यहोवा हमारा चरवाहा है
“यहोवा मेरा चरवाहा है, मुझे कुछ घटी न होगी।”—भजन 23:1.
1-3. यह क्यों ताज्जुब की बात नहीं कि दाऊद ने यहोवा को एक चरवाहा कहा?
अगर आपसे कोई कहे कि बताइए यहोवा किस तरह से अपने लोगों की देखभाल करता है, तो आप क्या जवाब देंगे? आप यहोवा की तुलना किससे करेंगे ताकि यह बात अच्छी तरह समझ में आए कि यहोवा बड़े प्यार और कोमलता से अपने वफादार सेवकों की देखभाल करता है? अब से तीन हज़ार साल से भी पहले, राजा दाऊद ने भजन की किताब में यहोवा की शख्सियत की एक खूबसूरत छवि पेश की। उसने एक ऐसी मिसाल दी जिसका ताल्लुक उसके पुराने पेशे से था।
2 दाऊद बचपन में चरवाहा रह चुका था, इसलिए उसे मालूम था कि भेड़ों की देखभाल करना क्या होता है। वह अच्छी तरह जानता था कि अगर भेड़ों को अकेला छोड़ दिया जाए, तो वे गुम हो सकती हैं, और फिर चोर या जंगली जानवर उन्हें उठाकर ले जा सकते हैं। (1 शमूएल 17:34-36) परवाह करनेवाले एक चरवाहे के बिना, भेड़ें खुद-ब-खुद चरागाह तक नहीं पहुँच पातीं और भूखी रह जाती हैं। दाऊद का बचपन ज़्यादातर भेड़ों की अगुवाई करने, उनकी हिफाज़त करने और उन्हें चराने में गुज़रा था। इसलिए बाद के सालों में उसने ज़रूर अपनी ज़िंदगी के इन मीठे पलों को याद किया होगा।
3 इसलिए ताज्जुब नहीं कि दाऊद के मन में उस वक्त एक चरवाहे का ही खयाल आया जब उसे आत्मा से यह लिखने की प्रेरणा मिली कि यहोवा अपने लोगों की कितनी परवाह करता है। भजन 23 की शुरूआत करते हुए दाऊद ने लिखा: “यहोवा मेरा चरवाहा है, मुझे कुछ घटी न होगी।” आइए अब हम जाँचें कि यहोवा की तुलना एक चरवाहे से करना क्यों सही है। इसके बाद, भजन 23 की बाकी आयतों में हम देखेंगे कि जिस तरह एक चरवाहा अपनी भेड़ों की देखभाल करता है, उसी तरह यहोवा कैसे अपने उपासकों का खयाल रखता है।—1 पतरस 2:25.
एकदम सही मिसाल
4, 5. बाइबल, भेड़ों के स्वभाव के बारे में क्या बताती है?
4 बाइबल में यहोवा के लिए बहुत-सी उपाधियाँ इस्तेमाल की गयी हैं, मगर “चरवाहा” एक ऐसी उपाधि है जिससे यहोवा की कोमल परवाह का हमें सबसे गहरा एहसास मिलता है। (भजन 80:1) यहोवा को एक चरवाहा क्यों कहा गया है, इस बात को और अच्छी तरह समझने के लिए आइए हम दो बातों पर गौर करें। पहली, भेड़ों का स्वभाव कैसा होता है और दूसरी, एक अच्छे चरवाहे के गुण और उसकी ज़िम्मेदारियाँ क्या होती हैं।
5 बाइबल में भेड़ की कई खासियतों का ज़िक्र किया गया है, जैसे यह कि वे प्यार करनेवाले एक चरवाहे के साथ कैसे हिल-मिल जाती हैं। (2 शमूएल 12:3) वे शांत स्वभाव की (यशायाह 53:7), बेबस और लाचार होती हैं। (मीका 5:8) भेड़ें पालने में सालों का तजुरबा रखनेवाला एक लेखक कहता है: “शायद कुछ लोगों को लगे कि ‘भेड़ें अपनी देखभाल खुद कर सकतीं हैं,’ मगर यह सच नहीं है। दूसरे किसी भी जानवर से बढ़कर इन्हें खास देखभाल की ज़रूरत होती है और चौबीसों घंटे उनका ध्यान रखना पड़ता है।” ज़िंदा रहने के लिए इन बेबस प्राणियों को एक ऐसे चरवाहे की सख्त ज़रूरत होती है जो उनकी परवाह करे।—यहेजकेल 34:5.
