छिपे खज़ाने की तरह उसकी खोज में लगा रहे
परमेश्वर के वचन, बाइबल में पाए जानेवाले बुद्धि के रत्न कितने अमूल्य हैं! ये आभूषण परमेश्वरीय उद्देश्य को प्रकट करते हैं और हमारे सामने एक रोमांचक प्रत्याशा प्रस्तुत करते हैं। वे हमें दिलासा देते हैं और हमें बताते हैं कि हम कैसे परमेश्वर को खुश करें। (रोमियों १५:४) ये रत्न दूसरों के साथ बुद्धिमत्तापूर्वक व्यवहार करने में भी हमारी मदद करते हैं। निश्यच ही, परमेश्वर से प्राप्त बुद्धि संतोष और खुशी से “जीवन के रास्ते” में चलने में हमारी मदद करती है।—भजन १६:११; ११९:१०५.
चूंकि बुद्धि से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं, हमें इसे बहुत महत्त्व देना चाहिए। “मेरे मुंह की सब बातें धर्म की होती हैं,” मूर्तिमान बुद्धि कहती है। “उन में से कोई टेढ़ी वा उलट फेर की बात नहीं निकलती है। समझवाले के लिए वे सब सहज और ज्ञान के प्राप्त करनेवालों के लिए अति सीधी हैं। चान्दी नहीं, मेरी शिक्षा ही को लो, और उत्तम कुन्दन से बढ़कर ज्ञान को ग्रहण करो। क्योंकि बुद्धि, मूंगे से भी अच्छी है, और सारी मनभावनी वस्तुओं में कोई भी उसके तुल्य नहीं है।”—नीतिवचन ८:८-११.
क्यों खोज जारी रखें?
साधारणतः, गड़े हुए अभूषणों, सोने या चांदी की खोज व्यर्थ है। यह बात परमेश्वरीय बुद्धि की खोज में भी सच हो, ज़रूरी नहीं है। पर हम इस खोज में सफ़ल कैसे हो सकते हैं? ख़ैर, सफ़लता इस बात पर निर्भर करती है कि हम कितनी गहराई से इस खज़ाने की इच्छा रखते हैं और हम उसे पाने के लिए कितना कठिन परिश्रम करते हैं। यदि हम इसकी सच्चाई को स्वीकार करते हैं, तब हम दूसरी सभी बहुमूल्य वस्तुओं के ऊपर इसे स्थान देंगे। आख़िर, “बुद्धि की प्राप्ति चोखे सोने से क्या उत्तम है!” और समझ की प्राप्ति चान्दी से अति योग्य है।”—नीतिवचन १६:१६.
नीतिवचन २:१-६ हमें प्रेरित करता है: “हे मेरे पुत्र, यदि तू मेरे वचन ग्रहण करे, और मेरी आज्ञाओं को अपने हृदय में रख छोड़े, और बुद्धि की बात ध्यान से सुने, और समझ की बात मन लगाकर सोचे; और प्रवीणता और समझ के लिए अति यत्न से पुकारे, और उसको चान्दी की नाईं ढूंढे, और गुप्त धन के समान उसकी खोज में लगा रहे, तो तू यहोवा के भय को समझेगा, और परमेश्वर का ज्ञान तुझे प्राप्त होगा। क्योंकि बुद्धि यहोवा ही देता है, ज्ञान और समझ की बातें उसी के मुंह से निकलती है।”
चूंकि गड़े हुए खज़ाने छिपे हुए हैं, उसकी खोज करने की आवश्यकता है। खुदाई करते समय, कुछ लोग मनोरंजन समय, भोजन, और नींद त्याग देते हैं। पर ऐसा प्रयत्न उस समय लाभप्रद समझा जाता है जब खज़ाना मिल जाता है। हमें परमेश्वर की बुद्धि को खोजने के लिए समान त्याग करने की ज़रूरत है। जैसे गड़े हुए खज़ाने को निकालने के लिए श्रमसाध्य खुदाई की ज़रूरत है, वैसे ही बुद्धि की खोज में लगे रहना ज़रूरी है। बाइबल और मसीही पुस्तकों को सरसरी नज़र से देखना काफ़ी नहीं है। आत्मिक रत्नों को प्राप्त करने के लिए समय, छानबीन, और मनन की आवश्यकता है। पर जब हमें धर्मशास्त्र की अन्तर्दृष्टि प्राप्त होती है तब कितनी प्रसन्नता हाती है!—नहेमायाह ८:१३.
