मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले
© 2023 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
4-10 मार्च
पाएँ बाइबल का खज़ाना | भजन 16-17
‘यहोवा ही मेरा भला करनेवाला है’
नौजवानो, आपकी ज़िंदगी खुशहाल हो सकती है!
सच्चे दोस्त बनाइए
11 भजन 16:3 पढ़िए। दाविद जानता था कि किन लोगों से दोस्ती करना सही होगा। उसने ऐसे लोगों से दोस्ती की, जो यहोवा से प्यार करते थे और उनके साथ रहकर उसे “बड़ी खुशी” मिलती थी। उसने अपने दोस्तों के बारे में कहा कि वे “पवित्र” हैं क्योंकि वे यहोवा के शुद्ध नैतिक स्तरों पर चलने की कोशिश करते थे। भजन के एक और लेखक ने दोस्त बनाने के बारे में कुछ ऐसी ही बात लिखी, “मैं उन सबका दोस्त हूँ जो तेरा डर मानते हैं, जो तेरे आदेशों का पालन करते हैं।” (भज. 119:63) जैसे पिछले लेख में हमने देखा था, आपको भी ऐसे कई दोस्त मिल सकते हैं जो यहोवा से प्यार करते हैं और उसकी बात मानते हैं। ये दोस्त किसी भी उम्र के हो सकते हैं!
‘यहोवा की मनोहरता पर दृष्टि लगाए रहिए’
दाविद ने गाया: “यहोवा मेरा भाग और मेरे कटोरे का हिस्सा है; मेरे बांट को तू स्थिर रखता है। मेरे लिये माप की डोरी मनभावने स्थान में पड़ी [है]।” (भज. 16:5, 6) दाविद अपने ‘हिस्से,’ यानी यहोवा के साथ एक अच्छे रिश्ते और उसकी सेवा करने के सम्मान के लिए शुक्रगुज़ार था। हो सकता है दाविद की तरह हम भी बहुत-सी परेशानियों का सामना कर रहे हों, लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि हमें यहोवा की तरफ से ढेरों आशीषें भी मिली हैं। इसलिए आइए हम सच्ची उपासना से खुशी पाते रहें और हमेशा यहोवा के आत्मिक मंदिर पर ‘ध्यान किया करें।’
यहोवा को हमेशा अपने सामने रखिए
2 हम सभी, बाइबल में बताए जाने-माने किरदारों के तजुरबों से काफी कुछ सीख सकते हैं। जैसे कि इब्राहीम, सारा, मूसा, रूत, दाऊद, एस्तेर, प्रेरित पौलुस और दूसरों के तजुरबों से। लेकिन बाइबल के उन किरदारों के बारे में क्या, जो इतने मशहूर नहीं हैं? उनसे भी हम अनमोल सबक सीख सकते हैं। दरअसल, बाइबल के सभी ब्यौरों पर मनन करने से हम भजनहार की कही इस बात पर अमल कर पाएँगे: “मैं ने यहोवा को निरन्तर अपने सम्मुख रखा है: इसलिये कि वह मेरे दहिने हाथ रहता है मैं कभी न डगमगाऊंगा।” (भज. 16:8) इन शब्दों का क्या मतलब है?
3 पुराने ज़माने में युद्ध के वक्त, एक सैनिक अकसर अपने बाएँ हाथ से ढाल पकड़ता था और दाएँ हाथ से तलवार। इसलिए उसके दाएँ हाथ को खतरा रहता था। ऐसे में अगर उसका दोस्त उसकी दायीं तरफ खड़े होकर दुश्मनों से लड़ता, तो इससे उसकी हिफाज़त होती थी। उसी तरह, अगर हम यहोवा को हमेशा अपने मन में रखें और वही करें जो वह हमसे चाहता है, तो वह हमारी हिफाज़त ज़रूर करेगा। तो फिर, आइए देखें कि बाइबल के ब्यौरों पर गौर करने से हम कैसे अपने विश्वास को मज़बूत कर सकते हैं, ताकि हम ‘[यहोवा] को हमेशा अपने सामने रखें।’—किताब-ए-मुकद्दस।
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इंसाइट-2 पेज 714
आँख की पुतली
इब्रानी भाषा में जब शब्द आइशोन (व्यव 32:10; नीत 7:2) के साथ एयिन (आँख) लिखा होता है, तो उसका शाब्दिक मतलब होता है, “आँख का छोटा आदमी।” उसी तरह, जब विलापगीत 2:18 में “आँख” के साथ शब्द बाथ (बेटी) आता है, तो वहाँ उसका शाब्दिक मतलब है, “आँख की बेटी।” बाइबल में इन दो तरीकों से “आँख की पुतली” के बारे में बताया गया है। पर भजन 17:8 में “आँख की पुतली” की अहमियत बताने के लिए आइशोन भी लिखा है और बाथ भी लिखा है। (आइशोन बाथ-एयिन जिसका शाब्दिक मतलब है, “आँख का छोटा आदमी और बेटी।”) ज़ाहिर है कि इस आयत में सामनेवाले की आँखों में हमारी जो छोटी-सी तसवीर बनती है, उसकी बात की गयी है।
हमारी आँखें बहुत नाज़ुक होती हैं। अगर उनमें एक छोटा-सा बाल या धूल का एक कण भी चला जाए, तो हमें तुरंत पता चल जाता है और हम उसे जल्दी से निकालने की कोशिश करते हैं। आँखों की पुतली के ऊपर एक झिल्ली भी होती है। अगर हम सावधान ना रहें और इस पर चोट लग जाए या बीमारी की वजह से इस पर धुँधलापन आ जाए, तो हमारी नज़र कमज़ोर पड़ सकती है या हम अंधे हो सकते हैं। बाइबल में जब किसी चीज़ की तुलना “आँख की पुतली” से की जाती है, तो इसका मतलब होता है कि उसे बहुत सँभालकर रखने की ज़रूरत है, जैसे परमेश्वर के कानून को। (नीत 7:2) परमेश्वर ने जिस तरह इसराएलियों की देखभाल की, उस बारे में व्यवस्थाविवरण 32:10 में लिखा है कि उसने ‘अपनी आँख की पुतली की तरह उनकी रक्षा की।’ दाविद ने भी खुद की तुलना यहोवा की “आँख की पुतली” से की। ऐसा उसने तब किया जब उसने यहोवा से बिनती की कि वह उसे सँभाले रखे और उसकी रक्षा करे। (भज 17:8) वह चाहता था कि यहोवा तुरंत उसकी तरफ से कदम उठाए, खासकर तब जब वह दुश्मनों से घिरा था। (जक 2:8 से तुलना करें।)
11-17 मार्च
पाएँ बाइबल का खज़ाना | भजन 18
‘यहोवा ही मेरा छुड़ानेवाला है’
प्र09 5/1 पेज 14 पै 4-5, अँग्रेज़ी
बाइबल में बतायी गयी मिसालें—क्या आप उनका मतलब समझते हैं?
