प्रभु का दिन आप के लिए क्या अर्थ रखेगा?
“तुम अपने शत्रुओं के मध्य वश करता जा।”—भजन ११०:२.
१-३. (अ) प्रभु के दिन की शुरुआत संघर्ष का समय क्यों रहा है, और यीशु की कुछ कामयाबियाँ क्या रही हैं? (ब) यीशु ‘अपना जय’ किस तरह ‘पूरा’ करेगा?
यीशु १९१४ में परमेश्वर के राज्य के राजा की हैसियत से अधिष्ठापित किया गया, और प्रभु का दिन शुरू हुआ। फ़ौरन ही, नए राजा ने शैतान इब्लीस और यहाँ पृथ्वी पर उसके प्रतिनिधियों की ओर से हिंसात्मक विरोध का सामना किया। (भजन २:१-६) तो प्रभु के दिन के ये प्रारंभिक वर्ष संघर्ष का समय रहा है जिस में यीशु ‘अपने शत्रुओं के मध्य वश करता’ गया है।—भजन ११०:२.
२ नए राजा के विजय प्रभावशाली रहे हैं। १९१४ के बाद, शैतान ने नवजात राज्य को “निगल” जाने की कोशिश की लेकिन, उसके बजाय, वह स्वर्ग से बदनाम किया जाकर निकाल दिया गया। (प्रकाशितवाक्य १२:१-१२) फिर उसने अभिषिक्त के शेष जनों से ‘लड़ाई की,’ लेकिन वह १९१९ में उनका ‘पाँवों के बल खड़ा होना’ और उनका यीशु मसीह के हाथ से “छोटा लपेटवाँ कागज़” स्वीकार करना न रोक सका। (प्रकाशितवाक्य १०:८-११; ११:११, १२; १२:१७) वह समान रूप से १,४४,००० के आख़री जनों का एकत्रीकरण और “[यहोवा के] मन्दिर में दिन रात उस की सेवा” करनेवाली (सभी जातियों में से) बड़ी भीड़ का जमाव रोकने के लिए शक्तिहीन था।—प्रकाशितवाक्य ७:१-३, ९-१५.
३ सचमुच, १९१४ से, यीशु ‘वश करता गया’ है। फिर भी, बहुत कुछ करना बाक़ी है। यीशु को अभी ‘अपना जय पूरा करना’ है। उसे अभी शैतान की विश्व रीति-व्यवस्था का नामोनिशान मिटाने के लिए कार्रवाई करनी है। (प्रकाशितवाक्य ६:१, २; १९:११-२१) व्यक्तिगत रूप से हमारे लिए इस महत्त्वपूर्ण काम का क्या अर्थ होगा?
बड़ी बाबेलोन का सरेआम नंगा करना
४. प्रकाशितवाक्य में झूठे धर्म का वर्णन किस तरह किया गया है?
४ शैतान की दुनिया का विनाश झूठे धर्म के अंत से शुरू होता है। प्रकाशितवाक्य झूठे धर्म के संपूर्ण विश्व साम्राज्य—ईसाईजगत् समेत—का वर्णन एक वेश्या के तौर से करता है, बड़ी बाबेलोन, जिसके पृथ्वी के राजाओं के साथ अनैतिक संबंध हैं और जो अपने परगमन से मनुष्यजाति को मधोश करती है। वह खुद भी—घिनौने रूप से—खून, परमेश्वर के सेवकों का खून, पीने से मधोश है। (प्रकाशितवाक्य १७:१-६) प्रकाशितवाक्य इस घृणित पुरानी वेश्या के अंत का भी वर्णन करता है, और अगर हम ग़ौर करेंगे कि अपने सामान्य युग से पहले सातवीं सदी में विद्यमान एक और धार्मिक वेश्या पर क्या बीती, हम बेहतर रूप से समझ सकेंगे कि इसका क्या अर्थ होगा।
५, ६. बेवफ़ा यरूशलेम को वेश्या क्यों कहा गया, और इससे यहोवा के हाथ से उसे कैसा न्यायदंड मिला?
