परमेश्वर के करीब आइए
वह इंसानों में अच्छाई ढूँढ़ता है
“यहोवा मन को जांचता और विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है उसे समझता है।” (1 इतिहास 28:9) ये शब्द हमारे अंदर परमेश्वर के लिए कदरदानी बढ़ाते हैं कि वह हममें गहरी दिलचस्पी रखता है। हमारे कमज़ोर और असिद्ध होने के बावजूद यहोवा हमारे अंदर अच्छाई ढूँढ़ता है। यह बात 1 राजा 14:13 में यहोवा के शब्दों से साफ ज़ाहिर होती है, जो उसने अबिय्याह के लिए कहे थे।
अबिय्याह एक दुष्ट घराने में पैदा हुआ था। उसका पिता यारोबाम, एक धर्मत्यागी राजवंश का मुखिया था।a यहोवा ने यारोबाम के घराने का सफाया करने की ठान ली थी, ठीक “जैसा कोई गोबर को तब तक उठाता रहता है जब तक वह सब उठा नहीं लिया जाता।” (1 राजा 14:10) मगर परमेश्वर ने हुक्म दिया कि यारोबाम के घराने के एक सदस्य यानी अबिय्याह को इज़्ज़त से दफनाया जाएगा, जो बहुत बीमार था।b आखिर क्यों? परमेश्वर समझाता है: “यारोबाम के घराने में से उसी में कुछ पाया जाता है जो यहोवा इस्राएल के प्रभु की दृष्टि में भला है।” (1 राजा 14:1, 12, 13) इससे हमें अबिय्याह के बारे में क्या पता चलता है?
अबिय्याह परमेश्वर का वफादार उपासक था या नहीं, इस बारे में बाइबल कुछ नहीं बताती। मगर उसमें कुछ अच्छाइयाँ थीं, जो “प्रभु की दृष्टि” से नहीं छिपीं। शायद अबिय्याह ने यहोवा की उपासना को लेकर कुछ अच्छा काम किया था। एक यहूदी विद्वान लिखता है, शायद अबिय्याह ने यरूशलेम के मंदिर तक यात्रा की थी या उसने उन पहरेदारों को हटवा दिया था जिन्हें उसके पिता यारोबाम ने तैनात करवाया था, ताकि कोई भी इसराएली उपासना के लिए यरूशलेम न जा सके।
चाहे जो भी हो, अबिय्याह की अच्छाई गौर करने लायक है। पहली बात है कि वह अंदर से भला या अच्छा इंसान था। आयत कहती है कि ‘उस में’ यानी उसके दिल में अच्छाई थी। दूसरी बात, उसकी अच्छाई अपने आपमें अनोखी थी। क्यों? क्योंकि “यारोबाम के घराने में” पैदा होने के बावजूद उसने कुछ अच्छा काम किया था। एक विद्वान कहता है, “एक बुरे खानदान और माहौल में परवरिश होने के बाद भी अगर एक इंसान अपनी नेकनीयत बनाए रखता है, तो यह वाकई काबिले-तारीफ है।” एक और विद्वान कहता है, “जैसे काले आसमान में तारे और भी चमकते हैं और देवदार के पेड़ तब और भी खूबसूरत नज़र आते हैं जब उसके आस-पास के पेड़ों के पत्ते झड़ जाते हैं,” ठीक उसी तरह अबिय्याह की अच्छाई भी “साफ दिखायी देती है।”
सबसे बढ़कर 1 राजा 14:13 से हम यहोवा के बारे में एक बढ़िया बात सीखते हैं और यह जान पाते हैं कि वह हममें क्या ढूँढ़ता है। याद कीजिए, अबिय्याह में कुछ भला या अच्छा “पाया” गया था। ज़ाहिर है कि यहोवा ने उसके दिल को तब तक टटोला होगा, जब तक उसने उसमें कुछ अच्छाई नहीं ढूँढ़ निकाली। एक विद्वान, अबिय्याह के खानदान से उसकी तुलना करते हुए कहता है कि “कंकड़-पत्थर के ढेर में” वही एक सुंदर मोती था। अबिय्याह की अच्छाई देखकर यहोवा को बेहद खुशी हुई और उसने उसे इनाम दिया। उसने दया दिखाते हुए दुष्ट खानदान के इस लड़के को इज़्ज़त से मिट्टी दिलवायी।
क्या यह जानकर हमें दिलासा नहीं मिलता कि असिद्ध और पापी होने के बावजूद यहोवा हममें अच्छाई तलाशता है? (भजन 130:3) वाकई यह जानने से हम यहोवा के और भी करीब आ जाते हैं कि वह हमारे दिलों को तब तक टटोलता रहता है, जब तक उसे कुछ अच्छाई नहीं मिल जाती। (w10-E 07/01)
[फुटनोट]
a यारोबाम ने इस्राएल के उत्तर के दस गोत्रवाले राज्य में बछड़े की मूर्तियाँ खड़ी करवायी थीं, ताकि लोग यहोवा की उपासना करने के लिए यरूशलेम के मंदिर ना जाएँ।
b पुराने ज़माने में यह माना जाता था कि अगर मरने पर एक इंसान को इज़्ज़त से नहीं दफनाया जाता, तो इसका मतलब है कि उस पर परमेश्वर की मंजूरी नहीं है।—यिर्मयाह 25:32, 33.