यहोवा पर भरोसा रखिए!
“अपने सम्पूर्ण मन [हृदय, NW] से यहोवा पर भरोसा रखना।”—नीतिवचन ३:५.
१. नीतिवचन ३:५ ने किस प्रकार एक युवक को प्रभावित किया, और इसका क्या दीर्घकालीन परिणाम हुआ?
एक लम्बे समय का मिशनरी लिखता है: “‘तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना।’ जब मैं लोगों के घरों में भेंट कर रहा था तो एक घर में दीवार पर फ्रेम करके लटकाए हुए बाइबल के इन शब्दों की ओर मेरा ध्यान आकर्षित हुआ। बाकी का सारा दिन मैं उन पर मनन करता रहा। मैं ने अपने आप से पूछा, क्या मैं अपने सम्पूर्ण हृदय से यहोवा पर भरोसा रख सकता हूँ?” यह व्यक्ति उस समय २१ साल का था। नब्बे साल की उम्र में और अभी भी वफ़ादारी से एक प्राचीन के तौर पर पर्थ, आस्ट्रेलिया में सेवा करते हुए, वह यहोवा पर सम्पूर्ण मन से भरोसा करने के फलों से समृद्ध जीवन की ओर पीछे मुड़कर देख सकता है। इसमें सीलोन (अभी श्रीलंका), बर्मा (अभी म्यानमा), मलाया, थाइलैंड, भारत, और पाकिस्तान में नए मिशनरी क्षेत्रों में २६ कठिन सालों का अग्रगामी कार्य सम्मिलित है।a
२. नीतिवचन ३:५ द्वारा हम में क्या विश्वास विकसित होना चाहिए?
२ “अपने सम्पूर्ण हृदय से यहोवा पर भरोसा रखना”—नीतिवचन ३:५ के इन शब्दों को, जैसे न्यू वर्ल्ड ट्रान्सलेशन द्वारा अनुवादित हैं, हम सब को लगातार अपना जीवन सम्पूर्ण हृदय से यहोवा को अर्पित करने के लिए प्रेरित करना चाहिए, और हमें इस बात से विश्वस्त होना चाहिए कि वह हमारे विश्वास को इस हद तक मज़बूत बना सकता है कि हम पहाड़ जैसी बाधाओं को भी पार कर सकें। (मत्ती १७:२०) आइए अब नीतिवचन ३:५ की उसके संदर्भ में जाँच करें।
पिता तुल्य निर्देशन
३. (क) नीतिवचन के पहले नौ अध्यायों में क्या प्रोत्साहन मिलता है? (ख) हमें नीतिवचन ३:१, २ को ज़्यादा नज़दीकी ध्यान क्यों देना चाहिए?
३ बाइबल पुस्तक नीतिवचन के पहले नौ अध्याय, पिता तुल्य निर्देशन से चमकते हैं। इनमें उन सभी लोगों के लिए जो स्वर्ग में पुत्रत्व का या परादीस पृथ्वी पर “परमेश्वर की सन्तानों की महिमा की स्वतंत्रता” का आनन्द लेने के लिए उत्सुकता से प्रतीक्षा करते हैं, यहोवा की ओर से बुद्धिमत्तापूर्ण सलाह है। (रोमियों ८:१८-२१, २३) यहाँ बुद्धिमत्तापूर्ण सलाह है जिसे माता-पिता अपने बच्चों के पालन-पोषण में इस्तेमाल कर सकते हैं। नीतिवचन अध्याय ३ की सलाह उल्लेखनीय है, जो इस चेतावनी के साथ शुरू होती है: “हे मेरे पुत्र, मेरी शिक्षा को न भूलना; अपने हृदय में मेरी आज्ञाओं को रखे रहना।” जैसे-जैसे शैतान के दुष्ट संसार के दिन अपनी समाप्ति की ओर बढ़ते हैं, ऐसा हो कि हम यहोवा के अनुस्मारकों पर पहले से ज़्यादा नज़दीकी से ध्यान दें। मार्ग शायद लम्बा लगा हो, लेकिन सभी धीरज धरनेवाले जनों को यह प्रतिज्ञा है कि “ऐसा करने से तेरी आयु [दिनों की लंबाई और जीवन के बरस, fn] बढ़ेगी, और तू अधिक कुशल से रहेगा”—यहोवा की नई व्यवस्था में अनन्त जीवन पाएगा।—नीतिवचन ३:१, २.
