‘क्या तेरा मन मेरी ओर निष्कपट है?’
“मेरे संग चल। और देख, कि मुझे यहोवा के निमित्त कैसी जलन रहती है।”—२ राजा १०:१५, १६.
१, २. (क) इस्राएल की धार्मिक स्थिति बद से बदतर कैसे हुई? (ख) सा.यु.पू. ९०५ में कौन-से सनसनीखेज़ बदलाव इस्राएल में होनेवाले थे?
सामान्य युग पूर्व ९०५ का वर्ष, इस्राएल में भारी बदलाव का समय था। लगभग १०० वर्ष पहले, यहोवा ने सुलैमान के धर्मत्याग की वज़ह से इस्राएल के संयुक्त राज्य को बाँट दिया था। (१ राजा ११:९-१३) तब दक्षिणी राज्य यहूदा पर सुलैमान का बेटा रहूबियाम राज्य करता था, जबकि उत्तरी राज्य, इस्राएल पर एप्रैमी, यारोबाम का राज्य था। दुःख की बात है कि उत्तरी राज्य की शुरूआत विनाशपूर्ण थी। यारोबाम नहीं चाहता था कि उसकी प्रजा मंदिर में उपासना के लिए दक्षिणी राज्य में जाए, क्योंकि उसे डर था कि कहीं उनके मन में दाऊद के घराने में लौट जाने का विचार न आ जाए। सो उसने इस्राएल में बछड़े की उपासना शुरू करवायी और इस तरह मूर्तिपूजा का एक चलन शुरू किया जो उत्तरी राज्य के पूरे इतिहास में कुछ हद तक क़ायम रहा।—१ राजा १२:२६-३३.
२ स्थिति और भी बदतर हो गई जब ओम्री का पुत्र अहाब, राजा बना। उसकी विदेशी पत्नी ईज़ेबेल ने बाल की उपासना को बढ़ावा दिया और यहोवा के भविष्यवक्ताओं को मारवा डाला। एलिय्याह भविष्यवक्ता की स्पष्ट चेतावनियों के बावजूद, अहाब ने उसे रोकने के लिए कोई क़दम नहीं उठाया। लेकिन, सा.यु.पू. ९०५ में अहाब मर गया और उसका पुत्र यहोराम उसकी जगह राज्य करने लगा। अब समय था कि उस देश को शुद्ध किया जाए। एलिय्याह के उत्तराधिकारी एलीशा ने सेनापति येहू को सूचना दी कि इस्राएल का अगला राजा होने के लिए यहोवा उसका अभिषेक करनेवाला है। उसका काम क्या होता? अहाब के पापी घराने का नाश करना और जिन भविष्यवक्ताओं का लहू ईज़ेबेल ने बहाया था उसका पलटा लेना!—२ राजा ९:१-१०.
३, ४. यहोनादाब ने कैसे दिखाया कि उसका मन ‘येहू की ओर निष्कपट’ था?
३ परमेश्वर की आज्ञा का पालन करते हुए, येहू ने दुष्ट ईज़ेबेल को मरवा डाला और उसके बाद वह अहाब के घराने को नाश करने के द्वारा इस्राएल को शुद्ध करने के लिए निकल पड़ा। (२ राजा ९:१५-१०:१४, १७) तब उसकी मुलाक़ात एक समर्थक से होती है। “रेकाब का पुत्र यहोनादाब साम्हने से आता हुआ उसको मिला। उसका कुशल उस ने पूछकर कहा, मेरा मन तो तेरी ओर निष्कपट है सो क्या तेरा मन भी वैसा ही है? यहोनादाब ने कहा, हां, ऐसा ही है। फिर उस ने कहा, ऐसा हो, तो अपना हाथ मुझे दे। उस ने अपना हाथ उसे दिया, और वह यह कहकर उसे अपने पास रथ पर चढ़ाने लगा, कि मेरे संग चल। और देख, कि मुझे यहोवा के निमित्त कैसी जलन रहती है। तब वह उसके रथ पर चढ़ा दिया गया।”—२ राजा १०:१५, १६.