५ वह वेश्या यरूशलेम नगर थी। उसे पृथ्वी पर यहोवा की उपासना का केंद्र समझा जाता था, लेकिन सृजनहार ने उसे कहा: “जो हत्या तू ने की है, उस से तू दोषी ठहरी।” (यहेजकेल २२:४) अपेक्षानुसार उसे आत्मिक रूप से शुद्ध होना था, लेकिन उसने जातियों से मेल-जोल रखकर वेश्यावृत्ति की थी। “मैं तुम से इतना क्रोधित हूँ, कि तुम ये सब काम करती हो, जो निर्लज्ज वेश्या के काम हैं!”
६ तो फिर, यहोवा का इस वेश्या पर के न्यायदंड पर ग़ौर करें: “मैं तेरे सब [जातियों] को जो तेरे प्रेमी हैं और जितनों से तू ने प्रीति लगाई . . . इकट्ठा करता हूँ . . . , वे तेरे वस्त्र बरबस उतारेंगे, और तेरे सुन्दर गहने छीन लेंगे, और तुझे नंगा करके छोड़ देंगे। . . . तब वे आग लगाकर तेरे घरों को जला देंगे।” (यहेजकेल १६:३७, ३९, ४१, न्यू.व.; २३:२५-३०) इतिहास बताता है कि क्या हुआ। सामान्य युग पूर्व ६०७ में बाबेलियों ने आकर यरूशलेम को एकदम खाली कर दिया। उसके लोग और उसका धन बाबेलोन लिए गए। शहर नष्ट किया गया, मन्दिर को जला दिया गया, और ज़मीन उजाड़ छोड़ दी गयी।—२ इतिहास ३६:१७-२१.
७. बड़ी बाबेलोन का अंत क्या होगा?
७ ऐसा ही कुछ बड़ी बाबेलोन पर बीतनेवाली है। प्रकाशितवाक्य चेतावनी देता है: “वे [आधुनिक “राजा,” या वे शासक जिन के साथ बड़ी बाबेलोन ने धार्मिक परगमन किया] उस वेश्या से बैर रखेंगे, और उसे लाचार और नंगी कर देंगे, और उसका मांस खा जाएँगे और उसे आग में जला देंगे।” (प्रकाशितवाक्य १७:२, १६) प्राचीन यरूशलेम के मिसाल से हम जानते हैं कि इसका क्या अर्थ होगा। झूठा धर्म राष्ट्रीय सरकारों द्वारा नाश किया जाएगा, जिन्होंने पहले उस से “प्रीति” की थी। उसका धन छीन लिया जाएगा और वह जला दी जाएगी, संपूर्णतया नाश की जाएगी। एक घिनौने संगठन का उचित अंत!
आकाश धुँधलाए गए
८. मनुष्यजाति के लिए भारी क्लेश कैसा समय होगा?
८ बड़ी बाबेलोन के विनाश के साथ साथ, हम यीशु द्वारा पूर्वबतलाए “भारी क्लेश” में प्रवेश कर चुके होंगे। (मत्ती २४:२१; प्रकाशितवाक्य ७:१४) उस समय के विषय बोलते हुए, प्रकाशितवाक्य कहता है: “एक बड़ा भुईंडोल हुआ; और सूर्य बालों के टाट के जैसे काला, और पूरा चाँद लहू का सा हो गया। और आकाश के तारे पृथ्वी पर गिर पड़े।” (प्रकाशितवाक्य ६:१२, १३) यह बड़ा भूचाल “इस्राएल के देश” में वह “बड़ा भुईंडोल” है जो यहेजकेल ने पूर्वबतलाया। (यहेजकेल ३८:१८, १९; योएल ३:१४-१६) यह इस दुष्ट रीति-व्यवस्था का आख़री विनाश है। क्या उस वक्त वास्तविक सूर्य, चाँद, और तारों को कुछ होगा?
९, १०. मिस्र के विषय में यहेजकेल ने क्या भविष्यवाणी की, और यह किस तरह पूर्ण हुई?
