अध्याय 17
‘आहा! परमेश्वर की बुद्धि क्या ही गहरी है!’
1, 2. सातवें दिन के लिए यहोवा का मकसद क्या था, और इस दिन की शुरूआत में परमेश्वर की बुद्धि की परीक्षा कैसे हुई?
सबकुछ बरबाद हो गया! सृष्टि के छठे दिन की सबसे बढ़िया और सबसे शानदार रचना इंसान, मानो एकाएक आकाश की ऊँचाइयों से पाताल की गहराइयों में जा गिरा। यहोवा ने “जो कुछ बनाया था,” जिसमें इंसान भी शामिल है, उन सबको उसने “बहुत ही अच्छा” कहा था। (उत्पत्ति 1:31) मगर सातवें दिन की शुरूआत में, आदम और हव्वा ने शैतान का साथ देकर बगावत की राह चुन ली। वे पाप, असिद्धता और मौत के गर्त में जा गिरे।
2 उस वक्त ऐसा लगा होगा कि सातवें दिन के लिए यहोवा का मकसद बुरी तरह नाकाम हो गया है और अब उसके पूरा होने की कोई उम्मीद नहीं। वह दिन भी, पिछले छः दिनों की तरह हज़ारों साल लंबा होता। यहोवा ने उसे पवित्र ठहराया था, और इसके खत्म होते-होते सारी ज़मीन फिरदौस की शक्ल में बदलनी थी और धर्मी इंसानों के परिवार से भर जानी थी। (उत्पत्ति 1:28; 2:3) मगर ऐसी विनाशकारी बगावत के बाद, यह मकसद कैसे पूरा हो सकता था? आखिर परमेश्वर क्या करता? अचानक ऐसे हालात पैदा हो गए थे जिन्होंने यहोवा की बुद्धि की परीक्षा ली और शायद यह उसकी बुद्धि की सबसे बड़ी परीक्षा थी।
3, 4. (क) यहोवा ने अदन की बगावत का जो जवाब दिया वह उसकी विस्मित कर देनेवाली बुद्धि का सबूत कैसे था? (ख) जब हम यहोवा की बुद्धि का अध्ययन करते हैं, तो नम्रता से हमें किस सच्चाई को याद रखना चाहिए?
3 यहोवा ने फौरन कदम उठाया। उसने अदन में बागियों को सज़ा सुनायी, साथ ही जो हैरतअंगेज़ काम वह करनेवाला था उसकी एक झलक भी दी: उसने अपना उद्देश्य ज़ाहिर किया। इन बागियों ने दुःख-तकलीफों के जिस चक्र को अभी-अभी शुरू किया था वह उसका पूरी तरह अंत करनेवाला था। (उत्पत्ति 3:15) अदन से शुरू हुआ यहोवा का यह दूरंदेशी उद्देश्य, इंसानी इतिहास के हज़ारों सालों के दौरान बढ़ता गया और आगे भविष्य में अपने अंजाम तक पहुँचेगा। यहोवा का यह उद्देश्य सीधा-सादा मगर इतना गहरा है कि बाइबल विद्यार्थी सारी ज़िंदगी इसका अध्ययन करने और इसे समझने में लगा सकता है और इससे उसे ढेरों आशीषें मिलेंगी। इसके अलावा, यह तय है कि यहोवा का उद्देश्य हर हाल में कामयाब होगा। यह सारी बुराई, पाप और मौत को जड़ से खत्म कर देगा। यह वफादार इंसानों को सिद्धता तक पहुँचाएगा। यह सब सातवें दिन के खत्म होने से पहले होगा, जिससे तमाम अड़चनों के बावजूद इस ज़मीन और इंसान के लिए यहोवा अपना मकसद बिलकुल सही वक्त पर पूरा कर चुका होगा!
