क्या आप यहोवा की चितौनियों से बहुत प्रीति रखते हैं?
“मैं तेरी चितौनियों को जी से मानता हूं, और उन से बहुत प्रीति रखता आया हूं।” —भजन 119:167.
1. यहोवा की चितौनियाँ खासकर कहाँ पर बार-बार दी गई हैं?
यहोवा चाहता है कि उसके लोग खुश रहें। अगर हम सच्ची खुशी पाना चाहते हैं तो हमें उसके नियमों और आज्ञाओं के मुताबिक चलना होगा। इसके लिए परमेश्वर हमें चितौनियाँ देता है, वह हमें अपने नियम बार-बार याद दिलाता है। हम उसकी चितौनियाँ बाइबल में कई जगहों पर पाते हैं, खासकर भजन 119 में, जिसे शायद यहूदा के राजकुमार हिजकिय्याह ने लिखा था। यह बहुत ही सुंदर भजन है जिसके बोल इस तरह शुरू होते हैं: “क्या ही धन्य हैं वे जो चाल के खरे हैं, और यहोवा की व्यवस्था पर चलते हैं! क्या ही धन्य हैं वे जो उसकी चितौनियों को मानते हैं, और पूर्ण मन से उसके पास आते हैं!”—भजन 119:1, 2.
2. हमारी खुशी का, परमेश्वर की चितौनियों के साथ क्या संबंध है?
2 हम परमेश्वर के वचन बाइबल का सही ज्ञान लेते हैं और उसे अपनी ज़िंदगी में लागू करते हैं, इस तरह हम “यहोवा की व्यवस्था पर चलते हैं।” लेकिन असिद्ध होने की वजह से, हमें चितौनियों की ज़रूरत है। “चितौनियों” के लिए जिस इब्रानी शब्द का इस्तेमाल किया गया है, उससे यह अर्थ निकलता है कि परमेश्वर अपनी व्यवस्था, आज्ञाएँ, कायदे, आदेश और कानून हमको स्मरण दिलाता है। (मत्ती 10:18-20) अगर हम चाहते हैं कि हमारी खुशी बनी रहे तो यह बहुत ज़रूरी है कि हम उसकी चितौनियों के मुताबिक हमेशा चलते रहें, वरना हम आध्यात्मिक रूप से अंधकार में पड़ सकते हैं, और इसका नतीजा बहुत ही खतरनाक और दुःखद हो सकता है।
यहोवा की चितौनियाँ मानने में लवलीन रहिए
3. भजन 119:60, 61 के आधार पर हमें किस बात का पूरा विश्वास है?
3 भजनहार को परमेश्वर की चितौनियाँ बहुत प्यारी थीं इसलिए उसने भजन में गाया: “मैं ने तेरी आज्ञाओं के मानने में विलम्ब नहीं, फुर्ती की है। मैं दुष्टों की रस्सियों से बन्ध गया हूं, तौभी मैं तेरी व्यवस्था को नहीं भूला।” (भजन 119:60, 61) यहोवा की चितौनियाँ हमें हर तरह की तकलीफों को सहने की ताकत देती हैं क्योंकि हमें पूरा विश्वास होता है कि स्वर्ग में रहनेवाला हमारा पिता हमें दुष्टों के बंधनों से मुक्त कर सकता है। सही समय पर परमेश्वर हमारी सभी बाधाओं को दूर कर देता है और हम राज्य का प्रचार काम जारी रख पाते हैं।—मरकुस 13:10.
4. परमेश्वर द्वारा चितौनियाँ मिलने पर हमें कैसा रवैया अपनाना चाहिए?
