मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले
2-8 नवंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना | निर्गमन 39-40
“मूसा ने वैसा ही किया जैसा यहोवा ने कहा”
क्या यहोवा आपको जानता है?
13 कोरह के विपरीत मूसा “पृथ्वी भर के रहने वाले सब मनुष्यों से बहुत अधिक नम्र स्वभाव का था।” (गिन. 12:3) हर हाल में यहोवा की आज्ञा मानकर उसने दिखाया कि वह नम्र और दीन है। (निर्ग. 7:6; 40:16) बाइबल में ऐसा कोई वाकया नहीं मिलता जहाँ मूसा ने यहोवा के काम करने के तरीके पर सवाल खड़ा किया या उसके इंतज़ाम से खीज उठा हो। उदाहरण के लिए, यहोवा ने निवासस्थान बनाने के बारे में मूसा को हर बारीक जानकारी दी थी जैसे कि उसके तंबू का कपड़ा किस रंग के धागे से बनाया जाना चाहिए और उसमें कितनी फलियाँ या छल्ले होने चाहिए। (निर्ग. 26:1-6) अगर यहोवा के संगठन में कोई निगरान आपको किसी काम को करने के लिए छोटे-से-छोटा निर्देश दे तो आप शायद खीज उठें। यहोवा सबसे बेहतर निगरान है और वह अपने सेवकों को काफी ज़िम्मेदारियाँ देता है और उन पर भरोसा करता है। जब वह किसी मामले में बारीक निर्देश देता है तो उसके पीछे ज़रूर वाजिब कारण होता है। ध्यान दीजिए जब यहोवा ने मूसा को बारीक-से-बारीक जानकारी दी तो वह खीज नहीं उठा मानो यहोवा उसकी काबिलीयत को कम आँक रहा है या उसे अपना हुनर दिखाने का मौका नहीं दे रहा है। इसके बजाय, मूसा ने इस बात का ध्यान रखा कि कारीगर सारा काम “[परमेश्वर के निर्देश] के अनुसार” करें। (निर्ग. 39:32) नम्रता की क्या ही बढ़िया मिसाल! मूसा ने इस बात को माना कि यह यहोवा का काम था और वह तो सिर्फ औज़ार है जिसे यहोवा अपना काम पूरा करने के लिए इस्तेमाल कर रहा है।
क्या आप सब बातों में विश्वासयोग्य हैं?
3 इब्रानियों 3:5 कहता है: “मूसा तो . . . सेवक की नाईं विश्वासयोग्य रहा।” मूसा नबी किस वजह से विश्वासयोग्य था? परमेश्वर का निवासस्थान बनाने और उसे खड़ा करने में “मूसा ने जो जो आज्ञा यहोवा ने उसको दी थी उसी के अनुसार किया।” (निर्गमन 40:16) यहोवा के उपासकों के नाते, जब हम उसकी एक-एक आज्ञा सख्ती से मानते हैं, तो हम विश्वासयोग्य होने का गुण दिखाते हैं। इसमें यह भी शामिल है कि जब हम पर कड़ी परीक्षाएँ और बड़े-बड़े दुख आएँ तो हम इन्हें झेलते हुए भी यहोवा के वफादार रहें। लेकिन, बड़ी परीक्षाओं में टिके रहने या इन्हें पार करने में कामयाब होने से ही यह साबित नहीं होता कि हम विश्वासयोग्य हैं। यीशु ने कहा: “जो अत्यन्त छोटी-सी बात में विश्वासयोग्य है, वह बहुत में भी विश्वासयोग्य है। और जो अत्यन्त छोटी बात में अधर्मी है, वह बहुत में भी अधर्मी है।” (लूका 16:10, NHT ) जिन बातों को हम छोटी और मामूली समझते हैं, उनमें भी हमें विश्वासयोग्य बने रहना चाहिए।
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इंसाइट-2 पेज 884 पै 3, 4
सील मछली की खाल