4 ऐसी बेजोड़ बुद्धि देखकर क्या हमारा दिल श्रद्धा से नहीं भर जाता? प्रेरित पौलुस यह लिखने से खुद को रोक न सका: ‘आहा! परमेश्वर की बुद्धि क्या ही गहरी है!’ (रोमियों 11:33, हिन्दुस्तानी बाइबिल) अब हम परमेश्वर के इस गुण के अलग-अलग पहलुओं का अध्ययन करने जा रहे हैं, तो नम्रता दिखाते हुए हमें एक अहम सच्चाई याद रखनी चाहिए—कि हमारा यह अध्ययन ज़्यादा-से-ज़्यादा यहोवा की अथाह बुद्धि के बस किनारों को छूने के बराबर है। (अय्यूब 26:14) आइए, सबसे पहले हम इस गुण की परिभाषा समझें जिसने हमें इतना विस्मित कर दिया है।
परमेश्वर की बुद्धि क्या है?
5, 6. ज्ञान और बुद्धि के बीच क्या रिश्ता है, और यहोवा के पास कितना ज्ञान है?
5 बुद्धि को दूसरे शब्दों में ज्ञान नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इन दोनों में फर्क है। हालाँकि कंप्यूटर में ज्ञान का भंडार होता है, तो भी हममें से कोई इन मशीनों को बुद्धिमान कहने की बात नहीं सोच सकता। मगर, ज्ञान और बुद्धि के बीच एक रिश्ता ज़रूर है। (नीतिवचन 10:14) मिसाल के लिए, अगर आपको किसी गंभीर बीमारी के इलाज के बारे में बुद्धि-भरी और बढ़िया सलाह की ज़रूरत है, तो क्या आप किसी ऐसे शख्स से सलाह लेंगे जिसे चिकित्सा का बहुत कम या ज़रा भी ज्ञान ना हो? हरगिज़ नहीं! तो फिर, सच्ची बुद्धि के लिए सही ज्ञान का होना बेहद ज़रूरी है।
6 यहोवा के पास ज्ञान का अपार भंडार है। वह ‘युग युग का राजा’ है, इसलिए सिर्फ वही है जो हमेशा से मौजूद है। (प्रकाशितवाक्य 15:3) वह बीते अनंत युगों की एक-एक जानकारी रखता है। बाइबल कहती है: “सृष्टि की कोई वस्तु उस से छिपी नहीं है बरन जिस से हमें काम है, उस की आंखों के साम्हने सब वस्तुएं खुली और बेपरद हैं।” (इब्रानियों 4:13; नीतिवचन 15:3) यहोवा सिरजनहार है, इसलिए वह अपनी बनायी हुई हर चीज़ के बारे में पूरी-पूरी समझ रखता है, और शुरू से लेकर अब तक इंसानों ने जो कुछ किया है वह उसने देखा है। वह हर इंसान के दिल की जाँच करता है, और उसकी नज़र से कुछ नहीं बच पाता। (1 इतिहास 28:9) यहोवा ने हमें आज़ाद मरज़ी के साथ बनाया है, इसलिए जब हम अपनी ज़िंदगी में बुद्धिमानी से सही चुनाव करते हैं, तो वह खुश होता है। वह ‘प्रार्थनाओं का सुननेवाला’ है, और एक ही घड़ी में अनगिनत लोगों की प्रार्थनाएँ सुन सकता है! (भजन 65:2) साथ ही, यहोवा बेमिसाल याददाश्त का मालिक है।
7, 8. यहोवा समझ, परख-शक्ति और बुद्धि कैसे दिखाता है?
