उनके विश्वास की मिसाल पर चलिए
उसने परमेश्वर से दिल खोलकर प्रार्थना की
हन्ना अपने दुखों को भूल सफर की तैयारी में जुटी हुई थी। बड़ी खुशी का मौका था। पूरा घर चहल-पहल से गुलज़ार था। हर साल की तरह उसका पति एल्काना, पूरे परिवार को पर्व के लिए शीलो ले जानेवाला था, जहाँ निवास-स्थान में यहोवा की उपासना की जाती थी। यहोवा चाहता था कि उसके लोग इन मौकों पर खुशियाँ मनाएँ। (व्यवस्थाविवरण 16:15) हन्ना बचपन से ही इन पर्वों में जाती थी और खुशियाँ मनाती थी, लेकिन कुछ सालों से उसके हालात बदल गए थे।
हन्ना का पति एल्काना उससे बेहद प्यार करता था। मगर उसकी एक और पत्नी थी, पनिन्ना। पनिन्ना ने हन्ना का जीना दुश्वार कर रखा था। और इन सालाना त्योहारों पर भी वह उसे खून के आँसू रुलाती थी। कैसे, यह हम आगे देखेंगे। लेकिन सबसे ज़रूरी बात हम जानेंगे कि यहोवा पर विश्वास करने से कैसे हन्ना को अपनी ज़िंदगी के मुश्किल दौर से गुज़रने में मदद मिली? अगर आप कुछ ऐसी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जिनसे आपकी खुशियाँ छिन गयी हैं, तो शायद हन्ना की दास्तान आपके दिल को छू जाएगी।
“तेरा मन क्यों उदास है?”
बाइबल बताती है कि हन्ना के जीवन में दो बड़ी परेशानियाँ थीं। एक पर उसका कोई ज़ोर नहीं था और दूसरी परेशानी का कोई हल नहीं था। पहली परेशानी थी उसकी सौतन पनिन्ना, जिसे हन्ना फूटी आँख नहीं सुहाती थी। और दूसरी, हन्ना बाँझ थी। एक औरत जिसे माँ बनने की बड़ी तमन्ना हो, उसके लिए बाँझ होना बड़े दुख की बात होती है। लेकिन हन्ना के ज़माने में जिस औरत की गोद सूनी होती थी, उसे कई तकलीफें झेलनी पड़ती थी। उस वक्त बच्चे होना बहुत ज़रूरी माना जाता था क्योंकि उन्हीं से खानदान का नाम आगे बढ़ता था। और यही वजह थी कि एक बाँझ औरत को तुच्छ समझा जाता था और उसके लिए यह बड़ी शर्म की बात थी।
हन्ना शायद यह बोझ सह लेती, लेकिन पनिन्ना ने उसका बोझ दुगना कर दिया था। एक से ज़्यादा पत्नी रखने के हमेशा बुरे अंजाम हुए हैं। इससे बहसबाज़ी, आपसी झगड़े और कई दुख झेलने पड़े हैं। एक से ज़्यादा पत्नी रखने का दस्तूर परमेश्वर का ठहराया इंतज़ाम नहीं था। परमेश्वर ने अदन के बाग में पहले पुरुष के लिए एक ही स्त्री बनायी थी और इस तरह उसने एक ही जीवन-साथी रखने का स्तर ठहराया था।a (उत्पत्ति 2:24) बाइबल एक से ज़्यादा पत्नी रखने के बारे में बुरी तसवीर पेश करती है। और एल्काना का परिवार इस बात की एक जीती-जागती मिसाल है।
एल्काना, हन्ना से बहुत प्यार करता था। यहूदी इतिहास बताता है कि उसने पहले हन्ना से शादी की और कुछ सालों बाद पनिन्ना से। पनिन्ना, हन्ना से जलती थी और अलग-अलग तरीकों से उसे सताती थी। वह सिर्फ एक ही मायने में हन्ना से बेहतर थी क्योंकि वह उसकी तरह बाँझ नहीं थी। पनिन्ना के कई बच्चे थे और हर बच्चे के पैदा होने पर वह घमंड से फूल जाती थी। हन्ना से हमदर्दी जताने और निराश होने पर उसे दिलासा देने के बजाय वह उसकी दुखती रग छेड़ देती थी। बाइबल कहती है कि पनिन्ना उसे चिढ़ा-चिढ़ाकर “कुढ़ाती रहती थी।” (1 शमूएल 1:6) पनिन्ना जानबूझकर ऐसा करती थी और उसे चोट पहुँचाती थी।
