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अपनी शक्ति इस्तेमाल करने में “परमेश्वर के समान बनो”यहोवा के करीब आओ
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10. (क) परमेश्वर ने माता-पिता को क्या अधिकार दिया है? (ख) “अनुशासन” शब्द का मतलब क्या है, और यह कैसे दिया जाना चाहिए? (फुटनोट भी देखिए।)
10 माता-पिता को भी परमेश्वर ने अधिकार या शक्ति दी है। बाइबल सलाह देती है: “पिताओ, अपने बच्चों को क्रोध न दिलाओ, वरन् प्रभु की शिक्षा और अनुशासन में उनका पालन-पोषण करो।” (इफिसियों 6:4, NHT) बाइबल में, शब्द “अनुशासन” का मतलब “परवरिश, तालीम, हिदायत” हो सकता है। बच्चों को अनुशासन की ज़रूरत होती है; वे ऐसे माहौल में अच्छी तरह फलते-फूलते हैं जहाँ उन्हें साफ-साफ बताया जाता है कि उन्हें किन नियमों को मानना है, उनकी हदें और सीमाएँ क्या हैं। बाइबल बताती है कि ऐसा अनुशासन या हिदायत प्यार की वजह से दिए जाने चाहिए। (नीतिवचन 13:24) इसलिए, “छड़ी की ताड़ना” का कभी-भी गलत इस्तेमाल नहीं होना चाहिए, जिससे बच्चे की भावनाओं को ठेस पहुँचे या उसे शारीरिक चोट पहुँचे।a (नीतिवचन 22:15; 29:15) जब माता-पिता प्यार से नहीं बल्कि सख्ती और कठोरता से अनुशासन देते हैं, तो वे अपने अधिकार का गलत इस्तेमाल करते हैं और यह बच्चे की भावनाओं को कुचल सकता है। (कुलुस्सियों 3:21) दूसरी तरफ, अगर सही मात्रा में और ठीक तरीके से अनुशासन दिया जाए, तो इससे बच्चे को महसूस होता है कि उसके माता-पिता उससे प्यार करते हैं और वे उसे एक अच्छा इंसान बनाने के लिए उसकी चिंता करते हैं।
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अपनी शक्ति इस्तेमाल करने में “परमेश्वर के समान बनो”यहोवा के करीब आओ
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a बाइबल के ज़माने में, “छड़ी” के लिए इब्रानी में जो शब्द इस्तेमाल होता था उसका मतलब था एक ऐसी लकड़ी या लाठी, जो एक चरवाहा अपनी भेड़ों को हाँकने के लिए इस्तेमाल करता है। (भजन 23:4) उसी तरह माता-पिता के अधिकार की “छड़ी” यह सुझाती है कि वे अपने बच्चों को प्यार से सही राह दिखाएँ, न कि कठोरता से या बेरहमी से उन्हें सज़ा दें।
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