“यहोवा मेरा चरवाहा है”
“यहोवा मेरा चरवाहा है, मुझे कुछ घटी न होगी।”—भजन २३:१.
१, २. दाऊद की कुछ प्रवीणताएँ क्या थीं, और उसने कितने भजनों की रचना की?
इस दृश्य की कल्पना करें: पलिश्ती फ़ौज इस्राएल की सेना के सामने है। गोलियत, एक पलिश्ती भीमकाय मनुष्य, उद्धत है। एक नौजवान, जो कि सिर्फ़ एक गोफन और पत्थरों से लैस है, उसका सामना करने के लिए दौड़ता है। अच्छी तरह निशाना लगाया एक पत्थर भीमकाय मनुष्य की ख़ोपड़ी भेदता है और उसकी जान लेता है। यह नौजवान कौन था? दाऊद, एक चरवाहा, जिसने यहोवा परमेश्वर की सहायता से यह ग़ज़ब की जीत हासिल की।—१ शमूएल, अध्याय १७.
२ अन्त में, यह नौजवान इस्राएल का राजा बना, और ४० सालों तक राज्य किया। वह एक निपुण हार्प-वादक था और उसने ईश्वरीय प्रेरणा के तले बहुत सी कविताएँ रचीं। दाऊद ने ७० से ज़्यादा सुन्दर भजन भी लिखे जो यहोवा के लोगों के लिए आज बहुत प्रोत्साहन और मार्गदर्शन का स्रोत हैं। इन में से सबसे सुप्रसिद्ध भजन २३ है। जैसे हम इस भजन के एक-एक आयत का अध्ययन शुरू करते हैं, क्यों न आप अपनी बाइबल खोलकर हमारे साथ पढ़ें?
यहोवा, एक प्रेममय चरवाहा
३. (अ) अपनी भेड़ों की रक्षा करने के लिए दाऊद ने कौनसे प्रसंगों पर अपनी जान जोख़िम में डाल दी? (ब) यहोवा किस भावार्थ में हमारा चरवाहा है?
३ “यहोवा मेरा चरवाहा है।” (भजन २३:१) एक अनुभवी चरवाहे के तौर से, दाऊद भेड़ों को चलाना, खिलाना और सुरक्षित रखना जानता था। मिसाल के तौर पर, उसने एक अवसर पर, उसने अपनी भेड़ों को सिंह से, और दूसरे अवसर पर भालू से निडरता से बचाया। (१ शमूएल १७:३४-३६) दाऊद की भेड़ों ने अपने चरवाहे पर पूरा-पूरा भरोसा किया। लेकिन यहोवा के संबंध के संदर्भ में, वह खुद एक भेड़ था। चूँकि दाऊद ने परमेश्वर की प्रेममय देख-रेख में सुरक्षित महसूस किया, वह कह सका: “यहोवा मेरा चरवाहा है।” क्या आप बड़े चरवाहे, यहोवा परमेश्वर, के अधीन सुरक्षा के इस एहसास का आनन्द उठाते हैं? वह निश्चय ही अपने आज के भेड़-जैसे उपासकों का नेतृत्त्व करता, उन्हें खिलाता, और सुरक्षित रखता है। इसके अतिरिक्त, यहोवा के गवाहों की मण्डलियों में नियुक्त प्राचीनों के नाते, विश्वसनीय, प्रेममय उप-चरवाहे उत्साह से भेड़ों की देख-रेख करते हैं।—१ पतरस ५:१-४.
४. आज हमारी स्थिति किस तरह वीराने में इस्राएलियों की स्थिति के बराबर है?
