प्रेम की ध्वजा तले संयुक्त
“सब से श्रेष्ठ बात यह है कि एक दूसरे से अधिक प्रेम रखो।”—१ पतरस ४:८.
१. आज परमेश्वर के लोगों में हम कैसा प्रेम देखते हैं, और १९२२ से अभिषिक्त मसीही क्या घोषित कर रहे हैं?
क्या आज हम परमेश्वर के लोगों में उस तरह का प्रेम देख सकते हैं? निश्चय ही हम देख सकते हैं! यह एक ऐसा प्रेम है जो यहोवा की प्रभुसत्ता की स्वीकृति और समर्थन के इर्द-गिर्द केंद्रिभूत होता है, उसी तरह जैसे दाऊद ने उसका समर्थन किया था। विशेष रूप से सन् १९२२ से, यीशु मसीह, “दाऊद की संतान,” के अभिषिक्त भाई दुनिया भर में घोषणा कर रहे हैं कि परमेश्वर का राज्य निकट है और कि परमेश्वर के नियुक्त न्यायी, यीशु मसीह, के हाथों शैतान के अत्याचारी शासन के समर्थकों के सम्मुख प्राणदंड है।—मत्ती २१:१५, ४२-४४; प्रकाशितवाक्य १९:११, १९-२१.
२. दाऊद को ‘एक ऐसा मनुष्य जो यहोवा के मन के अनुसार था,’ किस तरह कहा जा सकता था?
२ दाऊद ‘एक ऐसा मनुष्य था जो यहोवा के मन के अनुसार था।’ यह बात यहोवा और उसकी धार्मिकता के लिए उसके प्रेम से ज़ाहिर थी—ऐसे गुण जो डरपोक राजा शाऊल ने भी स्वीकार किया कि दाऊद में थे—जी हाँ, उसकी निडरता, यहोवा के प्रति सच्ची निष्ठा, नेतृत्व, और ईशतन्त्रिक व्यवस्था के प्रति विनम्र आज्ञाकारिता के गुणों से भी ज़ाहिर थी।—१ शमूएल १३:१४; १६:७, ११-१३; १७:३३-३६; २४:९, १०, १७.
३. दाऊद के प्रति योनातन की कैसी अभिवृत्ति थी, और क्यों?
३ गोलियत पर उसकी जीत के बाद, दाऊद ने जाकर शाऊल को सारी बातें बता दीं। तब धार्मिकता का एक और प्रेमी आगे आया। वह योनातन, राजा शाऊल का सबसे बड़ा बेटा था। “जब [दाऊद] शाऊल से बातें कर चुका, तब योनातन का मन दाऊद पर ऐसा लग गया, कि योनातन उसे अपने प्राण के बराबर प्यार करने लगा।” (१ शमूएल १८:१) उसकी शारीरिक बहादुरी और गोफ़न के साथ उसकी निपुणता के बजाय, यहोवा के नाम पर से कलंक मिटाने के लिए दाऊद की ज्वलंत सरगर्मी, उसकी निःस्वार्थता, और यहोवा पर उसके निर्विवाद भरोसे ने ही योनातन की हार्दिक श्लाधा जीत ली।—तुलना भजन ८:१, ९; ९:१, २ से करें.
४. दाऊद का राजा बनने के लिए अभिषिक्त होने की स्वीकृति में योनातन ने क्या किया?
४ हालाँकि योनातन दाऊद से क़रीब ३० साल से बड़ा था, वह इस जवान सिपाही के साथ एक स्थायी मैत्री बंधन में मिल गया। “तब योनातन ने दाऊद से वाचा बान्धी, क्योंकि वह उसको अपने प्राण के बराबर प्यार करता था। और योनातन ने अपना बागा जो वह स्वयं पहिने था उतारकर अपने वस्त्र समेत दाऊद को दे दिया, वरन अपनी तलवार और धनुष और कटिबन्द भी उसको दे दिए।” (१ शमूएल १८:३, ४) योनातन की तरफ़ से यह स्वीकृति का कितना उत्कृष्ट प्रदर्शन था! आम तौर पर योनातन शाऊल का उत्तराधिकारी होता। फिर भी उसने दाऊद के लिए एक स्नेहिल, सिद्धांतिक प्रेम व्यक्त किया और उसके आगे, जो कि राजा होने के लिए अभिषिक्त किया गया था, और उत्कृष्ट रूप से यहोवा के नाम और प्रभुसत्ता का समर्थन करने के लिए दृढ़संकल्प था, उसकी ओर अधीनता व्यक्त की।—२ शमूएल ७:१८-२४; १ इतिहास २९:१०-१३.