४, ५. (क) यूहन्ना ५:१९, २० में किस ख़ुशहाल सम्बन्ध का वर्णन किया गया है? (ख) किस प्रकार व्यवस्थाविवरण ११:१८-२१ की सलाह हमारे दिनों तक लागू होती है?
४ पिता और पुत्र के बीच ख़ुशहाल सम्बन्ध अति मूल्यवान हो सकता है। हमारे सृष्टिकर्ता, यहोवा परमेश्वर ने उसी तरह होने के लिए प्रबन्ध किया है। मसीह यीशु ने यहोवा के साथ स्वयं अपने अंतरंग सम्बन्ध के बारे में कहा: “पुत्र आप से कुछ नहीं कर सकता, केवल वह जो पिता को करते देखता है, क्योंकि जिन जिन कामों को वह करता है उन्हें पुत्र भी उसी रीति से करता है। क्योंकि पिता पुत्र से प्रीति रखता है और जो जो काम वह आप करता है, वह सब उसे दिखाता है।” (यूहन्ना ५:१९, २०) यहोवा ने यह उद्देश्य रखा कि इसी प्रकार की अंतरंगता उसके और पृथ्वी पर उसके सारे परिवार के बीच हो, साथ ही मानव पिता और उनके बच्चों के बीच भी हो।
५ प्राचीन इस्राएल में एक विश्वसनीय पारिवारिक सम्बन्ध को प्रोत्साहन दिया जाता था। वहाँ यहोवा ने पिताओं को सलाह दी: “तुम मेरे ये वचन अपने अपने मन और प्राण में धारण किए रहना और चिन्हानी के लिये अपने हाथों पर बान्धना, और वे तुम्हारी आंखों के मध्य में टीके का काम दें। और तुम घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते-उठते इनकी चर्चा करके अपने लड़केबालों को सिखाया करना। और इन्हें अपने अपने घर के चौखट के बाजुओं और अपने फाटकों के ऊपर लिखना; इसलिये कि जिस देश के विषय यहोवा ने तेरे पूर्वजों से शपथ खाकर कहा था, कि मैं उसे दूंगा, उस में तुम्हारे और तुम्हारे लड़केबालों की दीर्घायु हो, और जब तक पृथ्वी के ऊपर का आकाश बना रहे तब तक वे भी बने रहें।” (व्यवस्थाविवरण ११:१८-२१) हमारे महान उपदेशक, यहोवा परमेश्वर का उत्प्रेरित वचन उसे सचमुच माता-पिताओं और उनके बच्चों के साथ, साथ ही मसीही कलीसिया में उसकी सेवा कर रहे दूसरे सभी लोगों के साथ अंतरंगता में जोड़ सकता है।—यशायाह ३०:२०, २१.
६. हम किस प्रकार परमेश्वर और मनुष्यों का अनुग्रह पा सकते हैं?
६ परमेश्वर के लोगों, बूढ़े और जवान, सभी के लिए बुद्धिमत्तापूर्ण पिता तुल्य सलाह नीतिवचन अध्याय ३ की आयत ३ और ४ में जारी रहती है: “कृपा और सच्चाई तुझ से अलग न होने पाएं; वरन उनको अपने गले का हार बनाना, और अपनी हृदयरूपी पटिया पर लिखना। और तू परमेश्वर और मनुष्य दोनों का अनुग्रह पाएगा, तू अति बुद्धिमान होगा।” स्वयं यहोवा परमेश्वर प्रेममय-कृपा और सच्चाई दिखाने में उत्कृष्ट है। जैसा कि भजन २५:१० कहता है, “[यहोवा] के सब मार्ग करुणा और सच्चाई हैं।” यहोवा की नक़ल करते हुए हमें इन गुणों को और उनकी रक्षात्मक शक्ति को मूल्यवान समझना चाहिए, जैसे हम एक बहुमूल्य हार की हिफ़ाज़त करते हैं और उन्हें अपने हृदय पर अमिट रूप से लिख लेना चाहिए। तब, हम सरगर्मी से प्रार्थना कर सकते हैं: “हे यहोवा, . . . तेरी करुणा और सत्यता से निरन्तर मेरी रक्षा होती रहे!”—भजन ४०:११.
