“हमारे परमेश्वर यहोवा के तुल्य कौन है?”
“हमारे परमेश्वर यहोवा के तुल्य कौन है? वह तो ऊंचे पर विराजमान है।”—भजन ११३:५.
१, २. (क) यहोवा के गवाह परमेश्वर और बाइबल को किस दृष्टिकोण से देखते हैं? (ख) कौन-से प्रश्न ध्यान देने योग्य हैं?
यहोवा की स्तुति करनेवाले वास्तव में धन्य हैं। इस आनन्दित भीड़ में होना क्या ही विशेषाधिकार है! उसके गवाहों के रूप में, हम परमेश्वर के वचन, बाइबल की सलाह, नियम, शिक्षाएं, प्रतिज्ञाएं, और भविष्यवाणियां स्वीकार करते हैं। हम शास्त्रवचनों से सीखने और “परमेश्वर के सिखाए हुए” होने पर ख़ुश हैं।—यूहन्ना ६:४५.
२ परमेश्वर के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा होने के कारण, यहोवा के गवाह पूछ सकते हैं: “हमारे परमेश्वर यहोवा के तुल्य कौन है?” (भजन ११३:५) भजनहार के ये शब्द विश्वास सूचित करते हैं। लेकिन गवाह परमेश्वर पर इतना विश्वास क्यों करते हैं? और उनके पास यहोवा की स्तुति करने के क्या कारण हैं?
विश्वास और स्तुति उचित
३. हालेल भजन क्या हैं, और उनको यह नाम क्यों दिया गया है?
३ यहोवा पर विश्वास उचित है क्योंकि वह अद्वितीय परमेश्वर है। भजन ११३, ११४, और ११५ में इस पर ज़ोर दिया गया है, जो छः हालेल (स्तुति) भजन के भाग हैं। हिलेल के राबिनी स्कूल के अनुसार, भजन ११३ और ११४ यहूदी फसह भोज के दौरान दाखरस के दूसरे प्याले ढ़ालने और उत्सव का महत्त्व समझाने के बाद गाए जाते थे। भजन ११५ से ११८ तक दाखरस के चौथे प्याले के बाद गाए जाते थे। (मत्ती २६:३० से तुलना कीजिए.) इन्हें “हालेल भजन” कहा जाता है क्योंकि ये बार-बार विस्मयादिबोधक हल्लिलूयाह!—“याह की स्तुति करो!” का प्रयोग करते हैं।
४. “हल्लिलूयाह” शब्द का क्या अर्थ है, और यह बाइबल में कितनी बार आता है?
४ “हल्लिलूयाह!” एक इब्रानी अभिव्यक्ति का लिप्यंतरण है जो भजन संहिता में २४ बार आता है। बाइबल में दूसरी जगहों पर, इसका यूनानी रूपान्तर चार बार बड़े बाबुल, झूठे धर्म के विश्व साम्राज्य, के विनाश पर आनन्द अनुभव करने और यहोवा परमेश्वर का राजा के रूप में राज्य शुरू करने से संलग्न आनन्द के विषय में आता है। (प्रकाशितवाक्य १९:१-६) अब जब हम हालेल भजनों में से तीन की जांच करेंगे, हम यहोवा की स्तुति में इन गीतों को गाते हुए स्वयं अपनी कल्पना कर सकते हैं।
याह की स्तुति करो!
५. भजन ११३ कौन-से प्रश्न का उत्तर देता है, और भजन ११३:१, २ की आज्ञा ख़ासकर किस पर लागू होती है?