इसराएलियों को कहाँ से मिली? मूल पाठ के शब्द ताकश का अनुवाद सील मछली किया गया है। लेकिन तंबू की चादर बनाने के लिए इसराएलियों को सील मछलियों की खाल कहाँ से मिली होगी? हालाँकि सील मछली आर्कटिक और अंटार्कटिक महाद्वीप में पायी जाती है, मगर कुछ किस्म की सील मछलियाँ गर्म इलाकों में रहना पसंद करती हैं। इनकी एक प्रजाति, जिसे मौंक सील कहा जाता है, आज भी भूमध्य सागर और दूसरे कुछ समुद्रों में पायी जाती है जहाँ उतनी ठंड नहीं होती। सदियों से इंसान सील मछली का शिकार करता आया है, इसलिए आज इनकी संख्या बहुत कम हो गयी है। लेकिन माना जाता है कि पुराने ज़माने में ये मछलियाँ भूमध्य सागर और लाल सागर में काफी संख्या में पायी जाती थीं। एक किताब के मुताबिक सन् 1832 में सीनै इलाके के पास लाल सागर के कई छोटे-छोटे द्वीपों में सील मछली देखी गयी थी। (कैलमट की किताब डिक्शनरी ऑफ द होली बाइबल, अँग्रेज़ी संस्करण, पेज 139)
पुराने ज़माने में मिस्र के लोग व्यापार के लिए लाल सागर और भूमध्य सागर में जहाज़ों के ज़रिए सामान लाया ले जाया करते थे। मुमकिन है कि वे सील मछलियों का भी व्यापार करते थे। जब इसराएली मिस्र छोड़कर जा रहे थे, तब शायद उन्होंने मिस्रियों से बाकी कीमती चीज़ों के अलावा, सील मछलियों की खाल भी ले ली होगी।—निर्ग 12:35, 36.
क्या यह मायने रखता है कि आपके काम पर कौन ध्यान देता है?
जब निवासस्थान का काम पूरा हुआ, तब “बादल मिलापवाले तम्बू पर छा गया, और यहोवा का तेज निवासस्थान में भर गया।” (निर्ग. 40:34) यहोवा की मंज़ूरी का क्या ही बेहतरीन सबूत! उस वक्त बसलेल और ओहोलीआब को कैसा लगा होगा? हालाँकि उनकी बनायी चीज़ों पर उनके नाम नहीं खुदे थे, लेकिन उन्हें यह जानकर ज़रूर संतोष हुआ होगा कि उनकी मेहनत पर यहोवा की आशीष है। (नीति. 10:22) आगे चलकर, यह देखकर भी उनका दिल खुश हुआ होगा कि उनकी बनायी चीज़ें अब भी यहोवा की सेवा में इस्तेमाल की जा रही हैं। जब बसलेल और ओहोलीआब को नयी दुनिया में ज़िंदा किया जाएगा, तो बेशक उन्हें यह जानकर बहुत खुशी होगी कि निवासस्थान, सच्ची उपासना के लिए लगभग 500 सालों तक इस्तेमाल किया गया था!
9-15 नवंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना | लैव्यव्यवस्था 1-3
“बलिदान क्यों चढ़ाए जाते थे?”
इंसाइट-2 पेज 525
चढ़ावा
होम-बलियाँ। होम-बलि परमेश्वर को दिया जानेवाला ऐसा चढ़ावा था, जिसमें पूरा-का-पूरा जानवर जलाया जाता था। जानवर का कोई भी हिस्सा बलिदान देनेवाला अपने पास नहीं रखता था। (न्या 11:30, 31, 39, 40 से तुलना करें।) कई बार होम-बलि के साथ-साथ पाप-बलि भी चढ़ायी जाती थी। होम-बलि चढ़ाकर एक व्यक्ति मानो यहोवा से गुज़ारिश करता था कि वह उसकी पाप-बलि कबूल करे यीशु इस मायने में “होम-बलि” था कि उसने अपने आपको पूरी तरह अर्पित कर दिया।
इंसाइट-2 पेज 528 पै 4
चढ़ावा
अनाज का चढ़ावा। शांति-बलि, होम-बलि, पाप-बलि के साथ-साथ कई बार अनाज का चढ़ावा भी यहोवा को अर्पित किया जाता था। यह पहले फल के चढ़ावे के तौर पर भी यहोवा को चढ़ाया जाता था। कुछ मौकों पर अनाज का चढ़ावा अलग से भी चढ़ाया जाता था। (निर्ग 29:40-42; लैव 23:10-13, 15-18; गिन 15:8, 9, 22-24; 28:9, 10, 20, 26-28; अध्या 29) इसे चढ़ाकर एक व्यक्ति यहोवा के लिए अपना एहसान ज़ाहिर करता था कि उसने बहुतायत में उसे पैदावार दी है। कई बार चढ़ावे के साथ तेल और लोबान भी अर्पित किया जाता था। अनाज के चढ़ावे में मैदा, सेंका हुआ अनाज या छल्ले जैसी रोटियाँ या पापड़ियाँ होती