मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले
4-10 मई
पाएँ बाइबल का खज़ाना | उत्पत्ति 36-37
“यूसुफ अपने भाइयों की जलन का शिकार हुआ”
प्र14 8/1 पेज 12-13, अँग्रेज़ी
“मेहरबानी करके सुनो कि मैंने क्या सपना देखा”
बाइबल बताती है, “जब उसके भाइयों ने देखा कि उनका पिता उन सबसे ज़्यादा यूसुफ से प्यार करता है, तो वे यूसुफ से नफरत करने लगे। वे उससे ठीक से बात भी नहीं करते थे।” (उत्पत्ति 37:4) यूसुफ अपने पिता का चहेता था, तो ज़ाहिर-सी बात है कि उसके भाइयों को उससे जलन हुई होगी। लेकिन उन्होंने जलन की इस आग को नहीं बुझाया। ऐसा करके उन्होंने गलत किया। (नीतिवचन 14:30; 27:4) क्या कभी आपको किसी से जलन हुई है? खासकर तब जब आप देखते हैं कि लोग उसे पसंद करते हैं और बहुत मान-सम्मान देते हैं? अगर हाँ, तो यूसुफ के भाइयों को याद कीजिए। जलन की वजह से उन्होंने ऐसे काम किए जिनका बाद में उन्हें बहुत पछतावा हुआ। उनकी कहानी से मसीही सीखते हैं कि ‘खुशी मनानेवालों के साथ खुशी मनाने’ से वे कई दुखों से बच सकते हैं।—रोमियों 12:15.
यूसुफ ज़रूर समझ गया होगा कि उसके भाई उससे नफरत करते हैं। तो जब भी उसके भाई आस-पास थे, तब शायद उसका मन किया होगा कि वह अपना खास चोगा उतारकर छिपा दे। लेकिन वह खास चोगा याकूब ने यूसुफ को दिया था, जो इस बात की निशानी था कि वह यूसुफ से बहुत प्यार करता था। यूसुफ अपने पिता का भरोसा नहीं तोड़ना चाहता था, इसलिए वह उस चोगे को पहने रहा। उसकी मिसाल से हम क्या सीखते हैं? हालाँकि यहोवा सबके साथ एक-जैसा व्यवहार करता है, लेकिन कभी-कभी वह अपने वफादार सेवकों पर खास ध्यान देता है और उनके साथ प्यार से पेश आता है। वह चाहता है कि वे इस दुष्ट और अनैतिक दुनिया के लोगों जैसे न बनें। यूसुफ के खास चोगे की तरह सच्चे मसीहियों का चालचलन उन्हें दुनिया के लोगों से अलग ठहराता है। इस वजह से कभी-कभी वे लोगों की जलन और नफरत का शिकार होते हैं। (1 पतरस 4:4) ऐसे में क्या एक मसीही को यह बात छिपानी चाहिए कि वह परमेश्वर का सेवक है? यूसुफ ने अपना चोगा नहीं छिपाया और हमें भी अपनी पहचान नहीं छिपानी चाहिए।—लूका 11:33.
प्र14 8/1 पेज 13 पै 2-4, अँग्रेज़ी
“मेहरबानी करके सुनो कि मैंने क्या सपना देखा”
यहोवा ने ये सपने यूसुफ को दिखाए थे। इनमें बताया गया था कि भविष्य में क्या होनेवाला है और यहोवा चाहता था कि यूसुफ अपने परिवारवालों को ये सपने बताए। इस तरह यूसुफ ने दरअसल वह काम किया, जो आगे चलकर परमेश्वर के भविष्यवक्ता करते। इन भविष्यवक्ताओं ने परमेश्वर से बगावत करनेवाले लोगों को उसके न्याय का संदेश सुनाया।
यूसुफ ने अपने भाइयों से कहा, “मेहरबानी करके सुनो कि मैंने क्या सपना देखा।” यूसुफ के भाई समझ गए कि वह सपना किस बारे में था और उन्हें बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा। उन्होंने कहा, “आखिर तू कहना क्या चाहता है, तू क्या राजा बनकर हम पर हुक्म चलाएगा?” फिर ब्यौरा बताता है, “इस तरह जब यूसुफ के भाइयों ने उसका सपना और उसकी बातें सुनीं तो वे उससे और ज़्यादा नफरत करने लगे।” जब यूसुफ ने अपने पिता और भाइयों को दूसरा सपना बताया तब भी वे नाराज़ हुए। बाइबल बताती है, “उसके पिता ने उसे डाँटा, ‘यह कैसा सपना है? क्या मैं और तेरी माँ और तेरे भाई तेरे आगे ज़मीन पर गिरकर तुझे प्रणाम करेंगे?’” लेकिन याकूब ने ये बातें ध्यान में रखीं। वह मन-ही-मन सोचने लगा कि कहीं यहोवा इस लड़के के ज़रिए उनसे कुछ कहना तो नहीं चाह रहा था?—उत्पत्ति 37:6, 8, 10, 11.
