दूसरा अध्याय
शांति देनेवाले भविष्यवाणी के वचन जो आपके लिए भी हैं
1. हमें यशायाह की भविष्यवाणी में क्यों दिलचस्पी लेनी चाहिए?
यशायाह ने अपने नाम की किताब करीब 3,000 साल पहले लिखी थी, मगर इसमें हमारे लिए भी अनमोल खज़ाना छिपा है। यशायाह ने इसमें जिन ऐतिहासिक घटनाओं को दर्ज़ किया, उनसे हम कई महत्त्वपूर्ण सिद्धांत सीख सकते हैं। और उसने यहोवा के नाम से जो भविष्यवाणियाँ लिखीं, उनका अध्ययन करने के ज़रिए हम अपना विश्वास मज़बूत कर सकते हैं। जी हाँ, यशायाह जीवित परमेश्वर का भविष्यवक्ता था। यहोवा ने ही उसे इतिहास को समय से पहले दर्ज़ करने यानी जो घटनाएँ अभी नहीं हुई थीं, उन्हें बयान करने के लिए प्रेरित किया था। इस तरह यहोवा ने दिखाया कि उसके पास भविष्य बताने और उसे अपनी इच्छा के मुताबिक ढालने की भी ताकत है। यशायाह की किताब का अध्ययन करने के बाद सच्चे मसीहियों को यकीन हो जाता है कि यहोवा ने जो भी वादे किए हैं, उन्हें वह हर हाल में पूरा करेगा।
2. जब यशायाह ने अपनी भविष्यवाणी की किताब लिखी थी, उस दौरान यरूशलेम के हालात कैसे थे, मगर कौन-सा बदलाव आनेवाला था?
2 जिस वक्त यशायाह ने अपनी भविष्यवाणी लिखकर पूरी की, तब तक यरूशलेम पर से अश्शूरियों का खतरा टल चुका था। मंदिर जहाँ-का-तहाँ सही-सलामत खड़ा था और लोग वैसे ही अपने रोज़मर्रा के काम कर रहे थे, जैसे वे सैकड़ों सालों से करते आए थे। लेकिन अब हालात बदलनेवाले थे। वह समय आनेवाला था, जब यहूदी राजाओं की धन-संपत्ति को लूटकर बाबुल ले जाया जाता और यहूदी जवानों को उस शहर में राजा के दरबार में नौकरी करनी पड़ती।a (यशायाह 39:6,7) ये सारी घटनाएँ लगभग 100 साल बाद घटनेवाली थीं।—2 राजा 24:12-17; दानिय्येल 1:19.
3. यशायाह के अध्याय 41 में कौन-सा संदेश दिया गया है?
3 लेकिन परमेश्वर ने यशायाह के ज़रिए सिर्फ विनाश का संदेश नहीं दिया। यशायाह की किताब का 40वाँ अध्याय “शान्ति” के संदेश से शुरू होता है।b यहूदियों को इस वादे से शांति मिलती कि या तो वे या फिर उनके बच्चे भविष्य में अपने देश लौट पाएँगे। अध्याय 41 में भी हम शांति का यही संदेश पाते हैं और इसमें बताया गया है कि यहोवा अपनी इच्छा पूरी करने के लिए एक शक्तिशाली राजा को खड़ा करेगा। इस अध्याय में हमें कई आश्वासन मिलते हैं और यह हमें परमेश्वर पर भरोसा रखने के लिए उकसाता है। इसमें यह साफ-साफ बताया है कि अन्यजातियों के लोग जिन झूठे देवी-देवताओं पर भरोसा रखते हैं वे दरअसल बेजान और शक्तिहीन हैं। भविष्यवाणी में ऐसी बहुत-सी बातें लिखी हैं जिनसे यशायाह के दिनों में लोगों का विश्वास मज़बूत हो सकता था। और वही बातें आज हमारा भी विश्वास मज़बूत कर सकती हैं।
यहोवा देशों को चुनौती देता है
4. यहोवा किन शब्दों के साथ देशों को चुनौती देता है?