7 यहोवा के पास ज्ञान से बढ़कर कुछ है। वह देख सकता है कि अलग-अलग तथ्य एक-दूसरे से कैसे जुड़े हैं और किसी मामले की ढेर सारी बारीकियाँ कुल मिलाकर क्या तसवीर पेश कर रही हैं। वह भले और बुरे, महत्त्वपूर्ण और मामूली बातों के बीच फर्क करके, उन्हें जाँचता और न्याय करता है। लेकिन इससे भी बढ़कर, वह सिर्फ ऊपरी तौर पर नहीं देखता बल्कि मामले की तह तक पहुँचता है यहाँ तक कि दिल की गहराई में झाँक सकता है। (1 शमूएल 16:7) इसलिए हम कह सकते हैं कि यहोवा के पास ज्ञान से भी बढ़कर गुण हैं, यानी समझ और परख-शक्ति। फिर भी जहाँ तक बुद्धि का सवाल है, यह इनसे भी श्रेष्ठ है।
8 बुद्धि का मतलब है ज्ञान, समझ और परख-शक्ति से एक-साथ काम लेकर अपने लक्ष्य तक पहुँचना। दरअसल, बाइबल के कुछ मूल शब्द जिनका अनुवाद “बुद्धि” किया गया है, उनका शाब्दिक अर्थ है “कारगर तरीके से काम करने की क्षमता” या “कारगर बुद्धि।” इसका मतलब है कि यहोवा की बुद्धि सिर्फ किताबी नहीं, बल्कि कारगर है और इसके मुताबिक चलने से कामयाबी हासिल होती है। यहोवा अपने अपार ज्ञान और गहरी समझ की वजह से हमेशा सबसे बढ़िया फैसले लेता है और उन्हें इतने बेहतरीन ढंग से अपने अंजाम तक पहुँचाता है जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। यही है सच्ची बुद्धि! यहोवा दिखाता है कि यीशु की कही यह बात कितनी सही है: “बुद्धि की उत्तमता उसके कामों से सिद्ध होती है।” (मत्ती 11:19, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) पूरे जहान में यहोवा के काम, उसकी बुद्धि का ज़बरदस्त सबूत दे रहे हैं।
परमेश्वर की बुद्धि के सबूत
9, 10. (क) यहोवा के पास किस किस्म की बुद्धि है, और उसने यह बुद्धि कैसे दिखायी है? (ख) एक कोशिका यहोवा की बुद्धि का सबूत कैसे देती है?
9 क्या आप कभी ऐसे कारीगर का हुनर देखकर हैरान हुए हैं, जो सुंदर और अच्छी तरह काम करनेवाली एक-से-बढ़कर-एक चीज़ें बनाता है? ऐसी बुद्धि देखकर हम वाकई कायल हो जाते हैं। (निर्गमन 31:1-3) यहोवा ऐसी सारी बुद्धि का सबसे महान स्रोत है। राजा दाऊद ने यहोवा के बारे में कहा: “मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं।” (भजन 139:14) बेशक हम, इंसान के शरीर के बारे में जितनी ज़्यादा जानकारी पाते हैं, उतना ही हमें यहोवा की बुद्धि पर विस्मय होता है।
10 इसे समझने के लिए एक मिसाल लीजिए: आपकी शुरूआत एक कोशिका से हुई यानी माँ का एक अंडाणु जो पिता के शुक्राणु से निषेचित हुआ। बहुत जल्द यह कोशिका विभाजित होने लगी। और इसका नतीजा हुआ, करीब 1,000 खरब कोशिकाओं से बने खुद आप। ये कोशिकाएँ बहुत छोटी होती हैं। सामान्य आकार की लगभग 10,000 कोशिकाएँ एक सुई की नोक पर आ सकती हैं। लेकिन, हरेक की रचना इतनी पेचीदा है कि सोचकर दिमाग चकराने लगता है। यह कोशिका इंसान की बनायी किसी मशीन या फैक्ट्री से कहीं ज़्यादा जटिल है। वैज्ञानिक कहते हैं कि कोशिका एक किलेबंद नगर जैसी होती है—अंदर जाने और बाहर निकलने के दरवाज़ों पर सिपाही तैनात हैं, यातायात और संचार का भी इंतज़ाम है, ऊर्जा पैदा करनेवाले संयंत्र हैं, उत्पादन के कारखाने हैं, कचरा बाहर निकालने और उसके कुछ हिस्से को फिर से इस्तेमाल करने का इंतज़ाम है, सुरक्षा का इंतज़ाम है और इसके न्यूक्लियस में एक तरह की केंद्रीय सरकार भी काम करती है। इतना ही नहीं, यह कोशिका सिर्फ चंद घंटों के अंदर हू-ब-हू अपने जैसी एक और कोशिका बना सकती है!
11, 12. (क) बढ़ते भ्रूण में कौन-सी कोशिका क्या बनेगी यह जानकारी कहाँ पायी जाती है, और यह बात भजन 139:16 से कैसे मेल खाती है? (ख) इंसान के दिमाग की रचना कैसे दिखाती है कि हम ‘अद्भुत रीति से रचे गए’ हैं?