एक चिरस्थायी भरोसा
७. यहोवा ने किन तरीक़ों से दिखाया है कि वह भरोसेमंद है?
७ वेबस्टर्स् नाइन्थ न्यू कॉलिजिएट डिक्शनरि में भरोसे की परिभाषा इस प्रकार दी गई है, “किसी व्यक्ति या वस्तु के चरित्र, क्षमता, बल, या सच्चाई पर सुनिश्चित आस्था।” यहोवा का चरित्र मज़बूती से उसकी प्रेममय-कृपा में जुड़ा हुआ है। और उसने जो प्रतिज्ञा की है उसे पूरा करने में उसकी क्षमता पर हम पूरा विश्वास रख सकते हैं, क्योंकि उसका नाम ही, यहोवा, महान उद्देश्य रखनेवाले के रूप में उसकी पहचान कराता है। (निर्गमन ३:१४; ६:२-८) सृष्टिकर्ता होने के नाते, वह बल और गतिशील ऊर्जा का सोता है। (यशायाह ४०:२६, २९) वह सच्चाई का साक्षात् रूप है, क्योंकि “परमेश्वर का झूठा ठहरना अनहोना है।” (इब्रानियों ६:१८) इसलिए, हमें प्रोत्साहन दिया जाता है कि यहोवा पर निर्विवाद भरोसा रखें, जो हमारा परमेश्वर, सारी सच्चाई का महान स्रोत है, और जिसके पास उस पर भरोसा रखनेवालों को बचाने के लिए और अपने सारे महान उद्देश्यों को शानदार सफलता देने के लिए सर्वशक्ति है।—भजन ९१:१, २; यशायाह ५५:८-११.
८, ९. संसार में दुःखद रूप से भरोसे की कमी क्यों है, और यहोवा के लोग किस प्रकार एक विषमता प्रदान करते हैं?
८ हमारे चारों ओर के भ्रष्ट संसार में, यह दुःख की बात है कि भरोसे की कमी है। इसके बजाय, हम हर जगह लालच और भ्रष्टाचार पाते हैं। वर्ल्ड प्रेस रिव्यू (अंग्रेज़ी में) पत्रिका के मई १९९३ अंक का मुख-पृष्ठ इस संदेश से अलंकृत था: “भ्रष्टाचार धूम—नई विश्व व्यवस्था में गंदा पैसा। भ्रष्टाचार उद्योग ब्राज़ील से जर्मनी तक, अमरीका से अर्जेन्टीना तक, स्पेन से पेरू तक, इटली से मेक्सिको तक, वैटिकन से रूस तक फैला हुआ है।” घृणा, लालच, और अविश्वास पर आधारित, मनुष्यों की तथाकथित नई विश्व व्यवस्था मानवजाति के लिए बढ़ते दुःखों के अलावा और कुछ नहीं लाती।
९ राजनीतिक राष्ट्रों की विषमता में, यहोवा के गवाह वह “जाति” होने के लिए ख़ुश हैं “जिसका परमेश्वर यहोवा है।” केवल वे ही सच्चाई से कह सकते हैं, “हम परमेश्वर पर भरोसा करते हैं।” उन में से हरेक जन आनन्द से पुकार सकता है: “परमेश्वर की सहायता से मैं उसके वचन की प्रशंसा करूंगा, . . . परमेश्वर पर मैं ने भरोसा रखा है, मैं न डरूंगा।”—भजन ३३:१२; ५६:४, ११.
१०. किस बात ने अनेक मसीही युवाओं को खराई बनाए रखने के लिए शक्ति दी है?