6. एक बाइबल शब्दकोश के मुताबिक पुराने ज़माने में एक चरवाहे का सारा दिन कैसे गुज़रता था?
6 पुराने ज़माने में एक चरवाहे को दिन-भर क्या-क्या काम करने पड़ते थे? एक बाइबल शब्दकोश कहता है: “चरवाहा, सुबह-सुबह बाड़े से अपनी भेड़ों को बाहर निकालता था और फिर भेड़ों के आगे-आगे चलकर उन्हें उस जगह ले जाता था जहाँ वे घास चरतीं। यहाँ चरवाहा पूरा दिन उन पर नज़र रखता था ताकि एक भी भेड़ भटककर दूर न चली जाए। और अगर कोई भेड़ उसकी नज़रों से कुछ वक्त के लिए ओझल हो जाती और झुंड से दूर चली जाती, तो चरवाहा उसे ढूँढ़ने के लिए इलाके का चप्पा-चप्पा छान मारता था। भेड़ मिलने के बाद ही वह वापस लौटता था। . . . जब रात हो जाती, तो चरवाहा अपनी भेड़ों को वापस बाड़े में ले आता। उसकी लाठी के नीचे से निकलकर जब भेड़ें दरवाज़े के भीतर घुसतीं तो वह एक-एक भेड़ को गिनता जाता कि कहीं कोई रह तो नहीं गयी। . . . अकसर चरवाहा, रात के अंधेरे में भी बाड़े पर पहरा देता था ताकि जंगली जानवर या चोर-उचक्के उन पर हमला न करें।”a
7. एक चरवाहे को कभी-कभी कुछ ज़्यादा ही सब्र और कोमलता से पेश आने की ज़रूरत क्यों पड़ती थी?
7 कभी-कभी भेड़ों के साथ, खासकर गाभिन भेड़ों और मेम्नों के साथ कुछ ज़्यादा ही सब्र और कोमलता से पेश आने की ज़रूरत पड़ती थी। (उत्पत्ति 33:13) बाइबल का एक विश्वकोश कहता है: “एक भेड़ अकसर बाड़े से काफी दूर, पहाड़ की किसी ढलान पर बच्चा देती थी। ऐसे में वह बिलकुल लाचार होती थी, इसलिए चरवाहा उसकी हिफाज़त करने के लिए पास ही खड़ा रहता था। और जब वह बच्चे को जन्म दे देती, तो चरवाहा मेम्ने को उठाकर बाड़े तक लाता था। फिर कुछ दिनों तक, जब तक कि मेम्ना चलना नहीं सीख जाता तब तक चरवाहा उसे अपनी गोद में लिए फिरता था या ऊपरी लबादे की तह के अंदर रखता था।” (यशायाह 40:10, 11) इससे साफ पता चलता है कि चरवाहे को न सिर्फ ताकतवर और हिम्मतवाला होना चाहिए था बल्कि उसमें कोमलता जैसे गुण भी होने ज़रूरी थे।
8. यहोवा पर भरोसा रखने के लिए दाऊद क्या वजह बताता है?
