ़कर फले-फूले और यहोवा की मंज़ूरी उस पर हमेशा बनी रहे। दूसरे शब्दों में कहें तो इसहाक यहोवा से बिनती कर रहा था कि वह उसके बेटे को आशीष दे, क्योंकि इसहाक बूढ़ा हो गया था और उसकी आँखें कमज़ोर हो गयीं थीं। (उत 27:1-4, 23-29; 28:1, 6; इब्र 11:20; 12:16, 17) बाद में जब इसहाक को पता चला कि उसने एसाव के बदले याकूब को आशीर्वाद दिया है, तो उसने फिर से याकूब को बुलाकर उसे आशीर्वाद दिया और इसके बारे में उसे और भी बातें खुलकर बतायीं। (उत 28:1-4) याकूब ने भी मरने से पहले यूसुफ के दोनों बेटों को आशीर्वाद दिया, फिर उसके बाद उसने अपने बेटों को आशीर्वाद दिया। (उत 48:9, 20; 49:1-28; इब्र 11:21) इसी तरह मूसा ने भी अपनी मौत से पहले पूरे इसराएल राष्ट्र को आशीर्वाद दिया था। (व्य 33:1) इन सभी मामलों में आशीर्वाद देते वक्त जो-जो बातें कही गयीं, वे सब पूरी हुईं। इससे साबित होता है कि वे दरअसल भविष्यवाणियाँ थीं। कुछ मामलों में आशीर्वाद देते समय एक व्यक्ति आशीर्वाद पानेवाले के सिर पर हाथ रखता था।—उत 48:13, 14.
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अपने साथी से बात करने के लिए क्या ज़रूरी है?
हम कैसे कह सकते हैं कि इसहाक और रिबका ने अपनी बात अच्छी तरह कहने और एक-दूसरे को समझने का हुनर बढ़ाया था? जब उनके बड़े बेटे एसाव ने हित्ती जाति की दो लड़कियों से शादी की, तो उनके परिवार में कलह मच गयी। रिबका इसहाक से बार-बार कहती रही: “मैं हित्ती लड़कियों के साथ रहते रहते उकता गई हूं! यदि याकूब [उनका छोटा बेटा] भी . . . किसी हित्ती लड़की से विवाह कर लेता है, तब मेरे जीवन में मुझे कौन-सा सुख मिलेगा?” (उत्पत्ति 26:34; 27:46, NHT) ज़ाहिर है, रिबका ने साफ शब्दों में अपनी परेशानी इसहाक को बतायी।
इसहाक ने अपने दूसरे बेटे, याकूब को आज्ञा दी कि वह किसी कनानी लड़की से शादी न करे। (उत्पत्ति 28:1, 2) इससे पता चलता है कि इसहाक ने रिबका की बात को अच्छी तरह समझा और फिर ज़रूरी कदम उठाया। इस जोड़े ने अपने परिवार के एक बहुत ही नाज़ुक मसले पर बात करने और एक-दूसरे की बात समझने में कामयाबी पायी। यह हमारे लिए एक बहुत बढ़िया मिसाल है। लेकिन अगर पति-पत्नी किसी मसले पर एक-दूसरे से सहमत नहीं होते, तब क्या किया जा सकता है?
उत्पत्ति किताब की झलकियाँ—II
28:12, 13—याकूब ने “एक सीढ़ी” के बारे में जो सपना देखा, उसका क्या मतलब है? यह “सीढ़ी” शायद आसमान की तरफ बढ़ती हुई पत्थरों की सीढ़ी जैसी लगी होगी। यह इस बात की निशानी थी कि स्वर्ग और धरती के बीच बातचीत संभव है। परमेश्वर के स्वर्गदूतों का सीढ़ी पर चढ़ना-उतरना दिखाता है कि वे यहोवा और उन इंसानों के बीच किसी खास तरीके से सेवा कर रहे हैं जिन पर उसका अनुग्रह है।—यूहन्ना 1:51.
30 मार्च—5 अप्रैल
पाएँ बाइबल का खज़ाना | उत्पत्ति 29-30
“याकूब ने शादी की”
याकूब ने आध्यात्मिक बातों को अहमियत दी
उस ज़माने में दुल्हन के परिवार को महर की रकम देने की बात से शादी का रिश्ता तय होता था। बाद में मूसा के नियम के मुताबिक जिस कुँवारी को बहकाकर उसके साथ कुकर्म किया जाता, उसकी कीमत 50 चाँदी के शेकेल होती थी। विद्वान गार्डन वेनहम का मानना है कि यह “महर की सबसे बड़ी रकम थी” लेकिन ज़्यादातर तो “बहुत कम हुआ करती थी।” (व्यवस्थाविवरण 22:28, 29) याकूब के लिए महर की रकम का जुगाड़ करना मुमकिन नहीं था इसलिए उसने लाबान के लिए सात साल काम करने की पेशकश रखी। वेनहम आगे कहता है: “प्राचीन बाबुलियों के ज़माने में दिहाड़ी पर काम करनेवाले मज़दूरों को महीने भर में आधा या एक शेकेल मिलता था (पूरे सात साल में 42 से 84 शेकेल)। इस हिसाब से तो याकूब ने राहेल का हाथ माँगते हुए लाबान को बहुत मोटी रकम की पेशकश की थी।” लाबान ने खुशी-खुशी कबूल कर लिया।—उत्पत्ति 29:19.
