यहोवा, ‘क्षमा करने को तत्पर रहनेवाला’ परमेश्वर
“हे प्रभु, तू भला है और क्षमा करने को तत्पर रहता है।”—भजन ८६:५, NHT.
१. दाऊद पर कौन-सा भारी बोझ था और उसने अपने व्याकुल मन के लिए कैसे सांत्वना पायी?
प्राचीन इस्राएल का राजा दाऊद जानता था कि दोषी अंतःकरण का बोझ कितना भारी हो सकता है। उसने लिखा: “मेरे अधर्म के कामों में मेरा सिर डूब गया, और वे भारी बोझ की नाईं मेरे सहने से बाहर हो गए हैं। मैं निर्बल और बहुत ही चूर हो गया हूं; मैं अपने मन की घबराहट से कराहता हूं।” (भजन ३८:४, ८) लेकिन दाऊद ने अपने व्याकुल मन के लिए सांत्वना पायी। वह जानता था कि यहोवा पाप से तो घृणा करता है, लेकिन वह पापी से घृणा नहीं करता—अगर वह व्यक्ति सच्चा पश्चाताप करे और पाप का मार्ग छोड़ दे। (भजन ३२:५; १०३:३) पश्चाताप करनेवालों को दया दिखाने की यहोवा की इच्छा पर पूरा विश्वास रखते हुए, दाऊद ने कहा: “हे प्रभु, तू भला है और क्षमा करने को तत्पर रहता है।”—भजन ८६:५, NHT.
२, ३. (क) जब हम पाप करते हैं, तो इसकी वज़ह से हमें कौन-सा बोझ महसूस हो सकता है और यह फ़ायदेमंद क्यों है? (ख) दोष-भावना से “उदासी में डूब” जाने का क्या ख़तरा है? (ग) क्षमा करने की यहोवा की इच्छा के बारे में बाइबल हमें क्या आश्वासन देती है?
२ जब हम पाप करते हैं, तो शायद हम भी उसकी वज़ह से दुःखी अंतःकरण का भारी बोझ महसूस करें। ऐसी दोष की भावना को महसूस करना सही है या यूँ कहिए कि फ़ायदेमंद है। यह हमें अपनी ग़लतियाँ सुधारने के लिए सकारात्मक क़दम उठाने के लिए प्रेरित कर सकती है। लेकिन कई मसीही दोष-भावना की वज़ह से पराजित हो गए हैं। उनको दोषी ठहरानेवाला उनका हृदय शायद यही कहे कि परमेश्वर उन्हें पूरी तरह क्षमा नहीं करेगा, चाहे वे कितना ही पश्चाताप क्यों न करें। एक बहन ने अपने एक ग़लत काम को याद करते हुए कहा “जब आप सोचते हैं कि यहोवा शायद अब आपको प्यार नहीं करता, यह एक डरावना एहसास होता है।” पश्चाताप करने और कलीसिया के प्राचीनों से सहायक सलाह पाने के बाद भी, वह महसूस करती रही कि वह परमेश्वर की क्षमा के लायक़ नहीं है। वह बताती है: “एक भी दिन ऐसा नहीं जाता जब मैंने यहोवा से क्षमा न माँगी हो।” अगर हम दोष-भावना से “उदासी में डूब” जाते हैं तो शैतान शायद हमारी हिम्मत तोड़ने की कोशिश करे और हमें यह महसूस कराए कि हम यहोवा की सेवा करने के लायक़ नहीं रहे।—२ कुरिन्थियों २:५-७, ११.
३ लेकिन यहोवा ऐसा नज़रिया बिलकुल नहीं रखता! उसका वचन हमें आश्वस्त करता है कि जब हम सच्चे दिल से पश्चाताप दिखाते हैं तो यहोवा न सिर्फ़ हमें क्षमा करने की इच्छा रखता है, बल्कि हमें क्षमा करने को तत्पर रहता है। (नीतिवचन २८:१३) इसलिए अगर आपको कभी लगे कि परमेश्वर से क्षमा नहीं मिल सकती तो शायद आपको इस बात की अच्छी समझ की ज़रूरत है कि वह क्यों और कैसे क्षमा करता है।
यहोवा “क्षमा करने को तत्पर” क्यों है?
