पाँचवाँ अध्याय
यहोवा घमंडियों को नीचा करता है
1, 2. यशायाह ने अपने ज़माने के यहूदियों को जो संदेश दिया, उस पर हमें भी क्यों ध्यान देना चाहिए?
यरूशलेम और यहूदा की हालत को देखकर यशायाह का मन अघा जाता है। अब वह यहोवा को पुकारते हुए कहता है: “तू ने अपनी प्रजा याकूब के घराने को त्याग दिया है।” (यशायाह 2:6क) क्या बात थी कि अपने लोगों पर यहोवा का गुस्सा इस कदर भड़क गया था कि उसने उन्हें त्याग दिया, उन्हीं लोगों को जिन्हें उसने अपनी “निज सम्पत्ति” चुना था?—व्यवस्थाविवरण 14:2.
2 यशायाह ने अपने ज़माने के यहूदियों की जिस कदर घोर निंदा की, उस पर हमें भी खास ध्यान देना चाहिए। क्यों? क्योंकि आज ईसाईजगत की हालत भी काफी हद तक यशायाह के ज़माने के यहूदियों से मिलती-जुलती है और इसलिए यहोवा ईसाईजगत को वही दंड देनेवाला है जो उसने यहूदियों को दिया था। यशायाह के संदेश पर ध्यान देने से हम अच्छी तरह समझ पाएँगे कि यहोवा किन कामों की निंदा करता है और इससे हमें उन कामों से दूर रहने में मदद मिलेगी जो उसे पसंद नहीं हैं। तो फिर, आइए ध्यान लगाकर यहोवा की भविष्यवाणी के वचन सुनें जो यशायाह 2:6–4:1 में लिखे हैं।
वे नाफरमानी दिखाते हुए मूरतों को दण्डवत् करते हैं
3. यशायाह अपने लोगों के किन अपराधों को कबूल करता है?
3 अपने लोगों के अपराधों को कबूल करते हुए, यशायाह कहता है: “वे पूर्वियों के व्यवहार पर तन मन से चलते और पलिश्तियों की नाईं टोना करते हैं, और परदेशियों के साथ हाथ मिलाते हैं।” (यशायाह 2:6ख) इससे करीब 800 साल पहले, यहोवा ने अपने चुने हुए लोगों को आज्ञा दी थी: “ऐसा कोई भी काम करके अशुद्ध न हो जाना, क्योंकि जिन जातियों को मैं तुम्हारे आगे से निकालने पर हूं वे ऐसे ऐसे काम करके अशुद्ध हो गई हैं।” (लैव्यव्यवस्था 18:24) जिन लोगों को यहोवा ने अपनी निज संपत्ति चुना था, उनके बारे में उसने बिलाम के मुँह से ये शब्द निकलवाए थे: “चट्टानों की चोटी पर से वे मुझे दिखाई पड़ते हैं, पहाड़ियों पर से मैं उनको देखता हूं; वह ऐसी जाति है जो अकेली बसी रहेगी, और अन्यजातियों से अलग गिनी जाएगी!” (गिनती 23:9,12) मगर, यशायाह के ज़माने में यहोवा के चुने हुए लोग, आसपास की जातियों के घिनौने रीति-रिवाज़ों को मानने लगे हैं और “पूर्वियों के व्यवहार पर तन मन से चलते” हैं। यहोवा और उसके वचन पर विश्वास करने के बजाय, वे “पलिश्तियों की नाईं टोना” कर रहे हैं। अन्यजातियों से अलग रहने के बजाय, परमेश्वर के लोग “परदेशियों के साथ हाथ मिलाते” हैं, बेशक यही वे परदेशी हैं, जो उनको गंदे रीति-रिवाज़ सिखाते हैं।
4. यहोवा का धन्यवाद करने के बजाय, यहूदियों की दौलत और फौजी ताकत ने उन पर क्या असर किया है?