सालाना पर्व के वक्त हन्ना पर ताने कसने का पनिन्ना को बढ़िया मौका मिलता था। एक बार कुछ ऐसा हुआ। हमेशा की तरह पर्व पर पनिन्ना के “हर बेटे और बेटी” को एल्काना ने यहोवा को चढ़ाए बलिदान का एक-एक हिस्सा दिया। लेकिन हन्ना, जिसका कोई बच्चा नहीं था, उसे सिर्फ एक ही हिस्सा मिला। यह देख पनिन्ना घमंड से फूल गयी और हन्ना को उसके बाँझ होने का एहसास दिलाने लगी। दुखियारी हन्ना फूट-फूटकर रोने लगी और उसकी भूख मर गयी। एल्काना ने जब देखा कि उसकी प्यारी हन्ना दुखी है और उसने खाना-पीना छोड़ दिया है, तो उसने उसे दिलासा देने की कोशिश की। उसने उससे पूछा: “हे हन्ना, तू क्यों रोती है? और खाना क्यों नहीं खाती? और तेरा मन क्यों उदास है? क्या तेरे लिये मैं दस बेटों से भी अच्छा नहीं हूं?”—1 शमूएल 1:4-8.
एल्काना समझ गया कि हन्ना इसलिए दुखी है कि उसकी गोद सूनी है। इसमें कोई शक नहीं कि एल्काना के प्यार-भरे शब्दों से हन्ना को दिलासा मिला होगा।b बाइबल नहीं बताती कि एल्काना ने कभी हन्ना से पनिन्ना के दिल में भरी नफरत का ज़िक्र किया और न ही कभी हन्ना ने एल्काना से इस बारे में कोई शिकायत की। शायद हन्ना को लगा हो कि अगर वह पनिन्ना का चिट्ठा खोल देगी, तो खुद उस पर और भी बड़ी आफत आ जाएगी। क्या एल्काना इस बारे में कुछ कर सकता था? अगर हन्ना शिकायत करती, तो क्या पनिन्ना के दिल में उसके लिए नफरत नहीं बढ़ जाती? क्या उसके देखा-देखी उसके बच्चे और नौकर-चाकर भी हन्ना से बुरा व्यवहार नहीं करते? बेचारी हन्ना अपने ही घर में पराई बनकर रह जाती।
एल्काना की नज़रों से पनिन्ना की छोटी-छोटी करतूतें भले ही छिप गयी हों, लेकिन यहोवा की नज़र से नहीं छिपीं। उसका वचन, बाइबल इस घटना का पूरा ब्यौरा देता है और उन लोगों को खबरदार करता है, जो जलन और नफरत की वजह से दूसरों पर ताने कसते हैं या उन्हें तंग करते हैं। दूसरी तरफ, हन्ना की तरह भोले और शांति कायम करनेवाले इस बात से सुकून पाते हैं कि यहोवा अपने समय पर और अपने तरीके से हर बात का इंसाफ करेगा। (व्यवस्थाविवरण 32:4) हन्ना यह बात बखूबी समझती थी इसलिए उसने प्रार्थना में यहोवा से मदद माँगी।
“उसका मुंह फिर उदास न रहा”
सुबह-सुबह एल्काना के घर में हलचल मची हुई थी। हर कोई यहाँ तक की बच्चे भी सफर की तैयारी में लगे हुए थे। शीलो जाने के लिए उन्हें एप्रैम के पहाड़ी इलाके से होते हुए 30 किलोमीटर से ज़्यादा लंबा सफर तय करना था।c पैदल सफर करने में उन्हें एक या दो दिन लगते। हन्ना जानती थी कि उसकी सौतन इस बार भी उसे नहीं बख्शेगी। फिर भी उसने सोच लिया था कि वह घर पर नहीं बैठेगी, शीलो ज़रूर जाएगी। इस तरह हन्ना ने यहोवा के सभी उपासकों के लिए एक बढ़िया मिसाल रखी। आज चाहे लोग हमारे साथ बुरी तरह क्यों न पेश आएँ, पर हमें यहोवा की उपासना नहीं छोड़नी चाहिए। अगर हम उसकी उपासना करना छोड़ दें, तो हम उन आशीषों को गँवा बैठेंगे, जिससे हमें धीरज धरने की ताकत मिलती है।
