“शरणनगर” में रहो और जीओ!
“खूनी को महायाजक की मृत्यु तक शरणनगर में रहना चाहिये।”—गिनती ३५:२८.
१. लहू का पलटा लेनेवाला कौन है, और वह जल्द ही क्या कार्यवाही करेगा?
यहोवा की ओर से लहू का पलटा लेनेवाला, यीशु मसीह प्रहार करनेवाला है। अपनी स्वर्गदूतीय सेनाओं के साथ, यह पलटा लेनेवाला जल्द ही उन सभी पश्चाताप-रहित रक्तदोषी लोगों के विरूद्ध कार्यवाही करेगा। जी हाँ, शीघ्रता से निकट आ रहे “भारी क्लेश” के दौरान यीशु परमेश्वर के वधिक के तौर पर कार्य करेगा। (मत्ती २४:२१, २२; यशायाह २६:२१) तब मानवजाति अपने रक्तदोष के परिणामों से नहीं बचेगी।
२. शरण का एकमात्र वास्तविक स्थान कौन-सा है, और कौन-से सवाल जवाब की माँग करते हैं?
२ सुरक्षा का मार्ग है प्रतिरूपक शरणनगर के रास्ते पर आना और अपना जीवन बचाने के लिए भागना! यदि नगर में प्रवेश प्राप्त हो जाता है तो एक शरणागत को वहीं रहना होगा, क्योंकि शरण का वास्तविक स्थान वहीं है। लेकिन आप शायद सोचें, ‘क्योंकि हममें से अधिकांश लोगों ने कभी किसी की हत्या नहीं की, क्या हम वास्तव में रक्तदोषी हैं? यीशु लहू का पलटा लेनेवाला क्यों है? आधुनिक-दिन प्रतिरूपक शरणनगर क्या है? क्या कोई उससे निकलकर कभी सुरक्षित रह सकता है?’
क्या हम वास्तव में रक्तदोषी हैं?
३. मूसा की व्यवस्था का कौन-सा पहलू यह जानने के लिए हमारी मदद करेगा कि पृथ्वी के अरबों लोग रक्तदोष के भागी हैं?
३ मूसा की व्यवस्था का एक पहलू यह जानने के लिए हमारी मदद करेगा कि पृथ्वी के अरबों लोग रक्तदोष के भागी हैं। परमेश्वर ने इस्राएलियों पर रक्तपात की एक संयुक्त ज़िम्मेदारी रखी थी। यदि कोई मारा हुआ पाया जाता था और उसके हत्या करनेवाले का पता नहीं था, तो सबसे नज़दीकी नगर का पता लगाने के लिए न्यायियों को आस-पास के नगरों की दूरी नापनी थी। दोष को हटाने के लिए, उस प्रत्यक्षतः रक्तदोषी नगर के प्राचीनों को एक अकृषित तराई में एक काम न लिए हुए बछिये की गर्दन तोड़नी थी। यह लेवी याजकों के सामने किया जाता था ‘क्योंकि यहोवा ने उनको चुन लिया कि झगड़े और मारपीट के मुकद्दमे का निर्णय करें।’ नगर के प्राचीन उस बछिये के ऊपर हाथ धोते और कहते: “यह खून हम से नहीं किया गया, और न यह हमारी आंखों का देखा हुआ काम है। इसलिये, हे यहोवा, अपनी छुड़ाई हुई इस्राएली प्रजा का पाप ढांपकर निर्दोष के खून का पाप अपनी इस्राएली प्रजा के सिर पर से उतार।” (व्यवस्थाविवरण २१:१-९) यहोवा परमेश्वर नहीं चाहता था कि इस्राएल की ज़मीन लहू से प्रदूषित हो या उसके लोग संयुक्त रूप से रक्तदोषी हों।
४. बड़े बाबुल का रक्तदोष का क्या रेकॉर्ड है?
