धार्मिकता एक जाति को ऊँचा उठाती है
वर्षा के कई दिनों बाद, उठना और यह देखना कि सूर्य बिन बादल के आकाश में चमक रहा है कितना ही सुखदायक होता है! पृथ्वी ताज़ा हो गई है, और अब वनस्पति भरपूर उग सकती है। यहोवा परमेश्वर ने एक बार ऐसे चित्रण का प्रयोग धर्मी शासन की आशिषों को दर्शाने के लिए किया था। राजा दाऊद से उसने कहा: “जो मनुष्यों पर धार्मिकता से शासन करता है, जो परमेश्वर के भय में शासन करता है, वह प्रातःकाल के प्रकाश के समान है जब सूर्य उदय होता है, ऐसा प्रातःकाल जिसमें बादल न हों और वर्षा के बाद धूप से कोमल कोमल घास भूमि में से निकलती है।”—२ शमूएल २३:३, ४, NHT.
परमेश्वर के वचन, दाऊद के पुत्र, राजा सुलैमान के धर्मी शासन के दौरान सत्य साबित हुए। बाइबल रिपोर्ट करती है: “दान से बेर्शेबा तक के सब यहूदी और इस्राएली अपनी अपनी दाखलता और अंजीर के वृक्ष तले सुलैमान के जीवन भर निडर रहते थे।”—१ राजा ४:२५.
प्राचीन इस्राएल परमेश्वर की चुनी हुई जाति था। उसने, उन्हें अपने नियम दिए और कहा कि यदि उन्होंने उसके वचन का पालन किया, तो वह उन्हें “पृथ्वी की सब जातियों में श्रेष्ठ करेगा।” (व्यवस्थाविवरण २८:१) यह इस्राएलियों की अपनी धार्मिकता नहीं थी बल्कि यहोवा की धार्मिकता थी जिसने उन्हें ऊँचा उठाया। जो आज्ञाएँ परमेश्वर ने उन्हें दी थीं वे उनके चारों ओर की जातियों के नियमों से कहीं अधिक श्रेष्ठ थीं। लोगों के रूप में, वे उन सभी जातियों के समान ही असिद्ध थे। इसलिए, उनको जातियों से ऊँचा उठाए जाने का श्रेय यहोवा की श्रेष्ठ व्यवस्था और उनके उस नियम के सख़्त पालन को जाता है। जब उन्होंने यहोवा के नियमों का पालन किया, उन्होंने उसके अनुग्रह और आशीष का आनंद उठाया। राजा सुलैमान ने अपने शासन के दौरान इसका अनुभव किया। वह कह सका: “धार्मिकता से जाति का उत्थान होता है, परन्तु” उसने चेतावनी दी, “पाप देश के लिए कलंक है।”—नीतिवचन १४:३४, NHT.
दुःखद रूप से, बारंबार अवज्ञा के कामों द्वारा, इस्राएल जाति निम्न स्तर पर लाई गई। उन्होंने राष्ट्रीय कलंक को सहा। यह नई आत्मिक जाति के पक्ष में, उनके स्थायी निष्कासन की ओर ले गया।—मत्ती २१:४३.
आत्मिक इस्राएल
यरूशलेम में मसीही शासी निकाय की एक सभा में, याकूब ने, जो जन्म से यहूदी था, उत्प्रेरित होकर कहा कि परमेश्वर ने “अन्यजातियों पर कैसी कृपादृष्टि की, कि उन में से अपने नाम के लिये एक लोग बना ले।” (प्रेरितों १५:१४) प्रेरित पौलुस ने इस नई मसीही जाति को ‘परमेश्वर का इस्राएल’ कहा। (गलतियों ६:१६) उनके बुलाए जाने के उद्देश्य के बारे में, पतरस ने लिखा: “तुम एक चुना हुआ वंश, और राज-पदधारी, याजकों का समाज, और पवित्र लोग, और परमेश्वर की निज प्रजा हो, इसलिये कि जिस ने तुम्हें अन्धकार में से अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है, उसके गुण प्रगट करो।” (१ पतरस २:९) परमेश्वर के चुने हुए लोगों के तौर पर, उन्हें जगत में जलते हुए दीपकों की तरह चमकना था। यहोवा की धार्मिकता उन्हें ऊँचे स्थान पर रखती।—फिलिप्पियों २:१५.