बाइबल की कुछ आयतों में यहोवा की तुलना बेजान चीज़ों से की गयी है। उसे “इसराएल की चट्टान,” “बड़ी चट्टान” और “मज़बूत गढ़” कहा गया है। (2 शमूएल 23:3; भजन 18:2; व्यवस्थाविवरण 32:4) यहोवा और एक चट्टान में क्या बातें मिलती-जुलती हैं? एक बड़ी चट्टान मज़बूती से एक जगह टिकी होती है और उसे हिलाया नहीं जा सकता। यहोवा पर आप भरोसा रख सकते हैं कि वह एक बड़ी चट्टान की तरह आपको सुरक्षा दे सकता है।
भजन की किताब में यह बताने के लिए कि यहोवा कैसा परमेश्वर है, उसकी तुलना कई चीज़ों से की गयी है। जैसे, भजन 84:11 में उसकी तुलना ‘सूरज और ढाल’ से की गयी है। इससे पता चलता है कि यहोवा से ही हमें रौशनी, जीवन, ताकत और हिफाज़त मिलती है। भजन 121:5 में लिखा है, “यहोवा तेरे दायीं तरफ रहकर तुझे आड़ देता है।” जैसे किसी चीज़ की आड़ या छाया में रहकर हम कड़कती धूप से बचते हैं, वैसे ही यहोवा अपने सेवकों को बचाता है। मुश्किल समय में वह मानो हमें ‘अपने हाथ की छाया” में या “अपने पंखों की छाँव” में छिपा लेता है।—यशायाह 51:16; भजन 17:8; 36:7.
इंसाइट-2 पेज 1161 पै 7
आवाज़
परमेश्वर अपने सेवकों की सुनता है: जो लोग पवित्र शक्ति और सच्चाई से परमेश्वर की सेवा करते हैं, वे यकीन रख सकते हैं कि वह उनकी प्रार्थनाएँ सुनता है, फिर चाहे वे किसी भी भाषा में प्रार्थना करें। यहाँ तक कि वह मन में की गयी प्रार्थनाओं पर भी ध्यान देता है, क्योंकि वह लोगों का दिल पढ़ सकता है। (भज 66:19; 86:6; 116:1; 1शम 1:13; नहे 2:4) परमेश्वर उन लोगों की मदद की पुकार सुनता है जो मुश्किल में होते हैं। वह उन लोगों की बातें भी सुनता है और उनके इरादे जान लेता है, जो उसका विरोध करते हैं और उसके सेवकों के खिलाफ साज़िश रचते हैं।—उत 21:17; भज 55:18, 19; 69:33; 94:9-11; यिर्म 23:25.
चिंताओं का अच्छी तरह सामना कैसे करें?
2. याद कीजिए। याद कीजिए कि जब पहले भी मुश्किलें आयी थीं, तो यहोवा ने किस तरह आपको सँभाला। जब आप इस बारे में सोचेंगे और यह भी कि यहोवा ने पुराने ज़माने के अपने सेवकों को किस तरह सँभाला था, तो आपको हिम्मत मिलेगी और यहोवा पर आपका भरोसा बढ़ेगा। (भज. 18:17-19) जोशुआ नाम का एक प्राचीन कहता है, “मेरे पास एक लंबी सूची है कि यहोवा ने मेरी किन-किन प्रार्थनाओं का जवाब दिया। इससे मैं याद कर पाता हूँ कि उसने ठीक वही किया जो मैंने उससे बिनती की थी।” जोशुआ की तरह जब हम याद करते हैं कि यहोवा ने किस तरह हमारी मदद की है, तो हमें चिंताओं का सामना करने की ताकत मिलती है।
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इंसाइट-1 पेज 432 पै 2
करूब
कुछ लोगों का दावा है कि पवित्र डेरे में बनाए करूब दिखने में उन भयानक पंखोंवाले जीवों जैसे थे, जिन्हें आस-पास की जातियाँ पूजती थीं। मगर ऐसा नहीं था। और पुराने ज़माने के कई यहूदी लेखों के मुताबिक, वे करूब इंसान के रूप में बनाए गए थे, पर बाइबल में इस बारे में कुछ नहीं बताया गया है। पवित्र डेरे में बनाए करूब, बहुत ही बढ़िया कलाकारी थी। इससे पता चलता है कि स्वर्गदूत बहुत सुंदर हैं। उन करूबों को ‘ठीक उसी नमूने के मुताबिक’ बनाया गया था, जो मूसा को यहोवा से मिला था। (निर्ग 25:9) प्रेषित पौलुस ने भी लिखा कि वे ‘शानदार थे, जो प्रायश्चित के ढकने पर छाया किए हुए थे’। (इब्र 9:5) करूबों को यह बताने के लिए बनाया गया था कि यहोवा मौजूद है। यहोवा संदूक के ऊपर बने दो करूबों के बीच से बात करता था। (निर्ग 25:22; गि 7:89) कई आयतों में बताया गया है कि यहोवा “करूबों पर [या “के बीच”] विराजमान है।” (1शम 4:4; 2शम 6:2; 2रा 19:15; 1इत 13:6; भज 80:1; 99:1; यश 37:16) करूब, यहोवा के रथ को दर्शाते हैं। (1इत 28:18) उनके पंखों का मतलब है कि वे परमेश्वर के सेवकों की हिफाज़त करते हैं और तेज़ी से सफर करते हैं। दाविद ने एक गीत में बताया कि यहोवा किस तरह उसकी मदद करने आता है। उसने लिखा, “वह एक करूब पर सवार होकर उड़ता हुआ आया। वह एक स्वर्गदूत के पंखों पर दिखायी दिया।”—2शम 22:11; भज 18:10.
18-24 मार्च
पाएँ बाइबल का खज़ाना | भजन 19-21
“आसमान परमेश्वर की महिमा बयान करता है”
सब यहोवा की महिमा का ऐलान करें
यिशै का बेटा दाऊद एक चरवाहा था जिसकी परवरिश बेतलेहेम में हुई। वह अपने पिता की भेड़ों को चराता था। इस दौरान उसने रात के सन्नाटे में, कितनी ही बार तारों से जड़े आसमान को निहारा होगा! इसलिए बाद में जब उसने परमेश्वर की आत्मा से प्रेरित होकर भजन 19 के खूबसूरत शब्द रचे और गाए, तो ज़रूर वे नज़ारे उसे याद आए होंगे: “आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकाशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है। उनका स्वर सारी पृथ्वी पर गूंज गया है, और उनके वचन जगत की छोर तक पहुंच गए हैं।”—भजन 19:1, 4.
