क्या आप अपने काम से बोर हो गये हैं?
शायद आप दिन में क़रीब आठ घंटे काम करते हों। अपना इतना समय और इतना जीवन बोरियत की झोली में डालना तो कुछ ज़्यादा ही है! और तो और, इस २०वीं सदी में काफ़ी काम नीरस हैं और ये कामगार को कुछ ऐसा करने का ख़ास मौक़ा नहीं देते जिस पर वह गर्व कर सके।
सो अपने काम को दिलचस्प बनाने से आपको काफ़ी फ़ायदा हो सकता है। आपको अपना काम करने में ज़्यादा ख़ुशी मिलती है और आप आगे चलकर जो भी काम करेंगे उसे ज़्यादा दिलचस्प बनाने का राज़ आप सीखते हैं। तो फिर, आइए ऐसा करने के कुछ तरीक़े ढूँढ़ते हैं।
जोश के साथ काम कीजिए
कुछ जानकार सलाह देते हैं कि आप ऐसे काम करें मानो आपको उसमें मज़ा आ रहा हो। यदि आप ऐसा करते हैं, तो हो सकता है कि आपको सचमुच मज़ा आने लगे।
‘लेकिन अपने काम को लेकर मुझमें कभी जोश नहीं आ सकता!’ आप शायद कहें। हो सकता है आपके काम में एक ही काम को यंत्रवत् बार-बार करते जाना शामिल हो, जैसे असॆमब्ली-लाइन काम। या शायद आप वही काम इतने सालों से करते आ रहे हों कि आपको लगता है कि उसमें फिर से दिलचस्पी जगाना असंभव है। लेकिन, मुस्कराना और सीधे खड़े होना जैसे आसान नुस्ख़े अपने काम के बारे में ज़्यादा जोशीला महसूस करने में आपकी मदद कर सकते हैं।
अपने काम पर पूरी तरह ध्यान लगाने से भी मदद मिल सकती है। मशीन की तरह यंत्रवत् काम मत कीजिए और काम करते समय भोजन अवकाश, सप्ताहांत, या किसी और काम के बारे में भी मत सोचिए। जो काम आप कर रहे हैं उसी पर पूरा ध्यान लगाना आम तौर पर बुद्धिमानी की बात है। परिणाम? आपको शायद काम में मज़ा आने लगे और फिर ऐसा लगेगा कि समय जल्दी गुज़र रहा है।
ऐसा अपने आप ही होता है जब आप ख़ुद को अपने किसी मनपसंद काम में तल्लीन पाते हैं। जिस काम में आपको आम तौर पर मज़ा नहीं आता उसे करते समय अपना पूरा ध्यान लगाने की कोशिश करने से आपको शायद मज़ा आने लगे और आपका समय जल्दी गुज़रने लगे।
अपनी तरफ़ से अच्छे-से-अच्छा कीजिए
अपनी तरफ़ से अच्छे-से-अच्छा करने से आपको अपने काम से संतुष्टि मिल सकती है। माना, ऐसी सलाह इस आम धारणा के विरुद्ध है कि जब आपको कोई काम दिलचस्प नहीं लगता, तब आपको उसे जैसे-तैसे पूरा करके उससे पीछा छुड़ाने की कोशिश करनी चाहिए। लेकिन, लापरवाही, टालमटोल, और कम-से-कम मेहनत करने से आपकी ताक़त घट सकती है और चिंता तथा थकान बढ़ सकती है। कुछ मामलों में जो व्यक्ति तनाव, चिंता और थकान लिए काम से घर लौटता है वह शायद मेहनत से काम न करने के कारण ऐसा महसूस कर रहा हो।
बाइबल के अनुसार, किसी काम को मेहनत से करने से फ़ुरसत का समय भी ज़्यादा आनंददायी बन जाता है। “किसी मनुष्य के लिए इस से भली और कोई बात नहीं कि वह खाए-पीए और अपने परिश्रम को देखकर सन्तुष्ट रहे।” (सभोपदेशक २:२४, NHT) कुछ लोगों को यह शायद एक घिसा-पिटा राग लगे, लेकिन दूसरे इस शाश्वत सिद्धांत को लागू कर रहे हैं। वे सहमत हैं कि सचमुच “इस से भली और कोई बात नहीं” कि वे अपने परिश्रम का सुख भोगें। पुस्तक काम करने का मज़ा (अंग्रेज़ी) स्वीकार करती है: “काम को अच्छी तरह करने से संतुष्टि की भावना मिलती है।”
सो, अपनी तरफ़ से काम को अच्छी-से-अच्छी तरह कीजिए और हो सकता है कि आप ताज़गी महसूस करें। काम को जैसे-तैसे मत निपटाइए, अच्छी तरह कीजिए और फिर आप शायद ज़्यादा ख़ुशी महसूस करें। ज़रूरी कामों को पहले कर लीजिए तो आप उस व्यक्ति की तुलना में भोजन अवकाश और सप्ताहांतों का ज़्यादा आनंद ले पाएँगे जो टालमटोल करते-करते अपने आपको थका डालता है।—एस्तेर १०:२; रोमियों १२:११; २ तीमुथियुस २:१५ से तुलना कीजिए।
दूसरों से होड़ लगाने के बजाय, अपना रिकॉर्ड तोड़ने की कोशिश कीजिए। (गलतियों ६:४) नये स्तर, नये लक्ष्य बनाइए। अपने काम में सुधार करने की कोशिश कीजिए। एक स्त्री के काम में बार-बार ऐसी सिलाई करते जाना शामिल है जिसे कुछ लोग एकदम उबाऊ समझेंगे, लेकिन उसने अपने काम की रफ़्तार को एक खेल बनाया। उसने अपने हर घंटे की उत्पादकता का हिसाब रखा, और फिर उसे बढ़ाने की कोशिश की। उसे सचमुच अपने काम में मज़ा आता है क्योंकि वह अपनी तरफ़ से ज़्यादा-से-ज़्यादा करने की कोशिश करती है।—नीतिवचन ३१:३१.