४ “मुझे कुछ घटी न होगी।” इस कथन के विषय ध्यानपूर्वक सोचें। यहोवा की प्रेममय देख-रेख की वजह से, क्या आपको शान्ति और यक़ीन का एक सांत्वनादायक एहसास नहीं होता? क्या आप याद करते हैं कि जब इस्राएली लोग वीराने में ४० वर्ष घूम रहे थे, तब उन्हें क्या हुआ था? अजी, परमेश्वर ने उनकी सारी प्रधान ज़रूरतों का प्रबंध किया! आज भी वही बात है। यहोवा के विश्वसनीय सेवकों को कोई कमी नहीं। अनेक लोग दाऊद के ये प्रेरित शब्द दोहरा सकते हैं: “मैं लड़कपन से लेकर बुढ़ापे तक देखता आया हूँ; परन्तु न तो कभी धर्मी को त्यागा हुआ, और न उसके वंश को टुकड़े माँगते देखा है।” (भजन ३७:२५) आज, “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के ज़रिए आत्मिक भोजन की एक बहुतायत दी जा रही है। (मत्ती ४:४; २४:४५-४७) हफ़्ते में कई सभाओं के अलावा, हमारे पास बाइबल, प्रहरीदुर्ग और अवेक! पत्रिकाएँ, और दूसरे कई प्रकाशन हैं। उन देशों में भी जहाँ यहोवा के गवाहों का कार्य निषिद्ध है, आत्मिक भोजन की आपूर्ति नियमित रूप से प्राप्त हो रही है। यहोवा की भेड़ों को कोई घटी नहीं!
५. यहोवा की आज की भेड़ शान्त और तनाव-मुक्त क्यों हैं, और इसका नतीजा क्या है?
५ “वह मुझे हरी हरी चराइयों में बैठाता है।” (भजन २३:२) प्राचीन इस्राएल में अनेक शहरों के इर्द-गिर्द बड़े हरे-भरे चरागाह थे। जिस तरह उस वक्त का प्रेममय चरवाहा अपनी भेड़ों को बढ़िया, सुरक्षित चराइयों में ले चलता था, उसी तरह यहोवा अपनी भेड़ों की देख-रेख करता है। भजनकार कहता है: “हम उसकी चराई की प्रजा हैं।” (भजन ७९:१३; ९५:७) असली भेड़ तंदुरुस्त रहते हैं जब वे संतुष्ट होते हैं और दोपहर की गर्मी में आराम कर सकते हैं। यहोवा की आज के भेड़-जैसे लोग शान्त और तनाव-मुक्त हैं इसलिए कि उन्हें प्रौढ़ चरवाहों—मण्डलियों और क्षेत्रों के प्रशिक्षित अध्यक्ष—पर भरोसा है। इसके फलस्वरूप, आत्मिक झुण्ड बढ़ रहे हैं। अनेक लोग जिनसे बड़ी बाबेलोन के झूठे चरवाहों ने पहले बुरा बरताव किया था, वे अब यहोवा की भेड़ों के तौर से बहुत ही खुश और संतुष्ट हैं।
६. यहोवा हमें ‘सुखदायी जल के झरनों के पास’ किस तरह ‘ले चलता’ है?
६ “वह मुझे सुखदायी जल के झरने के पास ले चलता है।” इस्राएल में चरवाहे को अपने झुण्ड को पानी के लिए किसी पोखरे या नदी के पास ले जाना पड़ता था। लेकिन सूखे मौसम में अक़्सर पानी ढूँढ़ निकालना मुश्किल होता था। आज, यहोवा बड़ी बहुतायत में सच्चाई के पानी देकर ‘हमें सुखदायी जल के झरनों के पास ले चलता है।’ (यहेजकेल ३४:१३, १४ से तुलना करें।) और भविष्यद्वक्ता यशायाह यह उत्तेजक निमंत्रण देता है: “अहो सब प्यासे लोगो, पानी के पास आओ।” (यशायाह ५५:१) ये आत्मिक पानी पीने के द्वारा, भेड़ उस प्रचण्ड न्यायदंड से, जो उन लोगों पर आएगा “जो परमेश्वर को नहीं पहचानते, और . . . सुसमाचार को नहीं मानते,” संरक्षण प्राप्त करेंगी।—२ थिस्सलुनीकियों १:८; प्रकाशितवाक्य ७:१६, १७.
