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‘सच्चाई के मार्ग’ पर चलिएप्रहरीदुर्ग—2001 | सितंबर 15
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सुलैमान, धार्मिकता की अहमियत बताते हुए लिखता है: “धनी का धन उसका दृढ़ नगर है; किन्तु गरीब की गरीबी उसके विनाश का कारण है। धार्मिक मनुष्य का परिश्रम उसको जीवन की ओर ले जाता है; पर दुर्जन की कमाई उसको पाप की ओर अग्रसर करती है।”—नीतिवचन 10:15,16, नयी हिन्दी बाइबिल।
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‘सच्चाई के मार्ग’ पर चलिएप्रहरीदुर्ग—2001 | सितंबर 15
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दूसरी तरफ धर्मी के पास चाहे धन-संपत्ति हो या न हो, सच्चाई का मार्ग उसे जीवन की ओर ले जाता है। कैसे? उसके पास जितना भी है, वह उसी से संतुष्ट रहता है। चाहे हालात कैसे भी क्यों न हों वह परमेश्वर के साथ मज़बूत रिश्ता बनाए रखने की अहमियत कभी नहीं भूलता। चाहे एक धर्मी धनी हो या निर्धन, सच्चाई के मार्ग पर चलने से उसे न सिर्फ आज खुशियाँ मिलेंगी बल्कि भविष्य में भी अनंत जीवन की आशा मिलती है। (अय्यूब 42:10-13) लेकिन एक दुष्ट चाहे कितनी भी धन-संपत्ति क्यों न जमा कर ले उसे कुछ फायदा नहीं होता। वह पैसे से मिलनेवाली सुरक्षा की सही कदर करना नहीं जानता न ही वह परमेश्वर की इच्छा के मुताबिक जीता है। इसके बजाय वह पाप के मार्ग पर चलता है और सारी कमाई बुरे कामों में उड़ा देता है।
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