५ भजन ११३ इस प्रश्न का उत्तर देता है, यहोवा की स्तुति क्यों करें? यह एक आज्ञा के साथ शुरू होता है: “याह की स्तुति करो! हे यहोवा के दासो स्तुति करो, यहोवा के नाम की स्तुति करो! यहोवा का नाम अब से लेकर सर्वदा तक धन्य कहा जाय!” (भजन ११३:१, २) “हल्लिलूयाह!” हाँ, “याह की स्तुति करो!” यह आज्ञा ख़ासकर इस “अन्त समय” में परमेश्वर के लोगों पर लागू होती है। (दानिय्येल १२:४) अब से लेकर अनन्तकाल तक, यहोवा का नाम पूरी पृथ्वी पर ऊंचा किया जाएगा। उसके गवाह अब घोषित करते हैं कि यहोवा परमेश्वर है, मसीह राजा है, और राज्य स्वर्ग में स्थापित हो गया है। शैतान अर्थात् इब्लीस और उसका संगठन यहोवा की इस स्तुति को नहीं रोक सकते हैं।
६. किस प्रकार यहोवा की “उदयाचल से लेकर अस्ताचल तक” स्तुति हो रही है?
६ स्तुति का यह गीत बढ़ता जाएगा जब तक यहोवा इसे पृथ्वी में न भर दे। “उदयाचल से लेकर अस्ताचल तक, यहोवा का नाम स्तुति के योग्य है।” (भजन ११३:३) इसका अर्थ कुछ पार्थिव प्राणियों द्वारा दैनिक उपासना से ज़्यादा है। सूरज पूर्व से निकलता है और पश्चिम में ढ़लता है, पूरी पृथ्वी पर फैलता है। जहां भी सूरज चमकता है, जल्द ही वहां उन सभी लोगों द्वारा यहोवा के नाम की स्तुति होगी, जो झूठे धर्म और शैतान के संगठन की बंधुआई से मुक्त किए गए हैं। वास्तव में, यह गीत जो कभी समाप्त नहीं होगा, अभी यहोवा के अभिषिक्त गवाहों और जो उसके राजा, यीशु मसीह के पार्थिव बच्चे होंगे, उनके द्वारा गाया जा रहा है। यहोवा की स्तुति के गायकों के रूप में उनका क्या ही विशेषाधिकार है!
यहोवा अतुलनीय है
७. यहोवा की सर्वोच्चता के कौन-से दो पहलू भजन ११३:४ में दिए गए हैं?
७ भजनहार आगे कहता है: “यहोवा सारी जातियों के ऊपर महान है, और उसकी महिमा आकाश से भी ऊंची है।” (भजन ११३:४) यह परमेश्वर की सर्वोच्चता के दो पहलुओं की ओर ध्यान देता है: (१) “सारी जातियों के ऊपर महान,” सर्वोच्च, यहोवा के सामने, वे डोल की एक बून्द वा पलड़ों पर की धूलि के तुल्य हैं; (यशायाह ४०:१५; दानिय्येल ७:१८) (२) उसकी महिमा भौतिक स्वर्ग से कहीं ज़्यादा अधिक है, क्योंकि स्वर्गदूत उसकी सर्वसत्ताक इच्छा पूरी करते हैं।—भजन १९:१, २; १०३:२०, २१.
८. स्वर्ग और पृथ्वी के मामलों पर ध्यान देने के लिए यहोवा क्यों और कैसे नीचे झुकता है?
८ परमेश्वर की उच्चता से प्रभावित होकर, भजनहार ने कहा: “हमारे परमेश्वर यहोवा के तुल्य कौन है? वह तो ऊंचे पर विराजमान है, और आकाश और पृथ्वी पर भी, दृष्टि करने के लिये झुकता है।” (भजन ११३:५, ६) परमेश्वर इतना उच्च है कि उसे स्वर्ग और पृथ्वी के मामलों पर ध्यान देने के लिए नीचे झुकना पड़ता है। जबकि यहोवा किसी से नीचा या दूसरों के अधीन नहीं है, वह निम्न पापियों के साथ दया और करुणा से व्यवहार करने में नम्रता दिखाता है। अभिषिक्त मसीहियों और मानवजाति के लिए अपने पुत्र, यीशु मसीह को “प्रायश्चित्तिक बलिदान” के रूप में दे देना यहोवा की नम्रता की अभिव्यक्ति है।—१ यूहन्ना २:१, २, NW.