4 कभी-कभी यहोवा हमें सुधारने के लिए भी चितौनियाँ देता है। आइए ऐसी ताड़ना को हम खुशी से कबूल करें ठीक जैसे भजनहार ने किया था। उसने परमेश्वर से प्रार्थना में कहा: ‘तेरी चितौनियाँ मेरे सुख का मूल हैं, मैं तेरी चितौनियों में प्रीति रखता हूं।’ (भजन 119:24, 119) परमेश्वर ने भजनहार को अपने नियम इतनी बार याद नहीं दिलाए थे, जितने आज हमें याद दिलाए जाते हैं। यूनानी शास्त्र में, इब्रानी शास्त्र के सैकड़ों हवाले दिए गए हैं जो हमें न सिर्फ इस्राएलियों को व्यवस्था में दी गई यहोवा की हिदायतों की याद दिलाते हैं, बल्कि यह भी कि मसीही कलीसिया के बारे में उसके मकसद क्या हैं। इसलिए जब कभी यहोवा हमें उसके नियम से संबंधित बातें याद दिलाता है तो हमें उसका एहसानमंद होना चाहिए। हमें ‘उसकी चितौनियाँ मानने में लवलीन रहना’ चाहिए, तब हम ऐसी पापपूर्ण अभिलाषाओं में नहीं फँसेंगे, जिनसे परमेश्वर नाराज़ होता है और जिनसे हमारी खुशियाँ भी छिन सकती हैं।—भजन 119:31.
5. हम यहोवा की चितौनियों से बहुत प्रीति कैसे रख सकते हैं?
5 यहोवा की चितौनियों के लिए हमें कितना प्यार होना चाहिए? भजनहार ने कहा: “मैं तेरी चितौनियों को जी से मानता हूं, और उन से बहुत प्रीति रखता आया हूं।” (तिरछे टाइप हमारे।) (भजन 119:167) जब यहोवा हमें चितौनियाँ देता है, तो हमें उन्हें अपने पिता से मिली सलाह समझकर मान लेना चाहिए जो हमारी भलाई चाहता है। तभी हम भजनहार की तरह यहोवा की चितौनियों से बहुत प्रीति रख पाएँगे। (1 पतरस 5:6, 7) हम सभी को वाकई उसकी चितौनियों की ज़रूरत है और जैसे-जैसे हम उन्हें मानने के फायदे देखेंगे, वैसे-वैसे हमारे दिल में उनके लिए प्यार भी बढ़ता जाएगा।
हमें परमेश्वर की चितौनियों की ज़रूरत क्यों है
6. एक कारण क्या है कि हमें यहोवा की चितौनियों की ज़रूरत है और उन्हें हमेशा याद रखने में क्या बात हमारी मदद करेगी?
6 हमें यहोवा की चितौनियाँ की ज़रूरत क्यों है, इसकी एक वजह यह है कि हमें भूलने की आदत होती है। द वर्ल्ड बुक एन्साइक्लोपीडिया कहती है: “इंसानों में यह एक आम फितरत है कि वक्त के गुज़रते वे पुरानी बातें भूल जाते हैं। . . . शायद आपके साथ भी ऐसा हुआ होगा कि एक वक्त पर जो नाम या बात आपको अच्छी तरह याद थी, उसे आज लाख कोशिशों के बावजूद भी याद नहीं कर पाते। . . . और हमारे साथ ऐसा अकसर होता है कि कुछ समय के लिए हम कोई बात पूरी तरह भूल जाते हैं। इस तरह के भुलक्कड़पन को रिट्रीवल फेलियर कहा जाता है। इसके बारे में वैज्ञानिक कहते हैं कि यह ऐसा है मानो एक कमरे में ढेर सारी चीज़ें बिखरी पड़ी हों और उनमें से आप अपनी एक खोई हुई चीज़ ढूँढ़ने की कोशिश कर रहे हों। . . . हो सकता है कि कोई बात आपके दिमाग में अच्छी तरह बैठ गई हो। मगर आप तब तक पक्के तौर पर यह नहीं कह सकते कि वह बात आपको ज़रूर याद रहेगी, जब तक कि आपने उसके बारे में लगातार लंबे समय तक अध्ययन ना किया हो।” बाइबल का गहराई से अध्ययन करने और उसे बार-बार दोहराने पर हमें परमेश्वर की चितौनियाँ हमेशा याद रहेंगी। फिर हम उनके मुताबिक चलकर फायदा भी पाएँगे।
7. पहले से ज़्यादा आज के ज़माने में परमेश्वर की चितौनियों की ज़रूरत क्यों है?