४. यहोवा हमारे स्वभाव के बारे में क्या याद रखता है और हमारे साथ उसके व्यवहार पर इसका क्या असर होता है?
४ हम पढ़ते हैं: “उदयाचल अस्ताचल से जितनी दूर है, उस ने हमारे अपराधों को हम से उतनी ही दूर कर दिया है। जैसे पिता अपने बालकों पर दया करता है, वैसे ही यहोवा अपने डरवैयों पर दया करता है।” यहोवा दया दिखाने का इच्छुक क्यों है? अगली आयत जवाब देती है: “क्योंकि वह हमारी सृष्टि जानता है; और उसको स्मरण रहता है कि मनुष्य मिट्टी ही हैं।” (भजन १०३:१२-१४) सचमुच, यहोवा यह नहीं भूलता कि हम मिट्टी से बने हैं और अपरिपूर्णता की वज़ह से हममें बुराइयाँ या कमज़ोरियाँ हैं। यह बात कि वह “हमारी सृष्टि” जानता है, हमें याद दिलाती है कि बाइबल यहोवा की तुलना एक कुम्हार से करती है और हमारी उन मिट्टी के बर्तनों से जिन्हें वह बनाता है।a (यिर्मयाह १८:२-६) कुम्हार अपने मिट्टी के बरतनों के स्वभाव को जानते हुए, उनको मज़बूती के साथ-साथ कोमलता से संभालता है। वैसे ही महान कुम्हार, यहोवा हमारे पापमय स्वभाव की कमज़ोरियों को जानते हुए हमसे व्यवहार करता है।—२ कुरिन्थियों ४:७ से तुलना कीजिए।
५. बाइबल की रोमियों नामक पुस्तक हमारे पतित शरीर पर पाप की जकड़ का कैसे वर्णन करती है?
५ यहोवा जानता है कि पाप कितना शक्तिशाली है। शास्त्र पाप को एक प्रबल शक्ति बताता है जिसने अपने ख़तरनाक शिकंजे में मनुष्य को जकड़ा हुआ है। पाप की पकड़ कितनी मज़बूत है? रोमियों की पुस्तक में उत्प्रेरणा से प्रेरित पौलुस स्पष्ट रूप से इसका वर्णन करता है: जैसे सिपाही अपने सेनापति के अधीन होते हैं वैसे ही हम “पाप के वश” में हैं (रोमियों ३:९); इसने एक राजा की तरह मानवजाति पर “राज्य किया” है (रोमियों ५:२१); यह हममें “बसा हुआ” है (रोमियों ७:१७, २०); इसकी “व्यवस्था” लगातार हममें काम करती है, असल में हमारे कार्यों को वश में करने की कोशिश करती है। (रोमियों ७:२३, २५) हमारे पतित शरीर पर पाप की शक्तिशाली जकड़ का विरोध करने की कितनी कठिन लड़ाई हमें लड़नी है!—रोमियों ७:२१, २४.
६. यहोवा उनको किस नज़रिए से देखता है जो एक पश्चातापी हृदय से उसकी दया की खोज करते हैं?
६ इसलिए हमारा दयालु परमेश्वर जानता है कि पूरी तरह आज्ञाकारी होना हमारे लिए संभव नहीं है, चाहे हमारा हृदय उसका कितना भी आज्ञाकारी होना क्यों न चाहे। (१ राजा ८:४६) वह प्रेमपूर्वक हमें आश्वासन देता है कि जब हम पश्चातापी हृदय से उसकी पितामय दया माँगते हैं तो वह क्षमा करेगा। भजनहार दाऊद ने कहा: “टूटा मन परमेश्वर के योग्य बलिदान है; हे परमेश्वर, तू टूटे और पिसे हुए मन को तुच्छ नहीं जानता।” (भजन ५१:१७) यहोवा दोष-भावना के बोझ से टूटे और पिसे मन को कभी नहीं ठुकराएगा या अस्वीकार करेगा। यह कितने सुंदर तरीक़े से यहोवा के क्षमा करने की तत्परता को समझाता है!