अपने काम को ‘सजाइए’
डॉक्टर डॆनिस टी. जैफ़ी और सिंथिआ डी. स्कॉट सलाह देते हैं: “अपने काम को एक खाली मकान समझिए। आप उसमें रहने आते हैं और उसके आकार और रचना को देखते हैं। फिर आपकी अपनी रचनात्मकता ज़ोर पकड़ती है। आप तय करते हैं कि आप उसमें कहाँ क्या करेंगे, और मकान को सजाकर अपना घर बना लेते हैं। आप उस पर अपनी छाप डालकर उसे अपना बना लेते हैं।”
अधिकतर काम आपको कुछ नियमों और निर्देशों की रूपरेखा के साथ दिये जाते हैं। जितने की माँग की जाती है बस उतना ही करना एक खाली मकान में रहने के समान है। उसमें कोई अपनापन नहीं है। लेकिन यदि आप उस पर अपना रंग चढ़ाते हैं, तो आपका काम कहीं ज़्यादा दिलचस्प बन सकता है। कोई दो व्यक्ति एक काम को एकसमान तरीक़े से नहीं ‘सजाएँगे।’ एक बैरा हमेशा के ग्राहकों के ऑर्डर रट लेगा। दूसरा कुछ ज़्यादा सभ्यता और शिष्टता दिखाएगा। दोनों ही अपने काम का आनंद लेते हैं क्योंकि वे अपने काम में मन लगाते हैं।
सीखते रहिए
काम करते समय आनंद लेने का एक और तरीक़ा है सीखना। पुस्तक तनाव दूर करना (अंग्रेज़ी) बताती है कि जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हमारे मस्तिष्क में जानकारी संचित करने की क्षमता भी बढ़ती है। यह इसका कारण स्पष्ट करता है कि क्यों वे काम जो हमें पहले रोमांचक लगते थे अब उबाऊ लग सकते हैं। समाधान यह है कि नयी बातें सीखने के द्वारा नयी जानकारी पाने की मस्तिष्क की लालसा को तृप्त करें।
अपने काम के बारे में और बातें सीखने के कारण शायद आपको बाद में वह काम दिया जाए जो ज़्यादा मनभावन हो। लेकिन यदि ऐसा नहीं होता, तो भी सीखने की क्रिया अपने आपमें आपके काम को ज़्यादा दिलचस्प और संतोषदायी बनाएगी। लेखक चार्ल्स कैमरन और सूज़न ऎलुसॉर बताते हैं: “सीखना आपकी क्षमताओं को बढ़ाने के द्वारा न सिर्फ़ आपके आत्मविश्वास को बढ़ाता है, बल्कि यह जीवन के प्रति आपकी सामान्य मनोवृत्ति को भी प्रभावित करता है: [आप सीखते हैं] कि समस्याओं को सुलझाया जा सकता है, बाधाओं को पार किया जा सकता है, आशंकाओं को कम किया जा सकता है, और जो आपने कल्पना की थी उससे ज़्यादा की गुंजाइश है।”
‘लेकिन,’ आप शायद आपत्ति उठाएँ, ‘मैंने अपने काम के बारे में सब कुछ बहुत पहले ही सीख लिया है!’ ऐसा है तो क्या आप वे बातें सीख सकते हैं जो आपके काम से किसी दूसरी तरह से जुड़ी हैं? उदाहरण के लिए, आप शायद मानव संबंधों या अपने उपकरणों के बारे में और सीखने का फ़ैसला करें। शायद आप और अच्छा ऑफ़िस मॆमो लिखना या और अच्छी तरह एक मीटिंग चलाना सीख सकते हैं। आप सुपरवाइज़रों के साथ सबसे प्रभावकारी तरीक़ों से व्यवहार करना सीख सकते हैं।
आप ये बातें कैसे सीखेंगे? शायद आपकी कंपनी ऐसे कोर्स पेश करती हो जिनका आप भी लाभ उठा सकते हैं। या शायद एक पुस्तकालय में आपकी ज़रूरत की पुस्तकें मिल जाएँ। लेकिन उन ज़रियों को भी अनदेखा मत कीजिए जहाँ से जानकारी सीधे-सीधे नहीं मिलती। लोगों को काम करते हुए देखने और उनकी ख़ूबियों और कमियों को नोट करने से भी कुछ सीखा जा सकता है। आप अपनी ग़लतियों से सीख सकते हैं, और यह देखने के द्वारा कि आपने क्या सही किया, अपनी सफलताओं से भी सीख सकते हैं। अपने अनुभवों से और दूसरों को देखने से आप ऐसी बातें सीख सकते हैं जो आप पुस्तकों से या क्लास में शायद कभी नहीं सीख सकते।
