सातवाँ अध्याय
यहोवा की उपासना की ओर वापसी
1. बाबुल के दो खास देवता कौन हैं, और उनके बारे में क्या भविष्यवाणी की गयी है?
जब इस्राएली बाबुल की बंधुआई में जाएँगे, तब वे चारों तरफ से झूठी उपासना से घिर जाएँगे। लेकिन, फिलहाल यशायाह के समय में यहोवा के ये लोग अपने देश में ही हैं, उनका मंदिर भी मौजूद है जिसमें याजकों के दल सेवा कर रहे हैं। इन सबके होते हुए भी, परमेश्वर को समर्पित इस जाति के कई लोग मूर्तिपूजा में फँस गए हैं। इसलिए बहुत ज़रूरी है कि बंधुआई में जाने से पहले उन्हें तैयार किया जाए, ताकि जब वे बंधुआई में जाएँ तब ऐसा न हो कि वे बाबुल के झूठे देवी-देवताओं को देखकर उनका भय मानने लगें और उनकी उपासना करने लगें। इसलिए, यशायाह बाबुल के दो खास देवताओं के बारे में भविष्यवाणी करता है: “बेल देवता झुक गया, नबो देवता नब गया है, उनकी प्रतिमाएं पशुओं वरन घरैलू पशुओं पर लदी हैं; जिन वस्तुओं को तुम उठाए फिरते थे, वे अब भारी बोझ हो गईं और थकित पशुओं पर लदी हैं।” (यशायाह 46:1) बेल, कसदियों का सबसे खास देवता था। और नबो को बुद्धि और ज्ञान का देवता मानकर उसकी आराधना की जाती थी। इन दोनों देवताओं के लिए बाबुलियों के दिल में गहरी श्रद्धा थी। इसका सबूत यह है कि बाबुली इन्हीं देवताओं के नाम पर अपना नाम रखते थे। इसकी कुछ मिसालें हैं: बेलशस्सर, नबोपोलास्सर, नबूकदनेस्सर, नबूजरदान।
2. यह किस तरह ज़ोर देकर बताया गया है कि बाबुल के देवता लाचार हो जाएँगे?
2 यशायाह कहता है कि बेल “झुक गया” और नबो “नब गया है।” इसका मतलब है कि इन झूठे देवताओं को नीचा किया जाएगा। जब यहोवा बाबुल का न्याय चुकाएगा, तब ये देवता अपने उपासकों की मदद करने में नाकाम रहेंगे। और-तो-और वे खुद को भी नहीं बचा पाएँगे! इसके बाद से बेल और नबो को शोभा-यात्राओं में सम्मानित नहीं किया जाएगा, जैसा कि बाबुल के नए साल के समारोह में किया जाता है। इसके बजाय, उनके भक्तों को उन्हें ऐसे लादकर ले जाना होगा मानो वे कोई ऐरा-गैरा सामान हों। बेल और नबो की जयजयकार और पूजा होने के बजाय उनका मज़ाक बन जाएगा और उनकी बेइज़्ज़ती होगी।
3. (क) बाबुलियों को क्या जानकर धक्का पहुँचेगा? (ख) बाबुल के देवताओं की जो हालत हुई, उससे आज हम क्या सीख सकते हैं?
3 बाबुल के लोगों को यह जानकर कितना धक्का पहुँचेगा कि जिन मूर्तियों की वे पूजा करते थे वे एक बोझ के सिवा कुछ नहीं और उन्हें लादकर ले जाते-जाते जानवर भी थक गए हैं! आज भी लोग कई देवताओं और चीज़ों पर भरोसा रखते हैं जैसे पैसा, युद्ध के हथियार, सुख-विलास, राजा या शासक, मातृभूमि या उसके प्रतीक और दूसरी कई चीज़ें। मगर ये सब एक धोखे और भ्रम के सिवा कुछ नहीं। वे उनकी उपासना में तन-मन लगा देते हैं, उन पर भरोसा रखते हैं, यहाँ तक कि उनके लिए अपनी जान देने को तैयार हो जाते हैं। लेकिन जब यहोवा का ठहराया हुआ वक्त आएगा, तब यह खुलासा हो जाएगा कि ये सभी देवता किसी काम के नहीं हैं।—दानिय्येल 11:38; मत्ती 6:24; प्रेरितों 12:22; फिलिप्पियों 3:19; कुलुस्सियों 3:5; प्रकाशितवाक्य 13:14,15.