७. हम परमेश्वर की दया का नाजायज़ फ़ायदा क्यों नहीं उठा सकते?
७ तो क्या इसका मतलब यह है कि हम अपने पापपूर्ण स्वभाव की आड़ लेकर पाप करने के लिए परमेश्वर की दया का नाजायज़ फ़ायदा उठा सकते हैं? हरगिज़ नहीं! यहोवा केवल जज़बातों से काम नहीं लेता। उसकी दया की सीमाएँ हैं। वह उन लोगों को किसी-भी क़ीमत पर माफ़ नहीं करेगा जो निष्ठुर हृदय से दुर्भावनापूर्ण, जानते-बूझते पाप करते हैं और पछताते नहीं। (इब्रानियों १०:२६-३१) दूसरी ओर, जब वह एक “टूटे और पिसे हुए मन” को देखता है तो वह “क्षमा करने को तत्पर रहता है।” (नीतिवचन १७:३) ईश्वरीय क्षमा कितनी संपूर्ण होती है आइए हम इसे बताने के लिए बाइबल में इस्तेमाल की गई कुछ प्रभावशाली भाषा पर ग़ौर करें।
यहोवा कितने पूर्ण रूप से क्षमा करता है?
८. वास्तव में यहोवा क्या करता है जब वह हमारे पापों को क्षमा करता है और इससे हम पर क्या प्रभाव पड़ना चाहिए?
८ पश्चातापी राजा दाऊद ने कहा: “जब मैं ने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, और कहा, मैं यहोवा के साम्हने अपने अपराधों को मान लूंगा; तब तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया।” (तिरछे टाइप हमारे।) (भजन ३२:५) अभिव्यक्ति “क्षमा कर दिया” एक इब्रानी शब्द का अनुवाद है जिसका मूल अर्थ है “उठाना,” “सहना, ले चलना।” यहाँ इसका इस्तेमाल ‘दोष-भावना, पाप, अपराध को दूर ले जाने’ की ओर इशारा करता है। सो यहोवा मानो दाऊद के पापों को उठाकर दूर ले गया। (लैव्यव्यवस्था १६:२०-२२ से तुलना कीजिए।) इसने बेशक दाऊद की दोष-भावना को कम किया होगा जिसे वह उठाए हुए था। (भजन ३२:३ से तुलना कीजिए।) हम भी परमेश्वर पर पूरा भरोसा रख सकते हैं जो उनके पापों को क्षमा करता है जो यीशु मसीह के छुड़ौती बलिदान पर अपने विश्वास के आधार पर उससे क्षमा माँगते हैं। (मत्ती २०:२८. यशायाह ५३:१२ से तुलना कीजिए।) उन लोगों को जिनके पाप यहोवा इस तरह उठाकर दूर ले जाता है, पिछले पापों के लिए दोष-भावना का बोझ लादे हुए रहने की ज़रूरत नहीं।
९. यीशु के इन शब्दों का क्या अर्थ है: “हमारे कर्ज़ को क्षमा कर”?