2 यहोवा के सृजे गए विस्मयकारी आकाश की कोई भाषा नहीं है और वह बेज़बान है, मगर फिर भी वह दिन-रात, यहोवा की महिमा का ऐलान करता है। सृष्टि लगातार परमेश्वर की महिमा का वर्णन करती है। और यह खामोश रहकर भी जिस तरह “सारी पृथ्वी” के निवासियों के सामने परमेश्वर की महिमा की गवाही देती है, उस बारे में गहराई से सोचने से हम इंसान खुद को कितना छोटा महसूस करते हैं! लेकिन, यहोवा के बारे में सिर्फ बेज़बान सृष्टि का गवाही देना काफी नहीं है। वफादार इंसानों से आग्रह किया गया है कि वे अपनी ज़बान से सृष्टि के साथ गवाही देने में शरीक हों। ईश्वर-प्रेरणा से एक भजनहार ने, जिसका नाम नहीं बताया गया है, यहोवा के वफादार उपासकों से कहा: “यहोवा की महिमा और सामर्थ्य को मानो! यहोवा के नाम की ऐसी महिमा करो जो उसके योग्य है!” (भजन 96:7, 8) जिनका यहोवा के साथ करीबी रिश्ता है, उन्हें उस भजन में बताए अनुसार उसकी महिमा करने में बेहद खुशी मिलती है। लेकिन, परमेश्वर की महिमा करने में क्या-क्या शामिल है?
सृष्टि, परमेश्वर की महिमा का ऐलान करती है!
8 दाऊद आगे यहोवा की सृष्टि के एक और करिश्मे के बारे में बताता है: “उन [आकाश] में उस ने सूर्य के लिए एक तम्बू खड़ा किया है, जो एक दूल्हे के समान अपने कक्ष से निकलता है; वह एक शूरवीर के समान अपनी दौड़ दौड़ने के लिए हर्षित होता है। उसका निकलना आकाशमण्डल के एक सिरे से होता है, और वह उसके दूसरे सिरे तक चक्कर काटता है; और ऐसा कुछ भी नहीं जिस तक उसकी गर्मी न पहुंचे।”—भजन 19:4-6, NHT.
9 दूसरे तारों की तुलना में सूरज एक मध्यम आकार का तारा है। फिर भी इस वैभवशाली तारे की परिक्रमा करनेवाले ग्रह उसके सामने छोटे दिखायी देते हैं। एक किताब का कहना है कि सूरज का द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान से करीब 3,30,000 गुना ज़्यादा है। और हमारे सौर मंडल के सारे द्रव्यमान का 99.9 प्रतिशत द्रव्यमान सूरज में है! सूरज के गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से, पृथ्वी 15 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर इसकी परिक्रमा करती है और यह न तो सूरज से दूर जाती है ना ही इसके पास खिंची आती है। सूरज की ऊर्जा के 2 अरब हिस्सों में से सिर्फ एक हिस्सा हमारी धरती तक पहुँचता है, मगर यह धरती पर जीवन कायम रखने के लिए काफी है।
10 भजनहार, सूरज के लिए लाक्षणिक भाषा इस्तेमाल करते हुए उसे “शूरवीर” कहता है, जो आकाश के एक सिरे से उदय होकर दिन भर दौड़ लगाता है और दूसरे छोर तक पहुँचकर रात को “तम्बू” में सो जाता है। जब यह तेजोमय तारा डूबता है, तो धरती से देखनेवाले को लगता है, मानो वह अपने “तम्बू” में आराम करने चला गया। फिर, सवेरा होते ही वह अपनी चमक-दमक के साथ “एक दूल्हे के समान अपने कक्ष से निकलता है।” दाऊद एक चरवाहा था, इसलिए वह जानता था कि रात की कड़कती ठंड कैसी होती है। (उत्पत्ति 31:40) उसे याद था कि सूरज की किरणों से कितनी जल्दी उसे साथ ही आसपास की ज़मीन, पेड़-पौधों को गर्मी मिलती थी। इसलिए यह कहना सही था कि सूरज, पूरब से पश्चिम की “यात्रा” करते-करते थकता नहीं बल्कि एक “शूरवीर” की तरह एक बार फिर यात्रा करने के लिए तैयार रहता है।
सज95 11/8 पेज 7 पै 3, अँग्रेज़ी
सबसे बड़े कलाकार की बेकद्री
कुदरत की चीज़ों में गज़ब की कलाकारी होती है। जब हम उन पर ध्यान देते हैं तो हम अपने सृष्टिकर्ता को जान पाते हैं। एक बार यीशु ने अपने चेलों को एक ज़रूरी बात सिखाने के लिए उनसे कहा कि वे जंगली फूलों पर ध्यान दें। उसने कहा, “मैदान में उगनेवाले सोसन के फूलों से सबक सीखो, वे कैसे बढ़ते हैं; वे न तो कड़ी मज़दूरी करते हैं न ही सूत कातते हैं। मगर मैं तुमसे कहता हूँ कि सुलैमान भी जब अपने पूरे वैभव में था, तो इनमें से किसी एक की तरह भी सज-धज न सका।” (मत 6:28, 29) एक छोटा-सा जंगली फूल भी बहुत सुंदर होता है। उससे हम सीखते हैं कि परमेश्वर को हम इंसानों की कितनी परवाह है।
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
इंसाइट-1 पेज 1073
इब्रानी भाषा
इब्रानी कविता की कुछ शैलियों में पहली लाइन में एक विचार होता है और अगली लाइन में उसी से मिलता-जुलता कुछ कहा जाता है या उसका विपरीत बताया जाता है। लेकिन एक और शैली है (synthethic parallelism) जिसमें पहली लाइन के विचार को अगली लाइन में और भी खुलकर बताया जाता है और उसके बारे में कुछ और जानकारी भी दी जाती है। इसका एक उदाहरण है भजन 19:7-9:
यहोवा का कानून खरा है,
जान में जान डाल देता है।
यहोवा जो हिदायत याद दिलाता है वह भरोसेमंद है,
जिन्हें कोई तजुरबा नहीं है उन्हें भी बुद्धिमान बना देती है।
यहोवा के आदेश नेक हैं,
मन को आनंद से भर देते हैं,
यहोवा की आज्ञा शुद्ध है,
आँखों में चमक लाती है।
यहोवा का डर पवित्र है,
सदा बना रहता है।
यहोवा के फैसले सच्चे हैं,
हर तरह से सही हैं।
हर दूसरी लाइन में जो बात कही है, जैसे “जान में जान डाल देता है” और “जिन्हें कोई तजुरबा नहीं है उन्हें भी बुद्धिमान बना देती है,” वह पहली लाइन के मायने बताती है। जिस तरह हर वाक्य को दो हिस्सों में बाँटा गया है, उससे पूरी बात एक कविता की तरह बन जाती है।
25-31 मार्च
पाएँ बाइबल का खज़ाना | भजन 22
यीशु की मौत से जुड़ी भविष्यवाणियाँ
उन्हें मसीहा मिल गया!