8 “यहोवा मेरा चरवाहा है,” इन शब्दों से हमारे स्वर्गीय पिता की बिलकुल सही तसवीर खींची गयी है, है ना? जैसे-जैसे हम भजन 23 की जाँच करेंगे, हम देखेंगे कि परमेश्वर कैसे एक चरवाहे की तरह अपनी ताकत का इस्तेमाल करके हमारी हिफाज़त करता है, साथ ही हमारे साथ कोमलता से पेश आता है। पहली आयत में, दाऊद अपना यह भरोसा ज़ाहिर करता है कि परमेश्वर अपनी भेड़ों के लिए हर ज़रूरी इंतज़ाम करेगा जिससे उन्हें ‘कुछ घटी न हो।’ फिर आगे की आयतों में दाऊद, यहोवा पर भरोसा रखने की तीन वजह बताता है। ये तीन वजह हैं: यहोवा अपनी भेड़ों की अगुवाई करता है, उनकी हिफाज़त करता है और उनका पालन-पोषण करता है। आइए एक-एक करके इन तीन वजहों पर चर्चा करें।
‘वह मेरी अगुवाई करता है’
9. दाऊद शांति का क्या नज़ारा पेश करता है, और भेड़ें ऐसी जगह तक कैसे पहुँचती हैं?
9 पहली वजह, यहोवा अपने लोगों की अगुवाई करता है। दाऊद लिखता है: “वह मुझे हरी हरी चराइयों में बैठाता है; वह मुझे सुखदाई जल के झरने के पास ले चलता है; वह मेरे जी में जी ले आता है। धर्म के मार्गों में वह अपने नाम के निमित्त मेरी अगुवाई करता है।” (भजन 23:2, 3) भेड़ों का झुंड ऐसे मैदान में आराम से बैठा है, जहाँ चरने के लिए हरी-हरी घास और पीने के लिए भरपूर पानी है—इन शब्दों से दाऊद हमारे सामने सुकून, ताज़गी और सुरक्षा का नज़ारा पेश करता है। जिस इब्रानी शब्द का अनुवाद ‘चराइयाँ’ किया गया है, उसका मतलब “सुहावनी जगह” भी हो सकता है। ज़ाहिर है कि भेड़ें ऐसी ताज़गी देनेवाली जगह तक अपने आप नहीं पहुँच सकतीं, जहाँ वे आराम से बैठ सकें। इसके बजाय, उनका चरवाहा उन्हें ऐसी “सुहावनी जगह” ले जाता है।
10. परमेश्वर ने कैसे ज़ाहिर किया है कि उसको हम पर भरोसा है?
10 यहोवा आज हमारी अगुवाई कैसे करता है? एक तरीका है, अपनी मिसाल के ज़रिए। उसका वचन हमें उकसाता है कि हम “परमेश्वर के सदृश्य” बनें। (इफिसियों 5:1) इस आयत की आस-पास की आयतों में करुणा, माफी और प्यार का ज़िक्र किया गया है। (इफिसियों 4:32; 5:2) और ये मनभावने गुण दिखाने में यहोवा ने सबसे उम्दा मिसाल रखी है। जब यहोवा हमसे कहता है कि हम उसके जैसे बनें, तो क्या वह हमसे कुछ ऐसा करने के लिए कह रहा है जो हमारे बस के बाहर है? बिलकुल नहीं। दरअसल, यह ईश्वर-प्रेरित सलाह बहुत ही बेहतरीन तरीके से दिखाती है कि यहोवा को हम पर पूरा भरोसा है। वह कैसे? हम परमेश्वर के स्वरूप में बनाए गए हैं, जिसका मतलब यह है कि हमारे अंदर भी अच्छे गुण हैं और हममें आध्यात्मिक बातों को समझने और परमेश्वर की उपासना करने की काबिलीयत है। (उत्पत्ति 1:26) इसलिए यहोवा जानता है कि असिद्ध होने के बावजूद, हम अपने अंदर वे गुण बढ़ा सकते हैं, जिनकी वह खुद एक बढ़िया मिसाल है। ज़रा सोचिए, हमारे प्यारे परमेश्वर को हम पर पूरा भरोसा है कि हम उसके जैसे बन सकते हैं। अगर हम उसकी मिसाल पर चलें, तो वह हमारे आगे-आगे चलकर हमें आध्यात्मिक मायने में “सुखदाई” या सुहावनी जगह ले जाएगा। हिंसा और खून-खराबे से भरी इस दुनिया में भी हम ‘निश्चिन्त रहेंगे’ और वह सुकून महसूस करेंगे जो सिर्फ यह जानने पर मिलता है कि परमेश्वर हमसे खुश है।—भजन 4:8; 29:11.