९ यहोवा कैसे क्षमा करता है इसे समझाने के लिए यीशु ने देनदार और कर्ज़दार के संबंध का इस्तेमाल किया। उदाहरण के लिए, यीशु ने यह प्रार्थना करने का हमसे आग्रह किया: “हमारे कर्ज़ को क्षमा कर।” (मत्ती ६:१२, फुटनोट) इस तरह यीशु ने “पाप” को “कर्ज़” के साथ जोड़ा। (लूका ११:४) जब हम पाप करते हैं तो हम यहोवा के ‘कर्ज़दार’ बन जाते हैं। ‘क्षमा करना’ अनुवादित यूनानी क्रिया का मतलब हो सकता है “एक कर्ज़ की अदायगी की माँग न करते हुए जाने देना, छोड़ देना।” एक अर्थ में, जब यहोवा क्षमा करता है, तो वह उस कर्ज़ को क्षमा कर देता है जो अन्यथा हमारे खाते में से लिया जाता। इस तरह पश्चातापी पापी सांत्वना पा सकते हैं। यहोवा उस कर्ज़ के अदा करने की माँग कभी नहीं करेगा जिसे उसने क्षमा कर दिया है!—भजन ३२:१, २. मत्ती १८:२३-३५ से तुलना कीजिए।
१०, ११. (क) प्रेरितों ३:१९ में पायी जानेवाली अभिव्यक्ति “मिटाए जाएं” से क्या विचार व्यक्त किया गया है? (ख) यहोवा की क्षमा की पूर्णता को कैसे चित्रित किया गया है?
१० प्रेरितों ३:१९ में बाइबल परमेश्वर की क्षमा को बताने के लिए दूसरी स्पष्ट भाषा के तरीक़े का प्रयोग करती है: “इसलिये, मन फिराओ और लौट आओ कि तुम्हारे पाप मिटाए जाएं।” वाक्यांश “मिटाए जाएं” यूनानी क्रिया का अनुवाद है जिसे अगर दृष्टांत के रूप में लिया जाए तो उसका मतलब होगा “पोछ डालना, लोप कर देना, रद्द या नष्ट कर देना।” कुछ विद्वानों के मुताबिक़ यहाँ पर जो विचार व्यक्त किया गया है वह लिखावट को मिटाने का है। यह कैसे संभव था? प्राचीन समय में जिस स्याही का आम तौर पर इस्तेमाल किया जाता था वह कोयले, गोंद और पानी के मिश्रण से बनी होती थी। ऐसी स्याही से लिखने के तुरंत बाद एक आदमी गीले स्पंज से उस लिखावट को मिटा सकता था।
११ यहोवा की पूर्ण क्षमा की यह ख़ूबसूरत तस्वीर है। जब वह हमारे पापों को क्षमा करता है तो यह मानो ऐसा है कि वह एक स्पंज लेकर उन्हें पोंछ डालता है। हमें ऐसा डर रखने की ज़रूरत नहीं कि वह भविष्य में हमें ऐसे पापों का दोषी ठहराएगा, क्योंकि बाइबल यहोवा की दया के बारे में और भी कुछ ऐसा बताती है जो वाक़ई असाधारण है: जब वह क्षमा करता है तब वह भूल जाता है!
“मैं . . . उनका पाप फिर स्मरण न करूंगा”
१२. जब बाइबल कहती है कि यहोवा हमारे पापों को भुला देता है, तो क्या इसका यह मतलब होता है कि वह उन्हें स्मरण नहीं कर सकता और आप ऐसा क्यों कहते हैं?
१२ भविष्यवक्ता यिर्मयाह के ज़रिए, यहोवा ने नई वाचा में आनेवाले लोगों के बारे में यह प्रतिज्ञा की: “मैं उनका अधर्म क्षमा करूंगा, और उनका पाप फिर स्मरण न करूंगा।” (यिर्मयाह ३१:३४) तो क्या इसका मतलब यह है कि जब यहोवा एक बार क्षमा कर देता है तो वह दोबारा पापों को याद करने में समर्थ नहीं है? ऐसा हरगिज़ नहीं हो सकता। बाइबल हमें ऐसे अनेक लोगों के पापों के बारे में बताती है जिन्हें यहोवा ने क्षमा किया, जिनमें दाऊद भी शामिल है। (२ शमूएल ११:१-१७; १२:१-१३) यहोवा ज़ाहिर तौर पर अभी-भी उन अपराधों से अवगत है, जो उन्होंने किए थे और हमें भी अवगत होना चाहिए। उनके पापों का, साथ ही उनके पश्चाताप और परमेश्वर द्वारा क्षमा का लेखा-जोखा हमारे फ़ायदे के लिए सुरक्षित रखा गया है। (रोमियों १५:४) तब फिर बाइबल का अर्थ क्या होता है जब यह कहती है कि यहोवा उनके पापों को “स्मरण” नहीं करता जिन्हें वह क्षमा कर देता है?
