“संग्राम तो यहोवा का है”
“मैं सेनाओं के यहोवा के नाम से तेरे पास आता हूँ, जो इस्राएली सेना का परमेश्वर है, और उसी को तू ने ललकारा है।”—१ शमूएल १७:४५.
१, २. (अ) राजा शाऊल के नेतृत्व के नीचे इस्राएल की सेना के सम्मुख कौनसी ललकार है? (ब) गोलियत की ललकार के प्रति इस्राएल की सेना के सैनिक किस तरह से प्रतिक्रिया दिखाते हैं, और कौन अब परदे पर प्रकट होता है?
एलाह की तराई के पार, यरूशलेम की दक्षिण-पश्चिमी ओर, दो शक्तिशाली सेनाएँ एक दूसरे का सामना करते हैं। एक तरफ़ भयभीत शाऊल के नेतृत्व में इस्राएल की सेना है। दूसरी ओर पलिश्ती सेना और उसके गोलियत नामक महाकाय चैम्पियन हैं। संभवतः, गोलियत के नाम का मतलब है “सुस्पष्ट।” वह क़रीब नौ फुट लंबा है और पूर्णतः लैस है। गोलियत इस्राएल को ईशनिंदात्मक ललकार दे रहा है।—१ शमूएल १७:१-११.
२ गोलियत की ललकार का खंडन कौन करेगा? “उस पुरुष को देखकर सब इस्राएली अत्यन्त भय खाकर उसके सामने से भागे।” पर देखिए, घटनास्थल पर एक छोकरा नज़र आता है! उसका नाम “दाऊद” है, जिस का मतलब है “प्रिय।” धार्मिकता के प्रति उसकी साहसी एकनिष्ठा की वजह से, वह परमेश्वर का भी “प्रिय” साबित हुआ। शमूएल ने दाऊद को इस्राएल का भावी राजा होने के लिए उसे पहले से ही अभिषिक्त किया है, और यहोवा की आत्मा उस पर शक्तिशाली रीति से क्रियाशील है।—१ शमूएल १६:१२, १३, १८-२१; १७:२४; भजन ११:७; १०८:६.
३. दाऊद खुद को युद्ध के लिए किस तरह लैस करता है, लेकिन गोलियत किस तरह से लैस है?
३ गोलियत को ‘जीवित परमेश्वर की सेना को ललकारते’ हुए सुनकर, दाऊद उस महाकाय व्यक्ति से लड़ने के लिए खुद को पेश करता है। जब शाऊल अपनी सहमति देता है, दाऊद निकल पड़ता है, लेकिन शाऊल के दिए पारंपारिक कवच और शस्त्रों के साथ नहीं। वह केवल एक लाठी, गोफ़न, और पाँच चिकने पत्थरों से लैस है—गोलियत के वैषम्य में, जो कि ऐसा भाला ले जा रहा है जिसके फल का वज़न लगभग ६.९ किलोग्राम (१५ पौंड) है और जो ५७.३ किलोग्राम (१२६ पौंड) के तांबे का बकतर पहने है! जैसे ताक़तवर गोलियत और उसका ढालधारी आगे आते हैं, ‘पलिश्ती अपने देवताओं के नाम लेकर दाऊद को कोसने लगता है।’—१ शमूएल १७:१२-४४.
४. महाकाय की ललकार का दाऊद किस तरह जवाब देता है?
४ दाऊद किस तरह जवाब देता है? वह उस महाकाय व्यक्ति की ललकार, यह कहकर वापस फेंकता है: “तू तो तलवार और भाला और सांग लिए हुए मेरे पास आता है; परन्तु मैं सेनाओं के यहोवा के नाम से तेरे पास आता हूँ, जो इस्राएली सेना का परमेश्वर है, और उसी को तू ने ललकारा है। आज के दिन यहोवा तुझ को मेरे हाथ में कर देगा, और मैं तुझ को मारूँगा, और तेरा सिर तेरे धड़ से अलग करूँगा; और मैं आज के दिन पलिश्ती सेना की लोथें आकाश के पक्षियों और पृथ्वी के जीव जन्तुओं को दे दूँगा; तब समस्त पृथ्वी के लोग जान लेंगे कि इस्राएल में एक परमेश्वर है। और यह समस्त मण्डली जान लेगी कि यहोवा तलवार वा भाले के द्वारा जयवन्त नहीं करता इसलिए कि संग्राम तो यहोवा का है, और वही तुम्हें हमारे हाथ में कर देगा।”—१ शमूएल १७:४५-४७.