11. अपनी भेड़ों की अगुवाई करते वक्त यहोवा किस बात का ध्यान रखता है, और यह उसकी माँग से कैसे ज़ाहिर होता है?
11 हमारी अगुवाई करते वक्त, यहोवा हमारे साथ बहुत कोमलता से पेश आता है और सब्र से काम लेता है। एक चरवाहा जानता है कि उसकी भेड़ें तेज़ नहीं चल सकतीं, इसलिए वह उन “पशुओं की गति के अनुसार” उनके आगे-आगे चलता है। (उत्पत्ति 33:14) यहोवा भी अपनी भेड़ों की “गति के अनुसार” उनकी अगुवाई करता है। वह हमारी काबिलीयतों और हालात को ध्यान में रखता है। दरअसल, वह हमारी खातिर अपनी रफ्तार बदलता है और कभी-भी ऐसी कोई माँग नहीं करता जो हम पूरी न कर सकें। मगर हाँ, वह यह ज़रूर माँग करता है कि हम तन-मन से उसकी सेवा करें। (कुलुस्सियों 3:23) लेकिन अगर आप एक बुज़ुर्ग हैं और जितना पहले करते थे, उतना अभी नहीं कर पा रहे हैं, तब क्या? या अगर आपको कोई बड़ी बीमारी है जिसकी वजह से आप यहोवा की सेवा में ज़्यादा नहीं कर पा रहे हैं, तब क्या? यही तो इस माँग की सबसे बड़ी खासियत है कि ऐसे हालात में भी तन-मन से यहोवा की सेवा करना मुमकिन है। कोई भी दो इंसान एक जैसे नहीं होते, हर इंसान अपने आप में अनोखा होता है। इसलिए तन-मन से सेवा करने का मतलब है कि आपमें जो ताकत और दम है, उसका यहोवा की सेवा में अपनी तरफ से पूरा-पूरा इस्तेमाल करना। अपनी कमज़ोरियों की वजह से शायद हम उतना न कर पाएँ जितना हम चाहते हैं, लेकिन हम जो भी सेवा करते हैं अगर वह हमारे पूरे तन-मन से है, तो यहोवा उसे बहुत अनमोल समझता है।—मरकुस 12:29, 30.
12. मूसा की कानून-व्यवस्था से कौन-सी मिसाल दिखाती है कि यहोवा अपनी भेड़ों की अगुवाई उनकी “गति के अनुसार” करता है?
12 यहोवा अपनी भेड़ों की अगुवाई उनकी “गति के अनुसार” कैसे करता है, यह समझने के लिए गौर कीजिए कि मूसा की कानून-व्यवस्था में कुछ दोषबलियों के बारे में क्या बताया गया था। यहोवा चाहता था कि लोग एहसान भरे दिल से यहोवा के आगे सबसे बेहतरीन बलिदान चढ़ाएँ। पर साथ ही, यह भी बताया गया था कि बलि चढ़ानेवाला अपनी हैसियत के हिसाब से क्या-क्या चढ़ा सकता है। कानून-व्यवस्था में कहा गया था: “यदि उसे भेड़ वा बकरी देने की सामर्थ्य न हो, तो . . . दो पंडुकी वा कबूतरी के दो बच्चे . . . ले आए।” लेकिन अगर उसके पास दो कबूतरी खरीदने के भी पैसे न हों, तब क्या? तब वह थोड़ा “मैदा” चढ़ा सकता था। (लैव्यव्यवस्था 5:7, 11) इससे साफ है कि परमेश्वर ने बलि चढ़ानेवाले से कभी ऐसी माँग नहीं की जिसे वह पूरा न कर सके। क्योंकि परमेश्वर कभी बदलता नहीं, इसलिए हम इस बात से तसल्ली पा सकते हैं कि वह आज भी हमसे वही चाहता है जितना हम दे सकते हैं, न कि उससे ज़्यादा। और जब हम ऐसा करते हैं, तो वह खुश होता है और हमारी सेवा कबूल करता है। (मलाकी 3:6) यह वाकई बड़ी खुशी की बात है कि एक ऐसा चरवाहा हमारी अगुवाई कर रहा है जो हमें समझता है!