प्र07 10/1 पेज 8-9, अँग्रेज़ी
दुखी बहनें, “जिनसे इसराएल का पूरा घराना निकला”
क्या लिआ ने याकूब को धोखा देने की साज़िश रची? या क्या वह अपने पिता की आज्ञा मानने के लिए मजबूर थी? राहेल उस समय कहाँ थी और क्या उसे पता था कि क्या हो रहा है? अगर हाँ, तो उसे कैसा लगा होगा? क्या उसने अपने पिता की मरज़ी के खिलाफ आवाज़ उठायी होगी? बाइबल इन सवालों के जवाब नहीं देती। इस मामले के बारे में राहेल और लिआ ने चाहे जो भी सोचा हो, एक बात तो पक्की है: जब याकूब को इस धोखे का पता चला, तो वह गुस्से से भड़क उठा। उसने लाबान की बेटियों से नहीं, बल्कि लाबान से जवाब माँगा। याकूब ने कहा, “क्या मैंने तेरे यहाँ राहेल के लिए काम नहीं किया था? फिर तूने मुझे क्यों धोखा दिया?” लाबान ने कहा, “हमारे यहाँ ऐसा दस्तूर नहीं कि बड़ी से पहले छोटी की शादी करा दें। तू यह हफ्ता इस लड़की के साथ खुशियाँ मना ले। फिर मैं तुझे दूसरी लड़की भी दे दूँगा, मगर उसके लिए तुझे सात साल और काम करना होगा।” (उत्पत्ति 29:25-27) इस तरह न चाहते हुए भी याकूब की दो औरतों से शादी हुई और इससे आगे चलकर बहुत कड़वाहट और जलन पैदा हुई।
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शादी
जश्न। इसराएल में शादी के वक्त कोई खास रस्म नहीं निभायी जाती थी, लेकिन जश्न और खुशियाँ ज़रूर मनायी जाती थीं। शादी के दिन आम तौर पर दुल्हन एक-से-बढ़कर-एक तैयारियाँ करती थी। सबसे पहले वह नहा-धोकर खुशबूदार तेल से खुद को मलती थी। (रूत 3:3 और यहे 23:40 से तुलना करें।) फिर वह सफेद पोशाक और सीनाबंद पहनती थी। कुछ मौकों पर सेविकाएँ उसकी मदद करती थीं। दुल्हन की पोशाक भी कितनी शानदार और कढ़ाईदार होगी, यह उसकी आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता था। (यिर्म 2:32; प्रक 19:7, 8; भज 45:13, 14) वह अपनी हैसियत के मुताबिक भी गहनों से अपना सिंगार करती थी। (यश 49:18; 61:10; प्रक 21:2) फिर वह सिर से लेकर पाँव तक घूँघट करती थी। (यश 3:19, 23) इससे समझ में आता है कि क्यों लाबान याकूब को आसानी से धोखा दे पाया। याकूब को पता ही नहीं चला कि लाबान उसकी शादी राहेल से नहीं, लिआ से करा रहा है। (उत 29:23, 25) घूँघट की बात करें, तो जब रिबका पहली बार इसहाक से मिली, तो उसने अपना सिर ढक लिया। (उत 24:65) यह इस बात की निशानी थी कि दुल्हन अपने होनेवाले पति के अधिकार के लिए अधीनता दिखा रही है।—1कुर 11:5, 10.
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इंसाइट-1 पेज 50
गोद लेना
राहेल और लिआ ने याकूब को अपनी दासियाँ दीं ताकि उनसे बेटे पैदा हों। इन बेटों को राहेल और लिआ ने अपने बेटे समझा मानो वे ‘उनके घुटनों पर जने’ हों। (उत 30:3-8, फु., 12, 13, 24) दासियों के इन बच्चों को राहेल और लिआ के बच्चों के साथ-साथ जायदाद में हिस्सा मिला। इन बच्चों पर राहेल और लिआ का पूरा-पूरा अधिकार था, क्योंकि वे याकूब के बेटे थे और इनकी माँएँ राहेल और लिआ की जागीर थीं।
उत्पत्ति किताब की झलकियाँ—II
30:14, 15—राहेल ने कुछ दूदाफलों के बदले, अपने पति के साथ संबंध रखने का मौका क्यों हाथ से जाने दिया? प्राचीन समय में, दूदाफल से दर्द भगाने और दौरे रोकने या राहत पाने की दवाइयाँ बनायी जाती थीं। इसके अलावा, माना जाता था कि यह फल, लैंगिक इच्छा जगाता और गर्भधारण में मदद देता है। (श्रेष्ठगीत 7:13) बाइबल नहीं बताती कि राहेल ने यह सौदा क्यों किया था। उसने शायद सोचा होगा कि दूदाफल खाने से वह गर्भवती हो जाएगी और इस तरह उसके माथे से बाँझ होने का कलंक मिट जाएगा। लेकिन हुआ यह कि कुछ सालों बाद जब यहोवा ने “उसकी कोख खोली,” तभी वह गर्भवती हुई।—उत्पत्ति 30:22-24.