५. उस संग्राम का नतीजा क्या है, और श्रेय किसे दिया जाता है?
५ दाऊद निडरता से युद्ध में उतर आता है। उसका गोफ़न-पत्थर तेज़ी से अपने निशान तक पहुँचता है, और गोलियत ज़मीन पर गिर पड़ता है। जी हाँ, यहोवा ने उस महाकाय व्यक्ति के माथे तक उस छोटे से अस्त्र को बिना चूक के निर्देशित करके दाऊद के विश्वास और साहस को प्रतिफलित किया है! दाऊद आगे दौड़ता है, खुद गोलियत की तलवार उसके म्यान में से निकालकर, उस धौंसिए का सिर काट देता है। पलिश्ती गड़बड़ी में निकल भागते हैं। सचमुच, यह कहा जा सकता है: “संग्राम तो यहोवा का है”!—१ शमूएल १७:४७-५१.
६. (अ) यहोवा ने इस प्राचीन संग्राम का ब्योरा किस लिए बचा रखा है? (ब) परमेश्वर के लोगों को कौनसे आश्वासन की ज़रूरत है जब वे ऐसे शत्रुओं के हाथों उत्पीड़न भोगते हैं जिनकी तुलना गोलियत से की जा सकती है?
६ यहोवा ने इस ब्योरेवार युद्ध विवरण अपने वचन में क्यों बचा रखा है, हालाँकि वह युद्ध क़रीब ३,००० वर्ष पहले लड़ा गया था? प्रेरित पौलुस हमें बताता है: “जितनी बातें पहिले से लिखी गयीं, वे हमारी ही शिक्षा के लिए लिखी गयीं हैं कि हम धीरज और पवित्र शास्त्र की शान्ति के द्वारा आशा रखें।” (रोमियों १५:४) आज, परमेश्वर के कई विश्वसनीय सेवक निंदा और सरासर उत्पीड़न ऐसे शत्रुओं के हाथों सह रहे हैं, जिनकी तुलना गोलियत से की जा सकती है। जैसे-जैसे शत्रुओं से दबाव बढ़ते जाते हैं, हम सब को इस सांत्वनादायक आश्वासन की ज़रूरत है कि “संग्राम तो यहोवा का है।”
प्रभुसत्ता का विवाद-विषय
७. सभी जातियों में परमेश्वर के सभी लोगों के लिए कौनसा विवाद-विषय महत्त्वपूर्ण है, और क्यों?
७ गोलियत इस्राएल के परमेश्वर को चुनौती देकर आगे बढ़ा। उसी तरह, इस २०वीं सदी में सर्वसत्तात्मक राजनीतिक शासन तंत्र सामने आया है, और यहोवा की प्रभुसत्ता को ललकारकर उसके सेवकों को सरकार के सामने श्रद्धास्पद अधीनता-स्वीकरण करने के उद्देश्य से डरा-धमकाता है। यह विवाद-विषय सभी देशों में परमेश्वर के लोगों के लिए महत्त्व रखता है। ऐसा क्यों? इसलिए कि भविष्यवाणी किए गए अन्यजातीय समय, या “अन्यजातियों का नियुक्त समय,” १९१४ में समाप्त हुआ, जिस के बाद ‘देश देश के लोगों को संकट, और घबराहट’ की यह वर्तमान अवधि आरंभ हुई। (लूका २१:२४-२६; न्यू.व.; किंग जेम्स् वर्शन) अन्यजातियों का समय तब शुरु हुआ जब राष्ट्रों ने सामान्य युग पूर्व ६०७ में पार्थीव यरूशलेम को रौंदना शुरु किया और यह अगले २,५२० वर्षों के लिए १९१४ तक जारी रहा, जब यहोवा ने स्वर्गीय यरूशलेम में यीशु को अपने मसीही राजा के हैसियत से सिंहासनारूढ़ किया।—इब्रानियों १२:२२, २८; प्रकाशितवाक्य ११:१५, १७.a
८. (अ) “डरते हुए यहोवा की उपासना” करने के भविष्यसूचक आदेश के प्रति पृथ्वी के राजाओं ने किस तरह प्रतिक्रिया दिखायी है? (ब) आज कौनसे सांसारिक चैम्पियन यहोवा को ताना देकर उसके गवाहों को धमकाते हैं?