7 खासकर आज हमें यहोवा की चितौनियों की सख्त ज़रूरत है क्योंकि आज दुष्टता इतनी बढ़ गई है, जितनी दुनिया में पहले कभी नहीं थी। हम पर इस दुनिया के बुरे तौर-तरीके अपनाने का प्रलोभन आ सकता है, मगर यहोवा की चितौनियों पर ध्यान देने से हमें ऐसी गहरी समझ मिलेगी जिससे हम प्रलोभन को ठुकरा सकेंगे। भजनहार ने कहा: “मैं अपने सब शिक्षकों से भी अधिक समझ रखता हूं, क्योंकि मेरा ध्यान तेरी चितौनियों पर लगा है। मैं पुरनियों से भी समझदार हूं, क्योंकि मैं तेरे उपदेशों को पकड़े हुए हूं। मैं ने अपने पांवों को हर एक बुरे रास्ते से रोक रखा है, जिस से मैं तेरे वचन के अनुसार चलूं।” (भजन 119:99-101) जी हाँ, अगर हम परमेश्वर की चितौनियों को मानें, तो हम “हर एक बुरे रास्ते” पर चलने से बचेंगे और हम दुनिया के उन लोगों की तरह नहीं होंगे, जिनकी “बुद्धि अन्धेरी हो गयी है और . . . [जो] परमेश्वर के जीवन से अलग किए हुए हैं।”—इफिसियों 4:17-19.
8. अपने विश्वास की परीक्षाओं का सामना करने के लिए हम किस तरह काबिल बन सकते हैं?
8 हमें परमेश्वर की चितौनियों की ज़रूरत इसलिए भी है क्योंकि इनसे हमें इस “अन्त समय” में आ रही कई परीक्षाओं का डटकर मुकाबला करने की हिम्मत मिलती है। (दानिय्येल 12:4) हमें इस तरह बार-बार याद न दिलाया जाए तो हम ‘सुनकर भूलनेवाले’ बन जाएँगे। (याकूब 1:25) लेकिन अगर हम “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” द्वारा तैयार की गई किताबों की मदद से बाइबल का निजी तौर पर, साथ ही कलीसिया के साथ गहराई से अध्ययन करें, तो ये हमें इस काबिल बनाएँगी जिससे हम विश्वास की परीक्षाएँ पार कर सकेंगे। (मत्ती 24:45-47) इन आध्यात्मिक प्रबंधों से हमें परीक्षाओं के दौरान यह समझ मिलेगी कि हमें कौन-सा रास्ता अपनाना चाहिए ताकि यहोवा हमसे खुश हो।
सभाओं की अहमियत
9. ‘मनुष्यों में दान’ कौन हैं और वे संगी विश्वासियों की कैसे मदद करते हैं?
9 आज हमें परमेश्वर की चितौनियाँ कुछ हद तक मसीही सभाओं से मिलती हैं, जहाँ नियुक्त भाई हमें सिखाते हैं। प्रेरित पौलुस ने लिखा कि जब यीशु ‘ऊंचे पर चढ़ा, तो वह बन्धुवाई को बान्ध ले गया, और उसने मनुष्यों को दान दिए।’ फिर उसने आगे कहा: “[मसीह] ने कितनों को प्रेरित नियुक्त करके, और कितनों को भविष्यद्वक्ता नियुक्त करके, और कितनों को सुसमाचार सुनानेवाले नियुक्त करके, और कितनों को रखवाले और उपदेशक नियुक्त करके दे दिया। जिस से पवित्र लोग सिद्ध हो जाएं, और सेवा का काम किया जाए, और मसीह की देह उन्नति पाए।” (इफिसियों 4:8, 11, 12) हम इस बात के लिए कितने एहसानमंद हो सकते हैं कि सभाओं के ज़रिए ये ‘मनुष्यों में दान’ यानी नियुक्त प्राचीन, हमें यहोवा की चितौनियाँ याद दिलाते रहते हैं।
10. इब्रानियों 10:24, 25 में खास मुद्दा क्या है?