‘मैं हानि से न डरूंगा; क्योंकि तू मेरे साथ रहता है’
13. भजन 23:4 में दाऊद कैसे दिखाता है कि यहोवा के साथ उसकी गहरी मित्रता थी, और यह क्यों ताज्जुब की बात नहीं है?
13 दाऊद, यहोवा पर भरोसा रखने की दूसरी वजह बताता है: यहोवा अपनी भेड़ों की हिफाज़त करता है। हम पढ़ते हैं: “चाहे मैं घोर अन्धकार से भरी हुई तराई में होकर चलूं, तौभी हानि से न डरूंगा; क्योंकि तू मेरे साथ रहता है; तेरे सोंटे और तेरी लाठी से मुझे शान्ति मिलती है।” (भजन 23:4) शुरू की तीन आयतों में दाऊद, यहोवा को “वह” कहता है, मगर अब वह सीधे उससे बात करते हुए “तू” कहता है, मानो वह अपने जिगरी दोस्त से बात कर रहा हो। और यह कोई ताज्जुब की बात नहीं है, क्योंकि दाऊद यही तो बता रहा है कि यहोवा ने कैसे उसे दुःख-दर्द का सामना करने में मदद की थी। दाऊद कई बार घोर अंधकार से भरी तराइयों से गुज़रा था, यानी कई दफे उसकी ज़िंदगी में ऐसे मुकाम आए थे जब वह मौत के साथ रू-ब-रू हुआ था। फिर भी, उसने डर को अपने ऊपर हावी होने नहीं दिया क्योंकि उसने महसूस किया कि परमेश्वर उसके साथ है और अपना ‘सोंटा’ और अपनी “लाठी” लिए उसे बचाने के लिए हरदम तैयार है। हिफाज़त के इसी एहसास ने दाऊद के दिल को सुकून पहुँचाया और बेशक, इससे वह यहोवा के और भी करीब आया।b
14. यहोवा से मिलनेवाली हिफाज़त के बारे में बाइबल हमें क्या भरोसा दिलाती है, लेकिन इसका क्या मतलब नहीं है?
14 आज यहोवा अपनी भेड़ों की कैसे हिफाज़त करता है? बाइबल हमें भरोसा दिलाती है कि कोई भी विरोधी, फिर चाहे वे दुष्टात्माएँ हों या इंसान, कभी इस धरती से यहोवा की भेड़ों का नामो-निशान नहीं मिटा पाएँगे। यहोवा ऐसा हरगिज़ नहीं होने देगा। (यशायाह 54:17; 2 पतरस 2:9) मगर इसका यह मतलब नहीं कि हमारा चरवाहा हम पर कभी कोई मुसीबत नहीं आने देगा। दुनिया के लोगों की तरह हम पर भी कई मुसीबतें आती हैं। साथ ही, सच्चे मसीही होने के नाते हमें अपने विश्वास की खातिर विरोध का भी सामना करना पड़ता है। (2 तीमुथियुस 3:12; याकूब 1:2) कभी-कभी हमारी ज़िंदगी में ऐसा भी वक्त आ सकता है जब हमें मानो ‘घोर अन्धकार से भरी हुई तराई में से चलना’ पड़े। मिसाल के लिए, दुश्मन के ज़ुल्मों या किसी गंभीर बीमारी के शिकार होने की वजह से शायद मौत से हमारा सामना हो। या हो सकता है, हमारा कोई अज़ीज़ मरने की कगार पर हो या सचमुच उसकी मौत हो गयी हो। ज़िंदगी में जब हम पर ऐसा कहर टूटता है, तो ऐसे में हमारा चरवाहा हमारे साथ होता है और वह हमें सही-सलामत रखेगा। कैसे?