४ यहोनादाब (या, योनादाब) इस्राएली नहीं था। फिर भी अपने नाम के मुताबिक (जिसका मतलब है “यहोवा इच्छुक है,” “यहोवा गौरवमय है,” या “यहोवा उदार है”) वह यहोवा का उपासक था। (यिर्मयाह ३५:६) निश्चित ही, येहू को “यहोवा के निमित्त कैसी जलन रहती है” यह देखने की उसकी दिलचस्पी अनूठी थी। हम यह कैसे जानते हैं? इस्राएल के अभिषिक्त राजा के साथ उसकी यह मुलाक़ात अचानक नहीं हुई थी। यहोनादाब “उस से भेंट करने आ रहा था,” (NHT) और यह उस वक़्त था जब येहू पहले ही ईज़ेबेल और अहाब के घराने के बाक़ी बचे लोगों को मौत के घाट उतार चुका था। जब उसने रथ पर चढ़ने के येहू के निमंत्रण को स्वीकार किया, तब यहोनादाब जानता था कि क्या हो रहा था। झूठी और सच्ची उपासना के बीच इस संघर्ष में वह बेशक येहू की—और यहोवा की—तरफ़ था।
आज का येहू और आज का यहोनादाब
५. (क) पूरी मानवजाति के लिए बहुत जल्द कौन-से बदलाव होंगे? (ख) बड़ा येहू कौन है और पृथ्वी पर उसका प्रतिनिधित्व कौन करता है?
५ आज, मनुष्यजाति के लिए स्थिति में उतना ही भारी बदलाव आएगा जितना सा.यु.पू. ९०५ में इस्राएल में आया था। अब समय आ गया है जब यहोवा पृथ्वी को शैतान के प्रभाव के सभी बुरे परिणामों से शुद्ध करेगा जिनमें झूठा धर्म भी शामिल है। आज का येहू कौन है? यीशु मसीह को छोड़ और कोई नहीं, जिसके बारे में ये भविष्यसूचक शब्द कहे गए हैं: “हे वीर, तू अपनी तलवार को जो तेरा विभव और प्रताप है अपनी कटि पर बान्ध! सत्यता, नम्रता और धर्म के निमित्त अपने ऐश्वर्य और प्रताप पर सफलता से सवार हो।” (भजन ४५:३, ४) पृथ्वी पर यीशु का प्रतिनिधित्व ‘परमेश्वर का इस्राएल,’ यानी अभिषिक्त मसीही करते हैं “जो परमेश्वर की आज्ञाओं को मानते, और यीशु की गवाही देने पर स्थिर हैं।” (गलतियों ६:१६; प्रकाशितवाक्य १२:१७) वर्ष १९२२ से यीशु के इन अभिषिक्त भाइयों ने निडरता से यहोवा के आनेवाले न्यायदंड के बारे में चेतावनी दी है।—यशायाह ६१:१, २; प्रकाशितवाक्य ८:७-९:२१; १६:२-२१.
६. अभिषिक्त मसीहियों का समर्थन करने के लिए जातियों में से कौन निकलकर आए और वे, मानो बड़े येहू के रथ पर कैसे चढ़े हैं?
६ अभिषिक्त मसीही अकेले नहीं रहे हैं। ठीक जैसे यहोनादाब निकलकर येहू से मिलने आया था, जातियों में से अनेक लोग सच्ची उपासना में बड़े येहू, यीशु का और उसके प्रतिनिधियों की स्थिति का समर्थन करने के लिए आए हैं। (जकर्याह ८:२३) यीशु द्वारा इन्हें “अन्य भेड़” पुकारा गया और १९३२ में इन्हें प्राचीन समय के यहोनादाब के आज के समतुल्य के रूप में पहचाना गया और इन्हें आज के येहू के ‘रथ पर चढ़ने’ का निमंत्रण दिया गया था। (यूहन्ना १०:१६, NW) कैसे? ‘परमेश्वर की आज्ञाओं को मानने’ के द्वारा और अभिषिक्तों के साथ “यीशु की गवाही देने” में हिस्सा लेने के द्वारा। आज, इसमें परमेश्वर के स्थापित राज्य के सुसमाचार का प्रचार शामिल है, जिस राज्य का राजा यीशु है। (मरकुस १३:१०) वर्ष १९३५ में ये “योनादाब” प्रकाशितवाक्य ७:९-१७ की “बड़ी भीड़” के रूप में पहचाने गए।
७. मसीहियों ने आज यह कैसे दिखाया है कि उनका ‘मन अभी भी’ यीशु के मन की ओर ‘निष्कपट’ है?