10 अगर हमारे दिल में परमेश्वर के प्रबंधों के लिए कदर है तो हम हर हफ्ते, पाँचों सभाओं में हाज़िर होंगे। इस पर ज़ोर देते हुए कि नियमित रूप से भाई-बहनों से मिलना कितना ज़रूरी है, पौलुस ने लिखा: “प्रेम, और भले कामों में उस्काने के लिये एक दूसरे की चिन्ता किया करें। और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें; और ज्यों ज्यों उस दिन को निकट आते देखो, त्यों त्यों और भी अधिक यह किया करो।”—इब्रानियों 10:24, 25.
11. हमें हर सभा से किस तरह फायदे होते हैं?
11 क्या आप इस बात की अहमियत समझते हैं कि सभाओं से हम सबको कितना फायदा मिलता है? हर सप्ताह होनेवाले प्रहरीदुर्ग अध्ययन से हमारा विश्वास मज़बूत होता है, हमें यहोवा की चितौनियों के मुताबिक चलने में मदद मिलती है, साथ ही “संसार की आत्मा” का विरोध करने के लिए हमारी हिम्मत बढ़ती है। (1 कुरिन्थियों 2:12; प्रेरितों 15:31) जन-भाषण में जब हमें वक्ता परमेश्वर के वचन से सिखाते हैं तो उस समय हमें यहोवा की चितौनियाँ और यीशु की “अनन्त जीवन की बातें” सुनने को मिलती हैं। (यूहन्ना 6:68; 7:46 मत्ती 5:1-7:29) थियोक्रेटिक मिनिस्ट्री स्कूल से हमारी सिखाने की कला में और निखार आता है। सेवा-सभा भी हमें बेहतरीन ढंग से मदद करती है। इसमें हम सीखते हैं कि हम किस तरह घर-घर जाकर कुशलता से बात कर सकते हैं और कैसे अच्छे तरीके से रिटर्न विज़िट और बाइबल स्टडी कर सकते हैं। बुक स्टडी के छोटे समूह में हमें दिल खोलकर जवाब देने के कई मौके मिलते हैं, जिनमें अकसर परमेश्वर की चितौनियाँ भी होती हैं।
12, 13. एशिया के एक देश में परमेश्वर के लोगों ने किस तरह मसीही सभाओं के लिए कदरदानी दिखायी?
12 सभाओं में हमेशा हाज़िर रहने से हमें परमेश्वर की चितौनियाँ बार-बार सुनने का मौका मिलता है। इसका फायदा यह होता है कि जब विश्वास की परीक्षा होती है, जैसे युद्ध के समय या तंगहाली के दौरान, तब हम आध्यात्मिक रूप से मज़बूत रहते हैं। एशिया के एक देश में जब युद्ध छिड़ गया और वहाँ के करीब 70 मसीहियों को घर से निकाल दिया गया तब उन्हें एक घने जंगल में रहना पड़ा। हमारे ये भाई-बहन वाकई सभाओं की अहमियत को समझते थे। इसलिए उन्होंने ठान रखा था कि वे किसी भी हाल में सभाएँ आयोजित करेंगे। फिर वे अपने युद्ध-ग्रस्त इलाके में लौटे, और वहाँ से उन्होंने टूटे-फूटे किंगडम हॉल की चीज़ें उठायी और जंगल में जाकर एक नया किंगडम हॉल बना दिया।
13 उसी देश के एक दूसरे हिस्से में भी यहोवा के लोगों ने युद्ध के कई सालों तक धीरज धरा और आज भी वे जोश के साथ परमेश्वर की सेवा कर रहे हैं। उस इलाके के एक प्राचीन से पूछा गया: “भाइयों को मिल-जुलकर रहने में खासकर किस बात ने मदद की थी?” उसका जवाब क्या था? प्राचीन ने कहा, “उन 19 सालों के दौरान हमने एक भी सभा रद्द नहीं की। कभी-कभी बम-विस्फोट की वजह से या दूसरी समस्याओं की वजह से कुछ भाई-बहन सभाओं में पहुँच नहीं पाते थे, मगर सभा कभी रद्द नहीं की गई।” वाकई हमारे ये प्यारे भाई-बहन ‘एक दूसरे के साथ इकट्ठा होने’ की अहमियत को बखूबी जानते हैं।
14. बुज़ुर्ग हन्नाह की आदत से हम क्या सीख सकते हैं?