५. जब ईशतन्त्रिक युद्ध का प्रश्न उठा तब योनातन ने क्या समझ लिया?
५ खुद योनातन भी धार्मिकता के लिए एक लड़ाकू था। उसने घोषित किया था कि “क्योंकि यहोवा को कुछ रोक नहीं, कि चाहे तो बहुत लोगों के द्वारा चाहे थोड़े लोगों के द्वारा छुटकारा दे।” क्यों? क्योंकि योनातन ने समझ लिया कि ईशतन्त्रिक युद्ध में जीत हासिल करने के लिए ईश्वरीय मार्गदर्शन माँगने की ज़रूरत हमेशा होती है। जब योनातन ने अनजाने में एक ऐसा अपराध किया जिस के लिए शाऊल ने उसे मृत्युदंड सुनाया, उसने वह न्यायदंड विनम्रता से स्वीकार किया। खुशी से, प्रजा के लोगों ने उसे बचा लिया।—१ शमूएल १४:६, ९, १०, २४, २७, ४३-४५.
वफ़ादार प्रेम व्यक्त करना
६. योनातन का वफ़ादार प्रेम दाऊद के बचाव के लिए किस तरह हाज़िर था?
६ शाऊल दाऊद की एक सिपाही के रूप में ख़्याति से ईर्ष्यालु हुआ और उसे जान से मार डालने का मौक़ा तलाशने लगा, लेकिन योनातन का वफ़ादार प्रेम बचाव के लिए हाज़िर था! वृत्तांत बतलाता है कि: “परन्तु शाऊल का पुत्र योनातन दाऊद से बहुत प्रसन्न था। और योनातन ने दाऊद को बताया, कि: ‘मेरा पिता तुझे मरवा डालना चाहता है; इसलिए तू बिहान को सावधान रहना, और किसी गुप्त स्थान में बैठा हुआ छिपा रहना।’” उस प्रसंग पर योनातन ने शाऊल को शांत किया, जिस से दाऊद को छोड़ दिया गया। लेकिन ‘पलिश्तियों से लड़ने और उन्हें बड़ी मार से मारने’ में दाऊद की अगली सफलताओं से शाऊल का वैर-भाव पुनःजागृत हुआ। फिर से उसने दाऊद को जान से मार डालने का संकल्प किया, जिस से दाऊद भाग निकल गया।—१ शमूएल १९:२-१०.
७. जब योनातन फ़रारी दाऊद से मिला, वाचा फिर से पक्की करने में उन्होंने एक दूसरे से क्या कहा?
७ आख़िरकार, फ़रारी दाऊद एक बार फिर योनातन से अकस्मात् मिल गया, जिस ने कहा: “जो कुछ तेरा जी चाहे वही मैं तेरे लिए करूँगा।” दोनों ने यहोवा के सामने एक वाचा फिर से पक्की की, और दाऊद ने योनातन के घराने पर से कृपादृष्टि कभी न हटाने की प्रतिज्ञा की—एक ऐसी प्रतिज्ञा जो उसने विश्वसनीयता से निभायी। “और योनातन दाऊद से प्रेम रखता था, और उस ने उसको फिर शपथ खिलाई; क्योंकि वह उस से अपने प्राण के बराबर प्रेम रखता था।”—१ शमूएल २०:४-१७; २ शमूएल २१:७.
८. योनातन और दाऊद चोरी-छिपे एक खेत में क्यों मिले, और उस प्रसंग पर क्या घटा?
८ राजा शाऊल दाऊद को जान से मारने के अपने संकल्प में हठी बन गया। अजी, जब उसके अपने बेटे योनातन ने दाऊद के पक्ष में बात की, शाऊल ने उसी की ओर एक भाला ज़ोर से फेंक दिया! तो योनातन दाऊद से चोरी-छिपे एक ख़ेत में मिला। “दाऊद ने . . . भूमि पर औंधे मुँह गिरके तीन बार दण्डवत् की; तब उन्होंने एक दूसरे को चूमा, और एक दूसरे के साथ रोए, परन्तु दाऊद का रोना अधिक था। तब योनातन ने दाऊद से कहा, ‘कुशल से चला जा; क्योंकि हम दोनों ने एक दूसरे से यह कहके यहोवा के नाम की शपथ खाई है, कि “यहोवा मेरे और तेरे मध्य, और मेरे और तेरे वंश के मध्य में सदा रहे।”’” तो वे एक दूसरे से अलग हुए, और दाऊद जीप नाम विराने में एक फ़रारी बन गया।—१ शमूएल २०:४१, ४२.