७ उन्नीस सौ तीस के दशक से, बड़ी भीड़ और उनके अभिषिक्त भाइयों ने निडरता से सच्ची उपासना के लिए अपने समर्थन का सबूत दिया है। पूर्वी और पश्चिमी यूरोप, पूर्वी एशिया और अफ्रीका में, इनमें से अनेकों की अपने विश्वास के कारण जानें गई हैं। (लूका ९:२३, २४) दूसरे देशों में, उन्हें क़ैद किया गया, भीड़ द्वारा दबोचा गया या दूसरे तरीक़ों से सताया गया। (२ तीमुथियुस ३:१२) उन्होंने विश्वास का क्या ही अच्छा रिकार्ड क़ायम किया है! और १९९७ सेवा वर्ष रिपोर्ट दिखाती है कि चाहे जो भी हो, वे अब भी परमेश्वर की सेवा के लिए दृढ़-संकल्प हैं। यीशु की ओर उनका ‘मन अभी भी निष्कपट है।’ वर्ष १९९७ के दौरान यह दिखाया गया था, जब ५५,९९,९३१ राज्य प्रकाशकों ने, जिनमें से लगभग सभी “योनादाब” हैं, यीशु की गवाही देने में कुल मिलाकर १,१७,९७,३५,८४१ घंटे बिताए।
अब भी जोश के साथ प्रचार कर रहे हैं
८. यहोवा के साक्षी सच्ची उपासना के लिए अपना जोश कैसे दिखाते हैं?
८ येहू उन्मत्त होकर अपना रथ हाँकने के लिए मशहूर था—जो अपना काम पूरा करने के लिए उसके जोश का सबूत था। (२ राजा ९:२०, NHT) बड़े येहू, यीशु का वर्णन ऐसे किया गया है मानो वह जोश में ‘जलते जलते भस्म’ हो रहा हो। (भजन ६९:९) तो फिर, इसमें कोई ताज्जुब नहीं कि सच्चे मसीहियों को आज उनके जोश के लिए जाना जाता है। कलीसिया और आम जनता, दोनों में वे ‘अनुकूल समय में, प्रतिकूल समय में अत्यावश्यकता से वचन का प्रचार करने में लगे हुए हैं।’ (२ तीमुथियुस ४:२, NW) उनका जोश ख़ास तौर पर १९९७ की शुरूआत में देखने में आया जब हमारी राज्य सेवकाई के एक लेख ने ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को सहयोगी पायनियर सेवा में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया था। हर देश में सहयोगी पायनियरों की संख्या का एक निश्चित लक्ष्य रखा गया था। इसके प्रति क्या प्रतिक्रिया हुई? बेमिसाल! अनेक शाखाओं में गिनती, लक्ष्य से ऊपर पहुँच गयी। इक्वेडोर ने ४,००० का लक्ष्य रखा, लेकिन मार्च में ६,९३६ सहयोगी पायनियरों ने रिपोर्ट किया। उन तीन महीनों में जापान ने कुल १,०४,२१५ रिपोर्ट दी। ज़ाम्बिया, जहाँ ६,००० का लक्ष्य था, मार्च में ६,४१४; अप्रैल में ६,५३२ और मई में ७,६९५ सहयोगी पायनियरों ने रिपोर्ट किया। दुनिया-भर में सहयोगी और नियमित पायनियरों का शिखर कुल मिलाकर ११,१०,२५१ था, जो १९९६ के मुक़ाबले ३४.२ प्रतिशत की बढ़ोतरी है!
९. घर-घर कार्य करने के अलावा, और किन तरीक़ों से यहोवा के साक्षी सुसमाचार सुनाने के लिए लोगों को ढूँढ़ते हैं?
९ इफिसुस के प्राचीनों को पौलुस ने बताया: “जो जो बातें तुम्हारे लाभ की थीं, उन को बताने और लोगों के साम्हने और घर घर सिखाने से कभी न झिझका।” (प्रेरितों २०:२०) आज यहोवा के साक्षी पौलुस के उदाहरण का अनुकरण करते हैं और जोश के साथ घर-घर सुसमाचार का प्रचार करते हैं। लेकिन, लोगों को उनके घर पर पाना शायद आसान न हो। इसलिए, “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” राज्य प्रकाशकों को लोगों के व्यापार की जगहों में, सड़कों, समुद्र के किनारों पर, सार्वजनिक पार्कों में—जहाँ कहीं भी लोग मिल सकते हैं—जाने के लिए प्रोत्साहित करता है। (मत्ती २४:४५-४७) इसके बढ़िया परिणाम रहे हैं।
१०, ११. दो देशों के प्रकाशकों ने दिलचस्पी रखनेवाले ऐसे लोगों को ढूँढ़ने में कैसे बढ़िया पहल की है जो आम तौर पर घर में नहीं मिलते?