९ इस्राएल के बड़े दक्षिणी पड़ोसी, मिस्र, की आनेवाली अवनति के बारे में चेतावनी देते हुए, यहेजकेल ने कहा: “‘जिस समय मैं तुझे [फ़िरौन को] मिटाने लगूँ, उस समय मैं आकाश को ढाँपूंगा और तारों को धुँधला कर दूँगा; मैं सूर्य को बादल से छिपाऊँगा, और चन्द्रमा अपना प्रकाश न देगा। आकाश में जितनी प्रकाशमान ज्योतियाँ हैं, उन सब को मैं तेरे कारण धुँधला कर दूँगा, और तेरे देश में अँधकार कर दूँगा,’ परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है।”—यहेजकेल ३२:७, ८.
१० जब फ़िरौन और उसकी सेनाएँ पराजित हुईं, वास्तविक आकाश धुँधलाए नहीं गए। लेकिन मिस्र का भविष्य बहुत धुँधला बन गया। जैसे बाइबल विद्वान सी. एफ़. कील ग़ौर करता है, “[फ़िरौन की हार के बाद] परिणामी अँधेरा बिल्कुल ही आशाहीन परिस्थितियों का एक लाक्षणिक प्रतिरूप है।” एक स्वतंत्र विश्व शक्ति के तौर से हमेशा के लिए ख़त्म होकर, मिस्र पर एक के बाद दूसरे विश्व शक्ति ने अधिकार जमाया। आज, प्राचीन फ़िरौनी विश्व शक्ति के अधिकांश क्षेत्र पर अरबी जाति का अधिकार है।
११. (अ) जो मिस्र के साथ हुआ, वह किस बात की पूर्वकल्पना थी? (ब) भारी क्लेश के समय शैतान की दुनिया के लिए भविष्य पूरी तरह से अँधकारपूर्ण किस तरह होगा?
११ लेकिन कील ने यहेजकेल की भविष्यद्वाणी में और अधिक अर्थ देखा। वह लिखता है: “इस विश्व शक्ति [मिस्र] का पराजय आख़री न्याय के दिन में प्रत्येक विश्व शक्ति के पराजय का एक शकुन और पूर्वरंग है।” यह, सारांश में, सच है। जैसे प्रकाशितवाक्य दिखाता है, भारी क्लेश में अधर्मी मनुष्यजाति की प्रत्याशाएँ उतने ही अँधकारपूर्ण होंगे जितने मिस्र के थे। यह उसी तरह होगा मानो सूर्य ने दिन में रोशनी न दी हो और रात का आकाश चाँद की प्रसन्नचित्त करनेवाली रोशनी और कोई मित्रतापूर्ण, टिमटिमाते तारों से रहित हो। यहोवा के राजा को सम्मान न देनेवाले लोग एक सम्मान्य दफ़न के बिना ही विनष्ट हो जाएँगे, जैसे सफ़ेद घोड़े पर का सवार अपना जय पूरा करता है। (प्रकाशितवाक्य १९:११, १७-२१; यहेजकेल ३९:४, १७-१९) तो कोई अचरज की बात नहीं कि अधर्मी पुरुष “पहाड़ों, और चट्टानों” से रो-रोकर कहेंगे, “‘हम पर गिर पड़ो, और हमें उसके मुँह से जो सिंहासन पर बैठा है, और मेम्ने के प्रकोप से छिपा लो, क्योंकि उन के प्रकोप का भयानक दिन आ पहुँचा है, और अब कौन खड़ा रह सकता है?’”—प्रकाशितवाक्य ६:१६, १७; मत्ती २४:३०.
निरन्तर जारी रहनेवाला युद्ध
१२. प्रभु के दिन के दौरान शैतान ने यीशु मसीह के प्रति अपना द्वेष किस तरह व्यक्त किया है?