१३. (क) ‘स्मरण करूंगा’ अनुवादित इब्रानी क्रिया के अर्थ में क्या शामिल है? (ख) जब यहोवा कहता है, “उनका पाप फिर स्मरण न करूंगा,” तो वह हमें किस बात का आश्वासन दे रहा है?
१३ ‘स्मरण करुंगा’ अनुवादित इब्रानी क्रिया मात्र अतीत याद करने से ज़्यादा अर्थ रखती है। थियोलॉजिकल वर्डबुक ऑफ़ दी ओल्ड टेस्टामेंट के अनुसार, इसमें “उचित कार्यवाही करने का अतिरिक्त भाव” भी शामिल है। सो इस अर्थ में, पाप को “स्मरण” करने में पापियों के ख़िलाफ़ कार्यवाही करना शामिल है। जब भविष्यवक्ता होशे ने पथभ्रष्ट इस्राएलियों के बारे में यह कहा कि ‘वह [यहोवा] उनके अधर्म की सुधि लेगा,’ तब भविष्यवक्ता का यह मतलब था कि यहोवा उनके पश्चाताप न करने के कारण उनके ख़िलाफ़ कार्यवाही करेगा। इसलिए, बाक़ी आयत यह कहती है: “[वह] उनके पाप का दण्ड देगा।” (होशे ९:९) दूसरी ओर, जब यहोवा यह कहता है कि “उनका पाप फिर स्मरण न करूंगा,” तो वह हमें यह आश्वासन दे रहा है कि एक बार जब उसने पश्चाताप करनेवाले पापी को क्षमा कर दिया तो भविष्य में वह उन्हीं पापों के कारण उसके ख़िलाफ़ कार्यवाही नहीं करेगा। (यहेजकेल १८:२१, २२) इस तरह वह इस अर्थ में भूल जाता है कि वह हमें बार-बार दोषी ठहराने या सज़ा देने के लिए हमारे पापों को बार-बार याद नहीं करता। इस प्रकार यहोवा हमें दूसरों के साथ बर्ताव करने में एक अनुकरण करने के लिए शानदार उदाहरण देता है। जब मतभेद उठ खड़े हों, तो उन बीती बातों को याद न करना ही उत्तम होगा जिन्हें भूल जाने के लिए आप पहले तैयार हुए थे।
नतीजों के बारे में क्या?
१४. क्षमा का यह अर्थ क्यों नहीं है कि एक पश्चातापी पापी अपने ग़लत मार्ग के सभी नतीजे भुगतने से बच जाएगा?
१४ क्या यहोवा की क्षमा करने की तत्परता का यह अर्थ है कि एक पश्चातापी पापी अपने ग़लत मार्ग के सभी नतीजों से बच जाएगा? बिलकुल नहीं। हम पाप भी करें और दंड भी न पाएँ ऐसा नहीं हो सकता। पौलुस ने लिखा: “मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा।” (गलतियों ६:७) हम शायद अपने काम या समस्याओं के कुछ नतीजे भुगतें, लेकिन क्षमा प्रदान करने के बाद, यहोवा हम पर विपत्ति नहीं लाता। जब कष्ट आएँ तो एक मसीही को यह महसूस नहीं करना चाहिए कि ‘शायद यहोवा मुझे मेरे पिछले पापों की सज़ा दे रहा है।’ (याकूब १:१३ से तुलना कीजिए।) दूसरी ओर, यहोवा हमारे ग़लत कामों के सभी प्रभावों से हमारी रक्षा नहीं करता। तलाक़, अनचाहा गर्भधारण, लैंगिक रूप से फैलनेवाले रोग, भरोसा उठ जाना या इज़्ज़त खो देना—यह सभी पाप के दुःखद नतीजे हो सकते हैं और यहोवा हमें इनसे नहीं बचाएगा। याद कीजिए कि हालाँकि यहोवा ने बतशेबा और ऊरिय्याह से संबंधित दाऊद के पापों को क्षमा तो किया, पर उसने दाऊद को आनेवाले विनाशकारी परिणामों से नहीं बचाया।—२ शमूएल १२:९-१४.