४ जी हाँ, संयुक्त या सामूहिक रक्तदोष नाम की कोई चीज़ है। झूठे धर्म के विश्व साम्राज्य, बड़े बाबुल पर जो भारी रक्तदोष है उस पर विचार कीजिए। वह यहोवा के सेवकों के लहू से मतवाली है! (प्रकाशितवाक्य १७:५, ६; १८:२४) मसीहीजगत के धर्म शान्ति के राजकुमार का अनुकरण करने का दावा करते हैं, परन्तु युद्धों, धर्माधिकरण, और प्राण-घातक धर्मयुद्धों ने उन्हें परमेश्वर के सामने रक्तदोषी ठहराया है। (यशायाह ९:६; यिर्मयाह २:३४) वास्तव में इस शताब्दी के दो विश्वयुद्धों में मरे करोड़ों लोगों का अधिकांश रक्तदोष उस पर है। अतः, झूठे धर्म के माननेवाले साथ ही मानव युद्ध के समर्थक और हिस्सेदार परमेश्वर के सामने रक्तदोषी हैं।
५. कुछ लोग इस्राएल में अनजाने में हत्या करनेवाले की तरह कैसे रहे हैं?
५ कुछ लोग जानबूझकर या लापरवाही से मानव हत्या का कारण बनते हैं। संभवतः धार्मिक अगुवों द्वारा क़ायल किए गए कि यह परमेश्वर की इच्छा है, दूसरे लोगों ने सामूहिक हत्या में भाग लिया है। और अन्य लोगों ने परमेश्वर के सेवकों को सताया और मारा है। हालाँकि हमने ऐसे कार्य नहीं किए हैं, फिर भी, मानव जीवन की हानि की हम पर सामूहिक ज़िम्मेदारी है क्योंकि हम परमेश्वर के नियम और उसकी इच्छा को नहीं जानते थे। हम अनजाने में हत्या करनेवाले उस व्यक्ति की तरह हैं जिसने अपने संगी मनुष्य से “बिना पहिले बैर रखे वा उसको बिना जाने बूझे मार डाला।” (व्यवस्थाविवरण १९:४) ऐसे व्यक्तियों को परमेश्वर से दया की याचना करनी चाहिए और प्रतिरूपक शरणनगर में भाग जाना चाहिए। नहीं तो लहू के पलटा लेनेवाले के साथ उनका घातक सामना होगा।
यीशु की अतिमहत्त्वपूर्ण भूमिकाएँ
६. यह क्यों कहा जा सकता है कि यीशु मानवजाति का सबसे नज़दीकी रिश्तेदार है?
६ इस्राएल में लहू का पलटा लेनेवाला मारे गए व्यक्ति का सबसे नज़दीकी रिश्तेदार था। पृथ्वी पर मारे गए सब लोगों का और ख़ासकर यहोवा के मारे गए सेवकों का पलटा लेने के लिए, वर्तमान-दिन लहू का पलटा लेनेवाले को पूरी मानवजाति का रिश्तेदार होना पड़ता। वह भूमिका यीशु मसीह द्वारा निभायी गयी है। वह जन्म से एक परिपूर्ण व्यक्ति था। यीशु ने अपना पापरहित जीवन मृत्यु में छुड़ौती बलिदान के तौर पर अर्पित किया, और उसके स्वर्ग को पुनरुत्थान के बाद, उसने इसका मूल्य पापमय आदम के मरणशील वंशजों के वास्ते परमेश्वर को प्रस्तुत किया। इस प्रकार मसीह मानवजाति का उद्धारक, हमारा सबसे नज़दीकी रिश्तेदार—न्यायपूर्ण लहू का पलटा लेनेवाला बन गया। (रोमियों ५:१२; ६:२३; इब्रानियों १०:१२) यीशु अपने अभिषिक्त पदचिन्ह अनुयायियों के भाई के तौर पर पहचाना गया है। (मत्ती २५:४०, ४५; इब्रानियों २:११-१७) स्वर्गीय राजा के तौर पर वह उनका “अनन्त पिता” बनता है जो उसकी पार्थिव प्रजा के तौर पर उसके बलिदान से फ़ायदा प्राप्त करेंगे। वे अनन्तकाल के लिए जीएँगे। (यशायाह ९:६, ७) अतः यहोवा ने उचित ही मानवजाति के इस रिश्तेदार को लहू के पलटा लेनेवाले के तौर पर नियुक्त किया है।
७. महान महायाजक के तौर पर, यीशु मनुष्यों के लिए क्या करता है?