यहोवा करुणामय है
९, १०. यहोवा किस प्रकार ‘दरिद्र को उठाकर प्रधानों के संग बैठाता’ है?
९ परमेश्वर की करुणा पर ज़ोर देते हुए, भजनहार आगे कहता है कि यहोवा “कंगाल को मिट्टी पर से, और दरिद्र को घूरे पर से उठाकर ऊंचा करता है, कि उसको प्रधानों के संग, अर्थात् अपनी प्रजा के प्रधानों के संग बैठाए। वह बांझ को घर में लड़कों की आनन्द करनेवाली माता बनाता है। याह की स्तुति करो!” (भजन ११३:७-९) यहोवा के लोगों को यह विश्वास है कि वह ख़रे ज़रूरतमंदों को छुड़ा सकता है, उनकी स्थिति बदल सकता है, और उनकी उचित ज़रूरतों और अभिलाषाओं को तृप्त कर सकता है। ‘जो महान और उत्तम है, नम्र लोगों के हृदय और खेदित लोगों के मन को हर्षित करता है।’—यशायाह ५७:१५.
१० यहोवा किस प्रकार ‘दरिद्र को उठाकर प्रधानों के संग बैठाता है’? जब परमेश्वर की इच्छा होती है, तो वह अपने सेवकों को प्रधानों के बराबर की महिमा वाले पदों पर डाल देता है। उसने युसुफ के मामले में ऐसा किया था, जो मिस्र का खाद्य प्रशासक बना। (उत्पत्ति ४१:३७-४९) इस्राएल में, प्रधानों, या यहोवा के लोगों के मध्य अधिकारी पुरुषों के संग बैठना, एक क़दर करने योग्य विशेषाधिकार था। आज के मसीही प्राचीनों के समान, ऐसे पुरुषों को परमेश्वर की सहायता और आशीष थी।
११. ऐसा क्यों कहा जा सकता है कि भजन ११३:७-९ ख़ासकर आधुनिक समय के यहोवा के लोगों पर लागू होता है?
११ ‘बांझ को आनन्द करनेवाली माता बनाने’ के विषय में क्या? परमेश्वर ने बांझ हन्ना को एक पुत्र दिया—शमूएल, जिसे उसने उसकी सेवा में अर्पित कर दिया। (१ शमूएल १:२०-२८) इससे भी ज़्यादा महत्त्वपूर्ण, यीशु से शुरू होकर और सा.यु. ३३ में पिन्तेकुस्त पर उसके चेलों पर पवित्र आत्मा उंडेलने के साथ, परमेश्वर की प्रतीकात्मक स्त्री, स्वर्गीय सिय्योन, ने आध्यात्मिक बच्चों को जन्म देना शुरू कर दिया। (यशायाह ५४:१-१०, १३; प्रेरितों २:१-४) और जिस प्रकार परमेश्वर ने यहूदियों को बाबुल में निर्वासन के बाद अपनी मातृ-भूमि में लौटा दिया था, वैसे ही १९१९ में उसने “परमेश्वर के इस्राएल” के अभिषिक्त शेष जनों को बाबुल की बंधुआई से स्वतंत्र किया और उनको इतनी ज़्यादा आध्यात्मिक आशीष दी है कि भजन ११३:७-९ के शब्द उन पर लागू होते हैं। (गलतियों ६:१६) यहोवा के वफ़ादार गवाहों के रूप में, आध्यात्मिक इस्राएल के शेष जन और उनके साथी जिनकी पार्थिव आशाएं हैं, भजन ११३ के इन अन्तिम शब्दों के प्रति हृदय से प्रतिक्रिया दिखा रहे हैं: “याह की स्तुति करो!”
यहोवा की अद्वितीयता का प्रमाण
१२. भजन ११४ किस प्रकार यहोवा की अद्वितीयता को दिखाता है?