खज़ाने की सफ़ल खोज
हाँ, खुशी परमेश्वर के वचन की छानबीन करने और बुद्धि के रत्न प्राप्त करने से मिलती है। (नीतिवचन ३:१३-१८) उस हद तक, हम बुद्धिमान होंगे यदि हम एक अच्छा व्यक्तिगत या पारिवारिक पुस्तकालय बनाएंगे। पर उसमें क्या होना चाहिए। एक अच्छे शब्दकोश के अलावा, यहोवा के गवाह धर्मशास्त्रों के कई विभिन्न अनुवाद रखना लाभप्रद पाते हैं, और साथ साथ मसीही बाइबल प्रकाशन भी, जिन में द वॉचटावर और उसकी साथी पत्रिका, अवेक! की प्रत्येक वर्ष की प्रतियां भी शामिल हैं। निश्चय ही, एक पुस्तकालय को ज़रूर उचित ढंग से इस्तेमाल होना चाहिए, यदि इस से हमें खज़ाने की खोज करनेवालों के रूप में मदद मिलती है।
बुद्धि के लिए हमारी खोज में, हम वॉच टावर पब्लिकेशन्स इन्डेक्स या वाचटावर सोसाइटी की किताबों या पत्रिकाओं की जिल्द वाली पुस्तकों के पीछे की सूची से किसी विषय या शास्त्र के किसी हिस्से को देख सकते हैं। परमेश्वरीय बुद्धि को ढूंढने के लिए ये मुख्य साधन हैं। यथार्थ में, वे एक नक्शे के समान हैं जो हमें परमेश्वरीय बुद्धि के “गुप्त धन” की ओर ले जा सकते हैं।” (नीतिवचन २:४) यदि हमारे पास छानबीन के लिए कुछ आवश्यक पुस्तकें नहीं, तो वे यहोवा के गवाहों के स्थानीय किंग्डम हॉल में उपलब्ध हो सकती हैं।
अब, आइये खज़ाने की सफ़ल खोज को सचित्र करें। हमारे बाइबल अध्ययन में, हम शायद विचार करेंगे कि यहूदा इस्करियोती यीशु मसीह को पकड़वाने के बाद कैसे मर गया। मत्ती २७:५ बताता है कि यहूदा ने “जाकर अपने आप को फांसी दी।” पर प्रेरितों के काम १:१८ बताता है: वह “सिर के बल गिरा, और उसका पेट फट गया, और उस की सब अन्तड़ियां निकल पड़ीं।” सो यहूदा की मृत्यु कैसे हुई? इसका उत्तर इन्साइट ऑन द स्क्रिप्चर्स पुस्तक के “स्क्रिप्चर इन्डेक्स” की सूचियों को जांचने से मिल सकता है। यह हमें बताती है: “ऐसा लगता है मत्ती उसके आत्महत्या के प्रयास का तरीक़ा बता रहा है, जब कि प्रेरितों के काम परिणाम का वर्णन करता है। इन दो विवरणों को मिलाने से, ऐसा लगता है कि यहूदा ने किसी खड़ी चट्टान पर से स्वयं को फांसी लगाने की कोशिश की थी, पर रस्सी या पेड़ की डाली टूट गयी जिससे वह नीचे गिर पड़ा और नीचे पत्थरों पर उसका पेट फट गया। यरूशलेम के चारों ओर के स्थल का वर्णन ऐसी घटना की पुष्टि करता है।” (खण्ड २, पृष्ठ १३०)।
शब्दों की अनुक्रमणिका को प्रयोग में लाने से हम बाइबल के शास्त्रपद खोजने में समर्थ होते हैं। निश्चय ही, किसी शास्त्रपद पर विचार-विमर्श करते समय, हमें इसके सन्दर्भ पर ध्यान देना चाहिए। इसे समझने के लिए, आइये हम भजन संहिता १४४:१२-१४ पर विचार-विमर्श करें। ये पद उन कुछ लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो ऐसा कहते हैं: ‘हमारे बेटे पौधों के समान हैं, हमारी बेटियां राजमहल के कोने के तराशे हुए पत्थरों के समान हैं, हमारे खेत भरे हैं, हमारी भेड़-बकरियां हज़ारों में बच्चे जन रहे हैं, हमारी गायें लदी हुई हैं, फिर भी कोई गर्भस्राव नहीं होता।’ हम सोच सकते हैं कि ये वचन परमेश्वर के लोगों पर लागू होते हैं, पर सन्दर्भ दिखाता है कि वे उन पर नहीं लागू होते। पद ११ में, भजनहारा दाऊद झूठी बातें कहनेवालों से छुटकारे का निवेदन करता है। वे अपने बेटों, बेटियों, भेड़-बकरियों और गाय-बैलों के बारे बहुत डींग मारते थे। पद १५ के अनुसार, ऐसे ग़लत काम करनवालों ने कहा: “तो जो लोग इस दशा में हैं वे क्या ही धन्य हैं!” तथापि, इसके विपरीत दाऊद ने कहा: “जिस राज्य का परमेश्वर यहोवा है, वह क्या ही धन्य है!”
