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दूसरों को यहोवा की नज़र से देखने की कोशिश कीजिएप्रहरीदुर्ग—2003 | मार्च 15
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दूसरों को यहोवा की नज़र से देखने की कोशिश कीजिए
“यहोवा का देखना मनुष्य का सा नहीं है।”—1 शमूएल 16:7.
1, 2. एलीआब के बारे में यहोवा का नज़रिया शमूएल के नज़रिए से कैसे अलग था और इससे हम क्या सीख सकते हैं?
सामान्य युग पूर्व 11वीं सदी में यहोवा ने भविष्यवक्ता शमूएल को एक ऐसे काम के लिए भेजा जिसकी किसी को कानों-कान खबर नहीं होनी चाहिए थी। उसने भविष्यवक्ता से कहा कि यिशै नाम के आदमी के घर जाए, और उसके एक बेटे को इस्राएल का राजा बनने के लिए अभिषिक्त करे। जब शमूएल ने यिशै के पहिलौठे बेटे, एलीआब को देखा तो उसे लगा कि हो-न-हो यही वह शख्स है जिसे परमेश्वर ने चुना है। मगर यहोवा ने उससे कहा: “न तो उसके रूप पर दृष्टि कर, और न उसके डील की ऊंचाई पर, क्योंकि मैं ने उसे अयोग्य जाना है; क्योंकि यहोवा का देखना मनुष्य का सा नहीं है; मनुष्य तो बाहर का रूप देखता है, परन्तु यहोवा की दृष्टि मन पर रहती है।” (1 शमूएल 16:6, 7) शमूएल, एलीआब को यहोवा की नज़र से न देख सका।a
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दूसरों को यहोवा की नज़र से देखने की कोशिश कीजिएप्रहरीदुर्ग—2003 | मार्च 15
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a बाद में यह ज़ाहिर हो गया कि रूपवान एलीआब इस्राएल का राजा होने के काबिल नहीं था। जब गोलियत ने इस्राएलियों को उसके साथ लड़ने के लिए ललकारा, तो बाकी इस्राएली पुरुषों की तरह एलीआब भी डर के मारे थर-थर काँपने लगा।—1 शमूएल 17:11, 28-30.
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