१० कोपनहॆगन, डॆनमार्क में प्रकाशकों का एक छोटा समूह रेलवे स्टेशनों के बाहर सड़कों पर साक्षी देता रहा है। जनवरी से लेकर जून तक, उन्होंने ४,७३३ पत्रिकाएँ बाँटीं, बढ़िया बातचीत की और अनेक पुनःभेंट कीं। उस देश में अनेक प्रकाशकों ने दुकानों में पत्रिका मार्ग शुरू किए हैं। एक शहर में हर शुक्रवार को एक बड़ा बाज़ार लगता है और वहाँ हज़ारों लोग आते हैं। सो कलीसिया ने नियमित बाज़ार साक्षी कार्य का प्रबंध किया है। एक क्षेत्र में स्कूलों में जानकारी के एक पार्सल के साथ भेंट की जाती है जिसमें ऐसे प्रकाशन होते हैं जो ख़ास तौर पर स्कूल के अध्यापकों के लिए उचित होते हैं।
११ हवाई में भी उन लोगों से मिलने की कोशिश की गयी है जो अपने घर पर नहीं मिल पाते। ख़ास क्षेत्रों में सार्वजनिक स्थान, (सड़कें, पार्क, वाहन खड़े करने की जगह और बस स्टॉप) शहर के व्यापारिक केंद्र, बाज़ार और हवाई अड्डे, टेलिफ़ोन साक्षी कार्य, सार्वजनिक यातायात (बसों में प्रचार करना) और कॉलॆज अहाते शामिल हैं। इस बात का ध्यान रखा जाता है कि एक ख़ास क्षेत्र में सही संख्या में साक्षियों को भेजा जाए और कि जिन्हें भेजा जाए वे अच्छी तरह प्रशिक्षित हों। अनेक देशों ने इसी तरह के सुव्यवस्थित प्रयासों की रिपोर्ट दी है। इसका नतीजा यह हो रहा है कि उन दिलचस्पी रखनेवाले लोगों से मुलाक़ात की जा रही हैं जो शायद घर-घर की सेवकाई में कभी न मिलते।
दृढ़ खड़े रहना
१२, १३. (क) वर्ष १९९७ के दौरान शैतान ने यहोवा के साक्षियों के विरुद्ध क्या चाल चली है? (ख) एक देश में झूठे प्रचार का किस तरह उलटा असर हुआ?
१२ वर्ष १९९७ में अनेक देशों में, यहोवा के साक्षी द्वेषपूर्ण, झूठे प्रचार के शिकार रहे हैं, ज़ाहिर है कि उनके ख़िलाफ़ कानूनी कार्यवाही करने के उद्देश्य से इसे बढ़ावा दिया गया है। लेकिन वे पीछे नहीं हटे! (भजन ११२:७, ८) उन्होंने भजनहार की प्रार्थना को याद रखा: “अभिमानियों ने तो मेरे विरुद्ध झूठ बात गढ़ी है, परन्तु मैं तेरे उपदेशों को पूरे मन से पकड़े रहूंगा।” (भजन ११९:६९) ऐसा झूठा प्रचार सिर्फ़ इस बात का सबूत है कि सच्चे मसीहियों से बैर किया जा रहा है, जैसी कि यीशु ने भविष्यवाणी की थी। (मत्ती २४:९) और कभी-कभी इसका उलटा असर भी हुआ है। बॆलजियम में एक आदमी ने एक जानेमाने दैनिक अख़बार में यहोवा के साक्षियों के बारे में बदनाम करनेवाला एक लेख पढ़ा। इस झूठे लांछन से उसे आश्चर्य हुआ और वह अगले रविवार एक राज्यगृह में सभा में पहुँच गया। उसने साक्षियों के साथ बाइबल अध्ययन करने का अनुरोध किया और तेज़ी-से उन्नति करता गया। इससे पहले, यह आदमी एक गिरोह का सदस्य था। उसके बाइबल अध्ययन से उसे अपने जीवन को शुद्ध करने में मदद मिली, जिसे आस-पास के लोगों ने भी देखा। निश्चय ही, झूठा लांछन लगानेवाले उस लेख के लेखक के मन में इस तरह के नतीजे का ख़्याल भी नहीं आया होगा!