इन आत्मिक इस्राएलियों के चुनाव की तुलना हीरे के खनन से की जा सकती है। जब प्रचुर हीरा-युक्त अयस्क सतह पर लाया जाता है, वह शायद केवल १ कैरट (२०० मिलीग्राम) प्रति ३ टन मिट्टी प्रदान करे। हीरों को अलग करने के कभी प्रयोग किए गए एक तरीक़े में, अयस्क को पानी के साथ घोलकर चिकनाई युक्त मेज़ों के ऊपर से मिश्रण को बहाना शामिल था। हीरे जल प्रतिरोधी होते हैं, और वे चिकनाई के साथ चिपक जाते, जबकि अनचाहा पदार्थ धुल जाता था। इस चरण में हीरे भद्दे होते थे। तथापि, तराशे और चमकाए जाने के बाद, वे सभी दिशाओं में प्रकाश चमकाते थे।
जल-प्रतिरोधक हीरों की तरह जो अपने आस-पास के पदार्थ का कोई भाग नहीं हैं, यहोवा के लोग संसार से अलग किए गए हैं। (यूहन्ना १७:१६) जब वे पहली बार प्रकाश में लाए गए, उनमें शायद चमक की कमी रही हो। परन्तु यहोवा का वचन और उसकी आत्मा उनके अन्दर एक नया मनुष्यत्व उत्पन्न करते हैं, और वे दीपकों की नाईं इस संसार में चमकते हैं। यह उनकी अपनी धार्मिकता के कारण नहीं बल्कि यहोवा की धार्मिकता के कारण है कि वे उन्नत किए गए हैं और राज्य सच्चाई का शानदार प्रकाश सभी दिशाओं में प्रतिबिम्बित कर रहे हैं।
फिर भी, सा.यु. प्रथम शताब्दी के आख़िरी हिस्से से, धर्मत्याग कलीसिया में घुस आया और बहुतों को प्रभावित किया। तथाकथित मसीही संसार की जातियों के साथ संगठित हो गए और अपने चारों ओर के संसार से अलग नहीं रह सके।
आज आत्मिक इस्राएलियों का एक विश्वासी शेषवर्ग परमेश्वर के अनुग्रह में पुनःस्थापित किया गया है। उन्होंने स्वयं को संसार से अलग किया है और स्वयं को “शरीर और आत्मा की सब मलिनता” से शुद्ध किया है। (२ कुरिन्थियों ७:१) यहोवा के सम्मुख शुद्ध और खरे होने के कारण, वे उसकी धार्मिकता को थामे रहते हैं। इस बात ने उन्हें संसार की जातियों से ऊपर अनुग्रह के स्थान में उन्नत किया है। राज्य के सुसमाचार के उनके जोशीले प्रचार के द्वारा, एक बड़ी अन्तरराष्ट्रीय भीड़ यहोवा के सम्मुख लाई गई है और उसके लोगों का भाग बन गई है।—प्रकाशितवाक्य ७:९, १०.