4. किस अर्थ में बाबुल के देवता ‘नब जाते’ और ‘झुक जाते’ हैं?
4 बाबुल के देवता कितनी बुरी तरह नाकाम होंगे, इस पर ज़्यादा रोशनी डालते हुए, भविष्यवाणी आगे कहती है: “वे नब गए, वे एक संग झुक गए, वे उस भार को छुड़ा नहीं सके, और आप भी बंधुआई में चले गए हैं।” (यशायाह 46:2) बाबुल के देवताओं को देखने पर ऐसा लगता है मानो वे युद्ध में घायल होने या बुढ़ापे की कमज़ोरी की वजह से “नब गए” और “झुक गए” हैं। यहाँ तक कि जो जानवर उनको ढो रहे हैं उनका बोझ भी वे हलका नहीं कर सकते, ना ही उनको बचा सकते हैं। तो क्या यहोवा के चुने हुए लोगों को चाहे वे बंधुआई की हालत में ही क्यों ना हों, इन देवताओं का सम्मान करना चाहिए? बिलकुल नहीं! उसी तरह, आज के समय में यहोवा के अभिषिक्त दासों ने आध्यात्मिक बंधुआई में रहते वक्त भी ‘बड़े बाबुल’ के झूठे देवताओं का ज़रा-भी सम्मान नहीं किया। सन् 1919 में ये झूठे देवता ‘बड़े बाबुल’ को गिरने से बचा नहीं पाए और ना ही वे “भारी क्लेश” के दौरान आनेवाली विपत्ति से उसे बचा पाएँगे।—प्रकाशितवाक्य 18:2,21; मत्ती 24:21.
5. आज मसीही, बाबुल के मूर्तिपूजकों की गलती दोहराने से कैसे बच सकते हैं?
5 आज सच्चे मसीही किसी भी तरह की मूरत के आगे नहीं झुकते। (1 यूहन्ना 5:21) क्रूस-मूर्तियों, जपमालाओं और संतों की मूरतों का इस्तेमाल करने से, सिरजनहार तक पहुँचने का रास्ता आसान नहीं हो जाता। ये चीज़ें सिरजनहार से प्रार्थना करने में हमारी मदद नहीं कर सकतीं। पहली सदी में, यीशु ने अपने शिष्यों को परमेश्वर की उपासना करने का सही तरीका सिखाया। उसने कहा: “मार्ग और सच्चाई और जीवन मैं ही हूं; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता। यदि तुम मुझ से मेरे नाम से कुछ मांगोगे, तो मैं उसे करूंगा।”—यूहन्ना 14:6,14.
‘गर्भ से ही उठाए हुए हूं’
6. यहोवा, अन्यजातियों के देवताओं से कैसे अलग है?
6 बाबुल की मूर्तियों की उपासना करना कितना व्यर्थ है, इसका खुलासा करने के बाद, यहोवा अपने लोगों से कहता है: “हे याकूब के घराने, हां, इस्राएल के घराने के शेष बचे हुए सब लोगो, मेरी सुनो: मैं तुम्हें गर्भ से ही उठाए और जन्म से ही लिए फिरा हूं।” (यशायाह 46:3, NHT) बाबुल की खुदी हुई मूरतों और यहोवा के बीच कितना बड़ा अंतर है! बाबुल के देवता अपने उपासकों के लिए कुछ नहीं कर पाते। अगर उन्हें कहीं जाना होता है, तो उनके उपासकों को उन्हें बोझा ढोनेवाले जानवरों पर लादकर ले जाना पड़ता है। लेकिन इसके विपरीत, यहोवा खुद अपने लोगों को उठाता आया है। वह उन्हें “गर्भ से ही” यानी जब से यह जाति बनी है, तब से उनका पालन-पोषण करता आया है। ये खूबसूरत यादें यहूदियों को उकसाएँगी कि वे मूर्तिपूजा को छोड़ दें और यहोवा को अपना पिता और मित्र मानकर उस पर भरोसा करना सीखें।
7. माँ-बाप अपने बच्चों की जो देखभाल करते हैं, उससे भी बढ़कर कैसे यहोवा अपने उपासकों की परवाह करता है?