कुछ आख़िरी सुझाव
अपने काम के प्रति आप शायद ऐसा रवैया अपनाएँ। शायद आप सोचें कि आप इससे ज़्यादा के लायक़ हैं—दूसरों को इतने मौक़े मिलते हैं और आपको वह काम करने का, जो आप सचमुच करना चाहते हैं, कभी एक मौक़ा तक नहीं दिया गया। आप ऐसों के साथ देर-देर तक बातें कर सकते हैं जो आपके विचार से सहमत हैं, और फिर आप शायद विश्वस्त हो जाएँ कि यह सब सही है।
लेकिन यह शायद सही न हो। बहुत से लोग जो अपने काम का मज़ा लेते हैं वह इसलिए है कि उन्होंने ऐसा करना सीखा है। एक व्यक्ति जिसे मकानों के डिज़ाइन बनाने में मज़ा आता है उसे शायद बस चलाने में भी मज़ा आने लगे। क्यों? क्योंकि काम के प्रति उसकी रचनात्मक मनोवृत्ति उसे आनंद और संतुष्टि देती है।
सो अपने आपको नकारात्मक सोच-विचारों से मुक्त कीजिए जो सप्ताहांतों की विषमता में कार्यदिवसों को नीरस बना देते हैं। अपनी पिछली असफलताओं का रोना रोने में समय मत बरबाद कीजिए। यही मत सोचते रहिए कि अब कौन-सी ग़लती होगी। इसी चिंता में मत डूबिए कि दूसरे आपके बारे में क्या सोचते हैं। अपने आगे रखे काम को देखिए। उस पर पूरा ध्यान लगाइए। उसमें इतना तल्लीन होने की कोशिश कीजिए जितना कि आप अपने मनपसंद शौक़िया काम में हो जाते। इसमें इतनी मेहनत लगाइए जितनी आपने पहले कभी नहीं लगायी, और काम अच्छा होने पर उसमें आनंद मनाइए।
[पेज 11 पर बक्स/तसवीर]
अपने काम में लापरवाही मत कीजिए
नीतिवचन २७:२३, २४ में बाइबल कहती है: “अपनी भेड़-बकरियों की दशा भली-भांति मन लगाकर जान ले, और अपने सब पशुओं के झुण्डों की देखभाल उचित रीति से कर; क्योंकि सम्पत्ति सदा नहीं ठहरती; और क्या राजमुकुट पीढ़ी-पीढ़ी चला जाता है?” इसका क्या अर्थ है?
इसका अर्थ है कि धन (संपत्ति) और प्रमुखता के पद (राजमुकुट) यदि मिल भी जाएँ, तो अकसर थोड़े ही समय के होते हैं। इसलिए, बाइबल समय में एक चरवाहा बुद्धि दिखाता था यदि वह उचित रीति से अपनी भेड़ों की रखवाली करता था, अर्थात वह ‘मन लगाकर अपने सब पशुओं के झुण्डों की देखभाल करता था।’ जैसे आगे की तीन आयतें दिखाती हैं, ऐसा करने से कामगार और उसके परिवार के लिए भौतिक सुरक्षा रहती।—नीतिवचन २७:२५-२७.
आज के बारे में क्या? लोग अकसर धन या प्रमुख पद हासिल करने पर अपना मन लगाते हैं, और आशा करते हैं कि इससे वे अपना वर्तमान काम छोड़ने में समर्थ होंगे। कुछ लोगों की असल योजनाएँ होती हैं; दूसरे तो बस सपने देख रहे होते हैं। बात जो भी हो, अपने वर्तमान रोज़गार को बेकार समझना या उसमें लापरवाही करना निर्बुद्धि का काम है। यह आपकी आमदनी का सबसे पक्का ज़रिया है और शायद आगे भी रहे। एक व्यक्ति के लिए कहीं ज़्यादा बुद्धिमानी की बात है कि अपना मन अपने “पशुओं के झुण्डों” पर लगाए, अर्थात अपने रोज़गार के पक्के ज़रिये पर पूरा ध्यान दे। ऐसा करने से आशा है कि उसके लिए अभी और भविष्य में भौतिक सुरक्षा रहेगी।