14 चौरासी साल की विधवा हन्नाह के बारे में कहा गया है कि वह कभी “मन्दिर को नहीं छोड़ती थी।” इसलिए जब नन्हे यीशु को मंदिर में लाया गया तो वह वहाँ मौजूद थी। (लूका 2:36-38) क्या आपने भी यह ठाना है कि आप हर सभा में ज़रूर हाज़िर होंगे? क्या आप सम्मेलनों और अधिवेशनों के हर दिन, शुरू से आखिर तक हाज़िर रहने की पूरी-पूरी कोशिश करते हैं? वहाँ हमारी भलाई के लिए परमेश्वर की ओर से जो बातें सिखायी जाती हैं, वह इस बात का जीता-जागता सबूत है कि हमारे पिता को वाकई हमारी परवाह है। (यशायाह 40:11) ऐसे मौकों पर हमें खुशी भी मिलती है, साथ ही हमारी मौजूदगी यह सबूत देती है कि हम यहोवा की चितौनियों की कदर करते हैं।—नहेमायाह 8:5-8, 12.
यहोवा की चितौनियाँ हमें संसार से अलग रखती हैं
15, 16. यहोवा की चितौनियों के अनुसार चलने पर हमारा आचरण कैसा होता है?
15 परमेश्वर की चितौनियों को मानने से हम इस दुष्ट दुनिया से अलग रह पाते हैं। मिसाल के तौर पर, हम लैंगिक अनैतिकता से बचते हैं। (व्यवस्थाविवरण 5:18; नीतिवचन 6:29-35; इब्रानियों 13:4) साथ ही उसकी चितौनियों पर ध्यान देने से हम झूठ बोलने, बेईमानी करने या चोरी करने के प्रलोभन को ठुकरा पाते हैं। (निर्गमन 20:15, 16; लैव्यव्यवस्था 19:11; नीतिवचन 30:7-9; इफिसियों 4:25, 28; इब्रानियों 13:18) यहोवा की चितौनियाँ हमें दूसरों से बदला लेने, उनके खिलाफ मन-मुटाव रखने या उनकी बदनामी करने से भी रोकती हैं।—लैव्यव्यवस्था 19:16, 18; भजन 15:1, 3.
16 जब हम परमेश्वर की चितौनियाँ मानते हैं, तो हम उसकी सेवा करने के लिए शुद्ध या अलग किए जाते हैं। सचमुच, हमारे लिए इस संसार से अलग रहना कितना ज़रूरी है! यीशु ने पृथ्वी पर अपनी ज़िंदगी की आखिरी रात में, अपने प्रेरितों के लिए प्रार्थना करते हुए कहा: “मैं ने तेरा वचन उन्हें पहुंचा दिया है, और संसार ने उन से बैर किया, क्योंकि जैसा मैं संसार का नहीं, वैसे ही वे भी संसार के नहीं। मैं यह बिनती नहीं करता, कि तू उन्हें जगत से उठा ले, परन्तु यह कि तू उन्हें उस दुष्ट से बचाए रख। जैसे मैं संसार का नहीं, वैसे ही वे भी संसार के नहीं। सत्य के द्वारा उन्हें पवित्र कर: तेरा वचन सत्य है।” (यूहन्ना 17:14-17) आइए हम परमेश्वर के वचन की कदर करते रहें जो हमें पवित्र सेवा के लिए अलग रखता है।
17. अगर हम परमेश्वर की चितौनियों को नज़रअंदाज़ कर देंगे तो नतीजा क्या हो सकता है, इसलिए हमें क्या करने की ज़रूरत है?