घुमावदार पहाड़ी रास्ता तय करने के बाद उन्हें शीलो की पहाड़ी दिखायी देने लगी। शीलो चारों तरफ से बड़ी पहाड़ियों से घिरा हुआ था। जैसे-जैसे वे शीलो के करीब पहुँच रहे थे, शायद हन्ना मन-ही-मन सोच रही थी कि वह यहोवा से प्रार्थना में क्या कहेगी। वहाँ पहुँचने के बाद पूरा परिवार खाना खाने बैठा। फिर मौका मिलते ही हन्ना अकेली यहोवा के निवास-स्थान की तरफ चली गयी। मंदिर की चौखट पर महायाजक एली बैठा था। लेकिन हन्ना का पूरा ध्यान यहोवा पर लगा हुआ था। यहाँ आकर उसे पूरा यकीन था कि उसकी पुकार सुनी जाएगी। चाहे उसकी दुर्दशा कोई न समझे, लेकिन स्वर्ग में रहनेवाला उसका पिता ज़रूर समझेगा। उसके अंदर गहरा दुख और दर्द उमड़ने लगा और वह रोने लगी।
सिसकियाँ भरते-भरते हन्ना का पूरा शरीर काँप रहा था। यहोवा से अपना दर्द बयान करने के लिए वह शब्दों की उधेड़-बुन में थी। वह प्रार्थना में बुदबुदाने लगी और अपने पिता यहोवा के आगे उसने अपने दिल का सारा हाल कह सुनाया। उसने परमेश्वर से एक बेटे की भीख माँगी। लेकिन हन्ना सिर्फ यहोवा से आशीष ही नहीं पाना चाहती थी, बल्कि वह उसे कुछ देना भी चाहती थी। उसने परमेश्वर से वादा किया कि अगर वह उसे एक बेटा देगा, तो वह उसे जीवन-भर के लिए उसकी सेवा में दे देगी।—1 शमूएल 1:9-11.
प्रार्थना के मामले में हन्ना, यहोवा के सभी सेवकों के लिए एक बेहतरीन मिसाल है। यहोवा हमें प्यार-भरा न्यौता देता है कि हम उससे प्रार्थना में खुलकर बात करें और बेझिझक उसे अपनी चिंताएँ और परेशानियाँ बताएँ। ठीक जैसे एक छोटा बच्चा अपने पिता को अपनी सारी बातें कह देता है जिस पर उसे पूरा भरोसा होता है। (भजन 62:8; 1 थिस्सलुनीकियों 5:17) इस बारे में परमेश्वर की प्रेरणा से प्रेषित पतरस ने दिलासा देनेवाले ये शब्द लिखे: “तुम अपनी सारी चिंताओं का बोझ उसी पर डाल दो, क्योंकि उसे तुम्हारी परवाह है।”—1 पतरस 5:7.
इंसान इस काबिल नहीं कि वह यहोवा की तरह भावनाओं को पूरी तरह समझ सके और हमदर्दी दिखा सके। जब हन्ना रोते हुए प्रार्थना कर रही थी, तो अचानक एक आवाज़ आयी और वह चौंक गयी। यह आवाज़ महायाजक एली की थी, जो उसे ध्यान से देख रहा था। उसने कहा: “तू कब तक नशे में रहेगी? अपना नशा उतार।” एली देख रहा था कि हन्ना कैसे सिसकियाँ ले-लेकर कुछ बुदबुदा रही है। साथ ही, वह उसके हाव-भाव से उसका दर्द भाँप सकता था। लेकिन यह पूछने के बजाय की हन्ना को क्या हुआ, वह तुरंत मान बैठा कि वह नशे में है।—1 शमूएल 1:12-14.