4 राजा उज्जिय्याह के राज में, यहूदा में जो खुशहाली आयी है और उन्होंने जो अपनी फौजी ताकत को बढ़ाया है, उस पर ध्यान दिलाते हुए यशायाह कहता है: “उनका देश चान्दी और सोने से भरपूर है, और उनके रखे हुए धन की सीमा नहीं; उनका देश घोड़ों से भरपूर है, और उनके रथ अनगिनित हैं।” (यशायाह 2:7) क्या यहूदा के लोग इस दौलत और फौजी ताकत के लिए यहोवा का धन्यवाद करते हैं? (2 इतिहास 26:1,6-15) बिलकुल नहीं! उनका भरोसा दौलत पर कहीं ज़्यादा है, मगर उसके देनेवाले, यहोवा परमेश्वर पर नहीं। इसका अंजाम क्या हुआ है? “उनका देश मूर्तियों से भरा है; वे अपने हाथ की कारीगरी को जिसे उनकी अंगुलियों ने संवारा है, दण्डवत् करते हैं। अत: साधारण लोग दीन किए गए हैं, और बड़े लोगों को नीचा दिखाया गया है, फिर भी उन्हें क्षमा न कर।” (यशायाह 2:8,9, NHT) वे सच्चे, जीवित परमेश्वर से मुख फेरकर इन बेजान मूर्तियों को दण्डवत् करते हैं।
5. मूर्तियों के सामने झुकना, नम्रता की निशानी क्यों नहीं है?
5 झुकना, नम्रता की निशानी हो सकती है। मगर बेजान मूर्तियों के सामने झुकना व्यर्थ है, यह उनकी पूजा करनेवाले को “नीचा” या पतित बना देती है। यहोवा ऐसे घिनौने पाप को कैसे माफ कर सकता है? ये मूर्तिपूजक तब क्या करेंगे जब यहोवा इनसे हिसाब लेगा?
“घमण्डभरी आंखें नीची की जाएंगी”
6, 7. (क) यहोवा के न्याय के दिन में घमंडियों का क्या होता है? (ख) यहोवा का क्रोध किस-किस पर भड़कता है, और क्यों?
6 यशायाह आगे कहता है: “यहोवा के भय के कारण और उसके प्रताप के मारे चट्टान में घुस जा, और मिट्टी में छिप जा।” (यशायाह 2:10) कोई चट्टान इतनी बड़ी नहीं कि इन मूर्तिपूजकों की हिफाज़त कर सके, और ना ही मिट्टी की कोई परत इतनी मोटी हो सकती है जो उन्हें सर्वशक्तिमान यहोवा की नज़रों से छिपा सके। जब वह दंड देने आएगा, तो “आदमियों की घमण्डभरी आंखें नीची की जाएंगी और मनुष्यों का घमण्ड दूर किया जाएगा; और उस दिन केवल यहोवा ही ऊंचे पर विराजमान रहेगा।”—यशायाह 2:11.
7 “सेनाओं के यहोवा का दिन” आ रहा है। यह वह वक्त है जब परमेश्वर का क्रोध “लबानोन के सब देवदारों पर जो ऊंचे और बड़े हैं; बासान के सब बांजवृक्षों पर; और सब ऊंचे पहाड़ों और सब ऊंची पहाड़ियों पर; सब ऊंचे गुम्मटों और सब दृढ़ शहरपनाहों पर; तर्शीश के सब जहाज़ों और सब सुन्दर चित्रकारी पर” आएगा। (यशायाह 2:12-16) जी हाँ, यहोवा के क्रोध के दिन में हर संगठन जिस पर इंसान घमंड करता है और हर अधर्मी मनुष्य से लेखा लिया जाएगा। इस तरह, “मनुष्य का गर्व मिटाया जाएगा, और मनुष्यों का घमण्ड नीचा किया जाएगा; और उस दिन केवल यहोवा ही ऊंचे पर विराजमान रहेगा।”—यशायाह 2:17.
8. सामान्य युग पूर्व 607 में, यरूशलेम पर आनेवाले न्याय के दिन की भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई?