८ १९१४ में एक बड़ा परिवर्तन हुआ। अब अन्यजातीय राष्ट्र ईश्वरीय दख़ल के बिना शासन नहीं कर सकते थे। पर क्या तब राज्य करनेवाले “राजाओं” ने “डरते हुए यहोवा की उपासना” करने के भविष्यसूचक आदेश का पालन करके, उसके हाल ही के पदारूढ़ राजा को स्वीकार किया? नहीं! उसके बजाय, वे एक होकर “यहोवा के और उसके अभिषिक्त,” यीशु, “के विरुद्ध” मिल गए। खुद अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को पूरा करने में लगे रहने से, उन्होंने १९१४-१८ के महा संग्राम में “हुल्लड़” मचा दी। (भजन २:१-६, १०-१२) आज तक, विश्व प्रभुत्व मानवजाति के सम्मुख एक ज्वलंत विवाद-विषय है। शैतान की दुनिया राजनीतिक चैम्पियनों को उत्पन्न करती रहती है, जो कि गोलियत के सगोत्री, रपाईवंशी, के तुल्य हैं। ये तानाशाही हुकूमतें यहोवा को ताना मारते हैं और उसके गवाहों को अधीनता स्वीकार करने तक डरा-धमकाने की कोशिश करते हैं, लेकिन हमेशा की तरह, संग्राम और विजय यहोवा के हैं।—२ शमूएल २१:१५-२२.
आधुनिक-समय का “शाऊल”
९. आज कौनसे लोग राजा शाऊल के व्यवहार के तरीक़े के अनुरूप हैं, और किन किन रीतियों में?
९ इस स्थिति से राजा शाऊल क्या मतलब रखता है? पहले, उसके विद्रोहशीलता की वजह से, यहोवा ने ‘उस से इस्राएल का राज्य फाड़ने’ का निश्चय किया। (१ शमूएल १५:२२, २८) अब, गोलियत की ललकार के सम्मुख, शाऊल यहोवा की प्रभुसत्ता का समर्थन करने से रह गया था। इसके अतिरिक्त, उसने आगे जाकर दाऊद को उत्पीड़ित किया, जो कि गोलियत का विजेता था, और वह व्यक्ति जिसे शासन में शाऊल के वंशक्रम की जगह लेने के लिए यहोवा ने अभिषिक्त किया था। मसीहीजगत् का पादरी वर्ग इस प्रकार के व्यवहार के कितने आश्चर्यजनक रीति से अनुकूल हुए हैं! उन्होंने बाइबल सच्चाई के ख़िलाफ़ विद्रोह किया है, चूँकि वे उस बड़े धर्मत्याग का भाग हैं जो हमारे प्रभु यीशु और उसके आनेवाले राज्य के ‘सुसमाचार को नहीं मानते।’ वे यहोवा की विश्वव्यापक प्रभुसत्ता का समर्थन करने में बिल्कुल ही असफल रहे हैं और उन्होंने यहोवा के अभिषिक्त गवाहों और उनके साथी, बड़ी भीड़, को अत्यधिक उत्पीड़ित किया है। यहोवा ‘अपनी जलजलाहट में आकर’ उन धर्मत्यागियों को हटा देगा।—२ थिस्सलुनीकियों १:६-९; २:३; होशे १३:११.
१०. (अ) १९१८ में, लंदन में विशिष्ट पादरियों के एक दल द्वारा कौनसा घोषणा-पत्र प्रकाशित किया गया? (ब) १९१८ के घोषणा-पत्र पर अमल करने के बजाय, पादरी वर्ग ने कौनसा रास्ता अपनाया है?