थीं जिन्हें तंदूर में पकाया जाता था या सेंका जाता था या फिर कड़ाही में तला जाता था। अनाज के चढ़ावे का कुछ हिस्सा होम-बलि की वेदी पर रखा जाता था और इसका कुछ हिस्सा याजक खाते थे। जब अनाज का चढ़ावा शांति-बलियों के साथ चढ़ाया जाता था, तो बलिदान चढ़ानेवाला व्यक्ति भी उसमें से खा सकता था। (लैव 6:14-23; 7:11-13; गिन 18:8-11) यहोवा को अर्पित किए गए अनाज के चढ़ावे में खमीर या “शहद” नहीं होना था (शहद का मतलब अंजीर या फलों का रस हो सकता है), जो कि चढ़ावे को सड़ा सकता था।—लैव 2:1-16.
इंसाइट-2 पेज 526 पै 1
चढ़ावा
शांति-बलि। जब यहोवा बलिदान चढ़ानेवाले की शांति-बलि स्वीकार करता था, तो उसका मतलब था कि यहोवा और उसके बीच शांति का रिश्ता है। बलिदान देनेवाला और उसका घराना उस बलिदान में से खाते थे (पवित्र डेरे के आँगन में या यहूदी परंपरा के मुताबिक उन छप्परों में, जो आँगन में लगाए जाते थे; जब मंदिर बनाया गया, तो भोजन के कमरों में)। बलिदान चढ़ानेवाला याजक और मंदिर में सेवा करनेवाले याजक भी उस बलिदान में से खाते थे। जब जानवर की चरबी जलायी जाती थी और उससे धुआँ ऊपर उठता था, तो वह ऐसा था मानो यहोवा को उसका हिस्सा दिया जा रहा है। जानवर का खून जो जीवन को दर्शाता है, वह भी उसे अर्पित किया जाता था। यह ऐसा था मानो याजक और उपासक सब मिलकर यहोवा के साथ खाना खा रहे हों, जो उनके बीच शांति के रिश्ते को दिखाता था। अगर कोई मूसा के कानून के मुताबिक अशुद्ध हालत में या फिर तीसरे दिन बलि का गोश्त खाता (गरमी के मौसम में गोश्त सड़ने लगता था) तो वह पवित्र चीज़ों का अनादर कर रहा होता। इस वजह से ऐसे इंसान को मौत की सज़ा दी जानी थी।—लैव 7:16-21; 19:5-8.
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लैव्यव्यवस्था किताब की झलकियाँ
2:13—“सब चढ़ावों के साथ” नमक भी क्यों चढ़ाना था? इसे बलि का स्वाद बढ़ाने के लिए नहीं चढ़ाया जाता था। दुनिया भर में, खाने की चीज़ों में नमक इसलिए मिलाया जाता है ताकि वे जल्दी न सड़ें। तो भेंट के साथ नमक चढ़ाना शायद सड़न या खराबी से दूर रहने को दर्शाता था।
इंसाइट-1 पेज 813
चरबी
कानून की वजह। मूसा के कानून के मुताबिक बलि किए गए जानवर के खून और चरबी पर सिर्फ यहोवा का हक था। खून जीवन को दर्शाता है और क्योंकि जीवन यहोवा ही देता है इसलिए खून यहोवा को अर्पित किया जाना था। (लैव 17:11, 14) माना जाता था कि जानवर की चरबी उसका सबसे बढ़िया भाग है। इसलिए जब एक व्यक्ति बलिदान में चरबी चढ़ाता, तो इससे पता चलता कि वह यहोवा को सबसे बढ़िया भेंट देना चाहता है, जिसका वह हकदार भी है। यही वजह थी कि इसराएली चरबी को “भोजन” के तौर पर आग में जलाते थे जिसकी “सुगंध” से यहोवा खुश होता था। (लैव 3:11, 16) चरबी यहोवा के लिए अलग रखी जानी थी, इसलिए अगर कोई इसे खाता, तो वह मानो यहोवा के हिस्से में से खा रहा होता। कानून के मुताबिक ऐसे व्यक्ति को मौत की सज़ा दी जानी थी। लेकिन अगर कोई जानवर मरा हुआ पाया जाता या किसी दूसरे जानवर ने उसे मार डाला होता, तो उसकी चरबी किसी और काम के लिए इस्तेमाल की जा सकती थी। पर जहाँ तक खून की बात है, उसे किसी भी हाल में इस्तेमाल नहीं किया जाना था।—लैव 7:23-25.