11 बेशक, सभी कोशिकाएँ एक जैसी नहीं होतीं। जैसे-जैसे एक भ्रूण की कोशिकाएँ विभाजित होती हैं, वे अलग-अलग तरह के काम करने लगती हैं। कुछ तंत्रिका-कोशिकाएँ बनेंगी; तो कुछ हमारी हड्डियों, माँसपेशियों, लहू या आँखों की कोशिकाएँ बनेंगी। कौन-सी कोशिका क्या बनेगी यह उसके डी.एन.ए. (DNA) में लिखा होता है, जो कोशिका के अंदर पायी जानेवाली आनुवंशिक रूप-रेखा की “लाइब्रेरी” है। गौर करने लायक बात है कि दाऊद, यहोवा से यह कहने को प्रेरित हुआ: “तेरी आंखों ने मेरे बेडौल तत्व को देखा; और मेरे सब अंग . . . तेरी पुस्तक में लिखे हुए थे।”—भजन 139:16.
12 शरीर के कुछ अंगों में हद-से-ज़्यादा जटिलता पायी जाती है। मिसाल के लिए, इंसान के दिमाग पर गौर कीजिए। कुछ लोगों ने इसे विश्व की सबसे जटिल चीज़ का नाम दिया है। इसमें करीब एक खरब तंत्रिका-कोशिकाएँ पायी जाती हैं—जो हमारी आकाशगंगा के तारों की गिनती के बराबर है। हर कोशिका से हज़ारों कनेक्शन निकलकर दूसरी कोशिकाओं से संपर्क बनाए रखते हैं। वैज्ञानिक कहते हैं कि दुनिया की तमाम लाइब्रेरियों में जितनी जानकारी पायी जाती है, वह आसानी से इंसान के दिमाग में समा सकती है। और यह भी कि इंसान के दिमाग में कुल कितनी जानकारी रखने की क्षमता है इसका अंदाज़ा लगाना नामुमकिन है। वैज्ञानिकों को इस ‘अद्भुत रीति से रचे गए’ अंग का अध्ययन करते हुए कई साल बीत चुके हैं, फिर भी वे कबूल करते हैं कि इसके काम करने के तरीके के बारे में वे शायद ही कभी पूरी तरह समझ पाएँ।
13, 14. (क) चींटियाँ और दूसरे प्राणी कैसे दिखाते हैं कि वे “सहज-वृत्ति से बुद्धिमान” हैं, और यह हमें उनके सिरजनहार के बारे में क्या सिखाता है? (ख) हम क्यों कह सकते हैं कि मकड़ी के जाले जैसी चीज़ “बुद्धि से” बनायी एक रचना है?
13 लेकिन इंसान, सृष्टि में ज़ाहिर यहोवा की बुद्धि का सिर्फ एक उदाहरण है। भजन 104:24 कहता है: “हे यहोवा तेरे काम अनगिनित हैं! इन सब वस्तुओं को तू ने बुद्धि से बनाया है; पृथ्वी तेरी सम्पत्ति से परिपूर्ण है।” हमारे आस-पास पायी जानेवाली यहोवा की हर रचना से उसकी बुद्धि ज़ाहिर होती है। चींटी की मिसाल लीजिए, वह “सहज-वृत्ति से बुद्धिमान” होती है। (नीतिवचन 30:24, NW) जी हाँ, चींटियों की बस्तियों में बहुत बढ़िया किस्म की व्यवस्था पायी जाती है। इनकी कुछ बस्तियों में, एफिड नाम के कीटों का मवेशियों की तरह पालन-पोषण किया जाता है और उनसे बदले में भोजन हासिल किया जाता है। दूसरे किस्म की चींटियाँ फफूँद की “फसल” उगाती हैं और उसकी देखभाल करती हैं। बहुत-से दूसरे जीव ऐसे बनाए गए हैं कि सहज-वृत्ति से अद्भुत काम कर लेते हैं। एक साधारण-सी मक्खी, हवा में उड़ते वक्त ऐसी कलाबाज़ियाँ दिखाती है, जिसकी नकल इंसान के बढ़िया-से-बढ़िया हवाई-जहाज़ नहीं कर सकते। प्रवासी पक्षी, तारों, पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र या अपने मस्तिष्क में पाए जानेवाले एक तरह के नक्शे की मदद से दूर-दूर का सफर तय कर लेते हैं। जीव-वैज्ञानिक इन जीवों के जटिल व्यवहार का अध्ययन करने में सालों-साल बिताते हैं। तो जिसने इन परिंदों में ऐसे व्यवहार की रचना की है वह खुद कितना बुद्धिमान होगा!