९, १०. (अ) उन दोनों के बीच संभवतः आख़री मुलाक़ात में योनातन ने और आगे दाऊद को किस तरह प्रोत्साहित किया? (ब) जब योनातन और शाऊल पलिश्तियों द्वारा मार दिए गए, दाऊद ने कौनसा विलापगीत रचा, और उसने उसे किस तरह पराकाष्ठा पर पहुँचाया?
९ प्रेममयता से, योनातन दाऊद को प्रोत्साहित करता रहा। जैसे कि वृत्तांत बतलाता है: “शाऊल का पुत्र योनातन उठकर उसके पास होरेश में गया, और परमेश्वर की चर्चा करके उसको परमेश्वर के विषय में उसके हाथ बली किए। उस ने उस से कहा: ‘मत डर क्योंकि तू मेरे पिता शाऊल के हाथ में न पड़ेगा, और तू ही इस्राएल का राजा होगा, और मैं तेरे नीचे हूँगा, और इस बात को मेरा पिता शाऊल भी जानता है।’ तब उन दोनों ने यहोवा के सामने आपस में वाचा बान्धी।”—१ शमूएल २३:१५-१८.
१० प्रत्यक्ष रूप से, वह दाऊद और उसके वफ़ादार साथी योनातन की आख़री मुलाक़ात थी। बाद में, जब दोनों योनातन और शाऊल पलिश्तियों के विरुद्ध युद्ध में मारे गए, दाऊद ने “धनुष” नाम के एक विलापगीत की रचना की। उस में उसने यहोवा के अभिषिक्त, शाऊल के लिए आदर व्यक्त किया, और अपने गीत की चरमावस्था इन शब्दों में रची: “हे योनातन, हे उँचे स्थानों पर जूझे हुए! हे मेरे भाई योनातन, मैं तेरे कारण दुःखित हूँ, तू मुझे बहुत मनभाऊ जान पड़ता था। तेरा प्रेम मुझ पर अद्भुत, वरन स्त्रियों के प्रेम से भी बढ़कर था। हाय, शूरवीर क्योंकर गिर गए, और युद्ध के हथियार कैसे नाश हो गए हैं!” (२ शमूएल १:१८, २१, २५-२७) उसके बाद, यहूदा के राजा के हैसियत से, दाऊद को दूसरी बार अभिषिक्त किया गया।
आधुनिक-समय के सादृश्य
११, १२. (अ) दाऊद और योनातन किस तरह के प्रेम का उदाहरण थे? (ब) दाऊद और योनातन के बीच अधिक प्रेम किस का पूर्वसंकेत था?
११ चूँकि “सारा पवित्र शास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश . . . के लिए लाभदायक है,” दाऊद और योनातन के इस वृत्तांत से हम क्या सीख सकते हैं? (२ तीमुथियुस ३:१६) हम ग़ौर करते हैं कि ऐसा भी एक प्रेम है जो “स्त्रियों के प्रेम से भी बढ़कर” है। यह सच है कि जब विवाह से संबंधित यहोवा के नियमों का आदर किया जाता है, “स्त्रियों का प्रेम” मनोहर और परितोषदायक हो सकता है। (मत्ती १९:६, ९; इब्रानियों १३:४) लेकिन दाऊद और योनातन प्रेम के एक अति सूक्ष्म रूप का एक उदाहरण थे, जो कि इस आदेश के अनुरूप था: “हे इस्राएल, सुन, यहोवा हमारा परमेश्वर है, यहोवा एक ही है। तू अपने परमेश्वर यहोवा से अपने सारे मन, और सारे जीव, और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखना।”—व्यवस्थाविवरण ६:४, ५.