संसार फ़र्क देख सकता है
सांसारिक अधिकारी कई बार परमेश्वर के सेवकों के आचरण की तारीफ़ करते हैं। कुछ समय पहले, दक्षिण अफ्रीका के प्रिटोरिया मेला मैदान के प्रमुख सुरक्षा अधिकारी ने सभी जातियों के यहोवा के साक्षियों के व्यवहार की तारीफ़ की जो उन सुविधाओं का अपने वार्षिक अधिवेशनों के लिए प्रयोग करते हैं। अन्य बातों में, उन्होंने लिखा: “प्रत्येक व्यक्ति शिष्ट था और है, लोग शालीनतापूर्वक एकदूसरे से बातचीत कर रहे हैं, पिछले कुछ दिनों में दिखाई गई मनोवृति—यह सब आपकी संस्था के लोगों के चरित्रबल को और इस बात को प्रमाणित करता है, कि सभी एक-साथ आनन्दित परिवार की तरह रहते हैं।”
यहोवा के लोग न केवल ऐसे बड़े समूहनों में बल्कि अपने निजी जीवन में भी उसकी जाति की धार्मिकता में योगदान दे सकते हैं। उदाहरण के लिए, वॉच टावर संस्था की दक्षिण अफ्रीकी शाखा को जोहेनिसबर्ग से एक महिला का पत्र मिला, जिसमें लिखा था: “पिछले सप्ताह मैंने अपनी कार अपने पर्स को उसकी छत पर भूलकर चलाई। वह यान स्मट्स् ऐवन्यू में गिरा था और सारे सामान सहित आपकी कलीसिया के एक सदस्य श्री. आर—द्वारा उठाया गया, जिन्होंने मुझे फ़ोन किया और उसे वापस कर दिया। . . . मैं इस ईमानदारी की बड़ी क़दर करती हूँ जो आज के समय में एक विरल गुण हो गयी है और आपकी कलीसिया की उन सिद्धान्तों को स्थापित करने के लिए प्रशंसा करती हूँ जिनका पालन उसके सदस्य करते हैं।”
जी हाँ, यहोवा के धर्मी सिद्धान्तों का पालन करने के द्वारा, उसके लोग संसार से अलग दिखनेवाले बनते हैं। क्योंकि ये यहोवा की धार्मिकता प्रदर्शित करते हैं, सत्हृदयी लोग मसीही कलीसिया की ओर खिंच आते हैं। किसी भी स्वच्छ और शुद्ध वस्तु की ओर आकर्षित होना स्वाभाविक है। उदाहरण के लिए, ज़ूरिक, स्विट्ज़रलैंड में एक बार एक अजनबी यहोवा के साक्षियों की एक सभा में आए, और उन्होंने कहा कि वो कलीसिया का सदस्य बनना चाहते हैं। उन्होंने समझाया कि उनकी बहन अनैतिकता के कारण बहिष्कृत कर दी गई थीं और उन्होंने आगे कहा कि वो एक ऐसे संगठन में शामिल होना चाहते थे जो “बुरे चाल-चलन को बर्दाश्त नहीं करता।” यहाँ तक कि न्यू कैथोलिक एनसाइक्लोपीडिया (अंग्रेज़ी) भी इस बात को मानती है कि यहोवा के साक्षी ‘संसार में सबसे उत्तम-व्यवहार करनेवाले एक समूह’ के तौर पर जाने जाते हैं।
जबकि धार्मिकता उन्नत करती है, पाप एक व्यक्ति के नाम पर कलंक लगा सकता है, ख़ासकर यदि गंभीर अपराध समुदाय में ज्ञात हो जाता है। कभी-कभी मसीही कलीसिया को उस पर लादे गए बदनामी के बोझ को सहना पड़ता है जब व्यक्तिगत सदस्य गंभीर पाप करते हैं। स्वाभाविक है, कलीसिया के वफ़ादार सदस्य कलीसिया के अच्छे नाम की रक्षा कर सकते हैं, यह दिखाने के द्वारा कि अपराधी को एक दयापूर्ण तरीक़े से, अर्थात शास्त्रीय सिद्धान्तों के सामंजस्य में अनुशासित किया गया है। यदि कोई व्यक्ति पाप करने का आदी है और पश्चाताप नहीं करेगा, वह कलीसिया से निकाला, बहिष्कृत किया जाएगा।—१ कुरिन्थियों ५:९-१३.