१० प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, मसीहीजगत् के समझौता-प्रिय तरीक़ें पूर्णतया प्रत्यक्ष हुए। प्रकट रूप से, मत्ती अध्याय २४ और २५, और लूका अध्याय २१ में लेखबद्ध यीशु की भविष्यवाणी परिपूर्ण हो रही थी। दरअसल, १९१८ में लंदन, इंग्लैंड, में, बॅपटिस्ट, प्रेस्बिटेरियन, एपिस्कोपल, और मेथोडिस्ट गिरजाओं का प्रतिनिधित्व करनेवाले प्रमुख पादरियों ने एक घोषणा-पत्र प्रकाशित किया था। इस में कहा गया: “वर्तमान संकट-स्थिति अन्य जातियों के समय की समाप्ति की ओर संकेत करती है।” पर उन्होंने यह घोषणा करने के बाद इस पर कुछ अमल नहीं किया। पहले ही, मसीहीजगत् का पादरी वर्ग प्रथम विश्व युद्ध के दोनों पक्षों का समर्थन करने में गहराई से अंतर्ग्रस्त रहा था। राज्य सत्ता में यीशु की उपस्थिति को स्वीकृत करने के बजाय, वे सांसारिक राष्ट्रों की विचारणा के आगे दब गए—कि लोगों को परमेश्वर के राज्य के अधीन एकजुट होने के बजाय, फूट डालनेवाले अन्यजातीय राजनीतिक सत्ताधिकारों से, गोलियत जैसे तानाशाहों से भी, दबते रहना चाहिए।—मत्ती २५:३१-३३.
कोई समझौता नहीं!
११. प्रभुसत्ता के विवाद-विषय पर किसने समझौता नहीं किया, और वे किस के उदाहरण का अनुसरण करते हैं?
११ क्या परमेश्वर के एकनिष्ठ सेवक प्रभुसत्ता के इस विवाद-विषय पर समझौता करते हैं? बिल्कुल ही नहीं, जैसे कि बाइबल वृत्तांत स्पष्ट रूप से दिखाता है! (दानिय्येल ३:२८; ६:२५-२७; इब्रानियों ११:३२-३८; प्रकाशितवाक्य २:२, ३, १३, १९) आज वफ़ादार मसीही यहोवा की प्रभुसत्ता और राज्य का समर्थन करते हैं, वह सारी क्रूर निंदा और उत्पीड़न के बावजूद भी, जो आधुनिक-समय का धमकानेवाला गोलियत उन पर बरसाता है। इस प्रकार, वे यीशु, “दाऊद की संतान,” के क़दमों पर चलते हैं, जिस ने यहोवा की प्रभुसत्ता के पक्ष में निडरता से आत्मिक संग्राम किया, और साथ साथ संसार के संघर्षों और राजनीति के प्रति पूरी तटस्थता बनाए रखा। अपने पिता से एक प्रार्थना में, यीशु ने बताया कि उसके अनुयायी, सच्चे मसीही, भी ‘संसार के कोई भाग न थे।’—मत्ती ४:८-१०, १७; २१:९; यूहन्ना ६:१५; १७:१४, १६; १८:३६, ३७; १ पतरस २:२१.
१२. (अ) आधुनिक-समय के गोलियत को किसने मार गिरा दिया है, और यह कैसे? (ब) चूँकि यहोवा के लोगों ने “गोलियत” को मृत समझा है, इस से उन पर कैसा प्रभाव हुआ है?
१२ आज के अभिषिक्त मसीहियों के दाऊद-सा अवशेष ने आधुनिक-समय के गोलियत को मार गिराया है। यह कैसे? इस तरह कि उन्होंने विश्व प्रभुत्व के विवाद में अपने आप का यहोवा के पक्ष में असंदिग्ध रूप से होना घोषित किया है। “(सीडर पॉईंट, ओहायो में एक सम्मेलन में एकत्रित अंतर्राष्ट्रीय बाइबल विद्यार्थियों की संस्था द्वारा रविवार, सितंबर १०, १९२२, के रोज़ स्वीकार किए गए) प्रस्ताव” ने प्रतिमान निश्चित किया। उसके अंतर्गत निम्नलिखित बातें थीं:
“१०. इसके अतिरिक्त हम मानते हैं और साक्ष्य देते हैं कि यह परमेश्वर का शैतान के दृश्य और अदृश्य साम्राज्य के ख़िलाफ़ बदला लेने का दिन है;
“११. कि पुराने संसार, या व्यवस्थाक्रम का पुनःस्थापन एक अशक्यता है; कि मसीह यीशु के ज़रिए परमेश्वर के राज्य की स्थापना के लिए समय अब आया है; कि जो सारे सत्ताधिकार और संस्थान स्वेच्छा से प्रभु के धार्मिक शासन को स्वीकार नहीं करते, उन्हें विनष्ट किया जाएगा।”
मसीही मण्डली के प्रमुख के तौर से, “दाऊद की संतान” ने बेशक राज्य सच्चाई के उस “पत्थर” का फैंका जाना संचालित किया। (मत्ती १२:२३; यूहन्ना १६:३३; कुलुस्सियों १:१८) १९२२ सें १९२८ तक के सालाना सम्मेलनों में स्वीकार किए गए प्रस्तावों ने इस दृष्टिकोण पर बल दिया। यहोवा के लोगों के नज़रिए से, “गोलियत” मरा पड़ा था; उसका सिर काट दिया गया था। तानाशाही मानवी हुकूमतें यहोवा की प्रभुसत्ता के साहसी समर्थकों को समझौता करने तक दबाव डालने के लिए शक्तिहीन रहे हैं।—तुलना प्रकाशितवाक्य २०:४ से करें.