१२ जब दाऊद और योनातन यहोवा के नाम पर से सारा कलंक, जो उसके शत्रुओं ने उस पर लगाया था, मिटाने के लिए लड़े, वे उस प्रेम को व्यक्त करने में संयुक्त थे। ऐसा करने से, उन्होंने ‘एक दूसरे के लिए अधिक प्रेम’ भी विकसित किया। (१ पतरस ४:८) इस संबंध में जिस भाईचारे का उन्होंने मज़ा लिया, वह लैव्यव्यवस्था १९:१८ में दिए आदेश, कि “एक दूसरे से अपने ही समान प्रेम रखना,” को भी पार कर गया। सचमुच, इस प्रेम ने उस तरह के प्रेम को पूर्वसंकेत किया, जो कि यीशु की “नई आज्ञा” में सूचित है, “कि तुम एक दूसरे से प्रेम रखो, जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो।” यीशु का प्रेम आत्म-त्यागी था, न केवल यहोवा की इच्छा के प्रति उसकी पूर्ण अधीनता में, पर “अपने मित्रों के लिए अपना प्राण” देने में उसकी तैयारी में भी आत्म-त्यागी था।—यूहन्ना १३:३४; १५:१३.
एक संयुक्त “झुण्ड”
१३. ख़ास तौर से १९३५ से, राज्य उद्घोषकों का कौनसा समूह परदे पर आ गया है, और अभिषिक्त मसीहियों को इन के साथ कैसी एकता है?
१३ “छोटे झुण्ड” के अभिषिक्त मसीहियों ने आधुनिक-समय के गोलियत से मुठभेड़ करने में संग्राम का धक्का सहा है। परंतु, १९३५ से, उनके साथ दूसरे तथा और भी बड़े “भेड़शाला” के राज्य उद्घोषक मिल गए हैं। ये “अन्य भेड़” अभिषिक्त “भेड़ों” के बाक़ी भेड़ों के साथ “एक ही चरवाहा,” “दाऊद की संतान,” के अधीन, प्रेममय एकता के एक सर्वोंत्तम बन्धन में संयुक्त हुए हैं—उसी बन्धन की तरह जो योनातन और दाऊद के बीच विद्यमान था।—लूका १२:३२; यूहन्ना १०:१६; यहेजकेल ३७:२४.
१४. दाऊद को मार डालने के लिए शाऊल के प्रयत्न, और योनातन का दाऊद के साथ प्रेममयता से घनिष्ठ संबंध स्थापित करना किस के सादृश्य थे?
१४ जैसे ही यह योनातन वर्ग एक बड़ी भीड़ बनने तक बढ़ रहा था, विश्व युद्ध II भड़क उठा, जिस से दोनों अभिषिक्त जन और उनके साथियों की कड़ी परीक्षा हुई। वे साल विद्वेषपूर्ण उत्पीड़न का समय था, जो अक़्सर पादरी वर्ग से भड़काया जाता था। यह शाऊल का अभिषिक्त दाऊद को, और बाद में, जब योनातन ने प्रेममयता से दाऊद के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित किए, तब उसको भी मार डालने की कोशिशों का सादृश्य था। उस अवधि में दाऊद और योनातन वर्गों ने एक दूसरे के प्रति कितना गहन प्रेम दिखाया! मत्ती २५:३५-४० में लेखबद्ध यीशु के दृष्टांत की अक़्सर यथातथ्य परिपूर्णता हुई।a
१५. (अ) गवाहों द्वारा अपनाया कौनसा रास्ता आधुनिक शाऊल वर्ग द्वारा अपनाए रास्ते के वैषम्य में है? (ब) “यहोवा की ओर से एक दुष्ट आत्मा” जिस से राजा शाऊल आतंकित हुआ, उस का सादृश्य हमारे समय में शायद क्या हो सकता है?
१५ आधुनिक-समय के शाऊल वर्ग के आचरण से यहोवा के गवाहों का ख़राई रखना कितना विषम है! गवाहों ने, जो कि “संसार का काई भाग नहीं,” विश्व पैमाने पर “एक दूसरे से प्रेम रखने” में यीशु की आज्ञा का पालन किया है। (यूहन्ना १५:१७-१९) दूसरी ओर, दोनों विश्व युद्धों में, दोनों तरफ़, मसीहीजगत् के पादरी वर्ग ने विजय प्राप्ति के लिए अपने “ईश्वर” से प्रार्थना की, जबकि लाखों सिपाही दूसरे राष्ट्रों के अपने संगी धर्मोत्साहियों द्वारा वध हो रहे थे। “यहोवा की ओर से” जिस “दुष्ट आत्मा” से शाऊल आतंकित हुआ, वह आसानी से प्रकाशितवाक्य अध्याय ८ में स्वर्गदूतों का विपत्तियाँ उँडेलने के नतीजे के बराबर हो सकता है। यह ज़ाहिर है कि मसीहीजगत् के पादरी वर्ग के पास यहोवा की आत्मा नहीं है।—१ शमूएल १६:१४; १८:१०-१२; १९:१०; २०:३२-३४.