१३ बॆलजियम में कुछ सत्यहृदयी लोगों ने इस मक्कारी भरे प्रचार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठायी है। उनमें एक भूतपूर्व प्रधानमंत्री भी था, जिसने माना था कि वह यहोवा के साक्षियों की उपलब्धियों से क़ायल है। एक संसद सदस्य ने लिखा: “कुछ अवसरों पर लगाए जानेवाले इलज़ामों के विपरीत, मुझे नहीं लगता कि [यहोवा के साक्षी] सरकारी संस्थानों के लिए किसी भी तरह का ख़तरा हैं। वे ऐसे नागरिक हैं जो शांति-प्रिय, ईमानदार और अधिकारियों का आदर करनेवाले हैं।” प्रेरित पतरस के शब्द वाक़ई बुद्धि से भरे हैं: “अन्यजातियों में तुम्हारा चालचलन भला हो; इसलिये कि जिन जिन बातों में वे तुम्हें कुकर्मी जानकर बदनाम करते हैं, वे तुम्हारे भले कामों को देखकर; उन्हीं के कारण कृपा दृष्टि के दिन परमेश्वर की महिमा करें।”—१ पतरस २:१२.
एक यादगार स्मारक समारोह
१४. वर्ष १९९७ में स्मारक की हाज़िरी की कौन-सी कुछ रोमांचक रिपोर्टें थीं?
१४ यह उचित है कि जो लोग यीशु की गवाही देते हैं, उन्हें उसकी मृत्यु के स्मारक को साल के एक विशेष अवसर के रूप में देखना चाहिए। वर्ष १९९७ में, मार्च २३ को इस घटना को मनाने के लिए १,४३,२२,२२६ लोग मौजूद थे। यह १९९६ की संख्या से १४,००,००० से भी ज़्यादा थी। (लूका २२:१४-२०) अनेक देशों में स्मारक की हाज़िरी वहाँ के राज्य प्रकाशकों की गिनती से कहीं ज़्यादा थी, जो भविष्य में बढ़ोतरी की अच्छी संभावनाएँ दिखाती है। उदाहरण के लिए, हेटी में, १९९७ में १०,६२१ प्रकाशकों की अधिकतम गिनती थी जबकि ६७,२५९ स्मारक में हाज़िर थे। आप पृष्ठ १८ से २१ तक वार्षिक रिपोर्ट जाँच सकते हैं और यह देख सकते हैं कि और ऐसे कितने देश हैं जहाँ के प्रकाशकों की संख्या की तुलना में इसी तरह स्मारक में कहीं ज़्यादा लोग हाज़िर थे।
१५. कुछ देशों में, स्मारक मनाने के लिए हमारे भाइयों ने गंभीर समस्याओं पर कैसे जय पायी?
१५ कुछ लोगों के लिए स्मारक में हाज़िर होना आसान नहीं था। अल्बेनिया में स्थानीय गड़बड़ी के कारण शाम ७ बजे करफ्यू था। देश-भर में ११५ छोटे समूहों में, स्मारक शाम ५:४५ पर शुरू हुआ। निसान १४ की शुरूआत को सूचना देता हुआ सूरज शाम ६:०८ पर अस्त हुआ। प्रतीक लगभग ६:१५ पर घुमाए गए। ज़्यादातर जगहों पर ६:३० तक समाप्ति प्रार्थना की जा चुकी थी और हाज़िर हुए लोगों ने करफ्यू लगने से पहले घर पहुँचने के लिए जल्दी की। फिर भी, १,०९० प्रकाशकों की अधिकतम गिनती की तुलना में स्मारक की हाज़िरी ३,१५४ थी। एक अफ्रीकी देश में, स्थानीय गड़बड़ी की वज़ह से राज्यगृह में पहुँचना मुश्किल हो गया, इसलिए दो प्राचीनों ने तीसरे प्राचीन के घर में मिलने का निर्णय किया ताकि छोटे समूहों में समारोह मनाने का प्रबंध किया जा सके। उस घर तक पहुँचने के लिए, उन दो प्राचीनों को एक नाला पार करना था। लेकिन उस इलाक़े में लड़ाई चल रही थी और जो भी उस नाले को पार करने की कोशिश करता, उस पर छिपे हुए लोग गोलियाँ चलाते। एक प्राचीन ने तेज़ी से नाला पार किया और उस पर गोली नहीं चली। जब दूसरा प्राचीन नाला पार कर रहा था तब उसने गोली की आवाज़ सुनी। वह जल्दी से नीचे लेट गया और रेंगता हुआ सुरक्षित जगह पहुँचा जबकि गोलियाँ उसके सिर के ऊपर से सनसनाती हुई निकल रही थीं। प्राचीनों की बैठक सफल रही और कलीसिया की ज़रूरतों को पूरा किया गया।
“हर एक जाति, और कुल, . . . और भाषा में से”
१६. कैसे विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास वर्ग ने छोटे-छोटे भाषा समूहों तक सुसमाचार फैलाने का प्रबंध किया है?