7 यहोवा के अगले शब्दों में भी अपने लोगों के लिए ममता भरी हुई है: “तुम्हारे बुढ़ापे में भी मैं वैसा ही बना रहूंगा और तुम्हारे बाल पकने के समय तक तुम्हें उठाए रहूंगा। मैं ने तुम्हें बनाया और तुम्हें लिए फिरता रहूंगा; मैं तुम्हें उठाए रहूंगा और छुड़ाता भी रहूंगा।” (यशायाह 46:4,5क) अपनी औलाद पर जान छिड़कनेवाले माँ-बाप से कहीं बढ़कर यहोवा अपने लोगों की परवाह करता है। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होने लगते हैं, माँ-बाप महसूस करते हैं कि अब उनकी ज़िम्मेदारी कम होने लगी है। और जब माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं, तो अकसर बच्चे उनकी देखभाल करते हैं। लेकिन यहोवा के मामले में ऐसा कभी नहीं होता। वह अपने बच्चों यानी इंसानों की देखभाल करना कभी नहीं छोड़ता। यहाँ तक कि उनके बुढ़ापे में भी वह उन्हें सहारा देता है। यशायाह की भविष्यवाणी के ये शब्द, आज परमेश्वर के उपासकों का ढाढ़स बँधाते हैं। वे अपने सिरजनहार पर भरोसा रखते और उससे प्यार करते हैं। उन्हें इस बात की चिंता करने की ज़रूरत नहीं कि इस दुनिया में उनकी ज़िंदगी के बचे हुए दिन या साल कैसे कटेंगे। यहोवा वादा करता है कि जिनकी उम्र ढल चुकी है, वह उन्हें ‘उठाए रहेगा’ यानी उनको धीरज धरने और वफादार बने रहने के लिए ज़रूरी ताकत देता रहेगा। वह उन्हें लिए फिरेगा, उनको मज़बूत करेगा और उनकी रक्षा करेगा।—इब्रानियों 6:10.
आज की मूर्तियों से खबरदार रहिए
8. यशायाह के देश के कुछ लोगों ने कैसा घोर पाप किया है?
8 ज़रा सोचिए कि जब बाबुल की मूर्तियाँ पूरी तरह निकम्मी साबित होंगी, तब उन पर भरोसा रखनेवाले बाबुलियों की सभी आशाओं पर कैसे पानी फिर जाएगा! लेकिन क्या इस्राएल को ऐसा लगना चाहिए कि यहोवा भी इन्हीं देवताओं की तरह है? हरगिज़ नहीं। यहोवा उनसे एक वाजिब सवाल पूछता है: “तुम किस से मेरी उपमा दोगे और मुझे किस के समान बताओगे, किस से मेरा मिलान करोगे कि हम एक समान ठहरें?” (यशायाह 46:5ख) यशायाह के देश के कुछ लोग गूँगी, बेजान और लाचार प्रतिमाओं की पूजा करके कितना बड़ा पाप कर रहे हैं! एक ऐसी जाति जो यहोवा को जानती है, वह अगर इंसान के हाथों बनायी गयीं बेजान और लाचार मूर्तियों पर भरोसा रखे, तो इससे बड़ी बेवकूफी और क्या हो सकती है?
9. मूर्तिपूजकों की मूढ़ता भरी सोच क्या है?