लैव्यव्यवस्था किताब की झलकियाँ
3:17. चर्बी को शरीर का सबसे उत्तम भाग माना जाता था, इसलिए उसे खाने की मनाही से इस्राएलियों के मन में यह बात अच्छी तरह बैठ गयी होगी कि उत्तम-से-उत्तम भाग पर यहोवा का हक है। (उत्पत्ति 45:18) यह हमें याद दिलाता है कि हमें भी यहोवा को अपना सर्वोत्तम देना चाहिए।—नीतिवचन 3:9, 10; कुलुस्सियों 3:23, 24.
16-22 नवंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना | लैव्यव्यवस्था 4-5
“यहोवा को सबसे अच्छी भेंट दीजिए”
इंसाइट-2 पेज 527 पै 9
चढ़ावा
दोष-बलि। पाप करने पर एक व्यक्ति दोषी महसूस करता, इसलिए मूसा के कानून के मुताबिक उसे दोष-बलि चढ़ानी थी। कानून में यह भी बताया गया था कि कौन-से पाप करने पर एक व्यक्ति को दोष-बलि चढ़ानी है। यह बलि पाप-बलियों से थोड़ी अलग थी। दोष-बलि तब चढ़ायी जाती थी जब एक व्यक्ति यहोवा के खिलाफ या फिर किसी इंसान के खिलाफ पाप करता। यहोवा चाहता था कि वह अपने किए पर पश्चाताप करे और उसकी भरपाई करे। फिर उस व्यक्ति का ज़मीर उसे नहीं कचोटता और वह चैन से जी सकता था।—यशा. 53:10 से तुलना करें।
वह हमारी सीमाएँ जानता है
जी नहीं, कानून में ऐसी कोई माँग नहीं की गयी थी। यहोवा परमेश्वर अपने उपासकों की गहरी परवाह करता है और इसी परवाह की झलक हमें उसके दिए कानून में मिलती है। उसमें बताया गया था: “यदि उसे भेड़ वा बकरी देने की सामर्थ्य न हो, तो अपने पाप के कारण दो पंडुकी [या फाख्ता] वा कबूतरी के दो बच्चे दोषबलि चढ़ाने के लिये यहोवा के पास ले आए।” (आयत 7) अगर एक इसराएली इतना गरीब होता कि वह भेड़ नहीं चढ़ा सकता था, तो जितना उससे बन पड़ता उसे परमेश्वर कबूल करता। यानी एक भेड़ की जगह, दो फाख्ता या दो कबूतर।
वह हमारी सीमाएँ जानता है
लेकिन अगर वह दो चिड़ियाँ भी नहीं चढ़ा पाता, तब क्या? कानून बताता है: “तो वह अपने पाप के कारण अपना चढ़ावा एपा का दसवां भाग [यानी करीब 1 किलो] मैदा पापबलि करके ले आए।” (आयत 11) यह आयत दिखाती है कि यहोवा ने गरीबों को यह छूट दी थी कि वे ऐसा बलिदान चढ़ा सकते हैं, जिसमें लहू नहीं होता। इसलिए इसराएल में चाहे एक इंसान कितना भी गरीब क्यों न हो, वह अपने पापों की माफी पा सकता था और परमेश्वर के साथ दोबारा एक अच्छा रिश्ता कायम कर सकता था।
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यहोवा के वफादार सेवकों से सीखिए