७. यहोवा की ओर से आत्मिक ताज़गी किस समय ख़ासकर मददपूर्ण है, और कौनसे हालात में कंठस्थ किए गए बाइबल पद बहुत ही फ़ायदेमंद साबित हो सकते हैं?
७ “वह मेरे जी में जी ले आता है।” (भजन २३:३) जब हम थके हुए होते हैं, मुश्किल में, हतोत्साह, या सख़्त विरोध का सामना कर रहे हैं, तब यहोवा हमें अपने वचन के ज़रिए तरोताज़ा करता है। इसलिए, हर दिन बाइबल का एक हिस्सा पढ़ने का अभ्यास करना मसीहियों के लिए अच्छी बात है। क्या आप ऐसा करते हैं? कुछ लोग, निर्गमन ३४:६, ७ या नीतिवचन ३:५, ६ जैसे पाठ, कंठस्थ करना मददपूर्ण पाते हैं। यह लाभदायक क्यों है? ख़ैर, अगर कोई संकट-स्थिति घटे और आप के पास सुविधाजनक रूप से बाइबल न हों, तो फ़ौरन सांत्वनादायक धर्मशास्त्रीय विचारों से आपका मनोबल बढ़ सकता है। धार्मिक सिद्धान्तों के लिए अटल रहने की वजह से क़ैदखानों या बन्दी शिबिरों में क़ैद अनेक भाई, कंठस्थ किए गए शास्त्र याद करके अत्यधिक रूप से तरोताज़ा और सदृढ़ किए गए हैं। जी हाँ, परमेश्वर का वचन “हृदय को आनन्दित कर” सकता है और “आँखों में ज्योति ले आ” सकता है!—भजन १९:७-१०.
८. क्या “धर्म के मार्गों” पर चलना आसान है, लेकिन ऐसा करना किस ओर ले जाता है?
८ “धर्म के मार्गों में वह . . . मेरी अगुवाई करता है।” धर्म के मार्गों पर चलना मुश्किल है, लेकिन ये ज़िंदगी की ओर ले चलते हैं। जैसे यीशु ने कहा: “सकेत है वह फाटक और सकरा है वह मार्ग जो जीवन को पहुँचाता है।” (मत्ती ७:१४) प्ररित पौलुस ने लुस्त्रा, इकुनियुम और अन्ताकिया के चेलों से यह कहकर एक संबद्ध विचार पेश किया: “हमें बड़े क्लेश उठाकर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना होगा।” और पौलुस बेशक इन बातों को अच्छी तरह जानता था। उससे थोड़े ही समय पहले, पौलुस को लुस्त्रा में पत्थरवाह किया गया और उसे मरा समझकर छोड़ दिया गया था!—प्रेरितों के काम १४:१९-२२.
९. (अ) परमेश्वर ‘धर्म के मार्गों में’ किस तरह हमारी अगुवाई करता है? (ब) भजन १९:१४ किस रीति में मददपूर्ण हो सकता है? (क) कौनसे शास्त्रपद हमें नाजायज़ सेक्स संबंध के फन्दों से बचे रहने की मदद कर सकते हैं?
९ अपने वचन और संगठन के ज़रिए मार्गदर्शन और उपदेश देकर यहोवा हमें धर्म के मार्गों पर ले चलता है। लेकिन अधिकांश लोग ‘विनाश को पहुँचनेवाले’ चौडे और चाकल फाटक पर चल रहे हैं। (मत्ती ७:१३) निरंकुश लैंगिक अपवित्रता और एड्स की तेज़ी से फैल रही महामारी से इस आवश्यकता पर ज़ोर देती है कि मसीहियों को बुरी संगति से बचकर रहना चाहिए। (१ कुरिन्थियों १५:३३) हमें अपने विचारों को अपवित्र धाराओं में भटकने न देने का भी ध्यान रखना चाहिए। (भजन १९:१४) उस लक्ष्य से, हम उस बढ़िया सलाह को हमेशा अमल करते रहें जो परमेश्वर का वचन सेक्स और अनैतिकता के कई फन्दों से बचे रहने के संबंध में देता है।—१ कुरिन्थियों ७:२-५; इफिसियों ५:५; १ थिस्सलुनीकियों ४:३-८.