15, 16. (क) यहोवा किन तरीकों से हमें हर आफत को पार करने में मदद करता है? (ख) एक अनुभव बताकर समझाइए कि यहोवा कैसे परीक्षा की घड़ी में हमारी मदद करता है।
15 यहोवा ने यह वादा नहीं किया है कि वह चमत्कार करके हमें हर मुसीबत से बाहर निकालेगा।c लेकिन हाँ, हम इतना ज़रूर यकीन रख सकते हैं: हम पर चाहे जो भी आफत आए, उसे पार करने में यहोवा ज़रूर हमारी मदद करेगा। वह हमें “नाना प्रकार की परीक्षाओं” का सामना करने के लिए बुद्धि दे सकता है। (याकूब 1:2-5) एक चरवाहा अपनी लाठी का इस्तेमाल केवल जंगली जानवरों को भगाने के लिए नहीं करता, बल्कि इससे अपनी भेड़ों को हलके से टहोका भी मारता है ताकि वे सही रास्ते पर चलती रहें। उसी तरह, यहोवा भी हमारे संगी उपासकों के ज़रिए हमें प्यार से “टहोका” मार सकता है, ताकि हम बाइबल की सलाह पर अमल करें, जिससे हमारे हालात में काफी फर्क आएगा। इसके अलावा, यहोवा हमें धीरज धरने की ताकत दे सकता है। (फिलिप्पियों 4:13) वह अपनी पवित्र आत्मा के ज़रिए हमें “असीम सामर्थ” देकर मज़बूत कर सकता है। (2 कुरिन्थियों 4:7) परमेश्वर की आत्मा हमें इतनी ताकत दे सकती है कि शैतान हम पर चाहे जो भी परीक्षा लाए, हमारे अंदर उसे सहने की ताकत होगी। (1 कुरिन्थियों 10:13) क्या इस बात से दिल को चैन नहीं मिलता कि यहोवा हमारी मदद करने के लिए हर पल तैयार है?
16 जी हाँ, हम चाहे घोर अंधकार से भरी किसी तराई में क्यों न हों, हमें उसमें से अकेले गुज़रना नहीं पड़ेगा। हमारा चरवाहा हमारे साथ है और वह ऐसे तरीकों से हमारी मदद करता है, जिन्हें हम शायद पहले पूरी तरह समझ न पाएँ। एक मसीही प्राचीन के अनुभव पर गौर कीजिए। उसे डॉक्टरी जाँच के बाद पता चला कि उसे जानलेवा ब्रेन ट्यूमर है। वह कहता है: “मुझे मानना पड़ेगा कि पहले तो मुझे लगा, यहोवा आखिर किस बात के लिए मुझसे नाराज़ है? मुझे तो यह भी शक होने लगा कि वह मुझसे प्यार करता भी है या नहीं। मगर फिर मैंने ठान लिया था कि मैं यहोवा को नहीं छोड़ूँगा। इसके बजाय, मैंने यहोवा के सामने अपना दिल खोलकर रख दिया। यहोवा ने मेरी फरियाद सुन ली। उसने अकसर मसीही भाई-बहनों के ज़रिए मुझे दिलासा दिया। कलीसिया के कई लोगों ने आकर मुझे अपने अनुभव सुनाए कि उन्होंने किस तरह गंभीर बीमारियों का सामना किया है, और इससे मुझे अपने हालात को समझने में काफी मदद मिली। उन्होंने जिस समझदारी से बात की, उससे मुझे तसल्ली मिली और मुझे एहसास हुआ कि मेरे साथ जो हो रहा है, वह कोई अनोखी बात नहीं है। कई भाई-बहनों ने कारगर तरीकों से मेरी मदद की, कुछ ने तो मदद देने की ऐसी पेशकश की कि मेरा दिल भर आया। वाकई इन सारी बातों ने मेरा यह शक दूर कर दिया कि यहोवा मुझसे नाराज़ है। माना कि मुझे अपनी बीमारी से लगातार लड़ना पड़ेगा, और मैं नहीं जानता कि आगे मेरा क्या होगा। फिर भी मुझे एक बात का पक्का यकीन है कि यहोवा मेरे साथ है और इस आज़माइश का सामना करने में वह मेरी मदद करता रहेगा।”
“तू . . . मेरे लिये मेज़ बिछाता है”
17. भजन 23:5 में दाऊद, यहोवा के बारे में क्या बताता है, और यह उदाहरण कैसे एक चरवाहे के उदाहरण से मेल खाता है?