ज़रा सोचिए बेचारी हन्ना पर क्या गुज़री होगी, जब उसने देखा कि एक महायाजक उस पर गलत इलज़ाम लगा रहा है! लेकिन इस हालात में भी हन्ना ने विश्वास की बढ़िया मिसाल कायम की। उसने इंसान की असिद्धता को यहोवा की उपासना के आड़े नहीं आने दिया। उसने आदर के साथ एली को अपनी आप-बीती सुनायी। शायद अपनी गलती का एहसास करने के बाद एली ने नरम आवाज़ में कहा: “कुशल से चली जा; इस्राएल का परमेश्वर तुझे मन चाहा [वरदान] दे।”—1 शमूएल 1:15-17.
यहोवा के आगे अपना दिल खोल देने और निवास-स्थान में उसकी उपासना करने का हन्ना पर क्या असर हुआ? बाइबल कहती है: “तब वह स्त्री चली गई और खाना खाया, और उसका मुंह फिर उदास न रहा।” (1 शमूएल 1:18) बेशक, इसके बाद हन्ना ने राहत महसूस की। क्योंकि उसने अपना भारी बोझ स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता के मज़बूत कंधों पर डाल दिया था। (भजन 55:22) क्या आपको लगता है कि ऐसी कोई समस्या है जिसे परमेश्वर हल नहीं कर सकता? जी नहीं! आज तक न तो ऐसी कोई समस्या उठी है, न कभी उठेगी।
जब हम परेशानियों के बोझ से दबे होते हैं या फिर निराशा की भावनाएँ हमें आ घेरती हैं, उस वक्त हमें हन्ना की मिसाल पर चलना चाहिए। हमें दिल खोलकर ‘प्रार्थनाओं के सुननेवाले’ से दुआ करनी चाहिए। (भजन 65:2) अगर हम विश्वास के साथ ऐसा करें, तो “परमेश्वर की वह शांति जो हमारी समझने की शक्ति से कहीं ऊपर है” हमारी निराशा को दूर कर देगी।—फिलिप्पियों 4:6, 7.
“हमारे परमेश्वर के समान कोई चट्टान नहीं”
अगली सुबह हन्ना एल्काना के साथ निवास-स्थान गयी। शायद उसने अपने पति को यहोवा से किए अपने वादे के बारे में बताया होगा। क्योंकि मूसा के कानून के मुताबिक अगर एक पत्नी अपने पति की रज़ामंदी के बिना कोई मन्नत माँगती थी, तो पति उस मन्नत को खारिज कर सकता था। (गिनती 30:10-15) लेकिन इस वफादार पुरुष ने ऐसा नहीं किया। इसके बजाय, वे दोनों निवास-स्थान में यहोवा की उपासना करके घर लौट गए।
पनिन्ना को कब एहसास हुआ कि उसकी कड़वी बातों का हन्ना पर कोई असर नहीं हो रहा है? बाइबल यह नहीं बताती। लेकिन हन्ना का “मुंह फिर उदास न रहा” ये शब्द दिखाते हैं कि उस दिन से लेकर वह बहुत खुश थी और फिर कभी उदास न रही। जो भी हो, आखिरकार पनिन्ना को पता चल ही गया कि अब उसके शब्दों के नश्तर हन्ना को नहीं चुभते। इसके बाद, बाइबल में कहीं पनिन्ना का ज़िक्र नहीं मिलता।
कुछ समय बाद हन्ना गर्भवती हुई और उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। लेकिन वह भूली नहीं कि यह खुशियाँ उसे किसने दी है। हन्ना को एक लड़का हुआ और उसने उसका नाम शमूएल रखा। इब्रानी भाषा में शमूएल का मतलब है, “परमेश्वर का नाम” यानी मदद के लिए परमेश्वर को पुकारना, जैसा कि हन्ना ने किया था। उस साल वह एल्काना और अपने परिवार के साथ शीलो नहीं गयी। और अगले तीन साल तक हन्ना अपने बच्चे शमूएल के साथ घर पर ही रही, जब तक कि उसका दूध छुड़ाया नहीं गया। वह उस दिन के लिए हिम्मत जुटाने लगी, जब उसे अपने कलेजे के टुकड़े से बिछड़ना था।