16 ऐसा लगेगा कि परमेश्वर ने मसीहा को त्याग दिया है। (भजन 22:1 पढ़िए।) भविष्यवाणी के मुताबिक “नौवें घंटे में [दोपहर के करीब 3 बजे] यीशु ने ज़ोर से पुकारा: ‘एली, एली, लामा शबकतानी?’ जिसका मतलब है: ‘मेरे परमेश्वर, मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया है?’” (मर. 15:34) ऐसा नहीं था कि यीशु का परमेश्वर पर से विश्वास उठ गया था। दरअसल परमेश्वर ने यीशु पर से अपनी सुरक्षा हटाकर उसे दुश्मनों के हाथों इसलिए सौंपा ताकि यीशु की खराई पूरी तरह परखी जा सके। इसलिए जब यीशु ने चिल्लाकर कहा कि मुझे क्यों छोड़ दिया तब दरअसल उसने भजन 22:1 की भविष्यवाणी पूरी की।
उन्हें मसीहा मिल गया!
13 दाविद ने भविष्यवाणी की कि मसीहा को बुरा-भला कहा जाएगा। (भजन 22:7, 8 पढ़िए।) जब यीशु सूली पर तड़प रहा था तब भी लोग उसकी खिल्ली उड़ा रहे थे। उसके बारे में मत्ती कहता है: “जो लोग वहाँ से आ-जा रहे थे, वे सिर हिला-हिलाकर उसकी बेइज़्ज़ती करने लगे और कहने लगे: ‘अरे मंदिर के ढानेवाले और तीन दिन के अंदर उसे बनानेवाले, खुद को बचा ले! अगर तू परमेश्वर का बेटा है, तो यातना की सूली से नीचे उतर आ!’” इसी तरह, प्रधान याजक भी शास्त्रियों और बुज़ुर्गों के साथ मिलकर उसका मज़ाक उड़ाने लगे और यह कहने लगे: “इसने दूसरों को तो बचाया, मगर खुद को बचा नहीं सकता! यह इसराएल का राजा है। अब यह यातना की सूली से नीचे उतरकर आ जाए, तब हम इसका यकीन करेंगे। इसने परमेश्वर पर भरोसा रखा है, अगर परमेश्वर इसे चाहता है, तो इसे बचाए, क्योंकि इसने कहा है, ‘मैं परमेश्वर का बेटा हूँ।’” (मत्ती 27:39-43) यीशु ने यह सब बिना मुँह खोले सह लिया। हमारे लिए क्या ही उम्दा मिसाल!
उन्हें मसीहा मिल गया!
14 मसीहा के कपड़ों पर चिट्ठी डाली जाएगी। भजनहार ने लिखा: “वे मेरे वस्त्र आपस में बांटते हैं; और मेरे पहिरावे पर चिट्ठी डालते हैं।” (भज. 22:18) “जब [रोमी] सैनिकों ने [यीशु को] सूली पर ठोंक दिया, तो उन्होंने चिट्ठियाँ डालकर उसका ओढ़ना आपस में बाँट लिया” और इस तरह यह भविष्यवाणी पूरी हुई।—मत्ती 27:35; यूहन्ना 19:23, 24 पढ़िए।
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हमारी पवित्र सभाओं के लिए आदर दिखाना
7 हम कई तरीकों से अपनी सभाओं के लिए आदर दिखा सकते हैं। एक तरीका है, सभाओं में राज्य गीत गाने के लिए मौजूद होना। इनमें से कई गीत असल में प्रार्थनाएँ हैं और इसलिए उन्हें पूरी श्रद्धा के साथ गाया जाना चाहिए। प्रेरित पौलुस ने भजन 22 में दी भविष्यवाणी का हवाला दिया, जिसमें यीशु ने कहा: “मैं तेरा नाम अपने भाइयों को सुनाऊंगा, सभा के बीच में मैं तेरा भजन गाऊंगा।” (इब्रानियों 2:12) इसलिए हमें ठान लेना चाहिए कि इससे पहले कि चेयरमैन गीत का नंबर बताए, हम अपनी जगह पर बैठ जाएँगे और फिर गीत गाते वक्त उसके मतलब पर पूरा ध्यान देंगे। आइए हम उसी जज़्बे से गीत गाएँ, जिस जज़्बे से भजनहार ने गया था: “मैं सीधे लोगों की गोष्ठी में और मण्डली में भी सम्पूर्ण मन से यहोवा का धन्यवाद करूंगा।” (भजन 111:1) जी हाँ, सभाओं में जल्दी आने और आखिर तक रहने की एक बढ़िया वजह यह है कि हम यहोवा की स्तुति में गीत गाना चाहते हैं।
“सभा के बीच” यहोवा की स्तुति करें
पुराने ज़माने की तरह आज भी ऐसे इंतज़ाम किए गए हैं जिनसे हरेक विश्वासी “सभा के बीच” अपना विश्वास बयान कर सके। एक मौका जो सबके लिए खुला है, वह यह है कि जब सभाओं में, हाज़िर लोगों से सवाल पूछे जाते हैं तब जवाब देना। जवाब देने के फायदों को कभी-भी कम मत आँकिए। मिसाल के लिए, जब जवाबों में यह बताया जाता है कि समस्याओं का सामना कैसे किया जाए या उनसे कैसे बचा जाए, तो इससे भाइयों का इरादा और मज़बूत होता है कि वे बाइबल के उसूलों पर चलते रहें। और जिन जवाबों में ऐसी आयतों को समझाया जाता है जिनका सिर्फ हवाला दिया गया हो, या अगर खोजबीन करने से मिले मुद्दे बताए जाते हैं, तो सुननेवालों को अध्ययन करने की अच्छी आदत डालने का बढ़ावा मिलता है।
1-7 अप्रैल
पाएँ बाइबल का खज़ाना | भजन 23-25
“यहोवा मेरा चरवाहा है”
प्र11 5/1 पेज 31 पै 3, अँग्रेज़ी
“यहोवा मेरा चरवाहा है”
यहोवा अपनी भेड़ों को सही रास्ते पर ले जाता है। बिन चरवाहे के भेड़ें रास्ता भटक सकती हैं। उसी तरह, हमें भी जीवन की राह पर चलने के लिए मदद की ज़रूरत है। (यिर्मयाह 10:23) दाविद ने कहा कि यहोवा अपने लोगों को अच्छी-अच्छी जगह ले जाता है और उन्हें नेकी की डगर पर ले चलता है। (भजन 23:2, 3) ये आयतें पढ़ने से यहोवा पर हमारा भरोसा बढ़ता है। बाइबल में परमेश्वर की पवित्र शक्ति से जो बातें लिखी हैं, उन्हें मानने से हमें ताज़गी मिलेगी, हम अपनी ज़िंदगी में खुश होंगे और हमारी हिफाज़त होगी।
प्र11 5/1 पेज 31 पै 4, अँग्रेज़ी
“यहोवा मेरा चरवाहा है”
यहोवा अपनी भेड़ों की हिफाज़त करता है। बिन चरवाहे के भेड़ें डर जाती हैं और लाचार होती हैं। यहोवा अपने लोगों से कहता है कि उन्हें डरने की ज़रूरत नहीं है। यहाँ तक कि ज़िंदगी की सबसे मुश्किल घड़ी में भी उन्हें घबराने की ज़रूरत नहीं है। (भजन 23:4) क्यों? क्योंकि यहोवा उन पर नज़र रखता है और उनकी मदद करता है। वह मुश्किलों का सामना करने के लिए उन्हें बुद्धि और ताकत देता है।—फिलिप्पियों 4:13; याकूब 1:2-5.