यहोवा चाहता था कि यूसुफ दूसरों को बताए कि भविष्य में क्या होनेवाला है। यही काम यहोवा ने अपने दूसरे सेवकों को भी सौंपा था। उनके संदेश सुनाने की वजह से उन्हें सताया गया। यीशु के साथ भी ऐसा ही हुआ। उसे संदेश सुनाने की वजह से सताया गया। उसने अपने चेलों से कहा, “अगर उन्होंने मुझे सताया है तो तुम्हें भी सताएँगे।” (यूहन्ना 15:20) हम चाहे किसी भी उम्र के क्यों न हों, यूसुफ के विश्वास और हिम्मत से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं।
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
इंसाइट-1 पेज 678
एदोम
(एदोम) [लाल], एदोमी।
एसाव को एदोम नाम दिया गया था। यह उसका दूसरा नाम या उपनाम था। वह याकूब का जुड़वा भाई था। (उत 36:1) उसे यह नाम इसलिए दिया गया क्योंकि उसने लाल दाल के बदले अपने पहलौठे का अधिकार बेच दिया था। (उत 25:30-34) इत्तफाक की बात है कि जन्म के वक्त एसाव का रंग लाल था। (उत 25:25) आगे चलकर एसाव और उसके वंशज जिस जगह बसे, उस ज़मीन का रंग भी लाल था।
इंसाइट-1 पेज 561-562
रखवाली
जब एक चरवाहा किसी और की भेड़-बकरियों की रखवाली करने के लिए राज़ी होता, तो वह कानूनी तौर पर उन भेड़-बकरियों की ज़िम्मेदारी लेता। वह मालिक को यह गारंटी दे रहा होता कि वह भेड़-बकरियों की देखभाल करेगा और उन्हें चोरी नहीं होने देगा। ऐसा नहीं कर पाने पर उसे मालिक को मुआवज़ा देना पड़ता। लेकिन हो सकता है कुछ हालात चरवाहे के बस के बाहर हों। जैसे किसी जंगली जानवर का भेड़-बकरियों पर हमला करना। ऐसे मामलों में कानून के तहत उसे मुआवज़ा नहीं देना पड़ता। अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए उसे मालिक को सबूत पेश करना पड़ता जैसे, उस मरे हुए जानवर की लाश। फिर मालिक सबूतों की जाँच करता और चरवाहे को निर्दोष ठहराता।
भेड़-बकरियों के अलावा जब किसी और चीज़ की ज़िम्मेदारी लेने की बात आती, तब भी यह सिद्धांत लागू होता। यहाँ तक की पारिवारिक ज़िम्मेदारियों में भी। उदाहरण के लिए, सबसे बड़े बेटे की यह कानूनी ज़िम्मेदारी होती थी कि वह अपने छोटे भाई-बहनों की देखभाल करे। इसलिए जब यूसुफ के भाई उसे मार डालने की सोच रहे थे, तो रूबेन को जो उनमें सबसे बड़ा था, बहुत चिंता होने लगी। (उत 37:18-30) उसने कहा, ‘“नहीं, हम उसकी जान नहीं लेंगे। उसका खून मत बहाओ। उसे जान से मत मारो।” रूबेन यूसुफ को अपने भाइयों के हाथों से बचाकर अपने पिता के पास वापस ले जाना चाहता था।’ बाद में जब रूबेन गड्ढे के पास पहुँचा और देखा कि यूसुफ वहाँ नहीं है, तो उसे इतनी ज़्यादा चिंता होने लगी कि उसने “मारे दुख के अपने कपड़े फाड़े” और “चीख-चीखकर कहने लगा, ‘लड़का वहाँ नहीं है! अब क्या होगा? अब मैं क्या करूँ?’” वह जानता था कि अगर यूसुफ को कुछ होता तो उसे ज़िम्मेदार ठहराया जाता। अपना गुनाह छिपाने के लिए यूसुफ के भाइयों ने बड़ी चालाकी से झूठे सबूत पेश किए ताकि ऐसा लगे कि यूसुफ को किसी जंगली जानवर ने मार डाला है। उन्होंने यूसुफ के खास चोगे को एक बकरे के खून में डुबोया। फिर उन्होंने इस चोगे को सबूत के तौर पर याकूब को दिखाया, जो उनका पिता और उनके घराने का न्यायी था। इस सबूत के आधार पर याकूब को लगा कि यूसुफ को किसी जंगली जानवर ने मार डाला है और रूबेन दोषी नहीं है।—उत 37:31-33.