१०. (अ) ईश्वरीय नाम से संबंधित यहोवा के गवाहों को कौनसी ज़िम्मेदारी है? (ब) सांसारिक लोग अक़्सर हमारी निन्दा क्यों करते हैं? (क) यहोवा हमारी मदद किन हालात में करेगा?
१० “अपने नाम के निमित्त।” यहोवा के गवाहों पर परमेश्वर के नाम की महिमा करने और उस पर कोई कलंक न लाने की भारी ज़िम्मेदारी है। (मत्ती ६:९; निर्गमन ६:३; यहेजकेल ३८:२३) कई सांसारिक लोग यहोवा के लोगों की ओर उँगली उठाने में देर नहीं करते। अगर यह तटस्थता या खून की पावनता जैसे बाइबल सिद्धान्तों के लिए हमारे पक्ष की वजह से किया जाता है, तो हमारा अंतःकरण साफ़ है। लेकिन अगर यह अपनी ग़लतियों की वजह से हो जाता, तो हम यहोवा का अनादर कर रहे होंगे। (यशायाह २:४; प्रेरितों के काम १५:२८, २९; १ पतरस ४:१५, १६) तो हम बुराई से घृणा करें। (भजन ९७:१०) अगर हमें उत्पीड़न भोगना पड़े, यहोवा हमेशा हमारी मदद करेगा और अपने नाम के निमित्त हमारी रक्षा करेगा।
यहोवा अपनी भेड़ों की रक्षा करता है
११. “घोर अन्धकार से भरी तराई” का क्या मतलब है, और यह हमें यीशु के बारे में शायद क्या याद दिलाता है?
११ “चाहे मैं घोर अन्धकार से भरी हुई तराई में होकर चलूँ, तौभी हानि से न डरूँगा।” (भजन २३:४) आइज़ॅक लीसर का अनुवाद इस तरह अनुवादित है: “हाँ, हालाँकि मैं मृत्यु के साये की घाटी में से चलूँ, मैं विपत्ति से न डरूँगा।” इस से लवण सागर की पश्चिमी ओर, यहूदिया की पहाड़ियों में से फैलने वाले गहरी तंग घाटी, या तराई, शायद याद आए। तराई, या तंग घाटी, जहाँ शिकारी जानवर अँधेरों में छुपते हैं, भेड़ों के लिए ख़तरनाक़ जगह है। दाऊद अपनी ज़िंदगी की कई संकटपूर्ण घाटियों में से गुज़रा, जब मृत्यु उसके सम्मुख आ खड़ी हुई। पर चूँकि परमेश्वर उसकी अगुवाई कर रहा था, वह आश्वस्त रहा और बेलगाम डर के सामने नहीं झुका। हमें यहोवा पर समान यक़ीन रखना चाहिए। “घोर अन्धकार” का यह ज़िक्र शायद हमें यशायाह की भविष्यवाणी की भी याद दिलाएगा: “जो लोग घोर अन्धकार से भरे हुए मृत्यु के देश में रहते थे, उन पर ज्योति चमकी।” मत्ती ने इस भविष्यवाणी का ज़िक्र किया और यीशु मसीह पर लागू किया, यह कहते हुए: “जो लोग अन्धकार में बैठे थे उन्होंने बड़ी ज्योति देखी; और जो मृत्यु के देश में बैठे थे, उन पर ज्योति चमकी।” कैसे? यीशु द्वारा संचालित उस बड़े प्रचार अभियान के ज़रिए।—यशायाह ९:२; मत्ती ४:१३-१६.