8 यह न्याय का दिन सा.यु.पू. 607 में यहूदियों पर आया, जब बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने यरूशलेम को तबाह किया। यरूशलेम के निवासियों ने अपनी इस प्रिय नगरी को आग की लपटों में झुलसते देखा, इसकी बड़ी-बड़ी इमारतों को खाक में मिलते और इसकी ऊँची शहरपनाह को चूर-चूर होते देखा। यहोवा के मंदिर को ढाहकर मलबे का ढेर बना दिया गया था। जब “सेनाओं के यहोवा का दिन” आया तब न तो उनके खज़ाने न ही उनके रथ किसी काम आए। और उनकी मूर्तियों का क्या हुआ? उनका वही हश्र हुआ जैसी यशायाह ने भविष्यवाणी की थी: “मूरतें सब की सब नष्ट हो जाएंगी।” (यशायाह 2:18) यहूदियों को और उनके सारे हाकिमों और बलवान पुरुषों को बंधुआ बनाकर बाबुल ले जाया गया। यरूशलेम को 70 साल तक उजाड़ रहना था।
9. आज के ईसाईजगत की हालत, यशायाह के दिनों के यरूशलेम और यहूदा से किस तरह मेल खाती है?
9 आज के ईसाईजगत की हालत, यशायाह के दिनों के यरूशलेम और यहूदा की हालत से कितनी मेल खाती है! इस दुनिया के राष्ट्रों के साथ ईसाईजगत की गहरी साँठ-गाँठ है। वह संयुक्त राष्ट्र का भी ज़ोरदार समर्थक है और उसने अपने घर को मूर्तियों और ऐसे रीति-रिवाज़ों से भर दिया है जो बाइबल के मुताबिक गलत हैं। इसके लोग दौलत और ऐशो-आराम के पीछे भागनेवाले हैं और वे फौजी ताकत पर अपना भरोसा रखते हैं। और क्या वे अपने पादरियों को बड़े सम्मान का हकदार नहीं मानते, और क्या उन्हें बड़ी-बड़ी उपाधियाँ देकर उनका मान नहीं बढ़ाते? बेशक, ईसाईजगत का घमंड चूर-चूर किया जाएगा। मगर कब?
तेज़ी से पास आता “यहोवा का दिन”
10. प्रेरित पौलुस और पतरस ने ‘यहोवा के’ किस ‘दिन’ का ज़िक्र किया?
10 बाइबल ‘यहोवा के’ आनेवाले एक ऐसे ‘दिन’ के बारे में बताती है जो प्राचीन यरूशलेम और यहूदा पर आए न्याय के दिन से कहीं बड़े पैमाने पर विनाश लाएगा। प्रेरित पौलुस ने परमेश्वर से प्रेरणा पाकर लिखा कि आनेवाले ‘यहोवा के दिन,’ और राजा के रूप में यीशु मसीह की उपस्थिति का आपस में गहरा ताल्लुक है। (2 थिस्सलुनीकियों 2:1,2) पतरस ने उस दिन का ज़िक्र करते वक्त “एक नए आकाश और नई पृथ्वी” के बारे में बताया “जिन में धार्मिकता बास करेगी।” (2 पतरस 3:10-13) यह वह दिन होगा जब यहोवा ईसाईजगत के साथ-साथ इस पूरी दुष्ट दुनिया का न्याय करेगा।
11. (क) आनेवाले ‘यहोवा के दिन’ को “कौन सह सकेगा”? (ख) हम यहोवा को अपना शरणस्थान कैसे बना सकते हैं?