१२ यद्यपि, इस समय में मसीहियों का क्या? अजी, उन पर तो शैतान और सफ़ेद घोड़े पर बैठे घुड़सवार के बीच निरन्तर युद्ध से बहुत कुप्रभाव पड़ा है। चूँकि शैतान स्वयं यीशु को हानि नहीं पहुँचा सका है, उसने अपने प्रकोप की पूरी शक्ति अभिषिक्त जनों के अवशेष पर और—ज़्यादा हाल में—उनके इर्द-गिर्द जमा हुई अन्य भेड़ों की बड़ी भीड़ पर छुड़ा दी गयी है। जैसे यीशु ने चेतावनी दी, ये लोग “[उसके] नाम के कारण सब जातियों” के लोगों में ‘द्वेष के पात्र’ रहे हैं। (मत्ती २४:९) शैतान ने उन से लड़ने के लिए अपने अधिकार में प्रत्येक शस्त्र, भीड़-भड़क्का जमा करना, क़ैद, सन्तापन, और हत्या समेत, इस्तेमाल किया है।—२ तीमुथियुस ३:१२.
१३. परमेश्वर के लोगों के विरुद्ध शैतान ने किस तरह छल-कपट का प्रयोग किया है?
१३ शैतान ने कुशलतापूर्वक छल-कपट भी इस्तेमाल किया है। (इफिसियों ६:११) ‘धन के भ्रामक प्रभाव’ को इस्तेमाल करके, उसने कुछेकों को धीमा पड़ जाने या अपनी पवित्र सेवा में रुक जाने के लिए भी बहकाया है। (मत्ती १३:२२; १ तीमुथियुस ६:९, १०) दूसरों को उसने लंपटता और अनैतिकता में फँसाया है। (१ कुरिन्थियों ५:१, २) अनेक “जीवन की चिन्ताओं” की वजह से भारी दबाव के तले हैं, और शैतान ‘उन्हें झुकाने’ की कोशिश करने के लिए इसका फ़ायदा उठाता है। (लूका २१:३४) अन्य मिसालों में, उसने “ज़्यादा महत्त्वपूर्ण बातों” से ध्यान भंग करने के लिए व्यक्तित्व के संघर्ष या उद्धत प्रवृत्तियों को इस्तेमाल किया है।—फिलिप्पियों १:१०; १ कुरिन्थियों १:११, १२; याकूब ४:१-३.
१४, १५. शैतान के विरुद्ध हमारे संघर्ष में हम किस तरह विजयी हो सकेंगे?
१४ इसलिए, प्रभु के दिन के दौरान मसीहियों को सहिष्णुता विकसित करने की ज़रूरत रही है। कुछेक विफल हुए हैं, और हर एक विफलता शैतान के लिए एक छोटी जीत रही है। (१ पतरस ५:८) मगर ज़्यादातर लोगों ने यीशु की प्रतिज्ञा की ओर ध्यान दिया है: “जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा।” (मत्ती २४:१३) यहोवा की मदद से, उन्होंने विजय प्राप्त की है और उनके मन को आनन्द पहुँचाया है।—नीतिवचन २७:११; १ यूहन्ना २:१३, १४.
१५ निश्चय ही, हम में से कोई भी शैतान को हमें कायर होता देखने का संतोष देना नहीं चाहेगा! इसलिए, उत्साह से सुसमाचार प्रचार करके तथा अपने विश्वास को मज़बूत रखने के लिए अध्ययन करते हुए—हम पौलुस की सलाह का अनुसरण करें और खुद को सच्चाई, धार्मिकता, और विश्वास से लैस करें। हम निरन्तर प्रार्थना भी करते रहें और सतर्क रहें। उस तरह, हम “हमारे प्रभु यीशु मसीह के दिन में निर्दोष” ठहरेंगे। (१ कुरिन्थियों १:८; इफिसियों ६:१०-१८; १ थिस्सलुनीकियों ५:१७; १ पतरस ४:७) उलटे, प्रभु का दिन हमारे लिए विपुल आशिषों का स्रोत होगा।
सेवा के बढ़िया विशेषाधिकार
१६. यूहन्ना को क्यों कहा गया कि सात गर्जनों की कही बातों को न लिखें, और १९१९ में अभिषिक्त मसीहियों के लिए इसका क्या अर्थ हुआ?
