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‘मेरी आज्ञाएँ मान और जीता रह’प्रहरीदुर्ग—2000 | नवंबर 15
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सुलैमान एक पिता की तरह सलाह देता है, वह कहता है: “हे मेरे पुत्र, मेरी बातों को माना कर, और मेरी आज्ञाओं को अपने मन में रख छोड़। मेरी आज्ञाओं को मान, इस से तू जीवित रहेगा, और मेरी शिक्षा को अपनी आँख की पुतली जान।”—नीतिवचन 7:1, 2.
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‘मेरी आज्ञाएँ मान और जीता रह’प्रहरीदुर्ग—2000 | नवंबर 15
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माता-पिता इन शिक्षाओं के अलावा बच्चों को कुछ ऐसे नियम भी सिखा सकते हैं जो सिर्फ उनके अपने परिवार के लिए हैं। ये नियम परिवार में सभी की भलाई के लिए होते हैं। बेशक, हर परिवार अपनी ज़रूरतों के मुताबिक अलग-अलग नियम बना सकता है। लेकिन, उनके परिवार के लिए सबसे बढ़िया क्या है यह फैसला करने की ज़िम्मेदारी माता-पिता की है। इन नियमों का होना दिखाता है कि माता-पिता को अपने परिवार से सच्चा प्यार है और उनकी चिंता भी है। बच्चों को सलाह दी गयी है कि वे इन नियमों का और माता-पिता द्वारा सिखायी गयी बाइबल की शिक्षाओं का भी पालन करें। इन हिदायतों को हमें “अपनी आँख की पुतली” की तरह सँभालना है, उनकी दिलो-जान से रखवाली करनी है। तभी हम यहोवा के उसूलों को भूलने की गलती नहीं करेंगे, अपनी जान जोखिम में नहीं डालेंगे और ‘जीवित रहेंगे।’
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