७ यीशु एक पापरहित, परखा हुआ, और सहानुभूतिशील महायाजक भी है। (इब्रानियों ४:१५) उस हैसियत से वह अपने पाप-प्रायश्चितिक बलिदान के मूल्य को मानवजाति पर लागू करता है। शरणनगर “इस्राएलियों, और उनके बीच रहनेवाले विदेशियों तथा प्रवासियों के लिए” बनाए गए थे। (गिनती ३५:१५, NHT) अतः, महायाजक ने पहले अपने बलिदान का मूल्य अपने अभिषिक्त अनुयायियों, अर्थात् “इस्राएलियों” पर लागू किया। अब यह “विदेशियों” और “प्रवासियों” पर प्रतिरूपक शरणनगर में लागू किया जा रहा है। प्रभु यीशु मसीह की ये ‘अन्य भेड़ें’ पृथ्वी पर अनन्तकाल तक जीने की प्रत्याशा रखती हैं।—यूहन्ना १०:१६, NW; भजन ३७:२९, ३४.
आज का शरणनगर
८. प्रतिरूपक शरणनगर क्या है?
८ प्रतिरूपक शरणनगर क्या है? यह छः लेवी शरणनगरों में से एक और इस्राएल के महायाजक का गृहनगर, हेब्रोन जैसा कोई भौगोलिक स्थान नहीं है। आज का शरणनगर हमें लहू की पवित्रता से संबंधित उसके नियम का उल्लंघन करने के कारण मृत्यु से बचाने के लिए परमेश्वर का प्रबंध है। (उत्पत्ति ९:६) चाहे जानबूझकर हो या अनजाने में, उस आज्ञा का उल्लंघन करनेवाले हर व्यक्ति को परमेश्वर से क्षमा माँगनी चाहिए और महायाजक, यीशु मसीह के लहू पर विश्वास द्वारा अपने पाप को मिटाने की याचना करनी चाहिए। स्वर्गीय प्रत्याशावाले अभिषिक्त मसीही और पार्थिव प्रत्याशावाली “बड़ी भीड़” ने यीशु के पाप-प्रायश्चितिक बलिदान का फ़ायदा उठाया है और प्रतिरूपक शरणनगर में हैं।—प्रकाशितवाक्य ७:९, १४; १ यूहन्ना १:७; २:१, २.
९. तारसी शाऊल ने लहू के बारे में परमेश्वर की आज्ञा का उल्लंघन कैसे किया, लेकिन उसने मनोवृत्ति में बदलाव को कैसे प्रदर्शित किया?
९ एक मसीही बनने से पहले प्रेरित पौलुस ने लहू के बारे में नियम का उल्लंघन किया था। तारसी शाऊल के तौर पर उसने यीशु के अनुयायियों को सताया और उनकी हत्या का भी समर्थन किया। “तौभी,” पौलुस ने कहा, “मुझ पर दया हुई, क्योंकि मैं ने अविश्वास की दशा में बिन समझे बूझे, ये काम किए थे।” (१ तीमुथियुस १:१३; प्रेरितों ९:१-१९) शाऊल की पश्चातापी मनोवृत्ति थी, जो बाद में विश्वास के अनेक कार्यों से साबित हुई। लेकिन प्रतिरूपक शरणनगर में प्रवेश करने के लिए छुड़ौती में विश्वास से अधिक की ज़रूरत है।
१०. एक अच्छा अंतःकरण प्राप्त करना कैसे संभव है, और उसे बनाए रखने के लिए क्या किया जाना चाहिए?