प्र11 5/1 पेज 31 पै 5, अँग्रेज़ी
“यहोवा मेरा चरवाहा है”
यहोवा अपनी भेड़ों को खिलाता है। भेड़ें अपने-आप घास चरने नहीं जा सकतीं। उन्हें चरवाहे की ज़रूरत पड़ती है। उसी तरह, हममें परमेश्वर से मार्गदर्शन पाने की भूख है और यह भूख सिर्फ परमेश्वर मिटा सकता है। (मत्ती 5:3) परमेश्वर हमें जो खाना देता है, वह बाइबल और उस पर आधारित प्रकाशन है, जैसे यह पत्रिका। यहोवा उदारता से अपने सेवकों को ऐसी ढेर सारी किताबें-पत्रिकाएँ देता है। (भजन 23:5) इनसे हम समझ पाते हैं कि परमेश्वर ने हमें क्यों बनाया है और हमारे जीने का मकसद क्या है।
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
पूरे दिल से धार्मिकता से प्यार कीजिए
अपने वचन और पवित्र शक्ति के ज़रिए यहोवा अपने लोगों को “धर्म के मार्गों” पर ले चलता है। (भज. 23:3) लेकिन असिद्ध होने की वजह से हम कई बार उस मार्ग से भटक जाते हैं। दोबारा सही रास्ते पर चलने के लिए हमें पक्का इरादा और मेहनत करने की ज़रूरत होगी। तो कामयाब होने में क्या बात हमारी मदद करेगी? यीशु की तरह हमें भी सही बातों से प्रीति रखनी होगी।—भजन 45:7 पढ़िए।
2 ‘धर्म के मार्ग’ क्या हैं? मार्ग एक रास्ता या पगडंडी होता है। धर्म के ‘मार्ग’ यहोवा के स्तरों के मुताबिक तय किए गए हैं। इब्रानी और यूनानी भाषा में शब्द “धर्म” में नैतिक सिद्धांतो का कड़ाई से पालन करना शामिल है। यहोवा “धर्म का आधार” है, इसलिए उसके सेवक यह जानने के लिए खुशी-खुशी उससे मार्गदर्शन लेते हैं कि सही मार्ग क्या है, जिस पर उन्हें चलना चाहिए।—यिर्म. 50:7.
3 हम परमेश्वर को पूरी तरह तभी खुश कर सकेंगे, जब हम उसके धर्मी स्तरों का पालन करने में कड़ी मेहनत करेंगे। (व्यव. 32:4) इसकी शुरुआत यहोवा परमेश्वर के बारे में ज्ञान लेने से होती है जो हम उसके वचन बाइबल से सीख सकते हैं। हर दिन जितना ज़्यादा हम उसके बारे में सीखेंगे, उतना ही उसके करीब आएँगे और उतना ही उसकी धार्मिकता या धर्मी स्तरों के लिए हमारा प्यार बढ़ेगा। (याकू. 4:8) इसके अलावा, जीवन में कोई ज़रूरी फैसला करते वक्त हमें परमेश्वर के प्रेरित वचन से जो मार्गदर्शन मिलता है, उसे भी कबूल करना चाहिए।
8-14 अप्रैल
पाएँ बाइबल का खज़ाना | भजन 26-28
निर्दोष बने रहने के लिए दाविद ने क्या किया?
खराई की राह पर चल
8 दाऊद ने प्रार्थना की: “हे यहोवा, मुझे परख और मेरी जाँच कर; मेरे गुर्दे और हृदय को शुद्ध कर।” (भजन 26:2, NW) गुर्दे शरीर के भीतरी हिस्से में होते हैं। इसलिए गुर्दे एक इंसान के दिल में छिपी भावनाओं और विचारों को दर्शाते हैं। और हृदय, अंदर के इंसान यानी उसके इरादों, उसके जज़्बातों और उसकी सोच को सूचित करता है। जब दाऊद ने यहोवा से कहा कि वह उसे परखे, तब दरअसल उसने यह प्रार्थना की कि यहोवा उसके दिल में छिपी भावनाओं और विचारों की खोज करके उन्हें बारीकी से जाँचे।
9 दाऊद ने बिनती की कि यहोवा उसके गुर्दे और हृदय को शुद्ध करे। यहोवा कैसे हमारे अंदर के इंसान को शुद्ध करता है? दाऊद ने गाया: “मैं यहोवा को धन्य कहता हूं, क्योंकि उस ने मुझे सम्मति दी है; वरन मेरा मन [‘गुर्दा,’ NW] भी रात में मुझे शिक्षा देता है।” (भजन 16:7) इसका मतलब क्या है? इसका मतलब है कि परमेश्वर की सलाह, दाऊद के एकदम अंदर तक समा गयी, जिसने उसकी गहरी भावनाओं और उसके विचारों को सुधारा। उसी तरह, अगर हम परमेश्वर के वचन, उसके ठहराए लोगों और उसके संगठन से मिलनेवाली सलाहों का एहसान मानते हुए उन पर मनन करें और उन्हें दिल की गहराइयों में उतार लें तो परमेश्वर की सलाह हमारे विचारों और भावनाओं को सुधार सकेगी। इस तरह शुद्ध किए जाने के लिए अगर हम लगातार यहोवा से प्रार्थना करें, तो हमें खराई की राह पर चलते रहने में मदद मिलेगी।
खराई की राह पर चल
12 दाऊद ने एक और बात का ज़िक्र किया, जिसने खराई की राह से न डगमगाने में उसकी मदद की: “मैं निकम्मी चाल चलनेवालों के संग नहीं बैठा, और न मैं कपटियों के साथ कहीं जाऊंगा; मैं कुकर्मियों की संगति से घृणा रखता हूं, और दुष्टों के संग न बैठूंगा।” (भजन 26:4, 5) दाऊद कभी दुष्टों के संग बैठने की सोच भी नहीं सकता था। उसे बुरी संगति से सख्त नफरत थी।
13 हमारे बारे में क्या? जब हम टी.वी. कार्यक्रम, वीडियो और फिल्में देखते, इंटरनॆट पर वक्त बिताते या दूसरी तरह की संगति करते हैं तब क्या हम निकम्मी चाल चलनेवालों के साथ बैठने से इनकार करते हैं? क्या हम उन कपटियों से दूर रहते हैं जो अपनी असलियत छिपाते हैं? स्कूल में या हमारे काम की जगह पर कुछ लोग अपने मक्कार इरादों को अंजाम देने के लिए शायद हमारे साथ दोस्ती का ढोंग रचें। जो परमेश्वर की सच्चाई पर नहीं चलते, क्या हम ऐसे लोगों के साथ करीबी रिश्ता जोड़ना चाहेंगे? धर्मत्यागी दावा करते हैं कि उनका दिल साफ है, मगर वे भी हमें यहोवा की सेवा से दूर ले जाने के अपने असल इरादों को छिपाते हैं। अगर मसीही कलीसिया में कुछ लोग दोरंगी ज़िंदगी जीते हों तो ऐसों के बारे में क्या? वे भी अपनी असलियत पर परदा डालते हैं। जेसन जो अब सहायक सेवक के तौर पर सेवा कर रहा है, जब जवान था तब उसके कुछ दोस्त ऐसे ही थे। उनके बारे में वह कहता है: “एक दिन मेरे एक दोस्त ने मुझसे कहा: ‘आज हम चाहे जो करें उससे कुछ फर्क नहीं पड़नेवाला, क्योंकि ज़्यादा-से-ज़्यादा क्या होगा, यही ना कि हम नयी दुनिया में नहीं पहुँचेंगे, मर जाएँगे। और मरने पर हमें क्या पता चलेगा कि हमने क्या खोया है।’ ऐसी बातें मेरे लिए खतरे की घंटी थीं। मैं मरना नहीं बल्कि नयी दुनिया में जीना चाहता था।” जेसन ने अक्लमंदी से काम लिया और ऐसे लोगों से पूरी तरह नाता तोड़ लिया। संगति के बारे में प्रेरित पौलुस ने खबरदार किया: “धोखा न खाना, बुरी संगति अच्छे चरित्र को बिगाड़ देती है।” (1 कुरिन्थियों 15:33) वाकई बुरी संगति से दूर रहना कितना ज़रूरी है!