१२ भजन ११४ इस्राएलियों से सम्बद्ध अद्वितीय घटनाओं का हवाला देते हुए यहोवा की अद्वितीयता को दिखाता है। भजनहार ने गाया: “जब इस्राएल ने मिस्र से, अर्थात् याकूब के घराने ने अन्य भाषावालों के बीच में कूच किया, तब यहूदा यहोवा का पवित्रस्थान और इस्राएल उसके राज्य के लोग हो गए।” (भजन ११४:१, २) परमेश्वर ने इस्राएल को मिस्रियों की दासता से छुड़ाया, जिनकी भाषा से वे अपरिचित थे। यहोवा के लोगों का छुटकारा, जिन्हें काव्यात्मक समान्तरता में यहूदा और इस्राएल कहा जाता है, दिखाता है कि परमेश्वर अपने सभी सेवकों को आज छुड़ा सकता है।
१३. भजन ११४:३-६ किस प्रकार यहोवा की सर्वोच्चता को दिखाता है और प्राचीन इस्राएल के अनुभवों पर लागू होता है?
१३ सारी सृष्टि पर यहोवा की सर्वसत्ता इन शब्दों में सुस्पष्ट होती है: “समुद्र देखकर भागा, यर्दन नदी उलटी बही। पहाड़ मेंढ़ों की नाईं उछलने लगे, और पहाड़ियां भेड़-बकरियों के बच्चों की नाईं उछलने लगीं। हे समुद्र, तुझे क्या हुआ, कि तू भागा? और हे यर्दन तुझे क्या हुआ, कि तू उलटी बही? हे पहाड़ों तुम्हें क्या हुआ, कि तुम भेड़ों की नाईं, और हे पहाड़ियों तुम्हें क्या हुआ, कि तुम भेड़-बकरियों के बच्चों की नाईं उछलीं?” (भजन ११४:३-६) लाल समुद्र “भागा” जब परमेश्वर ने उसके बीच से अपने लोगों के लिए मार्ग निकाला। तब इस्राएलियों ने यहोवा के महान हाथ को मिस्रियों के विरुद्ध क्रियाशील देखा, जो लौटते पानी में मर गए। (निर्गमन १४:२१-३१) ईश्वरीय शक्ति के समान प्रदर्शन में, यर्दन नदी “उलटी बही,” जिससे कि इस्राएली पार करके कनान जा सके। (यहोशू ३:१४-१६) ‘पहाड़ मेंढ़ों की नाईं उछले’ जब व्यवस्था वाचा स्थापित करते समय सीनै पर्वत धुएं से भर गया और कांप उठा। (निर्गमन १९:७-१८) अपने गीत की समाप्ति के क़रीब भजनहार बातों को प्रश्न के रूप में डालता है, शायद यह सुझाते हुए कि निर्जीव समुद्र, नदी, पहाड़, और पहाड़ियां यहोवा की शक्ति के इन प्रदर्शनों से विस्मयाकुल हो गए।
१४. यहोवा की शक्ति से मरीबा और कादेश में क्या हुआ था, और इससे उसके आधुनिक-दिन के सेवकों पर क्या प्रभाव होना चाहिए?
१४ यहोवा की शक्ति की ओर और भी संकेत करते हुए, भजनहार ने गाया: “हे पृथ्वी प्रभु के साम्हने, हां याकूब के परमेश्वर के साम्हने थरथरा। वह चट्टान को जल का ताल, चकमक के पत्थर को जल का सोता बना डालता है।” (भजन ११४:७, ८) इस प्रकार लाक्षणिक रूप से, भजनहार यह दिखाता है कि मानवजाति को सारी पृथ्वी के प्रभु और विश्व शासक, यहोवा का भय मानना चाहिए। वह ‘याकूब का परमेश्वर,’ या इस्राएल का परमेश्वर था, और वह आध्यात्मिक इस्राएलियों और उनके पार्थिव साथियों का भी परमेश्वर है। मरीबा और कादेश के जंगल में, यहोवा ने ‘चट्टान को जल का ताल, चकमक के पत्थर को जल का सोता’ बनाते हुए, चमत्कारिक रूप से इस्राएलियों को पानी देकर अपनी शक्ति दिखाई। (निर्गमन १७:१-७; गिनती २०:१-११) यहोवा की विस्मयकारी शक्ति और स्नेही देखरेख के ऐसे तकाज़े उसके गवाहों को उस पर संदेहरहित विश्वास के ठोस कारण देते हैं।
मूरत देवताओं से भिन्न
१५. भजन ११५ शायद किस प्रकार गाया जाता हो?