१० अनजाने में हत्या करनेवाला इस्राएल के शरणनगरों में से एक में तभी रह सकता था यदि वह यह साबित कर सकता था कि रक्तपात के संबंध में परमेश्वर के प्रति उसका एक अच्छा अंतःकरण है। एक अच्छा अंतःकरण प्राप्त करने के लिए हमें यीशु के बलिदान पर विश्वास रखना चाहिए, अपने पापों के लिए पश्चाताप करना चाहिए, और अपना मार्ग बदलना चाहिए। हमें मसीह के ज़रिए परमेश्वर के प्रति प्रार्थनापूर्ण समर्पण में एक अच्छे अंतःकरण के लिए निवेदन करना चाहिए और इस समर्पण को पानी में बपतिस्मा लेने के द्वारा चिन्हित करना चाहिए। (१ पतरस ३:२०, २१) यह अच्छा अंतःकरण हमारा यहोवा के साथ एक स्वच्छ रिश्ता बनने देता है। एक अच्छे अंतःकरण को बनाए रखने का एकमात्र तरीक़ा है परमेश्वर की माँगों को पूरा करना और प्रतिरूपक शरणनगर में हमें नियुक्त किए गए कार्य को पूरा करना, वैसे ही जैसे प्राचीन शरणनगरों में शरणागतों को व्यवस्था का पालन करना था और अपनी कार्य-नियुक्तियों को पूरा करना था। आज यहोवा के लोगों का प्रमुख कार्य है राज्य संदेश की घोषणा करना। (मत्ती २४:१४; २८:१९, २०) वह कार्य करना वर्तमान-दिन शरणनगर के उपयोगी निवासी बनने में हमारी मदद करेगा।
११. यदि हमें सुरक्षापूर्वक आज के शरणनगर में रहना हैं तो किस चीज़ से बचे रहने की ज़रूरत है?
११ आज के शरणनगर को छोड़ना अपने-आप को विनाश के ख़तरे में डालना है, क्योंकि लहू का पलटा लेनेवाला जल्द ही सभी रक्तदोषी लोगों के विरुद्ध कार्यवाही करेगा। यह इस सुरक्षात्मक नगर के बाहर या उसके चराई के मैदानों की बाहरी सीमा के ख़तरनाक़ क्षेत्र के पास पकड़े जाने का समय नहीं है। हम प्रतिरूपक शरणनगर के बाहर पहुँचते हैं यदि हम महायाजक के पाप-प्रायश्चितिक बलिदान में विश्वास खो बैठते हैं। (इब्रानियों २:१; ६:४-६) यदि हम सांसारिक तौर-तरीक़ों को अपनाते हैं, यहोवा के संगठन में पूरी तरह शामिल नहीं होते, या हमारे स्वर्गीय पिता के धर्मी स्तरों से भटक जाते हैं तो भी हम सुरक्षित नहीं होंगे।—१ कुरिन्थियों ४:४.
शरणनगर से छुड़ाया गया
१२. भूतपूर्व रक्तदोषी लोगों को प्रतिरूपक शरणनगर में कब तक रहना चाहिए?
१२ इस्राएल में एक अनजाने में हत्या करनेवाले को शरणनगर में “महायाजक की मृत्यु” तक रहना था। (गिनती ३५:२८) अतः, प्रतिरूपक शरणनगर में भूतपूर्व रक्तदोषी लोगों को कब तक रहना है? जब तक उन्हें महायाजक, यीशु मसीह की सेवाओं की और ज़रूरत नहीं होगी। पौलुस ने कहा: “जो उसके द्वारा परमेश्वर के पास आते हैं, वह उन का पूरा पूरा उद्धार कर सकता है।” (इब्रानियों ७:२५) जब तक पाप का कोई भी लक्षण और पिछला रक्तदोष बाक़ी है, तब तक महायाजक की सेवाओं की ज़रूरत है ताकि अपरिपूर्ण मनुष्य परमेश्वर के साथ एक सही स्थिति रख सकें।
१३. वर्तमान-दिन ‘इस्राएली’ कौन हैं और उन्हें कब तक “शरणनगर” में रहना चाहिए?