१३. (अ) हिट्लर के समय की जर्मनी के अत्याचार के दौरान मसीहीजगत् के पादरी वर्ग ने किस तरह समझौता किया? (ब) अटल गवाहों के बारे में मदर्स इन द फादरलैंड नामक किताब ने क्या रिपोर्ट की?
१३ गोलियत-जैसे राजनीतिक हुकूमतों द्वारा डरा-धमकाने का एक विशिष्ट आधुनिक-समय का उदाहरण हिट्लर के समय के जर्मनी में हुआ। नाट्ज़ीवाद का सम्मान करने, निरंकुश शासक को पूजने, उसके स्वस्तिक चिह्न-झंडे को सलामी देने, और जब उसकी फ़ौज पड़ोसी राष्ट्रों में अपने संगी विश्वासियों को वध करने बाहर निकलती, उन्हें आशीर्वाद देने के द्वारा प्रमुख धर्म, दोनों कैथोलिक और प्रोटेस्टेन्ट ने शोचनीय रीति से समझौता किया। सभी धर्म के तथाकथित मसीही—पर यहोवा के गवाह नहीं—देशभक्तिपूर्ण सरगर्मी में फँस गए थे। मदर्स इन द फादरलैंड (पितृभूमि की माताएँ), इस किताब ने रिपोर्ट किया: “[यहोवा के गवाहों] को नज़रबंदी-शिबिरों में भेजा गया, उन के एक हज़ार व्यक्तियों को जान से मार दिया गया, और १९३३ तथा १९४५ के बीच एक हज़ार और लोग मर गए। . . . कैथोलिक और प्रोटेस्टेन्ट लोगों ने अपने पादरियों को उन्हें हिट्लर को सहयोग देने के लिए प्रोत्साहित करते सुना। अगर उन्होंने प्रतिरोध किया, तो उन्होंने चर्च और सरकार, दोनों के आदेशों के विरुद्ध ऐसा किया।” चर्च और सरकार, दोनों कितने हत्यारे बन गए!—यिर्मयाह २:३४.b
१४. यहोवा के गवाह अक़्सर उत्पीड़ित क्यों किए जाते हैं?
१४ आज तक, जैसे कि यीशु ने पूर्वबतलाया, यहोवा के गवाहों का क्रूर अत्याचार कई देशों में जारी है। लेकिन हर हालत में ये मसीही “राज्य का यह सुसमाचार” सरगर्मी से प्रचार करते रहते हैं। (मत्ती २४:९, १३, १४) इस परिस्थिति का व्यंग्य यह है कि अधिकांश देशों में गवाह ईमानदार, नैतिक रूप से शिष्ट, और क़ानून तथा व्यवस्था को बनाए रखने में अनुकरणीय नागरिकों के तौर से पहचाने जाते हैं। (रोमियों १३:१-७) फिर भी, उन्हें अक़्सर उत्पीड़ित किया जाता है। क्यों? चूँकि भक्ति सिर्फ़ यहोवा की है, वे सरकार के प्रतिरूपों के सामने न झुकते और न ही उनका जयकार करते हैं। (व्यवस्थाविवरण ४:२३, २४; ५:८-१०; ६:१३-१५) बिना समझौता किए, वे यहोवा को अपनी ज़िंदगी का सर्वश्रेष्ठ प्रभु बनाकर, “केवल उसी की” उपासना करते हैं। (मत्ती ४:८-१०; भजन ७१:५; ७३:२८) “संसार का कोई भाग न” होकर, वे दुनिया की राजनीति और युद्धों के प्रति मसीही तटस्थता बनाए रखते हैं।—यूहन्ना १५:१८-२१; १६:३३.