१० एक एशियाई देश में जहाँ हज़ारों यहोवा के गवाहों ने सख़्त पिटाई और क़ैद सही है, यहोवा पर भरोसे ने अधिकांश जनों को धीरज धरने में समर्थ किया है। एक रात जेल में, एक युवा गवाह को, जिसने भयंकर यातना सही थी, लगा कि वह और नहीं सह सकता। लेकिन एक और युवा अंधेरे में छुपकर उसके पास आया। उसने फुसफुसाकर कहा: “हिम्मत मत हारना; मैंने समझौता कर लिया और तब से मेरे मन में कोई शान्ति नहीं है।” पहले युवा ने दृढ़ रहने के अपने निश्चय को ताज़ा किया। हम यहोवा पर पूरा भरोसा रख सकते हैं कि वह शैतान द्वारा हमारी खराई तोड़ने के किसी भी और हर किसी प्रयास पर विजयी होने में हमारी मदद करेगा।—यिर्मयाह ७:३-७; १७:१-८; ३८:६-१३, १५-१७.
११. यहोवा पर भरोसा रखने के लिए हम किस प्रकार उत्तेजित होते हैं?
११ पहली आज्ञा का एक भाग इस तरह कहता है: “तू यहोवा अपने परमेश्वर से अपने सारे हृदय से . . . प्रेम रखना।” (मरकुस १२:३०, NW) ज्यों-ज्यों हम परमेश्वर के वचन पर मनन करते हैं, जो महान सच्चाइयाँ हम सीख रहे हैं वे हमारे हृदय में गहराई तक बैठ जाती हैं ताकि हम अपना सब कुछ हमारे अद्भुत परमेश्वर, सर्वसत्ताधारी प्रभु यहोवा की सेवा में देने के लिए प्रेरित हों। उसके लिए मूल्यांकन, और जो कुछ उसने हमें सिखाया है, हमारे लिए किया है, और आगे हमारे लिए करेगा, उस सब के लिए मूल्यांकन से छलकते हृदय से हम उसके उद्धार में निर्विवाद भरोसा रखने के लिए उत्तेजित होते हैं।—यशायाह १२:२.
१२. वर्षों के दौरान, अनेक मसीहियों ने किस प्रकार यहोवा पर अपना भरोसा दिखाया है?
१२ यह भरोसा सालों के दौरान विकसित किया जा सकता है। यहोवा के एक नम्र सेवक ने, जिसने अप्रैल १९२७ में शुरू करके ५० साल से ज़्यादा वॉच टावर सोसाइटी के ब्रुकलिन मुख्यालय में वफ़ादारी से सेवा की, लिखा: “उस महीने के अन्त में एक लिफ़ाफ़े में बन्द मुझे $ ५.०० भत्ता मिला, उसके साथ एक कार्ड था जिस पर बाइबल पाठ नीतिवचन ३:५, ६ लिखा हुआ था। . . . यहोवा पर भरोसा करने का हर कारण था, क्योंकि मुख्यालय में मैं ने जल्द ही इस बात का मूल्यांकन किया कि यहोवा के पास एक ‘विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास’ है जो वफ़ादारी से पृथ्वी पर सारे राज्य हितों को संभाल रहा है।—मत्ती २४:४५-४७.”b इस मसीही का हृदय पैसे पर नहीं, बल्कि “स्वर्ग में अक्षय ख़जाना” प्राप्त करने पर था। इसी प्रकार आजकल, वे हज़ारों जो पूरी पृथ्वी पर वॉच टावर सोसाइटी के बेथेल घरों में सेवा करते हैं ग़रीबी की एक क़िस्म की क़ानूनी शपथ के अधीन ऐसा करते हैं। वे अपनी प्रतिदिन की ज़रूरतों को प्रदान करने के लिए यहोवा पर भरोसा रखते हैं।—लूका १२:२९-३१, ३३, ३४, NW.
यहोवा का सहारा लेना
१३, १४. (क) परिवक्व सलाह केवल कहाँ मिल सकती है? (ख) सताहटों को सहकर बचने के लिए किस बात से दूर रहना चाहिए?