१२. (अ) कई राष्ट्रों में यहोवा के सेवकों ने उत्पीड़न से निपटने के लिए खुद को किस तरह अनुकूल बनाया है, और इसका क्या परिणाम रहा है? (ब) पतरस ने उत्पीड़ित प्रारंभिक मसीहियों को किस तरह प्रोत्साहित किया?
१२ दाऊद ‘हानि से न डरा।’ यही बात यहोवा के आज के सेवकों के विषय सच है, हालाँकि वे शैतान द्वारा शासित इस दुष्ट दुनिया में लोकप्रिय नहीं। (१ युहन्ना ५:१९) अनेक लोग उन से वास्तविक रूप से द्वेष करते हैं, और कुछ राष्ट्रों में वे तीव्रता से उत्पीड़ित किए जाते हैं। लेकिन इन देशों में वे राज्य का सुसमाचार प्रचार करते रहते हैं, हालाँकि ऐसी खुली रीति से नहीं, जैसे वे आम तौर से करते। वे जानते हैं कि यहोवा उनके साथ है और उनकी रक्षा करेगा। (भजन २७:१) उत्तम उन्नति ऐसे राष्ट्रों में हो रही है जहाँ राज्य कार्य गुप्त रूप से करना पड़ता है। ऐसे राष्ट्रों में, यहोवा के गवाह इस भजन के शब्द दोहराते हैं: “यहोवा मेरी ओर है, मैं न डरूँगा, मनुष्य मेरा क्या कर सकता है?” (भजन ११८:६) ये गवाह ऐसी स्थिति में हैं जो उन प्रारंभिक मसीहियों के बराबर हैं जिन्हें प्रेरित पतरस ने ये प्रोत्साहक शब्द लिखे: “और यदि तुम धर्म के कारण दुःख भी उठाओ, तो धन्य हो; पर उन के डराने से मत डरो, और न घबराओ।”—१ पतरस ३:१४.
१३. (अ) भजन २३:४ में कौनसा दिलचस्प बदल घटता है, और क्यों? (ब) मसीही अपने भय पर किस तरह क़ाबू पा सकते हैं?
१३ “क्योंकि तू मेरे साथ रहता है।” इस वाक्यांश में एक बहुत ही दिलचस्प तत्त्व पर ग़ौर करें। प्रेरित भजनकार ने अन्य पुरुष से मध्यम पुरुष तक परिवर्तन किया है। यहोवा का ज़िक्र “वह” के तौर से करने के बजाय, दाऊद अब “तू” सर्वनाम का इस्तेमाल करता है। क्यों? इसलिए कि यह ज़्यादा घनिष्ठ है। ख़तरा हमें अपने प्रेममय पिता, यहोवा के और भी नज़दीक ले आता है। तब हम उसके साथ एक अधिक घनिष्ठ संबंध का अनुभव करते हैं। प्रार्थना और याचना के ज़रिए, हम संरक्षण के लिए उसे बिनतीपूर्वक बुला सकते हैं, और उस प्रकार अपने डर पर क़ाबू पा सकते हैं।—सपन्याह ३:१२ से तुलना करें।
१४. (अ) दाऊद के समय में चरवाहों के क्या औज़ार होते थे, और उन्होंने उनका इस्तेमाल किस तरह किया? (ब) आज मसीही चरवाहे झुण्ड की रखवाली किस तरह करते हैं?
