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हमेशा परमेश्वर का डर मानें और आशीषें पाएँप्रहरीदुर्ग (अध्ययन)—2023 | जून
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6. अब हम किन दो औरतों के बारे में चर्चा करेंगे?
6 आइए अब हम नीतिवचन अध्याय 9 पर ध्यान दें जहाँ दो औरतों के बारे में बताया गया है। एक बुद्धि को दर्शाती है और दूसरी मूर्खता को।c याद रखिए कि शैतान की दुनिया अनैतिक काम (सेक्स) करने और गंदी तसवीरें और वीडियो (पोर्नोग्राफी) देखने के पीछे पागल है। (इफि. 4:19) इसलिए यह बहुत ज़रूरी है कि हम हमेशा यहोवा का डर मानें और बुराई से मुँह फेरें। (नीति. 16:6) इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम नीतिवचन अध्याय 9 पर चर्चा करेंगे। इससे आदमी-औरतों सभी को बहुत फायदा हो सकता है। इस अध्याय में बतायी दोनों ही औरतें नादान लोगों को यानी “जिनमें समझ नहीं” है, बुला रही हैं और कह रही हैं, “आओ और मेरे यहाँ रोटी खाओ।” (नीति. 9:1, 5, 6, 13, 16, 17) लेकिन दोनों का बुलावा कबूल करने के जो नतीजे होंगे, उनमें ज़मीन-आसमान का फर्क है।
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हमेशा परमेश्वर का डर मानें और आशीषें पाएँप्रहरीदुर्ग (अध्ययन)—2023 | जून
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7. नीतिवचन 9:13-18 के मुताबिक मूर्ख औरत का बुलावा कबूल करनेवाले का क्या अंजाम होता है? (तसवीर भी देखें।)
7 ज़रा “मूर्ख औरत” के बुलावे पर गौर कीजिए। (नीतिवचन 9:13-18 पढ़िए।) जिन लोगों में समझ नहीं है, उन्हें वह बेशर्म होकर आवाज़ लगाती है, ‘इधर आओ’ और दावत का मज़ा लो। लेकिन इसका अंजाम क्या होता है? उसी अध्याय में आगे बताया गया है, “उसका घर मुरदों का घर है।” आपको शायद याद होगा कि इस किताब के पिछले कुछ अध्यायों में भी एक ऐसी ही औरत से खबरदार रहने के लिए कहा गया है, जो “नीच” और “बदचलन” है। वहाँ कहा गया है, “उसके घर जाना, मौत के मुँह में जाना है।” (नीति. 2:11-19) और नीतिवचन 5:3-10 में एक और “बदचलन औरत” के बारे में खबरदार किया गया है, जिसके “पैर मौत की तरफ बढ़ते हैं।”
8. हमें क्या फैसला लेना पड़ सकता है?
8 जो लोग “मूर्ख औरत” का बुलावा सुनते हैं, उन्हें एक फैसला करना होता है: क्या वे उसका बुलावा कबूल करेंगे या उसे ठुकरा देंगे? आज हमारे साथ भी कुछ ऐसा ही हो सकता है। शायद हमें अनैतिक काम करने के लिए लुभाया जाए या सोशल मीडिया या इंटरनेट पर अचानक कोई गंदी तसवीर या वीडियो खुल जाए। यह ऐसा होगा मानो मूर्ख औरत हमें आवाज़ लगा रही हो। ऐसे में हमें फैसला करना होगा कि हम क्या करेंगे।
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