11-17 मई
पाएँ बाइबल का खज़ाना | उत्पत्ति 38-39
“यहोवा ने यूसुफ का साथ कभी नहीं छोड़ा”
प्र14 11/1 पेज 12 पै 4-5, अँग्रेज़ी
‘भला मैं इतना बड़ा दुष्ट काम कैसे कर सकता हूँ?’
“जब यूसुफ को इश्मा एली मिस्र ले गए तो वहाँ पोतीफर नाम के एक मिस्री ने उसे खरीद लिया, जो फिरौन का एक दरबारी और पहरेदारों का सरदार था।” (उत्पत्ति 39:1) जवान यूसुफ को एक बार फिर बेच दिया गया मानो वह कोई मामूली चीज़ हो। यह उसके लिए कितने अपमान की बात रही होगी! हम कल्पना कर सकते हैं कि यूसुफ अपने नए मिस्री मालिक के पीछे-पीछे चल रहा है। वे बाज़ार के भीड़-भाड़वाले इलाके से होते हुए उस घर की तरफ बढ़ रहे हैं जो यूसुफ के लिए नया होगा।
क्या यूसुफ के मालिक का घर उसके लिए अपने घर जैसा होता? नहीं, क्योंकि यूसुफ एक खानाबदोश परिवार में पला-बढ़ा था। वे तंबुओं में रहते थे और एक जगह से दूसरी जगह सफर करते थे और मवेशियों को पालते थे। लेकिन पोतीफर जैसे अमीर मिस्रियों के घर बड़े और आलीशान होते थे। इनके घर चटक रंग के होते थे। पुरातत्ववेत्ताओं के मुताबिक मिस्री लोग पेड़-पौधे बहुत पसंद करते थे। उनके खूबसूरत बगीचे हुआ करते थे, जिनके चारों तरफ दीवारें होती थीं। इन बगीचों में वे छायादार पेड़ लगाते थे और वहाँ ऐसे शांत तालाब होते थे जिनमें सरकंडे, कमल और दूसरे पानी वाले पौधे होते थे। कुछ घर बगीचों के बीचों-बीच होते थे। वहाँ ठंडी हवा का मज़ा लेने के लिए बरामदे हुआ करते थे, ऊँची खिड़कियाँ और कई कमरे होते थे। इसके अलावा उन घरों में खाना खाने के लिए बड़ा-सा कमरा और नौकरों के रहने के लिए भी कमरे होते थे।
प्र14 11/1 पेज 14-15, अँग्रेज़ी
‘भला मैं इतना बड़ा दुष्ट काम कैसे कर सकता हूँ?’
हम मिस्र के कैदखानों के बारे में ज़्यादा कुछ नहीं जानते। पुरातत्ववेत्ताओं को इन कैदखानों के खंडहर मिले हैं जिनसे पता चला है कि ये किलों जैसे ऊँचे थे और इनमें छोटे-छोटे कमरे और काल-कोठरियाँ थीं। यूसुफ ने इस कैदखाने के लिए शब्द “गड्ढा” इस्तेमाल किया। इससे पता चलता है कि शायद यह एक ऐसी जगह थी जहाँ बिलकुल भी रोशनी नहीं आती थी और यहाँ से बाहर निकलने की कोई उम्मीद नहीं थी। (उत्पत्ति 40:15, फुटनोट) इतना ही नहीं, भजन की किताब से पता चलता है कि यूसुफ के साथ और भी ज़्यादती हुई। वहाँ लिखा है, ‘उन्होंने उसके पैरों में बेड़ियाँ और उसकी गरदन में लोहे की ज़ंजीरें डालीं।” (भजन 105:17, 18) मिस्री कभी-कभी कैदियों के हाथ कोहनी के पीछे से बाँध देते थे या फिर उनकी गरदन लोहे की पट्टियों से बाँध देते थे। हम समझ सकते हैं कि यूसुफ को कितनी तकलीफ हुई होगी जबकि उसकी कोई गलती भी नहीं थी!