१६ प्रकाशितवाक्य १०:३, ४ में, यूहन्ना कहता है कि उसने ‘सातों गर्जनों’ को खुद अपनी आवाज़ें उच्चारते हुए सुनाई दिए। जो कुछ भी उसने सुना था, उसे लिख लेना चाहता तो था, लेकिन वह बताता है: “मैं ने स्वर्ग से यह शब्द सुना, कि ‘जो बातें गर्जन के उन सात शब्दों से सुनी हैं, उन्हें गुप्त रख, और मत लिख।’” प्रत्यक्ष रूप से, अभी ऐसी जानकारी बतलाने का समय नहीं था। उसके बजाय, यूहन्ना को उस छोटा लपेटवाँ कागज़ लेकर खाने का आदेश दिया गया। प्रतीत होता है कि सातों गर्जन यहोवा के उद्देश्यों की पूरी अभिव्यक्ति चित्रित करते हैं। (भजन २९:३; यूहन्ना १२:२८, २९; प्रकाशितवाक्य ४:५) १९१९ में, जब अभिषिक्त मसीहियों ने छोटा लपेटवाँ कागज़ खाया, तब उन्हें यहोवा के उद्देश्यों की पूरी समझ प्राप्त करने का समय न था। (दानिय्येल १२:८, ९ से तुलना करें।) लेकिन जो कुछ भी समझ उनके पास थी, उसके बल-बूते पर वे निडरता से बढ़ते गए और उन्होंने अपने आप को और अधिक प्रबोधन के योग्य साबित किया।
१७. १९१९ के बाद के वर्षों में यहोवा ने अपने लोगों को प्रदान की गयी नयी अंतर्दृष्टि में से कुछ बातें क्या हैं?
१७ फिर, कई सालों के दौरान, उन्हें क्रमिक रूप से यहोवा की इच्छा की अधिक स्पष्ट समझ दी गयी। उदाहरणार्थ, वे समझ सके कि यीशु के दृष्टांत के भेड़, आरमागेडोन से भी पहले, बकरियों से अलग किए जा रहे थे। (मत्ती २५:३१-४६) उन्होंने समझ लिया कि १९१४ में राज्य का जन्म प्रकाशितवाक्य अध्याय १२ की पूर्ति के अनुरूप था। वे यहोवा के नाम के महत्त्व की अधिक गहरी क़दर करने लगे, और उन्होंने जान लिया कि प्रकाशितवाक्य अध्याय ७ की बड़ी भीड़ दरअसल कौन थी। इन क्रमिक प्रकटनों से परमेश्वर के लोगों को कितना आत्म-विश्वास प्राप्त हुआ!—नीतिवचन ४:१८; २ पतरस १:१९.
१८. प्रभु के दिन के दौरान यहोवा के लोगों ने सेवा के कौनसे विशिष्ट विशेषाधिकारों में हिस्सा लिया है, और यह अपने दिलों में कैसा बोध विकसित करता है?
१८ उसी समय, यहोवा ने अपने पार्थिव सेवकों को सेवा के विशिष्ट विशेषाधिकार सौंप दिए। एक उच्च दर्शन में, यूहन्ना ने स्वर्गदूत देखे जो कि मनुष्यजाति के लिए अनन्त सुसमाचार और बड़ी बाबेलोन का पतन घोषित कर रहे थे, तथा पशु का निशान प्राप्त न करने की चेतावनी दे रहे थे। (प्रकाशितवाक्य १४:६-१०) जबकि निःसंदेह स्वर्गदूतों ने इन दिव्य सेवा विशेषाधिकारों की अध्यक्षता की, ये मनुष्य ही थे, यहोवा के गवाह, जिन्होंने वास्तव में मनुष्यजाति को ये संदेश सुनाए। यूहन्ना ने यीशु को “पृथ्वी की खेती” काटते हुए भी देखा। (प्रकाशितवाक्य १४:१४-१६) लेकिन यीशु ने यह खेती पृथ्वी पर उसकी प्रजा के राज्य-प्रचार और चेला-बनाने के कार्य के ज़रिए काटी है। (मत्ती २४:१४; २८: १९, २०) ऐसे अत्यावश्यक महत्त्व के सेवा विशेषाधिकारों में स्वर्गदूतों और खुद यीशु के साथ हिस्सा लेना कितना बड़ा विशेषाधिकार है! ऐसा करने से, हम खुद को यहोवा के विश्वसनीय आत्मिक व्यक्तियों के भव्य, अदृश्य स्वर्गीय संगठन के सचमुच अनुरूप महसूस करते हैं।
ईश्वरीय संरक्षण
१९. (अ) परमेश्वर के लोगों के प्रति शैतान की शत्रुता की चरमसीमा क्या होगी? (ब) आख़री, चरम संघर्ष में कौन जीतेंगे?