4 अपने भविष्यवक्ता के ज़रिए यहोवा कहता है: “हे द्वीपो, मेरे साम्हने चुप रहो; देश देश के लोग नया बल प्राप्त करें; वे समीप आकर बोलें; हम आपस में न्याय के लिये एक दूसरे के समीप आएं।” (यशायाह 41:1) इन शब्दों से यहोवा उन देशों को चुनौती देता है जो उसके लोगों का विरोध करते हैं। ये देश उसके सामने खड़े हों और उससे बात करने के लिए अपनी कमर कस लें! जैसा कि हम बाद में देखेंगे, यहोवा अदालत में एक न्यायाधीश की तरह राष्ट्रों से माँग करता है कि अगर उनकी मूरतें सचमुच के देवी-देवता हैं, तो वे इसका सबूत पेश करें। क्या ये देवी-देवता भविष्यवाणी कर सकते हैं कि अपने उपासकों का उद्धार करने के लिए वे क्या करेंगे या क्या वे उनके दुश्मनों के खिलाफ न्यायदंड सुना सकते हैं? अगर वे भविष्यवाणी कर भी पाए, तो क्या उसे पूरा करने की ताकत उनमें है? जवाब है, नहीं। सिर्फ यहोवा ही ऐसा करने की ताकत रखता है।
5. समझाइए कि किस तरह यशायाह की भविष्यवाणियाँ एक-से-ज़्यादा बार पूरी होती हैं?
5 जब हम यशायाह की भविष्यवाणी पर विचार करेंगे, तो आइए हम एक बात मन में रखें कि बाइबल की दूसरी कई भविष्यवाणियों की तरह यशायाह की भविष्यवाणियों की भी एक से ज़्यादा पूर्तियाँ हैं। सा.यु.पू. 607 में, यहूदा के लोगों को बाबुल की बंधुआई में ले जाया जाता। लेकिन, यशायाह की भविष्यवाणी में बताया गया था कि यहोवा, बंधुआई में पड़े इस्राएलियों को आज़ाद कराएगा। यह सा.यु.पू. 537 में हुआ। ऐसा ही एक और छुटकारा बीसवीं सदी की शुरूआत में भी हुआ जिससे भविष्यवाणी की एक और पूर्ति हुई। पहले विश्वयुद्ध के दौरान, पृथ्वी पर यहोवा के अभिषिक्त सेवकों को क्लेश के दौर से गुज़रना पड़ा। सन् 1918 में बड़े बाबुल के सबसे खास भाग यानी ईसाईजगत के भड़काने पर शैतान की दुनिया ने अभिषिक्त सेवकों पर ज़बरदस्त दबाव डाला जिससे सुसमाचार प्रचार करने का संस्था का काम करीब-करीब बंद हो गया। (प्रकाशितवाक्य 11:5-10) वॉच टावर संस्था के कुछ खास अफसरों पर झूठे इलज़ाम लगाकर, उन्हें जेल भेज दिया गया। तब ऐसा लगा था मानो संसार ने परमेश्वर के सेवकों के खिलाफ अपनी लड़ाई जीत ली है। लेकिन, जैसा सा.यु.पू. 537 में हुआ, ठीक उसी तरह यहोवा ने अचानक अपने सेवकों को छुटकारा दिलाकर सबको हैरत में डाल दिया। ये अफसर 1919 में कैद से रिहा हो गए और बाद में उन पर लगाए गए सारे इलज़ामों से उन्हें बाइज़्ज़त बरी कर दिया गया। सितंबर 1919 में सीडर पॉइंट, ओहायो में हुए अधिवेशन ने यहोवा के सेवकों में दोबारा जोश भर दिया और एक बार फिर वे राज्य के सुसमाचार का ज़ोर-शोर से प्रचार करने में जुट गए। (प्रकाशितवाक्य 11:11,12) तब से लेकर आज तक, प्रचार के काम में शानदार तरक्की होती आयी है। इसके अलावा, यशायाह की बहुत सारी भविष्यवाणियाँ उस समय भी शानदार तरीके से पूरी होंगी जब इस धरती को एक फिरदौस बना दिया जाएगा। इसलिए, सदियों पहले लिखी गयी यशायाह की भविष्यवाणी आज के देशों और लोगों के लिए भी मायने रखती है।
एक छुड़ानेवाले को बुलाया जाता है
6. यशायाह, आनेवाले एक विजेता का किस तरह वर्णन करता है?
6 यशायाह के ज़रिए यहोवा एक विजेता की भविष्यवाणी करता है जो उसके लोगों को बाबुल से आज़ाद कराएगा और उनके दुश्मनों को दंड देगा। यहोवा पूछता है: “किसने पूर्व से एक व्यक्ति को धार्मिकता में अपने पैर के समीप बुलाकर उभारा है? वह जातियों को उसके वश में कर देता है और राजाओं को उसके अधीन कर देता है। वह अपनी तलवार से उन्हें धूल और अपने धनुष से उन्हें उड़ाया हुआ भूसा बना देता है। वह उन्हें खदेड़ता और ऐसे मार्ग से जिस पर वह कभी न चला था, बिना रोक-टोक आगे बढ़ता जाता है। आदि से पीढ़ियों को बुला बुलाकर कौन यह कार्य पूरा करता आया है? ‘मैं, यहोवा, जो आदि से अन्त तक हूं, मैं वही हूं।’”—यशायाह 41:2-4, NHT.