१५, १६. (अ) जब आधुनिक-समय का गोलियत उन्हें धमकाता है, तब सभी उम्र के गवाह किन लोगों के उदाहरणों का अनुसरण कर सकते हैं, और एक छः वर्षीया मसीही लड़की ने इसे किस तरह चित्रित किया? (ब) मसीही माता-पिता अपने नन्हें-मुन्नों को किस के जैसे बनने के लिए प्रशिक्षित करना चाहते हैं?
१५ आधुनिक-समय का गोलियत इन ख़राई-पालकों को अक़्सर धमकाते हैं, जो यहोवा की उपासना मूर्तिपूजक अभ्यासों के आगे रखते हैं। (तुलना प्रकाशितवाक्य १३:१६, १७ से करें) लेकिन गवाह, दोनों बूढ़े और जवान, उस ललकार का निडरता से जवाब देकर दाऊद के उदाहरण का अनुसरण कर सकते हैं। एक लैटिन अमरीकी देश में, एक छः वर्षीया मसीही लड़की ने घर में बालकपन से उत्तम सिखलाई प्राप्त की थी। (तुलना इफिसियों ६:४; २ तीमुथियुस ३:१४, १५ से करें) इस से उसका पाठशाला में अपनी कक्षा की सबसे होनहार विद्यार्थिनी बनने में सहयोग हुआ। लेकिन उसका बाइबल-प्रशिक्षित अंतःकरण उसके कक्षा के मूर्तिपूजक संस्कारों में हिस्सा न लेने का कारण बना। जब उसने अपनी टेक समझा दी, शिक्षिका ने कहा कि उसके जैसे कम-उम्र की लड़की को अंतःकरण कहाँ! उस छः वर्षीया ने एक प्रभावशाली गवाही देकर शिक्षिका को ग़लत साबित किया।
१६ यह आशा की जाती है कि सभी मसीही माता-पिता अपने नन्हें-मुन्नों को इस तरह प्रशिक्षित करें कि जब गोलियत-से सांसारिक सत्ताधिकार उन्हें धमकाए, तब वे अपनी टेक लेकर युवा दाऊद के उदाहरण का अनुसरण करें। बाइबल सिद्धांतों के अनुसार साहस से ‘शुद्ध विवेक रखने’ में, वे तीन विश्वसनीय इब्रानी बच्चों के जैसे, दानिय्येल के जैसे, और बाइबल वृत्तांत के कई अन्यों के जैसे बनें।—१ पतरस २:१९; ३:१६; दानिय्येल ३:१६-१८.
जैसे इतिहासकार इसे समझते हैं
१७. (अ) अँग्रेज़ इतिहासकार टॉइनबी ने कौनसे विकास के बारे में चिताया? (ब) आधुनिक-समय का गोलियत वर्ग परमेश्वर के लोगों की वफ़ादारी किस तरह परीक्षित करता है?
१७ सुविख़्यात अँग्रेज़ इतिहासकार आर्नल्ड टॉइनबी ने हमारे समय में “प्रभुसत्ताक राष्ट्रीय राज्यों की एक मूर्तिपूजक भक्ति की घिनावनी छाया” के विकास के बारे में चिताया और, इसका वर्णन भी “जनजातीय संगठन की पुरानी बोतलों में प्रजातन्त्र के नए दाखरस की उठी खट्टी ख़मीर,” इन शब्दों में किया। जो लोग दावा करते हैं कि उनका अपना देश बाक़ी सभी देशों से बेहतर है, सरकार को भक्ति देने की हद तक भी, वे शासकों द्वारा चालाक़ी से प्रभावित किए गए हैं और उनकी नीति, चाहे वह अच्छी हो या बुरी, निष्पादित करने के उद्देश्य से उनके सख़्त नियंत्रण में रखे गए हैं। इसके फलस्वरूप, गोलियत वर्ग परमेश्वर के लोगों की वफ़ादारी परीक्षित करने के लिए उत्पन्न हुआ है, जो कि अपनी जन्म-भूमि से प्रेम रखते तो हैं पर सरकार और उसके चिह्नों को भक्ति देना अस्वीकार करते हैं।
१८. ईमानदार मसीही को कौनसे भेदक सवालों का जवाब देना ज़रूरी है?