१९ जैसे जैसे शैतान की दुनिया का अंत नज़दीक आता है, वह मसीहियों पर अधिकाधिक दबाव डालेगा। उसकी शत्रुता की चरमसीमा का वर्णन यहेजकेल अध्याय ३८ और ३९ में किया गया है, जहाँ उसे भविष्यसूचक रूप से मागोग देश का गोग बुलाया जाता है। इस प्रेरित भविष्यद्वाणी के अनुसार, शैतान परमेश्वर के लोगों को सदा के लिए नाश करने की कोशिश में पूरी शक्ति से हमला करेगा। क्या वह कामयाब रहेगा? प्रकाशितवाक्य जवाब देता है: “दस सींग [आधुनिक-समय के “राजा,” या शासक] . . . मेम्ने से लड़ेंगे, और मेम्ना उन पर जय पाएगा क्योंकि वह प्रभुओं का प्रभु, और राजाओं का राजा है। और जो बुलाए हुए, और चुने हुए, और विश्वासी उसके साथ हैं, वे भी जय पाएँगे।” (प्रकाशितवाक्य १७:१२, १४) अगर विश्वसनीय मसीही अपने महान्, विजेता राजा के प्रति वफ़ादार रहेंगे, वे निश्चय ही जय पाएँगे। गोग की सेनाएँ संपूर्णतया विनष्ट की जाएँगी।—यहेजकेल ३९:३, ४, १७-१९; प्रकाशितवाक्य १९:१७-२१.
२०. भारी क्लेश के समय वफ़ादार मसीहियों के लिए प्रभु का दिन कौनसे आशीर्वाद ले आएगा?
२० इस प्रकार, प्रभु के दिन का मतलब परमेश्वर के लोगों के लिए उद्धार है। भारी क्लेश के समय अभिषिक्तों के जो सदस्य मनुष्यों के तौर से अभी ज़िंदा हैं, उन्हें अपने स्वर्गीय पद की गारंटी मिलेगी, और वे वफ़ादारी से अपनी जीवनावधि पूरा करने के लिए अटल रूप से दृढ़निश्चित होंगे। (प्रकाशितवाक्य ७:१-३; २ तीमुथियुस ४:६-८) बड़ी भीड़ भी उत्तरजीवित रहेगी, और यीशु “उन्हें जीवन रूपी जल के सोतों के पास ले जाया करेगा, और परमेश्वर उन की आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा।” (प्रकाशितवाक्य ७:१४, १७) वफ़ादार सहिष्णुता का कैसा बढ़िया प्रतिफल!
२१. प्रभु के दिन के दौरान भारी क्लेश के बाद पृथ्वी पर क्या होगा?