१३ हमारा स्वर्गीय पिता हमें सलाह देता है: “तू अपनी समझ का सहारा न लेना।” (नीतिवचन ३:५) सांसारिक सलाहकार और मनोवैज्ञानिक यहोवा द्वारा दर्शायी गई बुद्धि और समझ के पास तक पहुँचने की आशा नहीं कर सकते। “उसकी बुद्धि [समझ, NW] अपरम्पार है।” (भजन १४७:५) संसार के प्रमुख व्यक्तियों की बुद्धि का या स्वयं अपनी अनभिज्ञ भावनाओं का सहारा लेने के बजाय, आइए हम परिपक्व सलाह के लिए यहोवा, उसके वचन, और मसीही कलीसिया में प्राचीनों की ओर देखें।—भजन ५५:२२; १ कुरिन्थियों २:५.
१४ जल्द-आनेवाले कठिन परीक्षा के दिन में मानवी बुद्धि और प्रमुख पद हमारी कोई मदद नहीं करेंगे। (यशायाह २९:१४; १ कुरिन्थियों २:१४) जापान में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान, परमेश्वर के लोगों के एक योग्य लेकिन घमंडी रखवाले ने अपनी समझ का सहारा लिया। दबाव में आकर वह धर्मत्यागी बन गया, और ज़्यादातर भेड़ों ने भी सताहट के अधीन कार्य छोड़ दिया। एक निष्ठावान् जापानी बहन ने, जो गंदे क़ैदखानों में भयंकर दुर्व्यवहार सहकर निकली, टिप्पणी की: “जो वफ़ादार बने रहे उनमें कोई ख़ास क्षमताएँ नहीं थीं और वे अप्रत्यक्ष थे। निश्चय ही हम सबको हमेशा अपने सम्पूर्ण हृदय से यहोवा पर भरोसा रखना चाहिए।”c
१५. यदि हम यहोवा को ख़ुश करना चाहते हैं, तो कौनसा ईश्वरीय गुण अत्यावश्यक है?
१५ अपनी समझ पर भरोसा करने के बजाय यहोवा पर भरोसा करने में नम्रता सम्मिलित है। उन सभी के लिए जो यहोवा को प्रसन्न करना चाहते हैं यह गुण कितना महत्त्वपूर्ण है! क्यों, हमारा परमेश्वर भी, जबकि पूरे विश्व का सर्वसत्ताधारी प्रभु है, अपनी बुद्धिमान सृष्टि से व्यवहार करते समय नम्रता दिखाता है। हम उसके लिए आभारी हो सकते हैं। “आकाश और पृथ्वी पर भी, दृष्टि करने के लिये झुकता है। वह कंगाल को मिट्टी पर से, और दरिद्र को घूरे पर से उठाकर ऊंचा करता है।” (भजन ११३:६, ७) अपनी बड़ी दया के कारण, वह हमारी कमज़ोरियों को मानवजाति को दी अपनी सर्वोत्तम देन, अपने प्रिय पुत्र, मसीह यीशु के बहुमूल्य छुड़ौती बलिदान के आधार पर क्षमा करता है। हमें इस अपात्र कृपा के लिए कितना आभारी होना चाहिए!
१६. कलीसिया में भाई लोग किस प्रकार विशेषाधिकारों के लिए आगे बढ़ सकते हैं?
१६ स्वयं यीशु हमें याद दिलाता है: “जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा: और जो कोई अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा।” (मत्ती २३:१२) नम्रता के साथ, बपतिस्मा-प्राप्त भाइयों को मसीही कलीसिया में ज़िम्मेदारियाँ उठाने के लिए आगे बढ़ना चाहिए। लेकिन, ओवरसियरों को अपनी नियुक्ति को एक प्रतिष्ठा प्रतीक नहीं, बल्कि नम्रतापूर्वक, आभारपूर्वक, उत्सुकतापूर्वक कार्य करने का अवसर समझना चाहिए, जैसा कि यीशु ने समझा, जिसने कहा: “मेरा पिता अब तक काम करता है, और मैं भी काम करता हूं।”—यूहन्ना ५:१७; १ पतरस ५:२, ३.
१७. हम सबको किस बात का मूल्यांकन करना चाहिए, और यह किस गतिविधि की ओर ले जाएगा?