17 हम चाहते हैं कि यहोवा हमें अपनी पवित्र सेवा के लिए हमेशा इस्तेमाल करता रहे। लेकिन अगर हम यहोवा की चितौनियों को नज़रअंदाज़ कर देंगे, तो हम इस दुनिया के रंग में रंग जाएँगे। आज हम इस दुनिया का रंग लोगों की बोली में, किताबों में, मनोरंजन और चालचलन में बेइंतिहा पाते हैं। जो लोग परमेश्वर से दूर हो जाते हैं, वे पैसे के लालची, स्वार्थी, घमंडी, एहसानफरामोश, बेईमान, हिंसक, ढीठ, अभिमानी, और परमेश्वर के बजाय सुखविलास के चाहनेवाले बन जाते हैं। यहाँ तो सिर्फ चंद अवगुणों का ही ज़िक्र किया गया है। मगर हम कभी भी ऐसे अवगुण नहीं दिखाना चाहेंगे। (2 तीमुथियुस 3:1-5) यह दुष्ट संसार तो नाश के कगार पर आ पहुँचा है, मगर आइए हम परमेश्वर से मदद के लिए प्रार्थना करते रहें ताकि हम यहोवा की चितौनियों पर चलते रह सकें और उसके “वचन के अनुसार सावधान” रह सकें।—भजन 119:9.
18. परमेश्वर की चितौनियों को मानने से हमें कौन-से भले काम करने की प्रेरणा मिलेगी?
18 यहोवा की चितौनियाँ हमें सिर्फ बुरे कामों से ही सावधान नहीं करतीं बल्कि हमें भले काम करने के लिए भी उकसाती हैं। परमेश्वर की चितौनियाँ हमें उस पर पूरा भरोसा रखने, उसे अपने सारे मन, प्राण, बुद्धि और शक्ति के साथ प्रेम रखने के लिए प्रेरित करेंगी। (व्यवस्थाविवरण 6:5; भजन 4:5; नीतिवचन 3:5, 6; मत्ती 22:37; मरकुस 12:30) ये हमें अपने पड़ोसियों से प्रेम करने के लिए भी उकसाएँगी। (लैव्यव्यवस्था 19:18; मत्ती 22:39) हम परमेश्वर के लिए अपना प्यार खासकर उसकी इच्छा पूरी करने के ज़रिए और पड़ोसियों के लिए अपना प्यार खासकर उन्हें “परमेश्वर का ज्ञान” देने के ज़रिए ज़ाहिर करते हैं।—नीतिवचन 2:1-5.
यहोवा की चितौनियाँ मानने का मतलब है जीवन!
19. हम दूसरों को यह समझने में कैसे मदद कर सकते हैं कि यहोवा की चितौनियाँ मानना कारगर और फायदेमंद है?
19 अगर हम यहोवा की चितौनियों को मानें और उन्हें मानने में दूसरों की भी मदद करें तो हम न सिर्फ अपनी बल्कि अपने सुननेवालों की भी जान बचाएँगे। (1 तीमुथियुस 4:16) लेकिन यह समझने में हम दूसरों की मदद कैसे कर सकते हैं कि यहोवा की चितौनियाँ वाकई कारगर और फायदेमंद हैं? खुद अपनी ज़िंदगी में बाइबल के सिद्धांत लागू करने के द्वारा। तब, जो लोग “अनन्त जीवन के लिये ठहराए गए” हैं, उन्हें यह सबूत मिलेगा कि परमेश्वर के वचन में जो मार्ग बताया गया है, वही असल में बेहतरीन मार्ग है। (प्रेरितों 13:48) वे यह भी देखेंगे कि ‘सचमुच परमेश्वर हमारे बीच में है’ और वे भी हमारे साथ इस दुनिया के सम्राट और प्रभु यहोवा की उपासना करने के लिए प्रेरित होंगे।—1 कुरिन्थियों 14:24, 25.
20, 21. परमेश्वर की चितौनियाँ और उसकी पवित्र-आत्मा हमें किस बात के लिए समर्थ करेगी?