खराई की राह पर चल
17 इस्राएल में निवासस्थान यहोवा की उपासना की सबसे खास जगह थी, जहाँ बलिदान चढ़ाने के लिए वेदी हुआ करती थी। उस जगह से दाऊद को कितना लगाव था, इसका इज़हार करते हुए उसने प्रार्थना की: “हे यहोवा, मैं तेरे धाम से तेरी महिमा के निवासस्थान से प्रीति रखता हूं।” —भजन 26:8.
18 क्या हमें भी ऐसी जगहों में इकट्ठा होने से खुशी मिलती है जहाँ हम यहोवा के बारे में सीखते हैं? हर किंगडम हॉल सच्ची उपासना की एक खास जगह है, जहाँ नियमित तौर पर आध्यात्मिक शिक्षा दी जाती है। इसके अलावा, हर साल हमारे अधिवेशन, सर्किट सम्मेलन और खास सम्मेलन दिन होते हैं। इन बड़ी सभाओं में यहोवा से मिलनेवाली “चितौनियों” पर चर्चा की जाती है। अगर हम इनसे “बहुत प्रीति” रखना सीखें तो हम सभाओं में जाने के लिए बेताब रहेंगे और वहाँ ध्यान लगाकर सुनेंगे। (भजन 119:167) हमें अपने ऐसे विश्वासी भाई-बहनों के साथ इकट्ठा होने से कितनी ताज़गी मिलती है, जो दिल से हमारी भलाई चाहते हैं और खराई की राह पर बने रहने में हमारी मदद करते हैं!—इब्रानियों 10:24, 25.
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यहोवा दुःख से पीड़ित लोगों को मुक्त करता है
15 भजनहार दाऊद ने गाया: “मेरे माता-पिता ने तो मुझे छोड़ दिया है, परन्तु यहोवा मुझे सम्भाल लेगा।” (भजन 27:10) यह जानकर हमें कितना ढाढ़स मिलता है कि यहोवा का प्यार किसी भी इंसानी माता या पिता के प्यार से कहीं बढ़कर है! हालाँकि माता-पिता का प्यार न मिलना, उनके हाथों बुरा सलूक सहना या उनका हमें बेसहारा छोड़ देना बहुत दर्दनाक होता है, मगर यहोवा हमारे लिए प्यार और परवाह दिखाना बंद नहीं करता। (रोमियों 8:38, 39) याद रखिए कि परमेश्वर उन लोगों को अपनी ओर खींचता है जिनसे वह प्यार करता है। (यूहन्ना 3:16; 6:44) इंसान आपके साथ चाहे कैसा भी व्यवहार क्यों न करें, स्वर्ग में रहनेवाला आपका पिता, आपसे बेहद प्यार करता है!
15-21 अप्रैल
पाएँ बाइबल का खज़ाना | भजन 29-31
परमेश्वर हमसे प्यार करता है, इसलिए हमें सुधारता है
इंसाइट-1 पेज 802 पै 3
चेहरा, मुँह
‘मुँह फेर लेना’ या ‘चेहरा छिपाना,’ इन शब्दों का अलग-अलग हालात में अलग-अलग मतलब हो सकता है। जब कहा जाता है कि यहोवा ने किसी से अपना मुँह फेर लिया है, तो इसका मतलब है कि उसने उस पर से अपनी मंज़ूरी हटा ली है या वह उसकी और मदद नहीं करेगा। अकसर यहोवा ऐसा तब करता है जब कोई व्यक्ति या समूह के लोग, जैसे इसराएल राष्ट्र, उसकी आज्ञा नहीं मानते। (अय 34:29; भज 30:5-8; यश 54:8; 59:2) कभी-कभी यहोवा के मुँह फेर लेने का मतलब है कि वह कुछ करने या जवाब देने के लिए खुद को रोके हुए है। वह ऐसा इसलिए करता है क्योंकि वह सही वक्त का इंतज़ार कर रहा होता है। (भज 13:1-3) जब दाविद ने परमेश्वर से कहा, “तू मेरे पापों से अपना मुँह फेर ले” तो उसका मतलब था कि परमेश्वर उसके पाप माफ कर दे।—भज 51:9. भज 10:11 से तुलना करें।
प्र07 3/1 पेज 19 पै 1, अँग्रेज़ी
खुशी-खुशी यहोवा के वक्त का इंतज़ार कीजिए
जब यहोवा किसी को सुधारता है, तो उसकी तुलना हम फल पकने से कर सकते हैं। बाइबल में लिखा है, “जो इस तरह का प्रशिक्षण पाते हैं उनके लिए इससे शांति और नेकी पैदा होती है।” (इब्रानियों 12:11) ठीक जैसे फल को पकने में समय लगता है, वैसे ही यहोवा से प्रशिक्षण पाते समय हमें अपना रवैया बदलने में वक्त लगता है। उदाहरण के लिए, जब किसी गलती के लिए हमें सुधारा जाता है, तो हमें परमेश्वर के वक्त का इंतज़ार करना चाहिए। ऐसा करने से हम मायूस नहीं होंगे। दाविद ने कहा, “उसका क्रोध पल-भर का होता है, जबकि उसकी कृपा ज़िंदगी-भर बनी रहती है। साँझ को भले ही रोना पड़े, पर सवेरे खुशी से जयजयकार होगी।” (भजन 30:5) अगर हम यहोवा के वक्त का इंतज़ार करें और उसके वचन और संगठन से मिलनेवाली सलाह मानें, तो वह समय आएगा जब हम “खुशी से जयजयकार” करेंगे।
दिल से पश्चाताप करने का क्या मतलब है?