१५, १६. कैसे लैव्यव्यवस्था ६:१-७ में लिखी हुई व्यवस्था पीड़ित व्यक्ति और अपराधी दोनों के लिए फ़ायदेमंद थी?
१५ हमारे पापों के शायद और भी परिणाम हों। उदाहरण के लिए, लैव्यव्यवस्था अध्याय ६ के वृत्तांत पर ग़ौर कीजिए। मूसा की व्यवस्था एक मामले की ओर इशारा करती है जिसमें एक व्यक्ति संगी इस्राएली के विरुद्ध गंभीर अपराध करता है, और चोरी, जबरन या धोखे से उसकी कोई वस्तु लेता है। और बाद में वह पापी दोषी होने से इनकार करता है, यहाँ तक कि झूठी शपथ खाने की हिम्मत करता है। यह एक व्यक्ति के ख़िलाफ़ दूसरे व्यक्ति का मामला है, जिसमें कोई सबूत नहीं। लेकिन बाद में दोषी का अंतःकरण उसे परेशान करता है और वह अपना पाप स्वीकार करता है। परमेश्वर की क्षमा पाने के लिए, उसे तीन और काम करने थे: जो उसने लिया था उसे लौटाना, पीड़ित व्यक्ति को २० प्रतिशत जुरमाना देना और एक मेढ़ा दोषबलि के लिए चढ़ाना। उसके बाद, व्यवस्था कहती है: “याजक उसके लिये यहोवा के साम्हने प्रायश्चित्त करे और . . . क्षमा उसे मिलेगी।”—लैव्यव्यवस्था ६:१-७. मत्ती ५:२३, २४ से तुलना कीजिए।
१६ यह व्यवस्था परमेश्वर की तरफ़ से एक कृपामय प्रबंध थी। इसने पीड़ित व्यक्ति को फ़ायदा पहुँचाया, जिसकी संपत्ति लौटा दी जाती थी और जिसे बेशक अपराधी के पाप स्वीकार करने पर बड़ी राहत महसूस होती होगी। साथ ही व्यवस्था ने उस व्यक्ति को फ़ायदा पहुँचाया जिसके अंतःकरण ने आख़िरकार उसे अपना दोष मानने और अपनी ग़लती सुधारने के लिए उकसाया। निश्चित ही, अगर वह ऐसा करने से इनकार कर देता तो परमेश्वर की ओर से उसे कोई क्षमा नहीं मिलती।
१७. जब दूसरों को हमारे पापों से चोट पहुँचती है तो यहोवा हमसे क्या करने की उम्मीद रखता है?
१७ हालाँकि हम मूसा की व्यवस्था के अधीन नहीं, यह हमें यहोवा के मन के बारे में मूल्यवान अंतर्दृष्टि देती है, जिसमें क्षमा के बारे में उसका नज़रिया भी शामिल है। (कुलुस्सियों २:१३, १४) जब हमारे पापों से दूसरों को चोट पहुँचती है या वे पीड़ित होते हैं, यहोवा हमसे तब प्रसन्न होता है जब हम ‘न्याय चुकाने’ में जो कर सकते हैं वह करते हैं। (२ कुरिन्थियों ७:११, NHT) इसमें अपने पापों को मानना, अपना दोष स्वीकार करना, यहाँ तक कि पीड़ित व्यक्ति से माफ़ी माँगना शामिल है। तब हम यीशु के बलिदान के आधार पर यहोवा से गुज़ारिश कर सकते हैं और एक शुद्ध अंतःकरण मिलने की राहत का और इस आश्वासन का अनुभव कर सकते हैं कि परमेश्वर ने हमें क्षमा कर दिया है।—इब्रानियों १०:२१, २२.