बेशक, हन्ना के लिए अपने बच्चे से जुदा होना इतना आसान नहीं रहा होगा। वह शायद जानती थी कि निवास-स्थान में सेवा करनेवाली कुछ स्त्रियाँ शमूएल की अच्छी देखभाल करेंगी। फिर भी शमूएल अभी काफी छोटा था। और ऐसे में क्या कोई माँ अपने छोटे बच्चे से अलग रहना चाहेगी? मगर हन्ना और एल्काना कुढ़ते हुए नहीं, बल्कि एहसान-भरे दिल से उसे यहोवा के भवन में ले गए। वहाँ उन्होंने बलिदान चढ़ाए और फिर शमूएल को एली के हाथों सौंप दिया। उन्होंने एली को याद दिलाया कि कुछ साल पहले हन्ना ने यहोवा से वादा किया था कि वह अपना बेटा उसकी सेवा के लिए दे देगी।
इसके बाद, हन्ना ने यहोवा से एक प्रार्थना की, जिसे परमेश्वर ने अपने वचन में दर्ज़ करवाया। यह प्रार्थना 1 शमूएल 2:1-10 में लिखी है। इसमें आप देखेंगे कि हन्ना के हर लफ्ज़ से उसका गहरा विश्वास साफ झलकता है। उसने यहोवा की स्तुति की कि वह क्या ही शानदार तरीके से अपनी शक्ति का इस्तेमाल करता है और घमंडियों को नम्र बनाता है और दुख के मारों को आशीष देता है। यही नहीं, वह अपनी ताकत से लोगों की जान ले भी सकता है और दोबारा जीवन दे भी सकता है। प्रार्थना में हन्ना ने अपने पिता यहोवा की पवित्रता, उसके न्याय और उसकी वफादारी का भी गुणगान किया। उसने यहोवा परमेश्वर के बारे में कहा, “हमारे परमेश्वर के समान कोई चट्टान नहीं।” वाकई यहोवा पूरी तरह भरोसेमंद और कभी न बदलनेवाला परमेश्वर है। और वह कुचले हुओं और दीन-दुखियों के लिए एक शरण है, जो उसकी ओर मदद के लिए ताकते हैं।
छोटे शमूएल के लिए यह क्या ही बड़ी आशीष थी कि उसकी माँ को यहोवा पर पक्का विश्वास था। यहोवा के भवन में बड़े होते वक्त उसे ज़रूर अपनी माँ की याद आती होगी, लेकिन उसे कभी नहीं लगा कि वह अकेला है और उसके माँ-बाप उसे भूल गए हैं। क्योंकि साल-दर-साल हन्ना शीलो आती थी और अपने दुलारे के लिए बिना बाँह का एक कोट बनाकर लाती थी। कोट के हर टाँके से अपने बेटे के लिए हन्ना का प्यार और परवाह झलकती थी। (1 शमू. 2:19) हम कल्पना कर सकते हैं कि हन्ना कितने प्यार से अपने दुलारे को कोट पहनाती होगी और उस पर पड़ी सिलवटों को ठीक करती होगी। कोट पहनाकर जब वह अपने बेटे से मीठी-मीठी बातें करती होगी, तो किस तरह उसकी बाँछे खिल उठती होंगी। सच, शमूएल के लिए उसकी माँ किसी आशीष से कम नहीं थी। इस वजह से शमूएल खुद आगे चलकर अपने माँ-बाप और पूरे इसराएल के लिए आशीष साबित हुआ।