२१ अब प्रभु के दिन की एक अत्युत्तम अवस्था शुरू होती है: मसीह यीशु का हज़ार वर्षों का शासनकाल। (प्रकाशितवाक्य २०:६, ११-१५) प्रकाशितवाक्य और यहेजकेल, दोनों में भविष्यवाणी की गयी जीवन के जल की नदी यहोवा के सिंहासन से मनुष्यजाति की ओर बहेगी, और जो उस में से पीएँगे, वे धीरे-धीरे मानवी पूर्णता तक उन्नत किए जाएँगे। (यहेजकेल ४७:१-१२; प्रकाशितवाक्य २२:१, २) अधोलोक खाली किया जाएगा, और मरे हुओं के करोड़ों लोगों को भी इस नदी के जल से पीने का मौका मिलेगा।—यूहन्ना ५:२८, २९.
२२. मसीह के एक हज़ार वर्ष के शासनकाल के अंत में कौनसी महत्त्वपूर्ण घटनाएँ मनुष्यजाति का इंतज़ार कर रही हैं?
२२ हज़ार वर्षों के अंत तक, मनुष्यजाति पूर्णता तक उन्नत की जा चुकी होगी। पार्थिव दृश्य पर शैतान को अपना आख़री प्रकटन करने का यह कितना उचित समय है! एक बार फिर वह मनुष्यजाति को धोखा देने की कोशिश करेगा, और, तब भी, कुछेक उसके पीछे हो लेंगे। इन्हें सार्थक रूप से “गोग और मागोग” कहा जाता है चूँकि वे वही दुष्ट अभिवृत्ति प्रकट करेंगे जो यहेजकेल की भविष्यद्वाणी में ‘गोग की भीड़’ ने प्रकट की थी। लेकिन उनकी विद्रोहपूर्ण अभिवृत्ति सर्वदा के लिए मिटा दी जाएगी, जब वे, और साथ साथ खुद शैतान और उसके दुष्टात्माएँ, प्रतीकात्मक अग्नि के झील में फेंक दिए जाएँगे। (प्रकाशितवाक्य २०:७-१०; यहेजकेल ३९:११) एक सचमुच ही धन्य भविष्य उस आख़री परीक्षा में वफ़ादार रहनेवालों का इंतज़ार कर रहा है, और फिर पूर्ण की गयी मानव जाति यहोवा के धार्मिक विश्वव्याप्त संगठन के साथ एक होगी। यहोवा परमेश्वर खुद ‘सब में सब कुछ होगा’!—१ कुरिन्थियों १५:२४, २८; प्रकाशितवाक्य २०:५.
२३. जिस समय में हम अब जी रहे हैं, उसका विचार करके, हम में से हर एक को पौलुस की कौनसी सलाह की ओर ध्यान देना उचित है?
२३ तो फिर, अगर हम सहन करेंगे तो कैसे कैसे अकल्पित आशीर्वाद हमारा इंतज़ार करते हैं! याद रखें, प्रभु का दिन अब पूर्ण रूप से आगे बढ़ा है। अब बढ़िया बातें घटित होना शुरू हुई हैं। तो फिर, पौलुस के शब्द उचित हैं: “हम भले काम करना न छोड़ें, क्योंकि यदि हम थक न जाएँ, तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे।” (गलतियों ६:९, न्यू.व.) इस प्रभु के दिन में हम वास्तव में “भले काम करना न छोड़ें”। अगर हम सहन करेंगे, तो यह दिन हम में से प्रत्येक के लिए अनन्त लाभ ले आएगा।
क्या आप व्याख्या कर सकते हैं?
◻ शैतान की दुनिया के नाश का पहला अवस्थान क्या है?
◻ यीशु अपने शत्रुओं पर का ‘जय’ किस तरह ‘पूरा’ करेगा?
◻ प्रभु के दिन के दौरान शैतान यहोवा के गवाहों के विरुद्ध किस तरह लड़ा है?
◻ १९१९ से परमेश्वर के लोगों ने कौन-कौनसे उल्लेखनीय आशीर्वादों का आनन्द उठाया है?
◻ समय की धारा में हम जिस जगह पहुँचे हैं, उसका विचार करके, आप ज़ाती तौर पर क्या करने के लिए दृढ़निश्चित हैं?
[पेज 16 पर तसवीरें]
प्राचीन यरूशलेम का नतीजा दिखाता है कि जल्द बड़ी बाबेलोन को क्या होगा