१४ “तेरे सोंटे और तेरी लाठी से मुझे शान्ति मिलती है।” इब्रानी शब्द शेʹवेत, जिसका अनुवाद “सोंटे” किया गया है, चरवाहे की मोड़दार लाठी भी सूचित कर सकता है। दोनों सोंटा और लाठी रक्षा के लिए इस्तेमाल की जा सकते हैं और प्राधिकार चित्रित या सूचित करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यक़ीनन, ये औज़ार भेड़ियों और साँपों जैसे परभक्षियों का पीछे हटा देने में बहुत ही फ़ायदेमंद होते। चरवाहे की मोड़दार लाठी भेड़ों को सही दिशा में टहोका देने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है या ऐसे भेड़ों को पीछे खींचने, जो ऐसी जगह के बहुत क़रीब भटकते हैं जहाँ गिरकर उन्हें चोट लग सकता है। आज, यहोवा विश्वासयोग्य चरवाहे देता है, मण्डलियों के प्राचीन, जो धर्मत्यागियों जैसे आत्मिक परभक्षियों से रक्षा करते हैं। या प्राचीनों को उन लोगों को सलाह देनी पड़ेगी, जो सभा उपस्थिति में ढीले या मसीही आचरण से पथभ्रष्ट होते हैं।
शत्रुओं के बीच एक बढ़िया जेवनार
१५. (अ) भजन २३:५ में दृष्टान्त का कैसा सार्थक बदल घटित होता है? (ब) कौनसी वास्तविकताएँ दिखाती हैं कि यहोवा के लोग आत्मिक रूप से अच्छी तरह खिलाए गए हैं, और यह किस के वैषम्य में है?
१५ “तू मेरे सतानेवालों के सामने मेरे लिए मेज़ बिछाता है।” (भजन २३:५) यहाँ हमें दृष्टांत का एक सार्थक परिवर्तन मिलता है, चरवाहे से एक मेज़बान तक का परिवर्तन। एक बहुत ही उदार मेज़बान होने के नाते, यहोवा अभिषिक्त “दास” वर्ग के ज़रिए आत्मिक भोजन की बहुतायत देता है। (मत्ती २४:४५) हालाँकि हम एक प्रतिकूल दुनिया में जीते हैं, हमें अच्छी तरह से खिलाया जाता है। प्रहरीदुर्ग सौ से ज़्यादा ज़बानों में छपाया जाता है ताकि दक्षिण आफ्रीका, ग्रीनलैंड, सोलोमन द्वीप-समूह, और भारत जैसे असमान जगहों में रहनेवाले लोगों को आत्मिक रूप से खिलाया जा सके। इसके अलावा, दुनियाभर के लगभग ६०,००० मण्डलियों में सुप्रशिक्षित आम भाषणकर्ता और शिक्षक तथा, सैंकड़ों नए किंग्डम हॉल समेत, बढ़िया सभा-स्थान हैं। भेड़-जैसे लोगों की मदद करने के लिए ३२,००,००० से अधिक गृह बाइबल अध्ययन चलाए जा रहे हैं। उसके वैषम्य में, झूठे धर्म का विश्वव्याप्त साम्राज्य, बड़ी बाबेलोन में के लोग भूखे रहते हैं।—यशायाह ६५:१३.
१६. (अ) एक गुनाहगार औरत की तुलना में, एक फरीसी यीशु के लिए क्या करने से रह गया? (ब) आज यहोवा अपने वफ़ादार सेवकों के लिए किस तरह के तेल का प्रबंध करता है?
१६ “तू ने मेरे सिर पर तेल मला है।” प्राचीन इस्राएल में मेहमाननवाज़ मेज़बान अपने मेहमानों के सिर पर मलने के लिए तेल का प्रबंध करते थे। दिलचस्प रूप से, एक समय, यीशु एक ऐसे फरीसी का मेहमान था, जिस ने यीशु के सिर पर तेल नहीं मला और न ही उसके पैर धोने के लिए पानी का प्रबंध किया। उसी समय, एक गुनाहगार औरत ने अपने आँसुओं से उसके पैर धोए और खास ख़ुशबूदार तेल से उन्हें मला। (लूका ७:३६-३८, ४४-४६) लेकिन यहोवा के एक निहायत मेहमाननवाज़ मेज़बान है! अपने वफ़ादार सेवकों को वह आत्मिक “हर्ष का तेल” देता है। (यशायाह ६१:१-३) जी हाँ, यहोवा के लोग आज हर्षित हो रहे हैं।
१७. (अ) ‘उमण्डते कटोरे’ का क्या मतलब है? (ब) यहोवा आज अपने सेवकों के लिए एक ‘उमण्डता कटोरा’ किस तरह देता है?