क्यों कुछ बहिष्कृत किए जाते हैं
हालाँकि कुछ हज़ार लोग मसीही कलीसिया से हर साल बहिष्कृत किए जाते हैं, यह संसार के क़रीब ५० लाख साक्षियों का केवल एक छोटा भाग है। क्यों मसीही कलीसिया में किसी भी व्यक्ति के प्रति ऐसा कठोर क़दम उठाया जाना चाहिए? अपराध का स्वरूप निर्णायक तत्वों में से एक है। परन्तु एक महत्त्वपूर्ण कारण यह है कि क्या अपराधी, किए गए गंभीर पाप के लिए सचमुच पश्चातापी है। यदि वह सचमुच पश्चातापी है, यहोवा से हार्दिक प्रार्थना की है, उसके ख़िलाफ़ किए गए पापों के लिए क्षमा-याचना की है, और कलीसिया में ज़िम्मेदार व्यक्तियों की सहायता माँगी है, तो उसे परमेश्वर का अनुग्रह पुनःप्राप्त करने के लिए और कलीसिया का भाग बने रहने के लिए सहायता दी जा सकती है।—नीतिवचन २८:१३; याकूब ५:१४, १५.
जब एक बच्चा, जिसका अपने पिता के साथ एक अच्छा, स्वास्थ्यकर सम्बन्ध है, कुछ ऐसा करता है जो पिता को दुःख पहुँचाता है, तब दोनों को उस मूल्यवान सम्बन्ध को पुनःस्थापित करने में जल्दी करनी चाहिए। उसी प्रकार, जब हम अपना जीवन यहोवा को समर्पित करते हैं, हम उसके साथ सबसे मूल्यवान सम्बन्ध में दाख़िल होते हैं। अतः जब हम कुछ ऐसा करते हैं जो उसे दुःखी करता है, तब हमें अपने स्वर्गीय पिता के साथ सम्बन्ध को पुनःस्थापित करने की कोशिश में शीघ्रता से कार्य करना चाहिए।
यह ख़ुशी की बात है कि जो बहिष्कृत दशा में थे उन्होंने उड़ाऊ पुत्र के दृष्टान्त को गंभीरता से लिया है। यहोवा की तुलना वहाँ एक प्रेमी पिता से की गई है जो पश्चातापी पापी को पुनः स्वीकार करने के लिए तैयार है यदि वह अपने मार्ग से फिर जाए और परमेश्वर से क्षमा माँगे। (लूका १५:११-२४) असली, हार्दिक पश्चाताप और जो बुरा है उससे दूर रहना, यहोवा के अनुग्रह और मसीही कलीसिया में वापस आने का एक मार्ग रहा है। कुछ पश्चातापी अपराधी जिन्होंने स्वयं को अपने अपराधबोध के बोझ तले दबा हुआ महसूस किया है, पश्चाताप करने और मसीही कलीसिया के प्रेमपूर्ण वातावरण में वापस आने के लिए क़दम उठाने के वास्ते प्रेरित किए गए हैं। इस तरह वे यशायाह ५७:१५ में दिए गए यहोवा के शब्दों के प्रति मूल्यांकन दिखाने लगे हैं।
यहोवा की प्रेमपूर्ण परवाह में वापस आने से एक व्यक्ति को दूर रखने के लिए, शैतान यह जताने की कोशिश करेगा कि जो पाप किए गए हैं उनके लिए कोई पश्चाताप नहीं है। परन्तु मसीह यीशु का छुड़ौती बलिदान किसी भी पश्चाताप करने वाले के पापों को ढाँपने के लिए काफ़ी है—जी हाँ, यहाँ तक कि विरासत में मिली “सारे जगत” की पापमयता को भी। (१ यूहन्ना २:१, २) एक पाप जो छुड़ौती से नहीं ढाँपा जाता वह है परमेश्वर की पवित्र आत्मा के खिलाफ़ पाप, जो कि परमेश्वर की आत्मा की कार्यवाही के ख़िलाफ़ जानबूझकर विद्रोह के बराबर है, जैसे यहूदा इस्करियोती और अनेक शास्त्रियों और फरीसियों के गंभीर पाप।—मत्ती १२:२४, ३१, ३२; २३:१३, ३३; यूहन्ना १७:१२.