१६. (अ) पादरी वर्ग ने यहोवा के लोगों पर अत्याचार करने के लिए दो विश्व युद्धों का किस तरह इस्तेमाल किया? (ब) अर्वाचीन वर्षों में, ऐसा क्यों कहा जा सकता है कि एक आधुनिक-समय का शाऊल परमेश्वर के लोगों के पीछे पड़ जाने में डटा रहा है?
१६ १९१८ में पादरी वर्ग ने संयुक्त राज्य अमरीका के राजनीतिक सत्ताओं को वॉचटावर सोसाइटी के उत्तरदायी अफ़सरों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने और आख़िर उन्हें क़ैद करने के वास्ते राज़ी कराने के लिए युद्धकालीन संकट स्थिति का इस्तेमाल किया। (इन बाइबल विद्यार्थियों को बाद में निर्दोष ठहराया गया।) दूसरे विश्व युद्ध के दौरान, अक़्सर धार्मिक दबाव के फलस्वरूप, धुरी-राष्ट्रों (जर्मनी, इट्ली और जापान) के अधिकार-क्षेत्र में और ब्रिटिश कॉमनवेल्थ के अधिकांश राष्ट्रों में यहोवा के गवाहों पर प्रतिबन्ध लगाए गए थे। उदाहरणार्थ, ऑस्ट्रेलिया में यहोवा के गवाहों पर प्रतिबन्ध लगाए जाने से कुछ ही समय पहले, सिड्नी के आर्चबिशप (बाद में एक कार्डिनल) द्वारा लिखे गए पत्र के ऊपर्युक्त प्रतिकृति पर ग़ौर करें। जब ऑस्ट्रेलिया के उच्च न्यायालय में प्रतिबन्ध का विरोध किया गया, मुक़दमे के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति श्री. स्टार्क ने “निरंकुश, मनमौजी, और अत्याचारी,” इन शब्दों में उसका वर्णन किया। जून १४, १९४३, के दिन प्रतिबन्ध हटा दिया गया, और सरकार को क्षतिपूर्ति के तौर से जुर्माना देना पड़ा। अधिक अर्वाचीन वर्षों में, आफ्रीका और एशिया में कई सरकारों पर धार्मिक दबाव के परिणामस्वरूप यहोवा के गवाहों पर कठोर अत्याचार किया गया है। इस तरह एक आधुनिक समय का शाऊल—मसीहीजगत् का पादरी वर्ग—परमेश्वर के लोगों के पीछे पड़ जाने में डटा रहा है।
१७. (अ) यहोवा के गवाहों ने निरंतर राजनीतिक-धार्मिक दबावों का सामना किस तरह किया है? (ब) गवाहों की सार्वभौमिक एकता से क्या प्रदर्शित होता है?
१७ १९८० के दशक के दौरान, यहोवा के गवाहों ने निरंतर राजनीतिक-धार्मिक दबावों का सामना किस तरह किया है? अजी, उसी तरह जिस तरह दाऊद ने गोलियत का, और दाऊद तथा योनातन ने राजा शाऊल का सामना किया! वे प्रभुसत्ता के विवाद-विषय से संबंधित ख़राई रखने के लिए निडर और दृढ़निश्चित हैं, इसलिए कि वे जानते हैं कि परमेश्वर के राज्य की जीत होगी। (दानिय्येल २:४४) उत्पीड़न के सम्मुख, जैसे इस दुनिया ने पहले कभी न देखा, वे प्रेम के एक अंतर्राष्ट्रीय बन्धन में एक दूसरे को प्रोत्साहित करके, एक संयुक्त रुख पेश करते हैं। युद्ध के समय में तटस्थ व्यक्ति होने के नाते, वे दूसरे देशों में अपने संगी विश्वासियों का खून नहीं बहाते। (मीका ४:३, ५) इस प्रकार वे प्रदर्शित करते हैं कि वे ही वह समूह हैं जिनका उल्लेख यीशु ने किया जब उसने कहा कि: “यदि आपस में प्रेम रखोगे, तो इसी से सब जानेंगे कि तुम मेरे चेले हो।” (यूहन्ना १३:३५) एक सार्वभौमिक भाईचारे के तौर से, यहोवा के गवाहों ने ‘खुद को प्रेम से, जो एकता का पूर्ण बन्धन है, ढाँप लिया है,’ एक ऐसा बन्धन जो सारे जातीय, जनजातीय, और राष्ट्रीय दीवारों के परे है।—कुलुस्सियों ३:१४; न्यू.व.