9 अब ज़रा मूर्तिपूजकों की मूढ़ता भरी सोच पर गौर कीजिए। इस बारे में भविष्यवाणी आगे कहती है: “जो थैली से सोना उण्डेलते वा कांटे में चान्दी तौलते हैं, जो सुनार को मज़दूरी देकर उस से देवता बनवाते हैं, तब वे उसे प्रणाम करते वरन दण्डवत् भी करते हैं!” (यशायाह 46:6) ये उपासक सोचते हैं कि लकड़ी की बनी मूरत के मुकाबले किसी कीमती धातु से बनायी गयी मूरत में उनकी रक्षा करने की ताकत ज़्यादा होगी, इसलिए वे ऐसी मूरत बनाने के लिए पानी की तरह पैसा बहाते हैं। मगर सच तो यह है कि मूरत बनाने के लिए चाहे जितनी भी मेहनत की जाए या उसके लिए जितना भी पैसा लुटाया जाए, बेजान मूरत तो आखिर बेजान ही रहेगी।
10. यह कैसे अच्छी तरह समझाया गया है कि मूर्तियों की पूजा करना पूरी तरह व्यर्थ है?
10 मूर्तिपूजा करना कितनी बड़ी मूर्खता है, इस बारे में भविष्यवाणी आगे समझाते हुए कहती है: “वे उसको कन्धे पर उठाकर लिए फिरते हैं, वे उसे उसके स्थान में रख देते और वह वहीं खड़ा रहता है; वह अपने स्थान से हट नहीं सकता; यदि कोई उसकी दोहाई भी दे, तौभी न वह सुन सकता है और न विपत्ति से उसका उद्धार कर सकता है।” (यशायाह 46:7) एक ऐसी मूरत के सामने प्रार्थना करना कितनी बड़ी बेवकूफी है, जो न तो सुन सकती और न कुछ कर सकती है! उपासना में इस्तेमाल की जानेवाली ऐसी चीज़ें कितनी बेकार हैं, इसके बारे में भजनहार बहुत अच्छी तरह समझाता है: “उन लोगों की मूरतें सोने चान्दी ही की तो हैं, वे मनुष्यों के हाथ की बनाई हुई हैं। उनके मुंह तो रहता है परन्तु वे बोल नहीं सकतीं; उनके आंखें तो रहती हैं परन्तु वे देख नहीं सकतीं। उनके कान तो रहते हैं, परन्तु वे सुन नहीं सकतीं; उनके नाक तो रहती है, परन्तु वे सूंघ नहीं सकतीं। उनके हाथ तो रहते हैं, परन्तु वे स्पर्श नहीं कर सकतीं; उनके पांव तो रहते हैं, परन्तु वे चल नहीं सकतीं; और अपने कण्ठ से कुछ भी शब्द नहीं निकाल सकतीं। जैसी वे हैं वैसे ही उनके बनानेवाले हैं; और उन पर सब भरोसा रखनेवाले भी वैसे ही हो जाएंगे।”—भजन 115:4-8.
“सुदृढ़ हो जाओ”
11. जिन लोगों का मन दृढ़ नहीं हैं, उन्हें ‘सुदृढ़ होने’ में किस बात से मदद मिलेगी?
11 यह साबित करने के बाद कि मूर्तिपूजा करने का कोई फायदा नहीं, यहोवा अब अपने लोगों को बताता है कि क्यों उन्हें उसकी सेवा करनी चाहिए: “तुम लोगों ने पाप किये हैं। तुम्हें इन बातों को फिर से याद करना चाहिये। इन बातों को याद करो और सुदृढ़ हो जाओ। उन बातों को याद करो जो बहुत पहले घटी थीं। याद रखो कि मैं परमेश्वर हूँ। कोई दूसरा अन्य परमेश्वर नहीं है। वे झूठे देवता मेरे जैसे नहीं हैं।” (यशायाह 46:8,9, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) जिन लोगों का मन कभी यहोवा की उपासना की तरफ तो कभी मूर्तिपूजा की तरफ जाता है, उन्हें इतिहास में हुई घटनाओं से सीखना चाहिए। उन्हें हमेशा याद रखना चाहिए कि यहोवा ने उनकी खातिर क्या-क्या किया है। तब उन्हें सुदृढ़ होने में मदद मिलेगी और वे सही काम कर पाएँगे। इससे उन्हें यहोवा की उपासना की ओर वापस आने में मदद मिलेगी।
12, 13. मसीहियों को आज किस-किस के खिलाफ संघर्ष करना पड़ता है, और वे कैसे फतह हासिल कर सकते हैं?