१८. क्या यहोवा की क्षमा के साथ अनुशासन आ सकता है?
१८ किसी भी प्रेमी माता-पिता की तरह, यहोवा क्षमा के साथ कुछ हद तक अनुशासन भी दे सकता है। (नीतिवचन ३:११, १२) एक पश्चातापी मसीही को प्राचीन, सहायक सेवक या पायनियर के रूप में अपनी सेवा के अवसर से हाथ धोने पड़ सकते हैं। कुछ समय के लिए इन विशेषाधिकारों को खोना जिन्हें वह मूल्यवान समझता है, उसके लिए पीड़ादायक हो सकता है। लेकिन, ऐसे अनुशासन का यह मतलब नहीं कि उसने यहोवा का अनुग्रह खो दिया है या यहोवा ने उसे क्षमा नहीं किया। इसके अलावा हमें याद रखना चाहिए कि यहोवा के हाथों अनुशासन पाना हमारे लिए उसके प्रेम का सबूत है। इसे स्वीकार करना और लागू करना हमारे लाभ के लिए होगा और हमें अनंत जीवन की ओर ले जा सकता है।—इब्रानियों १२:५-११.
१९, २०. (क) अगर आपने पाप किए हों, तो आपको यह क्यों महसूस नहीं करना चाहिए कि आप यहोवा की दया की पहुँच से बाहर हैं? (ख) अगले लेख में किस बात पर चर्चा की जाएगी?
१९ यह जानना कितना ही स्फूर्तिदायक है कि हम एक ऐसे परमेश्वर की सेवा करते हैं जो “क्षमा करने को तत्पर रहता” है! यहोवा सिर्फ़ हमारे पाप और ग़लतियाँ ही नहीं देखता। (भजन १३०:३, ४) वह जानता है कि हमारे दिल में क्या है। अगर आपको महसूस होता है कि पिछले पापों के कारण आपका मन टूट गया और पिस गया है, तो यह निष्कर्ष मत निकालिए कि आप यहोवा की दया की पहुँच से बाहर हैं। चाहे आपने जो भी ग़लतियाँ की हों, अगर आपने सचमुच पश्चाताप किया है, ग़लती को सुधारने के लिए क़दम उठाएँ हैं और यीशु के बहाए गए लहू के आधार पर क्षमा के लिए यहोवा से हृदय से प्रार्थना की है, तो आप पूरा भरोसा रख सकते हैं कि १ यूहन्ना १:९ के वचन आप पर लागू होते हैं: “यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है।”
२० बाइबल हमें एक दूसरे के साथ अपने व्यवहार में यहोवा की क्षमा का अनुकरण करने का प्रोत्साहन देती है। लेकिन जब दूसरा व्यक्ति हमारे ख़िलाफ़ पाप करता है तो किस हद तक हमसे आशा की जाती है कि हम उसे क्षमा करें और पाप भुला दें? अगले लेख में इस पर चर्चा की जाएगी।
[फुटनोट]
a दिलचस्पी की बात है कि जिस इब्रानी शब्द को “हमारी सृष्टि” अनुवादित किया गया है वह कुम्हार द्वारा बनाए गए मिट्टी के बरतनों के लिए इस्तेमाल किया गया है।—यशायाह २९:१६.
आप कैसे जवाब देंगे?
◻ यहोवा “क्षमा करने को तत्पर” क्यों है?
◻ बाइबल यहोवा की क्षमा की पूर्णता का कैसे वर्णन करती है?
◻ जब यहोवा क्षमा करता है तो किस अर्थ में वह भूल जाता है?
◻ जब दूसरों को हमारे पापों से चोट पहुँचती है तो यहोवा हमसे क्या उम्मीद रखता है?
[पेज 12 पर तसवीर]
जब हमारे पापों से दूसरों को चोट पहुँचती है, तो यहोवा हमसे भरपाई की उम्मीद रखता है