“अधिक प्रेम” दिखाना
१८. (अ) आज दाऊद के लिए योनातन के प्रेम का क्या सादृश्य है, और यह किस तरह प्रमाणित है? (ब) दाऊद वर्ग की अटल टेक से दुनिया भर में क्या परिणाम हुआ है?
१८ याद करें कि “योनातन का मन दाऊद पर ऐसा लग गया, कि योनातन उसे अपने प्राण के बराबर प्यार करने लगा।” इन “अंतिम दिनों” में कैसा अनोखा सादृश्य घटा है! (२ तीमुथियुस ३:१, १४) इस हिंसक युग के निरर्थक विक्षोभ के आद्योपांत, ऐसा एक ही समूह रहा है, यहोवा के गवाह, जिसने एक प्रेममय सार्वभौमिक एकता बनाए रखा है। मसीही तटस्थ व्यक्ति होने के तौर से, उन्होंने अपने सृजनहार को सारी मानवजाति के सर्वश्रेष्ठ प्रभु के हैसियत से सम्मनित किया है। (भजन १००:३) ओह, आधुनिक-समय के रपाईवंशी—“गोलियत” के राजनीतिक सगोत्री—शायद आत्मिक इस्राएल को ताना मारते रहेंगे। (२ शमूएल २१:२१, २२) और आधुनिक-समय का शाऊल—मसीहीजगत् का पादरी वर्ग—शायद दाऊद और योनातन वर्गों को कष्ट देना जारी रखेगा। (१ शमूएल २०:३२, ३३) लेकिन “संग्राम तो यहोवा का है।” सर्वश्रेष्ठ प्रभु के तौर से, वह अपने वफ़ादार सेवकों के लिए अंतिम विजय हासिल करेगा। दाऊद वर्ग की अटल टेक देखकर,—सभी देशों में—योनातन वर्ग के लाखों लोग, जिन में भूतपूर्व उत्पीड़क भी सम्मिलित हैं, यीशु के ‘प्रेम की ध्वजा’ तले उनके साथ मिल गए हैं।b—१ शमूएल १७:४७; श्रेष्ठगीत २:४.
१९, २०. (अ) जैसे १९८९ का यरबुक ऑफ जेहोवाज़ विट्नेसिज़, पृष्ठ ३४-४१, पर के चार्ट से संकेत होता है, गवाहों के कार्यकलाप की कुछ विशिष्टताएँ क्या हैं? (ब) १९७९-८८ के दशक के दौरान गवाहों की वृद्धि दर क्या थी? (क) ऐसा क्यों कहा जा सकता है कि गवाह ऐसे लोग हैं जो दुनिया भर में सचमुच एक हैं, और इसलिए कौनसा प्रश्न उत्पन्न होता है?
१९ १९८९ का यरबुक ऑफ जेहोवाज़ विट्नेसिज़, पृष्ठ ३४-४१, पर विचार करके आप इन लाखों गवाहों के बढ़ते हुए कार्यकलाप का पुनःनिरीक्षण कर सकते हैं। १९७९-८८ के दशक के दौरान, परमेश्वर के स्थापित राज्य के सुसमाचार के प्रचारकों की संख्या २१,८६,०७५ से लेकर ३५,९२,६५४ तक बढ़ गयी है, जो कि एक ६४.३ प्रतिशत बढ़ती है। दुनिया भर में, ये लोग एक सर्वसामान्य विश्वास के भागी होने में, परमेश्वर की सर्वसामान्य सेवा में, और बाइबल के नैतिक सिद्धांतों के प्रति एक संगत निष्ठा में सचमुच एक हैं। इसी घनिष्ठता से बन्धे अंतर्राष्ट्रीय समूह पर यीशु के शब्द आज लागू होते हैं: “यदि तुम मेरे आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे, जैसा कि मैं ने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूँ।”—यूहन्ना १०:१५; तुलना १ कुरिन्थयों १:१० से करें.