17 दाऊद अब तीसरी वजह बताता है कि क्यों उसे अपने चरवाहे पर पक्का यकीन है: यहोवा अपनी भेड़ों का पालन-पोषण करता है और उन्हें भरपेट खिलाता है। दाऊद ने लिखा: “तू मेरे सतानेवालों के साम्हने मेरे लिये मेज़ बिछाता है; तू ने मेरे सिर पर तेल मला है, मेरा कटोरा उमण्ड रहा है।” (भजन 23:5) इस आयत में दाऊद कहता है कि उसका चरवाहा एक दरियादिल मेज़बान है जो खान-पान की ढेर सारी चीज़ों का इंतज़ाम करता है। शायद हमें लगे कि एक परवाह करनेवाला चरवाहा, एक दरियादिल मेज़बान कैसे हो सकता है? बेशक हो सकता है। एक अच्छे चरवाहे को यह पता होना चाहिए कि हरी-भरी चराइयाँ कहाँ-कहाँ हैं और पीने के लिए भरपूर पानी कहाँ मिल सकता है, ताकि उसके झुंड को ‘कुछ घटी न हो।’—भजन 23:1, 2.
18. क्या दिखाता है कि यहोवा दरियादिल मेज़बान है?
18 क्या हमारा चरवाहा भी दरियादिल मेज़बान है? बेशक है! ज़रा सोचिए, आज हम कितनी बहुतायत में, अलग-अलग किस्म के और एक-से-बढ़कर-एक आध्यात्मिक भोजन का आनंद उठा रहे हैं! यहोवा, विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास वर्ग के ज़रिए हमें ऐसी किताबें और पत्रिकाएँ दे रहा है जो हमारी बहुत मदद करती हैं। साथ ही, सभाओं, सम्मेलनों और अधिवेशनों के ज़रिए हमें भरपूर हिदायतें दी जाती हैं जिनसे हम बहुत कुछ सीखते हैं। इन सभी तरीकों से यहोवा हमारी आध्यात्मिक ज़रूरतें पूरी कर रहा है। (मत्ती 24:45-47) सचमुच, आज आध्यात्मिक भोजन की कोई कमी नहीं है। “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” ने करोड़ों की तादाद में बाइबलें और बाइबल अध्ययन में मदद देनेवाले साहित्य तैयार किए हैं जो आज 413 भाषाओं में मौजूद हैं। यहोवा ने हमें तरह-तरह का आध्यात्मिक भोजन दिया है, “दूध” यानी बाइबल की बुनियादी शिक्षाओं से लेकर “अन्न” यानी बाइबल की गूढ़ बातों तक की जानकारी दी है। (इब्रानियों 5:11-14) नतीजा, जब हम कोई समस्या में पड़ते हैं या जब हमें कोई फैसला करना पड़ता है, तो हमें ठीक वही मदद मिलती है जिसकी हमें ज़रूरत होती है। वाकई, अगर हमें ऐसा आध्यात्मिक भोजन न मिलता, तो न जाने आज हमारी क्या हालत होती! हमारे चरवाहे यहोवा जैसा दरियादिल पूरे जहान में कोई और नहीं!—यशायाह 25:6; 65:13.