यूसुफ ने ये तकलीफें सिर्फ कुछ समय के लिए नहीं झेलीं। बाइबल बताती है कि “यूसुफ जेल में ही पड़ा रहा।” उसने उस कोठरी में कई साल बिताए। और-तो-और वह नहीं जानता था कि वह इस कैदखाने से कभी छूट पाएगा भी या नहीं। धीरे-धीरे दिन महीनों में बदल गए और महीने सालों में। ऐसे में किस बात ने उसकी मदद की कि वह निराशा में न डूब जाए?
आगे बतायी आयत से हमें यह जवाब मिलता है: “यहोवा ने यूसुफ का साथ नहीं छोड़ा और उस पर कृपा करता रहा।” (उत्पत्ति 39:21) कोई भी चीज़ यहोवा के प्यार को उसके वफादार सेवकों तक पहुँचने से नहीं रोक सकती फिर चाहे वे कैदखानों की दीवारें हों, ज़ंजीरें हों या काल-कोठरियाँ। (रोमियों 8:38, 39) यूसुफ ज़रूर स्वर्ग में रहनेवाले अपने प्यारे पिता यहोवा को प्रार्थना में अपने दिल का हाल बताता होगा। जवाब में, ‘हर तरह का दिलासा देनेवाले परमेश्वर’ यहोवा ने ज़रूर उसे मन की शांति दी होगी। (2 कुरिंथियों 1:3, 4; फिलिप्पियों 4:6, 7) यहोवा ने यूसुफ की खातिर और क्या किया? यहोवा लगातार उसे आशीष देता रहा और “यूसुफ ने जेल के दारोगा की नज़रों में मंज़ूरी पायी।”
प्र14 11/1 पेज 15 पै 2, अँग्रेज़ी
‘भला मैं इतना बड़ा दुष्ट काम कैसे कर सकता हूँ?’
आगे बतायी आयत से हमें यह जवाब मिलता है: “यहोवा ने यूसुफ का साथ नहीं छोड़ा और उस पर कृपा करता रहा।” (उत्पत्ति 39:21) कोई भी चीज़ यहोवा के प्यार को उसके वफादार सेवकों तक पहुँचने से नहीं रोक सकती फिर चाहे वे कैदखानों की दीवारें हों, ज़ंजीरें हों या काल-कोठरियाँ। (रोमियों 8:38, 39) यूसुफ ज़रूर स्वर्ग में रहनेवाले अपने प्यारे पिता यहोवा को प्रार्थना में अपने दिल का हाल बताता होगा। जवाब में, ‘हर तरह का दिलासा देनेवाले परमेश्वर’ यहोवा ने ज़रूर उसे मन की शांति दी होगी। (2 कुरिंथियों 1:3, 4; फिलिप्पियों 4:6, 7) यहोवा ने यूसुफ की खातिर और क्या किया? यहोवा लगातार उसे आशीष देता रहा और “यूसुफ ने जेल के दारोगा की नज़रों में मंज़ूरी पायी।”
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इंसाइट-1 पेज 555
ओनान
(ओनान) [यह ऐसे शब्द से निकला है, जिसका मूल अर्थ है, “पैदा करने की शक्ति; ज़बरदस्त ताकत।”]
ओनान यहूदा का दूसरा बेटा था, जो एक कनानी आदमी शूआ की बेटी से पैदा हुआ था। (उत 38:2-4; 1इत 2:3) ओनान का भाई एर दुष्ट था, इसलिए यहोवा ने उसे मार डाला। जब एर की मौत हुई, तब तक उसकी कोई संतान नहीं हुई थी। इस वजह से यहूदा ने ओनान से कहा कि वह देवर-भाभी रिवाज़ के मुताबिक अपने भाई की पत्नी तामार से शादी कर ले। इस शादी के बाद अगर एक लड़का पैदा होता, तो वह ओनान की संतान नहीं, बल्कि एर का वारिस कहलाता और पहलौठे होने की वजह से उस लड़के को जायदाद का हिस्सा मिलता। लेकिन अगर कोई वारिस पैदा नहीं होता, तो सारी जायदाद पर ओनान का हक होता। जब ओनान ने तामार के साथ संबंध रखे, तो “उसने अपना वीर्य धरती पर गिरा दिया।” क्या उसने अपना वीर्य हस्तमैथुन करके नीचे गिरा दिया? नहीं, क्योंकि ब्यौरे में साफ बताया गया है कि ओनान ने तामार के साथ “संबंध रखते वक्त” ऐसा किया। ऐसा मालूम होता है कि उसने जानबूझकर तामार के जननांग में अपना वीर्य नहीं जाने दिया। ऐसा करके उसने अपने पिता यहूदा की बात नहीं मानी, लालच किया और शादी के पवित्र इंतज़ाम का अनादर किया। इस वजह से वह बेऔलाद रहा और यहोवा ने उसे मौत की सज़ा दी।—उत 38:6-10; 46:12; गि 26:19.