१५ भजन ११५ हम से आग्रह करता है कि यहोवा की स्तुति करें और उस पर भरोसा रखें। यह आशीषों और सहायता का श्रेय उसे देता है और प्रमाणित करता है कि मूर्तियाँ व्यर्थ हैं। शायद यह भजन प्रतिगान के रूप में गाया गया हो। अर्थात्, एक आवाज़ शायद यह गाए: “हे यहोवा के डरवैयो, यहोवा पर भरोसा रखो!” सभा ने जवाब दिया हो: “तुम्हारा सहायक और ढाल वही है।”—भजन ११५:११.
१६. यहोवा और राष्ट्रों की मूरतों के बीच क्या विषमता की जा सकती है?
१६ महिमा हमें नहीं बल्कि यहोवा के नाम को जानी चाहिए, जो करुणा, या निष्ठापूर्ण प्रेम, और सच्चाई का परमेश्वर है। (भजन ११५:१) दुश्मन ताना मारकर पूछ सकते हैं: ‘उनका परमेश्वर कहां है?’ लेकिन यहोवा के लोग जवाब दे सकते हैं: ‘हमारा परमेश्वर स्वर्ग में है; वह जो चाहता है वही करता है।’ (आयतें २, ३) जबकि, राष्ट्रों की मूर्तियाँ कुछ नहीं कर सकतीं, क्योंकि वे मानव-निर्मित चाँदी और सोने की प्रतिमाएँ हैं। उनके मूँह, आँखें, और कान होने के बावजूद भी, वे गूंगी, अंधी, और बहरी हैं। उनके नाक तो हैं परन्तु वे सूंघ नहीं सकतीं, पांव तो हैं परन्तु वे चल नहीं सकतीं, और कण्ठ तो हैं परन्तु कुछ शब्द नहीं निकाल सकतीं। जो ऐसी शक्ति-विहीन मूर्तियों को बनाते हैं और जो उन पर भरोसा रखते हैं उन्हीं के जैसे निर्जीव हो जाएंगे।—आयतें ४-८.
१७. क्योंकि मृतक यहोवा की स्तुति नहीं कर सकते, तो हमें क्या करना चाहिए, और किस प्रत्याशा के साथ?
१७ इसके बाद यहोवा पर भरोसा रखने के लिए प्रोत्साहन दिया गया है, जो इस्राएल का, हारून के याजकीय घराने का, और परमेश्वर के सब डरवैयों का सहायक और बचाव-ढाल है। (भजन ११५:९-११) यहोवा के डरवैये होने के नाते, हमें परमेश्वर के प्रति गहरी श्रद्धा है और उसे नाराज़ करने का उचित भय है। हमें यह भी विश्वास है कि “आकाश और पृथ्वी का कर्त्ता” अपने निष्ठावान उपासकों को आशीष देता है। (आयतें १२-१५) स्वर्ग उसके सिंहासन का स्थान है, लेकिन परमेश्वर ने पृथ्वी को निष्ठावान और आज्ञाकारी मानवजाति का अनन्तकालीन घर बनाया है। क्योंकि मौन, मूर्छित मृतक यहोवा की स्तुति नहीं कर सकते, हम, जीवित जन, ने पूर्ण भक्ति और निष्ठा के साथ ऐसा करना चाहिए। (सभोपदेशक ९:५) केवल वे जो यहोवा की स्तुति करते हैं अनन्त जीवन का आनन्द ले सकेंगे और हमेशा “याह की स्तुति” कर सकेंगे, “सर्वदा तक” उसकी बढ़ाई कर सकेंगे। इसलिए हम सब उन के साथ निष्ठा से हो लें जो इस प्रोत्साहन को स्वीकार कर रहे हैं: “याह की स्तुति करो!”—भजन ११५:१६-१८.