१३ याद रखिए कि प्राचीन शरणनगर “इस्राएलियों,” विदेशियों और प्रवासियों के लिए स्थापित किए गए थे। ‘इस्राएली’ आत्मिक इस्राएली हैं। (गलतियों ६:१६) उन्हें प्रतिरूपक शरणनगर में रहना चाहिए जब तक वे पृथ्वी पर जीवित रहते हैं। क्यों? क्योंकि वे अब भी अपरिपूर्ण देह में हैं और इसलिए उन्हें अपने स्वर्गीय महायाजक के प्रायश्चितिक मूल्य की ज़रूरत है। लेकिन जब ये अभिषिक्त मसीही मरते और स्वर्ग में आत्मिक जीवन के लिए पुनरुत्थित किए जाते हैं, तब फिर कभी उन्हें महायाजक की प्रायश्चितिक सेवाओं की ज़रूरत नहीं है; वे हमेशा के लिए देह और उसके साथ जुड़ा हुआ रक्तदोष छोड़ चुकें होंगे। ऐसे पुनरुत्थित अभिषिक्त जनों के प्रति महायाजक एक प्रायश्चितिक, सुरक्षात्मक हैसियत से मर चुका होगा।
१४. और कौन-सी बात इसकी माँग करती है कि स्वर्गीय प्रत्याशा रखनेवाले आज के शरणनगर में रहें?
१४ मानव स्वभाव का होना ही इस बात की माँग करता है कि स्वर्ग में “मसीह के संगी वारिस” होनेवालों को वफ़ादारी से अपना पार्थिव जीवन मृत्यु में समाप्त करने तक प्रतिरूपक शरणनगर में रहना है। जब वे मरते हैं, वे हमेशा के लिए मानव स्वभाव बलिदान करेंगे। (रोमियों ८:१७; प्रकाशितवाक्य २:१०) यीशु का बलिदान केवल उन्हीं पर लागू होता है जो मानव स्वभाव में हैं। अतः, जब वे आत्मिक प्राणियों के रूप में पुनरुत्थित किए जाते हैं तब महायाजक उनके प्रति मरता है जो आत्मिक इस्राएल के हैं। ये स्वर्ग में हमेशा “ईश्वरीय स्वभाव के सहभागी” के तौर पर रहेंगे।—२ पतरस १:४.
१५. आधुनिक-दिन ‘विदेशी’ और ‘प्रवासी’ कौन हैं, और महान महायाजक उनके लिए क्या करेगा?
१५ आधुनिक-दिन ‘विदेशी’ और “प्रवासियों” के संबंध में महायाजक कब “मरेगा” जिससे वे प्रतिरूपक शरणनगर से बाहर जा सकेंगे? बड़ी भीड़ के ये सदस्य भारी क्लेश के तुरन्त बाद इस शरणनगर से नहीं निकल सकते। क्यों नहीं? क्योंकि वे तब भी अपने अपरिपूर्ण, पापी देह में होंगे और महायाजक की सुरक्षा के अधीन उनको रहने की ज़रूरत पड़ेगी। उसके हज़ार वर्ष के शासकत्व और याजकत्व के दौरान उसकी प्रायश्चितिक सेवाओं का फ़ायदा उठाने से वे मानव परिपूर्णता को प्राप्त करेंगे। तब शैतान और उसके पिशाचों को कुछ समय के लिए छोड़ने के द्वारा यीशु उन्हें अपनी खराई की एक आख़िरी, अनन्तकालीन निर्णायक परीक्षा के लिए परमेश्वर के हाथों सौंपेगा। क्योंकि वे इस परीक्षा को ईश्वरीय स्वीकृति से उत्तीर्ण करते हैं, यहोवा उन्हें धर्मी घोषित करेगा। इस प्रकार वे मनुष्य पूरी तरह परिपूर्ण हो जाएँगे।—१ कुरिन्थियों १५:२८; प्रकाशितवाक्य २०:७-१०.a
१६. भारी क्लेश के उत्तरजीवियों को कब महायाजक की प्रायश्चितिक सेवाओं की और ज़रूरत नहीं होगी?