7. भविष्य में आनेवाला विजेता कौन है, और वह कैसे-कैसे काम करता है?
7 पूर्व दिशा से आनेवाला वह कौन है जिसे उभारा जाएगा? बाबुल की पूर्व दिशा में मादी-फारस और एलाम के देश हैं। और यहीं से फारसी राजा, कुस्रू अपनी शक्तिशाली फौजों को लेकर निकल पड़ा। (यशायाह 41:25; 44:28; 45:1-4,13; 46:11) हालाँकि कुस्रू यहोवा का उपासक नहीं था, मगर फिर भी उसने धर्मी परमेश्वर यहोवा की मरज़ी के मुताबिक काम किया। कुस्रू ने राजाओं को अपने अधीन कर लिया और वे उसके सामने से धूल की तरह तित्तर-बित्तर हो गए। जीत हासिल करने के लिए वह उन मार्गों पर भी “बिना रोक-टोक” या सही-सलामत चलता गया जिन पर ज़्यादातर कोई नहीं चलता। उसके सामने जो भी रुकावटें आयीं, उसने पार कर लीं। सा.यु.पू. 539 तक कुस्रू ने बाबुल के शक्तिशाली शहर तक पहुँचकर उस पर फतह हासिल कर ली। जिसकी वजह से परमेश्वर के लोगों को आज़ादी मिली ताकि वे यरूशलेम लौटकर सच्ची उपासना दोबारा शुरू कर सकें।—एज्रा 1:1-7.c
8. सिर्फ यहोवा ही क्या कर सकता है?
8 इस तरह यहोवा ने राजा कुस्रू के जन्म से काफी पहले उसके राजा बनने के बारे में बता दिया था। ऐसी भविष्यवाणी सिर्फ सच्चा परमेश्वर ही कर सकता है। देश-देश के लोग जिन झूठे देवी-देवताओं की पूजा करते हैं, उनमें से कोई भी यहोवा की बराबरी नहीं कर सकता। इसलिए यहोवा कहता है: “अपनी महिमा मैं दूसरे को न दूंगा।” सिर्फ यहोवा को यह कहने का हक है: “मैं सब से पहिला हूं, और मैं ही अन्त तक रहूंगा; मुझे छोड़ कोई परमेश्वर है ही नहीं।”—यशायाह 42:8; 44:6-7.
भयभीत लोग मूर्तियों पर भरोसा करते हैं
9-11. कुस्रू के आने की खबर सुनकर देशों के लोग क्या करते हैं?
9 अब यशायाह वर्णन करता है कि भविष्य में आनेवाले इस विजेता की खबर सुनकर देश क्या करते हैं: “द्वीप देखकर डरते हैं, पृथ्वी के दूर देश कांप उठे और निकट आ गए हैं। वे एक दूसरे की सहायता करते हैं और उन में से एक अपने भाई से कहता है, हियाव बान्ध! बढ़ई सोनार को और हथौड़े से बराबर करनेवाला निहाई पर मारनेवाले को यह कहकर हियाव बन्धा रहा है, जोड़ तो अच्छी है, सो वह कील ठोंक ठोंककर उसको ऐसा दृढ़ करता है कि वह स्थिर रहे।”—यशायाह 41:5-7.
10 यहाँ, यहोवा करीब दो सौ साल बाद की दुनिया के हालात का मुआयना करता है। कुस्रू की शक्तिशाली सेनाएँ तेज़ी से आगे बढ़ती हुईं, अपने सभी दुश्मनों पर जीत हासिल करेंगी। सभी लोग, यहाँ तक कि दूर-दराज़ द्वीपों में रहनेवाले भी उसके आने की खबर सुनकर काँप उठेंगे। यहोवा उन्हें दंड देने के लिए कुस्रू को पूर्व दिशा से बुलाएगा, जिसके डर से वे सब एकजुट हो जाएँगे ताकि मिलकर उसका सामना कर सकें। वे यह कहकर एक-दूसरे का हौसला बढ़ाने की कोशिश करेंगे: “हियाव बान्ध!”