18 अगर एक बहिष्कृत व्यक्ति को दिल से अपने किए पर पछतावा है, तो वह हर सभा में आएगा। और प्राचीनों की सलाह मानकर प्रार्थना करेगा और बाइबल का अध्ययन करेगा। वह ऐसी हर चीज़ से बचेगा, जिसकी वजह से वह अपना पाप दोहरा सकता है। अगर वह यहोवा के साथ अपने रिश्ते को सुधारने की पूरी कोशिश करेगा, तो यहोवा उसे माफ करेगा और प्राचीन भी उसे वापस मंडली का हिस्सा बनाएँगे। पाप करनेवाले हर व्यक्ति के हालात एक-जैसे नहीं होते। इसलिए प्राचीन हर मामले को ध्यान से जाँचते हैं और इस बात का ध्यान रखते हैं कि वे कठोरता से न्याय न करें।
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जन23 अंक1 पेज 6 पै 1
प्रार्थना कीजिए—“सारी चिंताओं का बोझ उसी पर डाल दो”
यहोवा से प्रार्थना करने से हमारा यकीन बढ़ेगा कि उसे हमारी परवाह है। हम पुराने ज़माने के परमेश्वर के एक सेवक की तरह महसूस कर पाएँगे, जिसने प्रार्थना में उससे कहा, “तूने मेरा दुख देखा है, तू मेरे मन की पीड़ा जानता है।” (भजन 31:7) यहोवा हमारा दुख देखता है, यह बात जानकर ही हमें मुश्किल-से-मुश्किल हालात पार करने की हिम्मत मिल जाती है। पर वह हमारी तकलीफें सिर्फ देखता ही नहीं बल्कि उन्हें समझता भी है। वह हमें इतनी अच्छी तरह समझता है जितना और कोई नहीं! और वह बाइबल के ज़रिए हमें दिलासा और हौसला देता है।
22-28 अप्रैल
पाएँ बाइबल का खज़ाना | भजन 32-33
हमें अपना पाप क्यों मान लेना चाहिए?
प्र93 3/15 पेज 9 पै 7, अँग्रेज़ी
यहोवा की दया की वजह से हम मायूस नहीं होते
7 जब हमसे कोई गंभीर पाप हो जाता है तो किसी के सामने, यहाँ तक कि यहोवा के सामने उसे मान लेना बहुत मुश्किल हो सकता है। भजन 32 में दाविद ने बताया कि अपना पाप छिपाने के क्या-क्या अंजाम हो सकते हैं। उसने कहा, “जब मैं चुप रहा तो मैं दिन-भर कराहता रहा जिससे मेरी हड्डियाँ गलने लगीं। क्योंकि दिन-रात तेरा हाथ मुझ पर भारी था। मेरा दमखम ऐसे खत्म हो गया जैसे गरमियों की कड़ी धूप से पानी सूख जाता है।” (आयत 3, 4) जब दाविद ने अपना पाप छिपाने और दोष की भावना दबाने की कोशिश की, तो वह पस्त हो गया। वह परेशान रहने लगा और बीमार भी पड़ गया। उसकी हालत वैसे ही हो गयी थी जैसे सूखा पड़ने पर एक पेड़ की हो जाती है। नतीजा, उसकी खुशी छिन गयी। अगर हमारी हालत भी ऐसी है, तो हमें क्या करना चाहिए?
परमेश्वर जो “क्षमा करने को तत्पर” रहता है
8 पश्चातापी दाऊद ने कहा था: “जब मैं ने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, . . . तब तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया।” (तिरछे टाइप हमारे; भजन 32:5) शब्द “क्षमा” एक ऐसे इब्रानी शब्द का अनुवाद है, जिसका बुनियादी अर्थ है “उठाना” या “ले जाना।” यहाँ इसके इस्तेमाल का मतलब है “दोष, पाप, अपराध” को दूर ले जाना। यहोवा मानो दाऊद के पापों को उठाकर दूर ले गया। इससे ज़रूर दाऊद के मन से दोष की वह भावना दूर हुई, जिसके बोझ से वह दबा हुआ था। (भजन 32:3) हम भी परमेश्वर पर पूरा भरोसा रख सकते हैं कि वह ऐसे लोगों के पापों को उठाकर दूर ले जाता है, जो यीशु मसीह के छुड़ौती बलिदान पर विश्वास के आधार पर उससे माफी माँगते हैं।—मत्ती 20:28.
पापों को स्वीकार करना जो आध्यात्मिक तौर से स्वस्थ करता है
दाऊद ने अपने पापों को स्वीकार करने के बाद, हीन भावना को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। अपने पापों को स्वीकार करते हुए जो भजन उसने लिखे थे, उनसे ज़ाहिर होता है कि उसे राहत मिली थी और उसने परमेश्वर की सेवा वफादारी से करने का पक्का इरादा कर लिया था। उदाहरण के लिए, ज़रा भजन 32 को देखिए। इसकी पहली आयत में हम पढ़ते हैं: “क्या ही धन्य है वह जिसका अपराध क्षमा किया गया, और जिसका पाप ढांपा गया हो।” एक व्यक्ति के पाप कितने भी गंभीर क्यों ना हो अगर वह सच्चे दिल से पश्चाताप करता है तो उसे खुशी मिल सकती है। इसका एक तरीका है कि अपने किए की पूरी ज़िम्मेदारी लेना, जैसा कि दाऊद ने किया था। (2 शमूएल 12:13) उसने न तो यहोवा के आगे सफाई पेश करने की और ना ही अपने पापों के लिए दूसरों को कसूरवार ठहराने की कोशिश की। पाँचवीं आयत कहती है: “जब मैं ने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, और कहा, मैं यहोवा के साम्हने अपने अपराधों को मान लूंगा; तब तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया।” एक व्यक्ति जब सच्चे दिल से अपना पाप स्वीकार करता है तो उसे राहत पहुँचती है, और इसके बाद फिर कभी उसका विवेक उसके पिछले गलत कामों के लिए उसे नहीं कोसता।
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भजन संहिता किताब के पहले भाग की झलकियाँ
33:6—यहोवा के मुँह का “श्वास” क्या है? यह श्वास परमेश्वर की सक्रिय शक्ति, पवित्र आत्मा है जिसका इस्तेमाल उसने आकाश को बनाने के लिए किया था। (उत्पत्ति 1:1, 2) इसे उसके मुँह का श्वास इसलिए कहा गया है, क्योंकि परमेश्वर की आत्मा एक ज़बरदस्त फूँक की तरह है, जिसे वह अपना मकसद पूरा करने के लिए दूर-दूर तक भेज सकता है।