14 वैज्ञानिकों ने यहोवा की सृष्टि में ज़ाहिर बुद्धि से बहुत कुछ सीखा है। इंजीनियरी में तो एक ऐसा क्षेत्र भी है जो बायोमिमेटिक्स कहलाता है, जिसमें कुदरत में पाए जानेवाले डिज़ाइनों की नकल करने की कोशिश की जाती है। मिसाल के लिए, आपने मकड़ी के जाले की सुंदरता को देखकर ज़रूर ताज्जुब किया होगा। मगर एक इंजीनियर की नज़र में यह एक लाजवाब डिज़ाइन है। कमज़ोर लगनेवाले इसके धागे, स्टील के तारों से भी मज़बूत और बुलेटप्रूफ जैकेट के धागों से भी पक्के होते हैं। आखिर यह जाला कितना मज़बूत होता है? मान लीजिए कि अगर मकड़ी का एक जाला, मछली पकड़ने के जाल के बराबर बनाया जाए, तो इससे आप बीच हवा में पूरी रफ्तार से उड़ते एक हवाई-जहाज़ को रोक सकते हैं! जी हाँ, यहोवा ने ऐसी सभी चीज़ों को अपनी “बुद्धि से” बनाया है।
धरती से बाहर बुद्धि
15, 16. (क) तारों भरा आकाश यहोवा की बुद्धि का क्या सबूत देता है? (ख) स्वर्गदूतों की विशाल संख्या के महान सेनापति होने के नाते, कैसे यहोवा की बुद्धि का सबूत मिलता है कि वह एक अच्छा प्रशासक है?
15 यहोवा की बुद्धि सारे जहान में उसकी रचनाओं से ज़ाहिर होती है। तारों भरा आकाश, जिसके बारे में हमने अध्याय 5 में काफी चर्चा की थी, अंतरिक्ष में यूँ ही बेतरतीब फैला हुआ नहीं है। ‘नभ के नियमों’ में पायी जानेवाली यहोवा की बुद्धि की बदौलत, तारे बहुत खूबसूरती और व्यवस्था के साथ मंदाकिनियों में सजे हुए हैं और मंदाकिनियाँ अपने समूहों में सजी हुई हैं जिन्हें क्लस्टर कहा जाता है, और ढेर सारे क्लस्टर बड़ी खूबसूरती के साथ महा या सुपर क्लस्टरों में सजे हुए हैं। (अय्यूब 38:33, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) इसलिए इसमें कोई हैरानी की बात नहीं कि यहोवा इन आकाशीय पिंडों को एक “सेना” कहकर बुलाता है! (यशायाह 40:26, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) लेकिन, एक और सेना है जो इससे भी शक्तिशाली ढंग से यहोवा की बुद्धि का सबूत देती है।
16 जैसा हमने अध्याय 4 में देखा था, परमेश्वर की एक उपाधि है “सेनाओं का यहोवा,” क्योंकि वह करोड़ों आत्मिक प्राणियों की विशाल सेना का महान सेनापति है। यह तो यहोवा की शक्ति का सबूत हुआ, इससे उसकी बुद्धि कैसे ज़ाहिर होती है? ज़रा सोचिए: यहोवा और यीशु कभी-भी खाली नहीं बैठते, वे हमेशा काम करते रहते हैं। (यूहन्ना 5:17) तो फिर, यह तर्क करना भी सही होगा कि परमप्रधान के स्वर्गदूत, उसके सेवक भी हमेशा काम में व्यस्त रहते हैं। और यह मत भूलिए कि वे इंसान से कहीं ज़्यादा बुद्धिमान और शक्तिशाली, ऊँची श्रेणी के प्राणी हैं। (इब्रानियों 1:7; 2:7) फिर भी, यहोवा ने इन करोड़ों-करोड़ स्वर्गदूतों को ‘उसके वचन को पूरा करने’ और ‘उसकी इच्छा पूरी करने’ का ऐसा काम देकर अरबों-अरब साल से व्यस्त रखा है जिससे उन्हें लगातार खुशी और संतोष मिलता है। (भजन 103:20, 21) इतनी बड़ी व्यवस्था को चलानेवाले प्रशासक के पास क्या ही लाजवाब बुद्धि होगी!