पाठकों के प्रश्न
यहूदा ने अपने वादे के मुताबिक, शेलाह का ब्याह तामार से न करवाकर उसके साथ नाइंसाफी की थी। इतना ही नहीं, उसने एक परायी औरत के साथ संबंध रखा। इस तरह उसने परमेश्वर के मकसद के खिलाफ काम किया जिसके मुताबिक एक पुरुष को सिर्फ अपनी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध रखना है। (उत्पत्ति 2:24) मगर असल में देखें तो यहूदा ने किसी वेश्या के साथ संबंध नहीं रखा था। उसने अनजाने में अपने बेटे, शेलाह की जगह ले ली और देवर-विवाह का फर्ज़ पूरा किया और इस तरह तामार की संतान नाजायज़ नहीं ठहरी।
जहाँ तक तामार की बात है, उसने जो किया वह अनैतिक नहीं था। उसके जुड़वा बेटों को व्यभिचार की संतान नहीं माना गया। जब बेतलेहेम के रहनेवाले बोअज़ ने देवर-विवाह इंतज़ाम के तहत मोआबी रूत को अपना लिया, तो बेतलेहेम के पुरनियों ने तामार के बेटे पेरेस की अच्छाई का ज़िक्र करते हुए कहा: “जो सन्तान यहोवा इस जवान स्त्री के द्वारा तुझे दे उसके कारण से तेरा घराना पेरेस का सा हो जाए, जो तामार से यहूदा के द्वारा उत्पन्न हुआ।” (रूत 4:12) इतना ही नहीं, पेरेस का नाम यीशु मसीह के पुरखाओं की सूची में भी शामिल है।—मत्ती 1:1-3; लूका 3:23-33.
18-24 मई
पाएँ बाइबल का खज़ाना | उत्पत्ति 40-41
“यहोवा ने यूसुफ को छुड़ाया”
प्र15 2/1 पेज 14 पै 4-5, अँग्रेज़ी
“सपनों का मतलब सिर्फ परमेश्वर समझा सकता है”
साकी शायद यूसुफ को भूल गया था मगर यहोवा उसे नहीं भूला। एक रात यहोवा ने फिरौन को दो सपने दिखाए। पहले सपने में उसने देखा कि नील नदी से सात मोटी-ताज़ी, सुंदर गायें निकलीं। फिर उनके बाद नदी में से सात और गायें निकलीं जो दुबली-पतली और दिखने में भद्दी थीं। ये दुबली-पतली गायें उन सात मोटी-ताज़ी गायों को खाने लगीं। दूसरे सपने में उसने देखा कि एक डंठल पर अनाज की सात मोटी-मोटी, भरी हुई बालें निकल रही हैं। इसके बाद अनाज की सात पतली-पतली बालें फूट निकलीं जो गरम हवा से झुलसी हुई थीं। ये अनाज की पतली बालें उन सात मोटी-मोटी, भरी हुई बालों को निगलने लगीं। जब सुबह हुई तो फिरौन का मन बेचैन होने लगा। उसने मिस्र के सभी जादू-टोना करनेवाले पुजारियों और बड़े-बड़े ज्ञानियों को बुलवाया ताकि वे उसके सपनों का मतलब बताएँ। मगर उनमें से कोई भी उन सपनों का मतलब नहीं बता पाया। (उत्पत्ति 41:1-8) शायद उन पुजारियों और ज्ञानियों को कुछ नहीं सूझा या उनकी राय एक-दूसरे से मेल नहीं खा रही थी। हम इस बारे में सही-सही नहीं जानते। लेकिन एक बात तो पक्की है कि फिरौन ज़रूर नाराज़ हुआ होगा और अब वह सपनों का मतलब जानने के लिए बहुत बेताब था।
आखिरकार साकी को यूसुफ याद आ ही गया! उसे बहुत बुरा लगा कि वह फिरौन को उसके बारे में बताना भूल गया था। साकी ने फिरौन को बताया कि कैसे यूसुफ ने दो साल पहले उसके और रसोइए के सपनों का सही-सही मतलब बताया था। यह सुनकर फिरौन ने फौरन यूसुफ को जेल से बाहर निकलवाया।—उत्पत्ति 41:1-13.