12 आज सच्चे मसीहियों की भी इसी तरह हिम्मत बँधाए जाने की ज़रूरत है। इस्राएलियों की तरह, उन्हें भी अपनी असिद्धता से जूझना पड़ता है और परीक्षा के वक्त बहक न जाएँ इसके लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ता है। (रोमियों 7:21-24) इसके अलावा, एक आत्मिक युद्ध में, उनका मुकाबला ऐसे दुश्मन से हो रहा है जो अदृश्य और बहुत ताकतवर है। प्रेरित पौलुस कहता है: “हमारा यह मल्लयुद्ध, लोहू और मांस से नहीं, परन्तु प्रधानों से और अधिकारियों से, और इस संसार के अन्धकार के हाकिमों से, और उस दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं।”—इफिसियों 6:12.
13 शैतान और उसके पिशाच, मसीहियों को सच्ची उपासना से दूर ले जाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। लेकिन अगर मसीहियों को इस लड़ाई में फतह हासिल करनी है तो उन्हें यहोवा की सलाह मानकर सुदृढ़ हो जाना है। यह वे कैसे कर सकते हैं? प्रेरित पौलुस समझाता है: “परमेश्वर के सारे हथियार बान्ध लो; कि तुम शैतान की युक्तियों के साम्हने खड़े रह सको।” यहोवा अपने सेवकों को हथियारों से लैस किए बगैर युद्ध में नहीं भेजता। यहोवा ने उन्हें आत्मिक हथियार दिए हैं, जिनमें से एक “विश्वास की ढाल” है और वे इसकी मदद से ‘दुष्ट के सब जलते हुए तीरों को बुझा सकते हैं।’ (इफिसियों 6:11,16) यहोवा ने इस्राएलियों के लिए भी आध्यात्मिक इंतज़ाम किए थे, मगर उन्होंने इन इंतज़ामों को नज़रअंदाज़ कर दिया और इसलिए पापी हो गए। अगर उन्होंने याद किया होता कि यहोवा ने बार-बार उनकी मदद करने के लिए कैसे-कैसे अचंभे के काम किए थे, तो वे घिनौनी मूर्तियों की पूजा कभी न करते। आइए हम उनके उदाहरण से सबक सीखें और यह ठान लें कि हम सही काम करने के संघर्ष में कभी-भी कमज़ोर नहीं पड़ेंगे।—1 कुरिन्थियों 10:11.
14. यहोवा किस काबिलीयत का ज़िक्र करके साबित करता है कि केवल वही सच्चा परमेश्वर है?
14 यहोवा वह परमेश्वर है जो “अन्त की बात आदि से और प्राचीनकाल से उस बात को बताता आया [है] जो अब तक नहीं हुई। [वह] कहता [है], मेरी युक्ति स्थिर रहेगी और मैं अपनी इच्छा को पूरी करूंगा।” (यशायाह 46:10) भविष्यवाणी करने की काबिलीयत होना अपने आप में एक बड़ा सबूत है कि कौन सच्चा परमेश्वर है। लेकिन, भविष्यवाणी कर देना काफी नहीं है, बल्कि जो कहा है उसे पूरा करने की ताकत होना भी ज़रूरी है। इस मामले में क्या कोई और देवता यहोवा की बराबरी कर सकता है? यहोवा का यह ऐलान कि “मेरी युक्ति स्थिर रहेगी,” दिखाता है कि उसने जो उद्देश्य ठहराया है वह अटल है और पूरा होकर रहेगा। यहोवा की शक्ति का कोई अंत नहीं है, इसलिए दुनिया की कोई भी ताकत उसे अपनी मरज़ी पूरी करने से नहीं रोक सकती। (दानिय्येल 4:35) इसलिए, जो भविष्यवाणियाँ अभी पूरी नहीं हुईं, उनके बारे में हम यकीन के साथ कह सकते हैं कि वे भी परमेश्वर के ठहराए हुए समय में हर हाल में पूरी होंगी।—यशायाह 55:11.