यहोवा भी हन्ना को नहीं भूला। उसने माँ बनने की उसकी आरज़ू पूरी की। शमूएल के अलावा हन्ना के पाँच और बच्चे हुए। (1 शमूएल 2:21) हन्ना के लिए सबसे बड़ी आशीष थी कि जैसे-जैसे साल गुज़रते गए अपने पिता यहोवा के साथ उसका रिश्ता मज़बूत होता चला गया। ऐसा हो कि हन्ना की मिसाल पर चलकर यहोवा के साथ आपका रिश्ता भी गहरा होता जाए। (w10-E 07/01)
[फुटनोट]
a परमेश्वर ने क्यों कुछ समय के लिए अपने सेवकों को एक से ज़्यादा पत्नी रखने की इज़ाज़त दी, इस बारे में प्रहरीदुर्ग 03 8/1 पेज 28 पर लेख “पाठकों के प्रश्न” देखिए।
b हालाँकि बाइबल बताती है कि यहोवा ने ‘हन्ना की कोख बन्द कर रखी थी,’ लेकिन इस बात का कोई सबूत नहीं है कि परमेश्वर इस नम्र, वफादार स्त्री से नाखुश था। (1 शमूएल 1:5) बाइबल बताती है कि कभी-कभी यहोवा कुछ घटनाएँ होने की इज़ाज़त देता है।
c एल्काना का शहर रामा ही शायद यीशु के ज़माने में अरिमतियाह नाम से जाना जाता था। इसी आधार पर दूरी का हिसाब लगाया गया है।
[पेज 27 पर बक्स]
दो यादगार प्रार्थनाएँ
पहला शमूएल 1:11 और 2:1-10 में हन्ना की दो प्रार्थनाएँ हैं, जिनमें कुछ खास बातें दर्ज़ हैं। आइए उनमें से कुछ बातों पर ध्यान दें:
◼ हन्ना ने अपनी पहली प्रार्थना में परमेश्वर को “सेनाओं के यहोवा” कहा। बाइबल में, हन्ना वह पहली स्त्री है, जिसने यहोवा के लिए यह उपाधि इस्तेमाल की। मूल भाषा में, पूरी बाइबल में ये शब्द 285 बार आते हैं। ये शब्द दिखाते हैं कि यहोवा के पास स्वर्गदूतों की सेनाएँ हैं।
◼ ध्यान दीजिए कि हन्ना ने अपनी दूसरी प्रार्थना शमूएल के पैदा होने पर नहीं, बल्कि तब की जब वह और उसका पति एल्काना, शमूएल को यहोवा की सेवा में देने के लिए शीलो आए थे। इससे साफ है कि हन्ना इस बात के लिए खुशी नहीं मना रही थी कि उसने अपनी सौतन पनिन्ना का मुँह बंद कर दिया, बल्कि वह यहोवा से आशीष पाकर खुश थी।
◼ जब हन्ना ने कहा, “मेरा सींग यहोवा के कारण ऊंचा हुआ है,” तो शायद उसके मन में बैल की तसवीर होगी। क्योंकि बैल अपने सींगों का ज़बरदस्त इस्तेमाल करता है। दूसरे शब्दों में कहें तो हन्ना कह रही थी, ‘यहोवा, मुझे ताकतवर बनाता है।’—1 शमूएल 2:1.
◼ हन्ना ने परमेश्वर के “अभिषिक्त” के बारे में जो कहा, वह एक तरह की भविष्यवाणी मानी जाती है। मूल भाषा में शब्द “अभिषिक्त” और “मसीहा” के लिए इस्तेमाल होनेवाला शब्द एक ही है। पूरी बाइबल में हन्ना वह पहली शख्स है, जिसने आनेवाले अभिषिक्त राजा के लिए यह शब्द इस्तेमाल किया।—1 शमूएल 2:10.
◼ करीब 1,000 साल बाद यीशु की माँ, मरियम ने यहोवा की स्तुति में हन्ना के जैसी भावनाओं को अपने शब्दों में दोहराया।—लूका 1:46-55.
[पेज 26 पर तसवीर]
हन्ना को बाँझ होने का गहरा दुख था और उसकी सौतन पनिन्ना उसे नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ती थी
[पेज 26, 27 पर तसवीर]
क्या आप हन्ना की तरह दिल से प्रार्थना करते हैं?
[पेज 27 पर तसवीर]
एली के गलत इलज़ाम लगाने पर भी हन्ना ने बुरा नहीं माना