प्रतिज्ञात देश से दृश्य
यहूदा की बंजर भूमि ऊसर पर मनोहर
प्रतिज्ञात देश में यहूदा की बंजर भूमि की आप कैसी कल्पना करते हैं? कुछ इसे एक विशाल, घने जंगल के रूप में समझते हैं। दूसरे सहारा रेगिस्तान के समान, रेती के अनन्त फैलाव के रूप में इसकी कल्पना करते हैं।
जैसे आप उपर्युक्त फ़ोटो में देख सकते हैं, यह बंजर भूमि इन में की कोई भी कल्पना से मिलती नहीं। इस दृश्य में आप इस बंजर भूमि के उस भाग को देख रहे हैं जो यीशु से सम्बन्धित है। परम्परा कहती है कि शैतान ने यीशु को इस चोटी से, “सारे जगत के राज्य” दिखाए थे, जो इस बंजर भूमि की कोर पर है और जिसकी ऊँचाई से पूरब की ओर यरीहो का ख़जूर से अलंकृत शहर देखा जा सकता है।—मत्ती ३:१; ४:१-११.
इस उत्तरपूर्वी हिस्से से, यहूदा की यह बंजर भूमि लवण सागर के पश्चिमी तट के साथ दक्षिण की ओर बढ़ जाती है। इस क्षेत्र की कल्पना करने के लिए अगर आप १९८९ कॅलन्डर ऑफ जेहोवाज़ विट्नेसस के आवरण-पृष्ठ पर दिए गए मानचित्र देखेंगे तो आपको मदद होगी। (इस कैलन्डर में उपर्युक्त चित्र का एक बृहत् रूप भी है।) यह बंजर भूमि (१० से १५ मील चौड़ा) यहूदिया के पर्वतों की पूर्वी ढाल पर, नीचे लवण सागर के किनारे तक है।
ये पर्वत भूमध्य सागर से आनेवाली अधिकांश नमी को रोकते हैं। इसलिए पूर्वी भाग के ये नरम, खाली खड़िया के पर्वत नवम्बर और दिसम्बर के शीतकालीन महिनों को छोड़, साल भर में बहुत कम वर्षा अनुभव करते हैं। उस वक्त घास उगता है, जिसके कारण यहाँ भेड़ चरने आते हैं। इस तरह, १ शमूएल २४:३ में उल्लेखित “भेड़शालें” इस क्षेत्र से अच्छी तरह मिलती है।
यहाँ उगनेवाला घास अधिक समय तक नहीं रहता। मरुभूमि से आनेवाली पूर्वी हवा जल्द ही हरियाली को झुलसा हुआ भूरा रंग बना देती है। यह उस भविष्यसूचक उक्ति को कितनी अच्छी तरह चित्रित करती है: “घास तो सूख जाती, और फूल मुर्झा जाता है; परन्तु हमारे परमेश्वर का वचन सदैव अटल रहेगा।”—यशायाह ४०:८; १ पतरस १:२४, २५.
४० दिन और ४० रात उस बंजर भूमि में भटकते समय यीशु ने इस शास्त्रपद पर विचार किया होगा। सोचिए, यीशु को उस अति उष्ण धूप में कैसा लगा होगा, जो उन निर्वृक्ष चट्टानों पर और तंग घाटियों पर आ पड़ती है। (यशायाह ३२:२) यह कितना स्वाभाविक है कि बाद में “स्वर्गदूत आकर उस की सेवा करने लगे”!—मत्ती ४:१-११.
उसकी अनुपजाऊपन और निवासियों की कमी के कारण यहूदी बंजर भूमि को अक्सर एक शरण स्थान के रूप में उपयोग किया जाता था। क्रोधित राजा शाऊल से दूर भागते वक्त, दाऊद ने यहाँ शरण पाया और उसे एक “सूखी और निर्जल ऊसर भूमि” के रूप में वर्णित किया। (भजन संहिता ६३:१ और उपरिलेख; १ शमूएल २३:२९) कुछ समय के लिए वह एक गुफ़ा में छिपा रहा, शायद वाडी खरेतुन (एक घाटी जो बैतलहम के पूर्व से लवण सागर की ओर जाती है) के उम कत्ताफ़ा गुफ़ा के समान एक गुफ़ा में। (इब्रानियों ११:३२, ३८) गुफ़ा में से इस दृश्य में, आप बिखरे हुए पेड़-पौधों की खोज करते हुए कुछ काले भेड़ों को देख सकते हैं।
दाऊद एनगदी के क्षेत्र में एक गुफ़ा में था, जब शाऊल ने मल मूत्र त्याग करने के लिए उस में प्रवेश किया। यद्यपि दाऊद ने शाऊल के बागे को काट दिया वह “यहोवा के अभिषिक्त” को हानि नहीं पहुँचाता। बाद में दाऊद ने शाऊल को पुकारा, शायद जब राजा नीचे प्रचुर पर्णसमूह के बीच था। (१ शमूएल २४:१-२२) ‘प्रचुर पर्णसमूह यहाँ?’ आप शायद आश्चर्य कर सकते हैं।
जी हाँ, जब काफ़ी मात्रा में पानी हो, तो यह बंजर भूमि हरी-भरी हो सकती है। एनगदी एक उदाहरण है। लवण सागर के पश्चिमी तट पर खुलनेवाली इस घाटी में, छिद्रिल चट्टानों से रिसनेवाला पानी, झरनों और जलप्रपातों के रूप में बाहर निकलता है। यह एनगदी को एक वास्तविक जंगल बना देता है, जो वनस्पति जीवन में समृद्ध है। वहाँ की भेंट करते समय, आप कई विभिन्न फूलों और फलों को पाएँगे। आप शायद वन्य जीवन भी देखेंगे, जहाँ चट्टानी बिज्जु से लेकर पहाड़ी बक़री भी पाए जाते हैं; इस क्षेत्र में तेदुएँ भी हैं!—१ शमूएल २४:२; श्रेष्ठगीत १:१४.
यहूदा की यह बंजर भूमि इतनी हरी-भरी भी बन सकती है, यह बात यहेजकेल का यरूशलेम के मन्दिर से पानी बहने के दर्शन के बारे में हमारी समझ बढ़ाती है। यह बहाव यहाँ तक बढ़ता गया कि वह पूरब की ओर यहूदिया की बंजर भूमि से गुज़रता हुआ एक प्रचण्ड धारा बन गया। क्या परिणाम हुआ? यहेजकेल ने लिखा: “नदी के दोनों तीरों पर भांति भांति के खाने योग्य फलदाई वृक्ष उपजेंगे . . . और उनके फल तो खाने के, और पत्ते औषधि के काम आएंगे।” यह पानी लवण सागर में बह गया, और उसके निर्जीव पानी को भी स्वस्थ किया।—यहेजकेल ४७:१-१२; यशायाह ३५:१, ६, ७.
इसलिए, यद्यपि यहूदा की यह बंजर भूमि अर्ध-निर्जल और सुनसान है, यह वैषम्यों का एक मोहक प्रदेश है, जिसका उल्लेख कई बाइबल वृत्तान्तों में पाया जा सकता है।—लूका १०:२९-३७.
[पेज 10 पर चित्र का श्रेय]
Pictorial Archive (Near Eastern History) Est.
[पेज 11 पर चित्र का श्रेय]
Pictorial Archive (Near Eastern History) Est.