यहोवा के प्रशंसनीय गुण
१८, १९. किन तरीकों से यहोवा के गुण उसे झूठे ईश्वरों से भिन्न करते हैं?
१८ निर्जीव मूर्तियों से भिन्न, यहोवा जीवित परमेश्वर, प्रशंसनीय गुण प्रदर्शित करता है। वह प्रेम का साक्षात् रूप है और “दयालु और अनुग्रहकारी, कोप करने में धीरजवन्त, और अति करुणामय” है। (निर्गमन ३४:६; १ यूहन्ना ४:८) वह क्रूर कनानी देवता मोलेक से कितना भिन्न है, जिसे बच्चों की बलि चढ़ाई जाती थी! ऐसा सुझाव है कि इस देवता की प्रतिमा में पुरुष का शरीर और बैल का सिर था। बताया जाता है कि मूर्ति को लाल तप्त गरम किया जाता था, और बच्चों को उसकी खुली बांहों में फेंक दिया जाता था, जो नीचे दहकती भट्टी में गिर जाते थे। लेकिन यहोवा इतना प्रेमी और दयालु है कि इस प्रकार की मानव बलि का विचार तक ‘[उसके] मन में कभी न आया।’—यिर्मयाह ७:३१.
१९ यहोवा के मुख्य गुणों में परिपूर्ण न्याय, असीम बुद्धि, और सर्वशक्ति भी सम्मिलित है। (व्यवस्थाविवरण ३२:४; अय्यूब १२:१३; यशायाह ४०:२६) पौराणिक ईश्वरों के बारे में क्या? न्याय करने के बजाय, बाबुल के देवी-देवता प्रतिकारी थे। मिस्री ईश्वर बुद्धि के आदर्श नहीं थे बल्कि वे मानवी कमज़ोरियों के साथ चित्रित किए जाते थे। इसमें कोई अचम्भे की बात नहीं है, क्योंकि झूठे देवी-देवता “बुद्धिहीन” मनुष्यों के बनाए हुए हैं जो बुद्धिमान होने का दावा करते हैं। (रोमियों १:२१-२३, NW) ऐसा अनुमान है कि यूनानी ईश्वर एक दूसरे के विरुद्ध षड्यंत्र रचते थे। उदाहरण के लिए, पौराणों में, ज़ीयस ने अपने पिता, क्रोनोस को सिंहासन से उतारकर अपनी शक्ति का दुष्प्रयोग किया, जिसने स्वयं अपने पिता, युरेनस को गद्दी से उतार दिया था। यहोवा जो जीवित और सच्चा परमेश्वर है, परिपूर्ण प्रेम, न्याय, बुद्धि, और शक्ति का प्रदर्शन करता है, उसकी सेवा और स्तुति करना क्या ही आशीष है!
यहोवा अनन्तकालीन स्तुति के योग्य
२०. राजा दाऊद ने यहोवा के नाम की स्तुति करने के लिए क्या कारण दिए?
२० जैसे कि हालेल भजन दिखाते हैं, यहोवा अनन्तकालीन स्तुति के योग्य है। इसी प्रकार, जब दाऊद और संगी इस्राएलियों ने मंदिर निर्माण के लिए योगदान दिया, तब उसने सभा के सामने कहा: “हे यहोवा! हे हमारे मूल पुरुष इस्राएल के परमेश्वर! अनादिकाल से अनन्तकाल तक तू धन्य है। हे यहोवा! महिमा, पराक्रम, शोभा, सामर्थ्य और विभव, तेरा ही है; क्योंकि आकाश और पृथ्वी में जो कुछ है, वह तेरा ही है; हे यहोवा! राज्य तेरा है, और तू सभों के ऊपर मुख्य और महान ठहरा है। धन और महिमा तेरी ओर से मिलती हैं, और तू सभों के ऊपर प्रभुता करता है। सामर्थ्य और पराक्रम तेरे ही हाथ में हैं, और सब लोगों को बढ़ाना और बल देना तेरे हाथ में है। इसलिये अब हे हमारे परमेश्वर! हम तेरा धन्यवाद और तेरे महिमायुक्त नाम की स्तुति करते हैं।”—१ इतिहास २९:१०-१३.