१६ तो फिर, भारी क्लेश के उत्तरजीवियों को तब तक प्रतिरूपक शरणनगर में रहने के द्वारा एक अच्छा अंतःकरण बनाए रखना होगा जब तक कि मसीह के हज़ार साल के शासन का अन्त नहीं होता। परिपूर्णता में लाए गए मनुष्यों के तौर पर उन्हें महायाजक की प्रायश्चितिक सेवाओं की फिर कभी ज़रूरत नहीं होगी और उसकी सुरक्षा से निकल जाएँगे। तब यीशु उनके लिए महायाजक के तौर पर मर जाएगा, क्योंकि उसके बाद उसे अपने बलिदान के शुद्ध करनेवाले लहू से उनके पक्ष में कार्य करने की ज़रूरत नहीं होगी। उस समय वे प्रतिरूपक शरणनगर छोड़ देंगे।
१७. मसीह के हज़ार साल के शासन के दौरान पुनरुत्थित लोगों के लिए प्रतिरूपक शरणनगर में प्रवेश करना और वहाँ रहना क्यों ज़रूरी नहीं होगा?
१७ क्या जो यीशु के हज़ार साल के शासन के दौरान पुनरुत्थित किए जाते हैं उन्हें प्रतिरूपक शरणनगर में प्रवेश करना पड़ेगा और महायाजक की मृत्यु तक वहाँ रहना पड़ेगा? नहीं, क्योंकि मरने के द्वारा वे अपने पापीपन की सजा भुगत चुके हैं। (रोमियों ६:७; इब्रानियों ९:२७) फिर भी, महायाजक परिपूर्णता तक पहुँचने में उनकी मदद करेगा। यदि हज़ार साल के मसीह के शासन के बाद वे सफलतापूर्वक आख़िरी परीक्षा उत्तीर्ण करते हैं, तो परमेश्वर उन्हें पृथ्वी पर अनन्त जीवन की गारंटी के साथ धर्मी भी ठहराएगा। निःसंदेह, परमेश्वर की माँगों को पूरा करने से चूक जाना उन मनुष्यों पर प्रतिकूल न्याय और विनाश लाएगा जो खराई रखनेवालों के तौर पर आख़िरी परीक्षा उत्तीर्ण नहीं करते हैं।
१८. यीशु के शासकत्व और याजकत्व के संबंध में, कौन-सी बात मनुष्यजाति के साथ हमेशा रहेगी?
१८ इस्राएली महायाजक आख़िरकार मर गए। परन्तु यीशु ‘मलिकिसिदक की रीति पर सदा काल का महायाजक बना है।’ (इब्रानियों ६:१९, २०; ७:३) अतः मनुष्यजाति के प्रति बिचवई करनेवाले महायाजक के तौर पर, यीशु की नियुक्ति की समाप्ति उसके जीवन का अन्त नहीं करती है। राजा और महायाजक के रूप में उसकी सेवा के अच्छे प्रभाव मानवजाति के साथ हमेशा रहेंगे, और इन पदों पर जो उसने सेवाएँ की होंगी उसके लिए मनुष्य हमेशा उसके कर्ज़दार रहेंगे। इसके अलावा, हमेशा के लिए यीशु यहोवा की शुद्ध उपासना में अगुवाई करेगा।—फिलिप्पियों २:५-११.
हमारे लिए बहुमोल सबक़
१९. शरणनगरों के प्रबंध से बैर और प्रेम के संबंध में क्या सबक़ सीखा जा सकता है?