१६ प्रेरित यूहन्ना ने कहा कि बड़ी भीड़ “हर एक जाति, और कुल, और लोग और भाषा में से” निकलेगी। (प्रकाशितवाक्य ७:९) इसलिए, शासी निकाय ज़्यादा से ज़्यादा भाषाओं में साहित्य उपलब्ध कराने का प्रबंध करता है—उन भाषाओं में भी जिन्हें अलग-थलग जातियों और लोगों के छोटे-छोटे समूहों द्वारा बोला जाता है। मिसाल के तौर पर, मोज़म्बीक में ट्रैक्ट एक शान्तिपूर्ण नए संसार में जीवन पाँच अतिरिक्त भाषाओं में रिलीज़ किया गया। निकरागुआ में, ब्रोशर अनन्त काल तक पृथ्वी पर जीवन का आनन्द लीजिए! मिसकिटो भाषा में उपलब्ध करवाया गया। यह वॉच टावर सोसाइटी का इस भाषा में पहला प्रकाशन है। अनेक आदिवासी मिसकिटो लोगों ने अपनी भाषा में पुस्तिका देखने पर, इस ब्रोशर को आनंद के साथ स्वीकार किया है। वर्ष १९९७ में संस्था ने २५ अतिरिक्त भाषाओं में साहित्य प्रकाशित करने की मंज़ूरी दी और एक अरब से भी ज़्यादा पत्रिकाएँ छापीं।
१७. कोरिया में किस भाषा समूह की मदद की गई थी और जनसमूहों के इस वर्ग में वीडियो टेपों ने किस तरह बहुत सहायता दी है?
१७ कोरिया में एक और भाषा समूह की मदद की गई थी। वर्ष १९९७ में पहला कोरियाई साइन लैंगवेज अधिवेशन हुआ। कोरिया में १५ साइन लैंगवेज कलीसियाएँ हैं जिनमें ५४३ प्रकाशक हैं, लेकिन १,१७४ लोग अधिवेशन में हाज़िर हुए और २१ ने बपतिस्मा लिया। उन बधिरों को मदद करने के लिए जो बोले या लिखे गए शब्दों को आसानी से नहीं समझ पाते, वीडियो टेप में १३ अलग-अलग साइन लैंगवेज में प्रकाशन निकाले जा रहे हैं। इस तरह, बधिरों को सुसमाचार “पढ़ने” और अध्ययन करने में भी मदद की जा रही है और इसके बहुत अच्छे परिणाम मिले हैं। अमरीका में, पहले एक बधिर व्यक्ति को प्रगति करके बपतिस्मे तक पहुँचने में पाँच साल लग सकते थे। अब, अमरीकी साइन लैंगवेज में उपलब्ध अनेक वीडियो के साथ, कुछ बधिरों के लिए यह समय घटकर एक साल रह गया है।
‘रथ में बैठे रहना’
१८. यहोनादाब से मिलने के बाद, येहू क्या करने निकल पड़ा?
१८ सामान्य युग पूर्व ९०५ में, यहोनादाब के साथ आने के बाद, येहू झूठी उपासना का विनाश करने चल पड़ा। उसने सभी बाल के उपासकों को एक न्योता भेजा: “बाल की एक पवित्र महासभा का प्रचार करो।” उसके बाद उसने सारे देश में दूत भेजे ताकि यह निश्चित कर सके कि बाल का एक भी उपासक छूट तो नहीं गया। जब उस झूठे देवता के महान मंदिर में भीड़ जमा होने लगी, तब इस बात का ख़याल रखा गया कि उनके बीच यहोवा का एक भी उपासक न हो। अंत में, येहू और उसकी सेना ने बाल उपासकों का घात किया। “यों येहू ने बाल को इस्राएल में से नाश करके दूर किया।”—२ राजा १०:२०-२८.