11 भविष्यवक्ता योएल कहता है, “उस दिन के कारण हाय! क्योंकि यहोवा का दिन निकट है। वह सर्वशक्तिमान की ओर से सत्यानाश का दिन होकर आएगा।” वह “दिन” कितना पास आ चुका है, इसलिए क्या हर किसी को इस बात की चिंता नहीं होनी चाहिए कि उस भयानक दिन में उसकी हिफाज़त कैसे होगी? योएल पूछता है, “उस [दिन] को कौन सह सकेगा?” वह खुद ही इसका जवाब देता है: “यहोवा अपनी प्रजा के लिये शरणस्थान . . . ठहरेगा।” (योएल 1:15; 2:11; 3:16) क्या यहोवा ऐसे लोगों के लिए शरणस्थान होगा जो घमंडी हैं, जिनका भरोसा अपनी दौलत, फौजी ताकत या इंसान के हाथों की बनी मूरतों पर है? हरगिज़ नहीं! अगर यहोवा ने अपने चुने हुए लोगों को ऐसे काम करने पर नहीं बख्शा, तो दूसरों की बात तो दूर रही। तो फिर कितना ज़रूरी है कि परमेश्वर के सभी सेवक ‘धार्मिकता की खोज करें, नम्रता को ढूँढ़ें’ और इस बात को गंभीरता से जाँचें कि उनकी ज़िंदगी में यहोवा की उपासना की क्या जगह है!—सपन्याह 2:2,3.
“छछूंदरों और चमगादड़ों के आगे”
12, 13. यह क्यों सही है कि यहोवा के न्याय के दिन मूर्तियों को पूजनेवाले, अपने देवताओं को “छछूंदरों और चमगादड़ों के आगे” फेंक दें?
12 यहोवा के महान दिन में, मूर्तियों को पूजनेवाले अपनी मूर्तियों का क्या करेंगे? यशायाह जवाब देता है: “जब यहोवा पृथ्वी को कम्पित करने के लिए उठेगा तो उस के प्रकोप तथा उसकी प्रभुता के तेज के कारण मनुष्य चट्टानों की गुफ़ाओं तथा भूमि की खोहों में जा घुसेंगे। उस दिन लोग अपनी सोने चांदी की मूर्तियों को . . . छछूंदरों और चमगादड़ों के आगे फेकेंगे। जब यहोवा पृथ्वी को कम्पित करने के लिए उठेगा तब उस के प्रकोप तथा उसकी प्रभुता के तेज के कारण लोग चट्टानों की गुफ़ाओं तथा पत्थरों की दरारों में घुस जाएंगे। अत: मनुष्य से जिसकी श्वास उसके नथनों में है, दूर ही रहो क्योंकि उसका मूल्य है ही क्या?”—यशायाह 2:19-22, NHT.
13 छछूंदर, ज़मीन में बिल बनाकर रहते हैं और चमगादड़ अंधेरी और उजाड़ गुफाओं में बसते हैं। और जहाँ बहुत-से चमगादड़ एक साथ रहते हैं, वहाँ की हवा बदबूदार होती है और ज़मीन पर उनकी लीद की मोटी परतें बन जाती हैं। मूर्तियों को ऐसी ही जगहों पर फेंका जाना सही है। वे ऐसी ही अंधेरी और गंदगी से भरी जगहों में फेंकने के लायक हैं। जहाँ तक लोगों की बात है, वे भी यहोवा के न्याय के दिन में गुफाओं और चट्टानों की दरारों में ही शरण लेने की कोशिश करेंगे। इस तरह, मूर्तियों का और उनके पूजनेवालों का एक ही अंजाम होगा। यशायाह की भविष्यवाणी के मुताबिक सा.यु.पू. 607 में, ये बेजान मूर्तियाँ, नबूकदनेस्सर के हाथों से ना तो अपने भक्तों को बचा सकीं ना ही यरूशलेम को।
14. दुनिया-भर में फैले झूठे धर्मों पर, जब यहोवा के न्याय का दिन आएगा तो लोग क्या करेंगे?