29 अप्रैल–5 मई
पाएँ बाइबल का खज़ाना | भजन 34-35
“हर समय यहोवा की तारीफ” कीजिए
आओ हम मिलकर यहोवा के नाम की स्तुति करें
11 “मैं हर समय यहोवा को धन्य कहा करूंगा; उसकी स्तुति निरन्तर मेरे मुख से होती रहेगी।” (भजन 34:1) एक भगोड़े की ज़िंदगी बिताते वक्त, दाऊद को बेशक खाने-पहनने की ज़रूरतों की चिंता रही होगी। मगर जैसा यह आयत बताती है, उसने रोज़मर्रा की इन चिंताओं को खुद पर हावी नहीं होने दिया, जिससे यहोवा की स्तुति करने का उसका इरादा कमज़ोर पड़ जाता। वाकई, मुश्किलों के बावजूद यहोवा की स्तुति करते रहने में दाऊद ने हमारे लिए क्या ही बढ़िया मिसाल कायम की! चाहे हम स्कूल में हों या काम की जगह पर, अपने मसीही भाई-बहनों के साथ हों या प्रचार में, हमारी सबसे बड़ी ख्वाहिश यही होनी चाहिए कि हम यहोवा की स्तुति करें। ज़रा गौर कीजिए कि ऐसा करने की हमारे पास कितनी अनगिनत वजह हैं! मिसाल के लिए, यहोवा की शानदार सृष्टि के बारे में सीखने का कोई अंत नहीं। हम उसकी सृष्टि के अजूबों के बारे में जितनी ज़्यादा खोजबीन करते हैं, हमें उतनी नयी-नयी बातें सीखने को मिलती हैं और उतना ही ज़्यादा हमें आनंद भी मिलता है। अब ज़रा इस बारे में भी सोचिए, यहोवा ने अपने संगठन के ज़रिए धरती पर कितने बड़े-बड़े काम किए हैं! आज हमारे ज़माने में, यहोवा ने अपने वफादार सेवकों का बड़े ही ज़बरदस्त तरीके से इस्तेमाल किया है, इसके बावजूद कि वे असिद्ध हैं। क्या परमेश्वर के इन सारे कामों की बराबरी दुनिया की उन जानी-मानी हस्तियों के कामों से की जा सकती है जिन्हें लोग देवता मानकर पूजते हैं? तो क्या आप दाऊद की लिखी इस बात से सहमत नहीं होंगे: “हे प्रभु [यहोवा] देवताओं में से कोई भी तेरे तुल्य नहीं, और न किसी के काम तेरे कामों के बराबर हैं”?—भजन 86:8.
आओ हम मिलकर यहोवा के नाम की स्तुति करें
13 “मैं यहोवा पर घमण्ड करूंगा; नम्र लोग यह सुनकर आनन्दित होंगे।” (भजन 34:2) इस आयत में दाऊद अपनी किसी कामयाबी पर घमंड नहीं कर रहा था। उदाहरण के लिए, उसने इस बात के लिए डींग नहीं मारी कि उसने किस तरह गत के राजा की आँखों में धूल झोंकी थी। दाऊद को एहसास था कि गत में यहोवा ने ही उसकी हिफाज़त की और उसकी मदद की बदौलत ही उसकी जान बची थी। (नीतिवचन 21:1) इस तरह, दाऊद ने खुद पर नहीं बल्कि यहोवा पर घमंड किया। उसने यहोवा की बड़ाई की, इसलिए नम्र लोग यहोवा की तरफ खिंचे चले आए। उसी तरह, यीशु ने भी हमेशा यहोवा के नाम की बड़ाई की, और इस वजह से नम्र और सीखने के लिए तैयार लोग यहोवा के करीब आए। आज भी, सभी जातियों के नम्र लोग आत्मा से अभिषिक्त मसीहियों की उस अंतर्राष्ट्रीय कलीसिया की तरफ खिंचे चले आ रहे हैं, जिसका मुखिया यीशु है। (कुलुस्सियों 1:18) जब ये नम्र लोग, परमेश्वर के दीन सेवकों को उसके नाम की महिमा करते और बाइबल का संदेश देते हुए सुनते हैं और परमेश्वर की आत्मा उन्हें यह संदेश समझने में मदद देती है, तो यह सब उनके दिल को छू जाता है।—यूहन्ना 6:44; प्रेरितों 16:14.
आओ हम मिलकर यहोवा के नाम की स्तुति करें
15 “मैंने यहोवा से मांगा और उसने मुझे उत्तर दिया और मेरे सब भय से मुझे छुटकारा दिया।” (भजन 34:4, NHT) दाऊद का यह तजुरबा उसके लिए बहुत मायने रखता था। इसलिए उसने आगे कहा: “इस दीन जन ने पुकारा तब यहोवा ने सुन लिया, और उसको उसके सब कष्टों से छुड़ा लिया।” (भजन 34:6) जब हम अपने मसीही भाई-बहनों के साथ सभाओं में इकट्ठे होते हैं, तो हमें अपने अनुभव बताने के कई मौके मिलते हैं कि यहोवा ने कैसे मुश्किल हालात को सहने में हमारी मदद की। इससे हमारे भाइयों का विश्वास मज़बूत होता है, ठीक जैसे दाऊद के अनुभव सुनने पर उसके साथियों का विश्वास मज़बूत हुआ था। दाऊद के साथियों ने “[यहोवा की] ओर दृष्टि की, उन्हों ने ज्योति पाई; और उनका मुंह कभी काला [“लज्जित,” नयी हिन्दी बाइबिल] न होने पाया।” (भजन 34:5) हालाँकि दाऊद के आदमी, राजा शाऊल से भाग रहे थे, मगर उन्होंने कभी लज्जा या शर्म महसूस नहीं की। उन्हें पूरा यकीन था कि परमेश्वर, दाऊद के साथ है और इसी वजह से उनके चेहरों पर ज्योति या रौनक थी। उसी तरह, आज दिलचस्पी दिखानेवाले नए लोग और लंबे समय से यहोवा की सेवा करनेवाले, दोनों मदद के लिए उस पर आस लगाते हैं। क्योंकि उन्होंने खुद अपनी ज़िंदगी में यहोवा की मदद को महसूस किया है, इसलिए उनके दमकते चेहरों से साफ झलकता है कि उन्होंने यहोवा के वफादार बने रहने की ठान ली है।
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
भजन संहिता किताब के पहले भाग की झलकियाँ
35:19—दाऊद की इस गुज़ारिश का मतलब क्या है कि परमेश्वर, उसके बैरी को आपस में नैन से सैन करने न दे? नैन से सैन करना या आँख मारना यह दिखाता है कि दाऊद के दुश्मन जब उसे बरबाद करने की अपनी साज़िशों को अंजाम देने में कामयाब हुए, तो वे बड़े खुश हो रहे थे। इसलिए दाऊद ने परमेश्वर से गुज़ारिश की कि वह ऐसा न होने दे।