प्र15 2/1 पेज 14-15, अँग्रेज़ी
“सपनों का मतलब सिर्फ परमेश्वर समझा सकता है”
यहोवा ऐसे लोगों से प्यार करता है जो नम्र और वफादार होते हैं। यही वजह थी कि क्यों उसने सपनों का मतलब यूसुफ को बताया न कि उन पुजारियों और ज्ञानियों को। यूसुफ ने फिरौन को बताया कि उसके दोनों सपनों का एक ही मतलब है। दो बार सपने दिखाकर यहोवा बताना चाहता था कि उसने “जो ठाना है उसे वह ज़रूर करेगा।” सात अच्छी गायों और सात अच्छी बालों का मतलब है कि मिस्र में सात साल तक भरपूर पैदावार होगी। जबकि सात दुबली-पतली गायों और सूखी बालों का मतलब है कि सात साल तक अकाल पड़ेगा। यह अकाल भरपूर पैदावार के सालों के बाद पड़ेगा। यह अकाल पूरे देश की पैदावार खा जाएगा।—उत्पत्ति 41:25-32.
प्र15 2/1 पेज 15 पै 3, अँग्रेज़ी
“सपनों का मतलब सिर्फ परमेश्वर समझा सकता है”
फिरौन अपनी ज़बान का पक्का था। यूसुफ को बढ़िया मलमल की पोशाक पहनायी गयी। इसके अलावा फिरौन ने उसे अपनी मुहरवाली अँगूठी दी, सोने का हार पहनाया और शाही रथ पर सवार कराया। साथ ही, यूसुफ को यह अधिकार दिया गया कि वह पूरे देश में दौरा करे और अपनी योजना के मुताबिक काम करे। (उत्पत्ति 41:42-44) यूसुफ रातों-रात जेल से महल पहुँच गया। एक ही पल में वह कैदी से मिस्र का सबसे बड़ा अधिकारी बन गया। यूसुफ को परमेश्वर यहोवा पर भरोसा था और यहोवा ने भी उसका भरोसा नहीं तोड़ा। यूसुफ के साथ जो अन्याय हुआ वह यहोवा की नज़रों से छिपा नहीं था। यहोवा ने बिलकुल सही वक्त पर और सही तरीके से यूसुफ के साथ हुए अन्याय को ठीक किया और भविष्य में बननेवाले इसराएल राष्ट्र को मिटने से बचाया। कैसे? यह आनेवाले लेखों में बताया जाएगा।
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
प्र15 11/9 पेज 9 पै 1-3, अँग्रेज़ी
क्या आप जानते थे?
फिरौन के सामने जाने से पहले यूसुफ ने अपनी हजामत क्यों बनायी?