11 शिल्पकार साथ मिलकर नए-नए आकार में देवी-देवताओं की मूर्तियाँ बनाते हैं ताकि ये देवी-देवता, लोगों की रक्षा कर सकें। सबसे पहले बढ़ई लकड़ी की एक मूरत बनाता है और वह उस पर किसी धातु का, शायद सोने का पत्तर चढ़ाने के लिए सुनार से कहता है। मूर्तिकार धातु को हथौड़े से पीट-पीटकर सपाट करता है और उसमें लगे टाँकों के बारे में कहता है कि ये अच्छे हैं। मूर्ति को कील ठोंककर खड़ा करने की बात शायद ताना मारते हुए कही गयी है ताकि जिस तरह यहोवा के सन्दूक के सामने दागोन देवता की मूरत टूटकर गिर पड़ी थी, कहीं यह भी गिर ना पड़े या कमज़ोर न दिखाई दे।—1 शमूएल 5:4.
मत घबरा!
12. यहोवा किस तरह इस्राएल की हिम्मत बँधाता है?
12 अब यहोवा अपने लोगों पर ध्यान देता है। बेजान मूरतों पर भरोसा रखनेवाले घबराते हैं, मगर सच्चे परमेश्वर पर भरोसा रखनेवालों को कभी-भी घबराने की ज़रूरत नहीं है। यहोवा, इस्राएल की हिम्मत बँधाते हुए सबसे पहले उसे याद दिलाता है कि वह उसके दोस्त, इब्राहीम की संतान है। यशायाह ने जो शब्द आगे लिखे उनसे इस्राएल के लिए यहोवा का गहरा प्यार और स्नेह साफ झलकता है: “हे मेरे दास इस्राएल, हे मेरे चुने हुए याकूब, हे मेरे प्रेमी इब्राहीम के वंश; तू जिसे मैं ने पृथ्वी के दूर दूर देशों से लिया और पृथ्वी की छोर से बुलाकर यह कहा, तू मेरा दास है, मैं ने तुझे चुना है और तजा नहीं; मत डर, क्योंकि मैं तेरे संग हूं, इधर उधर मत ताक, क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूं; मैं तुझे दृढ़ करूंगा और तेरी सहायता करूंगा, अपने धर्ममय दहिने हाथ से मैं तुझे सम्हाले रहूंगा।”—यशायाह 41:8-10.
13. बंधुआई में रहनेवाले यहूदियों को यहोवा के शब्दों से तसल्ली क्यों मिली होगी?
13 यहोवा के इन शब्दों से पराए देश में बंधुआ बनकर रहनेवाले वफादार यहूदियों को क्या ही तसल्ली मिली होगी! ऐसे समय में जब वे बाबुल में बंदी थे और वहाँ के राजा के दास थे, तब यह सुनकर उन्हें कितना हौसला मिलेगा कि यहोवा उन्हें प्यार से “मेरे दास” कहकर बुलाता है! (2 इतिहास 36:20) उनके विश्वासघात की वजह से यहोवा उन्हें ताड़ना ज़रूर देगा, मगर वह उन्हें त्यागेगा नहीं। आखिर, इस्राएल जाति यहोवा की संपत्ति है, बाबुल की नहीं। इसलिए विजेता कुस्रू के आने की खबर सुनकर परमेश्वर के सेवकों को थरथराने की कोई ज़रूरत नहीं। यहोवा अपने लोगों के साथ रहकर उनकी मदद करेगा।
14. इस्राएल से कहे गए यहोवा के शब्दों से आज उसके दासों को किस तरह तसल्ली मिलती है?
14 यहोवा के इन शब्दों से हमारे समय में भी परमेश्वर के दासों को तसल्ली मिली है और उनका हौसला मज़बूत हुआ है। सन् 1918 में वे यह जानने के लिए तरस रहे थे कि उनके बारे में यहोवा का मकसद क्या है। वे अपनी आध्यात्मिक बंधुआई से आज़ाद होने की लालसा कर रहे थे। आज हम भी उन दबावों से छुटकारा पाने के लिए तरसते हैं जो शैतान, उसकी दुनिया और हमारी अपनी असिद्धताओं की वजह से हम पर आते हैं। लेकिन हम जानते हैं कि यहोवा को अपने लोगों का हाल मालूम है। वह अच्छी तरह जानता है कि उन्हें छुटकारा दिलाने के लिए उसे कब, क्या करना है। इसलिए छोटे बच्चों की तरह हम उसके बलवन्त हाथ को थामे रहते हैं, क्योंकि हमें पूरा भरोसा है कि मुसीबतों का सामना करने में वह हमारी मदद ज़रूर करेगा। (भजन 63:7,8) जो यहोवा की सेवा करते हैं, वे उसे बहुत अज़ीज़ हैं। यहोवा आज हमें उसी तरह सहारा देता है जैसे उसने 1918-19 में मुसीबत के वक्त अपने लोगों को सहारा दिया था और जैसे सदियों पहले वफादार इस्राएलियों को सहारा दिया था।
15, 16. (क) इस्राएल के दुश्मनों का क्या हश्र होगा, और किस मायने में इस्राएल एक कीड़े सरीखा दिखाई देता है? (ख) बहुत जल्द आनेवाले किस हमले को देखते हुए, यहोवा के शब्दों से आज खासकर हिम्मत मिलती है?