“अद्वैत बुद्धिमान” यहोवा
17, 18. बाइबल क्यों कहती है कि यहोवा “अद्वैत बुद्धिमान” है, और हमें क्यों उसकी बुद्धि से विस्मित होना चाहिए?
17 ऐसे सबूतों के मद्देनज़र, बाइबल का यह कहना कि यहोवा की बुद्धि सर्वोत्तम है क्या कोई ताज्जुब की बात है? मिसाल के लिए, बाइबल कहती है कि यहोवा “अद्वैत बुद्धिमान” है। (रोमियों 16:27) सिर्फ यहोवा ही सर्वश्रेष्ठ, सर्वोत्तम बुद्धि का मालिक है। वही सारी सच्ची बुद्धि का स्रोत है। (नीतिवचन 2:6) इसीलिए तो यीशु भी, जो यहोवा के सिरजे हुए प्राणियों में सबसे बुद्धिमान था, अपनी बुद्धि पर भरोसा करने के बजाय वही कहता था जो उसका पिता बताता था।—यूहन्ना 12:48-50.
18 ध्यान दीजिए कि प्रेरित पौलुस ने कैसे यहोवा की बुद्धि के बेजोड़ होने की बात कही: “आहा! परमेश्वर का धन और बुद्धि और ज्ञान क्या ही गहरा है! उस के फ़ैसले समझ से बाहर और उस की राहें बेनिशान हैं।” (रोमियों 11:33, हिन्दुस्तानी बाइबिल) इस आयत की शुरूआत में पौलुस ने हैरत से भरकर “आहा!” कहा, जिससे उसकी गहरी भावनाओं का, खासकर उसके ज़बरदस्त विस्मय का पता लगता है। इस आयत में उसने “गहरा” शब्द के लिए जिस यूनानी शब्द को चुना वह “अथाह कुंड” के लिए लिखे जानेवाले शब्द से ताल्लुक रखता है। इसलिए, उसके शब्दों से हमारे मन में एक तसवीर उभर आती है। जब हम यहोवा की बुद्धि के बारे में सोचते हैं, तो यह ऐसा है मानो हम एक अंतहीन, अथाह खाई में झाँक रहे हों। वह इतनी गहरी और इतनी विशाल है कि हम कभी यह समझ ही नहीं सकते कि वह कितनी बड़ी है, फिर उसकी एक-एक बात समझाने या एक-एक बारीकी दिखानेवाला नक्शा बनाने की बात तो हम सोच भी नहीं सकते। (भजन 92:5) यह जानकर क्या हमारे अंदर नम्रता पैदा नहीं होनी चाहिए?
19, 20. (क) उकाब, परमेश्वर की बुद्धि की सही निशानी क्यों है? (ख) यहोवा ने भविष्य में झाँकने की अपनी काबिलीयत का कैसे सबूत दिया है?
19 एक और मायने में यहोवा “अद्वैत बुद्धिमान” है: सिर्फ वही भविष्य में झाँक सकता है। याद कीजिए, यहोवा ने अपनी बुद्धि की निशानी देने के लिए, दूरदृष्टि रखनेवाले उकाब को इस्तेमाल किया है। एक गरुड़ (गोल्डन ईगल) का वज़न शायद सिर्फ पाँच किलो हो मगर इसकी आँखें, आकार में एक आदमी की आँखों से भी बड़ी होती हैं। इस उकाब की नज़र बड़ी तेज़ होती है, और वह हज़ारों मीटर की ऊँचाई या शायद मीलों दूर से भी ज़मीन पर अपने छोटे-से शिकार को देख सकता है! एक बार यहोवा ने खुद उकाब के बारे में कहा: “वह अपनी आंखों से दूर तक देखता है।” (अय्यूब 39:29) उसी तरह, यहोवा भविष्य में “दूर तक” देख सकता है!