१७ ऐसा हो कि हम हमेशा नम्रतापूर्वक और प्रार्थनापूर्वक इस बात का मूल्यांकन करें कि हम यहोवा की दृष्टि में मिट्टी समान हैं। तब, हम कितने ख़ुश हो सकते हैं कि “यहोवा की करुणा उसके डरवैयों पर युग युग, और उसका धर्म उनके नाती-पोतों पर भी प्रगट होता रहता है”! (भजन १०३:१४, १७) इसलिए हम सबको परमेश्वर के वचन का उत्सुक विद्यार्थी होना चाहिए। व्यक्तिगत और पारिवारिक अध्ययन में, और कलीसिया सभाओं में, हम जो समय बिताते हैं वह हर सप्ताह हमारे सबसे मूल्यवान घंटों में होना चाहिए। इस प्रकार हम “परमपवित्र परमेश्वर का ज्ञान” बढ़ाते हैं। “समझ” यही है।—नीतिवचन ९:१०, NW.
“अपने सब कार्यों में . . ”
१८, १९. हम किस प्रकार अपने जीवन में नीतिवचन ३:६ को लागू कर सकते हैं, और इसका परिणाम क्या होगा?
१८ समझ के ईश्वरीय स्रोत, यहोवा की ओर हमें निर्देशित करते हुए, नीतिवचन ३:६ (NW) आगे कहता है: “अपने सब कार्यों में उसी का स्मरण करना, और स्वयं वह ही तेरा मार्ग सीधा करेगा।” यहोवा का स्मरण करने में यह सम्मिलित है कि प्रार्थना में उसके निकट रहें। हम चाहे कहीं भी हों और चाहे कोई भी परिस्थिति क्यों न खड़ी हो जाए, हम तुरन्त उसे प्रार्थना में पुकार सकते हैं। जब हम अपने प्रतिदिन के कार्य करते हैं, जब हम क्षेत्र सेवा के लिए तैयारी करते हैं, जब हम घर-घर जाकर राज्य की घोषणा करते हैं, तब हमारी निरन्तर प्रार्थना यह हो सकती है कि वह हमारी गतिविधियों पर आशिष देगा। अतः, हमें ‘परमेश्वर के साथ साथ चलने’ का अनमोल विशेषाधिकार और आनन्द मिल सकता है, और हम विश्वस्त हो सकते हैं कि ‘वह हमारा मार्ग सीधा करेगा’ जैसे उसने हनोक और नूह का, और यहोशू और दानिय्येल जैसे विश्वासी इस्राएलियों का किया था।—उत्पत्ति ५:२२; ६:९; व्यवस्थाविवरण ८:६; यहोशू २२:५; दानिय्येल ६:२३; साथ ही याकूब ४:८, १० भी देखिए.
१९ जब हम यहोवा से निवेदन करते हैं, तब हम विश्वस्त हो सकते हैं कि ‘परमेश्वर की शान्ति, जो समझ से बिलकुल परे है, हमारे हृदय और हमारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी।’ (फिलिप्पियों ४:७) परमेश्वर की यह शान्ति, जो आनन्द भरे चेहरे से झलकती है, प्रचार कार्य के दौरान मिले गृहस्वामियों से हमारे संदेश की सिफ़ारिश करती है। (कुलुस्सियों ४:५, ६) यह उनको भी प्रोत्साहित कर सकती है जो तनावों या अन्याय द्वारा पीड़ित हो सकते हैं जो कि आज के संसार में बहुत आम हैं, जैसा कि निम्नलिखित वृत्तान्त दिखाता है।d
२०, २१. (क) नात्ज़ी आतंक के दौरान, यहोवा के गवाहों की खराई ने कैसे दूसरों को प्रोत्साहन दिया? (ख) यहोवा की आवाज़ द्वारा हम में क्या दृढ़संकल्प जागना चाहिए?