२० हालाँकि वे २०० से ज़्यादा भाषाओं में प्रचार करते हैं, जब वे “कन्धे से कन्धा मिलाए हुए” परमेश्वर की सेवा करते हैं, यहोवा के ये गवाह सत्य की “शुद्ध भाषा” बोलते हैं। इस संबंध में, वे दाऊद और योनातन के स्नेही उदाहरण का अनुकरण करते हैं। (सपन्याह ३:९; १ शमूएल २०:१७; नीतिवचन १८:२४) अगर आप अब तक परमेश्वर के लोगों के साथ एक नहीं हुए हैं, क्या आप इसके बाद आधुनिक-समय के योनातन वर्ग का एक हिस्सा नहीं बनना चाहेंगे? आप उसे अपना लक्ष्य बना सकते हैं, और आपको उस तक पहुँचने की मदद करने में यहोवा के गवाह अधिक प्रेम दिखाएँगे।
[फुटनोट]
a इसके एक उत्तम उदाहरण का विवरण १९७२ का यरबुक ऑफ जेहोवाज़ विट्नेसिज़, पृष्ठ २१६, परिच्छेद ३ से, पृष्ठ २१७, परिच्छेद ३ तक किया गया है।
b १९८८ का यरबुक ऑफ जेहोवाज़ विट्नेसिज़, पृष्ठ १५०-४ देखें।
समीक्षा के लिए प्रश्न
◻ योनातन ने दाऊद के लिए वफ़ादार प्रेम किस तरह व्यक्त किया?
◻ दाऊद और योनातन के बीच का प्रेम किस तरह के प्रेम का पूर्वसंकेत था?
◻ मसीहीजगत् के पादरी वर्ग ने राजा शाऊल के जैसे किस तरह बरताव किया है, ख़ास तौर से जब वह दाऊद के पीछे पड़ गया था?
◻ आज दाऊद के लिए योनातन के प्रेम की तुलना किस से की जा सकती है?
◻ दुनिया भर में गवाहों की संयुक्तता किस बात को प्रदर्शित करती है?
[पेज 27 पर बक्स]
St. Mary’s Cathedral
Sydney
August 20, 1940.
The Rt. Hon. W. M. Hughes, M.H.R.,K.C.,
Attorney General,
CANBERRA.
Dear Mr. Hughes:
(पत्र का अनुवाद)
संसद् सदस्य, श्री. जेनिंगस् द्वारा किए गए प्रतिवेदन से संबंधित, इस महीने की ९ तारीख़ की आपकी चिट्ठी के लिए मैं आप का आभारी हूँ।
निश्चय ही, यह समझा जा सकता है कि ऐसे नाज़ुक मामले में, जैसा कि वह जिसके बारे में प्रतिवेदन किया गया, आपको अधिकतम सावधानी बरतनी चाहिए।
परंतु, अगर आपकी झिझक सिर्फ़ यही वास्तविकता से उत्पन्न होती है कि वे लोग ईसाईयत के धर्मसिद्धांत प्रचार करने का दावा करते हैं, तो मैं अति आदरपूर्णता से सुझाव देता हूँ कि उनका ऐसा करने या न करने के विषय आपका निर्णय, उनके दावे पर नहीं, पर वास्तविकताओं पर आधारित हो। वास्तविकताओं के लिए, मैं उन्हीं के प्रकाशन और उन्हीं के शब्द और कार्य पेश करता हूँ, जिन्हें न्यू साउथ वेल्स के पुलीस ने साक्ष्यांकित किया है। ईसाईयत के प्रतिकूल किसी और बात की कल्पना करना मुश्किल होगा।
न्यू साउथ वेल्स के पुलीस आयुक्त ने अपनी आशा व्यक्त की है कि कॉमनवेल्थ सत्ताधिकारी विचाराधीन संस्था को एक ग़ैर-क़ानूनी संस्था घोषित करें, जिस से पुलीस उसके विषय और अधिक प्रभावकारी कार्रवाई करने की स्थिति में हो सके।
With every good wish, I remain,
Yours faithfully,
ARCHBISHOP OF SYDNEY