15. कौन-सी शानदार मिसाल देकर हमें समझाया गया है कि यहोवा के पास भविष्यवाणी करने की काबिलीयत है?
15 यशायाह अब भविष्यवाणी में हमें एक शानदार मिसाल देकर समझाता है कि यहोवा, होनेवाली घटनाओं के बारे में न सिर्फ पहले से बता सकता है बल्कि उनको अंजाम तक पहुँचा भी सकता है: “मैं पूर्व से एक उकाब पक्षी को अर्थात् दूर देश से अपनी युक्ति के पूरा करनेवाले पुरुष को बुलाता हूं। मैं ही ने यह बात कही है और उसे पूरी भी करूंगा; मैं ने यह विचार बान्धा है और उसे सुफल भी करूंगा।” (यशायाह 46:11) “अन्त की बात आदि से” बतानेवाला परमेश्वर यहोवा, अपनी युक्ति पूरी करने के लिए इंसान के मामलों में फेर-बदल करेगा। वह “पूर्व से” यानी फारस देश से कुस्रू को बुलाएगा, जहाँ कुस्रू की मनपसंद राजधानी, पैसरगेड होगी। कुस्रू “उकाब पक्षी” की तरह अचानक और एकाएक बाबुल पर टूट पड़ेगा।
16. यहोवा कैसे यकीन दिलाता है कि बाबुल के बारे में उसकी भविष्यवाणी ज़रूर पूरी होगी?
16 यहोवा कहता है: “मैं ही ने यह बात कही है और उसे पूरी भी करूंगा।” इन शब्दों से हमारा विश्वास और भी पक्का हो जाता है कि बाबुल के बारे में यहोवा की भविष्यवाणी सौ-फीसदी सच होगी। इंसान जज़्बाती होकर बड़े-बड़े वादे तो कर बैठता है मगर उन्हें पूरा नहीं कर पाता है। सिरजनहार यहोवा ऐसा नहीं है, अपना वचन निभाने में वह कभी नहीं चूकता। वह ऐसा परमेश्वर है जो कभी “झूठ बोल नहीं सकता,” इसलिए हम यकीन रख सकते हैं कि अगर उसने “विचार बान्धा” है तो वह उसे “सुफल” भी करेगा।—तीतुस 1:2.
अविश्वासी मन
17, 18. (क) प्राचीन समय में और (ख) आज किन लोगों को ‘हठीले मनवाले’ कहा जा सकता है?
17 एक बार फिर, यहोवा अपनी भविष्यवाणी में बाबुलियों से कहता है: “हे हठीले मनवालो, तुम जो धार्मिकता से दूर हो, मेरी सुनो!” (यशायाह 46:12, NHT) “हठीले मनवालो” का मतलब ऐसे ढीठ लोग हैं जिन्होंने परमेश्वर की मरज़ी के खिलाफ काम करने की ठान ली है। इसमें कोई शक नहीं कि बाबुली, परमेश्वर से दूर हैं इसलिए उन्हें हठीले मनवाले कहा जा सकता है। उनके दिल में यहोवा और उसके लोगों के लिए इतनी नफरत भरी हुई है कि वे यरूशलेम और उसके मंदिर को तबाह कर देते हैं और उसके निवासियों को बंदी बनाकर ले जाते हैं।
18 आज कई लोग परमेश्वर के वजूद पर शक करते हैं और उस पर विश्वास नहीं करते। इसलिए वे राज्य का संदेश सुनने से साफ इनकार कर देते हैं जिसका प्रचार आज सारे जगत में किया जा रहा है। (मत्ती 24:14) वे यह कबूल नहीं करना चाहते कि सारे जहान पर हुकूमत करने का हक सिर्फ यहोवा को है। (भजन 83:18; प्रकाशितवाक्य 4:11) उनका मन “धार्मिकता से दूर” है, इसलिए वे परमेश्वर की इच्छा को ठुकराकर उसके विरोध में काम करते हैं। (2 तीमुथियुस 3:1-5) बाबुलियों की तरह, वे भी यहोवा के वचन सुनने से इनकार कर देते हैं।
परमेश्वर उद्धार करने में विलम्ब नहीं करेगा
19. यहोवा अपनी धार्मिकता ज़ाहिर करते हुए इस्राएल की खातिर क्या करेगा?