२० एक स्वाभाविक यहूदी, मैक्स् लीबस्टर ने, जो एक प्रतीयमान चमत्कार द्वारा अग्निकांड से बचा, एक नात्ज़ी संहार शिविर जाते समय अपनी यात्रा का वर्णन इन शब्दों में किया: “हमें गाड़ी के डिब्बों में बंद कर दिया गया था जो दो-दो व्यक्तियों के लिए अनेक छोटी-छोटी कोठरियों में बदल दिए गए थे। मुझे उन में से एक कोठरी में लात मार के डाल दिया गया था, वहाँ मेरे सामने एक क़ैदी था जिसकी आँखों में प्रशान्ति दिख रही थी। वह वहाँ इसलिए था क्योंकि वह परमेश्वर के नियम का आदर करता था, उसने दूसरों का ख़ून बहाने के बजाय क़ैद और संभव मृत्यु का चुनाव किया था। वह एक यहोवा का गवाह था। उसके बच्चों को उससे छीन लिया गया था, और उसकी पत्नी की हत्या कर दी गई थी। वह अपनी भी हत्या की प्रत्याशा कर रहा था। उस १४-दिन की यात्रा से मेरी प्रार्थनाओं का उत्तर मिल गया, क्योंकि मृत्यु की ओर इसी यात्रा के दौरान मुझे अनन्त जीवन की आशा मिल गई।”
२१ ऑस्कविज़, जिसे उसने “शेर की मान्द” नाम दिया, का अनुभव करने और बपतिस्मा लेने के बाद, इस भाई ने एक यहोवा की गवाह से विवाह किया जो ख़ुद क़ैद में थी और जिसके पिता ने डकाउ में नज़रबन्दी शिविर में सताहट सही थी। जब उस बहन का पिता वहाँ था, उसने सुना कि उसकी पत्नी और युवा बेटी को भी गिरफ़्तार कर लिया गया था। उसने अपनी प्रतिक्रिया का वर्णन किया: “मैं बहुत चिंतित था। फिर एक दिन जब मैं नहाने के लिए पंक्ति में खड़ा था, मैंने एक आवाज़ सुनी जो नीतिवचन ३:५, ६ बोल रही थी . . . वह ऐसे गूंजी जैसे आवाज़ स्वर्ग से नीचे आ रही हो। फिर से संतुलन प्राप्त करने के लिए मुझे ठीक उसी की ज़रूरत थी।” असल में, वह आवाज़ एक दूसरे क़ैदी की थी जो इस पाठ को बोल रहा था, लेकिन यह घटना इस बात पर ज़ोर देती है कि परमेश्वर का वचन हम पर कितना प्रबल प्रभाव डाल सकता है। (इब्रानियों ४:१२) ऐसा हो कि यहोवा की आवाज़ आज हमसे हमारे १९९४ के वार्षिक पाठ के शब्दों द्वारा प्रभावकारी रीति से बोले: “अपने सम्पूर्ण हृदय से यहोवा पर भरोसा रखना”!
[फुटनोट]
a क्लॉड एस. गुडमन द्वारा बताया गया द वॉचटावर, दिसम्बर १५, १९७३, पृष्ठ ७६०-५ में दिया लेख “अपने सम्पूर्ण हृदय से यहोवा पर भरोसा रखना” देखिए।
b हैरी पीटरसन द्वारा बताया गया द वॉचटावर, जुलाई १५, १९६८, पृष्ठ ४३७-४० में दिया लेख “यहोवा की स्तुति करने को दृढ़संकल्प” देखिए।
c मात्सूए ईशी द्वारा बताया गया द वॉचटावर, मई १, १९८८, पृष्ठ २१-५ में दिया लेख “यहोवा अपने सेवकों को नहीं त्यागता” देखिए।
d मैक्स् लीबस्टर द्वारा बताया गया द वॉचटावर, अक्तूबर १, १९७८, पृष्ठ २०-४ में दिया लेख “छुटकारा! अपने आपको आभारी साबित करना” भी देखिए।
सारांश में
▫ नीतिवचन में किस प्रकार की सलाह प्रस्तुत की गई है?
▫ यहोवा पर भरोसा किस प्रकार हमें लाभ पहुँचाता है?
▫ यहोवा का सहारा लेने में क्या सम्मिलित है?
▫ हमें अपने सब कार्यों में यहोवा का स्मरण क्यों करना चाहिए?
▫ यहोवा हमारे मार्ग को कैसे सीधा करता है?
[पेज 21 पर तसवीरें]
आनन्द भरा राज्य संदेश सत्हृदय लोगों को आकर्षित करता है