15 गौर कीजिए कि यहोवा, यशायाह के ज़रिए आगे क्या कहता है: “देख, जो तुझ से क्रोधित हैं वे सब लज्जित होंगे; जो तुझ से झगड़ते हैं उनके मुंह काले होंगे और वे नाश होकर मिट जाएंगे। जो तुझ से लड़ते हैं उन्हें ढूंढ़ने पर भी तू न पाएगा; जो तुझ से युद्ध करते हैं वे नाश होकर मिट जाएंगे। क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा, तेरा दहिना हाथ पकड़कर कहूंगा, मत डर, मैं तेरी सहायता करूंगा। हे कीड़े सरीखे याकूब, हे इस्राएल के मनुष्यो, मत डरो! यहोवा की यह वाणी है, मैं तेरी सहायता करूंगा; इस्राएल का पवित्र तेरा छुड़ानेवाला है।”—यशायाह 41:11-14.
16 इस्राएल के दुश्मन चाहे कुछ भी कर लें वे कभी कामयाब नहीं होंगे। इस्राएल के खिलाफ भड़कनेवाले सभी लोगों को शर्मिंदा किया जाएगा। उसके खिलाफ लड़नेवाले मिट जाएँगे। बंधुआई में रहनेवाले इस्राएली मिट्टी में रेंगनेवाले कीड़े की तरह कमज़ोर और बेसहारा नज़र आते हैं मगर यहोवा उनकी हिफाज़त करेगा। इस बात से, इन “अन्तिम दिनों” के दौरान सच्चे मसीहियों को कितनी हिम्मत मिली है, जिन्हें संसार में इतने सारे लोगों की कट्टर दुश्मनी का सामना करना पड़ा है! (2 तीमुथियुस 3:1) खासकर अभी जब शैतान या भविष्यवाणी में बताया गया ‘मागोग देश का गोग’ हम पर जल्द ही हमला करनेवाला है, यहोवा के इस वादे से हमें कितना हौसला मिलता है! गोग के भयानक आक्रमण के सामने यहोवा के लोग किसी कीड़े की तरह एकदम लाचार नज़र आएँगे, वे उन लोगों की तरह नज़र आएँगे जो “बिना शहरपनाह” के, यहाँ तक कि “बिना बेड़ों और पल्लों के बसे हुए हैं।” लेकिन जो यहोवा पर भरोसा रखते हैं, उन्हें डर के मारे थरथराने की कोई ज़रूरत नहीं होगी। सर्वशक्तिमान परमेश्वर खुद उनके लिए लड़ेगा और उन्हें बचाएगा।—यहेजकेल 38:2,11, 14-16, 21-23; 2 कुरिन्थियों 1:3.
इस्राएल के लिए शांति
17, 18. इस्राएल को शक्ति दिए जाने का यशायाह किस तरह वर्णन करता है, और इस भविष्यवाणी के किस तरह पूरा होने का हम यकीन रख सकते हैं?
17 यहोवा अपने लोगों को शांति देना जारी रखता है: “देख, मैं ने तुझे छूरीवाले दांवने का एक नया और चोखा यन्त्र ठहराया है; तू पहाड़ों को दांय दांयकर सूक्ष्म धूलि कर देगा, और पहाड़ियों को तू भूसे के समान कर देगा। तू उनको फटकेगा, और पवन उन्हें उड़ा ले जाएगी, और आंधी उन्हें तितर-बितर कर देगी। परन्तु तू यहोवा के कारण मगन होगा; और इस्राएल के पवित्र के कारण बड़ाई मारेगा।”—यशायाह 41:15,16.