14 कृपा का गुण होने से आप पहले यहोवा के और फिर दूसरों के भी वफादार रह सकते हैं। जैसे, शायद आपके पास इस बात का सबूत हो कि एक भाई ने गंभीर पाप किया है। आप शायद उसके वफादार रहना चाहें, खासकर अगर वह आपका करीबी दोस्त या परिवार का सदस्य है। लेकिन आप यह भी जानते हैं कि यहोवा के वफादार रहना ज़्यादा ज़रूरी है। इसलिए नातान की तरह यहोवा की आज्ञा मानिए। साथ ही, अपने उस भाई के साथ कृपा से पेश आइए। उससे कहिए कि जल्द-से-जल्द वह प्राचीनों से उस बारे में बात करे और उनकी मदद ले। अगर वह ऐसा नहीं करता, तो आपको खुद प्राचीनों को बताना चाहिए। ऐसा करके आप यहोवा के वफादार बने रहते हैं। साथ ही, आप अपने दोस्त या रिश्तेदार के साथ कृपा से पेश आ रहे होते हैं, क्योंकि प्राचीन यहोवा के साथ दोबारा अच्छा रिश्ता बनाने में उसकी मदद कर सकते हैं। वे बड़े प्यार और शांति से ऐसा करेंगे।—लैव्यव्यवस्था 5:1; गलातियों 6:1 पढ़िए।
इंसाइट-1 पेज 1130 पै 2
पवित्रता
जानवर और पैदावार। पहलौठे बैल, पहलौठे नर मेम्ने और पहलौठे बकरे यहोवा के लिए पवित्र माने जाते थे और इसराएलियों को उन्हें छुड़ाना नहीं था। वे यहोवा को अर्पित किए जाते थे और बलिदान का कुछ हिस्सा याजकों को दिया जाता था। (गि 18:17-19) फसल के पहले फल, दसवाँ हिस्सा, साथ ही पवित्र स्थान में अर्पित किए गए सभी बलिदान और भेंट पवित्र थे। वे यहोवा के लिए अलग ठहराए जाते थे। (निर्ग 28:38) इन सभी पवित्र चीज़ों का यहोवा की सेवा के अलावा किसी और काम में इस्तेमाल नहीं किया जाना था। मान लीजिए एक आदमी अपनी गेहूँ की फसल का दसवाँ हिस्सा यहोवा के लिए अलग रखता है। मगर बाद में वह या उसके घर का कोई व्यक्ति अनजाने में उसमें से थोड़ा अपने लिए खाना पकाने के लिए ले जाता है। इस तरह वह पवित्र चीज़ों के लिए परमेश्वर के कानून का उल्लंघन करता। ऐसे में उसे कानून के मुताबिक मुआवज़ा भरना होता। उसे मुआवज़े में उन चीज़ों की कीमत और उस कीमत का 20 प्रतिशत हिस्सा जोड़कर अदा करना होता। इसके अलावा, उसे एक ऐसे मेढ़े की बलि चढ़ानी होती, जिसमें कोई दोष न हो। इस तरह जो चीज़ें पवित्र थीं और यहोवा के लिए अलग ठहरायी जाती थीं, उनका बहुत आदर किया जाता था।—लैव 5:14-16.
23-29 नवंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना | लैव्यव्यवस्था 6-7
“परमेश्वर का धन्यवाद करने के लिए बलि”
लैव्यव्यवस्था की किताब से हमें क्या सीख मिलती है?
9 दूसरी सीख: हम यहोवा के एहसानमंद हैं, इसलिए उसकी सेवा करते हैं। इस बात को समझने के लिए आइए प्राचीन इसराएल में सच्ची उपासना के एक और पहलू पर ध्यान दें। वह है शांति-बलियाँ। लैव्यव्यवस्था की किताब में बताया गया है कि “परमेश्वर को धन्यवाद देने के लिए” शांति-बलियाँ चढ़ायी जाती थीं। (लैव्य. 7:11-13, 16-18) यह बलिदान चढ़ाना ज़रूरी नहीं था, लेकिन एक इसराएली यहोवा से प्यार करने की वजह से खुशी-खुशी यह बलिदान चढ़ाता था। बलिदान देनेवाला, उसका घराना और याजक, सब मिलकर उस बलिदान में से खाते थे। लेकिन बलिदान किए गए जानवर के कुछ हिस्से सिर्फ यहोवा को दिए जाते थे, कोई और उन्हें नहीं खा सकता था। ये कौन-से हिस्से थे?