प्रचुर आत्मिक रत्न!
खुशी निश्चय ही बुद्धि की सफ़ल खोज से मिलती है। और छानबीन के द्वारा पाए जा सकनेवाले आत्मिक रत्नों में बाइबल प्रश्नों के सन्तोषजनक उत्तर भी सम्मिलित हैं। जब हम छानबीन करते रहते हैं, हमें कैसे-कैसे उत्तर मिलते हैं! उदाहरण के लिए, कैन को उसकी पत्नी कहां से मिली थी? द वॉचटावर ने कहा (अक्तूबर १, १९८१): “बाइबल हमें बताती है कि आदम और हव्वा के अनेक बच्चे थे, केवल दो ही नहीं थे [कैन और हाबील]। ‘शेत (एक और बेटा) के जन्म के बाद आदम आठ सौ वर्ष तक जीवित रहा। इस बीच वह अनेक बेटे और बेटियों का पिता बना। (उत्प. ५:८) इस सूचना को पाने के बाद, आप क्या कहेंगे, कैन को उसकी पत्नी कहाँ से मिली? हां, उसने अपनी एक बहन से ही विवाह किया होगा। आज इतनी निकट रूप से संबंधी माता-पिता से उत्पन्न बच्चों के लिए यह ख़तरनाक़ हो सकता है। पर मानव इतिहास की शुरुआत के समय, जब मनुष्यजाति पूर्णता के बहुत निकट थी, यह कोई समस्या नहीं थी।”
मान लीजिए हम बाइबल में नीतिवचन की किताब पढ़ रहे हैं। नीतिवचन १:७ में जो कहा गया है, उस पर ग़ौर करके हम शायद सोच सकते हैं: ‘“यहोवा का भय” क्या है?’ छानबीन हमें शायद मई १५, १९८७ के द वॉचटावर की ओर ले जाएगी, जो कहता है: “यह श्रद्धायुक्त विस्मय, गम्भीर सम्मान है और उसे अप्रसन्न करने का उचित भय है, क्योंकि हम उसकी दयालुता और ख़राई की क़दर करते हैं। ‘परमेश्वर के भय’ का अर्थ यह स्वीकार करना होता है कि वह सर्वोच्च न्यायी और सर्वशक्तिमान है, जिसे अपनी आज्ञा न मानने वालों को दण्ड देने या उन्हें नाश करने का अधिकार और शक्ति है। इसका यह भी अर्थ है कि हम विश्वस्तता-पूर्वक परमेश्वर की सेवा करें, उस पर पूरा भरोसा रखें, और उसकी दृष्टि में जो बुरा है, उससे घृणा करें।”
खोज जारी रखें!
द वॉचटावर बुद्धि के निष्कपट ढूंढनेवालों को अमूल्य आत्मिक रत्न प्राप्त करने की सहायता करने के लिए प्रकाशित किया गया है। हम सभी को बुद्धि और परमेश्वर के वचन की समझ की आवश्यकता है। नीतिवचन ४:७, ८ कहता है: “बुद्धि श्रेष्ठ है इसलिए उसकी प्राप्ति के लिए यत्न कर; जो कुछ तू प्राप्त करे उसे प्राप्त तो कर परन्तु समझ की प्राप्ति का यत्न घटने न पाए। उसकी बड़ाई कर, वह तुझ को बढ़ाएगी; जब तू उस से लिपट जाए, तब वह तेरी महिमा करेगी।”
केवल धर्मशास्त्र की समझ प्राप्त करने और बुद्धि को ठीक रीति से काम में लाने के द्वारा ही हम सच्ची खुशी प्राप्त कर सकते हैं। हां, और केवल परमेश्वरीय बुद्धि को काम में लाने के द्वारा ही हम यहोवा परमेश्वर को खुश कर सकते हैं। इसलिए आप किसी भी चीज़ को आप को उस छिपे हुए खज़ाने के सदृश्य बुद्धि की खोज करने से रोकने न दें।
[पेज 4, 5 पर तसवीरें]
गड़े हुए खज़ाने को ढूँढ़ने के लिए श्रमसाध्य खुदाई की ज़रूरत है। क्या हमें परमेश्वरीय बुद्धि के लिए अपनी खोज में लगे रहना नहीं चाहिए?