उत्पत्ति की किताब से पता चलता है कि फिरौन अपने सपनों का मतलब जानने के लिए बेताब था। इस वजह से उसने हुक्म दिया कि यूसुफ को जल्द-से-जल्द जेल से बाहर निकाला जाए। अब तक यूसुफ को जेल में रहते काफी साल बीत चुके थे। हालाँकि फिरौन ने यूसुफ को जल्द-से-जल्द बुलवाने का हुक्म दिया था, फिर भी उसने समय निकालकर अपनी हजामत बनायी। (उत्पत्ति 39:20-23; 41:1, 14) भले ही ऐसा लगे कि यह जानकारी कुछ खास मायने नहीं रखती, पर इससे पता चलता है कि यूसुफ मिस्र के रीति-रिवाज़ जानता था।
पुराने ज़माने में कई देशों में दाढ़ी रखना आम था और इब्री लोग भी ऐसा करते थे। लेकिन मैक्लिंटॉक और स्ट्राँग के एक विश्वकोश के मुताबिक, “पूर्वी देशों में मिस्र एक ऐसा देश था जहाँ के लोग दाढ़ी नहीं रखते थे।”
क्या यूसुफ ने सिर्फ अपनी दाढ़ी बनायी? बिब्लिकल आर्कियॉलजी रिव्यू नाम की एक पत्रिका बताती है कि मिस्र के कुछ रीति-रिवाज़ों के मुताबिक, एक व्यक्ति को फिरौन के सामने हाज़िर होने के लिए वे सारी तैयारियाँ करनी पड़तीं, जो वह मंदिर में जाने से पहले करता। अगर यह बात सच है, तो यूसुफ को अपने शरीर और सिर के बाल मुँड़ाने पड़े होंगे।
परमेश्वर के सेवक के नाते अदब से पेश आइए
14 पुराने ज़माने में, परमेश्वर का भय माननेवाले माता-पिता अपने बच्चों को घर पर ही अदब-कायदा सिखाते थे। गौर कीजिए, उत्पत्ति 22:7 में अब्राहम और उसके बेटे इसहाक ने आपस में कैसे तहज़ीब से बात की। यूसुफ की मिसाल भी दिखाती है कि उसने अपने माता-पिता से अच्छे संस्कार पाए थे। जब वह जेल में था, तब भी वह दूसरे कैदियों से अदब से पेश आया। (उत्प. 40:8, 14) उसने जिस तरह फिरौन से बात की, वह दिखाता है कि उसे अधिकारियों से बात करने का सलीका था।—उत्प. 41:16, 33, 34.
25-31 मई
पाएँ बाइबल का खज़ाना | उत्पत्ति 42-43
“यूसुफ ने खुद पर काबू रखा”
“क्या मैं परमेश्वर की जगह पर हूँ?”
यूसुफ ने अपने भाइयों को देखते ही पहचान लिया! और जब उसने देखा कि वे झुककर उसे सलाम कर रहे हैं, तो उसे अपने बचपन की याद आ गयी। शास्त्र में बताया है कि यूसुफ को “अपने उन स्वप्नों” की याद आयी, जो यहोवा ने उसे बचपन में दिखाए थे। इन सपनों में यहोवा ने उसे बताया था कि एक ऐसा समय आएगा, जब उसके भाई झुककर उसे सलाम करेंगे। और अब ठीक वैसा ही हो रहा था! (उत्पत्ति 37:2, 5-9; 42:7, 9) अब यूसुफ क्या करता? क्या वह उन्हें गले लगाता या फिर उनसे बदला लेता?
“क्या मैं परमेश्वर की जगह पर हूँ?”
आपको अपनी ज़िंदगी में शायद इस तरह के हालात का कभी सामना न करना पड़े। लेकिन आज परिवार में तकरार होना और परिवार का टूट जाना एक आम बात हो गयी है। अगर हमें इस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़े, तो हो सकता है कि हम अपने दिल की सुनें और भावनाओं में बहकर जल्दबाज़ी में फैसले लें। लेकिन हमारी भलाई इसी में है कि हम यूसुफ की तरह समझदारी से काम लें और मामलों को उसी तरह निपटाएँ जैसे यहोवा चाहता है। (नीतिवचन 14:12) हमेशा याद रखिए कि परिवार के सदस्यों के साथ शांति बनाए रखना बहुत ज़रूरी है, लेकिन यहोवा परमेश्वर और उसके बेटे के साथ शांति बनाए रखना उससे भी ज़्यादा ज़रूरी है।—मत्ती 10:37.
“क्या मैं परमेश्वर की जगह पर हूँ?”