18 इस्राएल को हमला करने और आध्यात्मिक अर्थ में पहाड़ जैसे बड़े-बड़े दुश्मनों को अपने अधीन करने की शक्ति दी जाएगी। जब इस्राएल बंधुआई से वापस लौटेगा, तब वह उन दुश्मनों को पराजित करेगा जो उसे मंदिर और यरूशलेम की दीवारें बनाने से रोकना चाहेंगे। (एज्रा 6:12; नहेमायाह 6:16) लेकिन, यहोवा के ये शब्द “परमेश्वर के इस्राएल” पर बड़े पैमाने पर पूरे होंगे। (गलतियों 6:16) यीशु ने अभिषिक्त मसीहियों से वादा किया है: “जो जय पाए, और मेरे कामों के अनुसार अन्त तक करता रहे, मैं उसे जाति जाति के लोगों पर अधिकार दूंगा। और वह लोहे का राजदण्ड लिए हुए उन पर राज्य करेगा, जिस प्रकार कुम्हार के मिट्टी के बरतन चकनाचूर हो जाते हैं: जैसे कि मैं ने भी ऐसा ही अधिकार अपने पिता से पाया है।” (प्रकाशितवाक्य 2:26,27) वह समय ज़रूर आएगा जब स्वर्ग में पुनरुत्थान के बाद महिमा पानेवाले मसीह के भाई, यहोवा परमेश्वर के दुश्मनों का विनाश करने में हिस्सा लेंगे।—2 थिस्सलुनीकियों 1:7,8; प्रकाशितवाक्य 20:4,6.
19, 20. इस्राएलियों को दोबारा एक खूबसूरत देश में बसाने के बारे में यशायाह क्या लिखता है, और यह भविष्यवाणी कैसे पूरी होती है?
19 लाक्षणिक भाषा में, यहोवा अब एक बार फिर कहता है कि अपने लोगों को राहत पहुँचाने का वादा वह ज़रूर पूरा करेगा। यशायाह लिखता है: “जब दीन और दरिद्र लोग जल ढूंढ़ने पर भी न पायें और उनका तालू प्यास के मारे सूख जाये; मैं यहोवा उनकी बिनती सुनूंगा, मैं इस्राएल का परमेश्वर उनको त्याग न दूंगा। मैं मुण्डे टीलों से भी नदियां और मैदानों के बीच में सोते बहाऊंगा; मैं जंगल को ताल और निर्जल देश को सोते ही सोते कर दूंगा। मैं जंगल में देवदार, बबूल, मेंहदी, और जलपाई उगाऊंगा; मैं अराबा में सनौबर, तिधार वृक्ष, और सीधा सनौबर इकट्ठे लगाऊंगा; जिस से लोग देखकर जान लें, और सोचकर पूरी रीति से समझ लें कि यह यहोवा के हाथ का किया हुआ और इस्राएल के पवित्र का सृजा हुआ है।”—यशायाह 41:17-20.
20 हालाँकि बंधुआ इस्राएली उस वक्त की दौलतमंद विश्वशक्ति की राजधानी में जी रहे थे, मगर उनके लिए तो यह सिर्फ सूखे रेगिस्तान जैसा था। वे ठीक उसी तरह महसूस कर रहे थे, जैसा दाऊद ने महसूस किया जब वह राजा शाऊल से बचने के लिए छिपता फिर रहा था। लेकिन सा.यु.पू. 537 में यहोवा ने उनके लिए रास्ता खोल दिया ताकि वे यहूदा लौट सकें और यरूशलेम में दोबारा मंदिर बनाकर शुद्ध उपासना शुरू कर सकें। जब उन्होंने ऐसा किया तो यहोवा ने उन्हें आशीष दी। बाद की एक भविष्यवाणी में यशायाह कहता है: “यहोवा ने सिय्योन को शान्ति दी है, उस ने उसके सब खण्डहरों को शान्ति दी है; वह उसके जंगल को अदन के समान और उसके निर्जल देश को यहोवा की बाटिका के समान बनाएगा।” (यशायाह 51:3) जब यहूदी वापस अपने वतन लौटे तब सचमुच ऐसा ही हुआ।
21. सच्ची उपासना दोबारा शुरू करने का कौन-सा काम हमारे समय में हुआ था, और भविष्य में क्या होगा?
21 हमारे समय में भी एक ऐसी ही घटना हुई जब महान कुस्रू, यीशु मसीह ने अपने अभिषिक्त चेलों को आध्यात्मिक बंधुआई से छुड़ाया ताकि वे शुद्ध उपासना दोबारा शुरू करने के लिए काम कर सकें। इन वफादार लोगों को एक खूबसूरत आध्यात्मिक फिरदौस या एक लाक्षणिक अदन की वाटिका में रहने की आशीष दी गयी। (यशायाह 11:6-9; 35:1-7) बहुत जल्द जब परमेश्वर अपने दुश्मनों का नाश करेगा, तो इस सारी धरती को सचमुच के उस फिरदौस में बदल दिया जाएगा, जिसके बारे में यीशु ने सूली पर एक अपराधी से वादा किया था।—लूका 23:43.