20 जब हम बाइबल का लगातार अध्ययन करेंगे, सीखी हुई बातों को ज़िंदगी में लागू करेंगे, साथ ही यहोवा द्वारा किए गए आध्यात्मिक प्रबंधों का लाभ उठाते रहेंगे तो हमारे दिल में भी यहोवा की चितौनियों के लिए बहुत प्रीति बढ़ेगी। यहोवा की चितौनियों को मानने से हम ‘नये मनुष्यत्व को पहिनना सीख सकेंगे जो परमेश्वर के अनुसार सत्य की धार्मिकता, और पवित्रता में सृजा गया है।’ (इफिसियों 4:20-24) यहोवा अपनी चितौनियों और पवित्र-आत्मा के ज़रिए हमें प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज, कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम जैसे गुणों को दिखाने में मदद देगा। ये ऐसे गुण हैं जो आज शैतान के वश में पड़े इस संसार में नहीं पाये जाते। (गलतियों 5:22, 23; 1 यूहन्ना 5:19) इसलिए जब यहोवा हमें निजी बाइबल अध्ययन के दौरान, नियुक्त प्राचीनों के ज़रिए, साथ ही सभाओं, सम्मेलनों और अधिवेशनों में चितौनियाँ देकर अपने नियम याद दिलाता है, तो हमें उसका आभारी होना चाहिए।
21 हम यहोवा की चितौनियों को मानते हैं इसीलिए हम खुश रहते हैं, ऐसे वक्त पर भी जब हमें धार्मिकता के लिए सताया जाता है। (लूका 6:22, 23) हम यहोवा पर भरोसा रखते हैं कि वह खतरनाक से खतरनाक स्थितियों में भी हमारी रक्षा करेगा। और ऐसा भरोसा रखना आज खासकर बहुत ज़रूरी है क्योंकि आज सभी जातियों को “सर्वशक्तिमान परमेश्वर के उस बड़े दिन की लड़ाई” के लिए हर-मगिदोन में इकट्ठा किया जा रहा है।—प्रकाशितवाक्य 16:14-16.
22. यहोवा की चितौनियों के बारे में हमारा क्या संकल्प होना चाहिए?
22 अगर हम परमेश्वर की कृपा से मिलनेवाले अनंत जीवन का वरदान चाहते हैं, तो हमें उसकी चितौनियों से बहुत प्रीति रखनी होगी और उन्हें तहे दिल से मानना होगा। आइए हमारी भावना भी उस भजनहार की तरह हो, जिसने एक भजन में कहा: “तेरी चितौनियां सदा धर्ममय हैं; तू मुझ को समझ दे कि मैं जीवित रहूं।” (भजन 119:144) भजनहार की तरह हमारा भी यह अटल इरादा हो, जो उसके इन शब्दों में ज़ाहिर होता है: “मैं ने तुझ से प्रार्थना की है, तू मेरा उद्धार कर, और मैं तेरी चितौनियों को माना करूंगा।” (भजन 119:146) आइए हम अपनी बोली और कामों से यह प्रमाण दें कि हम यहोवा की चितौनियों से सचमुच बहुत प्रीति रखते हैं।
आपका जवाब क्या होगा?
• भजनहार, यहोवा की चितौनियों के बारे में कैसा महसूस करता था?
• हमें यहोवा की चितौनियों की ज़रूरत क्यों है?
• परमेश्वर की चितौनियों के संबंध में सभाओं की क्या अहमियत है?
• परमेश्वर की चितौनियाँ किस तरह हमें इस संसार से अलग रखती हैं?
[पेज 15 पर तसवीर]
भजनहार, यहोवा की चितौनियों से बहुत प्रीति रखता था
[पेज 16, 17 पर तसवीरें]
क्या आप हन्नाह की मिसाल पर चलते हुए हर सभा में हाज़िर रहने की कोशिश करते हैं?
[पेज 18 पर तसवीर]
यहोवा की चितौनियों को मानने से हम शुद्ध रह पाते हैं जिससे यहोवा हमें अपनी सेवा के लिए इस्तेमाल करता है