यूसुफ अपने भाइयों के दिलों को जाँचने के लिए एक-के-बाद-एक उनकी कई परीक्षाएँ लेता है। पहले वह एक अनुवादक के ज़रिए अपने भाइयों से कठोरता से बात करता है और उन पर विदेशी जासूस होने का इलज़ाम लगाता है। अपनी सफाई देने के लिए उसके भाई उसे अपने परिवार के बारे में बताते हैं। वे यूसुफ को यह भी बताते हैं कि घर पर उनका एक छोटा भाई भी है। यूसुफ का दिल खुशी से बाग-बाग हो जाता है, लेकिन वह अपनी खुशी ज़ाहिर नहीं करता। वह सोचता है, ‘क्या वाकई मेरा छोटा भाई ज़िंदा है?’ अब यूसुफ उनकी परीक्षा लेने के लिए एक तरीका अपनाता है। वह उनसे कहता है, “इसी रीति से तुम परखे जाओगे” और उन्हें आदेश देता है कि वे अपने छोटे भाई को उसके सामने पेश करें। कुछ समय बाद वह उनसे कहता है कि अगर उनमें से एक मिस्र में बंदी बन जाए, तो वह दूसरे भाइयों को घर जाकर अपने छोटे भाई को लाने की इजाज़त दे देगा।—उत्पत्ति 42:9-20.
इंसाइट-2 पेज 108 पै 4
यूसुफ
यूसुफ के भाइयों को लगने लगा कि परमेश्वर उन्हें सज़ा दे रहा है क्योंकि सालों पहले उन्होंने अपने भाई को गुलामी में बेच दिया था। यूसुफ उनके सामने ही था मगर वे उसे पहचान नहीं पाए और उसी के सामने अपने किए पर पछतावा करने लगे। यह देखकर यूसुफ जज़्बाती हो गया और उनसे दूर जाकर रोने लगा। फिर वह वापस उनके पास आया और शिमोन को अलग किया और उसे तब तक बंदी बनाकर रखा जब तक कि वे अपने छोटे भाई को यूसुफ के पास नहीं लाते।—उत 42:21-24.
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
इंसाइट-2 पेज 795
रूबेन
रूबेन में कई अच्छे गुण थे। यह हम क्यों कह सकते हैं? क्योंकि जब उसके नौ भाई यूसुफ को मार डालना चाहते थे, तब रूबेन ने उन्हें ऐसा करने से रोका। उसने अपने भाइयों से कहा कि वे यूसुफ को मारने के बजाय, उसे गड्ढे में फेंक दें। रूबेन ने सोचा कि वह बाद में चुपचाप आकर यूसुफ को गड्ढे से निकालकर अपने पिता के पास ले जाएगा। (उत 37:18-30) बीस से भी ज़्यादा सालों बाद, जब यूसुफ के भाइयों पर मिस्र में जासूसी करने का इलज़ाम लगाया गया, तब वे आपस में कहने लगे कि उन्होंने अपने भाई के साथ जो किया था, उन्हें आज उसी की सज़ा मिल रही है। उस वक्त रूबेन ने उन्हें याद दिलाया कि वह उनकी साज़िश में शामिल नहीं था। (उत 42:9-14, 21, 22) यूसुफ के भाई जब दूसरी बार मिस्र जा रहे थे तब उनके पिता याकूब ने बिन्यामीन को उनके साथ जाने से इनकार कर दिया। ऐसे में रूबेन ने गारंटी के तौर पर अपने दोनों बेटे याकूब को दिए और कहा “मैं उसे सही-सलामत वापस ले आऊँगा, नहीं तो तू मेरे दोनों बेटों को मार डालना।”—उत 42:37.
उत्पत्ति किताब की झलकियाँ—II
43:32—इब्रियों के साथ भोजन करना, मिस्री लोगों के लिए क्यों घृणा की बात थी? सबसे बड़ी वजह यह हो सकती है कि उन्हें दूसरे धर्मों से नफरत थी या फिर उन्हें अपनी जाति पर घमंड था। मिस्री लोग चरवाहों से भी घृणा करते थे। (उत्पत्ति 46:34) क्यों? क्योंकि मिस्री समाज में भेड़ चरानेवाले शायद सबसे नीच जात के थे। या यह भी हो सकता है कि मिस्र में खेती की ज़मीन कम होने की वजह से उन्हें ऐसे लोगों से चिढ़ थी जो अपने झुंड को चराने के लिए उनके खेत में घुस आते थे।