नयी दुनिया अनुवाद शब्दावली, “शांति-बलि”
शांति-बलि: वह बलिदान जो यहोवा के साथ शांति कायम करने के लिए उसे दिया जाता था। बलिदान देनेवाला और उसका घराना, बलिदान चढ़ानेवाला याजक और मंदिर में सेवा करनेवाले याजक, सब मिलकर उस बलिदान में से खाते थे। जानवर की जलायी चरबी से जो धुआँ उठता वह मानो यहोवा को दिया जाता था। जानवर का खून जो जीवन को दर्शाता है, वह भी उसे अर्पित किया जाता था। यह ऐसा था मानो याजक और उपासक सब मिलकर यहोवा के साथ खाना खा रहे हों, जो उनके बीच शांति के रिश्ते को दिखाता था।—लैव 7:29, 32; व्य 27:7.
बलिदान जिनसे परमेश्वर खुश हुआ
8 यह हुई बलि के अन्न या जानवर के शुद्ध होने की बात। मगर बलिदान चढ़ानेवाले व्यक्ति के बारे में क्या? कानून-व्यवस्था में कहा गया था कि परमेश्वर को बलि चढ़ानेवाले हर व्यक्ति को भी शुद्ध और हर दोष से मुक्त होना चाहिए। अगर एक व्यक्ति किसी वजह से अशुद्ध हो जाता, तो उसे परमेश्वर की नज़र में फिर से शुद्ध होने के लिए पहले पापबलि या दोषबलि चढ़ानी पड़ती थी। इसके बाद ही वह परमेश्वर के साथ अच्छा रिश्ता रख सकता था और तभी उसकी होमबलि या मेलबलि को परमेश्वर कबूल करता। (लैव्यव्यवस्था 5:1-6, 15, 17) क्या इससे हम यह नहीं सीखते कि हमें भी हमेशा शुद्ध रहना चाहिए, ताकि हम परमेश्वर के साथ अच्छा रिश्ता रख सकें? जी हाँ, अगर हम चाहते हैं कि परमेश्वर हमारी भक्ति को कबूल करे, तो हमें परमेश्वर के नियम नहीं तोड़ने चाहिए, और अगर तोड़ते हैं तो सुधारने के लिए फौरन कदम उठाना चाहिए। इसमें हमारी मदद करने के लिए परमेश्वर ने “मंडली के प्राचीनों” का और फिरौती बलिदान का इंतज़ाम किया है, जिसका हमें फायदा उठाना चाहिए।—याकूब 5:14; 1 यूहन्ना 2:1, 2.
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इंसाइट-1 पेज 833 पै 1
आग
पवित्र डेरे और मंदिर में जलायी जानेवाली आग। महायाजक को हर रोज़ दो बार धूप जलाना था, सुबह को और शाम के झुटपुटे के वक्त। (निर्ग 30:7, 8) परमेश्वर ने आज्ञा दी थी कि होम-बलि की वेदी पर आग लगातार जलती रहनी चाहिए, यह कभी नहीं बुझनी चाहिए। (लैव 6:12, 13) लेकिन वेदी पर आग सबसे पहले किसने जलायी? सदियों से यहूदी मानते आए हैं कि वेदी पर सबसे पहले परमेश्वर ने आग जलायी थी। लेकिन बाइबल में ऐसा नहीं बताया गया है। यहोवा ने पहले ही मूसा को हिदायत दी थी कि हारून के बेटे बलिदान चढ़ाने से पहले “वेदी पर आग जलाएँ और लकड़ियाँ तरतीब से रखें।” (लैव 1:7, 8) जब हारून और उसके बेटों को याजकपद सौंपा गया, तो उन्होंने निर्देश के मुताबिक वेदी पर आग जलायी और पहली बार बलिदान चढ़ाया। इसके बाद यहोवा ने वेदी पर आग बरसायी। यहोवा ने लकड़ियाँ जलाने के लिए नहीं, बल्कि वेदी पर रखी “होम-बलि और चरबी को भस्म” करने के लिए आग बरसायी थी। इसका मतलब है कि वेदी पर रखी लकड़ियों में याजक पहले से आग लगा चुके थे और उसके बाद यहोवा ने बलिदान पर आग बरसायी। (लैव 8:14–9:24) यहोवा ने और भी कई मौकों पर बलिदान कबूल करने के लिए आकाश से आग बरसायी। उदाहरण के लिए, मंदिर के उद्घाटन के वक्त जब सुलैमान ने अपनी प्रार्थना पूरी की, तो यहोवा ने आकाश से आग बरसायी और बलिदान भस्म हो गए।—न्या 6:21; 1रा 18:21-39; 1इत 21:26; 2इत 7:1.
सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र पेज 27 पै 15, अँग्रेज़ी
बाइबल की किताब नंबर 3—लैव्यव्यवस्था
15 (3) अगर एक व्यक्ति भूल से या अनजाने में पाप करता, तो उसे पाप-बलि चढ़ानी थी। किस जानवर का बलिदान चढ़ाया जाना है, यह इस बात पर निर्भर करता था कि प्रायश्चित करनेवाला कौन है—याजक, प्रधान, एक आम आदमी या फिर इसराएल के सभी लोग। जहाँ तक होम-बलि और शांति-बलि चढ़ाने की बात है, तो यह लोगों की इच्छा पर छोड़ा गया था, लेकिन अगर कोई पाप करता तो उसे पाप-बलि चढ़ानी ही थी।—लैव 4:1-35; 6:24-30.
30 नवंबर–6 दिसंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना | लैव्यव्यवस्था 8-9
“यहोवा की आशीष का सबूत”
इंसाइट-1 पेज 1207
याजकपद सौंपा गया
हारून और उसके बेटे नादाब, अबीहू, एलिआज़र और ईतामार को याजकपद सौंपने से पहले मूसा ने उन्हें नहाने की आज्ञा दी। उन्हें खुद को आँगन में रखे ताँबे के हौद के पानी से शुद्ध करना था। (गि 3:2, 3) इसके बाद मूसा ने हारून को महायाजक की शानदार पोशाक पहनायी, जिससे ज़ाहिर होता कि उसे एक खास ज़िम्मेदारी सौंपी गयी है। फिर मूसा ने पवित्र डेरे, उसके सारे साजो-सामान, होम-बलि की वेदी, हौद और उनके साथ इस्तेमाल होनेवाली बाकी सारी चीज़ों का अभिषेक किया और उन्हें पवित्र ठहराया। इन्हें यहोवा की उपासना के लिए ही इस्तेमाल किया जाना था। आखिर में मूसा ने हारून के सिर पर तेल उँडेलकर उसका अभिषेक किया।—लैव 8:6-12; निर्ग 30:22-33; भज 133:2.
इंसाइट-1 पेज 1208 पै 8
याजकपद सौंपा गया
याजकपद सौंपने के सात दिन पूरे होने के बाद, आठवें दिन हारून और उसके बेटों ने (मूसा के बिना) पहली बार इसराएल राष्ट्र की तरफ से प्रायश्चित के लिए बलिदान चढ़ाए। इसराएलियों ने अपरिपूर्ण होने की वजह से गलतियाँ तो की ही थीं, साथ ही उन्होंने सोने के बछड़े को पूजकर यहोवा को नाखुश किया था। इस वजह से उन्हें माफी की ज़रूरत थी। (लैव 9:1-7; निर्ग 32:1-10) जब हारून और उसके बेटों ने यहोवा को बलिदान अर्पित किए, तो यहोवा ने पवित्र डेरे के ऊपर बादल के खंभे से वेदी पर आग बरसायी जिससे वह बलिदान पूरी तरह भस्म हो गए। इस तरह यहोवा ने ज़ाहिर किया कि वह नियुक्त किए गए इन याजकों से खुश है।—लैव 9:23, 24.
लैव्यव्यवस्था की किताब से हमें क्या सीख मिलती है?