14 जब यहोवा के न्याय का दिन ईसाईजगत पर और दुनिया-भर में फैले बाकी झूठे धर्मों पर आएगा, तब लोग क्या करेंगे? दुनिया की बिगड़ती हालत को देखकर, ज़्यादातर लोगों को एहसास होने लगेगा कि उनकी मूर्तियाँ किसी काम की नहीं। इनकी जगह, वे शायद इंसान के बनाए हुए ऐसे संगठनों की शरण लें जिनका धर्म से कोई नाता नहीं है, जैसे कि संयुक्त राष्ट्र संघ जिसे प्रकाशितवाक्य 17 अध्याय में ‘किरमिजी रंग का पशु’ कहा गया है। इस लाक्षणिक जंगली पशु के “दस सींग,” बड़े बाबुल यानी सारी दुनिया में फैले झूठे धर्म का खात्मा कर देंगे, जिसका एक बड़ा हिस्सा ईसाईजगत है।—प्रकाशितवाक्य 17:3,8-12,16,17.
15. न्याय के दिन कैसे केवल यहोवा ही “ऊंचे पर विराजमान” होगा?
15 हालाँकि बड़े बाबुल को तबाह करने और जलाकर राख करने का काम ये लाक्षणिक दस सींग ही करेंगे, फिर भी वे असल में यहोवा की तरफ से ही इसे सज़ा दे रहे होंगे। बड़े बाबुल के बारे में प्रकाशितवाक्य 18:8 कहता है: “इस कारण एक ही दिन में उस पर विपत्तियां आ पड़ेंगी, अर्थात् मृत्यु, और शोक, और अकाल; और वह आग में भस्म कर दी जाएगी, क्योंकि उसका न्यायी प्रभु परमेश्वर शक्तिमान है।” जी हाँ, इंसान को झूठे धर्म की बेड़ियों से आज़ाद करने का श्रेय, सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा को जाता है। जैसे यशायाह कहता है, “उस दिन केवल यहोवा ही ऊंचे पर विराजमान रहेगा। क्योंकि [यह] सेनाओं के यहोवा का दिन” होगा।—यशायाह 2:11ख,12क.
“तेरे अगुवे तुझे भटकाते हैं”
16. (क) इंसानी समाज का “सहारा और सिरहाना” क्या होता है? (ख) यशायाह के लोगों के समाज से “सहारा और सिरहाना” हटाने से, उन पर क्या-क्या मुसीबतें आतीं?
16 इंसानी समाज की स्थिरता के लिए उसके ‘सहारे और सिरहाने’ यानी अन्न और जल जैसी चीज़ों का होना बहुत ज़रूरी है। और इनसे भी ज़रूरी हैं, भरोसेमंद अगुवे जो लोगों को सही राह दिखा सकें और कायदा-कानून बनाए रख सकें। मगर प्राचीन इस्राएल के बारे में यशायाह भविष्यवाणी करता है: “सुनो, प्रभु सेनाओं का यहोवा यरूशलेम और यहूदा का सब प्रकार का सहारा और सिरहाना अर्थात् अन्न का सारा आधार, और जल का सारा आधार दूर कर देगा; और वीर और योद्धा को, न्यायी और नबी को, भावी वक्ता और वृद्ध को, पचास सिपाहियों के सरदार और प्रतिष्ठित पुरुष को, मन्त्री और चतुर कारीगर को, और निपुण टोन्हे को भी दूर कर देगा।” (यशायाह 3:1-3) नासमझ लड़के हाकिम बनकर राज करेंगे और अपनी मरज़ी चलाएँगे। न सिर्फ हुकूमत करनेवाले लोग, प्रजा पर ज़ुल्म ढाएँगे बल्कि “प्रजा के लोग आपस में एक दूसरे पर . . . अंधेर करेंगे; और जवान वृद्ध जनों से और नीच जन माननीय लोगों से असभ्यता का व्यवहार करेंगे।” (यशायाह 3:4,5) बच्चे अपने बड़ों से “असभ्यता का व्यवहार” करेंगे, उनकी ज़रा भी इज़्ज़त नहीं करेंगे। हालात इतने बदतर हो जाएँगे कि जो राज करने के बिलकुल काबिल नहीं है उससे दूसरा आदमी कहेगा: “तेरे पास तो वस्त्र हैं, आ हमारा न्यायी हो जा और इस उजड़े देश को अपने वश में कर ले।” (यशायाह 3:6) मगर जिन्हें बुलाया जाएगा वे राज करने से इनकार कर देंगे, वे कहेंगे कि इस रोगी देश को चंगा करने की न तो उनके पास काबिलीयत है न ही इस ज़िम्मेदारी को पूरा करने के लिए धन-दौलत है। वे कहेंगे: “मैं चंगा करनेहारा न हूंगा; क्योंकि मेरे घर में न तो रोटी है और न कपड़े; इसलिये तुम मुझे प्रजा का न्यायी नहीं नियुक्त कर सकोगे।”—यशायाह 3:7.