यहोवा की धार्मिकता का समर्थन करना
क्योंकि आत्मिक इस्राएलियों का शेष वर्ग १९१९ में यहोवा के अनुग्रह में पुनःस्थापित किया गया था, वे आस-पास के संसार से अधिकाधिक उन्नत हुए हैं। यह उनकी अपनी किसी अच्छाई के कारण नहीं बल्कि यहोवा के नियमों और स्तरों के प्रति उनकी स्वैच्छिक अधीनता के कारण हुआ है। परिणामस्वरूप, मसीह की लाखों “अन्य भेड़ें” आत्मिक इस्राएल की संगति में निष्ठावान साथियों के रूप में इकट्ठी की जा रही हैं। (यूहन्ना १०:१६, NW) ये लोग एक ऐसे संसार में यहोवा को महिमा और आदर लाते हैं जो परमेश्वर के धर्मी स्तरों से बहुत दूर है। यह उस प्रकार है जैसे कि एक दक्षिण अफ्रीकी पत्रिका व्यक्तित्व (अंग्रेज़ी) ने एक बार टिप्पणी की: “यहोवा के साक्षी अच्छे गुणों से भरे हुए और दुर्गुणों से लगभग मुक्त नज़र आते हैं।”
इस अधर्मी संसार में ऐसी उन्नत स्थिति बनाए रखने के लिए, मसीही कलीसिया के प्रत्येक सदस्य को यहोवा के सम्मुख एक स्वच्छ, खरे जीवन जीने की आवश्यकता है। बाइबल में, यहोवा का स्वर्गीय संगठन स्वच्छ वस्तुओं से चित्रित किया गया है। यह एक सुन्दर स्त्री के रूप में देखा जाता है जो सूर्य ओढ़े हुए है और जिसके पावों तले चान्द है। (प्रकाशितवाक्य १२:१) नए यरूशलेम का वर्णन पवित्र नगर के रूप में किया गया है जो देखने में सुन्दर है। (प्रकाशितवाक्य २१:२) मसीह की दुल्हन के वफ़ादार सदस्यों को “शुद्ध और चमकदार महीन मलमल” दिया गया है। (प्रकाशितवाक्य १९:८) बड़ी भीड़ के लोग “श्वेत वस्त्र पहिने” दिखाई देते हैं। (प्रकाशितवाक्य ७:९) धार्मिकता की ओर प्रवृत लोग एक स्वच्छ संगठन की ओर खिंच आते हैं। इसकी विषमता में, शैतान का संगठन अशुद्ध है। उसकी धार्मिक व्यवस्था एक वेश्या के तौर पर चित्रित की गई है, और जो पवित्र नगर के बाहर हैं उन्हें गन्दे, और अशुद्ध लोग बताया गया है।—प्रकाशितवाक्य १७:१; २२:१५.
धर्मी जनों से अनन्त जीवन की प्रतिज्ञा की गई है। एकत्रित लोग जो यहोवा की धार्मिकता का समर्थन करते हैं उनके पास इस दुष्ट व्यवस्था के अन्त से बचने की प्रत्याशा है। परमेश्वर नीतिवचन १:३३ में प्रतिज्ञा करता है, “जो मेरी सुनेगा, वह निडर बसा रहेगा, और बेखटके सुख से रहेगा।”
कितना ही आनन्दप्रद होगा जब महान सुलैमान, मसीह यीशु, उस नए संसार पर धार्मिकता में, यहोवा के भय में राज्य करता है! (२ पतरस ३:१३) वह सुबह के प्रकाश की तरह होगा, बिन बादल की सुबह जब सूर्य चमकता है। पृथ्वी के सभी निवासी सुरक्षा में बसेंगे, मानो हर एक अपनी दाखलता और अंजीर के वृक्ष तले बैठा करेगा। धर्मी मानव समाज पृथ्वी को सुन्दर बनाएगा और विश्व में अपना उचित स्थान प्राप्त करेगा जिससे हमारे परमेश्वर, यहोवा की अनन्त स्तुति होगी।—मीका ४:३, ४; यशायाह ६५:१७-१९, २५ भी देखिए।
[पेज 26 पर चित्र का श्रेय]
Garo Nalbandian