13 चौथी सीख: यहोवा के संगठन का जो हिस्सा धरती पर है, उस पर वह आशीष दे रहा है। ध्यान दीजिए कि ईसा पूर्व 1512 में क्या हुआ, जब सीनै पहाड़ के नीचे पवित्र डेरा खड़ा किया गया था। (निर्ग. 40:17) उस मौके पर मूसा ने हारून और उसके बेटों को याजकपद सौंपा। फिर पूरे इसराएल राष्ट्र के सामने इन याजकों ने पहली बार जानवरों के बलिदान चढ़ाए। (लैव्य. 9:1-5) यहोवा ने कैसे ज़ाहिर किया कि वह नियुक्त किए गए इन याजकों से खुश है? जब मूसा और हारून लोगों को आशीर्वाद दे रहे थे, तो यहोवा ने स्वर्ग से आग भेजी और बलिदान को पूरी तरह भस्म कर दिया।—लैव्यव्यवस्था 9:23, 24 पढ़िए।
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
हमें पवित्र क्यों होना चाहिए
6 इसराएल के याजकों का शारीरिक तौर पर शुद्ध होना आज हमारे लिए क्या मायने रखता है? बेशक, हमारे बाइबल विद्यार्थी अकसर गौर करते हैं कि हम कितने साफ-सुथरे रहते हैं और अपनी उपासना की जगह को भी कितना साफ-सुथरा रखते हैं। लेकिन इससे भी बढ़कर, याजकों की शारीरिक शुद्धता हमें इस बात का एहसास दिलाती है कि जो यहोवा की उपासना करना चाहते हैं, उन्हें अपना “हृदय शुद्ध” रखना चाहिए। (भजन 24:3, 4 पढ़िए; यशा. 2:2, 3.) इसका मतलब है कि हमें शुद्ध दिलो-दिमाग और साफ शरीर से यहोवा की पवित्र सेवा करनी चाहिए। इसके लिए ज़रूरी है कि हम समय-समय पर खुद की जाँच करें। ऐसा करते वक्त हो सकता है हम पाएँ कि हमें पवित्र बने रहने के लिए कुछ बड़े बदलाव करने की ज़रूरत है। (2 कुरिं. 13:5) मिसाल के लिए, एक बपतिस्मा-शुदा भाई जो जानबूझकर पोर्नोग्राफी देखता है, उसे खुद से पूछना चाहिए, ‘क्या मैं यह साबित कर रहा हूँ कि मैं पवित्र हूँ?’ फिर उसे इस बुरी लत से छुटकारा पाने के लिए मदद लेनी चाहिए।—याकू. 5:14.
इंसाइट-2 पेज 437 पै 3
मूसा
परमेश्वर ने मूसा को बिचवई बनाकर इसराएलियों के साथ कानून का करार किया था। मूसा के अलावा किसी भी व्यक्ति को यह सम्मान नहीं दिया गया था, सिवा यीशु मसीह के, जो नए करार का बिचवई है। कानून के करार में दो पक्ष थे, एक “पक्ष” यहोवा का और दूसरा लोगों (यानी इसराएल के मुखियाओं) का। बिचवई के नाते मूसा ने करार की शर्तें लोगों को पढ़कर सुनायीं, जिस पर उन्होंने कहा, “यहोवा ने जो-जो कहा है, वह सब हम करेंगे और उसकी हर आज्ञा मानेंगे।” इसके बाद मूसा ने अर्पित किए गए जानवरों का खून लेकर करार की किताब पर छिड़का और करार पक्का किया। (निर्ग 24:3-8; इब्र 9:19) यहोवा ने मूसा को बताया था कि पवित्र डेरा और उसमें इस्तेमाल होनेवाली चीज़ें कैसे बनायी जानी हैं, इसलिए यह सब उसी की निगरानी में बनाया गया। बिचवई होने के नाते मूसा ने हारून और उसके बेटों को याजकपद सौंपा और उस मौके पर बलिदान चढ़ाए। उसने पवित्र डेरे का अभिषेक किया और हारून का महायाजक के तौर पर अभिषेक किया। फिर मूसा की अगुवाई में ही हारून और उसके बेटों ने याजकों के तौर पर पहली बार इसराएल राष्ट्र के सामने बलिदान चढ़ाए।—निर्ग अध्या 25-29; लैव अध्या 8, 9.