17. (क) किस अर्थ में यरूशलेम और यहूदा का पाप “सदोमियों” की तरह था? (ख) अपने वतन के लोगों की इस हालत के लिए यशायाह किसे कसूरवार ठहराता है?
17 यशायाह आगे कहता है: “यरूशलेम तो डगमगाया और यहूदा गिर गया है; क्योंकि उनके वचन और उनके काम यहोवा के विरुद्ध हैं, जो उसकी तेजोमय आंखों के साम्हने बलवा करनेवाले ठहरे हैं। उनका चिहरा भी उनके विरुद्ध साक्षी देता है; वे सदोमियों की नाईं अपने पाप को आप ही बखानते और नहीं छिपाते हैं। उन पर हाय! क्योंकि उन्हों ने अपनी हानि आप ही की है।” (यशायाह 3:8,9) परमेश्वर के चुने हुए लोगों ने अपनी कथनी और करनी से, सच्चे परमेश्वर के खिलाफ बगावत की है। पछताने के बजाय वे पाप करते-करते इस कदर गिर चुके हैं कि उनके चेहरों पर बेशर्मी और बेहयाई साफ नज़र आती है। इससे पता लगता है कि उन्होंने ऐसे-ऐसे घिनौने पाप किए हैं जैसे सदोमियों ने किए थे। भले ही यहोवा परमेश्वर ने उनके साथ वाचा बाँधी है फिर भी वह उनकी खातिर अपने उसूलों को नहीं बदलेगा। “[धर्मियों का] भला होगा, क्योंकि वे अपने कामों का फल प्राप्त करेंगे। दुष्ट पर हाय! उसका बुरा होगा, क्योंकि उसके कामों का फल उसको मिलेगा। मेरी प्रजा पर बच्चे अंधेर करते और स्त्रियां उन पर प्रभुता करती हैं। हे मेरी प्रजा, तेरे अगुवे तुझे भटकाते हैं, और तेरे चलने का मार्ग भुला देते हैं।”—यशायाह 3:10-12.
18. (क) यशायाह के दिनों के पुरनियों और हाकिमों को यहोवा किन बातों के लिए कसूरवार ठहराता है? (ख) पुरनियों और हाकिमों पर यहोवा के न्यायदंड से हमें कौन-सा सबक सीखने को मिलता है?
18 यहोवा, यहूदा के पुरनियों और हाकिमों के साथ ‘मुकद्दमा लड़ता’ है और उनका ‘न्याय करता’ है: “तुम ही ने बारी की दाख खा डाली है, और दीन लोगों का धन लूटकर तुम ने अपने घरों में रखा है। . . . तुम क्यों मेरी प्रजा को दलते, और दीन लोगों को पीस डालते हो!” (यशायाह 3:13-15) लोगों की भलाई करने के बजाय, ये अगुवे बेईमानी के काम करते हैं। वे अपने अधिकार का नाजायज़ फायदा उठाकर अपनी जेबें भरने में लगे हुए हैं और गरीब और ज़रूरतमंदों को लूट रहे हैं। मगर लोगों पर इस कदर ज़ुल्म ढानेवाले इन अत्याचारी अगुवों को सेनाओं के यहोवा को जवाब देना होगा। यह उनके लिए कितनी बड़ी चेतावनी है जो आज ज़िम्मेदारी के पद पर हैं! वे सावधान रहें कि कभी-भी अपने अधिकार का नाजायज़ फायदा ना उठाएँ।
19. ईसाईजगत कैसे-कैसे ज़ुल्म ढाने और सताने का दोषी है?
