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सही प्रकार के संदेशवाहक की पहचान करानाप्रहरीदुर्ग—1997 | मई 1
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१०. किस तरीक़े से कुस्रू “अभिषिक्त” था, और उसके जन्म के सौ साल से भी पहले यहोवा उससे कैसे बोल सका?
१० ध्यान दीजिए, यहोवा कुस्रू से ऐसे बोलता है मानो वह जन्म ले चुका हो। यह पौलुस के इस कथन के सामंजस्य में है कि यहोवा, “जो बातें हैं ही नहीं, उन का नाम ऐसा लेता है, कि मानो वे हैं।” (रोमियों ४:१७) और परमेश्वर, कुस्रू की “अपने अभिषिक्त” के रूप में भी पहचान कराता है। उसने ऐसा क्यों किया? और वैसे भी, यहोवा के महायाजक ने कुस्रू के सिर पर अभिषेक करनेवाला पवित्र तेल तो कभी डाला नहीं था। माना, लेकिन यह एक भविष्यसूचक अभिषेक है। यह एक ख़ास पद-नियुक्ति को सूचित करता है। सो परमेश्वर कुस्रू की अग्रिम नियुक्ति को एक अभिषेक कह सकता था।—१ राजा १९:१५-१७; २ राजा ८:१३ से तुलना कीजिए।
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सही प्रकार के संदेशवाहक की पहचान करानाप्रहरीदुर्ग—1997 | मई 1
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१२, १३. जब कुस्रू ने बाबुल पर क़ब्ज़ा किया, तो अपने संदेशवाहक यशायाह के ज़रिए कहे गए यहोवा के शब्द कैसे सच साबित हुए?
१२ लेकिन जिन यहूदी बंदियों का यहोवा में विश्वास था, उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी थी! उनके पास एक उज्ज्वल आशा थी। अपने भविष्यवक्ताओं के ज़रिए, परमेश्वर ने उनको मुक्त कराने का वादा किया था। परमेश्वर ने अपना वादा कैसे पूरा किया? कुस्रू ने अपनी सेना को हुक्म दिया कि फ़रात नदी को एक स्थान पर मोड़ दें। यह स्थान बाबुल से कई किलोमीटर दूर था। इस तरह, शहर की मुख्य सुरक्षा को एक सूखे से नदीतल में बदल दिया गया। उस निर्णायक रात को, बाबुल में नशे में धुत्त रंगरेलियाँ मनानेवालों ने फ़रात के किनारेवाले हिस्से पर, दो-पल्ले के किवाड़ लापरवाही से खुले छोड़ दिए थे। यहोवा ने पीतल के किवाड़ों को सचमुच तोड़ नहीं डाला; ना ही उसने उन किवाड़ों को बंद करनेवाले लोहे के बेड़ों के टुकड़े-टुकड़े कर दिए, लेकिन उन्हें खुला और बंधन-मुक्त रखने के उसके अद्भुत युक्तिचालन का वही असर हुआ। बाबुल की दीवारें कोई काम नहीं आयीं! अंदर जाने के लिए कुस्रू की फ़ौज को उन पर चढ़ना नहीं पड़ा। यहोवा कुस्रू के आगे-आगे चला, “ऊंची ऊंची भूमि,” जी हाँ, सभी बाधाओं को हटाते हुए। यशायाह को परमेश्वर का सच्चा संदेशवाहक साबित किया गया।
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