१७ “मेरा कटोरा उमण्ड रहा है।” एक और अनुवाद है: “मेरा प्याला लबालब भरा है।” (मॉफ़्फ़ॅट) यह आत्मिक बहुतायत सूचित करता है। हालाँकि इस का मतलब ज़्यादा पीना नहीं, ये शब्द उत्तम अँगूरी शराब का प्याला सूचित करते हैं। इस पेय में रोग हर गुण हैं, जैसा कि तीमुथियुस को दिए पौलुस की सलाह से दिखायी देता है: “भविष्य में केवल जल ही का पीनेवाला न रह, पर अपने पेट के और अपने बार बार बीमार होने के कारण थोड़ा थोड़ा दाखरस भी काम में लाया कर।” (१ तीमुथियुस ५:२३) आत्मिक भावार्थ में, दाखरस से हमारा मन आनन्दित होता है। (भजन १०४:१५) हमारा प्रेममय पिता, यहोवा, अपने वफ़ादार सेवकों के लिए, आनन्द का एक ‘उमण्डता’ प्याला समेत, अच्छी अच्छी बातों का एक आत्मिक जेवनार का प्रबंध करता है।
१८. (अ) कौन यहोवा की भलाई और प्रेममय-करुणा का आनन्द लेते हैं, और भजन १०३:१७, १८ इसे किस तरह दिखाता है? (ब) यहोवा के प्रति विश्वसनीय रहनेवालों के लिए भविष्य में कौनसी शानदार प्रत्याशा है?
१८ “निश्चय भलाई और करुणा जीवन भर मेरे साथ साथ बनी रहेंगी।” (भजन २३:६) भलाई यहोवा के पवित्र आत्मा के फलों का एक हिस्सा है। (गलतियों ५:२२, २३) परमेश्वर के रास्तों पर चलनेवाले लोग उसकी भलाई और प्रेममय-करुणा का आनन्द लेते हैं। (भजन १०३:१७, १८) यहोवा पर दृढ़ विश्वास के साथ, उसके लोग, जो किसी परीक्षा से मुठभेड़ हो, उसका सामना कर सकते हैं। वे हमेशा ही उसके आशीर्वाद और प्रेममय देख-रेख के पात्र हैं। और अन्त तक विश्वसनीयता का मतलब होगा नयी दुनिया में अनन्त जीवन! कैसी अत्युत्तम प्रत्याशा!
१९. (अ) “यहोवा के धाम में बास” करने का मतलब क्या है? (ब) आज सच्ची उपासना को बढ़ावा देने के लिए यहोवा के संगठन ने क्या स्थापित किए हैं, और हज़ारों समर्पित लोग वहाँ सेवा करना एक विशेषाधिकार क्यों समझते हैं? (क) और कौन परमेश्वर की सेवा सर्वदा करने के लिए दृढ़निश्चित हैं?