“मैं यहोवा के धाम में सर्वदा बास करूंगा”
19, 20. (क) भजन 23:6 में दाऊद किस बात पर यकीन ज़ाहिर करता है, और हम अपने अंदर ऐसा यकीन कैसे पैदा कर सकते हैं? (ख) अगले लेख में किस बारे में चर्चा की जाएगी?
19 अपने चरवाहे और अन्नदाता के कामों का ज़िक्र करने के बाद, दाऊद आखिर में लिखता है: “निश्चय भलाई और करुणा जीवन भर मेरे साथ साथ बनी रहेंगी; और मैं यहोवा के धाम में सर्वदा बास करूंगा।” (भजन 23:6) दाऊद यह बात एहसान भरे दिल से और पूरे विश्वास के साथ कहता है, एहसान इसलिए क्योंकि वह याद करता है कि गुज़रे वक्त में यहोवा ने उस पर कितने उपकार किए थे। और विश्वास इसलिए कि भविष्य में भी यहोवा उसे नहीं छोड़ेगा। दाऊद जो पहले खुद एक चरवाहा था, वह सुरक्षित महसूस करता है, क्योंकि वह जानता है कि जब तक वह अपने स्वर्गीय चरवाहे के धाम में वास करेगा मानो उसके घर में उसके साथ रहेगा, तब तक यहोवा उसकी प्यार से देखभाल करता रहेगा।
20 भजन 23 में दर्ज़ खूबसूरत शब्दों के लिए हम कितने एहसानमंद हैं! यहोवा कैसे अपनी भेड़ों की अगुवाई करता है, उनकी हिफाज़त और उनका पालन-पोषण करता है, यह समझाने के लिए दाऊद इससे बेहतर मिसाल नहीं दे सकता था। दिल छू लेनेवाले दाऊद के इन शब्दों को बाइबल में इसलिए दर्ज़ किया गया है ताकि हम भी यहोवा को अपना चरवाहा मानें और उस पर पूरा भरोसा रखें। जी हाँ, जब तक हम यहोवा के करीब बने रहेंगे, तब तक वह एक प्यारे चरवाहे की तरह लंबे अरसे तक, यहाँ तक कि “सर्वदा” तक हमारी देखभाल करता रहेगा। लेकिन भेड़ें होने के नाते हमारी ज़िम्मेदारी बनती है कि हम अपने महान चरवाहे, यहोवा के पीछे-पीछे चलें। इसके लिए हमें क्या करने की ज़रूरत है, इस बारे में अगले लेख में चर्चा की जाएगी।
[फुटनोट]
b दाऊद ने अपने कई भजनों में इस बात के लिए यहोवा की महिमा की कि उसने कई खतरों से उसे बचाया था।—मिसाल के लिए, भजन 18, 34, 56, 57, 59 और 63 के उपरिलेख देखिए।
c अक्टूबर 1, 2003 की प्रहरीदुर्ग में, “परमेश्वर की तरफ से कार्यवाही—हम क्या उम्मीद कर सकते हैं?” लेख देखिए।
क्या आपको याद है?
• यह क्यों एकदम सही है कि दाऊद ने यहोवा की तुलना एक चरवाहे के साथ की?
• हमारी अगुवाई करते वक्त, यहोवा किस तरह समझ से काम लेता है?
• यहोवा किन तरीकों से हमें परीक्षाओं में धीरज धरने में मदद देता है?
• क्या दिखाता है कि यहोवा एक दरियादिल मेज़बान है?
[पेज 18 पर तसवीर]
प्राचीन इस्राएल के एक चरवाहे की तरह, यहोवा भी अपने लोगों की अगुवाई करता है