19 यशायाह के 46वें अध्याय के आखिरी शब्दों में यहोवा की शख्सियत के कुछ खास पहलुओं के बारे में बताया गया है: “मैं अपनी धार्मिकता को समीप ले आने पर हूं वह दूर नहीं है, और मेरे उद्धार करने में विलम्ब न होगा; मैं सिय्योन का उद्धार करूंगा और इस्राएल को महिमा दूंगा।” (यशायाह 46:13) परमेश्वर, इस्राएलियों को छुटकारा दिलाकर अपनी धार्मिकता ज़ाहिर करेगा। वह अपने लोगों को बंधुआई में पड़े रहने नहीं देगा। सिय्योन का उद्धार सही वक्त पर होगा; इसमें “विलम्ब न होगा।” जब इस्राएली बंधुआई से रिहा किए जाएँगे, तो आस-पास की सभी जातियाँ उन्हें देखकर दंग रह जाएँगी। यह छुटकारा इस बात का सबूत होगा कि यहोवा के पास अपनी जाति का उद्धार करने की ताकत है। दूसरी तरफ बाबुल के बेल और नबो देवताओं के बारे में यह ज़ाहिर हो जाएगा कि वे कितने लाचार और शक्तिहीन हैं।—1 राजा 18:39,40.
20. मसीही क्यों भरोसा रख सकते हैं कि यहोवा उनका ‘उद्धार करने में विलम्ब न करेगा?’
20 सन् 1919 में यहोवा ने अपने लोगों को आध्यात्मिक बंधुआई से छुड़ाया। उनको छुटकारा दिलाने में उसने देर नहीं की। उस घटना से, साथ ही प्राचीन समय के बाबुल पर कुस्रू की जीत से आज हमारा हौसला बुलंद होता है। यहोवा ने वादा किया है कि वह इस दुष्ट संसार और झूठी उपासना का अंत करेगा। (प्रकाशितवाक्य 19:1,2,17-21) इंसानी नज़रिए से देखने पर, आज कुछ मसीहियों को लग सकता है कि उनका उद्धार होने में काफी देर हो रही है। लेकिन यहोवा ने अपने इस वादे को पूरा करने का एक समय ठहराया है। और उस वक्त के आने तक यहोवा का रुके रहना, दरअसल धार्मिकता का काम है। क्योंकि वह “नहीं चाहता, कि कोई नाश हो; बरन यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले।” (2 पतरस 3:9) इसलिए इस बात का पूरा-पूरा भरोसा रखिए कि प्राचीन इस्राएल के दिनों की तरह आज भी ‘उद्धार होने में विलम्ब नहीं होगा।’ जैसे-जैसे उद्धार का दिन नज़दीक आ रहा है, यहोवा प्यार से यह बुलावा दे रहा है: “जब तक यहोवा मिल सकता है तब तक उसकी खोज में रहो, जब तक वह निकट है तब तक उसे पुकारो; दुष्ट अपनी चालचलन और अनर्थकारी अपने सोच विचार छोड़कर यहोवा ही की ओर फिरे, वह उस पर दया करेगा, वह हमारे परमेश्वर की ओर फिरे और वह पूरी रीति से उसको क्षमा करेगा।”—यशायाह 55:6,7.
[पेज 94 पर तसवीर]
बाबुल के देवता उसे नाश होने से नहीं बचा पाते
[पेज 98 पर तसवीर]
मसीहियों को आज की मूरतों से खबरदार रहना चाहिए
[पेज 101 पर तसवीरें]
सही काम करने के लिए सुदृढ़ हो जाओ