20 बाइबल में ऐसे ढेरों सबूत हैं जो साबित करते हैं कि यह बात बिलकुल सच है। इसमें सैकड़ों भविष्यवाणियाँ या समय से पहले लिखा इतिहास पाया जाता है। युद्धों के नतीजे, विश्वशक्तियों का उभरना और गिरना, यहाँ तक कि कुछ सेनापति कौन-सी रणनीति अपनाएँगे यह भी भविष्यवाणियों के रूप में बाइबल में पहले से दर्ज़ था, और कुछ मामलों में तो घटना घटने के सैकड़ों साल पहले से इनके बारे में लिखा गया था।—यशायाह 44:25–45:4; दानिय्येल 8:2-8, 20-22.
21, 22. (क) यहोवा ने पहले से जान लिया है कि आप ज़िंदगी में कौन-कौन-से चुनाव करेंगे, यह धारणा क्यों बेबुनियाद है? उदाहरण देकर समझाइए। (ख) हम कैसे जानते हैं कि यहोवा की बुद्धि निष्ठुर नहीं है, ना ही यह हमदर्दी की भावना से खाली है?
21 तो फिर, क्या इसका मतलब यह है कि आप ज़िंदगी में जो-जो चुनाव करेंगे उन्हें परमेश्वर ने पहले से ही जान लिया है? जो लोग इंसान का नसीब पहले से लिखे होने की शिक्षा देते हैं, वे दावे से इसके जवाब में ‘हाँ’ कहेंगे। लेकिन, यह धारणा दरअसल यहोवा की बुद्धि को कमज़ोर बताने के बराबर है, क्योंकि इससे ऐसा लगता है कि यहोवा भविष्य में देखने की अपनी काबिलीयत पर काबू नहीं रख सकता। इसे समझने के लिए एक उदाहरण पर ध्यान दीजिए: मान लीजिए कि आप एक ऐसे गायक हैं जिसे मधुर और सुरीली आवाज़ का वरदान मिला है। तो क्या इसका मतलब यह होगा कि आप चौबीसों घंटे गाते रहेंगे और इस पर आपका कोई बस नहीं होगा? ऐसा सोचना ही बेतुका लगता है! उसी तरह, यहोवा के पास भविष्य को जानने की काबिलीयत ज़रूर है, मगर इसका मतलब यह नहीं कि वह हर वक्त भविष्य देखता रहता है। अगर यहोवा ऐसा करे तो यह आज़ाद मरज़ी के मुताबिक चलने के हमारे हक पर धावा बोलने के बराबर होगा। मगर हम जानते हैं कि यहोवा हमसे यह अनमोल तोहफा कभी नहीं छीनेगा।—व्यवस्थाविवरण 30:19, 20.
22 इससे भी बदतर, नसीब में सबकुछ पहले से लिखा होने का विचार यही एहसास दिलाता है कि यहोवा की बुद्धि निष्ठुर है, उसमें प्यार, हमदर्दी या करुणा जैसी कोई भावना है ही नहीं। मगर ऐसा कहना सरासर झूठ होगा! बाइबल सिखाती है कि यहोवा “हृदय में बुद्धिमान्” है। (तिरछे टाइप हमारे; अय्यूब 9:4, NHT) इसका मतलब यह नहीं कि यहोवा का सचमुच का हृदय है, बल्कि बाइबल में अकसर इस शब्द को अंदर का स्वभाव बताने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें किसी के इरादे और प्रेम जैसी भावनाएँ शामिल होती हैं। इसलिए यहोवा के दूसरे गुणों की तरह, उसकी बुद्धि को भी उसका प्रेम प्रेरित करता है।—1 यूहन्ना 4:8.
23. यहोवा की बुद्धि की श्रेष्ठता से हमें क्या करने की प्रेरणा मिलनी चाहिए?
23 बेशक, यहोवा की बुद्धि पूरी तरह से भरोसे के लायक है। यह हमारी अपनी बुद्धि से इतनी श्रेष्ठ, इतनी उत्तम है कि परमेश्वर का वचन प्यार के साथ हमसे यह अनुरोध करता है: “तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना। उसी को स्मरण करके सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा।” (नीतिवचन 3:5, 6) आइए अब हम यहोवा की बुद्धि की गहराई में जाएँ, ताकि अपने सबसे बुद्धिमान परमेश्वर के और करीब आएँ।