१९ शरणनगरों के प्रबंध से हम कई सबक़ सीख सकते हैं। उदाहरण के लिए, मारे गए व्यक्ति के प्रति हिंसक बैर रखनेवाले किसी भी हत्या करनेवाले को शरणनगर में रहने नहीं दिया जाता था। (गिनती ३५:२०, २१) अतः, प्रतिरूपक शरणनगर में कोई भी व्यक्ति एक भाई के प्रति अपने हृदय में बैर कैसे उत्पन्न होने दे सकता है? “जो कोई अपने भाई से बैर रखता है वह हत्यारा है,” प्रेरित यूहन्ना ने लिखा, “और तुम जानते हो, कि किसी हत्यारे में अनन्त जीवन नहीं रहता।” अतः, आइए हम “आपस में प्रेम रखें; क्योंकि प्रेम परमेश्वर से है।”—१ यूहन्ना ३:१५; ४:७.
२०. लहू के पलटा लेनेवाले से सुरक्षा के लिए प्रतिरूपक शरणनगर में रहनेवालों को क्या करना चाहिए?
२० लहू के पलटा लेनेवाले से सुरक्षा के लिए, अनजाने में हत्या करनेवालों को एक शरणनगर में रहना था और उसके चराई के मैदानों के बाहर नहीं निकलना था। प्रतिरूपक शरणनगर में जो हैं उनके बारे में क्या? लहू का महान पलटा लेनेवाले से सुरक्षा के लिए उन्हें नगर को नहीं छोड़ना चाहिए। वास्तव में, उन्हें मानो चराई के मैदान के किनारों में जाने के प्रलोभनों से सतर्क रहने की ज़रूरत है। उन्हें सावधान रहना चाहिए कि शैतान के संसार के प्रति अपने हृदयों में प्रेम विकसित न होने दें। यह प्रार्थना और मेहनत की माँग करता है, लेकिन उनके जीवन उस पर निर्भर हैं।—१ यूहन्ना २:१५-१७; ५:१९.
२१. आज के शरणनगर में रहनेवालों द्वारा कौन-सा फलदायक कार्य किया जा रहा है?
२१ प्राचीन शरणनगरों में रहनेवाले अनजाने में हत्या करनेवालों को फलदायक कार्यकर्ता होना था। वैसे ही, अभिषिक्त “इस्राएलियों” ने कटनी करनेवालों और राज्य उद्घोषकों के तौर पर एक उत्तम उदाहरण रखा है। (मत्ती ९:३७, ३८; मरकुस १३:१०) आज के शरणनगर में ‘विदेशी’ और ‘प्रवासी’ के तौर पर, अभी भी इस पृथ्वी पर बचे अभिषिक्त लोगों के साथ पार्थिव प्रत्याशा रखनेवाले मसीहियों को इस जीवनरक्षक कार्य को करने का विशेषाधिकार प्राप्त है। और यह क्या ही फलदायक कार्य है! जो प्रतिरूपक शरणनगर में वफ़ादारी से कार्य करते हैं वे लहू के पलटा लेनेवाले के हाथों अनन्त मृत्यु से बचेंगे। इसके बजाय, वे परमेश्वर के महान महायाजक के तौर पर उसकी सेवा से अनन्त फ़ायदे प्राप्त करेंगे। क्या आप शरणनगर में रहेंगे और अनन्तकाल तक जीएँगे?
[फुटनोट]
a मार्च १, १९९२ की प्रहरीदुर्ग का पृष्ठ २०, अनुच्छेद १५, १६ देखिए।
आप कैसे जवाब देंगे?
◻ यह क्यों कहा जा सकता है कि पृथ्वी के अरबों लोग रक्तदोषी हैं?
◻ यीशु मसीह मानवजाति के संबंध में कौन-सी भूमिकाएँ निभाता है?
◻ प्रतिरूपक शरणनगर क्या है, और एक व्यक्ति उसमें कैसे प्रवेश करता है?
◻ लोग प्रतिरूपक शरणनगर से कब छुड़ाए जाएँगे?
◻ शरणनगरों के प्रबंध से हम कौन-से बहुमोल सबक़ सीख सकते हैं?
[पेज 16 पर तसवीरें]
क्या आप जानते हैं कि यीशु मसीह कौन-सी अतिमहत्त्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाता है?