19 ईसाईजगत, खासकर उसके पादरियों और बड़े-बड़े अगुवों ने धोखाधड़ी करके ऐसी दौलत जमा कर ली है जो दरअसल आम जनता की है। उसने उन पर ज़ुल्म ढा-ढाकर इसे हासिल किया है और अब भी ज़ुल्म करने से बाज़ नहीं आ रहा है। उसने परमेश्वर के लोगों को मारा, सताया और उनके साथ बुरे-से-बुरा सलूक किया है और यहोवा के नाम पर बहुत बड़ा कलंक लगाया है। मगर अपने ठहराए हुए समय पर यहोवा उसका न्याय ज़रूर करेगा।
“सुन्दरता के स्थान पर दागे जाने के चिह्न”
20. यहोवा ‘सिय्योन की पुत्रियों’ की निंदा क्यों करता है?
20 इन अगुवों के बुरे कामों को धिक्कारने के बाद, यहोवा सिय्योन या यरूशलेम की स्त्रियों के बारे में बोलना शुरू करता है। “सिय्योन की पुत्रियां,” फैशन के तौर पर पैरों में घुँघरूवाली ‘पायलें’ पहनती हैं, जिनसे झंकार निकलती है। ये स्त्रियाँ धीरे-धीरे “ठुमुक ठुमुक” कर कदम रखती हुईं, बड़ी अदा और नज़ाकत से चलती थीं। लेकिन, क्या इसमें कोई बुराई है? असल में बुराई इन स्त्रियों के सोच-विचार और आचरण में थी। यहोवा कहता है: “सिय्योन की पुत्रियां घमण्ड करतीं और सिर ऊंचे करके चलतीं, आंखें मटकातीं . . . हैं।” (यशायाह 3:16, NHT) इतने ज़्यादा घमंड का बदला तो मिलना ही था।
21. यरूशलेम पर यहोवा के न्यायदंड में इस्राएली स्त्रियों का क्या होता है?
21 जब इस्राएल देश पर यहोवा का न्यायदंड आता तब ‘सिय्योन की इन घमंडी पुत्रियों’ के पास कुछ भी नहीं रहता, वह सुंदरता भी नहीं जिस पर उन्हें इतना गुरूर है। यहोवा भविष्यवाणी करता है: “प्रभु यहोवा सिय्योन की पुत्रियों के सिरों को खाज से पीड़ित करके गंजे करेगा। उस दिन प्रभु उनकी पायलों, जालियों, चन्द्रहारों, झुमकों, कंगनों, घूंघटों, सिर के गहनों, बाजू-बन्दों, करधनियों, इत्रदानों, ताबीज़ों, अंगूठियों, नथनियों, सुन्दर वस्त्रों, कुर्त्तियों, पोशाकों, बटुओं, दर्पणों, मलमल के वस्त्रों, चुन्नियों और ओढ़नियों की सुन्दरता को मिटा देगा।” (यशायाह 3:17-23, NHT) क्या ही दुःखदायी बदलाव होनेवाला था!
22. गहनों के अलावा यरूशलेम की स्त्रियों ने और क्या गँवाया?