१९. मानवजाति के सामने रखे भविष्य को देखते हुए, हमें कैसी आत्मा दिखानी चाहिए और हमें किस काम में मेहनत से लगे रहना चाहिए?
१९ आज, सभी झूठे धर्मों का आख़िरी न्याय होना एकदम नज़दीक है। स्वर्गदूतों के निर्देशन के अधीन, मसीही पूरी मानवजाति को सुसमाचार सुना रहे हैं और परमेश्वर का भय मानने और झूठे धर्म से खुद को अलग रखने के लिए उनको प्रोत्साहित कर रहे हैं। (प्रकाशितवाक्य १४:६-८; १८:२, ४) नम्र लोगों को, यहोवा द्वारा सिंहासन पर बिठाए गए राजा, यीशु मसीह के अधीन परमेश्वर के राज्य की अधीनता स्वीकार करने का प्रोत्साहन दिया जा रहा है। (प्रकाशितवाक्य १२:१०) इस रोमांचक समय में, सच्ची उपासना के लिए मज़बूती से खड़े रहते वक़्त हमें अपने जोश को कम नहीं होने देना चाहिए।
२०. आप १९९८ सेवा वर्ष के दौरान क्या करने का दृढ़ संकल्प करेंगे?
२० एक बार जब राजा दाऊद बहुत भारी दबाव में था, उसने प्रार्थना की: “हे परमेश्वर, मेरा मन स्थिर है, मेरा मन स्थिर है; मैं गाऊंगा वरन भजन कीर्तन करूंगा। हे प्रभु, मैं देश के लोगों के बीच तेरा धन्यवाद करूंगा।” (भजन ५७:७, ९) ऐसा हो कि हम भी स्थिर हों। १९९७ सेवा वर्ष के दौरान, अनेक कठिनाइयों के बावजूद यहोवा परमेश्वर की महिमा के लिए स्तुति की एक बड़ी पुकार की गई थी। ऐसा हो कि इस सेवा वर्ष में इसी तरह की, बल्कि इससे भी ज़ोरदार पुकार सुनी जाए। और ऐसा हो कि हम ऐसा ही करते रहें, चाहे शैतान हमें निरुत्साहित करने या हमारा विरोध करने के लिए कुछ भी करने की कोशिश क्यों न करे। इस तरह हम दिखाएँगे कि हमारा मन बड़े येहू, यीशु मसीह की ओर निष्कपट है और हम इस ईश्वर-प्रेरित प्रोत्साहन का जवाब दिलो-जान से देंगे: “हे धर्मियों यहोवा के कारण आनन्दित और मगन हो, और हे सब सीधे मनवालों आनन्द से जयजयकार करो!”—भजन ३२:११.
क्या आप समझा सकते हैं?
◻ इस्राएल में सा.यु.पू. ९०५ में कौन-से बदलाव आए?
◻ आज का येहू कौन है और “बड़ी भीड़” ने यह कैसे दिखाया है कि उनका ‘मन’ उसकी ओर ‘निष्कपट’ है?
◻ वार्षिक रिपोर्ट के कौन-से आँकड़े उस जोश का बयान करते हैं जिसे यहोवा के साक्षियों ने १९९७ सेवा वर्ष के दौरान दिखाया?
◻ शैतान हमारे ख़िलाफ़ चाहे जो भी करे, १९९८ सेवा वर्ष के दौरान हम कौन-सी आत्मा दिखाएँगे?
[पेज 18-21 पर चार्ट]
संसार-भर में यहोवा के साक्षियों की १९९७ सेवा वर्ष रिपोर्ट
(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)
[पेज 15 पर तसवीर]
स्मारक पर बेमिसाल हाज़िरी भविष्य में बढ़ोतरी की अच्छी संभावनाएँ दिखाती है
[पेज 16 पर तसवीर]
यहोनादाब ने जिस तरह येहू को समर्थन दिया, वैसे ही “बड़ी भीड़” आज बड़े येहू, यीशु मसीह और उसके अभिषिक्त भाइयों को समर्थन देती है