१८ जैसे नाट्ज़ी जर्मनी में स्थिति थी, वैसे ही आज ईमानदार मसीही को जवाब देने के लिए कुछ भेदक सवाल हैं: क्या मुझे मानना चाहिए कि मैं जिस देश में रहता हूँ, उस पर और किसी भी देश से ज़्यादा परमेश्वर का अनुग्रह है? ख़ास तौर से अब, मानवी इतिहास के सबसे ख़तरनाक़ अवधि में, क्या पृथ्वी के एक छोटे से हिस्से को बाक़ी सभी हिस्सों से बेहतर समझना तर्कसंगत और युक्तियुक्त है? या फिर मानवी परिवार के एक अंश को बाक़ी सभी अंशों से श्रेष्ठ समझना?
१९. इस तरह से सोचने और बरताव करने, मानो एक जाति बाक़ी सभी जातियों से बेहतर है, इसके बारे में सबसे बड़े इतिहासकार, यहोवा, हम से क्या कहते हैं?
१९ आइए, हम सबसे बड़े इतिहासकार—यहोवा परमेश्वर, बाइबल के लेखक, के दृष्टिकोण पर ग़ौर करें। प्रेरित पतरस हमें बताता है: “अब मुझे निश्चय हुआ, कि परमेश्वर किसी का पक्ष नहीं करता, बरन हर जाति में जो उस से डरता और धर्म के काम करता है, वह उसे भाता है।” और क्या हमें प्रेरित पौलुस के उत्प्रेरित कथन के अनुसार कार्य करना नहीं चाहिए कि परमेश्वर ने “एक ही मूल से मनुष्यों की सब जातियाँ सारी पृथ्वी पर रहने के लिए बनायी हैं”? किसी एक जाति को इस तरह से क्यों सोचना और बरताव करना चाहिए मानो वह बाक़ी सब जातियों से श्रेष्ठ हो? सभी मनुष्यों के विषय बोलते हुए, पौलुस ने कहा: ‘हम तो परमेश्वर का वंश हैं।”—प्रेरितों के काम १०:३४, ३५; १७:२६, २९.
२०. यहोवा की नयी व्यवस्था में परमेश्वर के लोग अब और किस बात से नहीं ललकारे जाएँगे, और हमारे अगले अध्ययन में किस बात पर विचार-विमर्श किया जाएगा?
२० यहोवा की नयी व्यवस्था में, धार्मिकता के प्रेमी अब और गोलियत-से सर्वसत्तात्मक राजनीतिक तंत्रों द्वारा ललकारे नहीं जाएँगे, इसलिए कि पक्षपातपूर्ण घमंड और द्वेष अतीत की बातें होंगी। (भजन ११:५-७) पृथ्वी पर जहाँ कहीं परमेश्वर के लोग रहते हैं, उन्होंने, यीशु की उस आज्ञा के पालन में, कि ‘एक दूसरे से प्रेम रखे जैसे उसने उनसे प्रेम रखा,’ अभी ऐसी राष्ट्रीयता को पीछे छोड़ रखा है। (यूहन्ना १३:३४, ३५; यशायाह २:४) हमारा अगला अध्ययन दिखाता है कि वह किस तरह का प्रेम है!
[फुटनोट]
a इस बाइबल कालक्रम के एक ब्योरेवार विचार-विमर्श के लिए, वॉचटावर बाइबल ॲन्ड ट्रैक्ट सोसाइटी, निगमित, द्वारा प्रकाशित लेट यॉर किंग्डम कम नामक किताब के पृष्ठ १२९-३९ देखें।
b नाट्ज़ी “गोलियत” की ललकार का जवाब देने में, यहोवा के बूढ़े और जवान गवाहों की खराई के उत्तेजक उदाहरणों के लिए, १९७४ यरबुक ऑफ जेहोवाज़ विट्नेसिस्, पृष्ठ ११७-२१, १६४-९ देखें।
समीक्षा के लिए प्रश्न
◻ महाकाय धौंसिया गोलियत से क्या चित्रित है?
◻ प्रभुसत्ता के विवाद-विषय पर परमेश्वर के सेवक किन किन रीतियों में कोई समझौता नहीं करते?
◻ परमेश्वर के लोग क्यों कह सकते हैं कि आधुनिक-समय का गोलियत मार गिरा दिया गया है?
◻ कौन राजा शाऊल के व्यवहार करने के तरीक़े का अनुसरण करता है, और कैसे?
◻ आधुनिक-समय के गोलियत के अत्याचार के सम्मुख यहोवा के लोगों ने दाऊद के जैसे किस तरह बरताव किया है?