इस्राएल के दुश्मनों को एक चुनौती
22. किन शब्दों से यहोवा एक बार फिर देशों को चुनौती देता है?
22 यहोवा अब फिर देशों और उनके बेजान देवी-देवताओं के साथ अपना मुकद्दमा आगे बढ़ाता है: “यहोवा कहता है, अपना मुक़द्दमा लड़ो; याकूब का राजा कहता है, अपने प्रमाण दो। वे उन्हें देकर हम को बताएं कि भविष्य में क्या होगा? पूर्वकाल की घटनाएं बताओ कि आदि में क्या क्या हुआ, जिस से हम उन्हें सोचकर जान सकें कि भविष्य में उनका क्या फल होगा; वा होनेवाली घटनाएं हम को सुना दो। भविष्य में जो कुछ घटेगा वह बताओ, तब हम मानेंगे कि तुम ईश्वर हो; भला वा बुरा, कुछ तो करो कि हम देखकर एक चकित हो जाएं। देखो, तुम कुछ नहीं हो, तुम से कुछ नहीं बनता; जो कोई तुम्हें चाहता है वह घृणित है।” (यशायाह 41:21-24) क्या देशों के देवी-देवता ठीक-ठीक बता सकेंगे कि भविष्य में क्या होगा और इस तरह क्या वे साबित कर पाएँगे कि उनके पास अलौकिक ज्ञान है? अगर हाँ, तो उन्हें अपना दावा साबित करने के लिए अच्छा या बुरा कुछ-न-कुछ ज़रूर कर दिखाना होगा। लेकिन, सच तो यह है कि ये बेजान देवी-देवता कुछ भी करने के लायक नहीं हैं जिससे साबित हो जाता है कि वे अस्तित्त्व में हैं ही नहीं।
23. यहोवा ने बार-बार अपने भविष्यवक्ताओं के ज़रिए, मूरतों की निंदा क्यों की?
23 हमारे समय में कुछ लोग शायद ताज्जुब करें कि यहोवा ने यशायाह और उसके समय के दूसरे भविष्यवक्ताओं के ज़रिए मूर्तिपूजा की मूर्खता की निंदा करने में इतना वक्त क्यों गँवाया। आज के ज़माने में ज़्यादातर लोगों के लिए यह समझना मुश्किल नहीं कि इंसान के हाथ की बनायी मूरतों की पूजा करना बेकार है। लेकिन, जब झूठी धारणाएँ लोगों के दिमाग में गहराई तक बैठ जाती हैं और काफी लोकप्रिय हो जाती हैं, तो उन्हें पूरी तरह उखाड़ फेंकना बहुत मुश्किल होता है। आज की कुछ धारणाएँ भी उतनी ही बेतुकी हैं, जितनी यह धारणा कि बेजान मूरतें सचमुच के देवी-देवता हैं। मगर लोग इन धारणाओं को मानना नहीं छोड़ते, फिर चाहे हम इन्हें गलत साबित करने के लिए कितनी ही ज़बरदस्त दलीलें क्यों न पेश करें। सिर्फ सच्चाई को बार-बार सुनने के बाद ही कुछ लोगों को यह बात समझ आती है कि यहोवा पर भरोसा रखने में ही सचमुच अक्लमंदी है।
24, 25. किस तरह यहोवा एक बार फिर कुस्रू का ज़िक्र करता है और इससे हमें किस दूसरी भविष्यवाणी की याद आती है?
24 अब यहोवा फिर से कुस्रू का ज़िक्र करता है: “मैं ने एक को उत्तर दिशा से उभारा, वह आ भी गया है; वह पूर्व दिशा से है और मेरा नाम लेता है; जैसा कुम्हार गिली मिट्टी को लताड़ता है, वैसा ही वह हाकिमों को कीच के समान लताड़ देगा।” (यशायाह 41:25)d यहोवा दूसरे देशों के देवी-देवताओं से कितना अलग है, वह जैसा चाहे वैसा कर सकता है। जब वह “पूर्व दिशा” से कुस्रू को उभारेगा, तो साबित कर दिखाएगा कि वह ना सिर्फ होनेवाली घटनाओं के बारे में पहले से बता सकता है, बल्कि अपनी कही हुई बात को पूरा करने के लिए भविष्य को बदलने की भी ताकत रखता है।
25 इन शब्दों से हमें प्रेरित यूहन्ना की उस भविष्यवाणी की याद आती है, जिसमें उसने समझाया कि किस तरह हमारे समय में भी राजाओं को कार्यवाही करने के लिए उभारा जाएगा। प्रकाशितवाक्य 16:12 में हम पढ़ते हैं कि “पूर्व दिशा के राजाओं के लिये” मार्ग तैयार किया जाएगा। ये राजा कोई और नहीं बल्कि यहोवा परमेश्वर और यीशु मसीह हैं। जिस तरह प्राचीन समय में कुस्रू ने परमेश्वर के लोगों को आज़ाद करवाया था, उसी तरह कुस्रू से भी शक्तिशाली ये दोनों राजा, यहोवा के दुश्मनों को मिट्टी में मिला देंगे और फिर अपने लोगों की रखवाली करते हुए उन्हें बड़े क्लेश में से बचाकर धार्मिकता की एक नयी दुनिया में ले जाएँगे।—भजन 2:8,9; 2 पतरस 3:13; प्रकाशितवाक्य 7:14-17.