22 भविष्यवाणी आगे कहती है: “तब ऐसा होगा कि सुगन्ध के स्थान पर दुर्गन्ध, और करधनी के स्थान पर रस्सी होगी, सजे-संवरे बालों के स्थान पर गंजापन, सुन्दर वस्त्रों के स्थान पर टाट का कटिबन्ध तथा सुन्दरता के स्थान पर दागे जाने के चिह्न होंगे।” (यशायाह 3:24, NHT) सा.यु.पू. 607 में, दौलत के नशे में चूर यरूशलेम की घमंडी स्त्रियाँ, गरीबी के दलदल में आ गिरीं। उनकी आज़ादी छीन ली गयी और गुलामी की निशानी के तौर पर उन पर ‘दागे जाने का चिन्ह’ लगा दिया गया।
‘वह उजाड़ हो जाएगी’
23. यहोवा, यरूशलेम के बारे में क्या ऐलान करता है?
23 अब यरूशलेम नगर की बात करते हुए, यहोवा ऐलान करता है: “तेरे पुरुष तलवार से, हां, तेरे शूरवीर युद्ध में मारे जाएंगे। उसके प्रवेश-द्वार विलाप करेंगे तथा शोक मनाएंगे, और वह उजाड़ होकर भूमि पर बैठेगी।” (यशायाह 3:25,26, NHT) यरूशलेम के पुरुष, यहाँ तक कि उसके शूरवीर भी लड़ाई में मारे जाएँगे। सारा नगर खाक में मिला दिया जाएगा। ‘उसके प्रवेश-द्वारों’ के लिए यह ‘विलाप करने तथा शोक मनाने’ का समय होगा। यरूशलेम “उजाड़” और सुनसान हो जाएगा।
24. पुरुषों के तलवार से मारे जाने पर यरूशलेम की स्त्रियों पर कैसी नौबत आती?
24 पुरुषों को जब तलवार से मारा जाएगा तो यरूशलेम की स्त्रियों पर इसका बहुत बुरा असर होगा। अपनी भविष्यवाणी के इस हिस्से को खत्म करते हुए यशायाह भविष्यवाणी करता है: “उस दिन, सात स्त्रियां एक पुरुष को पकड़कर कहेंगी, ‘हम अपनी ही रोटी खाएंगी और अपने ही वस्त्र पहनेंगी, हमें केवल अपने नाम की कहलाने दे; हमारे कलंक को दूर कर!’” (यशायाह 4:1, NHT) शादी करने लायक नौजवानों की इतनी कमी हो जाएगी कि कई स्त्रियाँ एक ही पुरुष से शादी करने को तैयार होंगी ताकि वे उसके नाम की कहलायी जाएँ, और लोग उन्हें उसकी पत्नी कहकर पुकारें। इस तरह उनका बिन-ब्याही होने का कलंक दूर होगा। मूसा की कानून-व्यवस्था के मुताबिक, एक पति की यह ज़िम्मेदारी थी कि वह अपनी पत्नी के रोटी-कपड़े का इंतज़ाम करे और उसकी देखभाल करे। (निर्गमन 21:10) लेकिन, ये स्त्रियाँ ‘अपनी ही रोटी खाने और अपने ही वस्त्र पहनने’ के लिए राज़ी थीं, यानी वे उस पुरुष को उसकी कानूनी ज़िम्मेदारी से भी आज़ाद करने के लिए तैयार थीं। अपने घमंड में रहनेवाली “सिय्योन की पुत्रियों” की हालत कितनी बदतर हो गयी है!
25. सब घमंडियों का क्या अंजाम होना है?
25 यहोवा सब घमंडियों को नीचा करता है। सा.यु.पू. 607 में, उसने वाकई अपने चुने हुए लोगों के गर्व को ‘मिटा दिया’ और उनके “घमण्ड” को “नीचा किया।” इसलिए सच्चे मसीहियों को यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि “परमेश्वर अभिमानियों से विरोध करता है, पर दीनों पर अनुग्रह करता है।”—याकूब 4:6.
[पेज 50 पर तसवीर]
यहोवा के न्याय के दिन, मूर्तियाँ, धन-दौलत और फौजी ताकत यरूशलेम को बचा नहीं पाए
[पेज 55 पर तसवीर]
“यहोवा के दिन” में, सारी दुनिया में फैले झूठे धर्म का नामो-निशान मिटा दिया जाएगा