१९ “और मैं यहोवा के धाम में सर्वदा बास करूँगा।” दाऊद के समय में, परमेश्वर का पवित्रस्थान तम्बू था, इसलिए कि उस वक्त तक मन्दिर को नहीं बाँधा गया था। चूँकि भजनकार के दिमाग़ में एक करुणामय मेज़बान का चित्र था, ‘यहोवा के धाम में रहने’ का मतलब परमेश्वर के मेहमान के तौर से उसके साथ एक अच्छा संबंध कायम करना था। (भजन १५:१-५) आज, उस धाम का तादात्म्य यहोवा के पवित्र मन्दिर, विशुद्ध उपासना के लिए उसकी व्यवस्था, से स्थापित किया जा सकता है। राजा सुलैमान को पहले भौतिक मन्दिर का निर्माण करने का विशेषाधिकार मिला, जो कि प्रचुर मात्रा में सोने से अलंकृत किया गया और जो यहोवा को सम्मानित करने के लिए बाँधा गया। वहाँ सेवा करना कैसा बड़ा विशेषाधिकार था! हालाँकि ऐसा मन्दिर अब और अस्तित्व में नहीं, परमेश्वर का सम्मान करने और विशुद्ध उपासना को बढ़ावा देने के लिए उसका एक पवित्र संगठन है। ऐसा करने के एक साधन के तौर से, यहोवा के संगठन ने सैकड़ों राष्ट्रों में बेथेल होम स्थापित किए हैं। “बेथेल” का मतलब है “परमेश्वर का भवन,” और इन ईश्वर-शासित केंद्रों में हज़ारों समर्पित लोग सेवा करते हैं। इन में के कुछ आदमी और औरतों ने, बेथेल सेवा में उनका अधिकांश जीवन बिताकर, इस तरह “सर्वदा” (दीर्घायु तक) सेवा की है। लाखों और लोग, जो बेथेल परिवार के सदस्य नहीं, उसी तरह यहोवा की सेवा सर्वदा करने के लिए दृढ़निश्चित हैं।
२०. (अ) भजन २३ धर्मशास्त्र का एक विशिष्ट हिस्सा क्यों है, और यह हमें क्या विकसित करने की मदद करता है? (ब) यहोवा के विश्वसनीय सेवकों के सामने कौनसे विशेषाधिकार प्रस्तुत हैं?
२० २३वाँ भजन एक रत्न है जिस के अनेक पहलू रोशनी में चमकते हैं। यह हमारे प्रेममय स्वर्ग के पिता, यहोवा, का शानदार नाम ऊँचा करता है, और प्रकट करता है कि वह किस तरह अपनी भेड़ों का मार्गदर्शन और रक्षा करता है, और उनके लिए कैसा प्रबंध करता है। इसके फलस्वरूप, उसके लोग खुश हैं, आत्मिक रूप से अच्छी तरह खिलाए गए, और उसकी संख्या, उन देशों में भी जहाँ सख़्त विरोध है, बढ़ रही है। भजन २३ हमें अपने सृजनहार के साथ एक स्नेही, नज़दीकी बंधन विकसित करने की मदद भी करता है। और जब हम तारामय आकाश की ओर देखते हैं, जैसा कि दाऊद ने अपने झुण्ड की रखवाली करते समय अक़्सर देखा, हम एहसानमंद हैं कि इस विस्मयकारक ब्रह्मांड का सृजनहार, एक प्रेममय चरवाहे के तौर से हमारी परवाह करता है। अगर हम उसके प्रति अपनी खराई बनाए रखेंगे तो प्रेममयता से, वह हमारे सामने नयी दुनिया में अनन्त जीवन पाने का मौका भी प्रस्तुत करता है। जब यह कैसी बढ़िया बात होगी कि दाऊद जैसे विश्वसनीय पुनरुत्थित सेवकों से मिल सकेंगे! और अनन्तकाल तक, बड़ा चरवाहा, यहोवा की सेवा करना क्या ही विशेषाधिकार होगा!
आप किस तरह जवाब देंगे?
◻ यहोवा हमारा प्रेममय चरवाहा किस तरह साबित होता है?
◻ परमेश्वर किस के ज़रिए ‘धर्म के मार्गों पर’ हमारी ‘अगुवाई’ करता है?
◻ यहोवा अपनी भेड़ों की रक्षा किस तरह करता है?
◻ हमारे शत्रुओं के बीच में परमेश्वर ने किस संबंध में हमारे लिए मेज़ बिछायी है?