२१. प्रकाशितवाक्य १९:१-६ स्वर्गीय दलों द्वारा यहोवा की स्तुति किए जाने के विषय में क्या प्रमाण देता है?
२१ यहोवा को स्वर्ग में भी अनन्तकाल तक धन्य कहा जाएगा और उसकी स्तुति होगी। प्रेरित यूहन्ना ने “स्वर्ग में . . . बड़ी भीड़” को कहते सुना: “हल्लिलूय्याह उद्धार, और महिमा, और सामर्थ हमारे परमेश्वर ही की है। क्योंकि उसके निर्णय सच्चे और ठीक हैं, इसलिए कि उसने उस बड़ी वेश्या [बड़ी बाबुल] का जो अपने व्यभिचार से पृथ्वी को भ्रष्ट करती थी, न्याय किया, और उस से अपने दासों के लोहू का पलटा लिया है।” उन्होंने फिर कहा: “हल्लिलूय्याह!” “चौबीसों प्राचीनों और चारों प्राणियों” ने भी यही कहा। सिंहासन में से एक आवाज़ ने कहा: “हे हमारे परमेश्वर से सब डरनेवाले दासो, क्या छोटे, क्या बड़े; तुम सब उसकी स्तुति करो।” फिर यूहन्ना आगे कहता है: “मैं ने बड़ी भीड़ का सा, और बहुत जल का सा शब्द, और गर्जनों का सा बड़ा शब्द सुना, कि हल्लिलूय्याह, इसलिये कि प्रभु हमारा परमेश्वर, सर्वशक्तिमान राज्य करता है।”—प्रकाशितवाक्य १९:१-६.
२२. यहोवा के प्रतिज्ञात नए संसार में उसकी स्तुति किस प्रकार की जाएगी?
२२ कितना उचित है कि स्वर्गीय दल यहोवा की स्तुति करते हैं! जल्द ही आनेवाले उसके नए संसार में, पुनःजीवित वफ़ादार जन याह की स्तुति करने में इस रीति-व्यवस्था के अन्त से बचनेवालों के साथ मिल जाएंगे। ऊंचे पहाड़ यहोवा की स्तुतिगान में अपने सिर उठाएंगे। हरी-भरी पहाड़ियां और फलदार पेड़ उसकी स्तुति गाएंगे। क्यों, हर प्राणी जो जीवित है और सांस लेता है यहोवा के नाम की स्तुति बड़े हल्लिलूयाह कोरस में करेगा! (भजन १४८) क्या आपकी आवाज़ उस आनन्दित भीड़ में सुनाई देगी? वह सुनाई देगी यदि आप निष्ठा से याह की सेवा उसके लोगों के साथ करें। यह आपके जीवन का उद्देश्य होना चाहिए, क्योंकि हमारे परमेश्वर यहोवा के तुल्य कौन है?
आप किस प्रकार उत्तर देंगे?
▫ यहोवा परमेश्वर की स्तुति क्यों करें?
▫ किन तरीकों में यहोवा अतुलनीय है?
▫ क्या प्रमाण है कि यहोवा करुणामय है?
▫ किस प्रकार यहोवा निर्जीव मूर्तियों और झूठे ईश्वरों से भिन्न है?
▫ हम क्यों कह सकते हैं कि यहोवा को स्वर्ग और पृथ्वी पर अनन्तकालीन स्तुति मिलेगी?
[पेज 16 पर तसवीरें]
हालेल भजन फसह भोज के दौरान गाए जाते थे