यहोवा परमप्रधान है!
26. यहोवा अब कौन-सा सवाल पूछता है, और क्या इसका कोई जवाब देता है?
26 एक बार फिर, यहोवा इस सच्चाई का ऐलान करता है कि सिर्फ वही सच्चा परमेश्वर है। वह सवाल करता है: “किस ने इस बात को पहिले से बताया था, जिस से हम यह जानते? किस ने पूर्वकाल से यह प्रगट किया जिस से हम कहें कि वह सच्चा है? कोई भी बतानेवाला नहीं, कोई भी सुनानेवाला नहीं, तुम्हारी बातों का कोई भी सुननेवाला नहीं है।” (यशायाह 41:26) पत्थर से बने किसी भी देवता ने आनेवाले विजेता की घोषणा नहीं की जिससे वह अपने भक्तों को छुटकारा दे सके। ऐसे सभी देवी-देवता बेजान और गूँगे हैं। वे देवता हैं ही नहीं।
27, 28. यशायाह 41 की आखिरी आयतों में किस अहम सच्चाई पर ज़ोर दिया गया है, और कौन इसका ऐलान कर रहे हैं?
27 यहोवा की भविष्यवाणी के ये रोंगटे खड़े कर देनेवाले शब्द बताने के बाद, यशायाह एक अहम सच्चाई पर ज़ोर देता है: “मैं ही ने पहिले सिय्योन से कहा, देख, उन्हें देख, और मैं ने यरूशलेम को एक शुभ समाचार देनेवाला भेजा। मैं ने देखने पर भी किसी को न पाया; उन में कोई मन्त्री नहीं जो मेरे पूछने पर कुछ उत्तर दे सके। सुनो, उन सभों के काम अनर्थ हैं; उनके काम तुच्छ हैं, और उनकी ढली हुई मूर्त्तियां वायु और मिथ्या हैं।”—यशायाह 41:27-29.
28 यहोवा प्रथम है। वही परमप्रधान है! वही सच्चा परमेश्वर है जो अपने लोगों के छुटकारे का ऐलान करते हुए उनको खुशखबरी सुनाता है। और सिर्फ उसी के साक्षी देश-देश के लोगों के सामने उसकी महानता का ऐलान करते हैं। जो लोग मूर्तिपूजा करते हैं, उनके खिलाफ घृणा व्यक्त करते हुए यहोवा उनकी निंदा करता है और उनकी मूरतों को “वायु और मिथ्या” कहकर उन्हें रद्द कर देता है। सच्चे परमेश्वर से लिपटे रहने का यह क्या ही ज़बरदस्त कारण है! सिर्फ यहोवा ही हमारे पूरे भरोसे और विश्वास के योग्य है।
[फुटनोट]
c सन् 1919 में जिस महान कुस्रू ने “परमेश्वर के इस्राएल” को आध्यात्मिक बंधुआई से छुड़ाया था, वह कोई और नहीं बल्कि यीशु मसीह था। वह 1914 से स्वर्ग में परमेश्वर के राज्य में राजा के तौर पर विराजमान है।—गलतियों 6:16.
d हालाँकि कुस्रू का अपना देश बाबुल के पूर्व में था, मगर जब उसने बाबुल पर आखिरी बार आक्रमण किया, तब वह उत्तर की ओर से यानी एशिया माइनर से आया था।
[पेज 19 पर तसवीर]
हालाँकि कुस्रू यहोवा का उपासक नहीं था, मगर फिर भी उसे परमेश्वर का काम करने के लिए चुना गया
[पेज 21 पर तसवीर]
जातियाँ, बेजान मूरतों पर भरोसा रखती हैं
[पेज 27 पर तसवीरें]
एक ‘छूरीवाले दांवने के यन्त्र’ की तरह, इस्राएल “पहाड़ों को दांय दांयकर सूक्ष्म धूलि कर देगा”